भाग ‘ब’- स्वतन्त्र भारत में राजनीति
अध्याय 10 राष्ट्र निर्माण की चुनौतियाँ [National-Building and Its Problems]
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
बहु-विकल्पीय प्रश्न
- आजादी के बाद भारत के सामने प्रमुख चुनौती थी
(i) लोकतन्त्र को बनाए रखना
(ii) राष्ट्र निर्माण
(iii) औद्योगिक विकास
(iv) सामाजिक विकास
- ब्रिटिश नता से आजाद समस्त रजवाड़ों की कुल संख्या थी
(i) 555
(ii) 556
(iii) 565
(iv) 655.
- समस्यापरक देशी रियासत थी
(i) हैदराबाद
(ii) भोपाल
(iii) जयपुर
(iv) अलवर।
- रजवाड़ों के भारत में विलय के बाद भी किन तीन राज्यों ने भारत में सम्मिलित होना विलम्बित किया ?
(i) जूनागढ़, मैसूर, जम्मू-कश्मीर
(ii) हैदराबाद, उदयपुर, ट्रावनकोर
(iii) उदयपुर, कपूरथला, जम्मू-कश्मीर
(iv) जूनागढ़, हैदराबाद, जम्मू-कश्मीर ।
- कश्मीर के भारत में विलय के समझौते पर कब हस्ताक्षर किए गए ?
(i) 22 अक्टूबर, 1948
(ii) 26 अक्टूबर, 1947
(iii) 26 अक्टूबर, 1945
(iv) 22 अक्टूबर, 1946.
- विदर्भ प्रदेश (क्षेत्र) किस राज्य (प्रदेश) में है ?
(i) मध्य प्रदेश
(ii) तमिलनाडु
(iii) महाराष्ट्र
(iv) गुजरात ।
- 2 जून, 2014 को निम्नांकित में किस राज्य की स्थापना की गई थी ?
(i) उत्तराखण्ड
(ii) झारखण्ड
(iii) छत्तीसगढ़
(iv) तेलंगाना ।
- निम्नांकित में किस भाषा के आधार पर अक्टूबर 1953 में आन्ध्र प्रदेश राज्य का गठन हुआ था ?
(i) कन्नड़
(ii) तेलुगू
(iii) तमिल
(iv) मलयालम ।
- निम्नांकित में किसे ‘लौह पुरुष’ के रूप में जाना जाता है ?
(i) भगत सिंह
(ii) लाला लाजपत राय
(iii) सरदार वल्लभ भाई पटेल
(iv) सुभाष चन्द्र बोस ।
- ‘ट्रिस्ट विद डेस्टनी’ अर्थात् भाग्यवधू से चिर प्रतीक्षित भेंट’ भाषण निम्नांकित में किसमें सम्बन्धित है ?
(i) डॉ. बी. आर. आम्बेदकर
(ii) जवाहरलाल नेहरू
(iii) महात्मा गाँधी
(iv) डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ।
उत्तर – 1. (ii), 2. (iii), 3. (i), 4. (iv), 5. (ii), 6. (i), 7. (iv), 8. (ii), 9. (iii), 10. (ii).
रिक्त स्थानों की पूर्ति
- भारत विभाजन के पश्चात् हुए साम्प्रदायिक दंगों ने ……………………….समस्या को जन्म दिया था।
- जम्मू कश्मीर का राजा…………………था।
- वर्तमान में जम्मू-कश्मीर……………………… है।
- राज्य पुनगर्ठन अधिनियम के आधार पर………………………..राज्य तथा………………………. केन्द्र शासित प्रदेश बनाए ।
- राज्य पुनर्गठन आयोग की नियुक्ति 29 दिसम्बर……………….में हुई।
- …………………………दो हिस्सों-ब्रिटिश प्रभुत्व वाले प्रान्त तथा देशी रजवाड़ों में था ।
उत्तर- 1. शरणार्थी, 2. हरिसिंह, 3. संघ शासित प्रदेश, 4. चौदह, छ:, 5. 1953, 6. ब्रिटिश इण्डिया
जोड़ी मिलाइए
‘क’
- हैदराबाद का निजाम
- जूनागढ़ रियासत के दीवान
- दर आयोग
- राज्य पुनर्गठन आयोग अध्यक्ष
- भारत विभाजन से प्रभावित राज्य
‘ख’
(i) शाहनबाज भुट्टो
(ii) पंजाब तथा बंगाल
(iii) न्यायमूर्ति फजल अली
(iv) 1948
(v) उस्मान अली खान।
उत्तर – 1. → (v), 2. → (i), 3. → (iv), 4. (iii) 5. (ii).
एक शब्द/वाक्य में उत्तर
- भारत विभाजन के दौरान शरणार्थियों ने जनसंख्या के दृष्टिकोण से किस क्षेत्र का सन्तुलन बिगाड़ा था ?
- हैदराबाद का भारत में विलय कब हुआ ?
- हैदराबाद मुस्लिम रजाकारों के नेता का क्या नाम था ?
- सीमान्त गाँधी के नाम से कौन प्रसिद्ध है ?
- भारत विभाजन के दौरान बोआखाली स्थान क्यों चर्चित रहा था ?
- आजादी के बाद भारत के राज्य कितनी श्रेणियों में विभाजित थे ?
- वर्तमान में भारत में कितने राज्य और कितने केन्द्रशासित प्रदेश हैं ?
उत्तर – 1. तराई क्षेत्र, 2. 1948, 3. कासिम रिजवी, 4. खान अब्दुल गफ्फार खान, 5. साम्रदायिक दंगों की वजह से, 6. चार, 7.28 राज्य तथा 8 केन्द्रशासित प्रदेश ।
सत्य/असत्य
- भारत विभाजन के बाद हुए साम्प्रदायिक देशों से भयभीत (डर) होकर लोग सीमा की दूसरी तरफ पैदल चलकर आए।
- भोपाल के नवाब संविधान सभा में सम्मिलित होना चाहते थे।
- अधिकांश रजवाड़ों का शासन लोकतान्त्रिक तरीके से चलाया जाता था।
- कश्मीरी बोलने वाले अधिकांश लोग हिन्दू हैं।
- भाषाई आधार पर राज्यों के गठन से अलगाववाद को बढ़ावा मिलता है।
- स्वतन्त्र राज्य बनने से पूर्व उत्तराखण्ड मूल राज्य छत्तीसगढ़ का अंग था।
- भारत में सबसे अधिक जनसंख्या वाला राज्य उत्तर प्रदेश तथा सबसे कम जनसंख्या वाला राज्य सिक्किम है।
- विभाजन की योजना में यह बात भी शामिल थी कि दोनों देशों के बीच आबादी की अदला-बदली होगी।
उत्तर – 1. सत्य, 2. असत्य, 3. सत्य, 4. असत्य, 5. सत्य, 6. असत्य, 7. सत्य,
- असत्य ।
अति लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. भारत विभाजन के कोई दो कारण लिखिए।
उत्तर – ( 1 ) अंग्रेजों द्वारा मुस्लिम साम्प्रदायिकता को बढ़ावा देना, तथा
(2) मुस्लिम लीग के प्रति कांग्रेस का व्यवहार
प्रश्न 2. शरणार्थी समस्या का कोई एक प्रभाव बताइए।
उत्तर- शरणार्थी समस्या का प्रमुख प्रभाव उनके पुनर्वास की चुनौती थी ।
प्रश्न 3. शरणार्थी समस्या के दो परिणाम लिखिए।
उत्तर – ( 1 ) शरणार्थियों द्वारा छोड़ी गई सम्पत्तियों की क्षतिपूर्ति, तथा
(2) नेहरू लियाकत समझौता।
प्रश्न 4. ‘इंस्टुमेण्ट ऑफ एक्सेशन’ (विलय-पत्र) क्या था ?
उत्तर- रजवाड़ों के भारतीय संघ में विलय के सहमति पत्र को ‘इंस्ट्रूमेण्ट ऑफ एक्सेशन’ कहा जाता था।
प्रश्न 5. सरदार बल्लभ भाई पटेल को ‘भारत का बिस्मार्क’ क्यों कहा जाता है ?
उत्तर- सरदार पटेल ने अथक परिश्रम तथा समझदारी के साथ भारत के एकीकरण को भौगोलिक, आर्थिक एवं राजनीतिक दृष्टिकोण से पूर्ण किया। अतः उन्हें ‘भारत का बिस्मार्क’ की उपमा दी गई।
प्रश्न 6. तेलुगू भाषी लोगों की क्या माँग थी ?
उत्तर – मद्रास राज्य को विभक्त करके दो राज्य बनाए जाएँ।
प्रश्न 7. सिक्किम अलग राज्य कब बना ?
उत्तर- 26 अप्रैल, 1975.
प्रश्न 8. दर आयोग की कोई दो मुख्य अनुशंसाएँ लिखिए।
उत्तर – (1) भाषायी आधार पर राज्यों का पुनर्गठन अनुचित तथा (2) प्रशासकीय सुविधा पुनर्गठन का सर्वोच्च कारक है।
प्रश्न 9. आजादी के समय देश के पूर्वी और पश्चिमी इलाकों में राष्ट्र निर्माण की चुनौती के लिहाज से दो मुख्य अन्तर क्या थे ?
उत्तर – ( 1 ) आजादी के साथ देश के पूर्वी क्षेत्रों में सांस्कृतिक एवं आर्थिक सन्तुलन की समस्या थी जबकि पश्चिमी क्षेत्रों में विकास सम्बन्धी चुनौती थी। (2) देश के पूर्वी क्षेत्रों में भाषाई समस्या सर्वाधिक थी, वहीं पश्चिमी क्षेत्रों में धार्मिक एवं जातिवाद की समस्या चरम बिन्दु को छू रही थी।
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. देशी रियासतों के विलीनीकरण की क्या आवश्यकता थी ?
उत्तर- हालांकि देशी रियासतों के नरेश अपने विशेषाधिकारों के प्रति जागरूक रहते हुए अपनी सम्प्रभुता का दावा करते थे। लेकिन व्यवहार में इसका तात्पर्य जनसाधारण पर निरंकुश एवं स्वेच्छाचारी शासन ही था। यदि ब्रिटिश राजमुकुट के प्रति समर्पित सभी 565 देशी रियासतों को स्वतन्त्र अस्तित्व की अनुमति दी जाती तो भारतीय आजादी का कोई अर्थ नहीं रह जाता। अत: देशी रियासतों का विलय देश की आजादी की पूर्व शर्त थी। यह कार्य अधिकांशतया भारतीय स्वतन्त्रता अधिनियम, 1947 के क्रियान्वयन से पहले ही पूर्ण हो गया। देशी रियासतों के राजनीतिक एवं सांस्कृतिक दृष्टिकोण से परस्पर विभिन्नता के बावजूद ये भौगोलिक दृष्टि से शेष महाद्वीप से सम्बद्ध थीं। अंग्रेजी सरकार की भारत से विदाई के पश्चात् देश की एकता को सुदृढ़ करने हेतु इन देशी रियासतों का भारत में एकीकरण किए जाने को महती आवश्यकता थी।
प्रश्न 2. रजवाड़ों के विलय की समस्या का प्रादुर्भाव कैसे हुआ ? संक्षेप में झाइए।
उत्तर- अगस्त, 1947 में ब्रिटिश भारत इंग्लैण्ड के प्रभुत्व वाले भारतीय प्रान्त तथा देशी जवाड़ों में विलय था। जहाँ इंग्लैण्ड के प्रभुत्व वाले भारतीय प्रान्तों पर ब्रिटिश हुकूमत का सीधा नियन्त्रण नहीं था, वहीं छोटे-बड़े रजवाड़ों पर देशी राजाओं का शासन था। राजा अंग्रेज कार की अधीनता स्वीकारते हुए अपने-अपने राज्यों का घरेलू शासन चलाते थे। यहाँ यह खनीय है कि अंग्रेजी प्रभुत्व वाले भारतीय साम्राज्य के एक-तिहाई हिस्से में रजवाड़े थे प्रत्येक चार भारतीयों में से एक व्यक्ति किसी-न-किसी रजवाड़े की प्रजा था। आजादी दए जाने से पूर्व अंग्रेजी सरकार ने यह घोषणा कर दी थी कि सभी 565 रजवाड़े ब्रिटिश राज की समाप्ति के साथ ही कानूनी रूप से स्वतन्त्र हो जाएँगे। रजवाड़ों को यह विकल्प था कि के अपनी इच्छानुसार भारत अथवा पाकिस्तान में विलय कर सकते हैं। इसी प्रकार यदि वे चाहें अपना अलग स्वतन्त्र अस्तित्व भी बनाए रख सकते हैं। इस सम्बन्ध में अन्तिम फैसला लेने का अधिकार भी देशी राजाओं को दिया गया था। अपने आप में यह एक गम्भीर समस्या थी जो कि अखण्ड भारत के अस्तित्व पर घोर संकट के रूप में उभरकर आयी।
प्रश्न 3. भारत ने कश्मीर के महाराज की किस प्रकार मदद की थी ?
उत्तर- जब अक्टूबर, 1947 में कश्मीर पर लगभग पाँच हजार कबाइलियों के रूप में पाक सैनिकों ने आक्रमण किया तो महाराज हरिसिंह ने भारत से मदद हेतु प्रार्थना की थी, जिसे भारत सरकार ने सशर्त स्वीकार किया था। जब 26 अक्टूबर, 1947 को महाराज हरिसिंह द्वारा कश्मीर के भारत में विलय के समझौते पर हस्ताक्षर कर दिए गए तब भारतीय सैन्य वल कश्मीर रवाना किए गए। प्रथम सैन्य टुकड़ी 27 अक्टूबर, 1947 को हवाई मार्ग से कश्मीर हुँची और कबाइलियों को कश्मीर सीमा से खदेड़कर बाहर किया।
प्रश्न 4. जम्मू-कश्मीर के भारत में विलय से जुड़ी समस्याओं को समझाइए ।
उत्तर- स्वतन्त्र भारत में रियासतों के विलय के सन्दर्भ में सबसे बड़ी समस्या जम्मू-कश्मीर रियासत थी। इस रियासत का शासक तो हिन्दू था लेकिन वहाँ की अधिकांश जनता मुसलमान थी। चूँकि जम्मू-कश्मीर की सीमाएँ भारत तथा पाक दोनों से मिलती थीं। अतः यहाँ का डोगरा शासक महाराज हरिसिंह किसी भी देश में मिलने की अपेक्षा अपना स्वतन्त्र अस्तित्व बनाए रखना चाहता था। पाकिस्तान शुरू से ही इस रियासत को हड़पना चाहता था, अत: उसने आर्थिक नाकेबंदी द्वारा कश्मीर को अपने पक्ष में करने का असफल प्रयास किया। अतः रियासत को पाक में मिलाने हेतु कबाइलियों की मदद से आक्रमण किए गए। आक्रमणकारियों से घबराकर हरिसिंह ने भारत में मदद की प्रार्थना की जिसे भारत सरकार ने कश्मीर के भारत में विलय की शर्त पर स्वीकारा।
प्रश्न 5. राज्यों के पुनर्गठन की क्या आवश्यकता थी ?
उत्तर भारतीय संघ में देशी रियासतों का विलय एक तात्कालिक व्यवस्था थी। समस्त वर्गों का यह मत था कि अब राज्यों का पुनर्गठन किया जाना जरूरी है। तभी भारत के दक्षिणी राज्यों में भाषाई आधार पर राज्यों को पुनर्गठित किए जाने की पुरजोर माँग की जाने लगी।
इससे पूर्व संविधान निर्माण के दौरान ही संविधान सभा में भाषाई आधार पर राज्यों को बनाने की माँग उठी थी। संविधान सभा ने जून, 1948 में एस. के. दर की अध्यक्षता में भाषाई प्रान्त आयोग का गठन किया। हालांकि दर आयोग भाषाई आधार पर राज्यों के गठन अथवा पुनर्गठन से असहमत था, लेकिन प्रशासकीय सुविधा हेतु वह राज्यों के पुनर्गठन का समर्थक था। जनता के दबाव में कांग्रेस द्वारा गठित समिति भी दर आयोग के निष्कर्ष से सहमत थी, लेकिन उसकी यह भी भावना थी कि यदि जनसाधारण भाषाई आधार पर राज्यों के पुनर्गठन का आग्रह करें तो इसे पूरा किया जा सकता है।
प्रश्न 6. राज्य पुनर्गठन आयोग के निर्माण की पृष्ठभूमि, कार्य तथा उससे जुड़े अधिनियम का संक्षिप्त उल्लेख कीजिए
उत्तर-1953 में तत्कालीन मद्रास राज्य से भूमि काटकर नए आन्ध्र प्रदेश राज्य के गठन के साथ ही भारत के दूसरे हिस्सों में भी भाषाई आधार पर राज्यों को गठित करने की माँग के लिए संघर्ष होने लगे। इन संघर्षों से मजबूर होकर भारत सरकार ने 29 दिसम्बर, 1953 को न्यायमूर्ति फजल अली की अध्यक्षता में राज्य पुनर्गठन आयोग का गठन किया। इस आयोग का कार्य राज्यों के सीमांकन के मामले पर विचार करके अपने सुझाव सरकार को देना था। इस आयोग ने भारत सरकार को प्रेषित अपनी रिपोर्ट में इस बात को स्वीकार किया कि राज्यों की सीमाओं का निर्धारण वहाँ बोली जाने वाली भाषाओं के आधार पर किया जाना चाहिए। इस राज्य पुनर्गठन आयोग की रिपोर्ट के आधार पर 1956 में राज्य पुनर्गठन अधिनियम पारित किया गया। इस अधिनियम के आधार पर भारत में 14 राज्य तथा 6 संघ शासित क्षेत्र बनाए गए।
प्रश्न 7. राज्यों के पुनर्गठन का क्या परिणाम निकला ?
उत्तर- भारतीय राज्यों के पुनर्गठन ने प्रदेशों को उनकी संस्कृति एवं भाषा के आधार पर एक नवीन राजनीतिक पहचान दी। राज्यों के पुनर्गठन के परिणामस्वरूप राज्य की राजनीति लोगों के काफी नजदीक आ खड़ी हुई। प्रदेशों के पुनर्गठन ने राज्य राजनीति को अत्यधिक लोकतान्त्रिक बनाने में अहम भूमिका का निवर्हन किया। राज्यों के पुनर्गठन से ही अंग्रेजी भाषी विशिष्ट वर्ग की उपयोगिता कम हुई क्योंकि राजनीतिक क्रियाकलापों का भाषाई क्रियान्वयन अब स्थानीय भाषा में किया जाने लगा। यदि प्रशासनिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो राज्यों के पुनर्गठन से प्रदेशों का प्रशासन सुगमतापूर्वक चलाया जाने लगा।
दीर्घ उत्तरीय / विश्लेषणात्मक प्रश्न
प्रश्न 1. शरणार्थी समस्या का स्वरूप क्या था ?
उत्तर- शरणार्थी समस्या का स्वरूप- हमारे देश भारत का बँटवारा जनसाधारण के लिए अत्यधिक कष्टप्रद घटना थी। हालांकि बँटवारे ने अनेक समस्याएँ उत्पन्न की थ लेकिन इन विभिन्न समस्याओं में सर्वाधिक कठिनाई अल्पसंख्यकों की थी। इन अल्पसंख्यकों में भारत से पाकिस्तान जाने वाले मुसलमान तथा वहाँ से हमारे देश में आने वाले हिन्दू तथा सिख थे। बँटवारे के फलस्वरूप मुस्लिम तथा सिख समुदाय सामाजिक, आर्थिक तथा राजनैतिक दृष्टिकोण से उन्मूलित हो गए। पाकिस्तान के निर्माण के बाद जो मुसलमान भारत में रह गए उन्हें पहले मिलने वाली अनेक सुविधाओं से वंचित होना पड़ा। मुसलमानों की सोच थी कि भारत में जो सामाजिक एवं आर्थिक बदलाव लागू किए गए हैं वे उन्हें सताने के उद्देश्य से किए गए हैं। अल्पसंख्यकों पर होने वाले हमलों ने भीषण हिंसा को अत्यधिक बढ़ावा दिया। दोनों की ओर के अल्पसंख्यकों के पास एकमात्र विकल्प यही शेष बचा था कि ये अपने अपने निवास स्थलों को तत्काल खाली करके चले जाएँ। मुसलमानों के पास दोनों में से किसी भी देश में बसने का विकल्प मौजूद था जबकि सिखों के समक्ष ऐसा कोई भी वैकल्पिक रास्ता न था अर्थात् उन्हें सिर्फ भारत में ही रहना था। जहाँ सिखों ने भारत में सहजता से रहते हुए स्थानीय लोगों पर भरोसा किया, वहीं हमारे देश में बसने वाले मुसलमान हमेशा अपने पास पड़ोस के प्रति भी सशंकित बने रहे। भारत में आए शरणार्थियों में से 54% ने नगरीय क्षेत्रों में रहना प्रारम्भ किया जिससे शहरी जनसंख्या में लगभग 41% की बढ़ोत्तरी हो गई।
प्रश्न 2. ‘शरणार्थियों की समस्या पर एक निबन्ध लिखिए। अथवा शरणार्थियों की मुख्य समस्याओं के प्रभावों को समझाइए ।
उत्तर शरणार्थियों की समस्या भारत विभाजन की दुःखदायी घटना के बाद पैदा हुई अल्पसंख्यकों की समस्या ने देश को हिलाकर रख दिया। भारत से पाकिस्तान जाने वाले लगभग पच्चीस लाख मुस्लिम तथा पाकिस्तान से भारत आने वाले लगभग एक करोड़ गैर-मुस्लिम अर्थात् हिन्दू एवं सिख अल्पसंख्यक थे। भारतीय हिस्से वाले पंजाब एवं बंगाल में लाखों की संख्या में मुस्लिम थे, जिनका विस्थापान तथा पुनर्वास सरकार के समक्ष कड़ी चुनौती पैदा कर रहा था।
भारत से पाकिस्तान जाने वाले लाखों मुस्लिम पंजाब, बंगाल एवं दिल्ली तथा उसके निकटवर्ती क्षेत्रों में बँटवारे की वजह से बड़ी कठिनाई, दुविधा तथा संकट के दौर से गुजरे इन क्षेत्रों की मुस्लिम आबादी एक विचित्र प्रकार की सांसत में फँस गई थी। वे तथा उनके पूर्वज सदियों से जिस भूमि पर आबाद रहे उसी जमीन पर अब वे विदेशी बन गए थे। अल्पसंख्यकों •पर लगातार होने वाले हमलों से हिंसा का स्वरूप विकराल होता चला गया तथा दोनों ओर के अल्पसंख्यकों के पास एकमात्र यही रास्ता था कि वे अपनी जान की रक्षार्थ अपने अपने घरों को खाली कर दें। अनेक बार तो इन्हें सिर्फ चन्द घण्टों के भीतर ही अपने निवासस्थलों का त्याग करने हेतु मजबूर होना पड़ा। 1947 में आबादी का स्थानान्तरण आकस्मिक अनियोजित तथा त्रासदीपूर्ण था। इस दौरान धर्म के नाम पर एक समुदाय के लोगों ने दूसरे समुदाय के लोगों को परस्पर बड़ी बेरहमी से मारा। इस घटना-चक्र से घबराकर एक समुदाय के लोगों ने दूसरे समुदाय बहुल वाले क्षेत्रों से गुजरना बन्द कर दिया। दोनों ओर के अल्पसंख्यकों ने अपने घरों से भागकर अस्थायी शरणार्थी शिविरों में शरण ली। प्रभावित लोगों को सीमा रेखा के दूसरी तरफ पैदल चलकर जाना पड़ा। कल तक जो लोगों का अपना वतन हुआ करता था, वहाँ की पुलिस एवं प्रशासन अब इनके साथ बेरुखी से पेश आने लगे।
सीमा के दोनों तरफ बड़ी संख्या में महिलाओं को अगवा कर लिया गया। इन्हें अगवा करने वाले का धर्म स्वीकारते हुए उससे जबरन विवाह भी करने को बाध्य होना पड़ा। अपने कुल की इज्जत की रक्षार्थ अनेक परिवारों ने अपनी स्वयं की बहू-बेटियों को मार डाला। इस त्रासदी में बड़ी संख्या में बालक-बालिकाएँ अपने माता-पिता से बिछुड़ गए जो लोग किसी तरह सीमा पार करने में कामयाब हुए उन्हें भी उचित ठिकाना नसीब न हो सका। इन लाखों शरणार्थियों के लिए आजादी का आशय महीनों तथा अनेक वर्षों तक किसी शरणार्थी शिविर में रहकर अपना जीवन गुजार देना मात्र था।
प्रश्न 3. भारत विभाजन के प्रमुख कारण लिखिए।
उत्तर
भारत विभाजन के कारण
भारत विभाजन के प्रमुख कारण निम्न प्रकार थे
(1) ब्रिटिश शासकों की नीति-भारत विभाजन हेतु ब्रिटिश शासकों की ‘फूट डालो और शासन करो’ की नीति उत्तरदायी थी। इस नीति का अनुसरण करके उन्होंने भारत के हिन्दुओं तथा मुसलमानों में साम्प्रदायिकता का जहर घोल दिया था। ब्रिटिश शासकों की सहानुभूति भी पाकिस्तान के साथ ही थी। वायसराय लार्ड वेवल ने अन्तरिम सरकार में भी मुस्लिम लीग को कांग्रेस के खिलाफ कर दिया था।
(2) मुस्लिम भावनाएँ – हिन्दू तथा मुसलमानों के लम्बे समय तक मिल-जुलकर साथ रहने के बावजूद भी भाई-चारे की भावना विकसित नहीं हुई। मुसलमान अपने आपको हिन्दुओं से अलग मानते चले आ रहे थे। उनकी इस भावना को मोहम्मद इकबाल, जिन्ना तथा मुस्लिम लीग ने और बढ़ावा दिया जिसका परिणाम देश का बँटवारा रहा।
(3) मुस्लिम साम्प्रदायिकता को ब्रिटिश प्रोत्साहन – ब्रिटिश सरकार ने 1870 से मुसलमानों को संरक्षण देना प्रारम्भ किया और इसी श्रृंखला में भारत शासन अधिनियम, 1909 द्वारा साम्प्रदायिक निर्वाचन की आधारशिला रखी। अंग्रेजी हुकूमत ने द्वि-राष्ट्र सिद्धान्त का समर्थन करके मुस्लिम लीग को प्रत्येक सम्भव सहयोग दिया, जिसके परिणामस्वरूप भारत का विभाजन हुआ।
(4) मुस्लिम लीग के प्रति कांग्रेस का व्यवहार – अनेक बार कांग्रेस ने मुस्लिम लीग की अनुचित माँगों को स्वीकारते हुए उसके साथ समझौते किए जिससे उनके मनोबल में बढ़ोत्तरी हुई। उनका बढ़ा हुआ मनोबल देश का विभाजन कराने में निर्णायक भूमिका का निर्वहन कर गया।
(5) अन्तरिम सरकार में मुस्लिम लीग का प्रतिनिधित्व – अन्तरिम सरकार में मुस्लिम लीग को सम्मिलित किए जाने का परिणाम शासन की कार्यकारिणी में विभाजन के रूप में उभरा। इस विभाजन के कारण सरकार हिन्दू मुस्लिम साम्प्रदायिक दंगों पर प्रभावी रोक लगाने में असमर्थ रही तथा मजबूरीवश कांग्रेस को भारत का विभाजन स्वीकार करने को बाध्य होना पड़ा।
प्रश्न 4. जूनागढ़ की रियासत के भारत में विलय से भारत की किस प्रकार की दिक्कतों का सामना करना पड़ा ? संक्षेप में लिखिए।
उत्तर- जूनागढ़ रियासत के भारत विलय में होने वाली कठिनाइयाँ (दिक्कतें)
सौराए (काठियावाड़) के किनारे पर स्थित जूनागढ़ रजवाड़ा चारों तरफ से भारतीय भू भाग से घिरा हुआ था। जूनागढ़ के बहुसंख्यक लोग हिन्दू थे, परन्तु यहाँ के जवान महावत के खान 111 ने 15 अगस्त, 1947 को अपनी रियासत के पाकिस्तान में विलय की घोषणा कर दी। पाक ने इस देशी रजवाड़े का अपने में विलय तुरन्त ही स्वीकार कर लिया, परन्तु राज्य के निवासियों ने इस फैसले के खिलाफ विद्रोह का बिगुल बजा दिया। रियायत में फैली अराजकता से स्थिति इतनी भयानक हो गई कि शासक का जीवन खतरे में पड़ गया तथा उसने भयभीत होकर पाकिस्तान में शरण ली। रियासत के लोगों ने एक तात्कालिक सरकार का गठन किया। विषम परिस्थितियों में जूनागढ़ के दीवान शाहनवाज भुट्टो ने भारत सरकार से महायता करने का निवेदन किया जिसे स्वीकारते हुए रियासत में भारतीय सेना का प्रवेश हुआ। गृहमन्त्री सरदार बल्लभ भाई पटेल ने सेना को जूनागढ़ की तीनों जागीरों पर बलात् कब्जा करने के आदेश दिए। आर्थिक विफलता के दौर से गुजर रहे जूनागढ़ को अन्त में भारतीय सेना के समक्ष झुकना पड़ा। फरवरी 1948 में राज्य में जनमत संग्रह कराया गया, जिसमें 99 प्रतिशत लोगों ने पाकिस्तान की अपेक्षा भारत में शामिल होने की इच्छा व्यक्ति की। इस प्रकार 20 जनवरी, 1949 को जूनागढ़ रियासत का भारत में विलय हो गया।
प्रश्न 5. भारत में हैदराबाद के विलीनीकरण पर लेख लिखिए।
अथवा
हैदराबाद रियासत के भारत विलय में आयी समस्याओं के विषय में लिखिए।
उत्तर- हैदराबाद का भारत में विलीनीकरण- 35 प्रतिशत हिन्दू जनसंख्या वाले हैदराबाद की आबादी 1-40 करोड़ थी। भारत की सबसे बड़ी देशी रियासत हैदराबाद में विश्व के सबसे बड़े पैसे वाले शासक निजाम उस्मान अली की इच्छा अपनी रियासत का स्वतन्त्र अस्तित्व बनाए रखना थी। इस प्रयोजन हेतु निजाम ने भारत सरकार से एक वर्षीय यथास्थिति समझौता किया। हैदराबाद के भारत में विलय की विरोधी शक्तियों ने रियासत की फौजों में वृद्धि तथा गुपचुप तरीकों से हथियारों का आयात करके भारत पर दबाव बनाना चाहा, लेकिन रियासत के लोगों ने कम्युनिस्ट एवं हैदराबाद कांग्रेस के सहयोग से निजाम के विरुद्ध आन्दोलन प्रारम्भ कर दिया। अपने विरुद्ध बढ़ते इस जन आन्दोलन को कुचलने हेतु निजाम ने एक अर्द्ध सैन्य बल, जिसे रजाकार कहते थे, रवाना किया। इन साम्प्रदायिक एवं अत्याचारी रजाकारों ने गैर-मुस्लिमों पर भारी अत्याचारों की घटनाओं को क्रियान्वित किया। इन आततायी रजाकारों पर काबू पाने हेतु सितम्बर, 1948 में भारतीय सेना ने हैदराबाद में प्रवेश किया। कुछ समय रुक-रुककर चली सैन्य कार्यवाही के बाद निजाम के आत्मसमर्पण के साथ ही हैदराबाद रियासत का भारतीय संघ में विलय हो गया।
प्रश्न 6. राज्य पुनर्गठन आयोग की मुख्य सिफारिशें लिखिए।
अथवा
राज्य पुनर्गठन आयोग का काम क्या था ? इसकी प्रमुख सिफारिशें क्या थीं?
उत्तर- 1953 में भाषाई आधार पर राज्यों के पुनर्गठन के लिए फजल अली की अध्यक्षता में एक आयोग गठित किया गया जिसका कार्य राज्यों के सीमांकन के मामले में कार्यवाही करना था। राज्य पुनर्गठन आयोग की सरकार द्वारा स्वीकृत सिफारिशें 16 जनवरी, 1956 को भारत सरकार द्वारा राज्य पुनर्गठन आयोग की निम्नलिखित सिफारिशों को स्वीकृत कर लिया गया (1) राज्य पुनर्गठन आयोग की केरल, मध्य प्रदेश तथा कर्नाटक नामक नए राज्यों की स्थापना की सिफारिश स्वीकृत कर ली गई।
(2) मद्रास, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, असम तथा उड़ीसा का यथावत् अस्तित्व बना रहा। (3) त्रिपुरा के क्षेत्र को असम में सम्मिलित नहीं किया जाए। (4) महाराष्ट्र में मुम्बई, मध्य प्रदेश तथा हैदराबाद के मराठी भाषी क्षेत्र और गुजरात सौराष्ट्र, कच्छ तथा मुम्बई के गुजराती भाषी क्षेत्रों को सम्मिलित किया जाए। (5) राज्यों की चारों प्रकार की श्रेणियों को समाप्त करके सभी राज्यों को एकसमान स्तर प्रदान किया जाए।
(6) त्रिपुरा को केन्द्र प्रशासित क्षेत्र के रूप में बनाए रखा जाए।
(7) क्षेत्रीय परिषदों की स्थापना की जाए।
Leave a Reply