पूरक पाठ्य-पुस्तक (कृतिका) 5. पाठ सारांश तथा पाठान्त अभ्यास पाठ 1 माता का अँचल -शिवपूजन सहाय
उपन्यास-अंश
अभ्यास (स्व)
प्रश्न 1. प्रस्तुत पाठ के आधार पर यह कहा जा सकता है कि बच्चे का अपने पिता से अधिक जुड़ाव था, फिर भी विपदा के समय वह पिता के पास न जाकर माँ की शरण लेता है। आपकी समझ से इसकी क्या वजह हो सकती है ?
उत्तर-पाठ के आधार पर यह कहा जा सकता है कि बच्चे का अपने पिता से अधिक जुड़ाव था, फिर भी विपदा के समय वह पिता के पास न जाकर माँ की शरण लेता से माता का प्रेम भरा आँचल तथा उसकी ममता प्रमुख वजह हो सकती है। माता के आँचल में आकर बच्चा भयमुक्त हो जाता है। बच्चे के लिए माता एक सुरक्षा कवच के रूप में होती है। एक हमारी समझ बार को पिता तो उस पर क्रोध भी कर सकता है तथा पोट सकता है परन्तु माँ ऐसा करने पर भी अंत में उसे अपने आँ- में छिपा लेती है।
प्रश्न 2. आपके विचार से भोलानाथ अपने साथियों देखकर सिसकना क्यों भूल जाता है ?
उत्तर-हमारे विचार से भोलानाथ अपने साथियों देखकर सिसकना इसलिए भूल जाता है क्योंकि वह खेल खेल का शौकीन था। बच्चों का यह स्वभाविक गुण होता है कि कितने भी रो रहे हों और खेलने का नाम सुनकर तथा साथी बच्च से मिलकर रोना बन्द कर देते हैं। भोलानाथ अपने साथियों के देखकर सिसकना भूल जाता है। साथ मिलकर कभी घर-घर खेलता तो कभी नाटक का अभिनय करता था। अतः इन्हीं कारणों से भोलानाथ अपने साथियों को
प्रश्न 3. आपने देखा होगा कि भोलानाथ और उसके साथी जब-तब खेलते खाते समय किसी-न-किसी प्रकार की तुकबन्दी करते हैं। आपको यदि अपने खेलों आदि से जुड़ी तुकबन्दी याद हो तो लिखिए।
उत्तर-हमें भी अपने बचपन के खेलों आदि से जुड़ी तुकबन्दी याद है। वह इस प्रकार है- अटकन-बटकन दही चटा के, बाग डोल वैरागिनि ठाड़ी, मकोई को फूल, मकोई का फलवा, मामा लाए सात कटोरी, एक कटोरी फूटी, मामा की बहू रूठी, किस बात पर रूठी, विछाय दे रानी पलका, बहू के हुआ लड़का। और भी-पोशम पा भई पोशम पा, डाक खिलौने क्या-क्या, सौ रुपये की घड़ी चुराई, अब तो जेल में जाना पड़ेगा, जेल का खाना, खाना पड़ेगा, जेल का पानी पीना पड़ेगा।
प्रश्न 4. भोलानाथ और उसके साथियों के खेल और खेलने की सामग्नी आपके खेल और खेलने की सामग्री से किस प्रकार भिन्न है?
उत्तर- भोलानाथ और उसके साथियों के खेल और खेलने की सामग्री हमारे खेल और खेलने की सामग्री से पूर्णत: विपरीत है। भोलानाथ और उसके साथी घरेलू सामान; जैसे-कड़ाही, चिमटा, गुड्डा-गुड़िया, राजा-रानी (कपड़े से बने) तथा घास-फूस आदि से खेल खेलते थे जबकि आज हम चैस, कैरम, लूडो, टेनिस, क्रिकेट, फुटबॉल आदि खेल खेलते हैं।
प्रश्न 5. पाठ में आए ऐसे प्रसंगों का वर्णन कीजिए जो आपके दिल को छू गए हों।
उत्तर-पाठ में आए तथा हमारे दिल को छूने वाले प्रमुख प्रसंग निम्न प्रकार हैं- (1) जब बाबू जी रामायण का पाठ करते तब हम उनकी बगल में बैठे-बैठे आइने में अपना मुँह निहारा करते थे। जब वह हमारी ओर देखते तब हम कुछ लजाकर और मुसकराकर आइना नीचे रख देते थे। वह भी मुसकरा पड़ते थे। मछलियों को खिलाने लगते तब भी हम उनके कन्धे पर ही (2) जब वह गंगा में एक-एक आटे की गोलियाँ फेंककर बैठे-बैठे हँसा करते थे। जब वह मछलियों को चारा देकर घर की ओर लौटने लगते तब बीच रास्ते में झुके हुए पेड़ों की डालों पर हमें बिठाकर झूला झुलाते थे। (3) कभी कभी बाबू जी हमसे कुश्ती भी लड़ते। वह शिथिल होकर हमारे बल को बढ़ावा देते और हम उनको पछाड़ देते थे। यह उतान पड़ जाते और हम उनकी छाती पर चढ़ जाते थे। जब हम उनकी लम्बी-लम्बी मूंछे उखाड़ने लगते तब वह हँसते हँसते हमारे हाथों को मूंछों से छुड़ाकर उन्हें चूम लेते थे। (4) एक टीले पर जाकर हम लोग चूहों के बिल से पानी उलीचने लगे। नीचे से ऊपर पानी फेंकना था। हम सब थक गए। तब तक गणेश जी के चूहे की रक्षा के लिए शिव जी का साँप निकल आया। रोते-चिल्लाते हम लोग बेतहाशा भाग चले! कोई औंधा गिरा, कोई अंटाचिट। किसी का सिर फूटा, किसी के दाँत टूटे।
प्रश्न 6. इस उपन्यास अंश में तीस के दशक की ग्राम्य संस्कृति का चित्रण है। आज की ग्रामीण संस्कृति में आपको किस तरह के परिवर्तन दिखाई देते हैं ?
उत्तर-इस उपन्यास अंश (माता का अँचल) में तीस के दशक की ग्राम्य संस्कृति का चित्रण है किन्तु आज की ग्रामीण संस्कृति में अनेक परिवर्तन दिखलाई देते हैं। आज ग्रामीण क्षेत्र में भी शहरों की तरह ही खेल के मैदान, विद्यालय, अस्पताल, धर्मशालाएँ, पार्क आदि पाए जाते हैं। आज गाँव का वातावरण भी शहरों के समान हो गया है। सड़कें, आवागमन के साधन, कार्यालय, बैंक, आदि के विस्तार से ग्रामीण लोगों को अपने गाँव में ही सभी सुविधाएँ प्राप्त हो जाती हैं। इतना ही नहीं रोजगार के अवसर भी ग्रामीणों को गाँव में ही प्राप्त होने लगे हैं। ग्रामीण लोग अंधविश्वासों का परित्याग करके वास्तविकता पर ध्यान दे रहे हैं।
प्रश्न 7. पाठ पढ़ते-पढ़ते आपको भी अपने माता-पिता का लाड़-प्यार याद आ रहा होगा। अपनी इन भावनाओं को डायरी में अंकित कीजिए।
उत्तर-अपनी भावनाओं को डायरी में विद्यार्थी स्वयं अंकित करें।
प्रश्न 8. माता-पिता का बच्चे के प्रति जो वात्सल्य व्यक्त हुआ है, उसे अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर-माता का अँचल पाठ में माता-पिता का अपने बच्चे (भोलानाथ) के प्रति निश्चित रूप से वात्सल्य व्यक्त हुआ है। बालक भोलानाथ द्वारा पिता के साथ कुश्ती लड़ना, कंधे पर बैठना, मूंछे खींचना आदि क्रियाएँ पिता के वात्सल्य का तथा माता द्वारा यह कहना कि “आप तो चार-चार दाने के कौर बच्चे के मुँह में देते जाते हैं; इससे वह थोड़ा खाने पर भी समझ लेता है कि हम बहुत खा गए; आप खिलाने का ढंग नहीं जानते-बच्चे को भर-मुँह कौर खिलाना चाहिए। जब खाएगा बड़े-बड़े कौर, तब पाएगा दुनिया में और। देखिए, मैं खिलाती हूँ। मरदुए क्या जाने कि बच्चों को कैसे खिलाना चाहिए, और महतारी के हाथ से खाने पर बच्चों का पेट भी भरता है।” यह कह वह थाली में दही-भात सानती और अलग-अलग तोता, मैना, कबूतर, हंस, मोर आदि के बनावटी नाम से कौर बनाकर यह कहते हुए खिलाती जाती कि जल्दी खा लो, नहीं तो उड़ जाएँगे; पर हम उन्हें इतनी जल्दी उड़ा जाते थे कि उड़ने का मौका ही नहीं मिलता था। इसके अतिरिक्त माता द्वारा बच्चे को नहलाना, चोटी गूंथना, काजल लगाना इत्यादि बातें माता-पिता के वात्सल्य को व्यक्त करती हैं।
प्रश्न 9. ‘माता का अँचल’ शीर्षक की उपयुक्तता बताते हुए कोई अन्य शीर्षक सुझाइए।
उत्तर-प्रस्तुत पाठ का शीर्षक माता का अँचल पूर्ण रूप से उपयुक्त है क्योंकि इसमें माता-पिता के वात्सल्य भाव का वर्णन है। संसार में माता का आँचल सबसे बड़ा होता है। पाठान्त में सर्प द्वारा भयभीत होने के कारण भोलानाथ पिता द्वारा असीम प्रेम करने पर भी अपनी माता के आँचल में जाकर ही छुपता है तथा भय से मुक्त होता है। माता के आँचल में ही बच्चों को परम सुख का अनुभव करता है। अतः यह शीर्षक कथानुसार उचित है। इसके अतिरिक्त माँ का दुलार, माँ की ममता शीर्षक भी उचित हो सकते हैं।
प्रश्न 10. बच्चे माता-पिता के प्रति अपने प्रेम को कैसे अभिव्यक्त करते हैं ?
उत्तर-बच्चे माता-पिता के प्रति अपने प्रेम को अनेक प्रकार से अभिव्यक्त कर सकते हैं, जैसे- (1) माता-पिता के अस्वस्थ होने पर उनकी सेवा आदि (2) माता-पिता के दैनिक कार्यों में उनकी मदद करके। (3) माता-पिता का कहना मानकर तथा उनके बतलाए गए करके। मार्ग पर चलकर। (4) उनकी सभी प्रकार से सेवा करके आदि।
प्रश्न 11. इस पाठ में बच्चों की जो दुनिया रची गई है वह आपके बचपन की दुनिया से किस तरह भिन्न है ?
उत्तर- इस पाठ (माता का अँचल) में बच्चों की जो दुनिया रची गई है वह हमारे बचपन की दुनिया से भिन्न हो गई है। पहले मनोरंजन के साधनों की कमी थी परन्तु आज अनेक मनोरंजन एवं खेल के साधन हो गए हैं। पहले बच्चे का शारीरिक विकास हो जाने पर ही उसे गुरुकुल या विद्यालय में पढ़ने के लिए बैठाया जाता था परन्तु आजकल तो बच्चा ठीक से बैठ भी नहीं पाता तब तक उसे विद्यालय में पढ़ने के लिए भेज दिया जाता है। उनका अधिकांश समय पढ़ने-लिखने में ही व्यतीत हो जाता है। आज बच्चे को जो समय मिलता भी है वह टी. वी. एवं मोबाइल देखने में व्यतीत हो जाता है।
प्रश्न 12. फणीश्वरनाथ ‘रेणु’ और नागार्जुन की आंचलिक रचनाओं को पढ़िए।
उत्तर-विद्यार्थी अपने विद्यालय के पुस्तकालय से पढ़ें। फणीश्वरनाथ ‘रेणु’ तथा नागार्जुन की आंचलिक रचनाएँ लेकर
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