रासायनिक बलगतिकी
(Chemical Kinetics)
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
बहु विकल्पीय प्रश्न
- रासायनिक अभिकिया की दर निर्भर करती है-
(A) सक्रिय द्रव्यमान पर
(C) तुल्यांकी भार पर
(B) परमाणु द्रव्यमान पर
(D) आण्विक द्रव्यमान पर।
- निमसे कौन-सी अभिक्रिया वान से प्रभावित नहीं होगी ?
(A) 250, 0, 250,
(B) N2 + 3H2A 2NHI
(C) NO, 32NO
(D) PCI; + Cl, PCI.
- अई आयुकाल प्रथा कोटि अभिक्रिया हेतु होगा, जबकि K= 5-5×10-14g | हो-
(A) 1 26 1013
(B) 0
(C) | 16-10105
(D) 1.91 1065
4, अभिक्रिया दर का पात्रक है-
(A) mole L. sec!
(B) mol’ L sec !
(C) mol’ sec
(D) molex Lx sec.
- प्रति 10°C ताप बढ़ाने में अभिक्रिया की दर हो जाती है-
(A) दो गुनी कम
(B) दो गुनी अधिक
(C) चार गुनी कम
(D) चार गुनी अधिक।
- धनात्यक उप्रेरक से अभिक्रिया की दर पर क्या प्रभाव पड़ता है ?
(A) अभिक्रिया की दर बढ़ जाती है
(B) अभिक्रिया की दर कम हो जाती है
(C) अभिक्रिया की दर पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता
(D) दर पहले बढ़ती है फिर पटती है।
- द्रव्य अनुपाती क्रिया के नियम का प्रतिपादन किसने किया ?
(A) डाल्टन ने
(B) गुल्डबर्ग तथा वागे ने
(C) हुण्ड तथा मुलीकन ने
(D) आर्टीनियस ने।
- अभिक्रिया की आण्विकता का मान नहीं होता है-
(A)1
(B)2
(C)3
(D)शून्य।
उत्तर-1. (A), 2.(C),3. (A),5. (B),4. (A),6. (A), 7.(B), 8.(D).
- रिक्त स्थानों की पूर्ति
1, एथिल ऐसीटेट का अम्लीय माध्यम में जल-अपघटन एक ……….” कोटि की अभिक्रिया है।
- सै-1″ की इकाई है।
- एक मोल अभिकारक को उत्तेजित करने के लिये फोटॉन की आवश्यकता होती है।
- H* आयन तथा OF आयन के संयोग से जल अणु बनने की क्रिया
- तीव्र अभिक्रियाएँ सेकण्ड से कम समय में सम्पन्न हो जाती हैं।
- अभिक्रिया में भाग लेने वाले कुल अणुओं की संख्या कहलाती है।
- आहीनियस समीकरण ……. के द्वारा प्रदर्शित किया जाता है।
- अभिक्रिया की दर अभिकारक के सान्द्रण के …..” होती है।
- वै अभिक्रियाएँ जो विकिरण के अवशोषण से सम्पन्न होती हैं।
- किसी अभिक्रिया का दर स्थिरांक ठस दर के बराबर होता है जब अभिक्रिया में अभिकारक का सान्द्रण होता है।
उत्तर-1. आभासी एक अणुक, 2. प्रथम कोटि अभिक्रिया के वेग नियतांक, 3. एक मोल,
- तीव्र गामी, 5. 10-14,6. आण्विकता, 7.k-ACERT, 8. समानुपाती,9. प्रकाश-रासायनिक अभिक्रियाएँ, 10. एकांक।
- सत्य/असत्य
- सक्रिय द्रव्यमान नियम का प्रतिपादन गुल्डबर्ग तथा वागे ने किया।
- शून्य कोटि की अभिक्रिया सान्द्रण पर निर्भर नहीं होती है।
- रेडियोऐक्टिव तत्व का अपघटन शून्य कोटि की अभिक्रिया है।
- अभिक्रिया की कोटि प्रायोगिक मान है।
- अभिक्रिया की दर ताप बढ़ाने पर बढ़ती है।
- उच्च सक्रियण ऊर्जा वाली अभिक्रियाएँ मन्दगामी अभिक्रियाएँ होती हैं।
- तापमान गुणांक-2 या 3k+10
उत्तर-1. सत्य, 2. सत्य, 3. असत्य, 4. सत्य, 5. सत्य, 6. सत्य, 7. असत्य।
Ing
एक शब्द/वाक्य में उत्तर
- प्रथम कोटि की अभिक्रिया के लिए अर्द्ध-आयुकाल का सूत्र लिखिए।
उत्तर-
- शून्य कोटि की अभिक्रिया के लिए 112 किसके समानुपाती है ?
उत्तर-क्रियाकारक की प्रारम्भिक सान्द्रता।
- दाब बढ़ाने से गैसीय अभिक्रिया की दर पर क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर-दर बढ़ जाती है।
- विकिरण के अवशोषण से सम्पन्न होने वाली क्रियाएँ क्या कहलाती हैं ?
उत्तर-प्रकाश-रासायनिक अभिक्रियाएँ।
- समय के किसी विशेष क्षण पर किसी अभिकारक या उत्पाद में परिवर्तन की दर, उस समय की कौन-सी दर कहलाती है ?
उत्तर-तात्क्षणिक दर।
- आहीनियस समीकरण लिखिए।(2019)
उत्तर-k = Ac-E/RTके सान्द्रण
अति लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. अभिक्रिया की औसत दर से क्या समझते हो?
उत्तर-क्रियाकारक की इकाई समय में सान्द्रता परिवर्तन औसत दर कहलाती है। इसे ज्ञात करने के लिए क्रियाकारक की परिवर्तित सान्द्रता को समय से भाग दे देते हैं।
प्रश्न 2. अभिक्रिया के वेग पर उत्प्रेरक का क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर-उत्प्रेरक अभिक्रिया के वेग को कम या अधिक कर देता है। जब उत्प्रेरक सक्रियण ऊर्जा को कम करता है तो अभिक्रिया वेग में वृद्धि होती है।
प्रश्न 3. ताप गुणांक से क्या समझते हो?
उत्तर-उन वेग नियतांकों का अनुपात जिनमें 10° ताप का अन्तर होता है, ताप गुणांक कहलाता है। इसका मान अधिकांशत: 2 से 3 के मध्य होता है।
प्रश्न 4. किसी रासायनिक अभिक्रिया की दर सान्द्रता पर कैसे निर्भर करती है ?
उत्तर-द्रव्यानुपाती क्रिया के नियमानुसार अभिक्रिया वेग क्रियाकारक की सान्द्रता के समानुपाती होती है। वास्तव में रासायनिक अभिक्रिया की दर अभिक्रिया कोटि द्वारा निर्धारित की जाती है।
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. आर्हीनियस समीकरण क्या है ? समझाइए एवं इसकी उपयोगिता लिखिए।
अथवा
आर्टीनियस समीकरण पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर-ताप बढ़ाने पर दर स्थिरांक के मान में वृद्धि हो जाती है जिससे अभिक्रिया की
दर में वृद्धि हो जाती है। आीनियस के अनुसार, किसी रासायनिक अभिक्रिया का दर स्थिरांक, ताप के साथ चरघातांकी रूप से बढ़ता है।
उपयोगिता-
(1) आर्चीनियस समीकरण की सहायता से सक्रियण ऊर्जा ज्ञात की जा सकती है।
(2) ताप के परिवर्तन से दर स्थिरांक का मान ज्ञात किया जा सकता है।
(3) दर स्थिरांक एवं सक्रियण ऊर्जा में सम्बन्ध ज्ञात किया जा सकता है।
कीजिए।
प्रश्न 2. रासायनिक अभिक्रिया के वेग पर प्रभाव डालने वाले कारकों का उल्लेख
अथवा
अभिक्रिया की दर को प्रभावित करने वाले कारक (कोई चार) लिखिए।
उत्तर-रासायनिक अभिक्रिया की दर को प्रभावित करने वाले कारक निम्न हैं-
(1) अभिकारक का सान्द्रण-अभिकारक का सान्द्रण बढ़ाने पर अभिक्रिया की दर बढ़ जाती है, क्योंकि अभिक्रिया की दर अभिकारक के सक्रिय द्रव्यमान के समानुपाती होती है। सान्द्रण बढ़ाने पर अभिकारक अणुओं की संख्या बढ़ जाती है जिससे प्रभावी टक्करों की संख्या में वृद्धि हो जाती है।
(2) अभिक्रिया का ताप-सामान्य अभिक्रियाओं में ताप बढ़ाने से अभिक्रिया की दर में वृद्धि हो जाती है, क्योंकि ताप बढ़ाने से अणुओं की गतिज ऊर्जा का मान बढ़ जाता है। प्रयोगों द्वारा देखा गया है कि प्रति 10°C ताप में वृद्धि से अभिक्रिया की दर दो से तीन गुनी तक हो जाती है।
(3) उत्प्रेरक की उपस्थिति-उत्प्रेरक की उपस्थिति से सक्रियण ऊर्जा का मान परिवर्तित हो जाता है, जिससे अभिक्रिया की दर परिवर्तित हो जाती है। धनात्मक उत्प्रेरक अभिक्रिया की दर को बढ़ा देते हैं जबकि ऋणात्मक उत्प्रेरक अभिक्रिया की दर को कम कर देते हैं।
(4) पृष्ठ क्षेत्रफल-यदि अभिकारक ठोस है तो उसके पृष्ठ क्षेत्रफल में वृद्धि से अभिक्रिया की दर बढ़ जाती है। अभिकारक जितना बारीक चूर्ण होता है, उसका पृष्ठ क्षेत्रफल उतना ही अधिक होता है जिससे अभिक्रिया की दर बढ़ जाती है।
(5) दाब-गैसीय अभिक्रियाओं में दाब बढ़ाने से अभिक्रिया की दर बढ़ जाती है। दाब बढ़ाने से अभिकारक अणु पास-पास आ जाते हैं, प्रभावी टक्करों की संख्या बढ़ जाती है जिससे अभिक्रिया दर में वृद्धि हो जाती है।
प्रश्न 5. अभिक्रिया की कोटि एवं अभिक्रिया की आण्विकता को उदाहरण देकर समझाइए।
उत्तर-अभिक्रिया की कोटि-दर नियम में व्यक्त क्रियाकारकों की सान्द्रताओं पर लगे घातांकों के योग को किसी अभिक्रिया की कोटि कहते हैं। यह एक प्रायोगिक राशि है, जो प्रयोग अवस्था पर निर्भर करती है। माना कि निम्न अभिक्रिया हो रही है-
mA+ RB-→ उत्पाद
अभिक्रिया की दर = K[A]m x [B]”
अभिक्रिया की कोटि = m + n
अतः अभिक्रिया की कोटि (m+ n) के बराबर होगी। इस अभिक्रिया में A के सापेक्ष
क्रिया की कोटि m तथा B के सापेक्ष n है। सम्पूर्ण अभिक्रिया की कोटि (m+n) है। यदि
घातांकों का योग एक है, तो अभिक्रिया की कोटि एक मानी जाती है।
उदाहरण-(i) NHANO, DN2 + 2H2O
(ii) H202 → H2O +0
उपर्युक्त सभी अभिक्रियाएँ प्रथम कोटि की हैं।
अभिक्रिया की आण्विकता-टक्कर सिद्धान्त (Collision Theory) के अनुसार, अभिक्रिया के लिये टक्कर में भाग लेने वाले अणुओं या आयनों की संख्या, अभिक्रिया की आण्विकता कहलाती है। यह सदैव एक पूर्णांक संख्या होती है। इसके मान 1, 2, 3 होते हैं
शून्य एवं भिन्नांक नहीं होते हैं। यह एक सैद्धान्तिक मान है जो साधारण रूप से संतुलित समीकरण में अभिकारक अणुओं के योग के बराबर होता है।
उदाहरण-
NHANO2 → N2 + 2H20 एक-अणुक अभिक्रिया
H2 + 127 2HI द्वि-अणुक अभिक्रिया
2NO +02-→ 2NO2
त्रि-अणुक अभिक्रिया
प्रश्न 6. अभिक्रिया की दर क्या है ? अभिक्रिया की दर को प्रभावित करने वाले किन्हीं दो कारकों का वर्णन कीजिए।
उत्तर- अति लघु उत्तरीय प्रश्न 1 व लघु उत्तरीय प्रश्न 2 देखिए।
प्रश्न 9. अभिक्रिया की कोटि क्या है ? शून्य कोटि, प्रथम कोटि एवं द्वितीय को की अभिक्रिया के लिए दर स्थिरांक k का मात्रक लिखिए।
उत्तर-अभिक्रिया की कोटि-लघु उत्तरीय प्रश्न 5 देखिए। शून्य, प्रथम व द्वितीय कोटि के अभिक्रिया के लिए दर स्थिरांक k के मात्रक क्रममोल ली-1 से-1, से-1 व ली. मोल-से-1 हैं।
प्रश्न 10. अर्द्ध आयुकाल क्या है ? इसका व्यंजक प्रतिपादित कीजिए।
उत्तर-दीर्घ उत्तरीय प्रश्न 1 देखिए।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. अभिक्रिया का अर्द्धआयुकाल क्या है ? (2020) प्रथम कोटि की अभिक्रिया
की प्रारम्भिक सांद्रता पर निर्भर नहीं करता।
उत्तर-अर्द्ध आयुकाल-वह समय जिसमें क्रिया कारक की सान्द्रता, उसकी प्रारम्भिक
सान्द्रता की आधी रह जाती है अथवा वह समय जिसमें कोई क्रिया अर्द्धपूर्ण होती है, उसे
उस क्रिया का अर्द्ध आयुकाल कहते हैं। इसे 112 से प्रदर्शित करते हैं। इसका मात्रक समय
का मात्रक होता है।
प्रथम कोटि की अभिक्रिया के अर्द्ध आयुकाल का व्यंजक ज्ञात करना-माना कि
निम्न अभिक्रिया हो रही है-
A→ उत्पाद
अभिकारक A का प्रारम्भिक सान्द्रण [AO] तथा । समय बाद [A] हो जाता है। अत:
प्रथम कोटि की अभिक्रिया के लिये समाकलित दर-समीकरण निम्न होता है-
अत: अभिक्रिया का अर्द्ध आयुकाल दर स्थिरांक के व्युत्क्रमानुपाती होता है। अभिक्रिया
का अर्द्ध आयुकाल दर स्थिरांक पर निर्भर करता है, अभिकारक के प्रारम्भिक सान्द्रण पर
निर्भर नहीं करता है।
प्रश्न 2. सक्रियण ऊर्जा से आप क्या समझते हो ? सक्रियण ऊर्जा और देहली
ऊर्जा में सम्बन्ध बताइए।
उत्तर-सक्रियण ऊर्जा-वह ऊर्जा जो अणु को सक्रिय करने के लिए आवश्यक होती है, सक्रियण ऊर्जा कहलाती है। इसे E, से प्रदर्शित किया जाता है। सक्रियण ऊर्जा युक्त अणु, ऊर्जा अवरोध को पार कर उत्पाद संकुल बनाता है।
सक्रियण ऊर्जा = देहली ऊर्जा – अणु की निम्नतम ऊर्जा
देहली ऊर्जा-सक्रियत अणु के पास जो सम्पूर्ण ऊर्जा होती है उसे देहली ऊर्जा का हैं। देहली ऊर्जा के कारण अणु, तुरन्त ही उत्पाद संकुल और फिर अपघटित होकर उत्पाद अणु में बदल जाता है।
सक्रियण ऊर्जा और देहली ऊर्जा में सम्बन्ध सक्रियण और देहली ऊर्जा में परस्पर निकट का सम्बन्ध होता है। अणु ऊर्जा ग्रहा कर सक्रियण ऊर्जा प्राप्त कर लेता है जो शीघ्र ही देहली ऊर्जा में बदल जाती है। देहलं ऊर्जा युक्त अणु उत्पाद में बदल जाता है। अतः
सक्रियण ऊर्जा = देहली ऊर्जा – अणु की निम्न..म ऊर्जा
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