MP Board Class 12th History chapter 14 विभाजन को समझना – राजनीति, स्मृति, अनुभव important Questions in Hindi Medium (इतिहास)

अध्याय   14

विभाजन को समझना – राजनीति, स्मृति, अनुभव

 

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

 

बहु-विकल्पीय प्रश्न

 

  1. मुस्लिम लीग की स्थापना कब हुई थी ?

 

(अ) 1905 ई.,

 

(ब) 1906 ई.,

 

(स) 1909 ई.,

 

(द) 1916 ई. ।

 

  1. मुस्लिम लीग की स्थापना किसके द्वारा की गई थी ?

 

 

(अ) नवाब सलीमुल्लाह,

 

(ब) मोहम्मद अली जिन्ना,

 

(स) अबुल कलाम आजाद,

 

(द) हकीम अजमल खाँ

 

  1. ‘मार्ले-मिन्टो सुधार’ कब प्रतिपादित किए गए ?

 

(अ) 1905 ई.,

 

(ब) 1906 ई.,

 

(स) 1909 ई.,

 

(द) 1916 ई. ।

 

  1. कांग्रेस व मुस्लिम लीग के मध्य ‘लखनऊ समझौता’ कब हुआ ?

(अ) 1906 ई.,

 

(ब) 1909 ई.,

 

(स) 1914 ई.,

 

(द) 1916 ई. ।

 

  1. मुस्लिम लीग द्वारा ‘मुक्ति दिवस’ कब मनाया गया ?

 

(अ) 30 दिसम्बर, 1906 ई.,

 

(ब) 22 दिसम्बर, 1939 ई.,

 

(स) 14 जून, 1945 ई.,

 

(द) 16 अगस्त, 1946 ई.।

 

  1. “सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्ताँ हमारा” की रचना किसने की थी ?

 

(अ) मोहम्मद इकबाल,

 

 

(ब) अबुल कलाम आजाद,

 

(स) खान अब्दुल गफ्फार खान,

 

(द) महात्मा गाँधी।

 

  1. ‘पाकिस्तान’ शब्द का सबसे पहली बार प्रयोग किसने किया था ?

 

(अ) मोहम्मद अली जिन्ना,

 

(ब) नवाब सलीमुल्लाह,

 

(स) नवाब बकर-उल-मुल्क,

 

(द) चौधरी रहमत अली।

 

  1. ‘वेवल योजना’ कब प्रस्तुत की गयी ?

 

(अ) दिसम्बर, 1939 ई.,

 

(ब) मार्च, 1940 ई.,

 

(स) जून, 1945 ई.,

 

(द) मार्च, 1946 ई.

 

  1. ‘कैबिनेट मिशन’ कब भारत आया ?

 

(अ) 1939 ई.,

 

(ब) 1940 ई.,

 

(स) 1945 ई.,

 

(द) 1946 ई. ।

 

  1. मुस्लिम लीग द्वारा ‘प्रत्यक्ष कार्यवाही दिवस कब मनाया गया ?

(अ) 22 दिसम्बर, 1939 ई.,

 

(ब) 23 मार्च, 1940 ई.,

 

(स) 14 जून, 1945 ई.,

 

(द) 16 अगस्त, 1946 ई. ।

 

उत्तर- 1. (ब), 2. (अ), 3. (स), 4. (द), 5. (ब), 6. (अ), 7. (द), 8. (स), 9. (द) 10. (द) ।

 

  • रिक्त स्थानों की पूर्ति

 

  1. लॉर्ड कर्जन द्वारा बंगाल का विभाजन वर्ष ……..में किया गया था।

 

  1. मुस्लिम लीग की स्थापना वर्ष में ……..की गई थी।

 

  1. मुस्लिम लीग द्वारा ‘लाहौर प्रस्ताव’ वर्ष ……….में पारित किया गया था।

 

 

  1. ‘पाकिस्तान’ शब्द का पहली बार प्रयोग ……..(वर्ष) में किया गया था।

 

 

  1. विभाजन के समय भारत के वायसराय …………थे।

 

उत्तर – 1. 1905 ई., 2. 1906 ई., 3. 1940 ई., 4. 1933 ई., 5. लॉर्ड माउन्टवेटन।

 

सत्य / असत्य

 

  1. बंगाल का विभाजन 1919 ई. में हुआ था।

 

  1. मुस्लिम लीग की स्थापना का प्रमुख उद्देश्य मुसलमानों के राजनीतिक अधिकारों की रक्षा करना था।

 

  1. मोहम्मद अली जिन्ना प्रारंभ में मुस्लिम लीग के घोर विरोधी थे।

 

  1. शुद्धि आन्दोलन ‘ हिन्दू महासभा’ द्वारा प्रारंभ किया गया था।

 

  1. ‘यूनियनिस्ट पार्टी’ बंगाल की प्रमुख प्रभावशाली राजनीतिक पार्टी थी।

 

उत्तर- 1. असत्य, 2. सत्य, 3. सत्य, 4. असत्य, 5. असत्य।

 

सही जोड़ी बनाइए

 

‘अ’                                              ‘ब’

 

 

  1. मुस्लिम लीग की स्थापना. (i) 1916.

 

  1. मार्ले-मिन्टो सुधार अधिनियम. (ii) 1906 ई.

 

  1. लखनऊ समझौता (iii) 1946 ई.

 

  1. वेवल योजना. (iv) 1909 ई.

 

  1. कैबिनेट मिशन. (v) 1945 ई.

 

उत्तर – 1.→ (ii), 2. → (iv), 3. → (i), 4. → (v), 5. → (iii).

 

एक शब्द / वाक्य में उत्तर

 

  1. भारतीय मुसलमानों की प्रथम राजनीतिक संस्था कौन-सी थी ?

 

  1. भारत में किस अधिनियम के द्वारा साम्प्रदायिक चुनाव प्रणाली आरम्भ की गई ?

 

  1. मुस्लिम लीग की स्थापना किस शहर में की गई थी ?

 

  1. मुस्लिम लीग द्वारा ‘पाकिस्तान प्रस्ताव’ कब पास किया गया था ?

 

  1. मोहम्मद इकबाल ने मुस्लिम लीग के किस अधिवेशन में पृथक् मुस्लिम राज्य की आवश्यकता पर जोर दिया था ?

 

उत्तर- 1. भारतीय मुस्लिम लीग, 2. 1909 ई. का अधिनियम, 3. ढाका, 4. 1940 ई., 5. 1930 ई. के इलाहाबाद अधिवेशन में

 

अति लघु उत्तरीय प्रश्न

 

प्रश्न 1. मुस्लिम लीग की स्थापना कब और कहाँ हुई थी ? उत्तर- मुस्लिम लीग की 1906 ई. में ढाका में हुई थी।

 

प्रश्न 2. कांग्रेस ने संयुक्त प्रान्त में मुस्लिम लीग के साथ मिलकर सरकार बनाने के प्रस्ताव को क्यों ठुकरा दिया था ? संक्षेप में लिखिए।

उत्तर – संयुक्त प्रान्त में मुस्लिम लीग कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बनाना चाहती थी, लेकिन कांग्रेस ने अपना पूर्ण बहुमत होने के कारण लीग के प्रस्ताव को ठुकरा दिया था।

 

प्रश्न 3. मुस्लिम लीग ने ‘मुक्ति दिवस’ कब और क्यों मनाया ?

उत्तर – मुस्लिम लीग ने 22 दिसम्बर, 1939 ई. को ‘मुक्ति दिवस’ मनाया था, क्योंकि नवम्बर, 1939 में द्वितीय विश्व युद्ध से उत्पन्न परिस्थितियों के कारण सभी प्रान्तों के कांग्रेसी मंत्रिमण्डलों ने त्यागपत्र दिया था।

 

प्रश्न 4. कैबिनेट मिशन को भारत में कब और किस उद्देश्य से भेजा गया था ?

उत्तर- कैबिनेट मिशन को भारत में मार्च, 1946 ई. में भेजा गया था। इसके उद्देश्य निम्नांकित थे

 

(1) भारत के लिए उचित दिशा और दशा को सुनिश्चित करने के लिए।

 

(2) मुस्लिम लीग द्वारा की जा रही पाकिस्तान की माँग का अध्ययन करने के लिए।

 

प्रश्न 5. जिन्ना ने ‘प्रत्यक्ष कार्यवाही दिवस’ का आह्वान क्यों किया ? 16 अगस्त, 1946 ई. को कलकत्ता में क्या घटना घटित हुई ? संक्षेप में लिखिए।

उत्तर जिन्ना ने पाकिस्तान की प्राप्ति के लिए प्रत्यक्ष संघर्ष का रास्ता अपनाने का निश्चय करके 16 अगस्त, 1946 ई. को ‘प्रत्यक्ष कार्यवाही दिवस’ मनाने का आह्वान किया। कलकत्ता में इसी दिन अर्थात् 16 अगस्त, 1946 ई. को भयानक दंगा भड़क उठा। इस दंगे में पांच दिनों में लगभग पांच हजार लोगों की हत्याएँ हुईं।

 

प्रश्न 6. “अब हिन्दी भारत की राष्ट्र भाषा होगी और वन्देमातरम् राष्ट्रगीत होगा।” यह वाक्य कब और किसने कहे ?

उत्तर – यह वाक्य मोहम्मद अली जिन्ना ने 1937 ई. में मुस्लिम लीग के अधिवेशन में कहे थे।

 

प्रश्न 7. “पाकिस्तान” शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग कब और किसने किया ?

उत्तर- “पाकिस्तान” शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग जनवरी 1933 ई. में कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के एक छात्र चौधरी रहमत अली ने किया था।

 

प्रश्न 8 मार्च 1946 ई. में ब्रिटिश सरकार द्वारा भारत भेजे गए तीन सदस्यीय प्रतिनिधिमण्डल के सदस्यों के नाम लिखिए। इस प्रतिनिधिमण्डल को किस नाम से जाना जाता है ?

उत्तर – मार्च 1946 ई. में ब्रिटिश सरकार द्वारा भारत भेजे गए तीन सदस्यीय प्रतिनिधिमण्डल के सदस्यों के नाम इस प्रकार हैं- लॉर्ड पैथिक लारेन्स, स्टेफोर्ड क्रिप्स और ए. वी. अलेक्जेंडर। इस प्रतिनिधिमण्डल को “कैबिनेट मिशन” के नाम से जाना जाता है।

 

प्रश्न 9. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने विभाजन को स्वीकृति क्यों प्रदान की ? संक्षेप में लिखिए।

उत्तर- देश के अंदर बंगाल, बिहार, पंजाब, उत्तर प्रदेश, सिन्ध और उत्तर-पश्चिमी सीमा प्रान्त में भयंकर हिन्दू मुस्लिम देंगे प्रारंभ हो गए थे, जिसके परिणामस्वरूप सम्पूर्ण देश गृह युद्ध की आग में जलने लगा था। अतः देश को भयंकर विनाश से बचाने के लिए कांग्रेस ने विभाजन को स्वीकार कर लेना ही उचित समझा।

 

प्रश्न 10. “हमारे लिए इससे अधिक शर्म की बात और क्या हो सकती है कि चाँदनी चौक में एक भी मुसलमान नहीं है।” ये शब्द किसने और कब कहे थे ?

उत्तर – ये शब्द, महात्मा गाँधी ने गुरुनानक जयन्ती के अवसर पर 28 नवम्बर, 1947 ई. को अपने एक उद्बोधन में कहे थे।

 

लघु उत्तरीय प्रश्न

 

प्रश्न 1. विभाजन को दक्षिण एशिया के इतिहास में एक ऐतिहासिक मोड़ क्यों माना जाता है ?

उत्तर- अधिकतर विद्वानों का मानना है कि भारत विभाजन दक्षिण एशिया के इतिहास में एक ऐतिहासिक मोड़ था, क्योंकि विभाजन तो पहले भी हुए लेकिन यह विभाजन इतना व्यापक और भयावह साम्प्रदायिक हिंसा वाला था कि दक्षिण एशिया के इतिहास में इसे एक नए ऐतिहासिक मोड़ के रूप में देखा गया। इस विभाजन के परिणामस्वरूप लगभग डेढ़ करोड़ लोगों को अपने-अपने घर छोड़कर अपने वतन से अन्य स्थानों पर जाने के लिए विवश होना पड़ा। अनगिनत लोगों की जिंदगियाँ पलक झपकते ही बदल गईं; उनकी धन, सम्पत्ति, मकान, दुकान, खेत-खलियान और जड़ जमीन आदि सब कुछ उनके हाथ से निकल गए। अनेक लोगों के पूरे के पूरे परिवार उनकी आँखों के सामने ही उजाड़ दिए गए। इस विभाजन के दौरान भड़की साम्प्रदायिक हिंसा के कारण लाखों लोग मारे गए। अनगिनत लोगों की जिंदगियाँ उजड़ गईं, उनकी बचपन की यादें उनसे छीन ली गईं। उनको अपनी स्थानीय व क्षेत्रीय संस्कृतियों से वंचित कर दिया गया। ये लोग दोबारा से तिनकों के सहारे नई जिन्दगी नए सिरे से बुनने के लिए मजबूर हो गए।

 

प्रश्न 2. मुस्लिम लीग द्वारा ‘मुक्ति दिवस’ कब मनाया गया ? इसने भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन को किस प्रकार प्रभावित किया ?

उत्तर- मुस्लिम लीग ने 22 दिसम्बर, 1939 ई. को ‘मुक्ति दिवस’ मनाया था, इसके बाद से ही मुस्लिम लीग ने ‘द्विराष्ट्रवाद के सिद्धान्त’ का राग अलापना शुरू कर दिया था। इसके साथ ही मुस्लिम लीग ने मुस्लिम जनता एवं ब्रिटिश सरकार को यह विश्वास दिलाने का भरसक प्रयत्न किया कि मुसलमानों के हित हिन्दू हितों से भिन्न हैं और अल्पसंख्यक मुसलमानों को बहुसंख्यक हिन्दुओं से भारी खतरा है। इस प्रकार राष्ट्रीय आन्दोलन में साम्प्रदायिकता का जहर घोलने का काम किया गया।

 

प्रश्न 3. 1940 ई. के प्रस्ताव के जरिए मुस्लिम लीग ने क्या माँग की ?

उत्तर – 23 मार्च, 1940 ई. को लाहौर में हुए मुस्लिम लीग के वार्षिक अधिवेशन में एक प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया, जिसे ‘लाहौर प्रस्ताव’ के नाम से जाना जाता है। इस प्रस्ताव में कहा गया कि, “भौगोलिक दृष्टि से सटी हुई इकाइयों को क्षेत्रों के रूप में चिह्नित किया जाए, जिन्हें बनाने में आवश्यकतानुसार क्षेत्रों का फिर से ऐसा समायोजन किया जाए कि हिन्दुस्तान के उत्तर-पश्चिम और पूर्वी क्षेत्रों जैसे जिन भागों में मुसलमानों की संख्या अधिक है, उन्हें इकट्ठा करके ‘स्वतन्त्र राज्य’ बना दिया जाए, जिनमें सम्मिलित इकाइयाँ स्वाधीन और स्वायत्त होंगी।”

इस अस्पष्ट से प्रस्ताव में विभाजन अथवा पाकिस्तान का स्पष्ट उल्लेख कहीं नहीं किया गया में था। इस प्रस्ताव के लेखक पंजाब के प्रिमियर और यूनियनिस्ट पार्टी के प्रमुख नेता सिकन्दर हयात खाँ ने 1 मार्च, 1941 ई. को पंजाब असेम्बली में यह स्पष्ट करते हुए घोषणा की कि वह ऐसे पाकिस्तान की अवधारणा का विरोध करते हैं, जिससे “यहाँ मुस्लिम राज होगा और बाकी जगह हिन्दू राज होगा ‘। अगर पाकिस्तान का मतलब यह है कि पंजाब में खालिस मुस्लिम राज कायम होने वाला है तो मेरा उससे कोई वास्ता नहीं है।”

 

प्रश्न 4. कुछ लोगों को ऐसा क्यों लगता था कि बँटवारा बहुत अचानक हुआ ?

उत्तर- कुछ विद्वानों के विचारानुसार देश का विभाजन बहुत अचानक हुआ। इस संदर्भ में हमें याद रखना चाहिए कि भारत विभाजन के मूल में प्रारंभ से ही ब्रिटिश कूटनीति कार्य कर रही थी। ब्रिटिश प्रशासकों ने प्रारंभ से ही ‘फूट डालो और राज करो’ की कूटनीति का अनुसरण किया। ब्रिटिश प्रशासक राष्ट्रीय आन्दोलन को कमजोर करने के लिए सदैव से मुसलमानों में साम्प्रदायिक भावनाओं और अलगाव की भावनाओं को प्रोत्साहित करते रहे। लेकिन जब 1942 ई. में कांग्रेस द्वारा ‘भारत छोड़ो आन्दोलन’ प्रारम्भ किया गया, तो इस आन्दोलन की व्यापकता को देखकर अंग्रेज प्रशासकों को यह महसूस हो गया कि वह ज्यादा दिनों तक भारत में टिक नहीं पाएँगे। ऐसी स्थिति में कूटनीति के कुशल खिलाड़ी अंग्रेज प्रशासक भारत को एक शक्तिशाली देश के रूप में नहीं अपितु दुर्बल और विखण्डित देश के रूप में भारत को छोड़ने की योजना की ओर अग्रसर हुए। अपनी इसी कूटनीति के चलते वे अचानक भारत विभाजन के लिए तत्पर हो गए।

यहाँ यह तथ्य उल्लेखनीय है कि मुस्लिम लीग ने 1940 ई. में अपने लाहौर अधिवेशन में जो प्रस्ताव प्रस्तुत किया था, उसमें उपमहाद्वीप के मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में केवल सीमित स्वायत्तता की माँग की गई थी। मुस्लिम लीग के इस अस्पष्ट प्रस्ताव में विभाजन अथवा पाकिस्तान का कहीं भी उल्लेख नहीं किया गया था। इस प्रस्ताव के केवल सात वर्ष के भीतर ही ब्रिटिश प्रशासकों द्वारा अचानक भीतर विभाजन का निर्णय लिया गया, यह उनकी कूटनीति का ही परिणाम था।

 

प्रश्न 5. ‘वेवल योजना के बारे में आप क्या जानते हैं ? संक्षेप में विवरण लिखिए।

उत्तर – द्वितीय विश्व युद्ध की स्थिति और उसमें भारतीयों के सहयोग की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए ब्रिटिश प्रशासकों ने 1945 ई. में भारत के संवैधानिक गतिरोध को दूर करने के लिए पुनः वार्ताएँ प्रारम्भ कीं। 14 जून, 1945 ई. को वायसराय लॉर्ड वेवल ने एक योजना प्रस्तुत की, जिसे ‘वेवल योजना’ के नाम से जाना जाता है। इस योजना पर विचार-विमर्श करने के लिए लॉर्ड वेवल ने 25 जून, 1945 को शिमला में एक सम्मेलन आयोजित किया। इस योजना के अनुसार ब्रिटिश सरकार इस बात पर सहमत हो गई कि केन्द्रीय कार्यकारिणी परिषद् का पुनर्निर्माण किया जाएगा, जिसमें वायसराय और प्रधान सेनापति के अतिरिक्त सभी सदस्य भारतीय होंगे और इसमें मुसलमानों व हिन्दुओं की संख्या बराबर होगी। ब्रिटिश प्रशासकों की राय में यह पूर्ण स्वतन्त्रता की दिशा में शुरुआती कदम था। लेकिन जिन्ना के अड़ियल रवैये के कारण सत्ता हस्तान्तरण के विषय में यह वार्ता टूट गयी, क्योंकि जिन्ना इस बात पर अड़े रहे कि केन्द्रीय कार्यकारिणी परिषद् में समस्त मुसलमान प्रतिनिधि मुस्लिम लीग के द्वारा ही मनोनीत होने चाहिए, क्योंकि मुसलमानों का प्रतिनिधित्व करने वाली वही एक संस्था है।

 

प्रश्न 6. कांग्रेस ने पंजाब को दो भागों में विभाजित करने के प्रस्ताव को मंजूरी क्यों दी ? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- कांग्रेस हाईकमान ने मार्च 1947 ई. में पंजाब को मुस्लिम बहुल और – हिन्दू-सिक्ख बहुल इन दो भागों में बाँटने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी; क्योंकि वर्तमान स्थितियों में पंजाब के अनेक सिक्ख नेता और कांग्रेसी नेता भी समर्थन करने लगे थे। उनका मानना था कि वे अविभाजित पंजाब में मुसलमानों से घिर जाएँगे और उन्हें मुसलमानों के रहम पर ही जीना पड़ेगा। इसी वजह से कांग्रेस ने पंजाब को दो भागों में विभाजित करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी।

 

प्रश्न 7. विभाजन के खिलाफ महात्मा गाँधी की दलीलें क्या थीं ?

उत्तर- गाँधीजी प्रारंभ से ही देश के विभाजन के विरुद्ध थे। वह किसी भी कीमत पर विभाजन को रोकना चाहते थे। अतः वह अंत तक विभाजन का विरोध करते रहे। देश के विभाजन का विरोध करते हुए उन्होंने कहा था कि विभाजन उनकी लाश पर होगा। यद्यपि महात्मा गाँधी यह जानते थे कि उनकी स्थिति ‘बीहड़ में एक आवाज’ के समान है, फिर भी वह अन्तिम समय तक विभाजन की सोच का विरोध करते रहे। 7 सितम्बर, 1946 ई. को महात्मा गाँधी ने प्रार्थना सभा में अपने भाषण में कहा, मैं फिर वह दिन देखना चाहता हूँ जब हिन्दू और मुसलमान आपसी सलाह के बिना कोई काम नहीं करेंगे। मैं दिन-रात इसी आग में जला जा रहा हूँ कि उस दिन को जल्दी से जल्दी साकार करने के लिए क्या करूँ। लीग से मेरी गुजारिश है कि वे किसी भी भारतीय को अपना शत्रु न मानें । हिन्दू और मुसलमान, दोनों एक ही मिट्टी से उपजे हैं। उनका खून एक है, वे एक जैसा भोजन करते हैं, एक ही पानी पीते हैं, और एक ही जबान बोलते हैं।

इसी तरह 26 सितम्बर, 1946 को महात्मा गाँधी ने ‘हरिजन’ में लिखा था, “लेकिन मुझे पूरा विश्वास है कि मुस्लिम लीग ने पाकिस्तान की जो माँग उठायी है, वह पूरी तरह गैर-इस्लामिक है और मुझे इसको पापपूर्ण कृत्य कहने में कोई संकोच नहीं है। इस्लाम मानवता की एकता और भाईचारे का समर्थक है न कि मानव परिवार की एकजुटता को तोड़ने का। जो तत्व भारत को एक-दूसरे के खून के प्यासे टुकड़ों में बाँट देना चाहते हैं, वे भारत और इस्लाम दोनों के शत्रु हैं। भले ही वे मेरी देह के टुकड़े-टुकड़े कर दें, परन्तु मुझसे ऐसी बात नहीं मनवा सकते, जिसे मैं गलत मानता हूँ।”

लेकिन गाँधीजी का विरोध ‘नक्कारखाने में तूती’ के समान था। गाँधीजी साम्प्रदायिक पूर्वाग्रहों और भावनाओं से जूझते रहे, किन्तु सब-कुछ व्यर्थ गया। अंतत: देश का विभाजन हो गया और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को उसे स्वीकारना पड़ा।

 

प्रश्न 8. आम लोग विभाजन को किस तरह देखते थे ?

उत्तर–आम लोग प्रारंभ में देश के विभाजन को केवल थोड़े समय के एक जुनून के रूप में देखते थे। उनका मानना था कि विभाजन स्थायी नहीं होगा। कुछ समय बाद जैसे ही ● शान्ति और कानून व्यवस्था स्थापित हो जाएगी, वे अपने घरों को वापस लौट जाएँगे। उन्हें विश्वास था कि शताब्दियों से एक समाज में एक-दूसरे के सुख-दुःख के साथी बनकर रहने • वाले लोग एक-दूसरे का खून बहाने पर उतारू नहीं होंगे। देश का विभाजन उनके दिलों के विभाजन का कारण नहीं बनेगा। स्थिति सामान्य होते ही वे फिर मिल-जुलकर एक ही समाज में रहेंगे। वास्तव में आम लोग चाहे वे हिन्दू थे अथवा मुसलमान, धर्म के नाम पर एक-दूसरे का सिर काटने के इच्छुक नहीं थे। अनेक नेता और स्वयं गाँधीजी भी अंत तक विभाजन की सोच का विरोध करते रहे थे।

 

 

 

दीर्घ उत्तरीय / विश्लेषणात्मक प्रश्न

 

 

 

प्रश्न 1. ब्रिटिश भारत का बँटबारा क्यों किया गया ?

अथवा

भारत विभाजन के लिए उत्तरदायी कारणों की विवेचना कीजिए ।

उत्तर- निम्नलिखित कारणों ने भारत विभाजन में योगदान दिया

 

(1) अंग्रेजों की फूट डालो और राज करो की नीति- अंग्रेजों ने प्रारंभ से ही ‘फूट डालो- राज करो’ की नीति का अनुसरण किया। भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन को दुर्बल बनाने के लिए अंग्रेज प्रशासक मुसलमानों की साम्प्रदायिक भावनाओं को उत्तेजित करते रहे। अंग्रेज प्रशासकों की इस नीति से मुसलमानों में साम्प्रदायिक भावनाओं का विकास होने लगा। वे अपने हितों की रक्षा के लिए अपने लिए एक पृथक् राष्ट्र की माँग करने लगे, जिसकी चरम परिणति पाकिस्तान के निर्माण से हुई।

 

(2) मुस्लिम लीग का साम्प्रदायिक दृष्टिकोण-मुस्लिम लीग के संकीर्ण साम्प्रदायिक दृष्टिकोण ने हिन्दू-मुसलमानों में मतभेद उत्पन्न करने और अंतत: पाकिस्तान के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दिया। मुस्लिम लीग ने ‘द्विराष्ट्रवाद के सिद्धान्त’ का प्रचार किया और मुस्लिम जनता को यह विश्वास दिलाने का प्रयास किया कि अल्पसंख्यक मुसलमानों को बहुसंख्यक हिन्दुओं से भारी खतरा है। 1937 ई. में कांग्रेस द्वारा संयुक्त प्रान्त में मुस्लिम लीग के साथ मिलकर मंत्रिमण्डल बनाने से इंकार कर दिए जाने पर लीग ने “इस्लाम खतरे में हैं” का नारा लगाया और कांग्रेस को हिन्दुओं की संस्था बताया। 1946 ई. के चुनावों के पश्चात् ‘पाकिस्तान’ की स्थापना के लिए लीग ने जोरदार आंदोलन प्रारंभ कर दिया। 16 अगस्त, 1946 ई. को लीग ने ‘प्रत्यक्ष कार्यवाही दिवस’ मनाया, जिसके परिणामस्वरूप देश के विभिन्न भागों में भयंकर साम्प्रदायिक दंगे हो गए, परिणामतः देश को अनावश्यक रक्तपात से बचाने के लिए विभाजन अनिवार्य हो गया।

 

(3) कांग्रेस की तुष्टिकरण की रीति-कांग्रेस ने मुस्लिम लीग के प्रति तुष्टीकरण की नीति अपनाई जो देश की अखंडता के लिए घातक सिद्ध हुई। कांग्रेस ने बार-बार मुस्लिम लीग को संतुष्ट करने का प्रयास किया, जिसके परिणामस्वरूप मुस्लिम लीग की अनुचित माँगें दिन-प्रतिदिन बढ़ने लगीं। मुस्लिम लीग के प्रति कांग्रेस की कमजोर एवं त्रुटिपूर्ण नीति से मोहम्मद अली जिन्ना को यह विश्वास हो गया था कि परिस्थितियों से विवश होकर एक न एक दिन कांग्रेस विभाजन के लिए तैयार हो जाएगी और अंततः ऐसा ही हुआ।

 

(4) साम्प्रदायिक दंगे- पाकिस्तान की माँग मनवाने के लिए मुस्लिम लीग ने प्रत्यक्ष कार्यवाही’ प्रारंभ कर दी और इसके परिणामस्वरूप समूचे देश में साम्प्रदायिक दंगे होने लगे। इन दंगों को अब केवल भारत विभाजन के द्वारा ही रोका जा सकता था।

 

(5) अंतरिम सरकार की असफलता – 1946 ई. में बनी अंतरिम सरकार में कांग्रेस का बहुमत था, लेकिन मुस्लिम लीग उसके कामों में कोई न कोई अवरोध उत्पन्न कर देती थी। इससे देश में रचनात्मक कार्यों की अपेक्षा रक्तपात और दंगों को बढ़ावा मिला। इस प्रकार अंतरिम सरकार की असफलता से यह स्पष्ट हो गया कि कांग्रेस और लीग मिलकर काम नहीं कर सकते। गृहयुद्ध और भीषण रक्तपात की आशंका के भय से गाँधीजी तथा अन्य राष्ट्रीय नेताओं ने विभाजन को स्वीकार कर लिया।

 

(6) लॉर्ड माउन्टबेटन के प्रयास-लीग द्वारा पाकिस्तान के निर्माण के लिए प्रत्यक्ष कार्यवाही आरंभ कर देने के परिणामस्वरूप समूचे देश में साम्प्रदायिक हिंसा भड़क उठी। अतः लॉर्ड माउन्टबेटन ने पं. जवाहरलाल नेहरू और सरदार वल्लभभाई पटेल को विश्वास दिला दिया कि मुस्लिम लीग के बिना शेष भारत को शक्तिशाली और संगठित बनाना ज्यादा उचित होगा। उसने कांग्रेस के नेताओं को गुहयुद्ध अथवा पाकिस्तान में से किसी एक को चुनने की सलाह दी। कांग्रेस के राष्ट्रीय नेताओं ने गृहयुद्ध की विभीषिका से देश को बचाने के लिए पाकिस्तान के निर्माण को स्वीकार कर लिया।

इस प्रकार उक्त सभी कारणों ने संयुक्त रूप से देश के विभाजन को अनिवार्य बना दिया था।

 

प्रश्न 2. कैबिनेट मिशन भारत क्यों भेजा गया ? इसकी योजना की सिफारिशों पर प्रकाश डालिए।

उत्तर ब्रिटिश सरकार ने मुस्लिम लीग की माँग का अध्ययन करने तथा स्वतन्त्र भारत के लिए एक उचित राजनीतिक रूपरेखा का सुझाव प्रस्तुत करने के लिए मार्च 1946 ई. में एक तीन सदस्यीय प्रतिनिधिमण्डल भारत भेजा, इस प्रतिनिधिमण्डल में सर स्टैफर्ड क्रिप्स, ए. वी. एलेक्जेण्डर तथा पैथिक लॉरेन्स सम्मिलित थे, जिसे ‘कैबिनेट मिशन’ के नाम से जाना जाता है। इस कैबिनेट मिशन ने तीन माह तक भारत का दौरा करके एक रिपोर्ट तैयार की, जिसे ‘कैबिनेट मिशन योजना’ के नाम से जाना जाता है। कैबिनेट मिशन द्वारा निम्नांकित योजना प्रस्तुत की गयी –

 

(1) भारतीय संघ की स्थापना की जाए, जिसमें देशी रियासतें और ब्रिटिश प्रान्त दोनों सम्मिलित हों। इस संघ पर प्रतिरक्षा, वैदेशिक सम्बन्ध तथा संचार व्यवस्था का उत्तरदायित्व होगा। शेष विषयों पर प्रान्तों व रियासतों का अधिकार होगा।

 

(2) संविधान निर्माण के लिए संविधान सभा का गठन किया जाएगा, जिसमें जनसंख्या के आधार पर प्रत्येक प्रान्त को स्थान दिए जाएँगे। मतदाताओं के तीन वर्ग-आम, मुसलमान व सिक्ख (सिर्फ पंजाब में) होंगे।

 

(3) प्रान्तों को तीन समूहों-अ, ब और स में रखा जाएगा। समूह ‘अ’ में हिन्दू बहुसंख्यक प्रान्त मद्रास, बम्बई, संयुक्त प्रान्त, बिहार, मध्य प्रान्त और उड़ीसा; समूह ‘ब’ में मुस्लिम बहुसंख्यक प्रान्त पंजाब, उ.प. सीमा प्रान्त और सिन्ध; तथा समूह ‘स’ में हिन्दुओं तथा मुसलमानों की लगभग समान संख्या वाले प्रान्त बंगाल और असम को सम्मिलित किया गया। तीनों वर्गों के प्रान्तों के प्रतिनिधि अपने वर्ग तथा प्रान्त के लिए संविधान का निर्माण करेंगे।

 

(4) इस प्रकार तैयार किये गए संविधान को ब्रिटिश सरकार लागू करेगी।

 

(5) सत्ता हस्तान्तरण के पश्चात् देशी रियासतों से सम्बन्धित सर्वोच्च शक्ति न तो ब्रिटेन के पास होगी और न ही भारत के पास।

 

(6) सभी दलों की सहायता से एक अंतरिम सरकार बनायी जाएगी, जिसमें सभी विभाग भारतीय नेताओं के अधीन होंगे। प्रारम्भ में सभी प्रमुख राजनीतिक दलों ने कैबिनेट मिशन योजना को स्वीकार कर लिया। लेकिन इस योजना के विषय में सभी पक्षों की व्याख्या भिन्न-भिन्न थी।

 

प्रश्न 3. बँटवारे के समय महिलाओं के क्या अनुभव रहे ?

उत्तर – 1947 ई. में हुए भारत विभाजन का सबसे दूषित प्रभाव महिलाओं को झेलना पड़ा। इस विभाजन के दौरान महिलाओं को भयानक अनुभवों का सामना करना पड़ा। विभाजन के दौरान उन्हें अगवा किया गया, उनके साथ बलात्कार हुए, उन्हें बार-बार बेचा और खरीदा गया और अंजान हालात में अजनबियों के साथ नई जिन्दगी जीने के लिए मजबूर किया गया। इस दौरान महिलाएँ मूक निरीह प्राणियों की भाँति असहनीय पीड़ाओं से गुजरती रहीं। देश में व्याप्त दूषित वातावरण में गहरे सदमे से गुजरने के बावजूद भी कुछ महिलाओं ने अपने नए पारिवारिक सम्बन्ध विकसित किए। लेकिन दोनों देशों भारत और पाकिस्तान की सरकारों ने इन मानवीय सम्बन्धों की जटिलता के विषय में कोई संवेदनशील कदम नहीं उठाया। इस मामले में इस प्रकार की अनेक महिलाओं को जबरदस्ती घर बैठा ली गई मानते हुए, उन्हें उनके नए परिवारों से छीनकर पुराने परिवारों के पास या फिर पुराने स्थानों पर भेज दिया गया। जिन महिलाओं के विषय में इस प्रकार के निर्णय लिए जा रहे थे, उन महिलाओं से एक बार भी उनकी इच्छा जानने का प्रयास नहीं किया गया। इस प्रकार विभाजन की त्रासदी झेल रही महिलाओं को अपनी जिन्दगी के विषय में फैसला लेने के अधिकार से वंचित कर दिया गया था। एक अनुमान के अनुसार महिलाओं की बरामदगी की मुहिम में कुल मिलाकर लगभग तीस हजार महिलाओं को बरामद किया गया था। इनमें से बाईस हजार मुस्लिम महिलाओं को भारत से और आठ हजार हिन्दू व सिक्ख महिलाओं को पाकिस्तान से निकाला गया था। महिलाओं की बरामदगी की यह मुहिम 1954 ई. तक चलती रही।

विभाजन की प्रक्रिया के दौरान ऐसे अनेक उदाहरण भी प्राप्त होते हैं, जब परिवार के पुरुषों को यह भय होता था कि शत्रु द्वारा उनके परिवार की महिलाओं-माँ, बहन, बीबी या बेटी को नापाक किया जा सकता है, तो वे अपने परिवार की इज्जत की रक्षा के लिए स्वयं ही इनको मार डालते थे। उर्वशी बुटालिया की पुस्तक ‘दि अदर साइड ऑफ साइलेंस’ में रावलपिंडी जिले के थुआ खालसा गाँव की ऐसी ही एक दर्दनाक घटना का उल्लेख किया गया है। बताया जाता है कि विभाजन के दौरान सिक्खों के इस गाँव की 90 महिलाओं ने दुश्मनों के हाथों में पड़ने के बजाय अपनी स्वेच्छा से कुएँ में कूदकर अपने प्राणों की आहूति दे दी थी। इस गाँव से दिल्ली आए शरणार्थी इन मौतों को ‘शहादत’ का दर्जा देते हैं और प्रतिवर्ष 13 मार्च को दिल्ली के एक गुरुद्वारे में लोग उनकी शहादत पर कार्यक्रम का आयोजन करते हैं। इस अवसर पर महिलाओं की शहादत की घटना को महिलाओं, पुरुषों और बच्चों की सभा में विस्तार से सुनाया जाता है।

 

प्रश्न 4. बंटवारे के सवाल पर कांग्रेस की सोच कैसे बदली ?

उत्तर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस प्रारंभ से ही विभाजन का विरोध करती रही थी। – किन्तु अंत में परिस्थितियों से विवश होकर उसे अपनी सोच बदलनी पड़ी और विभाजन के लिए तैयार होना पड़ा।

पाकिस्तान की माँग को मनवाने के लिए मुस्लिम लीग ने ‘प्रत्यक्ष कार्यवाही’ प्रारंभ कर दी जिसके परिणामस्वरूप समूचे देश में दंगे प्रारंभ हो गए। इन दंगों में स्थान-स्थान पर बड़ी संख्या में लोग मारे जाने लगे। इस साम्प्रदायिक दंगों के कारण सारे देश का वातावरण दूषित हो गया। इन स्थितियों से हो रहे भयंकर विनाश से देश को बचाने के लिए कांग्रेस भी यह सोचने के लिए विवश हो गई कि क्या विभाजन ही इस समस्या का एक मात्र विकल्प है ?

वर्तमान परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए मार्च 1947 ई. कांग्रेस हाईकमान ने पंजाब को मुस्लिम बहुल और हिन्दू-सिक्ख बहुल इन दो भागों में बाँटने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। कांग्रेस ने बंगाल के विषय में भी यही सिद्धान्त अपनाने का सुझाव दिया। वर्तमान स्थितियों में पंजाब के अनेक सिक्ख नेता और कांग्रेसी नेता भी विभाजन का समर्थन करने लगे थे। उनका मानना था कि वे अविभाजित पंजाब में मुसलमानों से घिर जाएँगे ओर उन्हें मुसलमानों के रहम पर ही जीना पड़ेगा। इसी प्रकार बंगाल में भी बंगाली हिन्दू मुसलमानों की स्थायी गुलामी की आशंका से भयभीत थे। चूँकि वे संख्या में कम थे, अतः उनका मानना था कि प्रान्त विभाजन से ही उनका राजनीतिक प्रभुत्व बना रह सकता है।

साम्प्रदायिक दंगों के परिणामस्वरूप कानून व्यवस्था लगभग समाप्त हो गई थी और शासन की संस्थाएँ भी बिखर चुकी थीं। मुस्लिम लीग की साम्प्रदायिक गतिविधियों से स्पष्ट हो गया था कि लीग किसी भी स्थिति में कांग्रेस से समझौता करने के लिए तैयार नहीं थी। कांग्रेस के प्रमुख नेताओं को अब यह भलीभाँति समझ आने लगा था कि लीग कांग्रेस में परस्पर सहयोग संभव नहीं है। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भी लग सरकार के प्रत्येक कार्य में गतिरोध उत्पन्न करेगी और देश के वातावरण को दूषित करेगी, इसके परिणामस्वरूप देश निरंतर विनाश की ओर अग्रसर होगा और दुर्बल होता जाएगा। अतः देश को संगठित और शक्तिशाली बनाने के उद्देश्य से कांग्रेस ने विभाजन को स्वीकार करना अधिक उपयुक्त समझा।

 

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