अध्याय 9 पूरक पाठ्य पुस्तक : कृतिका – 2
1 माता का अँचल
– शिवपूजन सहाय
प्रश्न 1. प्रस्तुत पाठ के आधार पर यह कहा जा सकता है कि बच्चे का अपने पिता से अधिक जुड़ाव था, फिर भी विपदा के समय वह पिता के पास न जाकर माँ की शरण लेता है। आपकी समझ से इसकी क्या वजह हो सकती है ?
उत्तर- माँ की ममता जगत् विख्यात है। माँ अपने बच्चे को निर्मल, निश्छल प्यार करती है। इसीलिए बच्चा पिता से अधिक जुड़ाव रखने पर भी संकट के समय में पिता के पास न जाकर माँ के पास जाता है। माँ की शरण में वह स्वयं को पूरी तरह सुरक्षित समझता है। पिता उसे लेना चाहते हैं किन्तु वह माँ के आँचल में छिप जाता है। इसका कारण पिता की अपेक्षा माँ की अधिक ममता ही है।
प्रश्न 2. आपके विचार से भोलानाथ अपने साथियों को देखकर सिसकना क्यों भूल जाता है ?
उत्तर- खेलने में बच्चे की स्वाभाविक रुचि होती है। यदि उसे अपनी उम्र के बच्चे खेलते मिल जायें तो वह सब कुछ भूलकर खेल में रम जाता है। यही कारण है कि जो भोलानाथ अपने पिता की गोद में सिसक रहा था जब वह अपने साथी बच्चों को खेलता देखता है तो उसका मन खेलने को लालायित होता है। वह सिसकना बन्द करके खेलने के लिए उतर जाता है।
प्रश्न 3. भोलानाथ और उसके साथियों के खेल और खेलने की सामग्री आपके खेल और खेलने की सामग्री से किस प्रकार भिन्न है ?
उत्तर- समय के साथ खेल तथा खेल की सामग्री बदलती रहती है जो खेल और खेल की सामग्री उस – समय थी। उनसे भोलानाथ खेलते थे। किन्तु आज खेल भी बदल गए हैं तथा खेल की सामग्री भी बदल गई हैं। भोलानाथ पेड़ों पर, खेत में, वर्षा में, मिट्टी से पानी से, कनस्तर से, पत्थर से घर के सामान से खेलते थे। . दुकान लगाते, मिठाई बेचते, नाटक करते थे। किन्तु आज क्रिकेट, हॉकी, वीडियो गेम, कम्प्यूटर, मोबाइल गेम खेलने के साधन हो गए हैं।
प्रश्न 4. पाठ में आए ऐसे प्रसंगों का वर्णन कीजिए जो आपके दिल को छू गए हैं ?
उत्तर- इस पाठ के कई प्रसंग हृदय को छूने वाले हैं पिताजी को देखकर उसका लज्जित होना।
(1) पिताजी के रामायण पाठ के समय भोलानाथ बगल में बैठकर आइने में अपना मुँह देखते हैं तो
( 2 ) पिताजी का उसे कंधे पर बैठाकर ले जाना. पेड़ की डाल पर झूला झुलाना, कुश्ती में खुद शिथिल होकर बालक के मन को बढ़ाना आदि।
(3) बच्चों का मिठाई की दुकान लगाना, खेती करना, घर बनाना फिर उसे तोड़ देना, नाटक करना आदि सहज ही हृदय को छू जाते हैं।
(4) पानी भरने से साँप का निकलना, बच्चों का गिरते-पड़ते भागना तथा आकर माँ के आँचल में छिप जाना।
प्रश्न 5. यहाँ (पाठ में) माता-पिता का बच्चे के प्रति जो वात्सल्य व्यक्त हुआ है, उसे अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर- इस पाठ में माता-पिता का बच्चे के प्रति वात्सल्य कई प्रकार से व्यक्त हुआ है- भोर में जगाकर बच्चे को नहलाना, सजाना, तिलक लगाना, कंधे पर बैठाकर गंगा तक ले जाना, पेड़ की डाली पर झुलाना. अपने पास बैठाकर खाना खिलाना आदि पिता के वात्सल्य व्याव को व्यक्त करते हैं। बालों में तेल लगाना चोटी काढ़ना, कन्हैया बनाना तोता मैना कबूतर के नामों से दही-भात के गोले खिलाना आदि माँ के वात्सल्य भाव को प्रकट करता है। साँप के डर से काँपते धूल में सने भोलानाथ की धूल साफ करना, गोदो बिठाना आदि माँ की ममता का द्योतक है।
प्रश्न 6. ‘माता का अँचल’ शीर्षक की उपयुक्तता बताते हुए कोई अन्य शीर्षक सुझाइए।
उत्तर- इस पाठ का शीर्षक ‘माता का अँचल’ उपयुक्त है। अच्छे शोषक में होने वाली सभी विशेषताएँ इसमें हैं। यह शीर्षक छोटा है विषय का संकेत देता है, आकर्षक है, कौतूहल जगाता है। इसलिए यह उपयुक्त शीर्षक है। यदि इसका अन्य शीर्षक देना ही हो तो ‘माँ की ममता’ दिया जाना हिए।
प्रश्न 7. बच्चे माता-पिता के प्रति अपने प्रेम को कैसे अभिव्यक्त करते हैं ?
उत्तर- बच्चों का माता-पिता के प्रति होने वाला प्रेम विविध प्रकार से अभिव्यक्त होता है। बच्चे माता-पिता के साथ बात करके इनके गालों को चूमकर, उनके साथ खेलकर, उनके साथ घूमने जाकर. अटकन-बटकन खेलकर, कहानी सुनाकर, मीठे स्वर में गीत गाकर तथा तोतली भाषा में बातें करके माता-पिता के प्रति होने वाले अपने प्रेम को व्यक्त करते हैं। बच्चे माता पिता पर अपना अधिकार मानते हैं इसलिए वे अपनी हर माँग उन्हीं से करते हैं। अपनी इच्छाओं की पूर्ति भी उन्हीं से कराते हैं। इस प्रकार माँग में उनका विरोध नहीं प्रेम भाव होता है।
प्रश्न 8. इस पाठ में बच्चों की जो दुनिया रची गई है वह आपके बचपन की दुनिया में किस तरह भिन्न है ?
उत्तर- ‘माता का अँचल’ पाठ में जो दुनिया रची गई है वह आज से वर्षों पहले की ग्रामीण दुनिया है। इसमें देहाती सरलता, सहजता, पूजा-पाठ, खेलकूद, बारात दुल्हन, बाजार, दुकान, घरीदा इत्यादि सम्बन्धी वर्णन हैं जिन्हें भोलानाथ मन से चाहता था। उस समय माँ-बाप के पास समय था वे बच्चे के साथ खेल-कद करते थे। आज की दुनिया व्यस्त है। किसी के पास बच्चों को खिलाने का समय नहीं है। बदले समय में खेल भी क्रिकेट, हॉकी, टेनिस, बैडमिटन आदि खेले जाते हैं। दो-ढाई वर्ष का होते ही बच्चों को नसरी, प्रो-नसरी में दाखिल कर देते हैं। उसके कन्धे पर बस्ता लग जाता है। उसे वर्णमाला गिनती आदि रटाने लगते हैं। आज बच्चे के स्वाभाविक विकास के अवसर कम हो गए हैं। पढ़ाई की चिन्ता में वह खाना-पीना भूल जाता है। वस्तुत: आज की दुनिया उस समय की दुनिया से पूरी तरह अलग है।
2 जॉर्ज पंचम की नाक
– कमलेश्वर
प्रश्न 1. सरकारी तन्त्र में जॉर्ज पंचम की नाक लगाने को लेकर जो चिन्ता या बदहवासी दिखाई देती है वह उनकी किस मानसिकता को दर्शाती है ?
उत्तर- सरकारी तन्त्र में जॉर्ज पंचम की नाक लगाने को लेकर जो चिन्ता या बदहवासी दिखाई देती है वह उनकी हीन तथा गुलाम मानसिकता को दिखाती है। वे जॉर्ज पंचम की मूर्ति की नाक के लिए जितने परेशान
हैं वह उनकी गुलामी को मानसिकता को प्रकट करता है। भारत को गुलाम बनाने वालों के प्रति इस तरह का सम्मान दिखाना ठीक नहीं है।
प्रश्न 2. “और देखते ही देखते नयी दिल्ली का काया पलट हो गया”-नयी दिल्ली के काया पलट के लिए क्या-क्या प्रयत्न किए गए होंगे ?
उत्तर- नयी दिल्ली के काया पलट के लिए सफाई रंगाई पुताई, मरम्मत आदि कार्यों के साथ हो प्रकाश, यातायात, वृक्षारोपण आदि पर ध्यान दिया गया होगा। ऐसे देश की रानी दौरे पर आ रही थी जो विकसित तथा सम्पन्न देश है। वहाँ सफाई, स्वास्थ्य आदि पर ध्यान दिया जाता है। सड़कों का कूड़ा-करकट हटाया गया होगा, पेड़-पौधे ठीक किए गए होंगे। पानी का छिड़काव किया गया होगा। सड़कों के पास के भवनों की रंगाई-पुताई का कार्य कराया होगा। सरकारी भवनों, स्मारकों को संभाला गया होगा। जिस मार्ग से रानी को जाना होगा उस पर अधिक ध्यान दिया गया होगा।
प्रश्न 3. जॉर्ज पंचम की लाट की नाक को पुनः लगाने के लिए मूर्तिकार ने क्या-क्या यत्न किए ?
उत्तर- जॉर्ज पंचम की लाट की नाक लगाने के लिए मूर्तिकार ने विभिन्न प्रयत्न किए। सरकारी अधिकारियों की चिन्ता समझते हुए उसने सबसे पहले नाक वाला पत्थर खोजने की कोशिश की। उसमें असफल रहने पर किसी अन्य मूर्ति से नाक लाकर लगाने की सोची। इसमें भी वह सफल नहीं हुआ क्योंकि सभी मूर्तियों की नाक इससे बड़ी थी। अंत में उसने किसी जीवित आम आदमी की नाक काटकर मूर्ति पर लगा दी। वह नाक पत्थर की नहीं लगती है, यह बात अखवारों ने छाप भी दी।
प्रश्न 4. नाक मान-सम्मान और प्रतिष्ठा का द्योतक है। यह बात पूरी व्यंग्य रचना में किस तरह उभरकर आई है ? लिखिए।
उत्तर- नाक मान-सम्मान तथा प्रतिष्ठा से जुड़ी है ‘नाक काटने’ का अर्थ बेइज्जती है। प्रतिष्ठा की प्रतीक जॉर्ज पंचम की मूर्ति की नाक कटना स्वयं व्यग्य है। यही व्यंग्य पत्थर की तलाश ने है। भारत की मूर्तियों की नाक मूर्ति की टूटी नाक से बड़ी है यह भी करारा व्यंग्य है। अंत में भारत के आदमी की नाक मूर्ति पर फिट बैठती है। इसमें भी व्यंग्य है कि भारत के आम आदमी के समान हो जॉर्ज पंचम की प्रतिष्ठा है। नाक लगाने के प्रयासों के क्रम ने व्यंग्य की चोट बहुत गहरी कर दी है।
प्रश्न 5. जॉर्ज पंचम की लाट पर किसी भी भारतीय नेता, यहाँ तक कि भारतीय बच्चे की नाक फिट न होने की बात से लेखक किस ओर संकेत करना चाहता है ?
उत्तर- जॉर्ज पंचम का चरित्र लुटेरों तथा स्वार्थियों का सा था। वह भारत को लूटकर इंग्लैण्ड पहुँचाने में लगा रहा। ऐसे व्यक्ति के प्रति स्वाभाविक मान-सम्मान का भाव नहीं होता है। लेखक की दृष्टि में वह गिरा हुआ चरित्र था। इसीलिए उसकी नाक (प्रतिष्ठा) सबसे छोटी तथा नीची थी भारत के नेताओं की नाक उससे बड़ी थी। यहाँ तक कि भारत के देशभक्त बच्चों से भी उसकी नाक (प्रतिष्ठा) छोटी थी लेखक जॉर्ज पंचम की नाक को सबसे छोटी दिखाकर उसकी होनता तथा धूर्तता को उभारना चाहता है। वह बताना चाहता है कि भारत का छोटा सा बच्चा भी उससे घृणा करता था।
प्रश्न 6. अखबारों ने नाक लगाने की खबर को किस तरह से प्रस्तुत किया ?
उत्तर- अखबारों ने खबरें छाप कि जॉर्ज पंचम के जिन्दा नाक लगाई गई है, यानी ऐसी नाक जो कतई पत्थर की नहीं लगती। उन्होंने इस पर अपनी कोई प्रतिक्रिया नहीं लिखी। उन्होंने नहीं लिखा कि जिन्दा नाक काटना भारतीय जनता का अपमान था और सरकारी अफसरों की हीन मानसिकता का प्रतीक। वास्तव में, अखबारों को करारी प्रतिक्रिया देनी चाहिए थी।
प्रश्न 7. “नयी दिल्ली में सब था सिर्फ नाक नहीं थी।” इस कथन के माध्यम से लेखक क्या कहना चाहता है ?
उत्तर- “नयी दिल्ली में सब था सिर्फ नाक नहीं थी” के द्वारा लेखक बताना चाहते हैं कि स्वतन्त्र होने के बाद भी भारत की नयी दिल्ली की सरकार तथा उसके अधिकारी गुलामी की मानसिकता से मुक्त नहीं हो पाए हैं उन्हें अब महारानी अपनी शासक लगती है। उसके द्वारा भेजा गया लुटेरा जॉर्ज पंचम था जिसके मूर्ति की नाक कट गई है इसमें अधिकारियों को लगता है कि नाक नहीं लगी तो उनकी नाक कट जाएगी। लेखक ने इसी हीन प्रवृत्ति पर प्रहार किया है।
प्रश्न 8. जॉर्ज पंचम की नाक लगने वाली खबर के दिन अखबार चुप क्यों पड़ गए थे ? उत्तर- जॉर्ज पंचम की नाक लगने वाली खबर के दिन अखबार इसलिए चुप थे कि उनकी जिन्दा आदमी की नाक जॉर्ज पंचम की मूर्ति पर लगाना अच्छा नहीं लगा। उन्होंने इसे भारतीय जनता के अपमान के रूप में लिया। इसीलिए विरोधस्वरूप उस दिन न कोई उद्घाटन हुआ. न कोई अभिनन्दन हुआ और न कोई सार्वजनिक सभा हुई। सभी अखबार खाली थे। उन्होंने ऐसा करके अपना रोष प्रकट किया।
3 साना साना हाथ जोड़ि
– मधु कांकरिया
विशेष- कोविड परिस्थितियों के चलते यह पाठ वार्षिक/ बोर्ड परीक्षा 2022 के लिए बोर्ड द्वारा पाठ्यक्रम में से हटा दिया गया है।
4.एही ढैयाँ झुलनी हेरानी हो रामा !
– शिवप्रसाद मिश्र ‘रुद्र’
विशेष- कोविड परिस्थितियों के चलते यह पाठ वार्षिक / बोर्ड परीक्षा 2022 के लिए बोर्ड द्वारा पाठ्यक्रम में से हटा दिया गया है।
5 मैं क्यों लिखता हूँ ?
– अज्ञेय
प्रश्न 1. लेखक के अनुसार प्रत्यक्ष अनुभव की अपेक्षा अनुभूति उनके लेखन में कहीं अधिक मदद करती है, क्यों ?
उत्तर प्रत्यक्ष अनुभव को घटित होते देखा जाता है। अनुभूति संवेदना तथा कल्पना के सहयोग से उस घटित सत्य को आत्मसात् कर लेती है जो लेखक के सामने घटित नहीं हुआ होता है। ऐसी स्थिति में अनुभूति द्वारा आँखों के समक्ष न आया हुआ सत्य भी प्रत्यक्ष हो जाता है। इसके बाद अन्दर की अनुभूति लेखक को लिखने के लिए मजबूर कर देती है। अनुभूति ही भावों को शब्दों का रूप देती है। इस प्रकार अनुभव की अपेक्षा अनुभूति लेखन में अधिक सहयोगी होती है।
प्रश्न 2. लेखक ने अपने आपको हिरोशिमा के विस्फोट का भोक्ता कब और किस तरह महसूस किया ?
उत्तर- अखबारों को खबरों से लेखक को हिरोशिमा के बम विस्फोट की जानकारी तो मिल गई थी। वे स्वयं जापान गए। वहाँ जाकर घायलों को अस्पतालों में देखा फिर भी उन्हें बम विस्फोट की भयंकरता को अनुभूति नहीं हुई। किन्तु सड़क पर घूमते हुए जब उन्होंने एक जले हुए पत्थर को देखा जिस पर एक व्यक्ति के जलने की उजली छाया थी तब उन्हें अनुभव हुआ कि बम विस्फोट के समय कोई आदमी यहाँ खड़ा रहा होगा। उन्होंने अनुमान लगाया कि बम विस्फोट से वह तो भाप बनकर उड़ गया होगा पर उसकी छाया पत्थर पर अंकित हो गई। इस अनुभूति ने उनके हृदय को झकझोर दिया। तब ही इन्हें बम विस्फोट की भयंकरता का आभास
प्रश्न 3. कुछ रचनाकारों के लिए आत्मानुभूति/स्वयं के अनुभव के साथ-साथ बाह्य दबाव भी महत्त्वपूर्ण होता है। ये बाह्य दबाव कौन-कौन से हो सकते हैं ?
उत्तर- सामान्यतया रचनाकार आन्तरिक मजबूरी से छुटकारा पाने के लिए लिखते हैं किन्तु कुछ रचनाकारों पर अपनी स्वयं की अनुभूति के साथ-साथ बाहर के दबाव भी होते हैं जो बड़े महत्त्वपूर्ण होते हैं। संपादक से लिखने को आग्रह करना, प्रकाशक का बार-बार लिखने को तकाजा करना, आर्थिक आवश्यकताओं
का होना अथवा किसी विशेष विषय पर लिखने की जरूरत होना आदि बाह्य दबाव है जो लेखक को लिखने के लिए विवश करते हैं।
प्रश्न 4. क्या बाह्य दबाव केवल लेखन से जुड़े रचनाकारों को ही प्रभावित करते हैं या अन्य क्षेत्रों से जुड़े कलाकारों को भी प्रभावित करते हैं, कैसे ?
उत्तर-बाहरी दबाव लेखकों को ही नहीं अन्य कलाकारों को भी प्रभावित करते हैं। रचनाकार या कलाकार अपनी अनुभूति से प्रेरित होकर लिखता या कला का प्रदर्शन करता है किन्तु उनके भी कभी-कभी बाह्य दबाव होते हैं जिनका प्रभाव उन पर पड़ता ही है। जैसे सिनेमा के कलाकारों मंच के कलाकारों पर दर्शकों की माँग निर्माता निर्देशक आदि के दबाव में काम करना पड़ता है। दर्शकों श्रोताओं के साथ अपनी प्रसिद्धि का दबाव भी कलाकारों पर बना ही रहता है।
प्रश्न 5. हिरोशिमा की घटना विज्ञान का भयंकरतम दुरुपयोग है। आपकी दृष्टि में विज्ञान का दुरुपयोग कहाँ तक और किस तरह हो रहा है ?
उत्तर- विज्ञान ने मानव को अनेक सुख-साधन दिए हैं. उसका जीवन सरल बनाया है। किन्तु यह अत्यन्त दुःख की बात है कि वैज्ञानिक संसाधनों का घातक दुरुपयोग भी हो रहा है। आतंकवाद इसी का नतीजा है। शक्तिशाली देश छोटे देशों पर दबाव बनाते हैं। मानव अंगों की तस्करी भ्रूण हत्या आदि में विज्ञान का दुरुपयोग हो रहा है। कम्प्यूटर, इंटरनेट, मोबाइल आदि का अपराधी खुलकर दुरुपयोग कर रहे है। कीटनाशक दवाओं, लाउडस्पीकरों, रासायनिक खादों का दुरुपयोग घातक सिद्ध हो रहा है। जैविक हथियारों का खतरा सिर पर मंडरा रहा है।
प्रश्न 6. एक संवेदनशील युवा नागरिक की हैसियत से विज्ञान का दुरुपयोग रोकने में आपकी क्या भूमिका है ?
उत्तर- एक जिम्मेदार युवा नागरिक होने के कारण विज्ञान का दुरुपयोग रोकने में हमारी महत्त्वपूर्ण भूमिका है-
(1) अपने घर तथा आस-पास वैज्ञानिक दुरुपयोगों को रोकते हैं। बिजली बचाना, कीटनाशकों का प्रयोग न करना, वाहनों का सदुपयोग करना आदि।
(2) विज्ञान के कम्प्यूटर, इंटरनेट, मोबाइल आदि के दुरुपयोग के प्रति लोगों को जागरूक करना महत्त्वपूर्ण कार्य है।
(3) जल, वायु, ध्वनि आदि प्रदूषण न करना तथा अन्य को रोकना
(4) चिकित्सा या अन्य प्रकार के अपराधों की जानकारी पुलिस आदि को देना।
(5) विज्ञान के दुरुपयोग के बारे में चेतावनी देने के लिए शिविर लगाते हैं।
महत्वपूर्ण वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर
- बहु-विकल्पीय प्रश्न
- भोलानाथ का वास्तविक नाम क्या था ?
(क) तारकेश्वर नाथ,
(ख) दामोदर प्रसाद
(ग) राजेश कुमार,
(घ) शिवप्रसाद
- भोलानाथ किसे देखकर सिसकना भूल गए ?
(क) अपनी माँ को.
(ख) अपने साथी बच्चों को खेलते हुए,
(ग) अपने पिताजी को.
(घ) अपने भाई को
- साँप के डर से घबराते भोलानाथ कहाँ जाकर छिपे ?
(क) पिता की गोदी में,
(ख) घर के कोने में,
(ग) माँ के आँचल में,
(घ) बाबा की रजाई में।
- जॉर्ज पंचम की मूर्ति की कटी नाक लगवाने किसे बुलाया गया ?
(क) चित्रकार को,
(ख) मिस्त्री को,
(ग) ठेकेदार को,
(घ) मूर्तिकार को।
- भारत के दौरे पर कौन आ रही थी ?
(क) राजी एलिजाबेथ द्वितीय,
(ख) राजकुमारी हैलन,
(ग) राजकुमारी डायना,
(घ) एनी क्रिस्टल
- नाक किसकी प्रतीक मानी जाती है ?
(क) धनवान होने की
(ख) प्रतिष्ठा, मान-सम्मान की,
(ग) शक्तिशाली होने की,
(घ) नेतागीरी की।
- अज्ञेय ने ‘हिरोशिमा’ कविता कहाँ बैठकर लिखी थी ?
(क) जहाज में,
(ख) घर के कमरे में,
(ग) रेलगाड़ी में
(घ) होटल में।
- ‘मैं क्यों लिखता हूँ’ के लेखक का क्या नाम है ?
(क) शिवपूजन सहाय,
(ख) कमलेश्वर,
(ग) शिवप्रसाद मिश्र,
(घ) अज्ञेय
- लेखक को ‘हिरोशिमा’ कविता लिखने की प्रेरणा किससे मिली ?
(क) पत्थर पर उभरी मानव छाया को देखकर,
(ख) घायल लोगों को देखकर,
(ग) अखवारों में समाचार पढ़कर,
(घ) एक जापानी से बात करने से।
उत्तर- 1. (क) 2. (ख) 3. (ग), 4. (घ) 5. (क) 6. (ख) 7. (ग) 8. (घ), 9. (क) ।
* रिक्त स्थानों की पूर्ति
- भोलानाथ का असली नाम………………… था।
- कुश्ती में पिताजी ……………………को बढ़ावा देते थे।
- साँप को देखते ही…………………………..गिरते-पड़ते रोते-चिल्लाते भाग चले।
- जॉज पचम की मूर्ति पर……………………….. नहीं थी।
- रानी एलिजाबेध………………………………पधारने वाली थीं।
- देखते देखते दिल्ली का……………………………होने लगा।
- अज्ञेय ने जापान में घूमते हुए एक जले पत्थर पर एक………………………….छाया देखी।
- अज्ञेय ने हिरोशिमा कविता……………………..में बैठे-बैठे लिखी।
- कभी-कभी लेखक…………………….दबावों से भी लिखता है।
उत्तर- 1. तारकेश्वर नाथ, 2. बेटे भोलानाथ, 3. बच्चे, 4. नाक, 5. द्वितीय हिन्दुस्तान 6. कायापलट 7. मानव को उजली, 8. रेलगाड़ी 9 बाहरी।
सत्य / असत्य
- भोलानाथ पिताजी के साथ ज्यादा रहता था।
- मूसन तिवारी को भोलानाथ ने चिढ़ाना शुरू किया था।
- मइया ने हल्दी पीसकर भोलानाथ के घावों पर थोपी।
- जॉर्ज पंचम की नाक के लिए पहरेदार तैनात थे।
- मूर्तिकार को नाक का पत्थर पहाड़ों पर मिल गया।
- जॉर्ज पंचम की मूर्ति पर जिन्दा नाक लगा दी गई।
- ‘हिरोशिमा’ कविता पर हिरोशिमा में हुए विस्फोट का प्रभाव है।
- लेखक की प्रत्येक रचना श्रेष्ठ होती है।
- ‘मैं क्यों लिखता हूँ’ अज्ञेय की रचना है।
उत्तर – 1. सत्य, 2. असत्य, 3. सत्य, 4. सत्य, 5. असत्य 6. सत्य, 7. सत्य 8. असत्य 9. सत्य ।
- सही जोड़ी मिलाइए
1.
‘अ’
- आटे की गोलियाँ
- शैतान बच्चा
- रामजी की चिरई
- जॉर्ज पंचम की मूर्ति की
- दिल्ली में सब कुछ था
“ब”
(क) बैजू
(ख) मछलियों के लिए
(ग) नाक नहीं थी
(घ) रामजी का खेत
(ङ) नाक नहीं थी
उत्तर- 1.→ (ख), 2. (क) 3. (घ) 4 (ङ) 5. (ग) ।
“अ’
II.
- ऐसी क्या चीज है
- हिरोशिमा
- अज्ञेय को
- ‘हिरोशिमा’ कविता
- मैं क्यों लिखता हूँ
‘ब’
(क) अणु बम विस्फोट
(ख) जो हिन्दुस्तान में नहीं मिलती
(ग) अज्ञेय
(घ) एक पत्थर पर मानव छाया दिखी
(ङ) रेलगाड़ी में लिखी गई
उत्तर – 1. (ख) 2. (क) 3. → (घ) 4. (ङ) 5. (ग)।
: एक शब्द / वाक्य में उत्तर
- बच्चों को कौन-सी शरारत महँगी पड़ी ?
- भोलानाथ सिसकना क्यों भूल गए ?
- ‘माता का अँचल’ में कहाँ की संस्कृति का अंकन हुआ है ?
- नाक किसकी द्योतक होती है ?
- जॉर्ज पंचम की मूर्ति कहाँ लगी थी ?
- नाक लगवाने के लिए किसे बुलाया गया
- अज्ञेय के अनुसार कौन-सी बातें लिखने की प्रेरणा देती हैं ?
- अज्ञेय ने जापान में हुए बम विस्फोट पर कौन-सी कविता लिखी है ?
- हिरोशिमा किस देश में है ?
उत्तर – 1. चूहे के बिल में पानी डालना, 2. साथी बच्चों को खेलता देखकर 3. देहाती संस्कृति का 4. मान-सम्मान की 5. दिल्ली में इंडिया गेट के सामने 6 मूर्तिकार को 7. आभ्यतर विवशता तथा बाहरी दबाव, 8. ‘हिरोशिमा’ 9. जापानमें
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