पाठ 2 बालगोबिन भगत
-रामवृक्ष बेनीपुरी -रेखाचित्र
अभ्यास प्रश्न
प्रश्न 1. खेतीबारी से जुड़े गृहस्थ बालगोबिन अपनी किन चारित्रिक विशेषताओं के कारण साधु कहलाते थे ?
उत्तर-खेतीबारी से जुड़े गृहस्थ बालगोबिन की जीवन शैली बिल्कुल साधारण थी। वे साधू स्वभाव वाले व्यक्ति थे। वे कभी झूठ नहीं बोलते थे, खरी बात कहते थे, बिना कारण के किसी से झगड़ा नहीं करते बिना पूछे किसी की वस्तु को हाथ नहीं लगाते थे तथा दूसरे के खेत में शौच के लिए भी नहीं जाते थे। वे कबीरदास जी को साहब मानते थे। खेत में जो भी पैदा हो सका वे साहब के दरबार में कुछ भाग जरूर भेंट करते थे। अत: इन्हीं गुणों के कारण भगत जी साधु कहलाते थे।
प्रश्न 2. भगत की पुत्रवधू उन्हें अकेले क्यों नहीं छोड़ना चाहती थी?
उत्तर-भगत की पुत्रवधू उन्हें अकेले इसलिए नहीं छोड़ना चाहती थी कि बेटे की मृत्यु के बाद पुत्रवधू के अतिरिक्त उनकी देख-भाल करने वाला कोई नहीं था। पुत्रवधू को भी भगत जी उसके भाई के साथ भेजना चाहते हैं। अत: भोजन-पानी के लिए उनके पास कोई सहारा नहीं था।
प्रश्न 3. भगत ने अपने बेटे की मृत्यु पर अपनी भावनाएँ किस तरह व्यक्त की?
उत्तर- बेटे की मृत्यु होने पर भगत ने उसे एक चटाई पर लिटाकर सफेद कपड़े से ढक दिया। उसके पास कुछ फूल तथा तुलसीदल बिखेर दिए। सिर के पास एक चिराग जला दिया था। वे उसके पास बैठकर गीत गाने में संलग्न हो गए। उनका मानना था कि आत्मा, परमात्मा के पास चली गयी।
प्रश्न 4. भगत के व्यक्तित्व और उनकी वेश-भूषा का अपने शब्दों में चित्र प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर-बालगोबिन भगत साधु स्वभाव के व्यक्ति थे। वे मँझोले कद के गोरे-चिट्टे थे। उनकी उम्र लगभग साठ साल की थी। बाल पक गए थे। वे लम्बी दाढ़ी या जटाजूट तो नहीं रखते थे किन्तु हमेशा उनका चेहरा सफेद बालों से चमकता रहता था। वे कपड़ों में कमर पर लंगोटी तथा सिर पर कबीरपंथियों जैसे कनफटी टोपी पहनते थे। सर्दी के समय में एक काला कम्बल शरीर पर धारण कर लेते थे। वे माथे रामानंदी चन्दन लगाते तथा गले में तुलसी-जड़ों की बेडौल माला पहने रहते थे।
प्रश्न 5. बालगोबिन भगत की दिनचर्या लोगों के अचरज का कारण क्यों थी?
उत्तर-बालगोबिन भगत संत होने के साथ-साथ परिश्रमी भी थे। आलस तो उनके पास आता भी नहीं था। बुढ़ापे में भी वे जवानी जैसे काम करते रहते थे। वे पैदल ही तीस कोस चलकर गंगा स्नान के लिए कभी-कभी जाते थे। खाना भी घर से खाकर जाते और घर लौटकर ही खाते थे। तबियत खराब होने पर भी उन्होंने स्नान-ध्यान नहीं छोड़ा था। इन्हीं गुणों के कारण लोग उन पर अचरज करते थे।
प्रश्न 6, पाठ के आधार पर बालगोबिन भगत के मधुर गायन की विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर-खेती में काम करते समय भी भगत जी गायन करते रहते थे। उनके मधुर गायन को सुनकर अन्य किसान-मजदूर भी गायन की धुन में मस्त हो जाते थे। गर्मी के दिनों में वे अपने घर के आँगन में ही मण्डली में बैठकर गाते थे तथा भाव-विभोर होने पर नाचने लगते थे। उनके मधुर गायन को सुनकर श्रोता भी नाचते लगते थे।
प्रश्न 7. कुछ मार्मिक प्रसंगों के आधार पर यह दिखाई देता है कि बालगोबिन भगत प्रचलित सामाजिक मान्यताओं को नहीं मानते थे। पाठ के आधार पर उन प्रसंगों का उल्लेख कीजिए। उत्तर-कुछ मार्मिक प्रसंगों के आधार पर यह दिखाई देता है कि बालगोबिन भगत प्रचलित सामाजिक मान्यताओं को नहीं मानते थे, जैसे-अपने इकलौते पुत्र की मृत्यु पर भी शोक नहीं करते हैं और कहते हैं कि आत्मा-परमात्मा में जाकर मिल गई है। अपनी विधवा पुत्रवधू का पुनर्विवाह करने के लिए उसके भाई से कहते हैं। अपने बेटे का अन्तिम क्रिया-कर्म भी वे स्वयं न करके पुत्रवधू से कराते हैं।
प्रश्न 8. धान की रोपाई के समय समूचे माहौल को भगत की स्वर लहरियाँ किस तरह चमत्कृत कर देती थीं ? उस माहौल का शब्द-चित्र प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर-एक बार आषाढ़ मास में रिमझिम वर्षा हो रही थी। पूरा गाँव कृषि कार्य में संलग्न था। धान के पानी भरे खेतों में बच्चे उछल-कूद कर रहे थे। स्त्रियाँ कलेवा लेकर खेत की मेंड़ पर बैठी थीं। आकाश में बादल छाए हुए थे तथा पुरवाई हवा चल रही थी। कीचड़ में सने हुए भगत अपने खेतों में पौध गाढ़ते हुए गीत गा रहे थे। किसान, बच्चे तथा महिलाएँ सभी उनके गीत को सुनकर मंत्रमुग्ध से हो रहे थे। उनके मधुर गीत को सुनकर बच्चे झूमने लगते हैं, महिलाएँ गुनगुनाते लगती हैं तथा किसान स्वरों के आधार पर धान की पौध लगाने में संलग्न हो जाते हैं। रचना और अभिव्यक्ति
प्रश्न 9. पाठ के आधार पर बताएँ कि बालगोबिन भगत की कबीर पर श्रद्धा किन-किन रूपों में प्रकट हुई है?
उत्तर-बालगोबिन भगत की कबीर पर अटूट श्रद्धा योनले कबीरदास जी को ‘साहब’ के रूप में मानते थे। उन्हीं के गीत गाते घे तथा उन्हीं के आदर्शों का पालन करते थे। वे कपड़े भी कबीर पंथियों के अनुसार ही पहनते थे। भगत कबीर के समान पाखण्ड के विरोधी थे। उनके खेत में जो भी उत्पन्न होता था। उसके कुछ भाग अपने साहब को समर्पित करते थे। शेष भाग को कबीर का प्रसाद समझकर ग्रहण करते थे। वे सजन एवं परोपकारी थे।
प्रश्न 10. आपकी दृष्टि में भगत की कबीर पर अगाय श्रद्धा के क्या कारण रहे होंगे?
उत्तर-यह सच है कि भगत की कबीर के प्रति अगाध श्रद्धा थी। भगत की नजर में कबीर का मार्ग एक सच्चा मार्ग था। वे पाखण्ड का खण्डन करते थे। कबीर का एक-एक पट सत्य से परिपूर्ण है। इन्हीं सब बातों के कारण भगत की कबीर पर अगाध श्रद्धा थी।
प्रश्न 11. गाँव का सामाजिक-सांस्कृतिक परिवेश आषाढ़ चलते ही उल्लास से क्यों भर जाता है ?
उत्तर-गाँव का सामाजिक सांस्कृतिक परिवेश आषाढ़ चलते ही उल्लास से इसलिए भर जाता है कि इस महीने के आते ही बरसात शुरू हो जाती है और कृषि कार्य प्रारम्भ हो जाता है। खेती ही किसान की आय का साधन होती है। बच्चों को बरसात के पानी में खेलने का मौका मिलता है। अत: गाँव में इस महीने से उल्लास की लहर दौड़ जाती है।
प्रश्न 12. “ऊपर की तस्वीर से यह नहीं माना जाए कि बालगोबिन भगत साधु थे।” क्या ‘साधु’ की पहचान पहनावे के आधार पर की जानी चाहिए? आप किन आधारों पर यह सुनिश्चित करेंगे कि अमुक व्यक्ति ‘साधु’ है ?
उत्तर-साधु का अर्थ होता है-सज्जन। अत: साधु को पहचान पहनावे के आधार पर नहीं की जानी चाहिए। केवल रंगे हुए कपड़े पहनने से कोई व्यक्ति साधु नहीं बन सकता है। साधु व्यक्ति को तो बड़ा क्षमाशील, आचार-विचारशील तथा के गुण हैं तो वही साधु हो सकता है। बालगोबिन भगत एक सच्चे साधु के उदाहरण हैं। व्यावहारिक होना चाहिए। यदि किसी व्यक्ति में इस प्रकार
प्रश्न 13. मोह और प्रेम में अन्तर होता है। भगत के जीवन की किस घटना के आधार पर इस कथन का सच सिद्ध करेंगे?
उत्तर वास्तव में मोह और प्रेम में अन्तर होता है। प्रेम तो किसी भी जीव के प्रति दर्शाया जा सकता है परन्तु मोह में की न कोई लालच छिपा होता है। भगत जी के जीवन की पुत्र की मृत्यु तथा पुत्रवधू के विधवा होने की घटना के आधार पर इस कथन का सच सिद्ध होता है।
भाषा अध्ययन
प्रश्न 14. इस पाठ में आए कोई दस क्रियाविशेषण छाँटकर लिखिए और उनके भेद भी बताइए।
उत्तर- इस पाठ में आए क्रियाविशेषण और उनके भेद निम्न प्रकार हैं-
(1) उनका चेहरा सफेद बालों से ही जगमग किए रहता। (संकेतवाचक) (2) कपड़े बिलकुल कम पहनते। (परिमाणवाचक) (3) थोड़ी ही देर पहले मूसलाधार वर्षा खत्म हुई है। (कालवाचक) (4) अभी आसमान के तारों के दीपक बुझे नहीं थे। (कालवाचक) (5) धीरे-धीरे स्वर ऊँचा होने लगा। (रीतिवाचक) (6) धीरे-धीरे मन तन पर हावी हो जाता। (रीतिवाचक) (7) अपने घर के आँगन में आसन जमा बैठते। (स्थानवाचक) (8) कमली तो बार-बार सिर से नीचे सरक जाती। (रीतिवाचक) (9) मैं कभी-कभी सोचता, यह पागल तो नहीं हो गए। (रीतिवाचक) (10) उनके घर से चार कोस दूर था। (संख्यावाचक)
पाठेतर सक्रियता
1. पाठ में बातुओं के बहुत ही सुन्दर शब्द चित्र करे गए हैं। बदलते हुए मौसम को दर्शाते हुए चित्र/फोटो का संग्रह कर एक अलबम तैयार कीजिए।
उत्तर-विद्यार्थी स्वयं अलबम तैयार करें।
2. पाठ में आषाढ़, भादों, माघ आदि में विक्रम संवत् कलैण्डर के मासों के नाम आए हैं। यह कलैण्डर किस माह से आराम होता है? महीनों की सूची तैयार कीजिए।
उत्तर-विक्रम संवत् कलैण्डर चैत्र माह से आरम्भ होता है। महीनों की सूची निम्न प्रकार है-
(1) चैत्र (2) वैशाख (3) ज्येष्ठ (4) आषाढ़ (5) सावन/श्रावण (6) भादों/भाद्रपद (7) आश्विन/क्वार (8) कार्तिक (9) मार्गशीर्ष/अगहन (10) पौष (11) माघ (12) फाल्गुन।
3. कार्तिक के आते ही भगत ‘प्रभाती’ गाया करते थे। प्रभाती प्रातःकाल गाए जाने वाले गीतों को कहते हैं। प्रभाती गायन का संकलन कीजिए और उसकी संगीतमय प्रस्तुति दीजिए। उत्तर-प्रभाती गायन का संकलन और उसकी प्रस्तुति विद्यार्थी स्वयं करें।
4. इस पाठ में जो ग्राम्य संस्कृति की झलक मिलती है। वह आपके आसपास के वातावरण से कैसे भिन्न है?
उत्तर-इस पाठ में जो ग्राम्य संस्कृति की झलक मिलती है। वह हमारे आसपास के शहरी वातावरण से बिलकुल भिन्न है। शहर में गाँव जैसा प्राकृतिक चित्रण नहीं है।
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