अध्याय 3
काव्य खण्ड पर आधारित महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
1 पद
प्रश्न 1. गोपियों द्वारा उद्धव को भाग्यवान कहने में क्या व्यंग्य निहित है ?
उत्तर-उद्धव श्रीकृष्ण के पास रहते हुए भी उनसे प्रेम नहीं कर सके हैं इसलिए गोपियों को वे भाग्यहीन
लगते हैं। यही व्यंग्य भाग्यवान कहने में व्यक्त है। विपरीत लक्षण से भाग्यवान का अर्थ भाग्यहीन है।
प्रश्न 2. गोपियों ने किन-किन उदाहरणों के माध्यम से उद्धव को उलाहने दिए हैं ?
उत्तर-गोपियों ने कमल के पत्तों, तेल की गागर, कड़वी ककड़ी आदि उदाहरणों से उद्धव को उलाहने
दिए हैं। वे कृष्ण से प्रेम न कर पाने वाले उद्धव को भाग्यहीन मानती हैं।
प्रश्न 3. उद्धव द्वारा दिए गए योग के संदेश ने गोपियों की विरहाग्नि में घी का काम कैसे किया ?
उत्तर-श्रीकृष्ण के लौटने की आशा कर रही गोपियों को जब उद्धव ने योग का संदेश दिया तथा
श्रीकृष्ण के प्रेम को भूल जाने की बात कही तो गोपियों की विरह की आग धधक उठी। वे बैचेन हो उठीं। इस
तरह उद्धव के योग के संदेश ने गोपियों की विरह की आग में घी का काम किया।
प्रश्न 4.’मरजादा न लही’ के माध्यम से कौन-सी मर्यादा न रहने की बात की जा रही है ?
उत्तर-प्रेम की मर्यादा है कि प्रेम के बदले प्रेम किया जाना चाहिए। किन्तु श्रीकृष्ण गोपियों में प्रेम
भाव जगाकर स्वयं मथुरा चले गए। वहाँ से उन्होंने जिन उद्धव को भेजा उन्होंने योग का संदेश दिया, कृष्ण के
लौटने या उन्हें याद करने की बात ही नहीं की। इससे स्पष्ट है कि श्रीकृष्ण ने प्रेम की मर्यादा का पालन नहीं
किया उसी को ‘मरजादा न लही’ कहा गया है
प्रश्न 5. कृष्ण के प्रति अपने अनन्य प्रेम को गोपियों ने किस प्रकार अभिव्यक्त किया है ?
उत्तर-गोपियों ने श्रीकृष्ण के प्रति अपने प्रेम को गुड़ में लिप्त चीटियों के और हारिल पक्षी की
लकड़ी के उदाहरणों द्वारा अभिव्यक्त किया है। वे जागते, सोते या स्वप्न में कृष्ण का नाम जपती हैं। वे
से एकनिष्ठ भाव से प्रेम करती हैं।
प्रश्न 6. गोपियों ने उद्धव से योग की शिक्षा कैसे लोगों को देने की बात कही है?
उत्तर-गोपियों ने उद्धव से योग की शिक्षा चंचल मन वाले लोगों को देने की बात कही है। जिनका
मन कभी कहीं और कभी कहीं रहता हो उन्हें योग की शिक्षा दी जानी चाहिए जिससे उनकी चंचलता समाप्त
हो सके। गोपियाँ कहती हैं कि हमारा मन तो श्रीकृष्ण के प्रेम में एकनिष्ठ है, वह चंचल नहीं है। इसलिए हमारे
लिए योग व्यर्थ है।
प्रश्न 7. गोपियों के अनुसार राजा का धर्म क्या होना चाहिए ?
उत्तर-गोपियों के अनुसार राजा का धर्म प्रजा के हित का पूरा ध्यान रखना होना चाहिए। प्रजा को किसी
प्रकार से नहीं सताया जाना चाहिए। राजा का दायित्व प्रजा की भलाई का ध्यान रखना है।
प्रश्न 8. गोपियों को कृष्ण में ऐसे कौन-से परिवर्तन दिखाई दिए जिनके कारण वे अपना मन वापस पा लेने की बात कहती हैं ?
उत्तर-गोपियों को श्रीकृष्ण में कई परिवर्तन दिखे जिनके कारण वे अपना मन वापस लेने की बात कहती हैं। (1) उन्हें आशा थी कि श्रीकृष्ण अवश्य लौटेंगे किन्तु वे नहीं लौटे। (2) योग का संदेश भेजा और प्रेम को भूलने की बात कही है। (3) उन्होंने छल-कपट की राजनीति करना सीख लिया है। (4) वे प्रेम की मर्यादा को भूल गए हैं। इसीलिए वे अपने मन को वापिस लेने की बात कहती हैं।
प्रश्न 9. गोपियों ने अपने वाक्चातुर्य के आधार पर ज्ञानी उद्वव को परास्त कर दिया, उनके वाक्चातुर्य की विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर-गोपियों का वाक्चातुर्य अनोखा है-वे उद्धव को भाग्यहीन कहना चाहती हैं पर भाग्यवान कहती -वे
हैं क्योंकि वे कृष्ण के पास रहकर भी प्रेम के आनन्द से अछूते रहते हैं। वे सटीक उदाहरण देती हैं- पानी में
वे रहने वाले कमल के पत्ते पर पानी का न ठहरना, तेल की गगरी पर पानी की बूँद न होना आदि। वे प्रेम की
मर्यादा को भूलने, राजनीति करने आदि के तीखे प्रहार करती हैं। अपने दृढ़ प्रेम की बात कहते हुए योग के
उपदेश चंचल मन वालों को भेजने की बात कहती हैं। उन्होंने योग को कड़वी ककड़ी के समान त्याज्य कहा
है। वे राजधर्म का भी ध्यान दिलाती हैं।
प्रश्न 10. उद्धव ज्ञानी थे, नीति की बातें जानते थे; गोपियों के पास ऐसी कौन-सी शक्ति थी जो उनके वाक्चातुर्य से मुखरित हो उठी ?
उत्तर-उद्धव बुद्धिमान, ज्ञानवान तथा नीति निपुण थे। गोपियाँ भोली-भाली सरल निर्बल स्त्रियाँ थीं। शिक्षा-दीक्षा, ज्ञान आदि के न होते हुए भी उनके पास एक ऐसी शक्ति थी जो उनकी शक्ति बनी। वह शक्ति
उनका श्रीकृष्ण के प्रति निश्छल, निर्मल तथा एकनिष्ठ प्रेम है। एकनिष्ठ प्रेम की शक्ति ही उनके वाक्चातुर्य
से मुखरित हो उठी। उनके तर्कों के सामने ज्ञानी उद्धव की एक न चली। वे परास्त हो गए।
प्रश्न 11. गोपियों ने यह क्यों कहा कि हरि अब राजनीति पढ़ आए हैं ? क्या आपको गोपियों के
इस कथन का विस्तार समकालीन राजनीति में नजर आता है, स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-गोपियों ने ‘हरि’ अब राजनीति पढ़ आए हैं इसलिए कहा है कि राजनीति में छल-कपट आदि
का सहारा लिया जाता है श्रीकृष्ण स्वयं तो लौटे नहीं बल्कि उन्होंने संदेशवाहक उद्धव द्वारा गोपियों को प्रेम को भूल जाने का संदेश भिजवाया। समकालीन राजनीति में भी माध्यम ही अधिक काम करते हैं। छल-कपट का सहारा भी आज की राजनीति में लिया जाता है। इस तरह समकालीन भ्रष्ट राजनीति की झलक इसमें साफ दिखाई देती है।
(1)राम-लक्ष्मण-परशुराम संवाद
प्रश्न 1. परशुराम के क्रोध करने पर लक्ष्मण ने धनुष टूट जाने के लिए कौन-कौन से तर्क दिए ?
उत्तर-परशुराम के क्रोध करने पर लक्ष्मण ने धनुष टूट जाने के लिए निम्नांकित तर्क दिए-
(1) राम का धनुष के टूटने में कोई दोष नहीं है। उन्होंने जैसे ही इसे छुआ वैसे ही टूट गया।
(2) राम ने इस धनुष को नया समझा था किन्तु यह पुराना तथा जर्जर था इसलिए टूट गया।
(3) लक्ष्मण ने कहा कि बचपन में हमने ऐसी अनेक धनुहियाँ तोड़ी थीं तब तो आप नाराज नहीं हुए ।
(4) इस धनुष के टूटने से कोई लाभ या हानि नहीं है इसलिए इस पर नाराज होने की आवश्यकता नहीं है।
प्रश्न 2. परशुराम के क्रोध करने पर राम और लक्षण की जो प्रतिक्रियाएँ हुईं उनके आधार पर दोनों के स्वभाव की विशेषताएँ अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर-परशुराम के क्रोध करने पर राम और लक्ष्मण की जो प्रतिक्रियाएँ हुईं हैं उनके आधार पर दोनों का स्वभाव अलग-अलग है। राम विनम्र, धैर्यवान तथा मधुर वाणी में उत्तर देते हैं। वे परशुराम से कहते हैं कि धनुष को तोड़ने वाला कोई आपका दास ही होगा। वे परशुराम को अधिक उत्तेजित देखकर संकेत से लक्ष्मण
को रोकते हैं और परशुराम जी के क्रोध को शान्त करने का प्रयास करते हैं। किन्तु लक्ष्मण का स्वभाव उग्र तथा
तीखा है। वे धनुष के टूटने को सामान्य बात मानते हैं तथा परशुराम के क्रोधित होने को निरर्थक। वे परशुराम
को उत्तेजित करने वाले व्यंग्यात्मक उत्तर देते हैं। उनके कथन सभा के लोगों को भी अनुचित लगते हैं।
प्रश्न 3. लक्ष्मण ने वीर योद्धा की क्या-क्या विशेषताएँ बताई ?
उत्तर-लक्ष्मण ने वीर योद्धा की निम्न विशेषताएँ बताई-
(1) वीर कभी अपनी वीरता का वर्णन नहीं करते।
(2) वीर योद्ध युद्ध स्थल में अपनी वीरता का प्रमाण देते हैं।
(3) वीर योद्धा विनम्र, धैर्यवान तथा गम्भीर होते हैं।
(4) वीर कभी भी अपने ऊपर अभिमान नहीं करते हैं।
(5) वीरों में दूसरों के प्रति आदर, सम्मान का भाव होता है।
प्रश्न 4. साहस और शक्ति के साथ विनम्रता हो तो बेहतर है। इस कथन पर अपने विचार लिखिए।
उत्तर-वीर पुरुष में साहस और शक्ति का होना आवश्यक है। यदि उनके साथ विनम्रता भी हो तो
सोने पर सुहागा है। विनम्रता, धैर्य, संयम तथा गम्भीरता का परिचय देती है। विनम्र व्यवहार दूसरों को प्रसन्न
करने के साथ-साथ स्वयं को भी आनन्द की अनुभूति कराता है। इससे कटु विरोधी भी झुक जाते हैं। विनम्रता
व्यक्ति के कार्यों को सरल तथा सहज बनाती है। इसलिए साहस और शक्ति के साथ विनम्रता हो तो बेहतर है।
प्रश्न 5. भाव स्पष्ट कीजिए-
(क) बिहसि लखनु बोले मृदुबानी। अहो मुनीसु महाभट मानी।
पुनि-पुनि मोहि देखाव कुठारू। चहत उड़ावन फँकि पहारू॥
(ख) इहाँ कुम्हड़बतिया कोउ नाहीं। जे तरजनी देखि मरि जाहीं।
देखि कुठारु सरासन बाना। मैं कछु कहा सहित अभिमाना॥
उत्तर-(क) इन पंक्तियों के द्वारा लक्ष्मण परशुराम के स्वभाव पर तीखा व्यंग्य करते हैं। वे मुस्कुराते
हुए कहते हैं कि आप बार-बार फरसे को दिखाकर डराना चाहते हैं। आपका यह व्यवहार ऐसा है कि जैसे आप फूंक से पर्वत को उड़ाना चाह रहे हों।
(ख) इन पंक्तियों में लक्ष्मण परशुराम से कहते हैं कि हम कोई कुम्हड़ (काशीफल) के छोटे से फूल नहीं हैं जो तरजनी को देखते ही मर जाएँ अर्थात् हममें वीरता, साहस और धैर्य है। हम कायर या कमजोर नहीं
हैं, जो तुम्हारे फरसे से डर जाएँ। तुम्हारे फरसे और धनुष-बाण को देखकर स्वाभिमानपूर्वक कहता हूँ कि हमें उनका कोई भय नहीं है।
प्रश्न 6. राम-लक्ष्मण-परशुराम संवाद में व्यंग्य का अनूठा सौन्दर्य है। उदाहरण के साथ लिखिए।
उत्तर-रामचरितमानस के बालकाण्ड में राम-लक्ष्मण-परशुराम संवाद में व्यंग्य काव्य का अद्भुत
सौन्दर्य विद्यमान है। धनुष टूटने पर क्रोधित परशुराम से लक्ष्मण व्यंग्य में कहते हैं-
बहु धनुही तोरी लरिकाई।
कबहुँन असि रिस कीन्हि गोसाईं ॥
इसके उत्तर में परशुराम उग्र हो उठते हैं और कहते हैं-
रे नृप बालक काल बस बोलत तेहि न सँभार।
धनुही सम त्रिपुरारि धनु बिदित सकल संसार॥
इन व्यंग्यों में चुटीलापन, तीखापन तथा आकर्षण भरा है। ये व्यंग्य पाठक के हृदय को चमत्कृत करने
के साथ-साथ आनन्दित कर देते हैं। ये संवाद के अनूठे उदाहरण हैं।
प्रश्न 7. निम्नलिखित पंक्तियों में प्रयुक्त अलंकार पहचान कर लिखिए-
(क) बालकु बोलि बौं नहिं तोही।
(ख) कोटि कुलिस सम बचनु तुम्हारा।
(ग) तुम तो कालु हाँकि जनु लावा।
बार-बार मोहि लागि बुलावा ॥
उत्तर-(क) अनुप्रास अलंकार,
(ख) अनुप्रास अलंकार तथा उपमा अलंकार,
(ग) उत्प्रेक्षा अलंकार
तथा पुनरुक्तिप्रकाश अलंकार।
प्रश्न 8. “सामाजिक जीवन में क्रोध की जरूरत बराबर पड़ती है। यदि क्रोध न हो तो मनुष्य दूसरे
के द्वारा पहुँचाए जाने वाले बहुत से कष्टों की चिर-निवृत्ति का उपाय ही न कर सके।”
आचार्य रामचन्द्र शुक्ल जी का यह कथन इस बात की पुष्टि करता है कि क्रोध हमेशा नकारात्मक
भाव लिए नहीं होता बल्कि कभी सकारात्मक भी होता है। इसके पक्ष या विपक्ष में अपना मत प्रकट
कीजिए।
उत्तर-क्रोध के सकारात्मक तथा नकारात्मक दोनों पक्ष होते हैं-
सकारात्मक पक्ष-व्यक्ति को क्रोध तब आता है जब कोई अनुचित कार्य हो। अनुचित कार्यों को चुपचाप
सहन कर लेना व्यक्ति तथा समाज दोनों के लिए हानिकारक है। क्योंकि इससे गलत प्रवृत्तियों को बढ़ावा मिलता है। इसलिए अनुचित के प्रति क्रोध आना स्वाभाविक है। क्रोध के द्वारा उसे उचित पर लाना चाहिए। अनुचित का विरोध होगा तो गलत कार्य रुकेंगे तथा समाज का हित होगा। सात्विक क्रोध सकारात्मक होता है।
नकारात्मक पक्ष-क्रोध आने से व्यक्ति अपना विवेक तथा संयम खो बैठता है। उसमें अभिमान तथा
गर्व का भाव जाग उठता है। क्रोध से विवेकहीन हो जाने पर उचित-अनुचित का भी ज्ञान नहीं रहता है। क्रोध
से व्यक्ति की बुद्धि विकृत हो जाती है। उसमें नकारात्मकता आ जाती है। क्रोध से कार्यक्षमता क्षीण होती है।
प्रश्न 9. उन घटनाओं को याद करके लिखिए जब आपने अन्याय का प्रतिकार किया हो।
उत्तर-मैं बाजार जा रहा था। मैंने देखा कि दो आवारा लड़के रास्ते जाती लड़की को छेड़ रहे थे।
लड़की डर के मारे किनारे पर चल रही थी। तभी उनमें से एक ने उसे धक्का मारकर गिरा दिया। यह देखते ही
मेरा खून खौल उठा और मैंने धक्का देने वाले मजनू को दबोच लिया। मेरी चिल्लाहट सुनकर दूसरा सकपकाने
लगा। मैंने उसकी धुनाई शुरू कर दी। तब तक लड़की खड़ी हो गई थी। वह भी आ गई तथा हिम्मत जुटाकर
दूसरे लड़के पर टूट पड़ी। वे दोनों हाथ जोड़ने लगे, माफी माँगने लगे। तभी पुलिस वाले आ गए। हमने उन
दोनों को उन्हें सौंप दिया। लड़की बार-बार धन्यवाद दे रही थी।
प्रश्न 10. अवधी भाषा आज किन- क्षेत्रों में बोली जाती है ?
उत्तर-अवधी भाषा आज भी उत्तर प्रदेश के पूर्वी जिलों में बोली जाती है। अयोध्या, उन्नाव, लखनऊ,
रायबरेली, सुल्तानपुर, प्रयागराज, हरदोई, सीतापुर, लखीमपुर, कौशाम्बी, प्रतापगढ़, गोंडा, बस्ती, श्रावस्ती आदि जिलों में अवधी बोली जाती है।
3 सवैया/कवित्त
विशेष-कोविड परिस्थितियों के चलते यह पाठ वार्षिक/बोर्ड परीक्षा 2022 के लिए बोर्ड द्वारा पाठ्यक्रम
में से हटा दिया गया है।
आत्मकथ्य
प्रश्न 1. कवि आत्मकथा लिखने से क्यों बचना चाहते हैं ?
उत्तर-कवि जयशंकर प्रसाद के मित्रों ने उनसे आत्मकथा लिखने को कहा परन्तु वे राजी नहीं हुए।
उनके अनुसार उनका जीवन साधारण रहा है उन्होंने कोई महान कार्य नहीं किया है जिसका उल्लेख आत्मकथा में किया जाए। उनका जीवन दु:खों और आघातों से पूर्ण रहा है इसलिए आत्मकथा लिखकर वे उन दुःखों याद नहीं करना चाहते हैं।
प्रश्न 2. आत्मकथा सुनाने के संदर्भ में अभी समय भी नहीं’ कवि ऐसा क्यों कहता है ?
उत्तर-‘आत्मकथा’ कविता से स्पष्ट होता है कि जयशंकर प्रसाद बहुत ही सरल तथा विनम्र स्वभाव
वाले थे। उन्हें दिखावा पसन्द न था। इसलिए ‘अभी समय भी नहीं’ कहने का एक कारण तो यह है कि उन्होंने कोई महान कार्य नहीं किया है जिसका उल्लेख अपनी आत्मकथा में करें। अन्य कारण यह हो सकता है कि उनका जीवन दुःखों और आपदाओं से पूर्ण है। इन आपदाओं से छुटकारा मिले तो आत्मकथा के बारे में सोचें वे दु:खों को याद नहीं करना चाहते हैं।
प्रश्न 3. स्मृति को पाथेय बनाने से कवि का क्या आशय है ?
उत्तर-कवि प्रसाद जी के दुःख भरे जीवन में कुछ स्मृतियाँ ऐसी रहीं हैं जो उन्हें प्रेरणा, ऊर्जा तथा
जीवन्तता प्रदान करती रहीं। वे स्मृतियाँ उनकी अपनी सम्पत्ति रहीं, वे उन्हें उजागर नहीं करना चाहते हैं। जो प्रिय के साथ मधुर रातें व्यतीत हुईं जिनमें उन्होंने खिल-खिलाकर हँसते हुए वार्तालाप किया वह उन्हें आज भी याद है। ऐसी यादें ही उनके भावी जीवन की पाथेय, सहारा हैं। उन्हीं के सहारे अपना जीवन पथ सरस बनाना चाहते हैं।
प्रश्न 4. भाव स्पष्ट कीजिए-
(क) मिला कहाँ वह सुख जिसका मैं स्वप्न देखकर जाग गया।
आलिंगन में आते-आते मुसक्या कर जो भाग गया।
(ख) जिसके अरुण कपोलों की मतवाली सुन्दर छाया में।
अनुरागिनी उषा लेती थी निज सुहाग मधुमाया में।
उत्तर-(क) कवि ने जितने सुख पाने का स्वप्न देख रखा था अर्थात् वे जितना आनन्द पाने के इच्छुक
थे। वह उन्हें नहीं मिल सका। बहुत बार तो ये सुखद स्थितियाँ मिलते-मिलते रह गईं, अर्थात् प्राप्त होते-होते
चली गईं।
(ख) कवि की प्रिया के लाल गाल अत्यन्त सुन्दर तथा मदमस्त बनाने वाले थे। उसके मधुर गालों की
मदमस्त बनाने वाली ललाई से ही प्रेममयी भोर अपने सौभाग्य के सिन्दूर की लाली लेती थी।
प्रश्न 5. “उज्ज्वल गाथा कैसे गाऊँ मधुर चाँदनी रातों की” कथन के माध्यम से कवि क्या कहना चाहता है?
उत्तर-इस कथन के माध्यम से कवि प्रसाद कहना चाहते हैं कि मधुर चाँदनी रात में मैंने प्रिय के साथ
जो पल बिताए थे वह मेरी निजी सम्पत्ति हैं। उसका कथन सबके लिए नहीं किया जा सकता है। इसलिए
आत्मकथा में ये सभी बातें नहीं कही जा सकती हैं। वे स्मृतियाँ मेरी प्रेरक हैं। मुझे उनसे प्रेरणा मिलती है।
प्रश्न 6. ‘आत्मकथ्य’ कविता की काव्यभाषा की विशेषताएँ उदाहरण सहित लिखिए।
उत्तर-‘आत्मकथ्य’ छायावाद के जनक जयशंकर प्रसाद की कविता है। इसकी भाषा में तत्सम शब्द
प्रधान शब्दावली का प्रयोग हुआ है। कवि ने प्रकृति के विभिन्न उपमानों का सटीक प्रयोग किया है। जैसे मधुर
पत्तियाँ, अनन्त नीलिमा, चाँदनी रात इत्यादि। इसके साथ ही बिम्ब, प्रतीकों तथा रीति का सहज प्रयोग हुआ है।इसकी भाषा में भावों को प्रकट करने की अद्भुत शक्ति है।
प्रश्न 7. कवि ने जो सुखद स्वप्न देखा था उसे कविता में किस रूप में अभिव्यक्त किया है ?
उत्तर-कवि प्रसाद जी ने जो सुख के स्वप्न संजोए थे वे उन्हें प्राप्त नहीं हो सके। इस तरह वे स्वप्न अधूरे ही रह गए। फिर भी उन सुख के स्वप्नों की स्मृति उनके हृदय में आज भी मौजूद है। कवि उन्हें भूल नहीं पा रहे हैं वे सुख के स्वप्न देख रहे थे किन्तु जब उन्होंने उन्हें पाने को बाँहें फैलाईं तो नींद टूट गई और स्वप्न चूर-चूर हो गए। इस कविता में सुख के स्वप्न की मधुर स्मृतियों को अंकित किया गया है।
प्रश्न 8. इस कविता के माध्यम से प्रसाद जी के व्यक्तित्व की जो झलक मिलती है, उसे अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर-‘आत्मकथ्य’ कविता से प्रसाद जी की जो झलक मिलती है, वह बहुत प्रभावित करती है। जयशंकर प्रसाद विनम्र तथा सरल स्वभाव के थे। वे जो थे उसी को दिखाने में विश्वास करते थे। बढ़-चढ़कर दिखाने का स्वभाव उनमें न था। उन्हें जीवन में सुख नहीं मिल सका। उन्होंने जीवन के जो सुखद स्वप्न देखे थे वे अधूरे ही रह गए। किन्तु जो प्रेम और माधुर्य के क्षण उनके जीवन में रहे, उन्हें वे अपनी स्मृति में रखकर उनसे प्रेरणा पाना चाहते हैं।
प्रश्न 9. आप किन व्यक्तियों की आत्मकथा पढ़ना चाहेंगे और क्यों ?
उत्तर-हम उन व्यक्तियों की आत्मकथा पढ़ना चाहेंगे जिन्होंने अपनी साधना से विशेष पहचान बनाई
हो। उन्होंने समाज तथा देश के लिए सराहनीय कार्य किया हो। यह आवश्यक नहीं है कि वे बड़े या महान रहे
हों किन्तु उनका जीवन प्रेरणा देने वाला होना चाहिए। बहुत बार साधारण व्यक्ति भी अपनी लगन से उत्कृष्ट
कार्य कर देते हैं। प्रेरणा देने वाली आत्मकथा पढ़ना हमारे लिए हितकर होगा।
5 उत्साह अट नहीं रही है
उत्साह
प्रश्न 1. कवि बादल से फुहार, रिमझिम या बरसने के स्थान पर ‘गरजने’ के लिए कहता है, क्यों ?
उत्तर – कवि निराला ने बादल से फुहार, रिमझिम या बरसने की न कहकर गरजने के लिए कहा है। क्योंकि बादलों के गर्जन में क्रान्ति के उत्साह का उद्बोधन छिपा है। सामाजिक क्रान्ति लाने के लिए इसी गर्जन की आवश्यकता है। विनम्रता या शालीनता से क्रान्ति सम्भव नहीं और बिना क्रान्ति के परिवर्तन सम्भव नहीं है। बादलों की गर्जना से सारा समाज जागरूक हो जाता है इसीलिए बादलों से गरजने के लिए कहा गया है।
प्रश्न 2. कविता का शीर्षक ‘उत्साह’ क्यों रखा गया है ?
उत्तर- सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ को बादल बहुत प्रिय रहे हैं। वे उन्हें क्रान्ति, नवचेतना के दूत मानते हैं। क्रान्ति या चेतना बिना उत्साह के सम्भव नहीं हैं। इसीलिए कवि ने कविता का शीर्षक उत्साह रखा है। वैसे भी बादलों की गर्जन उत्साहवर्द्धक होती है। बादलों की गर्जना से लोगों में उत्साह का संचार हो जाता है। प्रश्न 3. कविता में बादल किन-किन अर्थों की ओर संकेत करता है ?
उत्तर –’उत्साह’ कविता में बादल कई अर्थों की ओर संकेत करता है- (1) बादल वर्षा करके ताप से तपती धरती को शीतल करते हैं।
(2) बैचेन तथा अनमने लोगों को शान्ति प्रदान करते हैं।
(3) बादल बरसने पर ही किसान अपनी खेती-बाड़ी करना प्रारम्भ करते हैं।
(4) बादल जल देते हैं, जल को जीवन माना गया है। (5) बादल क्रान्ति के दूत हैं और सामाजिक परिवर्तन के प्रेरक हैं।
अट नहीं रही है
प्रश्न 1. छायावाद की एक खास विशेषता है अन्तर्मन के भावों का बाहर की दुनिया से सामंजस्य बिठाना। कविता की किन पंक्तियों को पढ़कर यह धारणा पुष्ट होती है ? लिखिए।
उत्तर- छायावाद की प्रमुख विशेषता है कि अन्तर्मन के भावों का बाहर की दुनिया से सामंजस्य बिठाना। ‘अट नहीं रही है’ कविता में भी यह विशेषता है। उदाहरणार्थ कुछ पंक्तियाँ प्रस्तुत हैं
कहीं साँ लेते हो
घर-घर भर देते हो
उड़ने को नभ में तुम
पर-पर कर देते हो
प्रश्न 2. कवि की आँख फाल्गुन की सुन्दरता से क्यों नहीं हट रही है ?
उत्तर- फाल्गुन मास में प्रकृति का सौन्दर्य अपने चरम पर है। पेड़-पौधे पत्तों से लदे हैं। चारों तरफ रंग-बिरंगे फूलों की शोभा बिखरी है। भीनी-भीनी सुगन्ध सभी ओर से आ रही है। प्रकृति की सुन्दरता इतनी मनोरम है कि उससे कवि की आँख हटना नहीं चाहती है।
प्रश्न 3. फाल्गुन में ऐसा क्या होता है जो बाकी ऋतुओं से भिन्न होता है ? उत्तर- फाल्गुन में वसंत ऋतु आती है। इस समय पेड़-पौधे हरे-लाल पत्तों, रंग-बिरंगे फूलों से लदे होते हैं। चारों ओर भीनी-भीनी सुगन्धित हवा चलती है। न सर्दी होती है न गर्मी मौसम मनोहर होता है। पक्षी चहचहाते रहते हैं। यह ऋतु ऋतुओं की राजा मानी गई है। इतना सुहावना तथा मनोहर वातावरण अन्य किसी ऋतु में नहीं होता है। इसीलिए फाल्गुन अन्य ऋतुओं से भिन्न होता है।
प्रश्न 4. इन कविताओं के आधार पर निराला के काव्य-शिल्प की विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर-काव्य शिल्प के अध्ययन के लिए इन कविताओं के अनुभूति पक्ष तथा अभिव्यक्ति पक्ष पर विचार करना होगा। निराला जी छायावाद के श्रेष्ठ कवि हैं। इसलिए इन कविताओं में भी छायावाद का प्रकृति चित्रण, मानवीकरण, मानव मन के भावों का प्रकृति से सामंजस्य आदि विशेषताएँ विद्यमान हैं। इन कविताओं
में संगीतात्मकता, प्रवाहमयता, भावात्मकता एवं सहजता के दर्शन होते हैं। इनमें अनुप्रास, रूपक, उपमा आदि अलंकारों का स्वाभाविक प्रयोग हुआ है। इनकी भाषा शुद्ध साहित्यिक है। तत्सम शब्दों का सुन्दर प्रयोग इस भाषा में हुआ है।
प्रश्न 5. होली के आसपास प्रकृति में जो परिवर्तन दिखाई देते हैं, उन्हें लिखिए।
उत्तर-होली का त्यौहार रस रंग का होता है। इस समय प्रकृति अपने यौवन पर होती हैं। इसके प्रभावस्वरूप समाज में भी उल्लास, हर्ष के भाव भर जाते हैं। इस समय हरियाली, सरसाई होती है। पेड़-पौधे, लताएँ रंग-बिरंगे फूलों से लद जाते हैं। भौंरों की गुंजार चारों ओर सुनाई देती है। आम पर बौर छाया होता है,
अनार पक रहे होते हैं। मटर, टमाटर, धनिया, पालक आदि की क्यारियाँ भरी होती हैं। भीनी-भीनी सुरभित हवा मन को मस्त बना रही होती है। इस तरह होली पर प्रकृति में अनोखे परिवर्तन दिखाई देते हैं।
6 यह दंतुरित मुसकान/फसल
विशेष-कोविड परिस्थितियों के चलते यह पाठ वार्षिक/बोर्ड परीक्षा 2022 के लिए बोर्ड द्वारा पाठ्यक्रम
में से हटा दिया गया है।
7 छाया मत छूना
प्रश्न 1. कवि ने कठिन यथार्थ के पूजन की बात क्यों कही है ?
उत्तर-कवि गिरिजाकुमार माथुर का मत है कि वर्तमान का जो यथार्थ है उसको ही स्वीकार करके
उसको हल करने में लगना चाहिए। व्यक्ति को वर्तमान दुख से घबराकर पुरानी सुख की यादों के झमेले में नहीं
पड़ना चाहिए। इससे वर्तमान दुःख समाप्त नहीं होगा। इसलिए वर्तमान को ही महत्व देना चाहिए।
प्रश्न 2. भाव स्पष्ट कीजिए-
प्रभुता का शरण-बिंब केवल मृगतृष्णा है
हर चंद्रिका में छिपी एक रात कृष्णा है।
उत्तर-इन पंक्तियों का भाव है कि पुराने बड़प्पन की अनुभूति मृगमरीचिका की तरह एक भ्रम मात्र है।
जैसे रेगिस्तान में हिरण को चमकते रेत में पानी का भ्रम होता है। वैसे ही पुरानी यादें भी भ्रम हैं, वह वास्तविकता नहीं है। सुख और दुःख का क्रम तो चलता ही रहता है। प्रकृति का सत्य है कि चाँदनी रात के बाद काली (अंधेरी) रात आती ही है। इसलिए यथार्थ का साहस के साथ सामना करना चाहिए।
प्रश्न 3. ‘छाया’ शब्द यहाँ किस अर्थ में प्रयुक्त हुआ है ? कवि ने उसे छूने के लिए मना क्यों किया है ?
उत्तर-‘छाया’ शब्द यहाँ पुराने समय के सुख देने वाली स्थितियों की याद के लिए प्रयोग हुआ है। वर्तमान
दुःख में अतीत की सुखद स्मृतियाँ कोई लाभ नहीं देती हैं क्योंकि स्मृतियों से मुक्त होते ही दुःख और से अधिक बढ़ जाता है। इसलिए कवि ने उन यादों को छूने अर्थात् ध्यान में रखने के लिए मना किया है। ये यादें वर्तमान दु:ख को बढ़ाती हैं, कम नहीं करती हैं।
प्रश्न 4. ‘मृगतृष्णा’ किसे कहते हैं ? कविता में इसका प्रयोग किस अर्थ में हुआ है ?
उत्तर-रेगिस्तान में चिलचिलाती धूप में प्यासा हिरण सूर्य की किरणों से चमकते रेत को पानी समझकर
वहाँ पहुँचता है किन्तु वहाँ पानी नहीं होता। यह पानी का भ्रम मात्र है। इसी को ‘मृगतृष्णा’ कहते हैं। प्रस्तुत
कविता में इसका प्रयोग अतीत के बड़प्पन के अहसास के अर्थ में हुआ है। अतीत के बड़प्पन का अहसास भी
एक भ्रम है, वास्तविकता नहीं।
प्रश्न 5. ‘बीती ताहि बिसार दे आगे की सुधि ले’ यह भाव कविता की किस पंक्ति में झलकता है ?
उत्तर-‘बीती ताहि बिसार दे आगे की सुधि ले’ का भाव कविता की निम्नलिखित पंक्तियों में झलकता
‘जो न मिला भूल उसे कर तू भविष्य वरण’
प्रश्न 6.”क्या हुआ जो खिला फूल रस बसंत जाने पर ?” कवि का मानना है कि समय बीत जाने
पर भी उपलब्धि मनुष्य को आनंद देती है। क्या आय ऐसा मानते हैं ? तर्क सहित लिखिए।
उत्तर-कवि मानते हैं कि उपलब्धि तो मनुष्य को आनंदित करती ही है। भले ही वह समय बीत जाने
पर मिले। यह ठीक है कि समय पर उपलब्धि मिली होती तो और अधिक आनन्द देती, किन्तु उपलब्धि तो
कभी भी मिले आनन्ददायक होती है।
8 कन्यादान
प्रश्न 1. आपके विचार से माँ ने ऐसा क्यों कहा कि लड़की होना पर लड़की जैसी मत दिखाई
देना?
उत्तर-पुरुष प्रधान समाज में लड़कियों के लिए आचरण आदि के ऐसे आदर्श बना दिए हैं कि लड़की
इन्हीं में फंसकर रह जाती है। लड़की की सुन्दरता, कोमलता तथा भावुकता को उसकी निर्बलता मान लिया जाता है। इसी कारण माँ ने बेटी को सावधान किया है कि लड़की होना पर लड़की जैसी कमजोर मत दिखाई देना।
प्रश्न 2. ‘आग रोटियाँ सेंकने के लिए है जलाने के लिए नहीं।’
(क) इन पंक्तियों में समाज में स्त्री की किस स्थिति की ओर संकेत किया है ?
(ख) माँ ने बेटी को सचेत करना क्यों जरूरी समझा ?
उत्तर-(क) ‘आग रोटियाँ सेंकने के लिए है जलाने के लिए नहीं’ में माँ ने बेटी को इसलिए सावधान
किया है कि समाज में लड़कियों के प्रति निष्ठुर दृष्टिकोण रहा है। अन्यान्य आदि कारणों से बहुएँ ससुराल में जला दी जाती हैं।
(ख) माँ ने बेटी को सचेत करना इसलिए जरूरी समझा कि कहीं उसकी बेटी भी जलाने की विकृत
मानसिकता का शिकार न हो जाए। माँ चाहती है कि बेटी अपने हित-अहित की जानकारी रखे।
प्रश्न 3. माँ को अपनी बेटी ‘अन्तिम पूँजी’ क्यों लग रही
थी ?
उत्तर-बेटी माँ के सर्वाधिक निकट होती है। वह ही उसके सुख-दुःख की साथी होती है। माँ के दुःख
में बेटी ही सहारा बनती है। यही कारण है कि माँ को अपनी बेटी ‘अन्तिम पूँजी’ लग रही थी। अन्तिम पूँजी
ही दुःख में काम आती है। में
प्रश्न 4. माँ ने बेटी को क्या-क्या सीख दी ?
उत्तर-माँ ने अपनी भोली-भाली, सीधी लड़की को दुनियादारी की कई सीख दीं-
(i) माँ ने समझाया कि अपनी सुन्दरता और कोमलता पर मुग्ध मत होना क्योंकि यह स्त्री की कमजोरी बन जाती है। (ii) आगरोटियाँ सेंकने के लिए है स्वयं को जलाने के लिए नहीं। (iii) वस्त्र और आभूषण स्त्री जीवन के बन्धन हैं इसलिए इनके मोह में मत पड़ना। (iv) लड़की के जो गुण होते हैं उन सभी को अपनाना किन्तु अबला और निरीह मत बनना, अनाचार का विरोध करना। (v) अपने कर्तव्य का पालन करना और अपनी शक्ति तथा अधिकारों का पूरा ध्यान रखना किन्तु कमजोर बनकर मत रहना।
प्रश्न 5. आपकी दृष्टि में कन्या के साथ दान की बात कहाँ तक उचित है ?
उत्तर-विवाह हो जाने पर कन्या वर के साथ ससुराल चली जाती है। माता-पिता प्रसन्नता से अपनी
पुत्री को वर पक्ष को सौंप देते हैं किन्तु विवाह के बाद भी उनका रिश्ता बना रहता है जबकि दान कर दी गई
चीज से देने वाले का सम्बन्ध नहीं रहता है। इस तरह कन्या के साथ दान का प्रयोग पूरी तरह सही नहीं है।
9संगतकार
विशेष-कोविड परिस्थितियों के चलते यह पाठ वार्षिक/बोर्ड परीक्षा 2022 के लिए बोर्ड द्वारा पाठ्यक्रम
में से हटा दिया गया है।
महत्वपूर्ण वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर थे-
* बहु-विकल्पीय प्रश्न
- उद्धव ने गोपियों को क्या सन्देश दिया ?
(क) योग साधना का,
(ख) प्रेम का,
(ग) भक्ति का,
(घ) कर्म का।
- गोपियों का मन चुरा ले गए
(क) बलराम,
(ख) श्रीकृष्ण,
(ग) उद्धव,
(घ) ग्वाला।
- उद्धव किसके मित्र थे?
(क) रसखान के,
(ख) नंदबाबा के.
(ग) श्रीकृष्ण के,
(घ) बलदाऊ के।
- सीता के विवाह की स्वयंवर में शर्त रखी गई थी-
(क) रूपवान वर की,
(ख) बलवान वर की,
(ग) ज्ञानवान वर की,
(घ) शिव धनुष तोड़ने की।
- शिव-धनुष के टूटने पर कौन क्रोधित हो गए ?
(क) विश्वामित्र,
(ख) दुर्वासा,
(ग) परशुराम,
(घ) सहस्रबाहु
- परशुराम ने किसकी भुजाएँ काटी थीं ?
(क) सहस्रबाहु की,
(ख) रावण की,
(ग) मेघनाद की,
(घ) खर-दूषण की।
- ‘आत्मकथ्य’ के कवि हैं-
(क) सूर्यकांत त्रिपाठी निराला,
(ख) जयशंकर प्रसाद,
(ग) ऋतुराज,
(घ) गिरिजाकुमार माथुर।
- प्रसाद जी ‘उज्ज्वल गाथा’ किसे मानते हैं?
(क) बचपन की यादों को,
(ख) धन सम्पत्ति को,
(ग) मित्रों के साथ के क्षणों को,
(घ) प्रिया के साथ की मधुर स्मृतियों को।
- ‘कंथा’ कहते हैं-
(क) गुदड़ी को,
(ख) सोने को,
(ग) पंथ को,
(घ) कथा को।
- फाल्गुन माह में कौन-सी ऋतु आती है ?
(क) वर्षा,
(ख) वसंत,
(ग) शरद,
(घ) गर्मी।
- गर्मी के भयंकर ताप को शीतल करते हैं-
(क) तड़तड़ाती बिजली,
(ख) मधुर स्वर में बोलती कोयल,
(ग) गरजकर बरसते बादल,
(घ) मोर की कुहक।
- ‘अट नहीं रही है’ कविता में वर्णन हुआ है-
(क) ग्रीष्म ऋतु का,
(ख) शरद ऋतु का,
(ग) वर्षा ऋतु का,
(घ) वसंत ऋतु का।
- गिरिजाकुमार माथुर के अनुसार अतीत मधुर यादों को-
(क) संजोकर रखना है,
(ख) नहीं छूना है,
(ग) सभी को बताना है,
(घ) किसी को नहीं बताना है।
- यश, वैभव आदि को गिरिजाकुमार मानते हैं-
(क) वास्तविक जीवन,
(ख) शाही जीवन,
(ग) मृगतृष्णा, भ्रम,
(घ) जीवन का सत्य।
- अवसर निकलने के बाद मिलने वाली उपलब्धि-
(क) व्यर्थ है,
(ख) सारहीन है,
(ग) निरर्थक होती है,
(घ) आनन्द देती है।
- माँ की सबसे निकट की साथी होती है-
(क) उसकी ननद,
(ख) उसकी सास,
(ग) उसकी सहेली,
(घ) उसकी बेटी।
- ‘कन्यादान’ कविता है-
(क) यथार्थवादी,
(ख) आदर्शवादी.
(ग) आदर्शोन्मुख,
(घ) इनमें से कोई नहीं।
- ‘कन्यादान’ कविता के कवि हैं-
(क) जयशंकर प्रसाद,
(ख) ऋतुराज,
(ग) सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’
(घ) गिरिजाकुमार माथुर।
उत्तर-1. (क), 2. (ख), 3. (ग), 4. (घ), 5. (ग), 6. (क), 7. (ख), 8. (घ), 9. (क),
- (ख), 11.(ग), 12. (घ), 13.(ख), 14.(ग), 15. (घ),16.(घ), 17.(क), 18. (ख)।
* रिक्त स्थानों की पूर्ति
- गोपियाँ योग को……………के समान मानती हैं।
- श्रीकृष्ण…….…….पढ़ आए हैं।
- राम ने…………..भंग करके सीता से विवाह किया।
4…………….’ने परशुराम पर तीखे व्यंग्य प्रहार किए।
5…………कैसे गाऊँ मधुर चाँदनी रातों की।
- ‘आत्मकथ्य’ के कवि…………..हैं।
- पत्रों से लदी…………..कहीं हरी, कहीं लाल।
- आभा फाल्गुन की………….हैं।
- ‘छाया मत छूना’ के कवि………….हैं।
- अतीत के सुख की यादें वर्तमान दुःख को……….. कर देती हैं।
- वस्त्र, आभूषण स्त्री जीवन के…………..हैं।
- आग………….सेंकने के लिए है।
उत्तर-1. कड़वी ककड़ी, व्याधि, 2. राजनीति, 3. शिव-धनुष, 4. लक्ष्मण, 5. उज्ज्वल गाथा,
- जयशंकर प्रसाद, 7. डाल, 8. अट नहीं रही, 9. गिरिजाकुमार माथुर, 10. दोगुना, 11. बन्धन,
- रोटी।
सत्य/असत्य
- श्रीकृष्ण ने गोपियों के पास उद्धव को भेजा था।
- गोपियों ने उद्धव के सन्देश को स्वीकार कर लिया।
- सीता स्वयंवर में राम-लक्ष्मण मुनि विश्वामित्र के साथ गए।
- जयशंकर प्रसाद ने जो मधुर स्वप्न देखे थे पूरे हो गए थे।
- जयशंकर प्रसाद औरों के द्वारा लिखी गई कथाएँ सुनना चाहते हैं।
- परशुराम के क्रोध को देखकर लक्ष्मण डर गए।
- निराला ने बादलों से रिमझिम बरसने के लिए कहा है।
- फाल्गुन साँस लेता है तो हर घर को सुगन्ध से भर देता है।
- मनुष्य को यश, वैभव के पीछे दौड़ना चाहिए।
- समय बीतने पर मिली उपलब्धि भी आनन्द देती है।
- ‘कन्यादान’ कविता में माँ बेटी को परम्परा से हटकर सीख देती है।
- माँ ने बेटी से कहा लड़की हो इसलिए लड़की की तरह रहना।
उत्तर—1. सत्य, 2. असत्य, 3. सत्य, 4. असत्य, 5. सत्य, 6.असत्य, 7. असत्य, 8. सत्य, 9. असत्य,
10.सत्य, 11.सत्य, 12. असत्य।
* सही जोड़ी मिलाइए
- ‘अ’
- श्रीकृष्ण
- योग का सन्देश
- राम-लक्ष्मण-परशुराम संवाद
- फरसा
- उज्ज्वल गाथा कैसे गाऊँ?
- मधुर सुख का स्वप्न
‘ब’
(क) उद्धव
(ख) गोपियाँ
(ग) परशुराम
(घ) तुलसीदास
(ङ) पूरा नहीं हो सका
(च) मधुर चाँदनी रातों की
उत्तर-1.→ (ख), 2. → (क), 3.→(घ),4.→ (ग), 5.-→ (च), 6. → (ङ)।
ii
. ‘अ’
- उत्साह
- पत्तों से लदी डाल
- छाया मत छूना
- प्रभुता का शरण बिंब
- लड़की होना
- आग रोटियाँ सेकने को है
‘ब’
(क) कहीं हरी कहीं लाल
(ख) सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’
(ग) मृगतृष्णा है
(घ) मन होगा दु:ख दूना
(ङ) जलने के लिए नहीं
(च) पर लड़की जैसी मत दिखना
उत्तर-1.→ (ख), 2. → (क),3.-→ (घ),4.-→ (ग),5.→(च),6. -→ (ङ)।
* एक शब्द/वाक्य में उत्तर
- कड़वी ककड़ी सा क्या लगता है ?
- गोपियाँ किसे प्रेम करती हैं ?
- सीता स्वयंवर में राम-लक्ष्मण किसके साथ गए थे?
- सीता के विवाह के लिए क्या शर्त रखी गई थी?
- आपके पाठ्यक्रम में जयशंकर प्रसाद की कौन-सी रचना है ?
- जयशंकर प्रसाद के आलिंगन में आते-आते क्या भाग गया ?
- निराला की आँख कहाँ से नहीं हट रही है ?
- ‘उत्साह’ कविता के कवि का क्या नाम है ?
- चाँदनी रातों के बाद क्या आती है ?
- गिरिजाकुमार माथुर किसका पूजन करने के लिए कहते हैं ?
- आग किसके लिए होती है ?
- स्त्री जीवन के बन्धन क्या होते हैं ?
उत्तर-1. योग का सन्देश, 2. श्रीकृष्ण को, 3. विश्वामित्र के साथ, 4. शिव धनुष को तोड़ने की, 5. आत्मकथ्य कविता, 6. मधुर जीवन का आनन्द, 7. फाल्गुन की सुन्दरता से, 8. सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’, 9. अंधेरी रात, 10. यथार्थ का, 11. रोटी सेंकने के लिए, 12. वस्त्र और आभूषण।
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