भाषा बोध ncert class 10th hindi imp questions

अध्याय 10 भाषा बोध

 

1 निपात शब्द

 

प्रश्न 1. निपात किसे कहते हैं? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- निपात- वे अव्यय जो किसी शब्द या पद के बाद लगकर उसके अर्थ में विशेष बल देते हैं, निपात कहलाते हैं। जैसे-रमेश केवल पढ़ रहा है मैंने उसे देखा तक नहीं राम तो गया: मानव मात्र राम भी गया था: तुम ही नहीं आए आपको ही जाना होगा।

 

प्रश्न 2. महत्वपूर्ण निपात शब्दों का वाक्य प्रयोग कीजिए।

उत्तर- निपात शब्द- महत्वपूर्ण निपात शब्द निम्नांकित है

(i) मात्र नाममात्र, मानवमात्र शिक्षामात्र, धनमात्र

(ii) तक- आपने फोन तक नहीं किया; तुम घर तक नहीं आ सके; दीपावली तक भुगतान करना है; बेटी के विवाह तक में आना नहीं हुआ। खाना खाकर दूध भी

(iii) भी राम भी आया था, तुम पढ़ोगे भी हम भी आये थे, वह भी जाएगा; तुम पीओगे में वहाँ गयी थी और काम भी नहीं बना।

(iv) ही-राम वहाँ जाता ही है, श्याम ही आया था; में पढ़ता ही तो हूँ, नेता ही बोल रहा था, आप मेरे पास ही क्यों आते हो तुम ही जाते हो।

(v) तो मोहन तो आया था राम तो सो रहा है, उनको आने तो दो; हम तो गए थे; तुम तो आये थे श्याम मेरे पास तो आता है।

(vi) भर-वह रातभर जागता रहा, तुम्हें दिनभर काम करना पड़ेगा घण्टेभर की बात है; वह दिनभर

पड़ा रहा है।

(vii) न-पुस्तक अच्छी है नः तुम इस काम को कर दोगे न; मेरा काम बन जाएगा न उसने अपना उल्लू सीधा कर लिया न

(viii) जी- आप कुछ सोच रहे हैं जी, तुम्हें यह कार्य करना है जी

(ix) नहीं-गलत काम कभी नहीं करें तुम काम नहीं करोगे वह काम नहीं बना।

(x) ठीक-गाड़ी ठीक समय पर चल दो, राम ने ठीक काम किया।

 

प्रश्न 3. तीन निपात शब्द लिखिए।

उत्तर-‘जी’, ‘जी हाँ’, ‘भी’ तीन निपात शब्द है।

 

प्रश्न 4. ‘भी’, ‘ही’ तथा ‘भर’ निपात शब्दों का प्रयोग करते हुए वाक्य बनाइए।

उत्तर- भी- मोहन भी आज आ रहा है।

ही- तुमको पाठ पढ़ना ही होगा।

भर-वह जीवन भर संघर्ष करता रहा।

 

प्रश्न 5. ‘सिर्फ’, ‘जी’ तथा ‘लगभग’ निपात शब्दों का वाक्य-प्रयोग कीजिए। उत्तर- सिर्फ यहाँ आने का साधन सिर्फ रेलगाड़ी है।

जी- पिता जी सकुशल रह रहे हैं।

लगभग- मेरे गाँव की आबादी लगभग चार हजार है।

प्रश्न 6. “सोहन नहीं आने वाला है।” इस वाक्य में निपात छाँटिए । उत्तर- इस वाक्य में नहीं निपात शब्द है।

 

2 वाच्य

प्रश्न 1. वाच्य का अर्थ बताते हुए समझाइए कि वाच्य किसे कहते हैं ?

उत्तर- वाच्य वाच्य का अर्थ ‘क्रिया का रूप’ होता है। बोले जाने वाले प्रत्येक शब्द का कोई न कोई रूप अवश्य होता है। क्रिया नये-नये रूप धारण करती है। वह कभी कर्ता के अनुसार अपना रूप बदलती है। कभी कर्म के अनुसार कभी-कभी तो वह इन दोनों से अलग रूप बनाती है। क्रिया का यही रूप परिवर्तन वाच्य कहलाता है।

 

प्रश्न 2. वाच्य के कितने प्रकार होते हैं ? समझाइए।

उत्तर- वाच्य के प्रकार क्रिया तीन प्रकार से अपना रूप बदलती है। इस आधार पर वाच्य के तीन

प्रकार होते हैं

(1) कर्तृ वाच्य,

(2) कर्मवाच्य

(3) भाव वाच्य

(1) कर्तृवाच्य- कर्तृवाच्य का अर्थ है, क्रिया का कर्ता के अनुसार रूप परिवर्तन। उदाहरण-1 मोहन पढ़ता है। 2. राधा पढ़ती है।

  1. लड़के लिखते हैं।

4 लड़कियाँ लिखती हैं।

  1. पत्र लिखा गया।
  2. चिट्ठी लिखी गयी।

इन सभी वाक्यों की क्रियाएँ कर्ता के लिंग, वचन तथा पुरुष से प्रभावित हैं।

(2) कर्मवाच्य – कर्मवाच्य का अर्थ है क्रिया का कर्म के अनुसार रूप परिवर्तन।

उदाहरण-1

श्याम ने रोटी खायी।

  1. राधा ने मक्खन खाया।
  2. तुमने एक सेब खाया।

4 तुमने चार सेब खाये।

  1. शीला से रोटी नहीं खायी जाती। 6 शीला से भात नहीं खाया जाता।

इन सभी वाक्यों में क्रियाएँ कर्म के लिंग तथा वचन के अनुसार हैं। ये क्रियाएँ कर्म के अधीन हैं। ये

कर्म से स्वतंत्र होकर रूप परिवर्तन नहीं कर सकती हैं।

(3) भाव वाच्य – भाव वाच्य का अर्थ होता है भावरूप या मूलरूप अर्थात् एक वचन पुल्लिंग रूप क्रिया के जिस रूप में न तो कर्ता की प्रधानता हो और न कर्म की मात्र क्रिया का भाव प्रधान हो वहाँ भाववाच्य होता है।

उदाहरण- 1 गिरीश से चला नहीं जाता।

  1. तुमसे नहीं उठा जाता।
  2. शीला से नहीं देखा जाता।
  3. दीपक से नहीं भागा जाता।

5 रमा से नहीं पढ़ा जाता।

6 मुझसे शोर में नहीं सोया जाता। इन वाक्यों में उठा जाता, देखा जाता, भागा जाता, पढ़ा जाता तथा सोया

 

प्रश्न 3. निम्नलिखित कर्तृवाच्य को कर्मवाच्य में बदलिए

  1. वह पुस्तक पढ़ रहा है।
  2. रंजना गाना गाएगी।
  3. राम खाना लाएगा।

उत्तर-1.उसके द्वारा पुस्तक पढ़ी जा रही है।

  1. रंजना से गाना गाया जाएगा।
  2. राम द्वारा खाना लाया जाएगा।

 

प्रश्न 4. निम्नलिखित कर्तृवाच्य को भाववाच्य में बदलिए

  1. श्याम तेज दौड़ता है।
  2. भारती नहीं पढ़ती।
  3. मैं हँसता हूँ।

उत्तर- 1 श्याम से तेज दौड़ा जाता है।

  1. भारती से नहीं पढ़ा जाता।
  2. मुझसे हँसा जाता है।

 

प्रश्न 5. कर्मवाच्य को कर्तृवाच्य में परिवर्तित कीजिए

  1. मेरे द्वारा पुस्तक पढ़ी जा रही है।
  2. राम से फूल तोड़े जाएँगे। से
  3. गीता द्वारा दही लाई जाएगी।

उत्तर-1. मैं पुस्तक पढ़ रहा हूँ।

2 राम फूल तोड़ेगा।

  1. गीता दही लाएगी।

 

प्रश्न 6. निम्नलिखित में निर्देशानुसार वाच्य बदलिए

  1. शिवचरण से पाठ पढ़ा जाएगा।(कर्तृवाच्य)
  2. मोहन खूब सोया।(भाववाच्य)
  3. शिक्षक ने हिन्दी की परीक्षा ली।(कर्मवाच्य)

उत्तर-1 शिवचरण पाठ पढ़ेगा।

2 मोहन से खूब सोया गया।

  1. शिक्षक द्वारा हिन्दी की परीक्षा ली गई।

 

प्रश्न 7. निम्नलिखित में निर्देश के अनुसार वाच्य बदलिए

  1. तुलसीदास ने रामचरितमानस की रचना की। (कर्मवाच्य)
  2. आओ घर चलें।(भाववाच्य)

उत्तर- 1 तुलसीदास द्वारा रामचरितमानस की रचना की गई।

  1. आओ घर चला जाए।

 

3.क्रिया के भेद

 

प्रश्न 1. क्रिया की परिभाषा लिखिए।

उत्तर-क्रिया की परिभाषा- क्रिया का अर्थ काम करना या होना होता है। अतः जिन शब्दों से किसी कार्य के करने या होने का बोध होता है, वे क्रिया शब्द कहलाते हैं। जैसे-पढ़ना, लिखना, हँसना, जागना, सोना, उठना बैठना, दौड़ना, खाना पीना आना जाना आदि।

 

 

प्रश्न 2. क्रिया के मुख्यतः कितने भेद होते हैं ?

उत्तर- क्रिया के भेद क्रिया के मुख्यतया निम्नलिखित भेद होते हैं-

(1) अकर्मक क्रिया-जिस क्रिया का सीधा सम्बन्ध कर्ता से होता है, वह अकर्मक क्रिया होती है। अकर्मक क्रिया को वाक्य में कर्म की आवश्यकता नहीं होती है। जैसे-वह जाता है; तुम जागते हो वह सोती है: राम दौड़ता है; मोहन आता है मैं गाता हूँ वह चला हम बैठे तुम उठे।

(2) सकर्मक क्रिया-जिस क्रिया का प्रभाव कम पर पड़ता है, वह सकर्मक क्रिया कही जाती है। वाक्य में कर्म के बिना इसका अर्थ पूरा नहीं हो सकता है। जैसे-वह रोटी खाता है; मैं पत्र लिखता हूँ, राधा पुस्तक पढ़ती है; वह चित्र देखता है; राकेश ने शत्रु को पीटा; तुमने वृक्ष काटा; मैंने गीत गाया; तुमने लाठी मारी। (3) द्विकर्मक क्रिया-जिस क्रिया के साथ वाक्य में दो कम आते हैं. वह द्विकर्मक क्रिया कहलाती है। जैसे-माँ ने बच्चे को दूध पिलाया: राम ने श्याम से एक बात कही, राधा ने मोहन से एक प्रश्न पूछा मैं राकेश को पुस्तक देता हूँ उसने अपने मित्र से एक बात कही रीता ने सीता को एक फल दिया, सोहन ने रोहन को कलम दी। इन सभी वाक्यों में दो कर्म आए हैं इसलिए इन वाक्यों की क्रिया द्विकर्मक कहलाएगी।

(4) प्रेरणार्थक क्रिया-वाक्य में कर्ता स्वय किसी काम को न करके किसी अन्य को क्रिया करने को प्रेरणा देकर उससे काम कराये तो वह प्रेरणार्थक क्रिया कही जाती है। जैसे-मोहन ने मजदूरों से घर बनवाया है; किसान ने नौकर से खेत कटवाया उसने बैंक से कर्ज दिलवाया/ दिलाया: राजीव ने गुण्डों से पड़ौसी को पिटवाया। इन वाक्यों में प्रयोग की गई बनवाया कटवाया दिलवाया दिलाया, पिटवाया क्रियाएँ प्रेरणार्थक हैं।

(5) अपूर्ण क्रिया- जिन अकमक या सकर्मक क्रियाओं को भाव की पूर्णता के लिए विधेयात्मक (सामान्यतः संज्ञा अथवा सर्वनाम) शब्द की आवश्यकता पड़ती है, वे अपूर्ण क्रियाएँ कहलाती हैं। जैसे-राम चतुर है; वह एक लड़की है उसका बेटा अनुपस्थित है, रामेश्वर ने बनवारी को मित्र बनाया। इन वाक्यों में ‘चतुर’, ‘लड़की’, ‘अनुपस्थित’ तथा ‘मित्र’ कर्म न होकर विधेय में प्रयुक्त होने वाले पूरक शब्द है।

(6) संयुक्त क्रिया – मुख्य क्रिया तथा सहायक क्रिया के मेल से बनने वाली क्रियाएँ संयुक्त क्रिया कहीं जाती है। संयुक्त क्रियाएँ इन क्रियाओं के मेल से बनाई जाती हैं जाना होना सकना डालना, लेना बैठना देना, उठना, आना करना, देना पड़ना पाना, चाहना, चुकना चलना जैसे पहुँच जाना कर सकना तोड़ डालना, कर लेना, उठ बैठना, मेज देना, देख सकना, उछल पड़ना, सो जाना, खा लेना रो पड़ना।

 

प्रश्न 3. क्रिया किसे कहते हैं ? उदाहरण सहित बताइए।

उत्तर- जिन शब्दों से कार्य के करने या होने का बोध होता है, वे शब्द क्रिया कहलाते हैं। उदाहरण- जगना, रोना पीना, लिखना।

 

प्रश्न 4. अकर्मक क्रिया तथा सकर्मक क्रिया में क्या अन्तर है ? स्पष्ट कीजिए। उत्तर- अकर्मक क्रिया को वाक्य में कर्म की आवश्यकता नहीं होती है जबकि वाक्य में कर्म के बिना सकर्मक क्रिया का अर्थ पूरा नहीं होता है।

 

प्रश्न 5. प्रेरणार्थक क्रियाओं का प्रयोग करते हुए दो वाक्य लिखिए।

उत्तर- (1) मालिक ने नौकरों से सामान उठवाया।

(2) शिक्षक ने विद्यार्थी से लेख लिखवाया।

 

प्रश्न 6. जिन वाक्यों में दो कर्म आते हैं उनकी क्रिया क्या कहलाती है ?

उत्तर- द्विकर्मक क्रिया

 

प्रश्न 7. संयुक्त क्रिया के दो उदाहरण लिखिए।

उत्तर-(1) सो जाना (2) बोल पड़ना।

 

4.क्रिया-विशेषण

प्रश्न 1. क्रिया-विशेषण किसे कहते हैं ? उदाहरण सहित लिखिए।

उत्तर- परिभाषा – क्रिया की विशेषता का बोध कराने वाले शब्द क्रिया विशेषण कहलाते हैं।

उदाहरण- 1. वह धीरे-धीरे चला।

  1. राम यहाँ आया।
  2. वह ऊपर गया था।
  3. श्याम कल आया।

इन वाक्यों में धीरे-धीरे यहाँ, ऊपर तथा कल क्रिया विशेषण है।

 

प्रश्न 2. क्रिया-विशेषण के कितने प्रकार होते हैं ?

उत्तर- क्रिया विशेषण के भेद (प्रकार) -क्रिया विशेषण के चार प्रकार होते हैं

(1) कालवाचक

(2) स्थानवाचक

(3) रीतिवाचक

(4) परिमाणवाचक ।

(1) कालवाचक-जिन शब्दों से क्रिया (काम) के होने के समय का बोध होता है वे कालवाचक क्रिया-विशेषण कहलाते हैं। जैसे- अभी, अब, कल, परसों, कब, कभी, फिर बाद पहले, पीछे, कबका आदि।

उदाहरण-1 राम पहले पहुँचा।

  1. श्याम पीछे आया।

3 वह कल जाएगा।

इन वाक्यों में पहले पीछे कल कालवाचक क्रिया-विशेषण हैं।

(2) स्थानवाचक-इससे क्रिया के होने के स्थान दिशा का बोध होता है, जैसे-वहाँ, यहाँ, जहाँ, जहाँ तक, कहाँ कहाँ तक आगे, इधर उधर, यहाँ-वहाँ, घर-घर आदि। उदाहरण- मोहन इधर गया है। 2. रमेश कहाँ आ गया।

3 भारती वहाँ जा रही है। इन वाक्यों में इधर, कहाँ वहाँ स्थानवाचक क्रिया विशेषण है।

(3) रीतिवाचक-रीतिवाचक क्रियाविशेषण से क्रिया होने की रीति (ढंग) का बोध होता है,

जैसे- धीरे धीरे ज्यों-त्यों, कैसे ऐसे वैसे जैसे-तैसे अचानक आदि।

उदाहरण- दीपक कैसे चलता है ?

  1. उसने रोते-रोते कहा।
  2. वह जैसे तैसे पहुँचा।

उन वाक्यों में कैसे रोते-रोते, जैसे-तैसे रीतिवाचक क्रिया विशेषण हैं।

(4) परिमाणवाचक-परिमाणवाचक क्रिया विशेषण से क्रिया (काम) के परिमाण (मात्रा) का बोध होता है, जैसे-कम अधिक, बहुत, थोड़ा, जरा, काफी, इतना, कितना, उतना, बिल्कुल आदि।

उदाहरण-1 कबीर खूब हँसता है।

  1. पप्पू कितना सोता है।

3 राजीव बिल्कुल नहीं डरता

इन वाक्यों में खूब कितना बिल्कुल परिमाणवाचक क्रिया-विशेषण हैं।

 

प्रश्न 3. तीन कालवाचक क्रिया विशेषण लिखिए।

उत्तर- आज, कल, परसों तीन कालवाचक क्रिया विशेषण हैं।

 

प्रश्न 4. धीरे-धीरे, ऐसे, वैसे तथा अचानक किस प्रकार के क्रिया विशेषण हैं ?

उत्तर- धीरे-धीरे ऐसे वैसे तथा अचानक क्रिया की रीति का बोध कराने वाले रीतिवाचक  क्रिया विशेषण हैं।

 

प्रश्न 5. निम्नलिखित शब्दों के क्रिया-विशेषण के कौन-कौन से प्रकार हैं ?

उत्तर-

प्रश्न 6. निम्नलिखित वाक्यों में क्रिया-विशेषण पहचान कर लिखिए

  1. वह ध्यानपूर्वक सुनता है।
  2. यह कहाँ तक जाएगा।
  3. राम की परीक्षा कब होगी ?

उत्तर – 1. ध्यानपूर्वक,

  1. कहाँ तक,
  2. कब शब्द क्रिया-विशेषण हैं।

 

प्रश्न 7. क्रिया-विशेषण किसे कहते हैं ?

उत्तर- क्रिया की विशेषता बताने वाले शब्द क्रियाविशेषण कहलाते हैं।

 

5.समुच्चयबोधक

प्रश्न 1. समुच्चयबोधक किसे कहते हैं ? उदाहरण सहित समझाइए।

उत्तर- परिभाषा – जो एक शब्द या वाक्य को दूसरे शब्द या वाक्य से जोड़ते हैं, वे संयोजक शब्द समुच्चयबोधक कहलाते हैं। जैसे-और, किन्तु, परन्तु इसीलिए, क्योंकि, या अथवा एवं, तथा, क्योंकि, लेकिन, हालांकि, अतः आदि ।

उदाहरण- 1. श्याम ने परिश्रम किया किन्तु असफल रहा।

  1. राकेश और दिनेश सहपाठी हैं।
  2. चुनमुन बहुत परिश्रम करता है परन्तु घबरा जाता है।
  3. रोहन बहुत तेज दौड़ा लेकिन प्रथम स्थान न पा सका। इन वाक्यों में किन्तु, और, परन्तु, लेकिन, समुच्चयबोधक हैं।

प्रश्न 2. समुच्चयबोधक के कितने भेद होते हैं ? लिखिए।

उत्तर- समुच्चयबोधक के दो भेद होते हैं

  1. समानाधिकरण समुच्चयबोधक।
  2. व्यधिकरण समुच्चयबोधक।

 

प्रश्न 3. समानाधिकरण समुच्चयबोधक किसे कहते हैं ? इसके कितने उपभेद होते हैं ?

उत्तर- समानाधिकरण समुच्चयबोधक- जो पद या अव्यय मुख्य वाक्यों को जोड़ते हैं, वे समानाधिकरण समुच्चयबोधक कहे जाते हैं।

उदाहरण- 1. मोहिनी बैठी थी और रश्मि खड़ी थी।

  1. राजेश पढ़ेगा तो रमा पढ़ेगी।

इन वाक्यों में ‘ और ‘ तथा ‘तो’ समानाधिकरण समुच्चयबोधक हैं। के चार उपभेद होते हैं उपभेद- समानाधिकरण समुच्चयबोधक (क) संयोजक-और, व, एवं तथा।

(ख) विभाजक-वा, या, अथवा, नहीं, तो, कि, किंवा, चाहे, न कि, चाहे…. चाहे, न….न।

(ग) विरोधसूचक-किन्तु, परन्तु, पर, लेकिन, मगर, वरन्, बल्कि

(घ) परिणामसूचक- इसलिए, सो अतः, अतएव ।

 

प्रश्न 4. व्यधिकरण समुच्चयबोधक किसे कहते हैं ? उसके कितने भेद होते हैं ? उत्तर- व्यधिकरण समुच्चयबोधक-जिन पदों या अव्ययों के मेल से मुख्य वाक्य में आश्रित वाक्य जोड़े जाते हैं। वे व्यधिकरण समुच्चयबोधक कहे जाते हैं।

उदाहरण-1 राधा मुझे पसन्द है इसलिए कि वह सत्य बोलती है।

2 जीवन में सफल होना है तो परिश्रम कीजिए।

  1. राम घर गया था ताकि रुपये ला सके।

इन बाक्यों में ‘इसलिए’, ‘तो’ तथा ‘ ताकि’ व्यधिकरण समुच्चयबोधक हैं।

उपभेद- व्यधिकरण समुच्चयबोधक के चार उपभेद होते हैं (क) कारणसूचक-क्योंकि, जोकि इसलिए कि आदि।

(ख) उद्देश्यसूचक- कि जो, ताकि, इसलिए, आदि।

(ग) संकेतसूचक-जो-तो, यदि तो यद्यपि तथापि, कि, चाहे परन्तु जिससे, ताकि आदि।

(घ) स्वरूपसूचक- कि जो अर्थात् यानि, मानो आदि।

 

प्रश्न 5. लेकिन, और, किन्तु समुच्चयबोधकों का प्रयोग करते हुए वाक्य बनाइए।

उत्तर- लेकिन प्रखर ने बहुत मेहनत की लेकिन सफल न हो सका। और-रोहन और सोहन की मित्रता है। किन्तु- मैं घर जा रहा हूँ किन्तु तुम मत आना।

 

प्रश्न 6. निम्नलिखित वाक्यों में समुच्ययबोधक छाँटिए

(1) सोहन ने बहुत कोशिश की मगर ठीक समय पर नहीं पहुँचा।

(2) थोड़ा जल्दी चलो अन्यथा रेलगाड़ी नहीं मिलेगो

(3) मैं छोटा हूँ अत: वहाँ जाना ठीक नहीं है।

उत्तर-

 

प्रश्न 7. तीन समुच्चबोधक लिखिए।

उत्तर- और, किन्तु, ताकि तीन समुच्चबोधक हैं।

 

प्रश्न 8. निम्नलिखित वाक्यों में समुच्चबोधक छाँटिए

(1) तुम सो जाओ ताकि मैं चला जाऊँ।

(2) राजीव खाना खा ले तो लेट लेगा।

( 3 ) तुम उसका सहयोग करो जिससे वह पास हो जाए।

उत्तर

6.मुहावरे एवं लोकोक्ति

 

जब कोई वाक्यांश विशेष अर्थ देने लगता है तब वह मुहावरा बन जाता है। लोक में प्रचलित होते-होते विशेष अर्थ देने वाली उक्तियाँ लोकोक्तियाँ कही जाती हैं।

 

(अ) महत्वपूर्ण मुहावरों का वाक्यों में प्रयोग

 

  1. अंगार उगलना- क्रुद्ध होकर बुरा-भला कहना।

प्रयोग- मैंने सही बात कह दी तो आप अंगार उगलने लगे।

 

  1. अँगूठा दिखाना-मना करना।

प्रयोग-उधार के पैसे माँगने पर उसने मुझे अंगूठा दिखा दिया।

 

  1. अंधे की लाठी- एकमात्र सहारा।

प्रयोग- श्रवण कुमार अपने माता-पिता की अंधे की लाठी थे।

 

  1. अन्धों में काना राजा-मूर्खों के मध्य अल्पज्ञ

प्रयोग- पाँचवीं पास राजेश के गाँव में सभी अनपढ़ हैं। इसलिए अपने गाँव में वह अन्धों में काना राजा के समान है।

 

  1. अक्ल पर पत्थर पड़ना बुद्धि भ्रष्ट होना।

प्रयोग-कैकेयी की अक्ल पर पत्थर पड़ गये थे इसलिए उसने राम के वनवास का वरदान माँगा।

 

  1. अपना उल्लू सीधा करना स्वार्थ सिद्ध करना।

प्रयोग- अधिकांश नेता अपना उल्लू सीधा करने में लगे हैं, देश की चिन्ता किसी को नहीं है।

 

  1. अपने मुँह मियाँ मिट्ठू बनना-अपनी प्रशंसा स्वयं ही करना।

प्रयोग- अपने मुँह मियाँ मिट्टु बनना व्यावहारिकता के विपरीत है।

 

  1. आँखों का तारा अत्यधिक प्रिय ।

प्रयोग- श्रवण कुमार अपनी माता-पिता की आँखों के तारे थे।

 

  1. आँख में धूल झोंकना-धोखा देना।

प्रयोग-वह गड्डी में नकली नोट लगाकर आँखों में धूल झोंकने में सफल हो गया।

 

  1. आग बबूला होना- क्रोधित होना।

प्रयोग- जब रमेश ने मोहन की बेइमानी खोल दी तो वह आग बबूला हो उठा।

 

  1. आस्तीन का साँप- धोखेबाज

प्रयोग- मालिक उसका हर समय ध्यान रखता था पर वह आस्तीन का साँप निकला।

 

  1. ईद का चाँद होना-दुर्लभ होना।

प्रयोग- परदेश में रहने के कारण राजीव ईद का चाँद हो गया है।

 

  1. ऊँट के मुँह में जीरा- किसी वस्तु का बहुत कम मात्रा में होना।

प्रयोग- एक पहलवान को एक रसगुल्ले का नाश्ता ऊँट के मुँह में जीरा है।

 

  1. एक और एक ग्यारह होना-संगठन में शक्ति होना।

प्रयोग- मिलकर काम करेंगे तो सफलता मिलेगी ही क्योंकि एक और एक ग्यारह होते हैं।

 

  1. एक पंथ दो काज- एक साथ दो कार्य सम्पन्न करना।

प्रयोग- आगरा जाकर विवाह में सम्मिलित हो लिये और ताजमहल भी देख आये, इस तरह एक पंथ दो काज हो गये।

 

  1. एक अनार सौ बीमार वस्तु की पूर्ति कम और माँग अधिक।

प्रयोग- अधिक इमारतों का निर्माण होने के कारण चम्बलसैण्ड की स्थिति एक अनार सौ बीमार जैसी हो गई।

 

  1. एड़ी-चोटी का जोर लगाना- कठिन परिश्रम करना।

प्रयोग- परीक्षा में सफलता प्राप्त करने के लिए वह एड़ी-चोटी का जोर लगा रहा है।

 

  1. ओखली में सिर देना- जान-बूझकर मुसीबत मोल लेना।

प्रयोग-संजीव हर किसी की लड़ाई में कूद पड़ता है। उसकी तो आदत ही ओखली में सिर देने की है।

 

  1. कंगाली में आटा गीला- मुसीबत में और मुसीबत पड़ना। प्रयोग-लड़की का विवाह करने के बाद उसकी नौकरी क्या छूट गई मानो कंगाली में आटा गीला हो गया।

 

  1. खून-पसीना एक करना- कड़ी मेहनत करना।

प्रयोग -किमान खून-पसीना एक करके जनता का पेट भरता है।

 

  1. कलेजे पर साँप लोटना-ईर्ष्या करना।

प्रयोग- मेरे भाई की नौकरी की बात सुनकर पड़ोसी के कलेजे पर साँप लोटने लगा।

 

  1. खरी-खोटी सुनाना-बुरा भला कहना।

प्रयोग- पुस्तक खो जाने पर उसने खूब खरी-खोटी सुनाई।

 

  1. गढ़े मुर्दे उखाड़ना पुरानी बातों को दोहराना।

प्रयोग जो कुछ कहना है स्पष्ट कहो, गढ़े मुर्दे उखाड़ना व्यर्थ है।

 

  1. गले का हार होना बहुत प्रिय होना।

प्रयोग- मेरी पत्नी मेरी माँ के गले का हार है।

 

  1. गागर में सागर भरना-थोड़े में बहुत बात कहना।

प्रयोग- बिहारी ने अपने दोहों में गागर में सागर भर दिया है।

 

  1. घी के दिये जलाना- प्रसन्न होना।

प्रयोग- पुत्र की नौकरी के बाद अब उसके घर में घी के दिये जलते हैं।

 

  1. चेहरा खिलना- प्रसन्न होना।

प्रयोग- परीक्षा में प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण होने पर राम का चेहरा खिल उठा।

 

  1. चोली-दामन का साथ गहरा सम्बन्ध

प्रयोग-राम और श्याम में चोली-दामन का साथ है।

 

  1. छठी का दूध याद आना- अधिक परेशान होना।

प्रयोग मकान बनवाने में उसे छठी का दूध याद आ गया।

 

  1. छप्पर फाड़कर देना- अचानक लाभ होना।

प्रयोग- ईश्वर जब देता है तो छप्पर फाड़कर देता है।

 

  1. जले पर नमक छिड़कना-दुःख को बढ़ाना।

प्रयोग परीक्षा में असफल रहे मुकेश का उपहास कर तुमने जले पर नमक छिड़क दिया है।

 

  1. जान हथेली पर रखना-मरने को तैयार रहना।

प्रयोग-सीमा पर तैनात जवान सदा जान हथेली पर रखता है।

 

  1. टस से मस न होना- पूरी तरह अडिग रहना।

प्रयोग-मजदूर का करुणापूर्ण विलाप सुनकर भी मिल मालिक टस से मस नहीं हुआ।

 

  1. टेढ़ी खीर होना-कठिन कार्य ।

प्रयोग- आई ए एस की परीक्षा पास करना टेढ़ी खीर है।

 

  1. टाल मटोल करना-उपेक्षा करना।

प्रयोग-मोहन उधार रुपयों को लौटाने में टाल मटोल कर रहा है।

 

  1. तितर बितर होना-बिखर जाना।

प्रयोग- पुलिस के देखते ही भीड़ तितर-बितर हो गई।

 

  1. दाँत काटी रोटी होना-घनिष्ठता होना।

प्रयोग- योगेश और मुकेश में दाँत काटी रोटी है।

 

  1. दाँतों तले उँगली दबाना आश्चर्यचकित होना।

प्रयोग- सरदार भगतसिंह की वीरता को देखकर अंग्रेजों ने दाँतों तले उँगली दबा ली।

 

  1. दूध का दूध और पानी का पानी-न्याय करना।

प्रयोग- सरपंच ने पंचायत में दूध का दूध और पानी का पानी कर दिया।

 

  1. नाक में दम करना- परेशान करना।

प्रयोग- पुत्र के दुष्कर्मों ने उनकी नाक में दम कर दी है।

 

  1. नौ दो ग्यारह होना-भाग जाना।

प्रयोग- पुलिस को देखकर चोर नौ-दो ग्यारह हो गये।

 

  1. नमक हराम होना- विश्वासघात करना, धोखा देना।

प्रयोग अपने घनिष्ठ मित्र की हत्या कर उसने नमक हराम होने का परिचय दिया।

 

  1. पापड़ बेलना-विषम परिस्थितियों से गुजरना

प्रयोग- एम. ए. की परीक्षा पास करने तक तो तुम्हें न जाने कितने पापड़ बेलने पड़ेंगे।

 

  1. पौ बारह होना बहुत लाभ होना।

प्रयोग-लॉटरी खुल जाने के कारण उसकी पौ बारह हो गई।

 

  1. पीठ दिखाना- पराजित होना।

प्रयोग- पृथ्वीराज की सेना के समक्ष मुहम्मद गौरी पीठ दिखाकर भाग गया।

 

  1. पाँचों उँगली घी में होना सब प्रकार का सुख होना।

प्रयोग- आजकल उसकी पाँचों उँगली घी में हैं।

 

  1. फूला न समाना अधिक प्रसन्न होना।

प्रयोग- अपने पुत्र की सफलता पर वह फूला नहीं समाया।

 

  1. बाल- ल बचना-जरा सा ही बचना ।

प्रयोग बस दुर्घटना में वह बाल-बाल बचा।

 

  1. मुँह की खाना- हार मानना।

प्रयोग- भारतीयों की वीरता के समक्ष अंग्रेज सेना को मुँह की खानी पड़ी।

 

  1. रंग में भंग पड़ना-विघ्न उत्पन्न होना।

प्रयोग- दुल्हन की अस्वस्थता से विवाह के रंग में भंग पड़ गया।

 

  1. रंगे हाथों पकड़ना- मौके पर पकड़ना।

प्रयोग- पुलिस ने चोर को रँगे हाथों पकड़ लिया।

 

  1. लकीर का फकीर होना-प्राचीन परम्पराओं में अटूट विश्वास

प्रयोग- पढ़े-लिखे होकर भी तुम लकीर के फकीर क्यों बने हुए हो।

 

  1. लोहे के चने चबाना कठिन कार्य करना।

प्रयोग- एम. ए. की परीक्षा पास करना लोहे के चने चबाना है।

 

  1. श्रीगणेश करना प्रारम्भ करना।

प्रयोग -इस मकान का श्रीगणेश सन् 1983 में हुआ। में

 

  1. सीधे मुँह बात न करना- घमण्डी होना।

प्रयोग मन्त्री बनने के बाद वह सीधे मुँह बात नहीं करता है।

 

  1. हाथ साफ करना लेकर चल देना।

प्रयोग-बस में चढ़ते ही किसी ने मेरी जेब पर हाथ साफ कर दिया।

 

  1. हाथ मलना पश्चात्ताप करना।

प्रयोग-समय चूकने पर हाथ मलना ही शेष रह जाता है।

 

(आ) महत्वपूर्ण लोकोक्तियों का वाक्यों में प्रयोग

 

  1. अधजल गगरी छलकत जाय ( थोड़ी विद्या या धन पाकर इतराना) – पहले तन पर वस्त्र भी नहीं था, लेकिन नौकरी लगने के बाद मोहन दिन में तीन बार पोशाक बदलने लगा है, सच है कि अधजल गगरी छलकत जाय।
  2. अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता (अकेला व्यक्ति कुछ नहीं कर सकता) – अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता जबकि संगठन के सहयोग से बड़े से बड़ा कार्य सहज ही हो जाता है।
  3. अपनी-अपनी ढपली अपना-अपना राग (हर व्यक्ति अपनी अलग राय रखता है)-अपने विद्यालय के लोग तो अपनी-अपनी ढपली अपना-अपना राग अलाप रहे हैं। तभी तो विद्यालय प्रगति नहीं कर रहा है।
  4. अरहर की टटिया गुजराती ताला ( सामान्य वस्तु का कड़ा प्रबन्ध)-मोहन ने बंजर खेत के चारों ओर काँटेदार तार लगवाकर अरहर की टटिया गुजराती ताला वाली उक्ति को चरितार्थ कर दिया है।

 

  1. आँख के अन्धे नाम नैन सुख (गुण के विपरीत नाम) घर में फूटी कौड़ी नहीं है, नाम है कुबेरसिंह। इसे ही तो कहते हैं कि आँख के अन्धे नाम नैन सुख
  2. आम के आम गुठलियों के दाम (दोहरा लाभ होना)-इस चॉकलेट को पहले तो खा लो, फिर खेलने का काम करती है। इसे कहते हैं आम के आम गुठलियों के दाम
  3. ऊंची दुकान फीका पकवान (दिखावटी काम)-राजा साहब के यहाँ तैयारियाँ तो कई दिन से चल रही थीं, किन्तु दावत खाकर लगा कि यहाँ तो ऊँची दुकान फीका पकवान है।
  4. जिसकी लाठी उसकी भैंस (बलवान सब कुछ कर सकता है) आज के जमाने में जिसकी लाठी उसी की भैंस है। 9. जो गरजते हैं, वे बरसते नहीं (डींग हॉकने वाले काम नहीं करते) चुनाव के समय नेता बड़े-बड़े आश्वासन देते हैं, किन्तु जो गरजते हैं वे बरसते नहीं।
  5. डूबते को तिनके का सहारा (सकट के समय थोड़ी सहायता भी बहुत होती है) उसने मुझे सौ रुपये क्या दिये, जैसे डूबत को तिनके का सहारा मिल गया।
  6. धोबी का कुत्ता घर का न घाट का (अस्थिरता के कारण कहीं का भी न बन पाना) यदि कक्षा के मॉनीटर बना दिये गये हो, तो या तो गुरु के साथ रहना या बच्चों के साथ, नहीं तो धोबी के कुत्ते बन जाओगे जान घर का न घाट का।
  7. न नौ मन तेल होगा, न राधा नाचेगी (किसी बहाने काम न करना) – राकेश ने अपने पिताजी से कहा पहले मेरे लिए नई साइकिल लेकर आओ तभी मैं गाँव से दूध लेकर आऊँगा। पिताजी बोले वाह बेटा ! न नौ मन तेल होगा, न राधा नाचेगी।
  8. नाच न जाने आँगन टेड़ा (अपनी अकुशलता का दोष दूसरों पर डालना) परीक्षा में कम अंक लाने का कारण जब पिताजी ने पूछा तो मैंने कहा मेरे पास पुरानी किताबें थीं। इस पर पिताजी बोले नाच न जाने आँगन टेढ़ा।
  9. मुँह में राम बगल में छुरी बाहर से अच्छा अन्दर से बुरा)- आजकल के अधिकाश साधुओं के मुँह में राम बगल में छुरी रहती है।
  10. मान न मान मैं तेरा मेहमान (जबरदस्ती किसी के गले पड़ना) – मित्र! मैं तुम्हें अपने घर नहीं ले जा सकता, क्यों मेरे गले पड़ रहे हो तुम तो मान न मान मैं तेरा मेहमान वाली बात सिद्ध कर रहे हो। मरे 16. साँप मरे न लाठी टूटे (बिना हानि हुए काम बन जाना)-तुम तो हमेशा हो यह चाहते हो कि साँप न लाठी टूटे।
  11. हाथी के दाँत खाने के और दिखाने के और (कथनी और करनी में अन्तर)- क्या तुम सोचते हो कि जो मैं कह रहा हूँ वही करूंगा, हाथी के दाँत खाने के और दिखाने के और होते हैं।
  12. होनहार बिरवान के होत चीकने पात (योग्यता के लक्षण प्रारम्भ से दिखायी देने लगते हैं) स्वामी विवेकानन्द में बचपन से ही ज्ञान की अपूर्व लालसा थी। सत्य ही है, होनहार बिरवान के होत चीकने पात

 

प्रश्नोत्तर

 

प्रश्न 1. निम्नलिखित मुहावरों का अर्थ बताते हुए वाक्य में प्रयोग कीजिए (कोई दो ) – अधे की लाठी, पहाड़ टूट पड़ना, दाँत खट्टे करना।

उत्तर-(1) अंधे की लाठी- एकमात्र सहारा।

वाक्य प्रयोग- श्रवण कुमार अपने माता-पिता के लिए अंधे की लाठी थे।

(ii) पहाड़ टूट पड़ना गम्भीर संकट आना।

वाक्य प्रयोग- पति की मृत्यु होते ही रजनो पर पहाड़ टूट पड़ा।

(iii) दाँत खट्टे करना-हराना।

वाक्य प्रयोग- कारगिल में भारतीय सैनिकों ने पाकिस्तानी सैनिकों के दाँत खट्टे कर दिए।

 

प्रश्न 2. निम्नलिखित मुहावरों में से किन्हीं दो का अर्थ बताते हुए वाक्यों में प्रयोग कीजिए चिराग तले अंधेरा, कलेजा ठण्डा होना, आकाश छूना, पेट पूजा करना, अंकुश लगाना।

उत्तर-(i) चिराग तले अंधेरा- निकटस्थ के कष्ट से अज्ञात वाक्य प्रयोग-पड़ोसी के बेटे ने कॉलेज में पहला स्थान पाया तो वे बोले यह तो चिराग तले अंधरा रहा।

(ii) कलेजा ठण्डा होना-सन्तोष होना।

वाक्य प्रयोग- अपराधी को दण्ड दिलाने पर ही उनका कलेजा ठण्डा हुआ।

(iii) आकाश छूना-ऊँचाई पर पहुँचना।

वाक्य प्रयोग मेहनती व्यक्ति एक दिन अवश्य आकाश छूता है।

(iv) पेट पूजा करना- खाना खाना।

वाक्य प्रयोग- सोहन पेट पूजा करके ही घर से निकलता है।

(v) अंकुश लगाना- काबू में करना।

वाक्य प्रयोग- बिना अंकुश लगाये बच्चे बिगड़ जाते हैं।

 

प्रश्न 3. आसमान के तारे तोड़ना’, ‘बाल बांका न होना’ एवं ‘दीवारों के भी कान होते हैं में से किन्हीं दो मुहावरों का अर्थ बताते हुए अपने वाक्यों में प्रयोग कीजिए।

उत्तर- (i) आसमान के तारे तोड़ना- असम्भव कार्य करना। वाक्य प्रयोग-साइकिल से संसार के भ्रमण का निश्चय सचमुच आसमान से तारे तोड़ना है। वाक्य प्रयोग- पाकिस्तान भारत का बाल भी बाका नहीं कर सकता है।

(ii) बाल बांका न होना जरा भी हानि न होना।

(iii) दीवारों के भी कान होते हैं- कही बात नहीं छिपती है। वाक्य प्रयोग युद्ध नीति को चर्चा कर दी तो बात शत्रु तक पहुँच जायेगी क्योंकि दीवारों के भी कान होते हैं।

 

प्रश्न 4. ‘लोकोक्ति’ का अर्थ स्पष्ट करते हुए कोई एक उदाहरण दीजिए।

अथवा

लोकोक्ति या कहावत किसे कहते हैं ?

उत्तर- ‘लोक’ का अर्थ है- जनता और उक्ति’ का अर्थ है- कथन इस प्रकार जनता के वे कथन

जिनका विशेष अर्थ होता है, लोकोक्ति कहे जाते हैं, जैसे- हाथ कंगन को आरसी क्या। इसका अर्थ है- प्रत्यक्ष को प्रमाण की क्या आवश्यकता है।

 

प्रश्न 5. निम्नलिखित लोकोक्तियों का अर्थ बताते हुए वाक्यों में प्रयोग कीजिए सौ सुनार की एक लुहार की मन चंगा तो कठौती में गंगा जल में रहकर मगर से बैर

उत्तर- (i) सौ सुनार की एक लुहार की (बलवान की एक चोट ही कमजोर की अनेक चोटों से घातक होती है।)

वाक्य प्रयोग- रामू पहलवान के रोजाना चाँटे मारता था। एक दिन पहलवान ने उसके एक चाँटा मार दिया तो वह बेहोश हो गया तो सभी ने कहा सौ सुनार की एक लुहार की।

(ii) मन चंगा तो कठौती में गंगा (शुद्ध मन के लिए हर स्नान गंगा स्नान है) । वाक्य प्रयोग- पाप धोने के लिए गंगा स्नान जाना व्यर्थ है। शुद्ध मन वालों का मन चंगा हो तो कठौती में गंगा होती है।

(iii) जल में रहकर मगर से बैर (जिसके अधीन है उससे दुश्मनी ठीक नहीं)। वाक्य प्रयोग- यदि तुम्हें थाने के पास चाय की दुकान चलानी है तो पुलिस वालों से बनाकर रखनी पड़ेगी, क्योंकि जल में रहकर मगर से बैर करना मूर्खता है।

 

 

प्रश्न 6. मुहावरा किसे कहते हैं ? उदाहरण सहित समझाइए। उत्तर- जब कोई वाक्यांश प्रयोग होते-होते विशेष अर्थ देने लगता है, तब वह मुहावरा बन जाता है। मुहावरों में बहुत अनुभव भरा रहता है। उदाहरण- नाक में दम करना। इसका अर्थ है परेशान करना।

 

प्रश्न 7. कोई दो लोकोक्तियाँ लिखिए।

उत्तर- (1) खोदा पहाड़ निकली चुहिया (2) दूर के ढोल सुहावने।

 

प्रश्न 8. मुहावरा और लोकोक्ति में कोई दो अन्तर लिखिए।

उत्तर-लोकोक्ति और मुहावरे में निम्न अन्तर है- (1) लोकोक्ति स्वयं एक वाक्य होती है जबकि मुहावरा वाक्य का अंश होता है।

(2) लोकोक्ति से पूरा अर्थ प्रकट होता है जबकि मुहावरा वाक्य में प्रयोग होकर अर्थ देता है।

 

7.अनेकार्थी शब्द

 

जो शब्द एक से अधिक अर्थ देते हैं, वे ‘अनेकार्थी’ शब्द कहलाते हैं।

उदाहरण- (i) अंक- गोद, अक्षर (1) सोम- चन्द्रमा, अमृत, सोमवार

अक्षर-जल, सत्य, शिव, वर्ण, गगन, धर्म, तपस्या ।

अर्थ- धन प्रयोजन, ऐश्वर्य, हेतु।

अनन्त आकाश, अन्तहीन ब्रह्मा, विष्णु

अरुण सूर्य, लाल रंग, सूर्य का सारथी।

अशोक-एक वृक्ष, सम्राट अशोक, शोकरहित।

अमृत- जल, अन्न, स्वर्ण दूध

अलि-भौरा कोयल सखी।

उत्तर- हल, जवाब, उत्तर दिशा

कल- अगला दिन बीता हुआ दिन, मधुर ध्वनि, मशीन।

काल मौत, समय यमराज ||

कनक- सोना, धतूरा, गेहूँ।

काम- कार्य, धन्धा पेशा कामदेव।

कुल योग, सब, वंश, केवल संघ

कंज- चरण, कमल ब्रह्मा

कक्ष- कमरा, श्रेणी कांख बंगला भूमि

गुण- स्वभाव, कौशल, शील, सत् धनुष की डोरी।

गुरु- बड़ा भारी, शिक्षक, दो मात्राओं वाला वर्ण ।

गौ- गाय, पृथ्वी, भूमि, स्वर्ग, दिशा, कण

घन- हथौड़ा भारी, बादल

घट-घड़ा कम देह, मन, हृदय

चन्द्र- चन्द्रमा, मोर पंख की चन्द्रिका सोना।

जलज- मछली, कमल, मोती, शंख, चन्द्रमा

ज्येष्ठ-गर्मी का महीना, बड़ा, पति का बड़ा भाई, श्रेष्ठ।

तनु- छोटा, शरीर, कृश

तात- पिता, भाई, पूज्य, प्यारा, बड़ा, मित्र

दल- सेना, समूह, पक्ष, पत्ता दक्ष चतुर, चन्द्र दाँत, वैश्य, ब्राह्मण

नग- पर्वत, वृक्ष, नगीना नाक- नासिका, इज्जत, स्वर्ग

पयोधर- बादल, गन्ना पर्वत

पानी- जल, कान्ति, इज्जत

बाल- केश, बालक, बाला, गेहूँ आदि की वाल

भास्कर सूर्य, सोना, शिव, अग्नि

भारत – भारतवर्ष, अर्जुन

भूत-प्राणी, प्रेत, पंचभूत, अतीत काल, मरा हुआ शरीर।

मधु शहद मंदिरा, वसन्त, चैत्र का मास

माघव- श्रीकृष्ण बसन्त ऋतु, वैसाख महुआ

मित्र- दोस्त, सहयोगी, प्रिय

मान-सम्मान, इज्जत, अभिमान, नाप तोल, रूठना।

रम- अर्क प्रेम जल, खाद, स्तर, आनन्द। वर्ण-रंग, अक्षर अन्य जातियाँ।

विधि-तरीका, भाग्य विधाता, रोति। सर-बाण, तालाब, चिन्ता।

सुधा- अमृत, गंगा, पृथ्वी, जल, दूध, फूलों का रस

सारंग- भौंरा हिरन, मेघ, साँप, मोर, जल, शंख, फूल।

हरि-हाथी, श्रीकृष्ण, चन्द्र, कामदेव, शिव

हार- पराजय, माला।

 

प्रश्नोत्तर

 

प्रश्न 1. निम्नांकित शब्दों का दो-दो अलग-अलग अर्थों में वाक्य प्रयोग कीजिए कुल, तीर।

उत्तर- कुल-1 आज कुल कितने बच्चे आए हैं।

  1. राम का कुल संसार में प्रसिद्ध है।

तीर- 1. ताजमहल यमुना के तीर पर स्थित है।

  1. भरत जी के तीर से हनुमान चायल हो गए थे।

 

प्रश्न 2. निम्नलिखित शब्दों के दो-दो अर्थ बताइए

(क) अशोक, (ख) कनक, (ग) जलज, (घ) दल, (ङ) पय, (च) भाग, (छ) लाल, (ज) सूर

उत्तर-(क) अशोक-एक प्रकार का वृक्ष, एक राजा का नाम

(ख) कनक- स्वर्ण, धतूरा

(ग) जलज- कमल, मछली।

(घ) दल- समूह, सेना।

(ङ) पय- दूध, जल

(च) भाग-हिस्सा, भाग्य

(छ) लाल पुत्र, प्यार का सम्बोधन।

(ज) सूर-सूर्य, अंधा

 

प्रश्न 3. निम्नलिखित शब्दों के दो-दो अर्थ लिखिए

(क) उत्तर, (ख) कर

उत्तर-(क) उत्तर हल, उत्तर (दिशा)।

(ख) कर हाथ टैक्स

 

8 समास

 

समास की परिभाषा- जब दो या दो से अधिक पदों के मिलने से एक नए शब्द की रचना होती है तो

इस मिलने की क्रिया को समास कहते हैं। जैसे- प्रतिदिन,  यथाशक्ति ।

समास के प्रकार-समास छ: प्रकार के होते हैं

(1) अव्ययीभाव समास- इसमें प्रथम पद की प्रधानता होती है जो अधिकतर अव्यय होता है। यह सम्पूर्ण पद क्रियाविशेषण का कार्य करता है।

 

जैसे- प्रतिदिन=दिन दिन

यथाविधि=यथा विधिम्

यथाशक्ति=यथा शक्तिम्

 

(2) तत्पुरुष समास- इसमें दूसरा पद प्रधान होता है। इसके अन्तर पद में प्रथमा विभक्ति होती है एवं पूर्व पद जिस विभक्ति का होगा, वह समस्त पद पर लागू होता है,

जैसे- देववाणी=देव की वाणी

रसोईघर=रसोई के लिए घर

जन्मांध=जन्म से अंधा

भयभीत=भय से भीत

वनवास=वन में वास

 

(3) द्वन्द्व समास- इस समास में दोनों पद प्रधान होते हैं, परन्तु उसके संयोजक शब्द ‘और’ का लोप होता है,

जैसे-

माता-पिता=माता और पिता

भाई-बहन=भाई और बहन

राजा-रानी=राजा और रानी

 

(4) द्विगु समास- द्विगु समास में प्रथम पद संख्यावाचक होता है,

जैसे- सप्तद्वीप=सात द्वीपों का समूह

त्रिभुवन=तीन भुवनों का समूह

त्रिफला=तीन फलों का समूह

 

(5) कर्मधारय समास- इस समास में विशेषण और विशेष्य दोनों होते हैं। पहला पद दूसरा विशेष्य होता है। दूसरा पद प्रधान होता है,

जैसे-

वीर पुरुष=वीर पुरुष

नीलकण्ठ=नीला कण्ठ

परमानंद=परम आनंद

 

(6) बहुव्रीहि समास- दोनों पदों में कोई पद प्रधान नहीं होता। अपने पदों से हटकर अन्य अर्थ का बोध कराता है, जैसे

दशानन =दस हैं आनन जिसके (रावण)

लम्बोदर = लम्बा है उदर जिसका (गणेश)

चतुर्भुज= चार भुजाओं वाला (विष्णु)

 

प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1. निम्नलिखित के समास विग्रह कर समास का नाम बताइए

राजपुरुष, दशानन, भाई बहन, चन्द्रमुख, नवग्रह, रातोंरात ।

9.विज्ञापन लेखन

 

विज्ञापन- विज्ञापन शब्द दो शब्दों के योग से बना है- विज्ञापन वि का अर्थ है विशेष या विशिष्ट और ज्ञापन का अर्थ जानकारी या सूचना इसलिए विज्ञापन का अर्थ होता है किसी चीज विशेष की जानकारी देना। आज विज्ञापन का बहुत महत्व है। विद्यालयों, वस्तुओं, उत्पादों आदि के प्रति आकर्षित करने के लिए विज्ञापन आवश्यक हैं।

 

विज्ञापन लेखन के उदाहरण

प्रश्न 1. आदर्श शिक्षा निकेतन का अध्यापकों की नियुक्ति हेतु विज्ञापन तैयार कीजिए।

उत्तर

महत्वपूर्ण वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर

 

 

 

  • बहु-विकल्पीय प्रश्न

 

  1. निम्नलिखित में निपात शब्द हैं

(क) राम, श्याम,

(ख) वर्षा, बसंत,

(ग) धीरे-धीरे, तेज,

(घ) भर, ही भी

 

  1. वाच्य के कितने प्रकार होते हैं ?

(क) दो.

(ख) चार,

(ग) पाँच,

(घ) छः ।

 

  1. जिन वाक्यों में दो कर्म होते हैं उनकी क्रिया कहलाती है

(क) सकर्मक क्रिया

(ख) द्विकर्मक क्रिया,

(ग) संयुक्त क्रिया,

(घ) अकर्मक क्रिया।

 

  1. निम्नलिखित में से किसमें कालवाचक क्रिया-विशेषण हैं ?

(क) दीपक कैसे चलता है,

(ख) पवन बिल्कुल नहीं डरता,

(ग) श्याम कल आएगा,

(घ) रीता यहाँ आ रही है।

 

  1. समुच्चयबोधक के कितने भेद होते हैं ?

(क) तीन.

(ख) तीन,

(ग) चार,

(घ) पाँच।

 

  1. ‘हवा से बातें करना’ का अर्थ क्या है ?

(क) दिखावटीपन,

(ख) स्वार्थ सिद्धि,

(ग) आत्मप्रशंसा,

(घ) तीव्र गति से चलना।

 

  1. ‘मुँह की खाना’ का अर्थ है

(क) चुगली करना,

(ख) पराजित होना,

(ग) मुँह से भोजन करना,

(घ) स्वागत करना।

 

  1. दूध का दूध और पानी का पानी’ का क्या अर्थ है ?

(क) स्वस्थ होना,

(ख) भला करना,

(ग) सही न्याय,

(घ) बँटवारा करना।

 

  1. एक से अधिक अर्थ देने वाले शब्द कहलाते हैं

(क) विपरीतार्थक शब्द,

(ख) एकार्थी,

(ग) विलोम शब्द,

(घ) अनेकार्थी।

 

  1. किस समास में दोनों पद प्रधान होते हैं ?

(क) द्वन्द्व,

(ख) द्विगु,

(ग) कर्मधारय,

(घ) तत्पुरुष ।

 

  1. विज्ञापन शब्द का क्या अर्थ है ?

(क) असत्य बताना,

(ख) विशेष जानकारी देना,

(ग) उल्टा बताना,

(घ) इनमें से कोई नहीं।

 

उत्तर- 1. (घ), 2. (क) 3. (ख) 4. (ग) 5. (क) 6. (घ) 7. (ख) 8. (ग), 9. (घ),10. (क) 11. (ख)।

 

रिक्त स्थानों की पूर्ति

  1. वहाँ जाने का साधन………………………..”रेलगाड़ी है।
  2. कर्तृवाच्य में क्रिया……………… के अनुसार होती है।

3………………………क्रिया का सीधा सम्बन्ध कतां से होता है।

  1. ………………..क्रियाविशेषण से क्रिया होने की रीति का ज्ञान होता है।
  2. सीता खड़ी थी……………. गीता बैठी थी।
  3. ‘टेढ़ी खीर’ का अर्थ………………. है।
  4. ‘इंद का ………………….’होना’ प्रसिद्ध मुहावरा है।
  5. एक-से-अधिक अर्थ देने वाले शब्द ……………….. कहलाते हैं।
  6. ‘रसोईघर’……………………. समास का उदाहरण है।
  7. पंचवटी ………………….समास का उदाहरण है।

उत्तर- 1. सिर्फ 2. कर्ता 3. अकर्मक, 4. रीतिवाचक 5 और 6. कठिन कार्य, 7. चाँद, 8. अनेकार्थी, 9. तत्पुरुष, 10. द्विगु

 

सत्य / असत्य

  1. निपात किसी शब्द के बाद लगकर उसके अर्थ में विशेष बल देते हैं।
  2. भाववाच्य में क्रिया कर्म के अनुसार होती है।
  3. जिस क्रिया का प्रभाव कर्म पर पड़ता है वह सकर्मक क्रिया होती है। 4. स्थानवाचक क्रियाविशेषण से क्रिया के काल का बोध होता है।
  4. समानाधिकरण समुच्चयबोधक के दो भेद होते हैं।
  5. ‘आँख का तारा’ का अर्थ अत्यन्त प्रिय होना है।
  6. ‘आम के आम गुठलियों के दाम का अर्थ लगातार घाटा होना है।
  7. जिन शब्दों के कई अर्थ होते हैं वे अनेकार्थी शब्द कहलाते हैं।
  8. ‘यथाशक्ति’ अव्ययीभाव समास का उदाहरण है।
  9. सप्तऋषि में कर्मधारय समास है।

 

उत्तर- 1. सत्य, 2. असत्य, 3. सत्य 4. असत्य 5. असत्य 6. सत्य, 7. असत्य 8 सत्य, 9 सत्य, 10. असत्य।

 

सही जोड़ी मिलाइए

  1. ‘अ’
  2. मात्र, भी, ही
  3. क्रिया कर्ता के अनुसार
  4. क्रिया एवं सहायक क्रिया के योग से
  5. परिमाणवाचक क्रिया विशेषण
  6. और एवं व

 

‘ब’

(क) कर्तृवाच्य

(ख) निपात शब्द

(ग) क्रिया के परिमाण का बोध

(घ) संयुक्त क्रिया

(ङ) योजक समुच्चयबोधक

 

उत्तर- 1. (ख) 2. → (क) 3. (घ) 4. (ग) 5. (ङ)

 

  1. ‘अ’
  2. लोक की उक्ति
  3. उल्लू बनाना
  4. एक से अधिक अर्थ वाले शब्द
  5. माता-पिता
  6. घनश्याम

 

‘ब’

(क) मूर्ख बनाना

(ख) लोकोक्ति

(ग) द्वन्द्व समास

(घ) घन के समान श्याम

(ङ) अनेकार्थी

 

उत्तर – 1. (ख) 2. → (क) 3. (ङ) 4. (ग) 5. (घ)

 

एक शब्द / वाक्य में उत्तर

 

  1. “ललित भी आज आ रहा है।” वाक्य में निपात शब्द कौन-सा है ?
  2. “मेरे द्वारा पुस्तक पढ़ी जा रही है।” में कौन-सा वाच्य है ?
  3. जिन शब्दों से करने या होने का बोध होता है वे शब्द क्या कहलाते हैं ?
  4. क्रिया की विशेषता का बोध कराने वाले शब्द क्या कहलाते हैं
  5. “मैं बड़ा हूँ अतः मेरा जाना ठीक नहीं है।” वाक्य में समुच्चयबोधक क्या है ?
  6. ‘हाथ मलना’ का क्या अर्थ है ?
  7. पत्थर की लकीर’ मुहावरे का अर्थ लिखिए।
  8. एक-से-अधिक अर्थ व्यक्त करने वाले शब्दों को क्या कहते हैं ?
  9. समास के कितने प्रकार होते हैं ?
  10. ‘यथाशक्ति’ में कौन-सा समास है

 

उत्तर- 1. भी, 2. कर्मवाच्य 3. क्रिया, 4. क्रिया विशेषण, 5. अत: 6 पछताना 7. अमिट 8. अनेकार्थी शब्द, 9. छ. 10. अव्ययीभाव

 

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