Chapter 6 अध्याय
वंशागति का आण्विक आधार
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
२ बहु-विकल्पीय प्रश्न
- जेनेटिक कोड में समापन कोडॉन है-
(i) UAA,
(iii) UGA,
(ii) UAG,
(iv) उपर्युक्त सभी।
- एक न्यूक्लियोसोम में शामिल होते हैं-
(i) हिस्टोन का बना कोर,
(ii) हिस्टोन का बना HI
(iii) न्यूक्लियोसोम कोर तथा H, हिस्टोन दोनों का,
(iv) उपर्युक्त किसी का नहीं।
- निम्नलिखित में से कौन-सा दो संलयित एरोमैटिक वलयों से बनता है?
(i) केवल साइटोसीन,
(ii) केवल ग्वानीन,
(iii) केवल एडेनीन,
(iv) एडेनीन व ग्वानीन दोनों।
- टेमिनिज्म का अर्थ है-
(i) अनुलेखन,
(ii) अनुवाद,
(ii) व्युत्क्रम अनुलेखन,
(iv) व्युत्क्रम अनुवाद।
- एण्टीकोडॉन उपस्थित होता है-
(i) t-RNA पर,
(ii) r-RNA पर,
(iii) m-RNA पर,
(iv) उपर्युक्त सभी पर।
- ओकाजाकी खण्ड पाए जाते हैं-
(6) अनुलेखन इकाई में,
(ii) लैगिंग स्ट्रैण्ड में,
(iii) लीडिग स्ट्रैड में,
(iv) ट्रासपोजॉन पर।
- डी. एन. ए. की अम्लीय प्रकृति का कारण है-
(i) हिस्टोन प्रोटीन,
(ii) नाइट्रोजनी क्षारक,
(iii) फॉस्फेट समूह,
(iv) डीऑक्सीराइबोज शर्करा।
उत्तर-1. (iv), 2. (iii), 3. (iv), 4. (iii), 5. (i), 6. (ii), 7. (iii).
रिक्त स्थान पूर्ति
- अनुवाद प्रक्रिया में अमीनो अम्ल (-RNA के भाग से जुड़ता है।
- एक डी. एन. ए. रज्जुक में न्यूक्लियोटाइड आपस में बन्ध द्वारा जुड़े होते हैं।
- डी. एन. ए. फिंगर प्रिंटिंग तकनीक ने विकसित की।
- …….. को जम्पिग जीन भी कहा जाता है।
- एक द्वि-सूत्री डी. एन. ए. अणु में दो रज्जुकों के क्षारक आपस में बन्ध से जुड़े रहते हैं।
- ने सबसे पहले सेण्ट्रल डोग्मा प्रस्तावित किया।
- m-RNA का संश्लेषण………….कहलाता है।
उत्तर-1. 3′ सिरे, 2. फॉस्फोडाइएस्टर, 3. एलेक जेफ्री, 4. ट्रांसपोजॉन्स,
- हाइड्रोजन, 6. फ्रांसिस क्रिक, 7. अनुलेखन।
३ सत्य/असत्य
- जीवाणुओं में अनुलेखन का आरम्भन, दीर्धीकरण व समापन सभी कार्य RNA पॉलीमरेज की सहायता से सम्पन्न होते हैं।
- सिकेल सैल एनीमिया, मलेरिया के लिए प्रतिरोधकता प्रदान करता है।
- डी. एन. ए. संश्लेषण को अनुवाद कहा जाता है।
- साइटोसीन व ग्वानीन के बीच दो हाइड्रोजन बन्ध उपस्थित होते हैं।
- RNA में पाई जाने वाली पाँच कार्बन शकरा डी-ऑक्सीराइबोज कहलाती है।
- DNA की लम्बाई को क्षारक युग्म (bp) संख्या के रूप में मापा जाता है।
- लैक्टोज लैक ओपेरॉन में प्रेरक अणु के रूप में कार्य करता है।
- नाभिकीय अम्लों की इकाई न्यूक्लियोसाइड कहलाती है।
- टोबैको मोजेक वाइरस में आनुवंशिक पदार्थ RNA होता है।
उत्तर-1. सत्य, 2. सत्य, 3. असत्य, 4. असत्य,5. असत्य, 6. सत्य,. सत्य,
- असत्य,9. सत्य।
एक शब्द/वाक्य में
- निम्न को नाइट्रोजनी क्षार व न्यूक्लियोसाइड के रूप में वर्गीकृत कीजिए-
एडेनीन, साइटीडीन, थाइमीन, ग्वानोसीन, यूरेसिल एवं साइटोसीन।
उत्तर-नाइट्रोजनीकृत क्षार-एडेनीन, थाइमीन, यूरेसिल, साइटोसीन
न्यूक्लियोसाइड साइटीडीन, ग्वानोसीन।
- न्यूक्लियोसोम मॉडल में हिस्टोन अष्टक के बाहर कौन-सी हिस्टोन उपस्थित होती है?
उत्तर-हिस्टोन H।
- नाइट्रोजनी क्षारक पेण्टोज शर्करा से किस बन्ध द्वारा जुड़ा रहता है?
उत्तर-एन-ग्लाइकोसिडिक बन्ध।
- DNA के खण्ड का नाम जो पॉलीपेप्टाइड श्रृंखला का संश्लेषण करता हैं?
(2020)
उत्तर–जीन (सिस्ट्रॉन)।
- मिथियोनाइन को कोडित करने वाले कोडॉन का नाम क्या है ? (2020)
उत्तर –AUG (आरम्भन कोडॉन)।
- शब्द विस्तार कीजिए-VNTR, NHCI
उत्तर-VNTR-वेरिएबिल नम्बर टेंडम रिपीट।
NHC-नॉन-हिस्टॉन क्रोमोसोमल प्रोटीन्स।
- लैक ओपेरॉन में एन्जाइम परमिएज का क्या कार्य है ?
उत्तर—परमिएज एन्जाइम जीवाणु कोशिका की लैक्टोज के लिए पारगम्यता (Permeability) बढ़ा देता है।
- डी. एन. ए. प्रतिकृतिकरण में भाग लेने वाले डी. एन. ए. पॉलीमरेज तथा डी. एन. ए. लाइगेज के अतिरिक्त एक और एंजाइम का नाम लिखिए। इसका क्या कार्य होता है ?
उत्तर–हेलीकेज, कार्य-डी. एन. ए. का अकुण्डलन (Unwinding)।
- ग्रिफिथ ने रूपान्तरण प्रयोग हेतु किस सूक्ष्मजीव का प्रयोग किया ?
उत्तर–जीवाणु डिप्लोकोकस (स्ट्रेप्टोकोकस) न्यूमोनाई या न्यूमोकोकस।
- दिया गया आरेख DNA के आनुवंशिक विचार की एक महत्वपूर्ण संकल्पना दर्शाता है। A, B व C के नाम लिखिए।
अति लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. यदि एक द्विरज्जुकी डी. एन. ए. में 20 प्रतिशत साइटोसीन है तो डी. एन. ए. में मिलने वाले एडेनीन के प्रतिशत की गणना कीजिए।
उत्तर–चारगॉफ के नियमानुसार-
A = T तथा G=C
तथा
A+G =T+C
अगर DNA में साइटोसीन 20 प्रतिशत है तो ग्वानीन भी 20 प्रतिशत ही होगी क्योंकि प्यूरीन की मात्रा पिरीमिडीन की मात्रा के बराबर होती है। G+ C = 40 प्रतिशत, A+T = 100 – 40 = 60% अत: एडेनीन 60/2 = 30 प्रतिशत, थाइमीन भी 30 प्रतिशत।
को
प्रश्न 2. यदि अनुलेखन इकाई में कूटलेखन रज्जुक के अनुक्रम 5PATGC ATGC ATGC ATGC ATGC ATGC ATGC 3′ तो दूत आर एन. ए. के अनुक्रम को लिखिए।
उत्तर–दूत आर. एन. ए. का निर्माण टेम्पलेट रज्जुक से होता है जो कूटलेखन रज्जुक
का पूरक होता है। टेम्पलेट रज्जुक का अर्थात् 3′-5 दिशा वाले रज्जुक का अनुक्रम होगा।
3′ TACG TACG TACG TACG TACG TACG TACG 5′ इस पर बनने वाले m-RNA का अनुक्रम होगा।
5′ AUGC AUGC AUGC AUGC AUGC AUGC AUGC 3′
(m-RNA का अनुक्रम कूटलेखन रज्जुक के समान ही होता है लेकिन इसमें T के स्थान पर U पाया जाता है।)
प्रश्न 3. अगर डी. एन. ए. के एक रज्जुक का अनुक्रम निम्नलिखित है- 5′ ATGC, ATGC ATGC ATGC ATGC ATGC ATGC 3′ तब पूरक रज्जुक के अनुक्रम को 5′–3′ दिशा में लिखिए।
उत्तर—दिए गए डी. एन. ए. का पूरक 3’_5′ दिशा वाला होगा जिसका अनुक्रम
होगा- 3′ TACG TACG TACG TACG TACG TACG TACG-5′
इसलिए इसका पूरक रज्जुक 5′-3′ दिशा में होगा। 5’GCAT GCAT GCAT GCAT GCAT GCAT GCAT-3′
प्रश्न 4. स्थानान्तरण के दौरान राइबोसोम की दो मुख्य भूमिकाओं की सूची बनाइए।
उत्तर-स्थानान्तरण या अनुवाद (Translation) में राइबोसोम की भूमिका
(i) राइबोसोम अनुवाद के समय m-RNA को जुड़ने के लिए स्थान प्रदान करता है। राइबोसोम के काल्पनिक Pव A स्थल, अमीनो अम्लों को नजदीक लाकर पेप्टाइड बन्ध बनाने हेतु स्थान उपलब्ध कराते हैं।
(ii) राइबोसोम के घटक पेप्टाइड बन्ध निर्माण हेतु उत्प्रेरक के रूप में कार्य करते हैं।
जीवाणुओं में 23, Sr RNA राइबोजाइम होता है।
प्रश्न 5. टी-आर. एन. ए. को अनुकूलन अणु क्यों कहा जाता है ?
उत्तर—टी. आर. एन. ए. पर उपलब्ध एंटीकोडॉन एम-आर. एन. ए. की आनुवंशिक आषा (कोडॉन की भाषा) पढ़ने में सक्षम होता है। साथ ही यह t-RNA दूसरे सिरे पर जुड़े मीनो अम्ल की सहायता से इस सूचना को पॉलीपेप्टाइड के अमीनो अम्लों के क्रम में दलने में मदद करता है। इस प्रकार यह नाभिकीय अम्लों की आनुवंशिक भाषा का अनुवाद प्रोटयन में अमीनो अम्लों की भाषा में (क्रम में) कर देता है, अत: अनुकूलक अणु (Adaptor molecule) कहा जाता है।
प्रश्न6. कारण लिखिए। अनुलेखन में डी.एन.ए. के दोनों रज्जुकों का अनुलेखन क्यों नहीं होता?
उत्तर-(a) अगर DNA के दोनों रज्जुक टेम्पलेट की तरह कार्य करेंगे तो इनसे अलग-अलग प्रकार के m-RNA का निर्माण होगा। इन M-RNA से बनने वाली प्रोटीन भी अलग-अलग प्रकार की होती। अत: आनुवंशिक सूचना प्रवाह गड़बड़ हो जाता (पूरकता का
अर्थ समानता नहीं होता।
(B) दोनों बने RNA पूरकता के कारण द्विरज्जुको RNA बना देते। फलस्वरूप RNA का प्रोटीन में अनुवाद रुक जाता व अनुलेखन प्रक्रिया अर्थहीन हो जाती।
प्रश्न 7. I-RNA की कैपिंग व टेलिंग किस प्रकार महत्वपूर्ण है ?
उत्तर-कैपिंग प्रक्रिया में m-RNA में मिथाइलेटेड ग्वानोसीन की बनी कैप इसके 5 सिरे से जुड़ती है। वह m-RNA को हाइड्रोलिटिक एंजाइमों से बचाती है। साथ ही यह राइबोसोम की छोटी उप-इकाई को m-RNA से जुड़ने के स्थान का संकेत देती है। पुच्छ पॉली A की बनी होती है तथा m-RNA का अपघटन रोकती है। यह m-RNA को केन्द्रक से बाहर आने में भी मदद करती है।
प्रश्न 8. डी. एन. ए. पैकेजिंग में हिस्टोन्स का क्या महत्व है ?
उत्तर-हिस्टोन्स क्षारीय प्रोटीन्स होती हैं। यह अम्लीय डी. एन. ए. के कुण्डलन के लिए कोर प्रदान करती है। इसी से न्यूक्लियोसोम नामक रचना का निर्माण होता है। यह संरचना सोलीनॉइड व क्रोमेटिन निर्माण में सहायक है, जिससे बहुत लम्बे डी. एन. ए. की पैकेजिंग आसान हो जाती है। यह प्रोटीन्स ही अनुलेखन हेतु DNA तक पहुँच को सुलभ बनाती है। डी. एन. ए. की अम्लीयता इन्हीं क्षारीय प्रोटीन्स से सन्तुलित होती है।
प्रश्न 9. चारगॉफ का नियम क्या है ?
उत्तर-इरविन चारगॉफ के नियमानुसार,
(a) DNA में A, T, Gव C की मात्रा हर प्रजाति में भिन्न-भिन्न होती है।
(b) प्रत्येक प्रजाति मेंA की मोलर मात्रा को मोलर मात्रा के समान तथा G की मोलर मात्रा C की मोलर मात्रा के समान होती है।
प्रश्न 10. रिवर्स ट्रांसक्रिप्टेज की खोज के बाद परिवर्तित सेण्ट्रल डोग्मा को केवल रेखाचित्र द्वारा प्रदर्शित कीजिए।
प्रश्न 11. किन्हीं चार स्तरों के नाम लिखिए जिन पर यूकैरियोटिक कोशिका में जीन अभिव्यक्ति का नियमन होता है।
उत्तर-यूकैरियोटिक कोशिकाओं में जीन अभिव्यक्ति नियमन निम्नलिखित स्तरों पा होता है-
(i) अनुलेखन स्तर पर,
(ii) प्राथमिक अनुलेख के प्रसंस्करण, स्प्लाइसिंग द्वारा,
(ii) m-RNA के केन्द्रक से कोशिकाद्रव्य में स्थानान्तरण के समय,
(iv) अनुवाद (प्रोटीन संश्लेषण) के समय।
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. डी. एन. ए. द्विकुण्डली की कौन-सी विशेषता ने वाटसन व क्रिक को डी. एन. ए. प्रतिकृतिकरण के अर्द्धसंरक्षी या सेमी कंजरवेटिव रूप को कल्पित करने में सहयोग किया ? इसकी व्याख्या कीजिए।
उत्तर-द्विकुण्डली मॉडल की दोनों पॉलीन्यूक्लियोटाइड श्रृंखलाओं के बीच के क्षारक युग्मन के गुण ने वाटसन व क्रिक को डी. एन. ए. के अर्द्धसंरक्षी (Semi-conservative) रूप को कल्पित करने में सहयोग किया। क्षारक युग्मन का गुण पॉलीन्यूक्लियोटाइड श्रृंखलाओं को पूरकता (Complementarity) का विशिष्ट गुण प्रदान करता है। इसका अर्थ है कि एक रज्जुक में क्षारकों के क्रम ज्ञात होने पर दूसरे रज्जुक में क्षारकों के क्रम का अनुमान लगाया जा सकता है। अर्द्धसंरक्षी रूप वह रूप है जिसमें डी. एन. ए द्विरज्जुकी अणु के संश्लेषण के लिए इसका प्रत्येक रज्जुक साँचे की भाँति कार्य करता है। प्रत्येक नव-संश्लेषित अणु में एक रज्जुक पैत्रिक तथा एक नव-संश्लेषित होता है। वाटसन व क्रिक का द्विकुण्डली मॉडल इरविन चारगॉफ के क्षारकों के अनुपात सम्बन्धी प्रेक्षणों तथा रोजालिन फ्रेंकलिन तथा मॉरिस विल्किंस के एक्स-रे डिफ्रेक्शन के आँकड़ों पर भी आधारित था। वाटसन व क्रिक ने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक ‘द डबल हेलिक्स’ में स्वयं लिखा, “यहहमारे ध्यानेतर नहीं है कि जिस विशिष्ट क्षारक युग्मन को हमने प्रस्तावित किया है, वह तात्कालिक रूप से, आनुवंशिक पदार्थ का प्रतिकृतिकरण भी सुझाता है।”
प्रश्न 2. उस संवर्धन में जहाँ ई.कोलाई वृद्धि कर रहा था, लैक्टोज डालने पर लैक ओपेरॉन उत्प्रेरित हो गया। लेकिन लैक्टोज डालने के कुछ देर बाद यह लैक ओपेरॉनबन्द हो जाता है ? व्याख्या कीजिए।
उत्तर-ग्लूकोज की अनुपस्थिति में यदि सम्बर्धन माध्यम में लैक्टोज मिलाया जाता हैतब ई. कोलाई इसे पोषक पदार्थ के रूप में ग्रहण करना प्रारम्भ कर देता है। लैक्टोज मिलाने सेपहले लैक ओपेरॉन का स्विच ऑफ होता है, क्योंकि लैक्टोज के उपापचय में आवश्यक पदार्थोंकी आवश्यकता नहीं होती। इस समय जीन Z, Y व a द्वारा बीटा गैलेक्टोसाइडेज, परमिएज व ट्रांसएसीटाइलेज का निर्माण नहीं होता। कुछ परमिएज एन्जाइम कोशिका में पहले से उपस्थित होता है जिसके कारण लैक्टोज कोशिका में प्रवेश पा जाता है। लैक्टोज एक प्रेरक के रूप में कार्य करता है। लैक्टोज (प्रेरक) जीन । के उत्पाद, एक दमनकारी प्रोटीन (Repressor) से जुड़कर उसे असक्रिय बना देता है। यह असक्रिय दमनकारी ऑपरेटर से नहीं जुड़ पाता। फलस्वरूप लैक ओपेरॉन स्विच ऑन हो जाता है, तथा संरचनात्मक जीनों का अनुलेखन भी प्रारम्भ हो जाता है। लैक्टोज के सम्बर्धन माध्यम में उपस्थित रहने तक लैक ओपेरॉन स्विच ऑन रहता है। लैक्टोज के समाप्त हो जाने पर एक बार फिर इसके उपापचय से सम्बन्धित जीन उत्पादों की आवश्यकता नहीं रहती। इसलिए ऊर्जा व संसाधनों के संरक्षण हेतु लैक ओपेरॉन बन्द हो जाता है।
प्रश्न 3. मानव जीनोम परियोजना को महापरियोजना क्यों कहा गया ?
उत्तर—निम्न कारणों से मानव जीनोम परियोजना को महापरियोजना (Megaproject)
कहा जाता है-
(i) मानव जीनोम परियोजना का संचालन यू. एस. डिपार्टमेंट ऑफ एनर्जी तथा नेशनलइंस्टीट्यूट ऑफ हैल्थ ने अनेक देशों; जैसे-जापान, फ्रांस, जर्मनी, चीन आदि के सहयोग सेअन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर किया।
(ii) यह दीर्घावधि परियोजना थी जो 1990 में प्रारम्भ होकर 2003 में पूर्ण हुई।
(iii) इसका उद्देश्य बहुत बड़ा व व्यापक था जिसमें मानव जीनोम के 3 x 109 क्षारक
युग्मों के अनुक्रमों को ज्ञात करना, उनका संग्रह करना एक चुनौतीपूर्ण कार्य था।
(iv) प्रारम्भ में इसका कुल व्यय लगभग 9 बिलियन डॉलर अनुमानित किया गया था।
इतनी विशाल राशि महापरियोजनाओं में ही प्रयोग की जाती है।
(v) जीनोम से सम्बन्धित आँकड़ों को मुद्रित पुस्तकों के रूप में रखने के लिए एक-एक हजार पृष्ठों वाली 3300 पुस्तकों की आवश्यकता थी जिसके प्रत्येक पृष्ठ पर 1000 अक्षर हो।
(vi) इन आँकड़ों के संग्रह, विश्लेषण के लिए हाई स्पीड कम्प्यूटरों की आवश्यकता थी। इन सभी कागो टोपागारियोजना कहा गया।
प्रश्न 4. निम्न के कार्यों का वर्णन एक या दो पंक्तियों में कीजिए-
(a) उन्नायक या प्रमोटर, (b) अन्तरण आर. एन. ए, (c) एक्जॉन।
उत्तर-(a) उन्नायक या प्रमोटर (Promoter) डी.एन. ए के वह अनुक्रम जिनसे अनुलेखन के समय आर. एन. ए पॉलीमरेज जुड़ता है, उन्नायक या प्रमोटर कहलाते हैं। यहसंरचनात्मक जीन के 5′ सिरे की ओर स्थित होता है। (प्रमोटर की स्थिति व्यक्त करने में कोडिंग रज्जुक की ध्रुवता का जिक्र किया जाता है, टेम्पलेट का नहीं)।
(b) अन्तरण आर. एन. ए (I-RNA)—वह RNA जो अमीनो अम्लों को कोशिका- द्रव्य में अनुवाद (प्रोटीन संश्लेषण) स्थल राइबोसोम से जुड़े m-RNA तक लाने का कार्य करता है अन्तरण आर.एन.ए कहलाता है। 1-RNA को अनुकूलन या एडेप्टर (adaptor) अणुकहा जाता है।
(e) एक्जॉन (Exon) यूकरियोटिक जीन असतत् या विखण्डित (Split) होती हैं जिनके कोडिंग भाग एक्जॉन कहलाते हैं। एक्जॉनों के बीच-बीच में इन्ट्रॉन्स (गैर-कोडिंग) भाग पाए जाते हैं तथा एक्जॉन ही अंतिम m-RNA के निर्माण में भाग लेते हैं।
प्रश्न 5. टेम्पलेट (डी. एन. ए. या आर. एन. ए.) की रासायनिक प्रकृति व इससेसंश्लेषित न्यूक्लिक अम्लों (डी. एन, ए. या आर. एन. ए.) की प्रकृति के आधार पर न्यूक्लिक अम्ल पॉलीमरेज के विभिन्न प्रकारों की सूची बनाइए।
उत्तर-(a) डी. एन. ए. टेम्पलेट (DNA template)
प्रतिकृतिकरण डी. एन. ए. अणु का द्विगुणन प्रतिकृतिकरण कहलाता है।
प्रोकैरियोटिक तथा यूकरियोटिक दोनों प्रकार की कोशिकाओं में डी. एन. ए. द्विगुणन हेतु
डी. एन. ए. निर्भर डी. एन. ए. पॉलीमरेज की आवश्यकता होती है।
अनुलेखन—प्रोकैरियोटिक कोशिकाओं में डी. एन. ए. से तीनों प्रकार के आर. एन. ए.
(P-RNA, M-RNA व I-RNA) के निर्माण हेतु सिर्फ एक ही प्रकार के डी, एन. ए. निर्भर
आर. एन. ए. पॉलीमरेज की आवश्यकता होती है।
यूकैरियोट्स में DNA से विभिन्न प्रकार के RNA के अनुलेखन हेतु तीन विभिन्न
प्रकार के आर. एन. ए. पॉलीमरेज आवश्यक होते हैं।
- आर. एन. ए. पॉलीमरेज 1-7-RNA का अनुलेखन करता है।
करता है।
- आर.एन. ए. पॉलीमरेज II अप्रसंस्कारित m-RNA (m-RNA) का अनुलेखन
करता है।
- आर. एन. ए. पॉलीमरेज III-I-RNA, 5 Sr-RNA, Sn-RNA का अनुलेखन
(b) आर.एन.ए.टेम्पलेट (RNA template)-कुछ विषाणुओं में RNA आनुवंशिक
पदार्थ होता है। इनमें RNA का प्रतिकृतिकरण,आर. एन. ए. निर्भर आर.एन.ए. पॉलीमरेज
द्वारा होता है। रिट्रो विषाणु में रिवर्स ट्रांसक्रिप्टेज द्वारा C-DNA का निर्माण होता है। इस प्रक्रिया
को रिवर्स ट्रांसक्रिप्शन कहते हैं।
प्रश्न 6. डी. एन. ए. के कौन-से गुण उसे आर. एन. ए. से अधिक स्थिर बनाते हैं?
उत्तर-विकास की प्रक्रिया में डी. एन. ए., आनुवंशिक पदार्थ के रूप में आर. एन. ए. को प्रतिस्थापित कर बेहतर स्थायी विकल्प बन गया है। इसके निम्न कारण हैं-
(1) डी. एन. ए. में राइबोस के स्थान पर पेण्टोज शर्करा के रूप में डीऑक्सीराइबोज पाई जाती है। इस कारण सक्रिय 2’OH समूह समाप्त हो जाता है। जबकि आर. एन. ए. में 2OH समूह पाया जाता है जो सक्रिय होता है।
(ii) डी. एन. ए. द्विरज्जुकी अणु हैं। इसके रज्जुक ताप के कारण अलग हो जाते हैं
के गुण के कारण अनुकूल परिस्थितियाँ प्राप्त होने पर पुनः जुड़ जाते हैं।
(iii) आर. एन. ए. उत्प्रेरक की भी भूमिका निभाता है, अत: अस्थिर होता है जबकि डी. एन. ए. ऐसा नहीं करता। अत: स्थिर होता है।
(iv) डी. एन. ए. में यूरेसिल के स्थान पर थायमीन की उपस्थिति इसे और स्थिर बनाती है।
(v) डी. एन. ए. के दो रज्जुकों के बीच हाइड्रोजन बन्धों की उपस्थिति से तथा क्षारकों
के एक के ऊपर एक क्रम में व्यवस्थित होने से द्विकुण्डली को और स्थिरता मिलती है।
प्रश्न 7. आनुवंशिक कूट क्या है ? इसकी चार विशेषताएँ बताइए। (2019)
उत्तर – आनुवंशिक कूट (Genetic code) “आदिकाल से उपस्थित वह सार्वत्रिक कोड जो सभी जीवधारियों में आनुवंशिक सूचना के आधार पर प्रोटीन संश्लेषण को सफल बनाता है, आनुवंशिक कूट कहलाता है।” इस कूट (Code) का प्रत्येक कोड वर्ड (संकेताक्षर) तीन अक्षर का बना होता है जिसे कोडोंन कहते हैं। यह कोडॉन m-RNA के न्यूक्लियोटाइडों के संकेत तथा प्रोटीनों में पाए जाने वाले 20 अमीनो अम्लों में से किसी एक को इंगित करता है। जीव की आनुवंशिक सूचना DNA में क्षारकों के विशिष्ट क्रम के रूप में उपस्थित होती है। यह सूचना पहले डी. एन. ए. टेम्पलेट पर बने m-RNA में अनुलेखित होकर फिर पॉलीपेप्टाइड में अमीनो अम्लों के क्रम के रूप में अनुवादित हो जाती है। आनुवंशिक कूट की विशेषताएँ
(i) आनुवंशिक कूट का त्रिकूट या कोडॉन त्रिक (triplet) होता है।
(ii) आनुवंशिक कूट असन्देहास्पद (Unambiguous) व विशिष्ट होता है। अर्थात्
प्रत्येक कोडॉन का केवल एक अर्थ होता है।
overlapping) होता है। जा
(iii) आनुवंशिक कूट कोमा रहित अर्थात् विराम चिह्न रहित तथा अनतिव्यापी (non-
होते हैं)।
(iv) यह अपह्यसित होता है (कुछ अमीनो अम्ल एक से अधिक कोडॉनों द्वारा कोडित
प्रश्न 8. लीडिंग स्ट्रैण्ड व लैगिंग स्ट्रैण्ड में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
लीडिंग व लैगिंग स्ट्रैण्ड में अन्तर
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