लेखकों का साहित्यिक परिचय ncert class 10th hindi imp questions

अध्याय 8 लेखकों का साहित्यिक परिचय

 

  1. स्वयं प्रकाश
  • जीवन परिचय- स्वयं प्रकाश का जन्म मध्य प्रदेश के इन्दौर में सन् 1947 में हुआ। इनकी शिक्षा राजस्थान में हुई। आपने मैकेनिकल इंजीनियरिंग करने के बाद एम. ए. तथा पी-एच डी (हिन्दी) किया। साहित्यिक रुचि के कारण आप बसुधा’ पत्रिका से जुड़ गए फिर चकमक’ बाल पत्रिका का सम्पादन किया। सन् 2019 में इनका निधन हो गया।
  • रचनाएँ – (1) कहानियाँ- प्रसिद्ध कहानीकार स्वयं प्रकाश के 13 कहानी संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं। इनकी सूरज कब निकलेगा’. ‘ आएँगे अच्छे दिन भी’, ‘आदमी जात का आदमी’, ‘छोटू उस्ताद’ और ‘संधान’ चर्चित रचनाएँ रही है।

(2) उपन्यास- जलते जहाज पर ज्योतिरथ के सारथी उत्तर जीवन कथा’, ‘बीच में विनय’, ‘ईंधन” इनके प्रसिद्ध उपन्यास हैं।

(3) निबन्ध संग्रह- स्वांतः सुखाय’, ‘दूसरा पहलू’, ‘रंगशाला में एक दोपहर’, ‘एक कहानीकार की नोटबुक’ तथा ‘ क्या आप साम्प्रदायिक हैं इनके चर्चित निबन्ध संग्रह हैं। इसके अलावा इन्होंने रेखाचित्र, साक्षात्कार आदि भी लिखे हैं।

  • भाषा-शैली-भाषा-लोक जीवन से जुड़े रहे स्वयं प्रकाश की भाषा भी लोक प्रचलित व्यावहारिक है। ये सहज, सरल, सुस्पष्ट भाषा का प्रयोग करते हैं। इनकी भाषा आडम्बर तथा बनावटीपन से दूर जनसाधारण की भाषा है।

शैली- (1) भावात्मक शैली-भाव प्रधान अशों में इस शैली का प्रयोग किया गया है।

(2) वर्णनात्मक शैली- किसी घटना, वस्तु या व्यक्ति के वर्णन में यह शैली प्रयोग की गई है।

(3) चित्रात्मक शैली- इस शैली में पात्र घटना या स्थिति का शब्दों के माध्यम से चित्रण किया गया है। • साहित्य में स्थान-स्वयं प्रकाश ने अपने साहित्य में निम्न वर्ग, शोषित समाज तथा नारी उत्थान के प्रति चिन्ता व्यक्त की है। साठोत्तरी कथाकारों में स्वयं प्रकाश का महत्वपूर्ण स्थान है।

 

  1. रामवृक्ष बेनीपुरी

जीवन परिचय- रामवृक्ष बेनीपुरी का जन्म सन् 1902 ई. में बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के बेनीपुर ग्राम में एक साधारण किसान परिवार में हुआ था। बचपन में ही इनके माता-पिता का देहान्त हो गया। सन् 1920 में असहयोग आन्दोलन में भाग लेने के कारण इनकी स्कूली शिक्षा अधूरी रह गई। बाद में हिन्दी साहित्य सम्मेलन, प्रयाग से विशारद’ की परीक्षा उत्तीर्ण की। सन् 1968 में इनका निधन हो गया।

  • रचनाएँ

( 1 ) उपन्यास-पतितों के देश में

(2) रेखाचित्र – माटी की मूरतें’, ‘लालतारा’ आदि।

(3) निबन्ध – गेहूँ बनाम गुलाब’, ‘मशाल’, ‘वन्दे वाणी विनायकौं’ ।

(4) कहानी-‘चिता के फूल’, ‘कहानी संग्रह’

(5) जीवनी-महाराजा प्रताप सिंह कार्ल मार्क्स’, ‘जयप्रकाश नारायण’ आदि।

भाषा-शैली-भाषा- इनकी भाषा व्यावहारिक है। इसमें सरलता, सुबोधता और सजीवता पाई जाती है। मुहावरों और कहावतों से भाषा में सुन्दरता आ गई है। शैली- इनकी शैली के विविध रूप निम्न प्रकार हैं

(1) वर्णनात्मक शैली- इन्होंने किसी वस्तु अथवा घटना का वर्णन करते समय इस शैली का प्रयोग किया है। इस शैली की भाषा सरल, सुबोध है।

(2) भावात्मक शैली- यह शैली इनकी प्रधान शैली है। इसमें भावों की प्रबलता और मार्मिकता है। (3) प्रतीकात्मक शैली-बेनीपुरी अपनी बात को सीधे-सीधे न कहकर प्रतीकों के माध्यम से कहते हैं। इनके निबन्धों में इस शैली का अधिक प्रयोग हुआ है। (4) आलोचनात्मक शैली- बेनीपुरी ने समीक्षा के समय आलोचनात्मक शैली का प्रयोग किया है।

  • साहित्य में स्थान-भाषा शैली पर बेनीपुरी जी का असाधारण अधिकार है। भाषा सर्वथा सहज और स्वाभाविक है। इन्होंने कई पत्र पत्रिकाओं का सम्पादन किया और नाटकों, निबन्धों कहानियों और रेखाचित्रों की रचना करके हिन्दी साहित्य के भण्डार की वृद्धि की एक देशभक्त और साहित्यकार के रूप में बेनीपुरी का नाम हिन्दी साहित्य में अमर रहेगा।

 

  1. सर्वेश्वर दयाल सक्सेना
  • जीवन परिचय – सर्वेश्वर दयाल सक्सेना का जन्म उत्तर प्रदेश के जिला बस्ती में सन् 1927 में हुआ था। आपने वस्ती, वाराणसी तथा इलाहाबाद में शिक्षा प्राप्त की। कुछ दिन अध्यापन किया फिर आकाशवाणी चले गए। इसके बाद दिनमान’ के उपसम्पादक तथा ‘पराग’ के सम्पादक रहे। सन् 1983 में आपका निधन हो गया।
  • रचनाएँ- (1) रेखाचित्र, संस्मरण ।

(2) कहानी संग्रह- अंधेरे पर अंधेरा’ तथा ‘ लड़ाई |

(3) उपन्यास- पागल कुत्तों का मसीहा’, ‘सोया हुआ जल’, ‘उड़े हुए रंग’ आदि ।

(4) नाटक-‘बकरी’।

(5) बाल साहित्य-‘भाँ-भाँ, खाँ खाँ’, ‘लाख की नाक’, ‘बतूता का जूता’ ‘महंगू की टाई आदि।

(6) सम्पादन- इन्होंने बाल पत्रिका ‘पराग’ का सम्पादन किया।

(7) यात्रा वृत्तान्त- कुछ रंग कुछ गंध’

(8) काव्य संग्रह-‘ बाँस का पुल’ ‘काठ की घंटियाँ, एक सूनी नाव’, ‘गर्म हवाएँ’, ‘जंगल का दर्द’, ‘कुआनो नदी’ तथा’ खूँटियों पर टंगे लोग उनके चर्चित काव्य संग्रह हैं।

  • भाषा-शैली-भाषा- सर्वेश्वर दयाल सक्सेना की भाषा प्रवाहमयी तथा स्वाभाविकता से युक्त है। इन्होंने आवश्यकतानुसार तत्सम, तद्भव, देशज तथा विदेशी शब्दों का प्रयोग किया है। विषय के अनुरूप उनकी भाषा बदलती जाती है। उक्तियों, मुहावरों का सटीक प्रयोग हुआ है। चमत्कार तथा प्रभावशीलता इनकी भाषा की विशेषता है।
  • शैली- इनकी शैली के प्रमुख रूप निम्न प्रकार हैं

(I) भावात्मक शैली- इस शैली का प्रयोग संस्मरण तथा यात्रा वृत्तान्तों में किया गया है। सरसता, सरलता, रोचकता तथा आलंकारिकता इस शैली की विशेषताएँ हैं।

(ii) वर्णनात्मक शैली-किसी घटना, स्थिति या पात्र के विषय में वर्णन करते हुए उन्होंने इस शैली को अपनाया है।

(iii) चित्रोपम शैली- सक्सेना जो चित्रोपम शैली के द्वारा घटना, विषय या व्यक्ति का चित्र सा उपस्थित कर देते हैं। ‘मानवीय करुणा की दिव्य चमक’ में इस शैली का अच्छा प्रयोग हुआ है।

  • साहित्य में स्थान-गद्य तथा काव्य में समान अधिकार के साथ रचना करने वाले सर्वेश्वर दयाल सक्सेना का साठोत्तरी साहित्यकारों में महत्वपूर्ण स्थान है। इन्होंने नवीन विधाओं संस्मरण, रेखाचित्र आदि को सम्पन्न करने का उल्लेखनीय कार्य किया है।

 

  1. मन्नू भंडारी
  • जीवन परिचय- मन्नू भंडारी का जन्म मध्य प्रदेश के मंदसौर जिले के भानपुरा गाँव में हुआ। इनकी शिक्षा अजमेर राजस्थान में हुई। युवावस्था में स्वतन्त्रता आन्दोलन में भाग लिया। उच्च शिक्षा पूरी करके आपने दिल्ली के मिरांडा हाउस कॉलेज में अध्यापन किया। आप प्रारम्भ से हिन्दी साहित्य सृजन से जुड़ गई। नौकरी से अवकाश प्राप्त कर आप दिल्ली में साहित्य रचना में संलग्न हैं।
  • रचनाएँ-(1) कहानी संग्रह- इनके मैं हार चुकी’ ‘एक प्लेट सैलाब’, ‘यही सच है’ ‘त्रिशंकु’ आदि कहानी संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं।

(2) उपन्यास- मन्नू भंडारी के आपका बंटी’ और ‘ महाभोज’ उपन्यास बहुत प्रसिद्ध रहे हैं। एक इंच मुस्कान’ उपन्यास मन्नू भंडारी तथा उनके पति राजेन्द्र यादव दोनों ने लिखा है।

(3) नाटक- बिना दीवारों का घर’ ‘महाभोज’ उपन्यास का भी नाट्य रूपान्तरण हो चुका है। (4) आत्मकथा- एक कहानी यह भी’ प्रकाशित हो चुकी है।

(5) बाल साहित्य- आँखों देखा झूठ आसमाता’ और कलावा बाल कहानियाँ छप चुकी हैं। आपने दूरदर्शन तथा फिल्म की पटकथाएँ भी लिखी हैं।

  • भाषा-शैली-भाषा-मन्नू भंडारी ने बोलचाल की व्यावहारिक भाषा में साहित्य रचना की है। आपने आवश्यकता के अनुसार तत्सम, तद्भव देशज तथा विदेशी शब्दों का प्रयोग किया है। आप लोकोक्ति व मुहावरों का स्वाभाविक प्रयोग भी करती हैं। आपकी भाषा में सम्प्रेषण की अद्भुत क्षमता है। विषय के अनुरूप आपकी भाषा भी बदलती जाती है।

शैली- (1) भावात्मक शैली-भावात्मक स्थलों पर यह शैली अपनाई गई जिससे भाषा सरस, सरल तथा आलंकारिक हो गई है।

 

(2) वर्णनात्मक शैली-किसी घटना स्थान, वस्तु या व्यक्ति सम्बन्धी वर्णनों में यह शैली प्रयोग की गई है।

(3) संस्मरणात्मक शैली- अतीत को याद करने वाले संदर्भों में यह शैली प्रयोग की गई है।

(4) संवाद शैली-संवाद शैली के कारण आपके उपन्यासों कहानियों में सजीवता आ गई है।

( 5 ) व्यंग्यात्मक शैली मन्नू जी ने अपनी रचनाओं में स्वाभाविक विषमताओं, रूढ़ियों, नारी शोषण पर तीखे व्यग्य किए हैं।

  • साहित्य में स्थान- सशक्त कथाकार मन्नू भंडारी ने आम आदमी के दर्द, छल-कपट की राजनीति, शोषित समाज आदि का प्रभावी अंकन किया है। आधुनिक कथा साहित्य में मन्नू जी का प्रतिष्ठित स्थान है।

 

  1. महावीरप्रसाद द्विवेदी
  • जीवन परिचय – महावीरप्रसाद द्विवेदी का जन्म उत्तर प्रदेश के रायबरेली जिले के दौलतपुर गाँव में सन् 1864 में हुआ था। आप स्कूली शिक्षा पूरी करते ही रेलवे में नौकरी करने लगे। फिर नौकरी से त्यागपत्र में देकर ‘सरस्वती’ पत्रिका के सम्पादक हो गए। पत्रिका के द्वारा आपने हिन्दी के संशोधन, परिमार्जन का उल्लेखनीय कार्य किया। सन् 1938 में आपका निधन हो गया।
  • रचनाएँ – (1) निबन्ध संग्रह-‘ रसज्ञ रंजन’, ‘साहित्य सीकर’, ‘ साहित्य संदर्भ.’ अद्भुत आलाप’ आदि।

(2) आलोचना- ‘हिन्दी नवरत्न’, ‘कालिदास की निरंकुशता’, ‘विचार-वितक’, ‘ नैषध चरित चर्चा’ ‘नाट्यशास्त्र’ आदि।

(3) अनुवाद – मेघदूत’, ‘कुमारसंभव’ ‘बेकन विचार’, ‘विचार रत्नावली’ ‘स्वाधीनता’ आदि।

(4) सम्पादन सरस्वती मासिक पत्रिका।

(5) कविता संग्रह- ‘सुमन’, ‘काव्य मंजूषा’, ‘ कविता कलाप’ आदि। ‘सम्पत्तिशास्त्र’, ‘हिन्दी भाषा की उत्पत्ति’, ‘वाग्विलास’ आदि आपकी महत्वपूर्ण रचनाएँ हैं।

  • भाषा-शैली-भाषा-महावीरप्रसाद द्विवेदी को भाषा शुद्ध एवं साहित्यिक है। उसमें व्याकरणादि अशुद्धियाँ नहीं हैं। आपकी भाषा विषय के अनुसार परिवर्तित होती जाती है। आप व्यावहारिक भाषा के पक्षपाती थे। इसीलिए कठिन से कठिन विषयों को भी आपने सरल रूप में प्रस्तुत किया है।

शैली- द्विवेदी जी की शैली के प्रमुख रूप निम्न प्रकार हैं

(1) आलोचनात्मक शैली-हिन्दी के परिमार्जन कार्य में यह शैली प्रयोग हुई है। उन्होंने भाषा का परिमार्जन करते हुए अपने विरोधियों को करारे उत्तर दिए हैं।

(2) परिचयात्मक शैली- द्विवेदी जी ने विभिन्न विषयों का परिचय इसी शैली में दिया है।

(3) विचारात्मक शैली-गम्भीर विषयों के विवेचन में इस शैली का प्रयोग किया गया है। जिन विषयों पर विवाद होते थे उनको इसी शैली में स्पष्ट किया गया है।

(4) व्यंग्यात्मक शैली-द्विवेदी जी ने व्यंग्य शैली में सामाजिक, शैक्षिक आदि बुराइयों पर मधुर व्यंग्य किए हैं। इसके अलावा गवेषणात्मक भावात्मक वर्णनात्मक आदि शैली रूप भी आपने अपनाए हैं।

  • साहित्य में स्थान- हिन्दी भाषा तथा साहित्य के संशोधन परिमार्जन का कार्य करने वाले महावीरप्रसाद द्विवेदी का स्थान अत्यन्त सम्माननीय है। ‘सरस्वती’ के माध्यम से आपने अनेक लेखकों-कवियों का मार्गदर्शन किया। उन्होंने रचनाकारों को शुद्ध भाषा के प्रयोग के प्रति सजग किया। द्विवेदी जी युगों तक स्मरण किए जाते रहेंगे।

 

महत्वपूर्ण वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर

: बहु-विकल्पीय प्रश्न

 

  1. सूरज कब निकलेगा’ के लेखक हैं

(क) महावीरप्रसाद द्विवेदी,

(ख) स्वयं प्रकाश,

(ग) सर्वेश्वर दयाल सक्सेना,

(घ) रामवृक्ष बेनीपुरी।

 

  1. निम्नलिखित में रामवृक्ष बेनीपुरी की रचना है

(क) गेहूँ और गुलाब,

(ख) छोटू उस्ताद,

(ग) महाभोज,

(घ) संस्कृति ।

 

  1. ‘अंधेरे पर अंधेरा’ किसकी रचना है ?

(क) स्वयं प्रकाश की,

(ख) भदंत आनंद कौसल्यायन की

(ग) सर्वेश्वर दयाल सक्सेना की,

,(घ) मन्नू भंडारी की।

 

  1. मन्नू भंडारी की कौन-सी रचना है ?

(क) बकरी,

(ख) दादा कामरेड

(ग) जय प्रकाश नारायण,

(घ) आपका बंटी।

 

  1. ‘रसज्ञ रंजन’ के लेखक का क्या नाम है ?

(क) महावीरप्रसाद द्विवेदी

(ख) यशपाल,

(ग) मन्नू भंडारी,

(घ) सर्वेश्वर दयाल सक्सेना।

 

 

  1. भदंत आनंद कौसल्यायन की रचना है

(क) महाभोज,

(ख) बहानेबाजी,

(ग) काठ की घंटियाँ,

(घ) महाराजा प्रताप सिंह।

 

उत्तर- 1. (ख), 2. (क) 3. (ग) 4. (घ) 5. (घ) 6. (ख)।

 

रिक्त स्थानों की पूर्ति

  1. ‘आयेंगे अच्छे दिन’ के लेखक………………..है।
  2. ‘माटी की मूरतें’ के रचनाकार………………………..है।
  3. सर्वेश्वर दयाल सक्सेना ने………………….नाटक लिखा है।
  4. एक कहानी यह भी …………………द्वारा लिखित रचना है।
  5. महावीरप्रसाद द्विवेदी…………………………..पत्रिका के सम्पादक रहे।
  6. ‘संस्कृति’ के लेखक……………………………. हैं।

उत्तर- 1. स्वयं प्रकाश 2. रामवृक्ष बेनीपुरी, 3. बकरी 4. मन्नू भंडारी, कोसल्यायन। सरस्वती 6. भदंत आनंद

 

सत्य / असत्य

  1. ‘नेताजी का चश्मा’ स्वय प्रकाश की रचना है।
  2. ‘सूरज कब निकलेगा’ के लेखक रामवृक्ष बेनीपुरी हैं।
  3. पागल कुत्तों का मसीहा’ सर्वेश्वर दयाल सक्सेना की रचना है।
  4. ‘माटी की मूरतें’ की लेखिका मन्नू भंडारी है।
  5. ‘साहित्य सीकर महावीरप्रसाद द्विवेदी की रचना है।
  6. ‘देश की मिट्टी बुलाती है’ भदंत आनंद कौसल्यायन की रचना है।

 

उत्तर- 1. सत्य, 2. असत्य, 3. सत्य, 4. असत्य 5. सत्य, 6. सत्य।

 

  • सही जोड़ी मिलाइए

 

‘अ’

  1. आदमी जात का आदमी
  2. रामवृक्ष बेनीपुरी
  3. महाभोज
  4. सर्वेश्वर दयाल सक्सेना
  5. विचार और वितक
  6. भदंत आनंद कौसल्यायन

 

‘ब’

(क) पतितों के देश में

(ख) स्वयं प्रकाश

(ग) बकरी

(घ) मन्नू भंडारी

(ङ) भिक्षु के पत्र

(च) महावीरप्रसाद द्विवेदी

 

उत्तर – 1. (ख) 2. (क) 3. (घ) 4. (ग) 5. (च) 6. (ङ) ।

 

: एक शब्द / वाक्य में उत्तर

 

  1. स्वयं प्रकाश का जन्म किस सन् में हुआ था ?
  2. रामवृक्ष बेनीपुरी की कौन-सी रचना आपके पाठ्यक्रम में है ?
  3. सर्वेश्वर दयाल सक्सेना किस पत्रिका के सम्पादक रहे थे?
  4. ‘आपका बंटी’ किसकी रचना है
  5. ‘साहित्य सीकर के लेखक का क्या नाम है ?
  6. भदंत आनंद कौसल्यायन का निधन किस सन् में हुआ था ? में

उत्तर – 1. सन् 1947 में, 2. बालगोबिन भगत, 3. ‘पराग’ के, 4. मन्नू भंडारी की, 5. महावीरप्रसाद द्विवेदा. 6. सन् 1988 में

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