गद्य खण्ड पर आधारित महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर ncert class 10th hindi imp questions

अध्याय 7 गद्य खण्ड पर आधारित महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

 

10 नेताजी का चश्मा

 

प्रश्न 1. सेनानी न होते हुए भी चश्मे वाले को लोग कैप्टन क्यों कहते थे ?

उत्तर- देश प्रेम के भाव से भरे कॅप्टन चश्मे वाले के मन में देश पर बलिदान होने वालों के प्रति सम्मान का भाव है। सुभाष चन्द्र बोस के प्रति उसमें श्रद्धा है। इसीलिए वह उनकी प्रतिमा पर चश्मा लगाता है। उसके मन में देश के प्रति फौजियों जैसा ही भाव है इसीलिए उसे लोग कैप्टन कहते थे।

प्रश्न 2. हालदार साहब ने ड्राइवर को पहले चौराहे पर गाड़ी रोकने के लिए मना किया था लेकिन बाद में तुरन्त रोकने को कहा

(क) हालदार साहब पहले मायूस क्यों हो गए थे ?

(ख) मूर्ति पर सरकंडे का चश्मा क्या उम्मीद जगाता है ?

(ग) हालदार साहब इतनी सी बात पर भावुक क्यों हो उठे ?

उत्तर- (क) हालदार साहब पहले इसलिए मायूस हो गए थे कि उन्हें लगता था कि कैप्टन के मरने के बाद नेताजी की मूर्ति पर चश्मा लगाने वाला कोई नहीं होगा।

(ख) हालदार साहब ने देखा कि मूर्ति पर सरकंडे का वैसा ही चश्मा लगा है जैसा छोटे बच्चे सरकंडे से बनाया करते हैं। इससे उम्मीद जगती है कि बच्चों में देश-प्रेम और राष्ट्र भक्ति के भाव जग रहे हैं।

(ग) हालदार साहब को लग रहा था कि नेताजी की मूर्ति बिना चश्मे के होगी किन्तु मूर्ति पर सरकंडे का चश्मा देखा तो उनके मन की निराशा आशा में बदल गई। उनकी समझ में आ गया कि बच्चों में देशप्रेम का भाव है। यही सोचकर वे भावुक हो उठे और उनकी आँखें भर आईं।

 

प्रश्न 3. “वो लँगड़ा क्या जाएगा फौज में पागल है पागल।” कैप्टन के प्रति पान वाले की इस टिप्पणी पर अपनी प्रतिक्रिया लिखिए।

उत्तर- यह टिप्पणी अशिक्षित पान वाले की है। मेरी राय में यह टिप्पणी पूर्णत: अनुचित है। लँगड़ा होते हुए भी वह अपनी छोटी दुकान से मूर्ति पर चश्मा लगाता है। वह निश्चय ही सम्मान तथा आदर का पात्र है।

 

प्रश्न 4. निम्नलिखित वाक्य पात्रों की कौन-सी विशेषता की ओर संकेत करते हैं (

क) हालदार साहब हमेशा चौराहे पर रुकते और नेताजी को निहारते।

(ख) पान वाला उदास हो गया। उसने पीछे मुड़कर मुँह का पान पीछे थूका और सिर झुकाकर अपनी धोती के सिरे से आँखें पोंछता हुआ बोला-साहब कैप्टन मर गया।

(ग) कैप्टन बार-बार मूर्ति पर चश्मा लगा देता था।

उत्तर-(क) हालदार साहब के मन की देशप्रेम की भावना तथा देश के भविष्य की चिन्ता का भाव प्रकट होता है। इसीलिए वे सरकंडे का चश्मा लगा देखकर प्रसन्न होते हैं।

(ख) कैप्टन की मृत्यु से वह दुःखी था। उसमें शोक तथा वेदना का भाव भरा था।

(ग) कैप्टन में देशभक्ति का भाव था इसीलिए वह मूर्ति पर चश्मा लगाकर अपनी भावना व्यक्त करता था।

 

प्रश्न 5. कस्बों, शहरों, महानगरों के चौराहों पर किसी-न-किसी क्षेत्र के प्रसिद्ध व्यक्ति की मूर्ति लगाने का प्रचलन-सा हो गया है

(क) इस तरह की मूर्ति लगवाने के क्या उद्देश्य हो सकते हैं ?

(ख) आप अपने इलाके के चौराहे पर किस व्यक्ति की मूर्ति स्थापित करवाना चाहेंगे और क्यों ?

(ग) उस मूर्ति के प्रति आपके एवं दूसरे लोगों के क्या उत्तरदायित्व होने चाहिए ?

उत्तर-(क) कस्बों, शहरों और महानगरों के चौराहों पर महान व्यक्तियों की मूर्ति लगवाते हैं। इसका यह उद्देश्य होता है कि उस महान व्यक्तित्व से लोग प्रेरणा लें तथा स्वयं अच्छे कार्य करें।

(ख) मैं अपने इलाके में किसी देशभक्त या महान साहित्यकार की मूर्ति लगवाना चाहूँगा। इसका कारण यह होगा कि उस मूर्ति को देखकर लोग प्रेरणा ले सकें तथा राष्ट्रहित या साहित्यहित के कार्य कर सकें। (ग) चौराहों पर लगी मूर्तियों की नियमित देखभाल, साफ-सफाई आदि रखना मेरा तथा दूसरे लोगों का उत्तरदायित्व है। हमें यह कार्य करना चाहिए।

 

प्रश्न 6. निम्नलिखित पंक्तियों में स्थानीय बोली का प्रभाव स्पष्ट दिखाई देता है, आप इन पंक्तियों को मानक हिन्दी में लिखिए कोई गिराक आ गया समझो। उसको चौड़े चौखट चाहिए। तो कैप्टन किदर से लाएगा ? तो उसको मूर्तिवाला दे दिया। उदर दूसरा बिठा दिया।

उत्तर- मान लीजिए कोई ग्राहक आ गया। उसे चौड़ा फ्रेम चाहिए। तो कैप्टन कहाँ से लाएगा तो उसे मूर्तिवाला फ्रेम दे दिया और मूर्ति पर दूसरा फ्रेम लगा दिया।

 

प्रश्न 7. “भई खूब ? क्या आइडिया है।” इस वाक्य को ध्यान में रखते हुए बताइए कि एक भाषा में दूसरी भाषा के शब्दों के आने से क्या लाभ होते हैं ?

उत्तर- एक भाषा के शब्दों के दूसरी भाषा में आने से भाषाओं का शब्द भण्डार बढ़ता है। भाव दूसरों तक आसानी से पहुँच जाता है। भाषा में चमत्कार आता है तथा बात रोचक बन जाती है।

 

प्रश्न 8. निम्नलिखित वाक्यों में निपात शब्द छाँटिए और उनसे नए वाक्य बनाइए

(क) नगरपालिका थी तो कुछ-न-कुछ करती भी रहती थी।

(ख) किसी स्थानीय कलाकार को ही अवसर देने का निर्णय किया गया होगा।

(ग) यानी चश्मा तो था लेकिन संगमरमर का नहीं था।

(घ) हालदार साहब अब भी नहीं समझ पाए।

(ङ) दो साल तक हालदार साहब अपने काम के सिलसिले में उस कस्बे से गुजरते रहे।

 

उत्तर-(क) निपात-कुछ-न-कुछ वाक्य- वह काम पर आता है और कुछ-न-कुछ बिगाड़ कर जाता है।

(ख) निपात-ही वाक्य – परिश्रम से ही सफलता मिलती है।

(ग) निपात- तो वाक्य-वह प्रयास तो करता था पर असफल रहता था।

(घ) निपात – भी।वाक्य- जब भी मौका मिले, इस काम को कर डालो।

(ङ) निपात-में वाक्य-बात-बात में टोकना अच्छा नहीं लगता है।

 

प्रश्न 9. निम्नलिखित वाक्यों को कर्मवाच्य में बदलिए

(क) वह अपनी छोटी-सी दुकान में उपलब्ध गिने-चुने फ्रेमों में से नेताजी की मूर्ति पर फिट कर देता है।

(ख) पान वाला नया पान खा रहा था।

(ग) पान वाले ने साफ बता दिया था।

(घ) ड्राइवर ने जोर से ब्रेक मारे।

(ङ) नेताजी ने देश के लिए अपना सब कुछ त्याग दिया।

(च) हालदार साहब ने चश्मे वाले की देशभक्ति का सम्मान किया।

 

उत्तर-(क) उसके द्वारा अपनी छोटी-सी दुकान में उपलब्ध गिने-चुने फ्रेमों में से एक नेताजी की मूर्ति पर फिट कर दिया जाता था।

(ख) पान वाले द्वारा नया पान खाया जा रहा था।

(ग) पान वाले द्वारा साफ बता दिया गया था।

(घ) ड्राइवर द्वारा जोर से ब्रेक मारा गया।

(ङ) नेताजी द्वारा देश के लिए अपना सब कुछ त्याग दिया गया।

(च) हालदार साहब द्वारा चश्मे वाले की देशभक्ति का सम्मान किया गया।

 

प्रश्न 10. नीचे लिखे वाक्यों को भाववाच्य में बदलिए

(क) माँ बैठ नहीं सकती।

(ख) मैं देख नहीं सकती।

(ग) चलो, अब सोते हैं।

(घ) माँ रो भी नहीं सकती।

 

उत्तर- (क) माँ से बैठा नहीं जाता।

(ख) मुझसे देखा नहीं जाता।

(ग) चलो अब सोया जाए।

(घ) माँ से रोया भी नहीं जाता।

 

11 बालगोबिन भगत

 

प्रश्न 1. खेतीबारी से जुड़े गृहस्थ बालगोबिन भगत अपनी किन चारित्रिक विशेषताओं के कारण साधु कहलाते थे ?

उत्तर- खेतीबारी तथा गृहस्थ से जुड़े होते हुए भी भगत का आचरण साधु-सन्तों जैसा था। वे सदैव सत्य बोलते थे। सभी से दो टूक बात करते थे। उनके व्यवहार में छल-कपट नहीं था। वे दूसरे की वस्तु को छूते तक न थे। बिना पूछे दूसरे की वस्तु का उपयोग भी नहीं करते थे। बिना बात किसी से झगड़ने का उनका स्वभाव न था। उनकी    वेशभूषा साधारण थी। लगोटी लगाते थे तथा सिर पर कनफटी कबीर पंथियों की सी टोपी पहनते थे। इन्हीं विशेषताओं के कारण वे साधु कहलाते थे।

 

प्रश्न 2. भगत की पुत्रवधू उन्हें अकेले क्यों नहीं छोड़ना चाहती थी ?

उत्तर- भगत की पुत्रवधू उन्हें अकेले छोड़कर इसलिए नहीं जाना चाहती थी क्योंकि भगत की देखभाल करने वाला कोई नहीं था। उनके खाने-पीने का प्रबन्ध करने वाला भी कोई नहीं था। वह उनके खाने आदि की व्यवस्था करने एवं उनके साथ उनकी देखभाल के लिए रहना चाहती थी।

 

प्रश्न 3. भगत ने अपने बेटे की मृत्यु पर अपनी भावनाएँ किस तरह व्यक्त की ?

उत्तर- बालगोबिन भगत ने अपने बेटे के शव को सफेद कपड़े से ढक दिया उस पर फूल तथा तुलसी दल बिखेर दिए। स्वयं उसके पास आसन जमाकर गाने बैठ गए। वे तल्लीनता से कबीर के पदों को गाने लगे। उनके अनुसार मृत्यु के बाद जीवात्मा अपने प्रेमी परमात्मा से जा मिलती है। इसलिए मृत्यु उत्सव, आनन्द का समय है, रोने का नहीं। वे अपनी पुत्रवधू को भी उत्सव मनाने के लिए कहते हैं।

 

प्रश्न 4. भगत के व्यक्तित्व और उनकी वेशभूषा का अपने शब्दों में चित्र प्रस्तुत कीजिए।

उत्तर- बालगोबिन भगत साठ वर्ष से अधिक आयु के थे किन्तु गोरे-चिट्टे आदमी थे। उनके बाल सफेद हो गए थे। उनका चेहरा सफेद बालों से चमत्कृत रहता था। वे शरीर पर एक लंगोटी तथा सिर पर कबीरपंथी कनफटी टोपी पहनते थे। उनके गले में तुलसी की बेडौल माला पड़ी रहती थी। उनके माथे पर रामानंदी चन्दन का टीका लगा होता था। जब सर्दी होती थी तो वे कम्बल ओढ़ लेते थे।

 

प्रश्न 5. पाठ के आधार पर बताएँ कि बालगोबिन भगत की कबीर पर श्रद्धा किन-किन रूपों में प्रकट हुई है ?

उत्तर- बालगोबिन भगत की कबीर पर श्रद्धा कई रूपों में प्रकट हुई है

(1) उनका पहनावा कबीर जैसा ही था, सिर पर कबीरपंथियों जैसी कनफटी टोपी पहनते थे।

(2) कबीर को ‘साहब’ मानते थे। उनके आदर्शों में गहरी आस्था थी।

(3) कबीर के ही पदों को गाया करते थे।

(4) जैसे कबीर गृहस्थ सन्त थे उसी तरह बालगोबिन भगत भी गृहस्थ सन्त थे।

(5) कबीर की तरह जीवात्मा को विरहिणी और परमात्मा को प्रेमी मानते थे।

(6) कबीर की तरह रूढ़ियों का विरोध करते थे।

(7) सत्संगति में विश्वास रखते थे, लोभ-लालच मुक्त थे।

 

प्रश्न 6. गाँव का सामाजिक-सांस्कृतिक परिवेश आषाढ़ चढ़ते ही उल्लास से क्यों भर जाता है ?

उत्तर- आषाढ़ का आना तथा तपती गर्मी के बाद रिमझिम वर्षा होना मुरझाए तथा परेशान ग्रामीण समाज में चेतना तथा उल्लास भर देता है। किसान हल-बैल लेकर खेतों को निकल पड़ते हैं। धरती से फूटने वाली सुगन्ध उनके मन में आनन्द की लहर पैदा कर देती है। आषाढ़ आया, बादल गरजे, वर्षा हुई और खेत, तालाब, नदी भर गईं। जल से जीवन-लहलहा उठता है। गीत, संगीत के मधुर स्वर फूट पड़ते हैं। इस तरह आषाढ़ आने पर गाँव का जीवन आनन्द से भर उठता है।

 

प्रश्न 7. इस पाठ में आए कोई दस क्रिया विशेषण छाँटकर लिखिए और उनके भेद भी बताइए।

उत्तर- इस पाठ में आए दस क्रिया विशेषण निम्न प्रकार हैं

(1) धीरे-धीरे स्वर ऊँचा होने लगा।

(रीतिवाचक क्रिया विशेषण)

(2) कपड़े बिल्कुल कम पहनते थे।

(भेद-संख्यावाचक क्रिया विशेषण)

(3) उनकी अंगुलियाँ खैंजड़ी पर लगातार चल रही थीं।

(भेद-रीतिवाचक क्रिया विशेषण)

(4) अभी आसमान के तारों के दीपक नहीं बुझे थे।

(भेद-संख्यावाचक क्रिया विशेषण)

(5) कमली तो बार-बार सिर से नीचे सरक जाती।

(भेद-रीतिवाचक क्रिया विशेषण)

(6) उनकी खैंजड़ी डिमक-डिमक बज रही है।

(भेद-रीतिवाचक क्रिया विशेषण)

(7) जो कुछ खेत में पैदा होता।

(भेद-परिमाणवाचक क्रिया विशेषण)

(8) हर वर्ष गंगा स्नान करने के लिए जाते।

(भेद-कालवाचक क्रिया विशेषण)

 

(9) जमीन पर ही आसन जमाए गीत गाए चले जा रहे हैं।

(भेद-स्थानवाचक क्रिया विशेषण)

(10) थोड़ा बुखार आने लगा।

(भेद-परिमाणवाचक क्रिया विशेषण)

 

12 लखनवी अंदाज

 

विशेष- कोविड परिस्थितियों के चलते यह पाठ वार्षिक/ बोर्ड परीक्षा 2022 के लिए बोर्ड द्वारा पाठ्यक्रम में से हटा दिया गया है।

 

13 मानवीय करुणा की दिव्य चमक

 

प्रश्न 1. फादर की उपस्थिति देवदार की छाया जैसी क्यों लगती थी ?

उत्तर- देवदार का पेड़ बहुत ऊँचा, छायादार और घना होता है। उसकी छाया शान्ति तथा शीतलता प्रदान करती है। फादर कामिल बुल्के को भी उसी तरह शान्ति, शीतलता तथा आनन्द मिलता था उनमें चिन्ता, दुःख, परेशानी को दूर करने की सामर्थ्य थी। इसीलिए फादर की उपस्थिति देवदार की छाया जैसी लगती थी।

 

प्रश्न 2. फादर बुल्के भारतीय संस्कृति के एक अभिन्न अंग हैं, किस आधार पर ऐसा कहा गया है ?

उत्तर- संन्यासी बनने का विचार आते ही उन्होंने भारत आने का निश्चय किया वे अपनी जन्मभूमि छोड़कर भारत के ही होकर रह गए। उन्होंने भारतीय संस्कृति भाषा व्यवहार आदि को आत्मसात कर लिया। वे सहज भाव से कहते थे भारत मेरा देश है। यहाँ परम्पराओं, मान्यताओं उन्होंने अपना ही नहीं लिया था उनमें सुधार करने का भी प्रयास किया। उन्हें भारत की भाषा हिन्दी से आन्तरिक लगाव था। राम कथा पर उन्होंने शोध किया। इस तरह वे भारतीय संस्कृति के एक अभिन्न अंग हो गए थे।

 

प्रश्न 3. पाठ में आए उन प्रसंगों का उल्लेख कीजिए, जिनमें फादर बुल्के का हिन्दी प्रेम प्रकट  होता है।

उत्तर- मानवीय करुणा को दिव्य चमक पाठ में कई प्रसंग आये हैं जो फादर बुल्के के हिन्दी प्रेम को प्रकट करते हैं

(1) उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से हिन्दी साहित्य में एम ए किया तथा रामकथा उत्पत्ति और विकास पर शोध कार्य कर पी-एच डी की डिग्री प्राप्त की।

(2) उन्होंने इलाहाबाद की हिन्दी संस्था ‘परिमल’ की सदस्यता ग्रहण की तथा उसकी गोष्ठियों में सक्रिय भाग लिया।

(3) उन्होंने प्रसिद्ध नाटक ‘ब्लू बर्ड’ का ‘नोलापछी’ नाम से हिन्दी में अनुवाद किया, बाइबिल का हिन्दी में अनुवाद किया तथा अंग्रेजी हिन्दी कोश’ तैयार किया।

(4) वं रांची के सेंट जेवियर्स कॉलेज में हिन्दी तथा संस्कृत के विभागाध्यक्ष रहे।

(5) वे हिन्दी को भारत की राष्ट्रभाषा देखना चाहते थे, इसके लिए वह हर अवसर राष्ट्रभाषा बनाने के बारे में कहते थे हिन्दी वालों द्वारा हिन्दी की उपेक्षा पर वे दुःखी रहते थे।

 

प्रश्न 4. लेखक ने फादर बुल्के को मानवीय करुणा की दिव्य चमक’ क्यों कहा है ?

उत्तर- लेखक ने फादर बुल्क को मानवीय करुणा की दिव्य चमक’ इसलिए कहा है क्योंकि उनके मन में मानव मात्र के प्रति करुणा का भाव भरा था। अपने परिचितों के सुख-दुःख में वे उपस्थित होते थे। अपने सान्त्वना भरे शब्दों से उनकी पीड़ा हर लेते थे। वे रिश्तों का निर्वाह हृदय से करते थे। उनके दर्शन करते ही लगता था कि मानो करुणा के पवित्र जल से नहा लिए हाँ उनके स्वरूप से करुणा टपकती थी। उनकी रगों में दूसरों के प्रति अमृत जैसी मधुरता भरी थी। वे मानवीय करुणा की दिव्य चमक से परिपूर्ण थे।

 

प्रश्न 5. फादर बुल्के ने संन्यासी की परम्परागत छवि से अलग एक नयी छवि प्रस्तुत की है। कैसे ?

उत्तर- फादर कामिल बुल्के अन्य संन्यासियों की तरह मोह-माया से मुक्त होते हुए भी मानवीय भावों का निर्वाह करते थे। वे करुणा को साकार मूर्ति थे। दूसरों के प्रति अपनत्व तथा अत्मीयता का भाव उनमें भरा था। रिश्ते बना लेते थे तो तोड़ते न थे, परिचितों के सुख-दुःख में हर समय उपस्थित रहते थे। उनके सान्त्वना के शब्द जादू का सा असर करते थे। उत्सवों और संस्कारों में उपस्थित होकर आशीर्वाद देते थे। उनके मन में दूसरों के प्रति माधुर्य का भाव था। इस तरह उन्होंने अपनी सन्यासी की जो परम्परागत छवि थी, उससे भिन्न छवि प्रस्तुत की।

 

प्रश्न 6. आपके विचार से बुल्कं ने भारत आने का मन क्यों बनाया होगा ?

उत्तर- मुझे लगता है कि उन्होंने संसार के देशों की संस्कृति, समाज, भाषा आदि को देखा व जाना होगा। उनमें उन्हें भारत अच्छा लगा होगा। सारी दुनिया को अपना परिवार मानने वाला देश भारत ही है। इसी कारण उन्होंने यहाँ आने का मन बनाया होगा। वे भारत को अपनी जन्मभूमि कहते थे।

 

प्रश्न 7. “बहुत सुंदर है मेरी जन्मभूमि- रैम्सचैपल” इस पंक्ति में फादर बुल्के को अपनी जन्मभूमि के प्रति कौन-सी भावनाएँ अभिव्यक्त होती हैं ? आप अपनी जन्मभूमि के बारे में क्या सोचते हैं ?

उत्तर- हर व्यक्ति को अपनी जन्मभूमि प्रिय होती है। उसके प्रति लगाव होना स्वाभाविक है। इसलिए फादर बुल्के को भी अपनी जन्मभूमि ‘रैम्सचैपल’ बहुत सुन्दर लगती है। वे उसे देखने भी जाते थे। मुझे भी मेरी जन्मभूमि भारत अत्यन्त प्रिय है। भारत एक सुन्दर तथा श्रेष्ठ देश है। इसीलिए देवता भी यहाँ जन्म लेना चाहते हैं। भारत संसार का गुरु रहा है। इसी ने लोगों को मानवता, सत्य, अहिंसा का पाठ पढ़ाया है। उदारता, करुणा, परोपकार आदि भाव यहाँ पाए जाते हैं। यहाँ की प्रकृति, ऋतुएँ आदि बहुत मनोरम हैं। यहाँ देवता भी जन्म लेना चाहते हैं।

 

प्रश्न 8. निम्नलिखित वाक्यों में समुच्चयबोधक छाँटकर अलग लिखिए

(क) तब भी जब वह इलाहाबाद में थे और तब भी जब वह दिल्ली में थे।

(ख) माँ ने बचपन में ही घोषित कर दिया था कि लड़का हाथ से गया।

(ग) वे रिश्ता बनाते थे तो तोड़ते नहीं थे।

(घ) उनके मुख से सान्त्वना के जादू भरे दो शब्द सुनना एक ऐसी रोशनी से भर देता था जो किसी गहरी तपस्या से जन्मती है।

(ङ) पिता और भाइयों के लिए बहुत लगाव मन में नहीं था लेकिन वो स्मृति में अक्सर डूब जाते।

 

उत्तर- (क) में समुच्चयबोधक= और

(ख) में समुच्चयबोधक में= कि

(ग) में समुच्चयबोधक= तो

(घ) में समुच्चयबोधक =जो

(ङ) में समुच्चयबोधक = लेकिन

 

 

14 एक कहानी यह भी

 

प्रश्न 1. लेखिका के व्यक्तित्व पर किन-किन व्यक्तियों का किस रूप में प्रभाव पड़ा ? उत्तर-लेखिका को दो व्यक्तियों ने विशेष रूप से प्रभावित किया एक उनके पिता ने तथा दूसरी शिक्षिका शीला अग्रवाल ने पिता गोरे रंग को महत्व देते थे जबकि लेखिका श्याम वर्ण की थीं। वे गोरे रंग की बड़ी बहिन से उनकी तुलना कर नीचा दिखाते थे इससे उनमें हीनता का भाव आ गया। पिताजी की इच्छा के कारण लोगों से विचार-विमर्श तथा देशभक्ति का भाव उनमें आया। शीला अग्रवाल ने साहित्यिक रुचि पैदा की तथा खुलकर अपनी बात कहने का साहस पैदा किया।

 

प्रश्न 2. इस आत्मकथ्य में लेखिका के पिता ने रसोई को ‘भटियारखाना’ क्यों सम्बोधित किया है ?

उत्तर-लेखिका मन्नू भंडारी के पिता ने रसोई को भटियारखाना इसलिए कहा है कि उनके अनुसार रसोई में काम करने वाली युवतियों की रचनात्मक प्रतिभा जलकर नष्ट हो जाती है। रसोई में काम करने वाली स्त्रियाँ इतनी रचनात्मक नहीं हो पाती हैं। उनकी क्षमता खाना पकाने, सब्जी काटने या नये-नये पकवान बनाने में ही चली जाती है। उनका स्वाभाविक विकास नहीं होता है।

 

प्रश्न 3. वह कौन-सी घटना थी जिसके बारे में सुनने पर लेखिका को न अपनी आँखों पर विश्वास हो पाया और न अपने कानों पर ?

उत्तर- एक बार लेखिका के कॉलेज की प्रिंसिपल ने पत्र भेजा कि उनके पिता कॉलेज आकर बताएँ कि उनकी बेटी की गतिविधियों के कारण उनके खिलाफ अनुशासनहीनता की कार्यवाही क्यों न की जाय ? पिताजी पत्र पाकर बड़े क्रोधित हुए तथा भन्नाते हुए कॉलेज गए। प्रिंसिपल ने उन्हें बताया कि आपकी लड़की के भड़काने के कारण छात्राएँ क्लास छोड़कर बाहर आ जाती हैं और नारे लगाती हैं। पिताजी ने उनसे कह दिया कि यह देश की जरूरत है इसे रोकना सम्भव नहीं है। उनको इस बात का गर्व था कि उनकी बेटी का लड़कियों पर प्रभाव है और उसमें देशभक्ति का भाव है। पिताजी का यह रूप देखकर लेखिका को अपनी आँखों पर विश्वास नहीं हो रहा था।

 

प्रश्न 4. इस आत्मकथ्य के आधार पर स्वाधीनता आन्दोलन के परिदृश्य का चित्रण करते हुए इसमें मन्नू जी की भूमिका को रेखांकित कीजिए।

उत्तर- भारत छोड़ो आन्दोलन के बाद देश के कोने कोने में स्वाधीनता प्राप्त करने का भाव व्याप्त हो गया था। सन् 1946-47 के आते-आते यह भाव और तीव्र हो गया था। प्रभात फेरियों, जुलूसों, हड़तालों, भाषणों आदि के द्वारा जनजागरण, राष्ट्रीयता तथा स्वतन्त्रता को जन भावना बनाया जा रहा था देश का हर युवा सक्रिय भागीदारी करके देश को गुलामी के बन्धन से मुक्त कराने में लगा था। लेखिका भी युवा थीं। उनकी नसों में रक्त के स्थान पर लावा प्रवाहित हो रहा था। वे प्रभात फेरियों, हड़तालों, नारों, जुलूसों में सक्रिय भाग ले रही थीं। वे जोशीले भाषण दे रही थीं जिनका जनता पर गहरा प्रभाव पड़ रहा था।

 

प्रश्न 5. लेखिका ने बचपन में अपने भाइयों के साथ गिल्ली-डंडा तथा पतंग उड़ाने जैसे खेल भी खेले किन्तु लड़की होने के कारण उनका दायरा घर की चारदीवारी तक सीमित था। क्या आज भी लड़कियों के लिए स्थितियाँ ऐसी ही हैं या बदल गई हैं? अपने परिवेश के आधार पर लिखिए।

उत्तर-लेखिका का समय अब से बहुत पहले का था। उनके बचपन में लड़कियों पर बाहर खेलने की बंदिश रही होगी। किन्तु आज स्थितियाँ बदली हुई हैं। आज लड़कियों पर बाहर खेलने की कोई बंदिश नहीं है। आज तो लड़कियाँ अखाड़े में कुश्तियाँ लड़ती हैं। गाँव, शहर या जिले में नहीं वे देश के अतिरिक्त विदेशों में भी खेलों में भाग लेती हैं। आज वे ओलम्पिक विजेता बन रही हैं। शूटिंग, कबड्डी, टेनिस, बॉलीवाल, पहलवानी आदि सभी में उन्हें खुली छूट है।

 

प्रश्न 6. मनुष्य के जीवन में आस-पड़ोस का बहुत महत्व होता है। परन्तु महानगरों में रहने वाले लोग प्राय: ‘पड़ोस कल्चर’ से वंचित रह जाते हैं। इस बारे में अपने विचार लिखिए।

उत्तर- मनुष्य के जीवन में पड़ोस का बहुत महत्व होता है। बचपन में पड़ोस के बच्चों के साथ खेलकर बातें करके बैठ करके बच्चा आचरण, व्यवहार मेल-मिलाप के पाठ पढ़ता है। वह दूसरों के साथ मिलना-जुलना सीखता है, उनके सुख-दुःख जानता है तथा अपने मन की बात उन्हें बताना सीखता है। किन्तु आज महानगरों की एकाकी संस्कृति में बच्चों के मिलने के अवसर समाप्त प्राय: हो गए हैं। इससे बच्चों के स्वाभाविक विकास, व्यवहार आचरण आदि प्रभावित हो रहे हैं। मेरे विचार से यह एकाकी संस्कृति अच्छी नहीं है क्योंकि बच्चा समाज में रहकर ही सीखता है।

 

प्रश्न 7. आप भी अपने दैनिक अनुभवों को अपनी डायरी में लिखिए।

उत्तर- डायरी का एक नमूना प्रस्तुत है विद्यार्थी इसी तरह की डायरी स्वयं भी लिख सकते हैं। 14 अगस्त 20 शुक्रवार आज प्रातःकाल पिताजी ने मुझे जल्दी जगाया और बोले, देखो बाहर तेज वर्षा हो रही है। मैं जल्दी से जागा और दीदी को भी जगा दिया। हम दोनों वषां के दृश्य देखने लगे। भयंकर पानी पड़ रहा था। सामने का लॉन पानी से भर गया था। चिड़िया भाग रही थीं, पक्षी परेशान थे, पेड़ झुके जा रहे थे, बिजली चमक रही थी, बादल गरज रहे थे। एक चिड़िया हमारे रोशनदान में बैठी थी, वह काँप रही थी। कोई बच्चा खेलने नहीं निकला। पानी थमा, मम्मी ने दूध दिया तथा नाश्ता कराया। वे मेरे लिए खिलौने लाई थीं साथ में पेन्सिल बॉक्स तथा रंगों की डिब्बी थी। हमने अपने बने मिट्टी के गोलों पर रंग-बिरंगी डिजाइन बनाई और आपस में खेलते रहे।

 

प्रश्न 8. इस आत्मकथा में मुहावरों का प्रयोग करके लेखिका ने रचना को रोचक बनाया है। रेखांकित मुहावरों को ध्यान में रखकर कुछ और वाक्य बनाएँ

(क) इस बीच पिताजी के एक निहायत दकियानूसी मित्र ने घर आकर अच्छी तरह पिताजी की लू उतारी।

(ख) वे तो आग लगाकर चले गए और पिताजी सारे दिन भभकते रहे।

(ग) बस अब यही रह गया है कि लोग घर आकर थू-थू करके चले जाएँ।

(घ) पत्र पढ़ते ही पिताजी आग-बबूला।

उत्तर- (क) लू उतारी- गृहकार्य पूरा न करने के कारण अध्यापक ने राजू को खूब लू उतारी।

(ख) आग लगाना- कुछ लोगों का काम आग लगाना ही होता है।

(ग) थू-थू करना – बिल्लू की गन्दी हरकत पर सब थू-थू कर रहे हैं।

(घ) आग बबूला – राधा गृहकार्य करके नहीं लाई तो शिक्षिका आगबबूला हो उठी।

 

15 स्त्री-शिक्षा के विरोधी कुतर्कों का खंडन

 

प्रश्न 1. कुछ पुरातन पंथी लोग स्त्रियों की शिक्षा के विरोधी थे। द्विवेदी जी ने क्या-क्या तर्क देकर स्त्री शिक्षा का समर्थन किया ?

उत्तर- कुछ पुरातन पंथी लोग स्त्री शिक्षा का विरोध बेतुके तर्क देकर करते थे। द्विवेदी जी ने उनको सटीक उत्तर देते हुए स्त्री शिक्षा का समर्थन किया है। उन्होंने प्राचीन काल की पढ़ी-लिखी स्त्रियों के नाम गिनाकर उनकी विद्वता के कार्यों का उल्लेख किया है। वे बताते हैं कि कई स्त्रियों ने बड़े-बड़े महारथियों को परास्त किया है। उस समय स्त्री शिक्षा की विधिवत् व्यवस्था नहीं थी इसलिए नियम आदि नहीं बने थे किन्तु आज स्त्री शिक्षा आवश्यक है, अतः जरूरत के हिसाब से हमें स्त्री शिक्षा के प्रति अपनी सोच बदलनी चाहिए और उन्हें शिक्षा दिलानी चाहिए।

 

प्रश्न 2. “स्त्रियों को पढ़ाने से अनर्थ होते हैं’- कुतर्कवादियों की इस दलील का खण्डन द्विवेदी जी ने कैसे किया है ? अपने शब्दों में लिखिए।

उत्तर- स्त्री शिक्षा के विरोधी कुतकों के महावीर प्रसाद द्विवेदी ने बहुत ही सटीक उत्तर दिए हैं। वे बताते हैं कि जब दुष्यन्त ने शकुन्तला से विवाह करके उसे त्याग दिया तो वह उससे कटु भाषा में बात करेगी। उसका क्रोध स्वाभाविक है। सीता ने भी बिना किसी दोष के त्याग दिए जाने पर राम को स्वामी न कहकर राजा कहा था। जब शिक्षा पुरुषों के लिए पीयूष है तो स्त्रियों के लिए कालकूट कैसे हो सकती है। वे कहते हैं कि शिक्षा से स्त्रियों का अनर्थ नहीं होता है, उन्हें पढ़ाया जाना चाहिए।

 

प्रश्न 3. परम्परा के उन्हीं पक्षों को स्वीकार किया जाना चाहिए जो स्त्री-पुरुष समानता को बढ़ाते हैं। तर्क सहित स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- सामाजिक जीवन को सुखी व समृद्ध बनाने के लिए परम्पराएँ अपनाई जाती हैं। परम्परा के जो पक्ष समाज के लिए अहितकर होते हैं उन्हें छोड़ दिया जाता है। स्त्री-पुरुष समाज रूपी गाड़ी के दो पहिए हैं इसलिए वे ही परम्पराएँ अपनानी चाहिए जो दोनों में समता, सद्भाव स्थापित करती हों। ऐसी परम्पराएँ जो स्त्री-पुरुष में भेद करती हैं उन्हें कदापि न स्वीकार किया जाना चाहिए। स्त्री-पुरुष की रचना में प्रकृति ने कोई अन्तर नहीं किया है। वे दोनों मिलकर समाज का विकास करते हैं तो हम उनमें भेद क्यों करें। इसलिए पुरुष और स्त्री दोनों को पढ़ाया जाना उचित है।

 

प्रश्न 4. तब की शिक्षा प्रणाली और अब की शिक्षा प्रणाली में क्या अन्तर है? स्पष्ट करें।

उत्तर- पुराने समय की शिक्षा प्रणाली तथा आज की शिक्षा प्रणाली अलग-अलग हैं। उस समय गुरुकुल में विद्यार्थी शिक्षा प्राप्त करने जाते थे। स्त्रियों की शिक्षा की औपचारिक व्यवस्था नहीं थी। अब की शिक्षा प्रणाली में लड़के-लड़कियाँ स्कूल, कॉलेज में पढ़ने जाते हैं। अब दोनों के लिए औपचारिक व्यवस्था है। स्त्री तथा पुरुष दोनों को समान रूप से पढ़ने की सुविधाएँ हैं। उस समय इस तरह की व्यवस्था नहीं थी। इसीलिए उस समय स्त्रियों की शिक्षा कम थी। अब औपचारिक व्यवस्था है इसलिए स्त्रियों को पढ़ाया जाना चाहिए। है।

 

प्रश्न 5. महावीरप्रसाद द्विवेदी का निबन्ध उनकी दूरगामी और खुली सोच का परिचायक कैसे ?

उत्तर- महावीरप्रसाद द्विवेदी का ‘स्त्री शिक्षा के विरोधी कुतकों का खंडन’ निबन्ध उनकी दूरगामी और खुली सोच का परिचायक है। क्योंकि उन्होंने स्त्री शिक्षा की आवश्यकता पर उस समय बल दिया जब स्त्री शिक्षा को परिवार के लिए बाधक, अनर्थकारी तथा पाप माना जाता था। उन्होंने तर्क देकर स्त्री शिक्षा की आवश्यकता सिद्ध की पुराने समय की शिक्षा व्यवस्था आदि का उल्लेख करते हुए प्रमाणित किया कि उस समय भी शिक्षित स्त्रियाँ थीं। उन्होंने सिद्ध किया कि स्त्री शिक्षा समाज तथा परिवार के लिए हितकारी है।

 

प्रश्न 6. निम्नलिखित अनेकार्थी शब्दों को ऐसे वाक्यों में प्रयुक्त कीजिए जिनसे उनके एकाधिक अर्थ स्पष्ट हों चाल, दल, पत्र, हरा, पर, फल, कुल।

उत्तर- चाल– इस गाड़ी की चाल (गति) बहुत धीमी है।

  1. हम उसकी चाल (चालाकी) में नहीं आयेंगे, हम जानते हैं कि वह पूरा खिलाड़ी है।

दल– 1 वृक्ष की डाल पर लाल, हरे दल (पत्ते) लदे हैं।

  1. अच्छे दल (गुट) का नेता ही चुनाव जीतता है।

पत्र– 1 माताजी ने पत्र (चिट्ठी) का जवाब नहीं दिया है।

2 प्राचीन काल में भोज पत्र (पत्ते) पर लिखा करते थे।

हरा -1. इस वृक्ष के पत्तों का रंग हरा है।

  1. हमारे स्कूल की बॉलीबाल टीम ने विरोधी कॉलेज की टीम को हरा (पराजित) दिया।

 पर- 1 तुम कितना ही समझा लो पर (लेकिन) वह नहीं मानेगा।

2 इस चिड़िया के बहुत सुन्दर पर (पंख) है।

फल-1 मौसम के फल (वृक्षों पर लगने वाल) लाभदायक होते हैं।

2 परिश्रम का फल (नतीजा) मीठा ही होता है।

 

कुल-1 आज कुल (सब) कितने बच्चे उपस्थित है ?

  1. व्यक्ति के अच्छे कामों से कुल (वंश) की प्रतिष्ठा बढ़ती है।

 

16 नौबतखाने में इबादत

 

विशेष- कोविड परिस्थितियों के चलते यह पाठ वार्षिक /बोर्ड परीक्षा 2022 के लिए बोर्ड द्वारा पाठ्यक्रम में से हटा दिया गया है।

 

17 संस्कृति

 

प्रश्न 1. लेखक की दृष्टि में सभ्यता और संस्कृति की सही समझ अब तक क्यों नहीं बन पाई है ?

उत्तर- लोग सभ्यता’ और संस्कृति’ शब्दों का प्रयोग तो खूब करते हैं किन्तु इनके अर्थ समझ में नहीं आते हैं। इन शब्दों के साथ विशेषण लगने पर कुछ अर्थ समझ में आता तो है परन्तु वह गलत सलत ही होता है। जैसे भौतिक सभ्यता और आध्यात्मिक सभ्यता में भौतिक एवं आध्यात्मिक विशेषण लगने से इनके अर्थ और भी गड़बड़ा गए। यही कारण है कि सभ्यता’ और संस्कृति’ शब्दों की सही समझ अभी तक नहीं हो पाई है।

 

प्रश्न 2. आग की खोज एक बहुत बड़ी चीज क्यों मानी जाती है ? इस खोज के पीछे रही प्रेरणा के मुख्य स्रोत क्या रहे होंगे ?

उत्तर- आग की खोज सभ्यता की प्रारम्भिक खोजों में से एक है। जब रात में अंधेरा रहता था, जानवरों का खतरा बना रहता था। प्रकाश नहीं था। भूख मिटाने के साधन बहुत कम थे उस समय के मानव कच्चा खाना ही खाते होंगे। इन्हीं कारणों ने आग की खोज की प्रेरणा दी होगी। आग की खोज से प्रकाश मिल गया। जानवरों का भय मिट गया। खाना पकाकर खाया जाने लगा।

 

प्रश्न 3. वास्तविक अर्थों में संस्कृत व्यक्ति किसे कहा जा सकता है ?

उत्तर- अपने विवेक द्वारा जो व्यक्ति किसी नए तथ्य के दर्शन करता है, नयी खोज करता है, वही वास्तविक अर्थों में संस्कृत व्यक्ति है। वह व्यक्ति किसी-न-किसी उपयोगी आविष्कार के लिए प्रयत्न करता ही रहता है। उसकी सन्तान जिसे बिना किसी प्रयास के यह वस्तु प्राप्त हो गई वह सभ्य तो कहाँ जा सकती है किन्तु संस्कृत नहीं। वास्तविक संस्कृत तो आविष्कार करने वाला ही होता है।

 

प्रश्न 4. किन आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए सुई-धागे का आविष्कार हुआ होगा ?

उत्तर- प्रारम्भ में मनुष्य नंगा रहता था। उस समय तन ढकने के साधनों का कोई रूप नहीं था। इसलिए सर्दी-गर्मी आदि से बचने के लिए तन ढकने का उपाय करने की भावना ने सुई- धागे के आविष्कार के लिए

प्रेरित किया होगा। धूप, कोहरे, ठण्ड आदि से बचने के लिए चमड़े, पत्तों या कपड़े से तन ढकने के लिए वस्त्र सिलने के लिए सुई-धागे की खोज की होगी।

 

प्रश्न 5. आशय स्पष्ट कीजिए

(क) मानव की जो योग्यता उससे आत्मविनाश के साधनों का आविष्कार कराती है, हम उसे उसकी संस्कृति कहें या असंस्कृति ?

उत्तर- मनुष्य विभिन्न आविष्कार करता है। उनमें जो आविष्कार मनुष्य के लिए हितकारी व श्रेष्ठ हैं तथा स्थायी हैं, वे उसकी संस्कृति कहलायेंगे। अपनी योग्यता से यदि व्यक्ति आत्मविनाश वाले आविष्कार करता है तो वह निश्चय ही असंस्कृति की कोटि में आयेगा क्योंकि संस्कृति का उद्देश्य मानव कल्याण होता है।

 

प्रश्न 6. निम्नलिखित सामासिक पदों का विग्रह करके समास का भेद भी लिखिए गलत-सलत, महामानव, हिन्दू मुस्लिम, सप्तर्षि, आत्म-विनाश, पददलित, यथोचित, सुलोचना ।

महत्वपूर्ण वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर

बहु-विकल्पीय प्रश्न

 

  1. नेताजी की मूर्ति पर चश्मा कौन लगाता था ?

(क) कैप्टन चश्मे वाला,

(ख) पान वाला,

(ग) हालदार साहब,

(घ) चौराहे का व्यापारी।

 

  1. कस्बे के चौराहे पर किसकी प्रतिमा लगी थी ?

(क) महात्मा गांधी की,

 

(ख) सुभाषचन्द्र बोस की,

(ग) सरदार पटेल की,

(घ) लाल बहादुर शास्त्री की।

 

  1. बालगोबिन भगत ‘साहब’ किसे मानते थे ?

(क) तुलसी को,

(ख) सूर को,

(ग) कबीर को,

(घ) गुरुनानक को।

 

  1. बालगोबिन भगत गाते समय क्या बजाते थे ?

(क) ढपली,

(ख) ढोलक,

(ग) सारंगी,

(घ) खंजड़ी।

 

  1. फादर कामिल बुल्के भारत की राष्ट्रभाषा किसे चाहते थे ?

(क) हिन्दी को,

(ख) अंग्रेजी को,

(ग) उर्दू को,

(घ) संस्कृत को।

 

 

  1. फादर कामिल बुल्के ने किस विषय में उच्च शिक्षा प्राप्त की ?

(क) अंग्रेजी,

(ख) हिन्दी,

(ग) बंगला,

(घ) संस्कृत।

 

  1. लेखिका मन्नू भंडारी की साहित्यिक रुचि को किसने विस्तार दिया ?

(क) उनके पिता ने,

(ख) प्राध्यापिका शीला अग्रवाल ने,

(ग) उनकी माता ने.

(घ) उनके बड़े भाई ने।

 

  1. लेखिका मन्नू भंडारी के पिता का स्वभाव कैसा था ?

(क) शान्त तथा गम्भीर,

(ख) वाचाल तथा चंचल,

(ग) क्रोधी तथा शक्की,

(घ) सुस्त तथा कमजोर

 

  1. प्राचीन काल में स्त्रियों की बोलचाल की भाषा थी

(क) संस्कृत,

(ख) मराठी,

(ग) पाली,

(घ) प्राकृत

 

  1. स्त्री शिक्षा के बारे में महावीर प्रसाद द्विवेदी का मत था

(क) स्त्रियों को पढ़ाना चाहिए,

(ख) स्त्रियाँ पढ़कर गृह क्लेश का कारण बनती हैं,

(ग) स्त्रियों का पढ़ना अनर्थ है,

(घ) स्त्रियों को नहीं पढ़ाना चाहिए।

 

  1. प्रकाश की आवश्यकता तथा भूख ने किसका आविष्कार कराया ?

(क) सुई-धागे का.

(ख) आग का

(घ) सभ्यता का।

(ग) हथियारों का

 

  1. संस्कृति का सम्बन्ध होता है

(क) धन सम्पत्ति से

(ख) शिक्षा से,

(ग) मानव कल्याण से,

(घ) शक्ति के विकास से।

 

उत्तर- 1. (क), 2. (ख) 3. (ग), 4. (घ) 5. (क) 6. (ख), 7. (ख), 8. (ग) 9. (घ). 10 (क) 11. (ख) 12. (ग)

 

* रिक्त स्थानों की पूर्ति

  1. नेताजी की मूर्ति…………………………….की बनवाई गई थी।
  2. नेताजी की प्रतिमा……………………. ने बनाई थी।
  3. बालगोबिन भगत का बेटा……………………था।
  4. बालगोबिन भगत………………………..के पद गाया करते थे।
  5. फादर कामिल बुल्के संकल्प से…………………..थे।
  6. फादर कामिल बुल्के……………………….. को भारत की राष्ट्रभाषा बनाने के पक्षधर थे।
  7. शीला अग्रवाल……………………….की प्राध्यापिका थीं।
  8. मन्नू भंडारी के पिता रसोई को………………….कहते थे।
  9. स्त्रियों को पढ़ाने में कोई……………………..नहीं थे।
  10. पुराने जमाने में स्त्रियों के लिए…………………नहीं थे।
  11. आग के आविष्कार के पीछे……………………..रही होगी।
  12. सभ्यता……………………का परिणाम है।

उत्तर- 1. संगमरमर, 2. मास्टर मोतीलाल, 3. सुस्त तथा बोदा, 4. कबीर, 5. संन्यासी, 6. हिन्दी, 7. हिन्दी, 8. भटियारखाना, 9 अनर्थ 10. विश्वविद्यालय, 11. भूख और प्रकाश की आवश्यकता 12. संस्कृति।

 

सही जोड़ी मिलाइए

  1. ‘अ’
  2. नेताजी की प्रतिमा
  3. प्रतिमा बनाई थी
  4. बालगोबिन भगत
  5. प्रभातियाँ गाते थे
  6. जहरबाद
  7. फादर कामिल बुल्के का निधन

 

‘ब’

(क) मोतीलाल

(ख) कस्बे के चौराहे पर

(ग) कार्तिक से फाल्गुन तक

(घ) कबीरपथी

(ङ) दिल्ली में

(च) फादर कामिल बुल्के

 

उत्तर 1 (ख), 2. (क) 3. (घ) 4. (ग) 5. (च),6. (ङ)

 

  1. ‘अ’

 

  1. मन्नू भंडारी की माँ
  2. साहित्य में रुचि पैदा की
  3. स्त्री शिक्षा से
  4. शकुन्तला
  5. संस्कृति
  6. सर्दी-गर्मी में तन ढकने की खोज

 

‘ब’

(क) शीला अग्रवाल ने

(ख) बिना पढ़ी सरल महिला

(ग) दुष्यन्त

(घ) देश का गौरव बढ़ेगा

(ङ) सुई-धागे

(च) भदंत आनंद कौसल्यायन

 

 

उत्तर- 1. (ख) 2. (क) 3. (घ) 4. (ग) 5. (च) 6. (ङ) ।

 

: सत्य/असत्य

  1. पानवाला कॅप्टन चश्मेवाले का भाई था।
  2. नेताजी की मूर्ति कस्बे के चौराहे पर लगी थी।
  3. बालगोबिन भगत गृहस्थ नहीं थे।
  4. भगत अपनी खेती की पैदावार पहले कबीर मठ लेकर जाते थे।
  5. फादर हिन्दी को उतना नहीं चाहते थे जितना अंग्रेजी को।
  6. फादर की निकटता में ऐसा लगता था जैसे किसी देवदारू की छाया में खड़े हों।
  7. बहस करना लेखिका मन्नू भंडारी के पिताजी का शगल था।
  8. अपनों के विश्वासघात के कारण लेखिका के पिताजी का स्वभाव शक्की हो गया था।
  9. शकुन्तला से दुष्यन्त ने गंधर्व विवाह किया था।
  10. अत्रि की पत्नी धर्म पर व्याख्यान नहीं दे पाती थीं।
  11. मानव संस्कृति अविभाज्य है।
  12. सभ्यता तथा संस्कृति एक ही है।

 

उत्तर- 1. असत्य 2. सत्य 3. असत्य, 4. सत्य, 5. असत्य, 6. सत्य, 7. सत्य, 8. सत्य, 9. सत्य, 10. असत्य, 11. सत्य, 12. असत्य

 

: एक शब्द / वाक्य में उत्तर

 

  1. नेताजी की मूर्ति पर सरकंडे का चश्मा किसने लगाया होगा ?
  2. सुभाष चन्द्र बोस की मूर्ति कहाँ लगी थी ?
  3. बालगोबिन भगत किसके पद गाया करते थे
  4. बालगोबिन भगत ने बेटे की मृत्यु के बाद बहू को किसके साथ भेज दिया
  5. फादर कामिल बुल्के भारत की राष्ट्रभाषा किसे चाहते थे ?
  6. फादर कामिल बुल्कं का निधन किस बीमारी से हुआ था ?
  7. मन्नू भंडारी की साहित्यिक रुचि किसने विकसित कराई
  8. भारत किस वर्ष स्वतन्त्र हुआ था ?
  9. हिन्दू वेदों को किसकी रचना मानते हैं ?
  10. मंडन मिश्र की सहचारिणी ने शास्त्रार्थ में किसके छक्के छुड़ा दिए थे ?
  11. सभ्यता किसका परिणाम है ?
  12. मानव संस्कृति किस प्रकार की है ?

 

उत्तर- 1. किसी बच्चे ने 2. कस्बे के चौराहे पर 3. कबीर के 4. उसके भाई के साथ 5. हिन्दी को, 6. जहरबाद से, 7. शीला अग्रवाल ने, 8. सन् 1947 में, 9. ईश्वर की, 10. शंकराचार्य के, 11. संस्कृति के 12. अविभाज्य

 

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