नौबतखाने में इबादत पाठ 7 -यतीन्द्र मिश्र व्यक्ति-चित्र MP Board हिन्दी क्षितिज Hindi Class-10 क्षितिज-हिंदी class 10 Hindi पाठों के अभ्यास एवं अन्य परीक्षोपयोगी महत्त्वपूर्ण प्रश्न

नौबतखाने में इबादत पाठ 7 -यतीन्द्र मिश्र व्यक्ति-चित्र

अभ्यास प्रश्न
प्रश्न 1. शहनाई की दुनिया में डुमराँव को क्यों याद किया जाता है?
उत्तर-शहनाई की दुनिया में डुमराँव को इसलिए याद किया जाता है कि शहनाई बनाने के काम में जिस रीड का प्रयोग किया जाता है वह नरकट (एक प्रकार की घास) इसी गाँव के किनारे पर स्थित सोन नदी के किनारे पाई जाती है। यह रीड अन्दर से पोली होती है।

प्रश्न 2. बिस्मिल्ला खाँ को शहनाई की मंगलध्वनि का नायक क्यों कहा गया है?
उत्तर-शहनाई का प्रयोग प्रमुख रूप से मांगलिक कार्यों के अवसर पर किया जाता है। बिस्मिल्ला खाँ एक प्रमुख शहनाई वादक थे। इसलिए उन्हें शहनाई की मंगलध्वनि का नायक कहा गया है।

प्रश्न 3. सुषिर-वाद्यों से क्या अभिप्राय है ? शहनाई को “सुषिर वाद्यों में शाह’ की उपाधि क्यों दी गई होगी ?
उत्तर-जो वाद्य मुँह की हवा से फूंककर बजाए जाते हैं उन्हें सुषिर वाद्य कहा जाता है। शहनाई, मुरली, शृंगी आदि इसी श्रेणी में आते हैं। शहनाई को ‘शाहेनय’ अर्थात् सुषिर वाद्यों में शाह की उपाधि इसलिए दी गयी होगी कि फूंककर बजाये जाने वाले वाद्यों में शहनाई ही सबसे बढ़िया तथा लोकप्रिय है।

प्रश्न 4. आशय स्पष्ट कीजिए-
(क) ‘फटा सुर न बखगे। लुंगिया का क्या है, आज फटी है, तो कल सी जाएगी।’ आएँ।’
(ख) ‘मेरे मालिक सुर बाणा दे। सुर में वह तासीर पैदा कर कि आँखों से सच्चे पोती की तरह अनगढ़ ऑयू निकल
उत्तर-
(क) आशय-बिस्मिल्ला खाँ की एक शिष्या द्वारा उनसे फटे हुए, तहमद के विषय में प्रश्न करने पर वे कहते हैं कि खुदा से यही प्रार्थना है कि वे हमें फटा हुआ स्वर न दें। तहमद तो आज फटा है तो कल सिलाई करके ठीक हो जायेगा परन्तु स्वर फट गया तो सम्पूर्ण जीवन की साधना ही चली जायेगी।
(ख) आशय-बिस्मिल्ला खाँ खुदा से प्रार्थना करते हैं कि वे मेरे स्वर को खराब न करें। मेरी शहनाई के स्वर में ऐसी शक्ति भर दें कि सुनने वालों की आँखों में भाव-विभोर होकर बहुत से आँसू निकल आएँ।

प्रश्न 5. काशी में हो रहे कौन-से परिवर्तन बिस्मिल्ला खाँ को व्यथित करते थे?
उत्तर-काशी की रीति-रिवाजों तथा परम्पराओं में आज परिवर्तन आ गया है। गायकों के मन में संगतकारों के लिए आदर का भाव नहीं रहा है। घंटों तक किए जाने वाले रियाज का कोई महत्त्व नहीं रहा है तथा संगीत-साहित्य आदि की परम्पराएँ समाप्त-सी हो गयी हैं। काशी में हो रहे ऐसे ही परिवर्तन बिस्मिल्ला खाँ को व्यथित करते थे।

प्रश्न 6. पाठ में आए किन प्रसंगों के आधार पर आप कह सकते हैं कि-
(क) बिस्मिल्ला खाँ मिली-जुली संस्कृति के प्रतीक थे।
(ख) वे वास्तविक अर्थों में एक सच्चे इन्सान थे।
उत्तर-
(क) काशी विश्वनाथ के प्रति अगाध प्रेम को देखकर पता चलता है कि बिस्मिल्ला खाँ मिली-जुली संस्कृति के प्रतीक थे। वे प्रतिदिन बालाजी के दरबार में जाकर भी शहनाई बजाते थे। जब वे कहीं बाहर संगीत-वादन हेतु जाते थे तब भी विश्वनाथ तथा बालाजी मन्दिर की दिशा की ओर अपना मुँह करके जरूर बैठते थे। वे होली को भी मुहर्रम के समान मानते थे।
(ख) संगीत नायक बिस्मिल्ला खाँ के मन में किसी भी सम्प्रदाय-धर्म के प्रति भेद-भाव नहीं था। वे सभी को समान रूप से देखते थे। हिन्दुओं का तीर्थस्थल होने पर भी वे काशी को छोड़ना नहीं चाहते थे। इन्हीं गुणों से वे एक सच्चे इंसान थे।

प्रश्न 7. बिस्मिल्ला खाँ के जीवन से जुड़ी उन घटनाओं और व्यक्तियों का उल्लेख करें जिन्होंने उनकी संगीत साधना को समृद्ध किया ?
उत्तर-शहनाई वादन बिस्मिल्ला खाँ के पूर्वजों से ही चला आ रहा था। अत: उनका जन्म भी शहनाई के वातावरण में ही हुआ था। जब बिस्मिल्ला खाँ की उम्र चौदह वर्ष की थी तब उन्हें संगीत का रियाज़ करने हेतु बालाजी मन्दिर में जाना पड़ता था। उसी मार्ग में रसूलनबाई तथा बतूलनबाई दो बहनों का घर पड़ता था। इस मार्ग में उन्हें ठुमरी, टप्प, दादरा आदि के स्वर भी सुनाई देते थे। दोनों बहनें जब गाती थी तब बिस्मिल्ला खाँ को खुशी मिलती थी। उन्हें संगीत के प्रति आसक्ति इन्हीं बहनों से मिली थी। एक प्रकार से बिस्मिल्ला खाँ के जीवन से जुड़ी घटनाओं और व्यक्तियों में रसूलनबाई तथा बतूलनबाई ने उनकी संगीत साधना को समृद्ध किया। रचना और अभिव्यक्ति

प्रश्न 8.बिस्मिल्ला खाँ के व्यक्तित्व की कौन-कौन-सी विशेषताओं ने आपको प्रभावित किया है ?
उत्तर-बिस्मिल्ला खाँ के व्यक्तित्व की अनेक विशेषताएँ हैं जिन्होंने हमें प्रभावित किया है। अपने स्वर को अच्छे से अच्छा बनाने के लिए उन्होंने ताउम्र तपस्या की। वे किसी भी धर्म-सम्प्रदाय को अलग नहीं मानते थे। मुसलमान होकर भी हनुमान तथा विश्वनाथ (शिव) को हो अपना ईश्वर मानते थे। काशी के प्रति आपके मन में विशेष वृद्धा थी।

प्रश्न 9. मुहर्रम से बिस्मिल्ला खाँ के जुड़ाव को अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर-बिस्मिल्ला खाँ और शहनाई के साथ जिस मुस्लिम पर्व का नाम जुड़ा है वह मुहर्रम है। मुहर्रम का महीना वह होता है जिसमें शिया मुसलमान हज़रत इमाम हुसैन एवं उनके कुछ वंशजों के प्रति शोक मनाते हैं। दस दिन तक शोक मनाया जाता है।’ बिस्मिल्ला खाँ बतलाते हैं कि मुहर्रम के दिनों में उनके खानदान का कोई व्यक्ति शहनाई नहीं बजाता है। आठवें दिन बिस्मिल्ला खाँ खड़े होकर शहनाई बजाते हैं।

प्रश्न 10. बिस्मिल्ला खाँ कला के अनन्य उपासक थे, तर्क सहित उत्तर दीजिए।
उत्तर-यह सत्य है कि बिस्मिल्ला खाँ कला के अनन्य उपासक थे। अस्सी वर्ष की आयु में भी वे सच्चा एवं अच्छा सुर पाने के लिए खुदा से प्रार्थना करते रहते थे। इस उम्र में भी वे शहनाई बजाने का रियाज़ करते रहते थे। भाषा-अध्ययन

प्रश्न 11. निम्नलिखित मिश्च वाक्यों के उपवाक्य छाँटकर भेद भी लिखिए-
(क) यह जरूर है कि शहनाई और डुमरांव एक-दूसरे लिए उपयोगी हैं।
(ख) रीड अन्दर से पोली होती है जिसके सहारे शहनाई को फूंका जाता है।
(ग) रीड नरकट से बनाई जाती है जो डुमराँव में मुख्यतः सोन नदी के किनारों पर पाई जाती है।
(घ) उनको यकीन है, कभी खुदा यूँ ही उन पर मेहरबान होगा।
(ङ) हिरन अपनी ही महक से परेशान पूरे जंगल में उस वरदान को खोजता है जिसकी गमक उसी में समाई है।
(च) खाँ साहब की सबसे बड़ी देन हमें यही है कि पूरे अस्सी बरस उन्होंने संगीत को सम्पूर्णता व एकाधिकार से सीखने की जिजीविषा को अपने भीतर जिन्दा रखा।
उत्तर-
(क) कि शहनाई और डुमराँव एक-दूसरे के लिए उपयोगी हैं। (संज्ञा उपवाक्य)
(ख) जिसके सहारे शहनाई को फंका जाता है। (विशेषण उपवाक्य)
(ग) जो डुमराँव में मुख्यतः सोन नदी के किनारों पर पाई जाती है। (विशेषण उपवाक्य)
(घ) कभी खुदा यूँ ही उन पर मेहरबान होगा। (संज्ञा उपवाक्य)
(ङ) जिसकी गमक उसी में समाई है। (विशेषण उपवाक्य)
(च) कि पूरे अस्सी बरस उन्होंने संगीत को सम्पूर्णता व एकाधिकार से सीखने की जिजीविषा को अपने भीतर जिन्दा रखा। (संज्ञा उपवाक्य)

प्रश्न 12. निम्नलिखित वाक्यों को मिश्रित वाक्यों में बदलिए-
(क) इसी बालसुलभ हँसी में कई यादें बन्द हैं।
(ख) काशी में संगीत आयोजन की एक प्राचीन एवं अद्भुत परम्परा है।
(ग) धत्! पगली ई भारतरत्न हमको शहनईया पे मिला है, लुंगिया पे नाहीं।
(घ) काशी का नायाब हीरा हमेशा से दो कौमों को एक होकर आपस में भाईचारे के साथ रहने की प्रेरणा देता रहा।

उत्तर-
(क) यही वह बालसुलभ हँसी है जिसमें कई यादें बंद हैं।
(ख) काशी वह स्थान है जहाँ संगीत आयोजन की एक प्राचीन एवं अद्भुत परम्परा है।
(ग) धत् ! पगली ई भारतरत्न हमको लुंगिया पे नाहीं बल्कि शहनईया पे मिला है।
(घ) यह काशी का वह नायाब हीरा है जो हमेशा से दो कौमों को एक होकर आपस में भाईचारे के साथ रहने की प्रेरणा देता रहा।

पाठेतर सक्रियता

1. कल्पना कीजिए कि आपके विद्यालय में किसी प्रसिद्ध संगीतकार के शहनाई वादन का कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। इस कार्यक्रम की सूचना देते हुए बुलेटिन बोर्ड के लिए नोटिस बनाइए।
उत्तर-विद्यार्थी स्वयं नोटिस तैयार करें।

2. आप अपने मनपसंद संगीतकार के बारे में एक अनुच्छेद लिखिए।
उत्तर-विद्यार्थी स्वयं अनुच्छेद लिखें।

3. हमारे साहित्य, कला, संगीत और नृत्य को समृद्ध करने में काशी (वाराणसी) के योगदान पर चर्चा कीजिए।
उत्तर-विद्यार्थी अपने-अपने आदरणीय गुरुजनों एवं सहपाठियों के साथ स्वयं चर्चा करें।

4. काशी का नाम आते ही हमारी आँखों के सामने काशी की बहुत-सी चीजें उभरने लगती हैं, वे कौन-कौन-सी हैं ?
उत्तर-काशी का नाम सुनते ही हमारी आँखों के सामने काशी की बहुत-सी चीजें उभरने लगती हैं। उनमें से प्रमुख रूप से वहाँ की गंगा माता, बाबा विश्वनाथ, बालाजी महाराज, विद्याधरी तथा रामदास महाराज प्रसिद्ध हैं।

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