अध्याय 11 काव्य बोध
काव्य की परिभाषा एवं भेद
प्रश्न 1. काव्य की परिभाषा लिखिए तथा उसके भेद बताइए।
उत्तर- “काव्य हमारे भावों, विचारों की शाब्दिक अभिव्यक्ति है जो आनंद की अनुभूति कराने वाली होने के कारण संरक्षणीय है।” आचार्य विश्वनाथ ने परिभाषा दी है। रसात्मक वाक्य काव्यम्’। काव्य के दो प्रकार होते हैं- (1) श्रव्य काव्य (2) दृश्य काव्य
प्रश्न 2. श्रव्य काव्य तथा दृश्य काव्य के भेद बताइए।
उत्तर- श्रव्य काव्य के दो भेद होते हैं- (1) प्रबंध काव्य (2) मुक्तक काव्य। प्रबंध काव्य के भी दो भेद होते हैं-(1) महाकाव्य (2) खण्ड काव्य।
मुक्तक काव्य के दो भेद होते हैं- (1) पाठ्य मुक्तक (2) गेय मुक्तक दृश्य काव्य के नाटक, एकांकी आदि भेद होते हैं।
प्रश्न 3. प्रबन्ध काव्य किसे कहते हैं ? इसके भेद बताइए।
अथवा
प्रबन्ध काव्य का अर्थ लिखते हुए उसके भेदों का उदाहरण सहित वर्णन कीजिए।
उत्तर- प्रबन्ध काव्य विषय प्रधान एवं वर्णनीय होता है। इसमें कथावस्तु के अनुकूल घटना विशेष का क्रमबद्ध रूप से काव्यात्मक वर्णन होता है। प्रबन्ध काव्य के दो भेद होते हैं- (1) महाकाव्य (‘ रामचरितमानस ) (2) खण्डकाव्य (‘सुदामाचरित )
प्रश्न 4. महाकाव्य किसे कहते हैं? दो प्रमुख महाकाव्यों एवं उनके रचनाकारों के नाम लिखिए।
अथवा
महाकाव्य किसे कहते हैं? हिन्दी के दो महाकाव्यों के नाम लिखिए।
उत्तर- महाकाव्य विस्तृत होता है। इसमें प्रकृति का विशद् चित्रण होता है। जीवन उल्लेख होता है तथा पात्रों की संख्या अधिक होती है। हिन्दी के दो महाकाव्य निम्नलिखित हैं
(1)’ रामचरितमानस’ (तुलसीदास), (2) ‘कामायनी’ (जयशंकर प्रसाद)।
के समग्र रूप का
प्रश्न 5. खण्डकाव्य किसे कहते हैं ? हिन्दी के चार खण्डकाव्यों के नाम लिखिए।
अथवा
खण्डकाव्य की परिभाषा एवं एक खण्डकाव्य का नाम लिखिए।
उत्तर- खण्डकाव्य में जीवन के किसी एक पक्ष का अंकन होता है। एक घटना अथवा व्यवहार का ही चित्रण किया जाता है। हिन्दी के चार खण्डकाव्य निम्नलिखित हैं
(1) जानकी मंगल’ तुलसीदास
(2) सिद्धराज – मैथिलीशरण गुप्त
(3) सुदामाचरित’- नरोत्तमदास,
(4) ‘ गंगावतरण’- जगन्नाथदास रत्नाकर
प्रश्न 6. महाकाव्य और खण्डकाव्य में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- (1) महाकाव्य में जीवन के समग्र रूप का उल्लेख होता है। खण्डकाव्य में जीवन के एक पक्ष का उद्घाटन किया जाता है।
(2) महाकाव्य विस्तृत होता है तथा खण्डकाव्य संक्षिप्त होता है।
(3) महाकाव्य में प्रकृति चित्रण विशद् रूप में किया जाता है जबकि खण्डकाव्य में प्रकृति चित्रण संक्षिप्त रूप में किया जाता है।
(4) महाकाव्य में पात्रों की संख्या अधिक होती है। खण्डकाव्य में पात्र कम तथा सीमित होते हैं।
प्रश्न 7. मुक्तक काव्य किसे कहते हैं ?
उत्तर- मुक्तक रचना में प्रत्येक छंद स्वतः पूर्ण होता है। इसकी रचना में कथा नहीं होती। इसमें पूर्वापर सम्बन्ध नहीं होता है। प्रत्येक छंद पूर्व पद के प्रसंग से सर्वथा अछूता अथवा मुक्त होता है, अतः मुक्तक काव्य कहलाता है। सूर एवं मीरा के पद तथा गिरिधर की कुण्डलियाँ मुक्तक काव्य के अन्तर्गत आती हैं।
प्रश्न 8. पाठ्य मुक्तक एवं गेय मुक्तक में कोई तीन अन्तर लिखिए।
उत्तर- पाठ्य मुक्तक और गेय मुक्तक में तीन अन्तर निम्नलिखित हैं
(1) पाठ्य मुक्तक का पाठ किया जाता है जबकि गेय मुक्तक लय में गाये जाते हैं। विधान युक्त रचना होती है।
(2) पाठ्य मुक्तक में लय, तुक, छंद आदि को ध्यान में नहीं रखा जाता है जबकि गेय मुक्तक छंद (3) आधुनिक मुक्तक काव्य पाठ्य मुक्तकों की कोटि में आता है जबकि सूर, तुलसी प्रसाद पंत आदि के पद, गीत गेय मुक्तक है।
रस
प्रश्न 1. रस किसे कहते हैं ? इसकी परिभाषा लिखिए तथा बताइए कि रस की निष्पत्ति कैसे होती है ?
उत्तर- रस को काव्य की आत्मा बताया गया है। जिस तरह आत्मा के बिना शरीर का कोई मूल्य नहीं होता, उसी तरह रस के बिना काव्य भी निर्जीव माना गया है। “रसात्मकं वाक्यं काव्यं” अर्थात् रसयुक्त वाक्य ही काव्य है।यदि काव्य की तुलना मनुष्य से की जाए तो शब्द और अर्थ को काव्य का शरीर, अलंकारों को आभूषण, छंदों को उसका बाह्य परिधान तथा रस को आत्मा कह सकते हैं। काव्य में रस का अर्थ आनन्द बताया गया है। साहित्यशास्त्र में ‘रस’ का अर्थ अलौकिक या लोकोत्तर आनन्द होता है। अतः “काव्य के पढ़ने, सुनने सुनने कहलाता है।”
अथवा उसका अभिनय देखने में पाठक, श्रोता या दर्शक को जो आनन्द मिलता है, वही काव्य में रस स्थायी भाव विभाव, अनुभाव और संचारी भाव के संयोग से रस की निष्पत्ति होती हैं
“विभावानुभावव्यभिचारी संयोगाद्रसनिष्पत्तिः।”
प्रश्न 2. रस के अंगों (रस को आस्वाद योग्य बनाने में सहायक अवयव) के नाम लिखिए।
उत्तर-रस के चार अंग होते हैं-(1) स्थायीभाव (2) विभाव (3) अनुभाव (4) संचारी भाव
विभाव के दो भेद होते हैं- (1) आलम्बन (2) उद्दीपन
(1) आलम्बन- इसके कारण आश्रय में स्थायी भाव जाग्रत होते हैं।
(2) उद्दीपन-ये जाग्रत भाव को उद्दीप्त करते हैं।
प्रश्न 3. संचारी भाव किसे कहते हैं एवं इनकी कितनी संख्या मानी गई है ?
उत्तर- आश्रय के मन में उठने वाले अस्थिर मनोविकारों को संचारी भाव कहते हैं। इनका अस्तित्व पानी के बुलबुलों के समान होता है। संचारी भावों की संख्या 33 निर्धारित की गई है।
प्रश्न 4. रसों के नाम बताते हुए उनके स्थायी भावों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर- हिन्दी साहित्य में रसों की संख्या 9 मानी गई है- (1) शृंगार (2) वार (3) अद्भुत, (4) रौद्र, (5) करुण, (6) भयानक (7) हास्य, (8) वीभत्स (9) शान्त कुछ विद्वान भक्ति और वात्सल्य को भी रस मानते हैं।
रस और उनके स्थायी भाव
प्रश्न 5. स्थायी भाव एवं संचारी भाव में अन्तर बताइए।
उत्तर- स्थायी भाव एवं संचारी भाव में प्रमुख अन्तर निम्नलिखित है
(1) मानव हृदय में सुषुप्त रूप में रहने वाले मनीभाव स्थायी भाव कहलाते हैं जबकि हृदय में अन्य अनन्त भाव जाग्रत तथा विलीन होते रहते हैं उनको संचारी भाव कहा जाता है।
हो जाते हैं।
(2) स्थायी भाव स्थायी रूप से हृदय में विद्यमान रहते हैं जबकि सचारी भाव कुछ समय रहकर समाप्त
(3) स्थायी भाव उद्दीपन के प्रभाव से उद्दीप्त होते हैं जबकि सचारी भाव स्थायी भाव के विकास में सहायक होते हैं।
(4) स्थायी भावों की कुल संख्या 10 है जबकि सचारी भाव 33 माने गये हैं।
प्रश्न 6. शृंगार रस की परिभाषा लिखते हुए उदाहरण दीजिए और उसके भेद बताइए।
अथवा
शृंगार रस के कितने भेद होते हैं ?
उत्तर- परिभाषा – इसके अन्तर्गत नायक-नायिका के प्रेम का उल्लेख होता है।
शृंगार रस के दो भेद हैं-जहाँ नायक नायिका के मिलन का उल्लेख होता है, वहाँ संयोग शृंगार होता है एवं जहाँ विरह का वर्णन होता है वहाँ वियोग अथवा विप्रलम्भ शृंगार होता है। इसका स्थायी भाव रति है। उदाहरण- संयोग शृंगार
“दूलह श्री रघुनाथ बने दुलही सिय सुन्दर मन्दिर माहीं। गावत गीत सबै मिलि सुन्दरि, वेद तहाँ जुरि विप्र पढ़ाहीं ॥”
“राम को रूप निहारति जानकी कंकन के नग की परछाहीं। याते सबै सुधि भूल गया, कर टेकि रही पल टारत नाहीं।”
उदाहरण-वियोग शृंगार- “हे खग-मृग हे मधुकर श्रेनी ।
तुम देखी सीता मृगनैनी।”
प्रश्न 7. वीर रस की परिभाषा लिखते हुए एक उदाहरण दीजिए।
अथवा
वीर रस का स्थायी भाव लिखते हुए एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर- परिभाषा – किसी विपरीत दशा को स्वयं के अनुकूल बनाने के निमित्त हृदय में उत्पन्न उत्साह को ही वीर रस कहा जाता है या उत्साह की दशा में वीर रस होता है। इसका स्थायी भाव उत्साह है। उदाहरण- (1) “चढ़ चेतक पर तलवार उठा करता था भूतल पानी को राणा प्रताप सिर काट-काट करता था सफल जवानी (2) “बुन्देले हरबोलों के मुख हमने सुनी कहानी थी। खूब लड़ी मदांनी वो तो झाँसा वाली रानी थी॥”
प्रश्न 8. रौद्र रस की परिभाषा लिखिए और एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर- परिभाषा – जहाँ अपमान, अपकार, शत्रु को अनुचित चेष्टाओं, निन्दा आदि से उत्पन्न क्रोध से भावों की व्यंजना होती है, वहाँ रौद्र रस होता है। इसका स्थायी भाव क्रोध है।
उदाहरण- “श्रीकृष्ण के सुन वचन अर्जुन क्रोध से जलने लगे,
सब शोक अपना भूलकर, करतल युगल मलने लगे। संसार देखे अब हमारे शत्रु रण में मृत पड़े,
करते हुए यह घोषणा वे, हो गये उठकर खड़े।”
प्रश्न 9. भयानक रस की परिभाषा लिखते हुए एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर- परिभाषा – भयप्रद वस्तु के देखने या सुनने से उत्पन्न भय स्थायी भाव के परिपाक से भयानक रस की व्यंजना होती है।उदाहरण- “कर्तव्य अपना इस समय होता न मुझको ज्ञात है। कुरुराज चिन्ताग्रस्त मेरा जल रहा सब गात है॥
अतएव मुझको अभय देकर आप रक्षित कीजिए। या पार्थ प्रण करने विफल अन्यत्र जाने दीजिए।”
प्रश्न 10. वीभत्स रस की परिभाषा लिखते हुए एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर परिभाषा – घृणित वस्तुओं के देखने या श्रवण करने से वीभत्स रस की व्यंजना होती है। इसका स्थायी भाव जुगुप्सा (घृणा) है।
उदाहरण- “सिर पर बैठो काग, आँखि दाऊ खात निकारत। खींचत जीभहि स्यार अतिहि आनन्द उर धारत ॥ गिद्ध जाँघ कहँ खोदि-खोदि के माँ उपारत। स्वान आँगुरिन काटि-काटि के खात विदारत ॥”
प्रश्न 11. अद्भुत रस की परिभाषा लिखते हुए एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर- परिभाषा – जहाँ किसी असाधारण अथवा अलौकिक वस्तु के निहारने से कुतूहल जाग्रत हो, वहीं अद्भुत रस की व्यंजना होती है। इसका स्थायी भाव विस्मय है।
उदाहरण- “उस एक ही अभिमन्यु से यों युद्ध जिसने किया,मारा गया अथवा समर से विमुख होकर ही जिया।
जिस भाँति विद्युद्दाम से होती सुशोभित घनघटा, सर्वत्र छिटकाने लगा वह समर में शस्त्र छठा, तब कर्ण द्रोणाचार्य से साश्चर्य यों कहने लगा, आश्चर्य देखो तो नया यह सिंह सोते से जगा।”
प्रश्न 12. शान्त रस की परिभाषा लिखते हुए एक उदाहरण दीजिए। उत्तर – परिभाषा – दुनिया को नश्वरता अथवा तत्व ज्ञान, विराग आदि से उत्पन्न अलौकिक निर्वेद स्थायी भाव के परिपाक से शान्त रस की व्यंजना होती है।
उदाहरण- “मन पछतैहै अवसर बीते। दुर्लभ देह पाइ हरि- पद भजु करम वचन अरु ही ते। सहसबाहु दसवदन आदि नृप बचे न काल बली ते।हम हम करि धन धाम सँवारे अन्त चले उठि रीते।”
प्रश्न 13. वात्सल्य रस की परिभाषा लिखिए तथा उदाहरण दीजिए।
उत्तर- परिभाषा-सहृदय के हृदय में स्थित वत्सल नामक स्थायी भाव का जब विभाव, अनुभाव और संचारी भाव से संयोग हो जाता है तब वहाँ वात्सल्य रस होता है।
उदाहरण- “जसोदा हरि पालनै झुलावै। हलरावै दुलराइ मल्हावै, जोई सोई कछु गावै। मेरे लाल को आउ निंदरिया, काहे न आनि सुवावै।”
प्रश्न 14. हास्य रस को परिभाषा लिखिए तथा उदाहरण दीजिए।
उत्तर- परिभाषा – अटपटे क्रियाकलाप, विचित्र वेश-भूषा तथा वचनों से उत्पन्न हास (हँसी) स्थायी भाव के परिपाक से हास्य रस की व्यंजना होती है।
उदाहरण- “काहुन लखा सो चरित विसेखा सो सरूप नृप कन्या देखा मर्कट बदन भयंकर देही देखत हृदय क्रोध भा तेही ॥ जेहि दिसि बैठे नारद, फूली सो दिसि तेहि न विलोकी भूली। पुनि पुनि मुनि उकसाहि अकुलाहीं देखि दसा हरगण मुसकाहीं ॥”
प्रश्न 15. करुण रस की उदाहरण सहित परिभाषा दीजिए।
उत्तर- परिभाषा – किसी आत्मीय व्यक्ति या प्रिय वस्तु के नष्ट होने पर अथवा अमंगल की आशंका से हृदय को जो दुःख होता है, उससे करुण रस की व्यंजना होती है। इसका स्थायी भाव शोक है।
उदाहरण- “प्रिय पति व मेरा प्राण-प्यारा कहाँ है ? दुःख जलनिधि में डूबी का सहारा कहाँ है ? लख मुख जिसका मैं आज लौं जो सकी हूँ, वह हृदय हमारा नैनतारा कहाँ है ?”
छंद
प्रश्न 1. छंद किसे कहते हैं ? इनके कितने प्रकार होते हैं ?
उत्तर छंद – जिस रचना में अक्षरों एवं मात्राओं की संख्या निश्चित हो तथा यति गति एवं तुक आदि का ख्याल रखा जाये, उसे छंद कहा जाता है। छंद के प्रकार-छंद दो प्रकार के होते हैं- (क) मात्रिक छंद, (ख) वर्णिक छंद ।
(क) वर्णिक-जिन छंदों की रचना वर्णों की गणना के आधार पर की जाती है, उन्हें वर्णिक छंद कहते हैं।
(ख) मात्रिक-जिन छंदों में मात्राओं की गणना की जाती है, उन्हें मात्रिक छंद कहते हैं। दोहा तथा चौपाई मात्रिक छंद हैं।
प्रश्न 2. दोहा छंद के लक्षण उदाहरण सहित समझाइए। दोहा छंद की परिभाषा उदाहरण सहित लिखिए।
अथवा
दोहा छंद के प्रत्येक चरण में कितनी-कितनी मात्राएँ होती हैं ?
उत्तर- दोहा – परिभाषा – दोहा छंद के प्रथम और तृतीय चरणों में 13-13 और द्वितीय तथा चतुर्थ चरणों में 11-11 मात्राएँ होती हैं। कुल 24 मात्राएँ होती हैं। इसके सम चरणों के अन्त में तगण अथवा जगण का होना जरूरी है।
उदाहरण
प्रश्न 3. चौपाई छंद की परिभाषा उदाहरण सहित लिखिए।
उत्तर- चौपाई -परिभाषा-चौपाई एक सममात्रिक छद है। इसके प्रत्येक चरण में 16 मात्राएँ होती हैं।
उदाहरण-
अलंकार
प्रश्न 1. अलंकार की परिभाषा लिखिए तथा उनके भेद बताइए।
उत्तर- अलकार शब्द का अर्थ है अलकृत या विभूषित करने वाला जिस प्रकार आभूषण शरीर की शोभा बढ़ाते हैं, उसी प्रकार अलंकार काव्य के सौन्दर्य को बढ़ाते हैं। परिभाषा-“काव्य के सौन्दर्य को बढ़ाने वाले धर्म (तत्व) अलंकार कहलाते हैं।” अलंकार के भेद-अलंकार दो प्रकार के (1) शब्दालंकार, एवं (2) अर्थालंकार माने गये हैं।
प्रश्न 2. अनुप्रास अलंकार की परिभाषा, उदाहरण सहित लिखिए।
उत्तर- अनुप्रास- परिभाषा-जिस काव्य रचना में व्यंजन वर्ण की दो या दो से अधिक बार आवृत्ति होती है, वहाँ अनुप्रास अलंकार होता है। उदाहरण- “तरनि तनूजा तट तमाल, तरुवर बहु छाए।” यहाँ ‘त’ वर्ण की आवृत्ति हुई है, अतः अनुप्रास अलंकार है।
प्रश्न 3. रूपक अलंकार की परिभाषा लिखिए तथा उदाहरण दीजिए।
उत्तर- रूपक अलंकार – परिभाषा काव्य में जहाँ उपमेय में उपमान का आरोप होता है, वहाँ रूपक
अलकार होता है। इसमें वाचक शब्द का लोप होता है। उदाहरण- “चरण सरोज पखारन लागा।”
प्रश्न 4. उपमा अलंकार की परिभाषा उदाहरण सहित लिखिए तथा इसके अंग भी बताइए। उत्तर- उपमा अलंकार – परिभाषा – जहाँ एक वस्तु अथवा प्राणी की तुलना अत्यन्त सादृश्य के कारण प्रसिद्ध वस्तु या प्राणी से की जाती है, तब वहाँ उपमा अलंकार होता है।उदाहरण- “सिंधु सा विस्तृत है अथाह, एक निर्वासित का उत्साह ॥”
उपमा अलंकार के चार अंग होते हैं
(i) उपमेय-जिस व्यक्ति या वस्तु की समानता की जाती है।
(ii) उपमान-जिस व्यक्ति या वस्तु से समानता की जाती है।
(iii) साधारण धर्म-वह गुण या धर्म जिसकी तुलना की जाती है।
(iv) वाचक शब्द- वह शब्द जो रूप-रंग, गुण और धर्म की समानता दर्शाता है, जैसे- सा, सी, सम, समान आदि।
प्रश्न 5. उत्प्रेक्षा अलंकार की परिभाषा उदाहरण सहित लिखिए।
उत्तर उत्प्रेक्षा अलंकार परिभाषा-काव्य में जहाँ उपमेय में उपमान की सम्भावना व्यक्त की जाती है, वहाँ उत्प्रेक्षा अलंकार होता है। जनु, जानो, मानो, मानहुँ आदिवाचक शब्द उत्प्रेक्षा अलंकार की पहचान हैं।
उदाहरण- “जनु, अशोक अंगार दीन्ह मुद्रिका डारि तब । ”
“मानो, झूम रहे हैं, तरु भी मंद पवन के झोंकों से।”
प्रश्न 6. मानवीकरण अलंकार की परिभाषा उदाहरण सहित लिखिए।
उत्तर- मानवीकरण अलंकार जहाँ मानव के अतिरिक्त निर्जीव और अमूर्त पर मानव सुलभ गुण, कर्म आदि का आरोपण करके मानव के समान प्रस्तुत किया जाता है वहाँ मानवीकरण अलंकार होता है।
उदाहरण- “प्यारे जगाते हुए हारे सब तारे तुम्हें, अरुण पंख तरुण किरण खड़ी खोल द्वार जागो फिर एक बार।”
यहाँ ‘तारे’ और ‘किरण’ को जगाने तथा द्वार खोलने की मानवीय क्रिया करते हुए चित्रित किया गया है। इसलिए यहाँ मानवीकरण अलंकार है।
प्रश्न 7. पुनरुक्तिप्रकाश अलंकार की परिभाषा उदाहरण सहित लिखिए।
उत्तर- जहाँ एक ही शब्द का समान अर्थ में एक से अधिक बार प्रयोग होता है। वहाँ पुनरुक्तिप्रकाश अलंकार होता है।
उदाहरण- “पुनि पुनि मुनि उकसहिं अकुलाहीं।”
यहाँ पुनि’ शब्द को समान अर्थ में आवृत्ति हुई है। इसलिए यहाँ पुनरुक्तिप्रकाश अलंकार है।
महत्वपूर्ण वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर
- बहु-विकल्पीय प्रश्न
- हिन्दी का सर्वाधिक लोकप्रिय महाकाव्य है
(क) रामचरितमानस,
(ख) रामचन्द्रिका
(ग) कामायनी,
(घ) साकेत।
- ‘रसात्मकं वाक्यं काव्यम्’ परिभाषा किसकी है ?
(क) भामह,
(ख) विश्वनाथ,
(ग) पण्डितराज जगन्नाथ,
(घ) भरतमुनि।
- शृंगार रस का स्थायी भाव क्या है ?
(क) निर्वेद,
(ख) हास
(ग) रति,
(घ) विस्मय
- जीवन का विशद चित्रण होता है
(क) मुक्तक काव्य में,
(ख) गेय मुक्तक में,
(घ) महाकाव्य में
(ग) खण्डकाव्य में,
- काव्य की शोभा बढ़ाने वाले धर्म (तत्व) कहलाते हैं
(क) गुण,
(ख) अलंकार,
(घ) शब्द-शक्ति।
(ग) छंद,
- वीर रस का स्थायी भाव है
(क) उत्साह
(ख) भय,
(घ) रति।
(ग) क्रोध,
- ‘पीपर पात सरिस मान डोला’ में अलंकार है
(क) रूपक,
(ख) उपमा,
(ग) उत्प्रेक्षा.
(घ) यमक ।
- ‘चौपाई’ में कितनी मात्राएँ होती हैं ?
(क) 11,
(ख) 13,
(ग) 15,
(घ) 16.
- रघुपति राघव राजा राम’ में कौन-सा अलंकार है ?
(क) अनुप्रास
(ख) रूपक,
(ग) उत्प्रेक्षा
(घ) मानवीकरण
- एक ही शब्द की एक से अधिक बार आवृत्ति हो वहाँ कौन-सा अलंकार होता है ?
(क) यमक,
(ख) अनुप्रास,
(ग) श्लेष
(घ) पुनरुक्तिप्रकाश।
उत्तर- 1. (क). 2. (ख) 3. (ग) 4. (घ) 5. (ख) 6. (क), 7. (ख) 8. (घ) 9. (क). 10. (घ)।
रिक्त स्थानों की पूर्ति
- महाकाव्य में जीवन का………………चित्रण होता है।
- शृंगार रस का स्थायी भाव ……………………है।
- चरण सरोज पखारन लागा……………………..अलंकार का उदाहरण है।
- दोहा छद में कुल…………………….मात्राएँ होती हैं।
- जिसके कारण स्थायी भाव उत्पन्न हो वह…………………………कहलाता है।
- ‘कामायनी’ एक……………………है।
- काव्य की शोभा बढ़ाने वाले धर्म………………….कहलाते हैं।
- वीर रस का स्थायी भाव………………………..है।
उत्तर- 1. समग्र 2. रति 3. रूपक, 4. चौबीस 5. आलम्बन 6. महाकाव्य, 7. अलंकार, 8. उत्साह
: सत्य / असत्य
- प्रबंध काव्य में पूर्वापर सम्बन्ध होता है।
- कामायनी आधुनिक काल का श्रेष्ठ महाकाव्य है।
- अस्थिर मनोविकार स्थायी भाव कहलाते हैं।
- शृंगार रस का स्थायी भाव हास है।
- चौपाई छंद में 16 मात्राएँ होती हैं।
- ‘मुनि पद कमल बंदि दोऊ माई’ में रूपक अलंकार है।
- करुण रस का स्थायी भाव शोक है।
- वीर रस का स्थायी भाव क्रोध है।
- दोहा मात्रिक छंद है।
- जहाँ नायक-नायिका के विरह का वर्णन हो वहाँ संयोग शृंगार रस होता है।
उत्तर- 1. सत्य, 2. सत्य, 3. असत्य, 4. असत्य, 5. सत्य, 6. सत्य, 7. सत्य, 8. असत्य, 9. सत्य, 10. असत्य।
सही जोड़ी मिलाइए
“अ’
- पंचवटी
- कामायनी
- शृंगार रस
- काव्य की आत्मा
- वीर रस
‘ब’
(क) महाकाव्य
(ख) खण्डकाव्य
(ग) उत्साह स्थायी भाव
(घ) रति स्थायी भाव
(ङ) रस
उत्तर – 1. (ख) 2. (क) 3. (घ) 4. (ङ), 5. (ग)। →
II.
‘अ’
- करुण रस
- वर्ण की एक से अधिक बार आवृत्ति
- अद्भुत रस
- जीवन का खण्ड चित्रण
- 16 मात्राओं का छंद
- 24 मात्राओं का छंद
‘ब’
(क) अनुप्रास अलंकार
(ख) शोर स्थायी भाव
(ग) खण्डकाव्य
(घ) विस्मय स्थायी भाव
(ङ) दोहा
(च) चौपाई
उत्तर – 1. (ख) 2. (क) 3. (घ) 4. (ग) 5. (च) 6. (ङ)।
एक शब्द/वाक्य में उत्तर
- नायक के वृहद् जीवन का चित्रण किस काव्य में होता है ?
- वात्सल्य के अलावा रसों की संख्या कितनी मानी गई है ?
- पूर्वापर सम्बन्ध से रहित स्वयं में पूर्ण होने वाला काव्य क्या कहलाता है ?
- भयानक रस का स्थायी भाव क्या है ?
- निर्वेद किस रस का स्थायी भाव है
- संचारी भावों की संख्या कितनी मानी गई है ?
- स्थायी भाव को जगाने वाले तथा उद्दीप्त करने वाले कारक क्या कहे जाते हैं ?
- करुण रस का स्थायी भाव क्या है ?
- काव्य की शोभा बढ़ाने वाले तत्व क्या कहलाते हैं ?
- किस छंद में चौबीस मात्राएँ होती हैं ?
- एक शब्द की एक से अधिक बार आवृत्ति होने पर कौन-सा अलंकार होता है ?
उत्तर- 1. महाकाव्य में, 2. नौ, 3. मुक्तक काव्य 4. भय, 5. शांत रस का, 6. तैतीस 7. विभाव, 8. शोक, 9. अलंकार, 10. दोहा में 11. पुनरुक्तिप्रकाश।
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