वस्तुनिष्ठ प्रश्न
बहु-विकल्पीय प्रश्न
1. पुष्यी पादपों में निम्न में से कौन-सी पश्च निषेचन (निषेचनोत्तर) परिघटना है ?
(i) पराग कणों का स्थानान्तरण,
(ii) भ्रूण का विकास,
(iii) पुष्प का निर्माण,
(iv) पराग कणों का निर्माण।
2. बहिर्जात रूप से बनने वाले अलैंगिक बीजाणु हैं-
(i) चल बीजाणु,
(ii) बीजाणु,
(iii) कोनिडिया,
(iv) एस्कोस्पोर।
3. नर युग्मक तथा अण्ड कोशिका के समेकन से बनी संरचना कहलाती है-
(i) फलभित्ति,
(ii) बीजाण्ड,
(iii) भ्रूणपोष,
(iv) युग्मनज।
4. अनिषेकजनन (पार्थीनोजेनेसिस) पाया जाता है-
(i) मधुमक्खी में,
(ii) टर्की पक्षी में,
(iii) (i) व (ii) दोनों,
(iv) मेंढक व केंचुआ में।
5. लैंगिक जनन से बनी सन्तति अलैंगिक जनन से बनी सन्तति से अधिक विभिन्नता प्रदर्शित करती है, क्योंकि-
(i) लैंगिक जनन एक लम्बी प्रक्रिया है,
(ii) जनकों के युग्मकों का आनुवंशिक संघटन गुणात्मक रूप से भिन्न-भिन्न होता है,
(iii) आनुवंशिक पदार्थ दो अलग-अलग प्रजातियों के जनकों से प्राप्त होता है,
(iv) लैंगिक जनन में डी.एन.ए की अधिक मात्रा का प्रयोग होता है।
6. बहुखण्डन (मल्टीपिल फिजन) जनन की सामान्य विधि है-
(i) स्पाइरोगाइरा में,
(ii) यीस्ट में,
(iii) पैरामीशियम में,
(iv) प्लाज्मोडियम में।
उत्तर-1. (ii), 2. (iii), 3. (iv), 4. (iii), 5. (ii), 6. (iv)
रिक्त स्थान पूर्ति
1. भूणोद्भव के दौरान युग्मनज कोशिका विभाजन (समसूत्रण) तथा………………..सेगुजरता है।
2. अधिकतर जलीय जीवों, जैसे शैवालों, मछलियों तथा उभयचरों में भी…………. निषेचन पाया जाता है।
3. आकारिकीय व आनुवंशिक रूप से समानजीव………कहलाते हैं।
4. पादपों में किशोर प्रावस्था को …… प्रावस्था कहा जाता है।
5. प्रत्येक लैंगिक प्रजनक जीव के जीवन की शुरूआत एक एकल कोशिका…………. के रूप में होती है।
6. सूक्ष्म प्रवर्धन………. जनन का ही एक प्रकार है।
उत्तर-1. कोशिका विभेदीकरण, 2. वाहा, 3. क्लोन, 4. कायिक/वर्धी,5. युग्मनज, 6. कायिक (अलैंगिक)।
३ सत्य/असत्य
1. बाह्यदल, दल पत्र, पुंकेसर पुष्पी पादपों के द्विगुणित भाग हैं।
2. दक्षिण भारतीय पादप नीलकुरेन्जी (स्ट्रोबिलैन्थस कुन्थिआना) में सन् 2018 में पूरे बारह वर्ष बाद पुष्पन हुआ।
3. केले व अदरक में प्रकन्द (राइजोम) द्वारा वर्षी प्रजनन होता है।
4. निम्न श्रेणी के पादपों व जन्तुओं में केवल अलैंगिक प्रजनन पाया जाता है।
5. ब्रायोफाइटा, टेरिडोफाइटा में कीट परागण पाया जाता है।
6. छोटे जीवों की जीवन अवधि कम तथा आकार में बड़े जीवों की अधिक होती है।
उत्तर-1. सत्य, 2. सत्य, 3. सत्य, 4. असत्य, 5. असत्य, 6. असत्य।
सही जोड़ी बनाइए:-
एक शब्द/वाक्य में उत्तर
1. पेनीसिलियम में अलैंगिक जनन की प्रमुख विधि कौन-सी है?
उत्तर-कोनिडिया निर्माण।
2. जलाशयों की महाविपत्ति अथवा बंगाल का आतंक किस पौधे को कहा गयाहै?
उत्तर–जलकुम्भी/(वॉटर हायसिंथ) (Eichhornia crassipes) को।
3. मद चक किसे कहते हैं ?
उत्तर-गैर-प्राइमेट (Non-primate) स्तनधारियों के अण्डाशय की सक्रियता तथासहायक नलिकाओं व हॉर्मोन स्तर में होने वाले चक्रिक परिवर्तन मद चक्र कहलातेहैं।
4. कवकों में एकलिंगाश्रयी स्थिति हेतु किस शब्द का प्रयोग किया जाता है ?
उत्तर-विषमथैलसी/हेटेरोथैलिक।
5. शैवाल क्लेडोफोरा के युग्मक फ्यूकस के युग्मकों से कैसे भिन्न होते हैं ?
उत्तर-क्लेडोफोरा में समयुग्मक जबकि फ्यूकस में विषमयुग्मक अवस्था पायी जातीहै।
6. किन्हीं दो द्विलिंगी जन्तुओं का नाम लिखिए।
उत्तर—केंचुआ तथा टेपवर्म द्विलिंगी जन्तु हैं।
अति लघु उत्तरीय प्रश्न
(प्रश्न1) अलैंगिक जनन द्वारा उत्पन्न हुई सन्तति को क्लोन क्यों कहा गया है ?
उत्तर-अलैंगिक जनन में एकमात्र जनक द्वारा उत्पन्न सन्तति आकारिकीय वआनुवंशिक रूप से जनक के तथा आपस में समान होती है। ऐसे जीवों को ही क्लोन (Clone)
कहा जाता है।
(प्रश्न 2)जीवों के लिए जनन क्यों अनिवार्य है ?
उत्तर–जीवों के लिए जनन अनिवार्य है, क्योंकि-
(i) जनन प्रजातियों की निरन्तरता को पीढ़ी-दर-पीढ़ी बनाए रखता है, अर्थात जीवों कोमृत्यु के बावजूद यह प्रजाति को जीवित रखता है।
(ii) जनन द्वारा उत्पन्न विभिन्नताएँ जीवों को बदलते पर्यावरण के प्रति अनुकूलनशीलताप्रदान करती हैं।
प्रश्न 3) एक द्विलिंगी पुष्य क्या है ?
उत्तर-ऐसा पुष्प जिसमें नर भाग अर्थात् पुंकेसर तथा मादा भाग अण्डप एक ही पुष्प मेंउपस्थित होते हैं, द्विलिंगी पुष्प (bisexual flower) कहलाता है; जैसे-गुड़हल, सरसों आदि।
(प्रश्न 4). अपने आस-पास पाए जाने वाले किन्हीं पाँच द्विलिंगी पुष्पी पादपों के
सामान्य (स्थानीय) एवं वैज्ञानिक नाम लिखिए।
उत्तर-(1) सरसों (बॅसिका कैम्पेस्ट्रिस),(2) गुड़हल (हिबिस्कस रोजा साइनेन्सिस),
(3) धतूरा (डेट्यूरा अल्वा), (4) पिटूनिया (पिटूनिया अल्बा), (5) गुलाब (रोजा इंडिका)।
प्रश्न 5.)प्रत्येक पुष्यीय पादप के भाग को पहचानें तथा लिखें कि वहअगुणित (n) है या द्विगुणित (2n)।
अण्डाशय, परागकोष, अण्डा (डिम्ब), पराग, नर युग्मक, युग्मनज।?
उत्तर-अण्डाशय-द्विगुणित (2n)
परागकोष-द्विगुणित (2n)
अण्डा (डिम्ब) अगुणित (n)
पराग—अगुणित (n)
नर युग्मक अगुणित (1)
युग्मनज-द्विगुणित (2n)
प्रश्न 6) कायिक प्रवर्धन से आप क्या समझते हैं ? कोई दो उपयुक्त उदाहरणदीजिए।
उत्तर-वह अलैंगिक जनन, जिसमें नया पौधा, किसी पौधे के वर्धी (कायिक) भागों;जैसे-जड़, तना या पत्ती आदि से उत्पन्न होता है, कायिक प्रवर्धन कहलाता है।
उदाहरण-आलू के कन्द की कलिकाओं द्वारा अथवा अदरक के प्रकन्द कीकलिकाओं से नए पौधों का जन्म।
प्रश्न 7. एककोशिकीय (अकोशिकीय) जीवों को प्रायः अमर क्यों कहा जाता है?
उत्तर-एककोशिकीय जीवों में द्विविभाजन (कोशिका विभाजन) द्वारा अलैंगिक जननहोता है। जीव अपनी प्राकृतिक मृत्यु से पहले ही सन्तति कोशिकाओं में विभाजित होकरजीवद्रव्य की निरन्तरता सुनिश्चित कर देता है। अर्थात् जीव मरता नहीं, सन्तति कोशिकाओं मेंबदल जाता है, अत: अमर कहलाता है।
प्रश्न 8. एक स्वपरागित द्विलिंगी पुष्पधारी पौधे में फल निर्माण की सम्भावनाएक एकलिंगी पौधे की अपेक्षा अधिक होती है। स्पष्ट कीजिए।
उत्तर–फल का निर्माण पौधे के मादा भाग द्वारा सफल परागण के बाद होता है।एकलिंगी पौधों में आधे पौधों में ही मादा पुष्प बनते हैं केवल यही फल बना सकते हैं। दूसरे,मादा पुष्यों को परागण के लिए बाह्य कारकों पर निर्भर रहना होता है। जबकि सभी द्विलिंगी
पुष्यों में फल बन सकते हैं तथा स्वपरागित होने के कारण इन्हें परागणकर्ता कारक पर निर्भरनहीं रहना पड़ता।
प्रश्न 9. ब्रायोफिल्लम, जलकुम्भी, अगेव व आलू में वर्धी प्रजनन में सहायकवर्षी प्रवर्गों के नाम लिखिए।
उत्तर-ब्रायोफिल्लम-पर्णकलिका
जलकुम्भी–ऑफसेट
अगेव– बुलबिल्स
आलू–कक्षस्थ कलिकाए (आँखे)
प्रश्न 10. निम्न में से कौन उभयलिंगाश्रयी (monoecious) तथा कौन सेएकलिंगाश्रयी (dioecious) जीव हैं ?
(३) केंचुआ, (b) कारा, (c) मार्केन्शिया, (d) कॉकरोच।
उत्तर-(a) केंचुआ- उभयलिंगाश्रयी
(b) कारा- उभयलिंगाश्रयी
(c) मार्केन्शिया- एकलिंगाश्रयी
(d) कॉकरोच.–एकलिंगाश्रयी।
प्रश्न 11)रोपण (ग्राफ्टिंग) क्या है ?
उत्तर रोपण एक कृत्रिम कायिक जनन विधि है जिसमें किसी निम्न गुणवत्ता वालेस्कन्ध (Stock) पर उच्च गुणवत्ता वाली सियान (Scion) को जोड़कर उच्च गुणवत्ता वालापादप तैयार किया जाता है; जैसे-गुलाब, नींबू आदि में।
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1) एक पुष्प में निषेचन पश्च परिवर्तनों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर-पुष्प में निषेचन के पश्चात् निम्न परिवर्तन होते हैं-
(i) निषेचन से बना युग्मनज (zygote) कोशिका विभाजन तथा कोशिका विभेदनद्वारा भ्रूण का निर्माण करता है।
(ii) बीजाण्ड, बीज में बदल जाते हैं। बीजावरण ही बीज चोल बनाते हैं।
(iii) अण्डाशय भित्ति निषेचन के पश्चात् पक कर फलभित्ति(पेरीकार्प) बना देतीहै। बीजों को घेरे हुए यह अण्डाशय भित्ति फल कहलाती है।
(iv) बाह्यदल, दल व पुंकेसर आदि सूखकर गिर जाते हैं। कुछ फलों में चिरलग्नबाह्यदल पाए जाते हैं, जैसे-बैंगन में।
(प्रश्न 2.)जनन की अच्छी विधि कौन-सी है ? उत्तर—लैंगिक जनन को अलैंगिक जनन की अपेक्षा अच्छा माना जाता है, क्योंकि-
(i) लैंगिक जनन आनुवंशिक विभिन्नताओं को जन्म देता है। यह विभिन्नताएँ अर्धसूत्रीविभाजन, युग्मकों के संयोगिक संलयन आदि से उत्पन्न होती हैं तथा जीवों को बदले पर्यावरणमें अनुकूलनशीलता प्रदान करती हैं।
(ii) आनुवंशिक पुनर्संयोजन जीव के ओज(vigour) व जीवंतता में वृद्धि करती हैं
(iii) विभिन्नताएँ प्राकृतिक वरण हेतु आवश्यक कारक होती हैं। अतः लैंगिक जननजैव विकास का आधार है।
प्रश्न 3) युग्मकजनन एवं भ्रूणीदभव के बीच अन्तर स्पष्ट कीजिए?
प्रश्न 4) लैंगिक जनन के परिणामस्वरूप बनी सन्तति को जीवित रहने के अच्छेअवसर होते हैं, क्यों ? क्या यह कथन हर समय सही होता है ?
उत्तर–लैंगिक जनन में शामिल घटनाएँ, जैसे- अर्द्धसूत्री विभाजनतथायुग्मों का सांयोगिक संलयन आनुवंशिक विभिन्नताओं को जन्म देती हैं। लैंगिकजनन जीवों के ओज व जीवंतता में भी वृद्धि करता है। विभिन्नताओं के कारण लैंगिकजनन से उत्पन्न संतति में अनुकूलन (adaptations) उत्पन्न होते हैं जो उन्हें, बदलीपर्यावरणीय परिस्थितियों में सफलतापूर्वक जीवनयापन करने में सक्षम बनाते हैं। अर्थात्जीवित रहने के अच्छे अवसर प्रदान करती हैं। इस प्रक्रिया में प्राकृतिक चयन/पर्यावरणकी विशिष्ट भूमिका होती है। पर्यावरण के अनुकूल विभिन्नताएँ चयनित हो जाती है अतःलैंगिक जनन प्राय: जीने के उत्तम अवसर ही प्रदान करता है हानिकारक विभिन्नताएं समष्टि से विलुप्त हो जाती हैं। लक्षणों के अच्छे/बुरे होने का निर्धारण पर्यावरण द्वारा कियाजाता है।
प्रश्न5) : अपनी जटिलता के बावजूद बड़े जीवों में लैंगिक प्रजनन पाया जाता है,क्यों?
उत्तर -यह सही है कि लैंगिक प्रजनन अधिक ऊर्जा खपत वाली, जटिल व लम्बीघटना है फिर भी जैव विकास प्रक्रिया से बने जटिल व बड़े जीवों ने लैंगिक प्रजनन को हीअपनाया है। इसके निम्न कारण हैं-
(i) लैंगिक प्रजनन जीव के ओज व जीवन शक्ति में वृद्धि करता है।
(ii) लैंगिक प्रजनन विभिन्नताओं का स्रोत है अत: जीवों को बदले पर्यावरण के प्रतिअनुकूलनशीलता प्रदान करता है। अर्थात् विभिन्नताएँ जीवों को बदले पर्यावरण के अनुकलबनाती है।ii) लैंगिक प्रजनन, जैव विकास का आधार है। यह जीवन को स्थायित्व प्रदान करनेवाली जैवविविधता के रूप में परिलक्षित होता है।
प्रश्न 6). नस्पोर (अलैंगिक चल बीजाणु) तथा युग्मनज (जाइगोट) के बीच विभेदकीजिए।
उत्तर- अलैंगिक चल बीजाणु तथा युग्मनज में अन्तर
प्रश्न 7)अलैंगिक जनन द्वारा बनी सन्तति लैंगिक जनन द्वारा बनी सन्तति से किसप्रकार भिन्न होती है?
उत्तर-अलैंगिक जनन में सन्तति निर्माण में केवल एक जनक भाग लेता है। इसप्रकार के जनन में अर्द्धसूत्री विभाजन व युग्मक संलयन जैसी घटनाएँ नहीं होती। अतः सन्ततिआनुवंशिक व आकारिकीय रूप से जनक के एवं आपस में भी समान होती है। यह संतति
क्लोन कहलाती है।लैंगिक जनन में अर्द्धसूत्री विभाजन व युग्मकों का संलयन पाया जाता है। यह दोनोंघटनाएँ आनुवंशिक विभिन्नताओं को जन्म देती हैं। युग्मकों के निर्माण के समय होने वालेअर्द्धसूत्री विभाजन व युग्मकों के सांयोगिक संलयन के कारण लैंगिक जनन से बनी संततिजनक से तथा आपस में भी आनुवंशिक रूप से भिन्न होती है।
प्रश्न 8. अण्डप्रजक प्राणियों की सन्तानों का उत्तरजीवन (सरवाइवल) सजीव-प्रजक प्राणियों की तुलना में अधिक जोखिमयुक्त क्यों होता है ? व्याख्या कीजिए।
उत्तर अण्डे देने वाले प्राणियों का उत्तरजीवन सजीवप्रजक अर्थात् शिशु को जन्म देनेवाले प्राणियों की तुलना में अधिक जोखिमपूर्ण होता है क्योंकि-
(i) अण्डप्रजक जन्तुओं में भ्रूण का विकास जन्तु के शरीर से बाहर अण्डकवच केअन्दर होता है। कोमल भ्रूण प्रतिकूल पर्यावरणीय परिस्थितियों, परभक्षियों का आसानी से शिकार बन सकता है।
सजीवप्रजक प्राणियों में भ्रूण का विकास जीव शरीर के अन्दर होता है अत: न तोप्रतिकूल पर्यावरणीय परिस्थितियों का खतरा होता है न हीपरभक्षियों का।अनिषेचित अण्डे देने वाले जन्तुओं (बाहा निषेचन प्रदर्शित करने वाले जन्तुओं) में तोखतरा और प्रबल होता है तथा निषेचन भी सुनिश्चित नहीं होता।
(II) अण्डों की देखभाल हर समय सुनिश्चित नहीं की जा सकती। जनकों को भोजनप्राप्त करने अण्डों से दूर जाना ही पड़ता है जबकि सजीवप्रजक जीवों में भ्रूण गर्भ में सुरक्षितरहता है।
स्पष्ट है कि सजीवप्रजक प्राणी बेहतर पोषण, देखभाल, सुरक्षा आदि के कारणअण्डप्रजक प्राणियों की अपेक्षा बेहतर उत्तरजीविता अवसर प्रदान करते हैं। अण्डप्रजक प्राणियोंमें यह अधिक जोखिमपूर्ण होता है।
प्रश्न 9. चल बीजाणु व कोनिडिया के चित्र बनाइए। इन दोनों के बीच की दोअसमानताओं व कम-से-कम एक समानता का उल्लेख कीजिए।
उत्तर-
समानता–चल बीजाणु तथा कोनिडियम दोनों ही अलैंगिक जनन में बनी संरचनाएँहैं, दोनों ही अंकुरित होकर नए जीव को जन्म देती हैं।
असमानताएँ–(i) चल बीजाणु का निर्माण चलबीजाणुधानी (Zoosporangium)में होता है अर्थात् यह आन्तरजन्य (endogenous) हैं। जबकि कोनिडिया का निर्माणकोनिडियोफोर के ऊपर होता है यह बाह्यजन्य (exogenous) हैं।
(ii) चल बीजाणु में फ्लैजेला या सीलिया पाए जाते हैं अर्थात् यह चल (motile)होते हैं। जबकि कोनिडिया में इन संरचनाओं का अभाव होता है। कोनिडिया अचल (non-motile) होते हैं तथा वायु द्वारा प्रकीर्णित होते हैं।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.)व्याख्या कीजिए
(a) किशोर चरण, (b) प्रजनक चरण, (c) जीर्णावस्था या जीर्णता चरण।
उत्तर-(a) किशोर चरण (Juvenile Phase)—सभी पादपों व जन्तुओं में जन्म केतुरन्त बाद प्रजनन हेतु परिपक्वता नहीं होती। जीवों में जन्म से लेकर लैंगिक परिपक्वता प्राप्तकरने तक की अवस्था किशोर चरण कहलाती है। अर्थात् किशोर चरण वृद्धि व विकास कीअवस्था है जिसमें जीव में प्रजनन में भाग लेने हेतु आवश्यक शारीरिक आवश्यकताओं कीपूर्ति होती है। पौधों में इसे वर्धा या कायिक अवस्था (Vegetative phase) कहा जाता है।
इस प्रावस्था में जीव के शरीर की समस्त ऊर्जा व संसाधनों का प्रयोग शारीरिक वृद्धि हेतु हीहोता है। विभिन्न प्रकार के जन्तुओं व पेड़-पौधों में किशोर चरण की अवधि भी भिन्न-भिन्नहोती है।
(b) प्रजनक चरण (Reproductive Phase) जीव की जीवन अवधि की वहअवस्था जिसमें वह जननक्षम होता है, प्रजनक चरण कहलाती है। किशोर चरण या किशोरावस्थाकी समाप्ति ही प्रजनक चरण का आरम्भ होता है। प्रजनक चरण जनन क्षमता की समाप्तितक बनी रहती है। पुष्पी पादपों में पुष्पों का बनना प्रारम्भ होना प्रजनक चरण का प्रारम्भ है।
स्तनियों में ऋतुस्राव चक्र (menstrual cycle) के प्रारम्भ होने अर्थात् रजोदर्शन (menarch)से रजोनिवृत्ति (menopause) तक की अवधि प्रजनक चरण का प्रतिनिधित्व करती है।
(c) जीर्णता चरण या जीर्णावस्था (Senescence or Senescent Phase)-किसी जीव में प्रजनक चरण की समाप्ति से जीव की मृत्यु तक की अवस्था जीर्णावस्था याजीर्णता चरण कहलाती है। इस अवस्था में जीव की उपापचयी क्रियाएँ मन्द पड़ जाती हैं।
जन्तुओं में संवेदी अंगों की सक्रियता घट जाती है। पादपों में पत्तियों का पीला पड़ना व गिरना जीर्णता चरण है।
प्रश्न 2. किसी कुकुरबिट पादप के स्त्रीकेसरी व पुंकेसरी पुष्पों की संरचना कावर्णन कीजिए। कुछ अन्य एकलिंगी पौधों के नाम लिखिए।
उत्तर-कुल कुकुरबिटेसी (Cucurbitaceae) या कद्दू कुल के पौधों को कुकुरबिट्सकहा जाता है।
..इस कुल के एकलिंगी (unisexual) होते हैं। अर्थात् पुष्पों में या तो केवलजायांग (gynoecium) पाया जाता है या पुमंग (androecium)।
• केवल जायांगधारी पुष्प स्त्रीकेसरी (पिस्टिलेट) पुष्प कहलाते हैं। (मादा पुष्प)
• पुमंगधारी पुष्यों को पुंकेसरी (स्टेमिनेट) पुष्प कहा जाता है। (नर पुष्प)
• कद्दू कुल में पौधे प्रायः उभयलिंगाश्रयी (monoecious) होते हैं। इसका अर्थ हैएक ही पौधे पर नर व मादा दोनों प्रकार के पुष्प पाए जाते हैं।
…नर पुष्य (Male flower or Staminate flower) सवृन्त, बाह्यदल 5, दल 5,सफेद अथवा पीले रंग के, पुंकेसर 5 सिनैन्ड्रस (synandrous) अर्थात् पुतंतु व परागकोष सभीआपस में जुड़े होते हैं। इन पुष्पों में जायांग नहीं पाया जाता।
कुछ पुष्पों में दो-दो पुंकेसर पूर्णत: जुड़े हुए तथा एक स्वतंत्र होता है।
..मादा पुष्प (Female flower or Pistillate flower) मादा पुष्प भीसवृन्त होते हैंतथा बाह्यदल व दल पत्र नर पुष्पों के समान ही होते हैं। इन पुष्पों में पुमंग का अभाव होता है।जायांग 3 अण्डपों से बना (त्रिअण्डपी या tricarpellary) होता है। यह युक्ताण्डपी
(Syncarpous) होता है अर्थात् अण्डप आपस में जुड़े होते हैं। इनमें अण्डाशय, अधोवर्ती(Inferior ovary) होता है। अण्डाशय में केवल एक कोष्ठ पाया जाता है (एककोष्ठीय
Unilocular), बीजाडन्यास भित्तीय (parietal) पाया जाता है। वर्तिकान त्रिपालित होता है।
एकलिंगी पुष्प निम्न पौधों में भी पाए जाते हैं-
मक्कामेंपुष्प एकलिंगी तथा पौधा उभयलिंगाश्रयी (Monoecious) होता है।पपीते का पौधा एकलिंगाश्रयो (Dioecious) होता है।भाँग (Camabis) में भी एकलिंगी पुष्प पाए जाते हैं। नारियल, खजूर में भी पुष्पएकलिंगी होते हैं।
प्रश्न 3)अलैंगिक तथा लैंगिक जनन के मध्य विभेद स्थापित कीजिए। कायिकजनन को प्रारूपिक अलैंगिक जनन क्यों माना गया है?
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