अध्याय 14 कांग्रेस प्रणाली : चुनौतियाँ और पुनर्स्थापना [Challenges and Restoration of the Congress System]
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- बहु-विकल्पीय प्रश्न
- 10 जनवरी, 1966 को ताशकंद (पूर्व सोवियत संघ) में किसकी मृत्यु हुई थी ?
(i) जवाहरलाल नेहरू
(ii) लाल बहादुर शास्त्री
(iii) गुलजारी लाल नन्दा
(iv) इन्दिरा गाँधी ।
- तमिलनाडु के पहले गैर-कांग्रेसी मुख्यमन्त्री कौन थे ?
(i) सी. एन. अन्नादुराई
(ii) के. कामराज
(iii) जगजीवन राम
(iv) मोरारजी देसाई ।
- 1969 में कांग्रेस के विभाजन के समय उसका अध्यक्ष कौन था ?
(i) के. कामराज
(ii) एस. निजलिंगप्पा
(iii) गुलजारी लाल नन्दा
(iv) इन्दिरा गाँधी ।
- किस लोकसभाई चुनाव को कांग्रेस की पुनर्स्थापना के रूप में जाना जाता है ?
(i) 1977 का चुनाव
(ii) 1969 का चुनाव
(iii) 1971 का चुनाव
(iv) इनमें कोई नहीं।
- ‘मैनकाइंड’ तथा ‘जन’ के संस्थापक सम्पादक कौन थे ?
(i) सी. नटराजन अन्नादुराई
(ii) राममनोहर लोहिया
(iii) कर्पूरी ठाकुर
(iv) वी. वी. गिरी ।
उत्तर – 1. (ii), 2. (i), 3. (ii), 4. (iii), 5. (ii).
- रिक्त स्थानों की पूर्ति
- श्रीमती इन्दिरा गाँधी ने 1971 के चुनावों में …………………………का नारा दिया।
- कांग्रेस में मतभेदों के चलते उसका 1969 राष्ट्रपति चुनाव प्रत्याशी …………………………चुनाव हार गया।
- जय जवान, जय किसान का नारा………………….. ने दिया था।
- 1971 के चुनावों में जनसाधारण ने ……………………..गठबन्धन को नकार दिया।
- कांग्रेस ने 1975 में जनविरोध को दबाने हेतु ……………………..लागू किया।
- जोड़ी मिलाइए
उत्तर- 1. गरीबी हटाओ, 2. नीलम संजीव रेड्डी, 3. लाल बहादुर शास्त्री, 4. प्रांड एलायन्स, 5. आपातकाल।
‘क’
- प्रिवीपर्स की समाप्ति
- 14 बैंकों का राष्ट्रीयकरण
- पण्डित जवाहरलाल नेहरू का निधन
- प्रारम्भ में कांग्रेस का चुनाव चिह्न
- कांग्रेस की पुनर्स्थापना करने का कार्य
‘ख’
(i) 1969
(ii) श्रीमती इन्दिरा गाँधी
(iii) दो बैलों की जोड़ी
(iv) 27 मई, 1964
(v) 1971
उत्तर – 1. (v), 2. → (i), 3. → (iv), 4. → (iii), 5. → (ii).
- एक शब्द / वाक्य में उत्तर
- श्रीमती इन्दिरा गाँधी का राजनीतिक उत्तराधिकारी कौन बना ?
- श्रीमती गाँधी की हत्या कब की गयी ?
- कर्पूरी ठाकुर कौन थे ?
- नेहरू के पश्चात् लाल बहादुर शास्त्री के चयन को किसने ‘लोकतान्त्रिक उत्तराधिकार’ कहकर सराहना की थी ?
- 1972 में सम्पन्न 16 राज्यों एवं दो केन्द्र शासित प्रदेशों की विधानसभाई चुनावों में कितनी प्रतिशत सीटों पर कांग्रेस को विजय मिली।
उत्तर – 1. राजीव गाँधी, 2. 31 अक्टूबर, 1984, 3. स्वतन्त्रता संग्राम सेनानी, समाजवादी नेता तथा बिहार के पहले गैर-कांग्रेसी मुख्यमन्त्री थे, 4. माइकेल ब्रेकर, 5. सत्तर प्रतिशत ।
सत्य / असत्य
- कांग्रेस 1967 के लोकसभाई चुनावों में विजयी रही लेकिन कई राज्यों में विधानसभा चुनाव हार गई।
- ‘इन्दिरा हटाओ’ नारा विपक्षी गठबन्धन द्वारा दिया गया।
- कांग्रेस के प्रभुत्व के पतन की वजह से क्षेत्रीय दलों को उभरने का अवसर नहीं मिला।
- कांग्रेस नेताओं के एक प्रभावशाली समूह को सिंडीकेट के नाम से जाना जाता था।
- केन्द्र में कांग्रेस का प्रभुत्व 1947 से 1997 तक रहा।
उत्तर – 1. सत्य, 2. सत्य, 3. असत्य, 4. सत्य, 5. असत्य
अति लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. श्रीमती गाँधी ने 20 सूत्रीय कार्यक्रम की शुरुआत कब की थी ?
उत्तर- 20 सूत्रीय कार्यक्रम की शुरुआत 1975 में हुई जिसके अन्तर्गत विभिन्न गर्यो में निर्धारित मानकों के आधार पर गरीबी उन्मूलन के साथ रोजगार सृजन, खाद्य सुरक्षा निर्णनों के लिए आवास के आधार पर प्रत्येक राज्य की प्रगति का जायजा लिया जाता था।
प्रश्न 2. गैर-कांग्रेसवाद से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर- कांग्रेस को सत्ता से अलग करने के लिए समाजवादी नेता राम मनोहर लोहिया द्वारा प्रस्तुत की गई विचारधारा को गैर-कांग्रेसवाद के नाम से जाना जाता है।
प्रश्न 3. प्रिवीपर्स का क्या अभिप्राय है ?
उत्तर कहा जाता था। -भूतपूर्व राजा-महाराजाओं को दिए जाने वाले विशेष भत्ते इत्यादि को प्रिवीपर्स
प्रश्न 4. दलबदल का क्या अर्थ है ?
उत्तर- जब कोई जनप्रतिनिधि किसी दल विशेष के चुनाव चिह्न से लड़कर विजयी हो जाता है और अपने स्वार्थ के लिए अथवा किसी अन्य कारण से अपने मूल दल को छोड़कर किसी अन्य दल में शामिल हो जाता है तो इसे दलबदल कहा जाता है।
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. 1960 के दशक की कांग्रेस पार्टी के सन्दर्भ में ‘सिंडीकेट’ का क्या अर्थ हैं ? ‘सिंडीकेट’ ने कांग्रेस पार्टी में क्या भूमिका निभाई ?
उत्तर- ‘सिंडीकेट’ कांग्रेसियों का एक अनौपचारिक संगठन था जिसमें के. कामराज, एस. के. पाटिल, अतुल्य घोष, निजलिंगप्पा जैसे अनुभवी कांग्रेसी सम्मिलित थे। पण्डित जवाहरलाल नेहरू जी के निधन के पश्चात् लालबहादुर शास्त्री तथा लालबहादुर शास्त्री की मृत्यु उपरान्त श्रीमती इन्दिरा गाँधी दोनों ही इसी ‘सिंडीकेट’ की सहायता के बलबूते प्रधानमन्त्री की कुर्सी तक पहुँच पाए थे। ‘सिंडीकेट’ ने कांग्रेस की नीतियों एवं कार्यक्रमों को बनाने में अग्रणी भूमिका का निर्वहन किया। इसी प्रकार मन्त्रिपरिषद् के गठन में भी इसकी महत्वपूर्ण भूमिका किसी से छिपी नहीं है। धीरे-धीरे ‘सिंडीकेट’ तथा श्रीमती इन्दिरा गाँधी के बीच मतभेद बढ़ते चले गए तथा 1969 में ये मतभेद इतने गहराए कि कांग्रेस विभक्त होकर दो फाड़ हो गई।
प्रश्न 2. भारतीय राजनीतिक व्यवस्था पर ‘आया राम गया राम’ (दलबदल) का क्या प्रभाव पड़ा ?
उत्तर- 1967 के आम चुनावों में दलबदल उभरकर सामने आया जिसने प्रदेशों में सरकार गठित करने में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन किया। इस दौर में राजनीतिक निष्ठा की अदला बदली को आया राम गया राम’ कहा गया। भारतीय राजनीतिक व्यवस्था पर इस ‘आया राम गया राम’ (दलबदल) का निम्न प्रभाव पड़ा
(1) दलबदल की ‘ आया राम गया राम’ प्रवृत्ति से कांग्रेस को अपार क्षति पहुँची क्योंकि इस प्रवृत्ति के फलस्वरूप ही हरियाणा, मध्य प्रदेश तथा उत्तर प्रदेश में गैर-कांग्रेसी सरकारें अस्तित्व में आयीं।
(2) आया राम गया राम’ की दलीय मनोवृत्ति की वजह से ही 1967 चुनावों में कांग्रेस सत्तारूढ़ तो हुई लेकिन बहुमत से नहीं। इसी तर्ज पर विभिन्न प्रदेशों में भी गैर कांग्रेसी सरकारें गठित हुई।
(3) श्रीमती इन्दिरा गाँधी के प्रयासों में भी दलीय निष्ठा की कमी देखने को मिली। उल्लेखनीय है कि उन्होंने ह्विप का उल्लंघन करते हुए तथा दल के साथ विश्वासघात करके नीलम संजीव रेड्डी के स्थान पर वी. वी. गिरी को राष्ट्रपति पद पर जितवाया था।
(4) दलोय विश्वासघात ने 1975 के आपातकाल तक अमर्यादित उछाल लिया था।
प्रश्न 3. 1967 के चौथे आम चुनाव में कांग्रेस के समक्ष कौन-सी प्रमुख चुनौतियां थीं ?
उत्तर- 1967 के चौथे आम चुनाव के दौरान कांग्रेस ने मुख्य रूप से निम्न चुनौतियों का सामना किया
(1) पण्डित नेहरू तथा शास्त्री जी जैसे करिश्माई व्यक्तित्व वाले प्रधानमन्त्रियों का निधन हो चुका था तथा श्रीमती इन्दिरा गाँधी को राजनीतिक रूप से कम अनुभव था। इस दौरान कांग्रेस जिले एवं ग्राम स्तर तक भी गुटबन्दी का शिकार हो चुकी थी तथा श्रीमती इन्दिरा गाँधी इस गुटबन्दी को समाप्त न करा पायें।
(2) उस समय देश आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहा था तथा रुपए का लगातार अवमूल्यन हो रहा था। मानसून की असफलता से खेती में गिरावट तथा विदेशी मुद्रा भण्डार में कमी आई जिसके लिए कांग्रेस को उत्तरदायी माना गया ।
(3) व्यापक समानता के लिए साम्यवादी तथा समाजवादी पार्टी ने संघर्ष छेड़कर कांग्रेस के समक्ष एक चुनौती प्रस्तुत कर दी थी। इस दौरान गम्भीर साम्प्रदायिक दंगे भी हुए। (4) गैर-कांग्रेसी दलों में चुनावी गठबन्धन हुआ तथा उन्होंने परस्पर तालमेल करके कांग्रेस के खिलाफ चुनाव लड़ने की योजना बनाकर कांग्रेस के समक्ष चुनौती उत्पन्न की थो।
प्रश्न 4. 1969 में कांग्रेस का विभाजन क्यों तथा कैसे हुआ ?
उत्तर- हालांकि आजादी से पूर्व 1907 में कांग्रेस प्रथम बार विभक्त हो चुकी थी लेकिन स्वतन्त्रता के पश्चात् पहली बार 1969 में कांग्रेस का विभाजन हुआ। नेहरू जी के निधन के पश्चात् कांग्रेस में औपचारिक सिंडीकेट समूह हावी था जिसमें मुख्यतया के. कामराज, एस. के. पाटिल, नीलम संजीव रेड्डी, अतुल घोष, मोरारजी देसाई तथा निजलिंप्या जैसे वरिष्ठ नेता सम्मिलित थे। यह सिंडीकेट प्रधानमन्त्री पद पर कमजोर व्यक्ति की नियुक्ति चाहता था जिससे दल के शीर्ष स्तर पर उसका दबदबा कायम रहे। सिंडीकेट ने अपने इसी उद्देश्य की पूर्ति हेतु राज्यसभा सदस्य श्रीमती गाँधी को प्रधानमन्त्री बनवाया लेकिन वे शीघ्र ही उनके नापाक इरादों से परिचित हो गयीं। 1969 के राष्ट्रपति चुनावों में कांग्रेसी प्रत्याशी नीलम संजीव रेड्डी की हार से सिडीकेट नेताओं को बड़ा राजनीतिक झटका लगा। अतः उन्होंने रेड्डी की पराजय हेतु श्रीमतो गाँधी, जगजीवनराम तथा फखरुद्दीन अली अहमद को उत्तरदायी ठहराते हुए इनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही प्रारम्भ की। 12 नवम्बर, 1969 को प्रधानमन्त्री श्रीमती इन्दिरा गाँधी को कांग्रेगन हीनता का दोषी मानते हुए निष्कासित कर दिया। चूँकि कांग्रेस संसदीय दल में श्रीगाँधी का बहुमत था अतः संसदीय दल के अधिकांश नेताओं ने इस कृत्य को अवैध खराया। इस घटनाकम से कांग्रेस दो भागों में विभक्त हो गयी जहाँ सिंडीकेट समूह को पुरानी कांग्रेस अ कांग्रेस (ओ आर्गनाइजेशन) तो वहीं श्रीमती इन्दिरा गाँधी के गुट को नई कांग्रे (आर रिक्यूजीशन) कहा गया।
प्रश्न 5. 1971 के लोकसभाई चुनाव परिणामों ने किस प्रकार भारतीय राजनीति में कांग्रेस के प्रभुत्व को पुनर्स्थापित किया ?
उत्तर- 1971 के लोकसभाई चुनावों को करवाने का निर्णय जितना नाटकीय था उसके अधिक इसके परिणाम आश्चर्यचकित करने वाले थे। कांग्रेस (आर) तथा सी. पी. आई. गठबन्धन की इस चुनावों में जितने वोट अथवा स्थानों पर विजय हासिल हुई उतना कांग्रेस पिछले आम चुनावों में कभी प्राप्त न कर पायी थी। इस गठबन्धन ने कुल 48-4 प्रतिशत मत प्राप्त करते हुए 375 स्थानों पर अपनी विजय पताका फहराई। अकेले इन्दिरा गाँधी की इस कांग्रेस ने 44 प्रतिशत मतों पर अपना कब्जा करते हुए 352 स्थानों पर जीत का स्वाद चखा। हालांकि कांग्रेस (ओ) में राजनीति के बड़े-बड़े दिग्गज थे फिर भी श्रीमती गाँधी की में कांग्रेस को जितने वोट मिले उसके एक-चौथाई वोट ही इसकी झोली में आ पाए। कांग्रेस (ओ) को केवल 16 स्थानों पर जीत से ही सन्तोष करना पड़ा। भारी जीत के साथ श्रीमती गाँधी की अगुवाई वाली कांग्रेस ने अपने दाबे को प्रमाणित कर दिया कि वही असली कांग्रेस है। इस प्रकार श्रीमती गाँधी ने 1971 के लोकसभाई चुनाव परिणामों से भारतीय राजनीति में कांग्रेस को फिर से प्रभुत्व के स्थान पर पुनर्स्थापित किया। विपक्षी ‘ग्रैंड अलांयस’ 40 से भो कम सीटें मिलने की वजह से धराशायी हो गया।
दीर्घ उत्तरीय / विश्लेषणात्मक प्रश्न
प्रश्न 1. 1971 लोकसभाई चुनावों में कांग्रेस की भारी सफलता के प्रमुख कारण क्या थे ?
अथवा
चौथी लोकसभा को समयावधि से पूर्व भंग कराने के प्रमुख कारण क्या थे ?
उत्तर- हालांकि 1967 में निर्वाचित लोकसभा का कार्यकाल 1972 तक था परन्तु श्रीमती इन्दिरा गाँधी ने राष्ट्रपति को परामर्श देकर एक वर्ष पहले 27 दिसम्बर, 1970 को चौथी लोकसभा को भंग करा दिया। 1971 में नए चुनावों की घोषणा की गई जिसके निम्न महत्वपूर्ण कारण थे
(1) 1969 में कांग्रेस विभाजन के पश्चात् श्रीमती इन्दिरा गाँधी सरकार का बहुमत कम हो गया था और उसे अपने अस्तित्व को कायम रखने हेतु विपक्षी सहयोग की आवश्यकता थी। हालांकि भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, भारतीय क्रान्ति दल, द्रविड़ मुनेत्र कड़गम तथा मुस्लिम लीग इत्यादि विपक्षी दलों ने श्रीमती गाँधी सरकार का समर्थन किया लेकिन इसके बावजूद ऐसी परिस्थिति प्रगतिशील नीतियों को लागू करने में बड़ी रुकावट थी।
( 2 ) 1970 में विभिन्न प्रदेशों के विधानसभाई चुनावों में इन्दिरा कांग्रेस द्वारा अधिकृत प्रत्याशियों को भारी सफलता मिली जिसने श्रीमती इन्दिरा गाँधी को उनके बढ़ते हुए जनाधारका आभास कराया। इन चुनाव परिणामों से उत्साहित श्रीमती गाँधी को यह पूर्ण विश्वास हो गया था कि लोकसभाई चुनावों में उनकी पार्टी नए कीर्तिमान स्थापित करने में सफल रहेगी।
(3) भारतीय सर्वोच्च न्यायालय ने 1967 में गोलकनाथ विवाद में ऐतिहासिक निर्णय किया कि संसद मौलिक अधिकारों में संशोधन नहीं कर सकती। इसी प्रकार देश के उच्चतम न्यायालय ने इन्दिरा सरकार द्वारा प्रिवीपर्स को समाप्त करने सम्बन्धी अध्यादेश को भी निरस्त कर दिया था। इन प्रगतिशील नीतियों को लागू कराने हेतु संवैधानिक संशोधनों की जरूरत थी जिसके लिए विशेष बहुमत की जरूरत होती है, जोकि श्रीमती गाँधी सरकार को हासिल नहीं था। अत: नए चुनावों द्वारा इस समस्या का कारगार समाधान सरलता से किया जा सकता था।
(4) श्रीमती गाँधी द्वारा प्रस्तावित गरीबी हटाओ, बैंकों का राष्ट्रकरण तथा प्रिवीयर्स जैसी प्रगतिशील, कल्याणकारी नीतियों एवं कार्यक्रमों को भारत में व्यापक जनसमर्थन हासिल था जिसके आधार पर ही उनकी लोकप्रियता में बढ़ोत्तरी हुई। अतः देश में नए चुनाव कराकर इस लोकप्रियता को चुनावी जीत में बदला जा सकता था।
प्रश्न 2. 1970 के दशक में इन्दिरा गाँधी की सरकार किन कारणों से लोकप्रिय हुई थी ?
उत्तर- हालांकि श्रीमती इन्दिरा गाँधी प्रथम महिला प्रधानमन्त्री होने की वजह से महिला मतदाताओं में अधिक लोकप्रिय हुई थीं। उनकी सरकार ने निम्नलिखित कार्य क्रियान्वित किए थे जिस वजह से 1970 के दशक में अत्यधिक लोकप्रिय हुईं
(1) इन्दिरा गाँधी सरकार ने प्रिवीपर्स को समाप्त किया।
(2) श्रीमती गाँधी सरकार ने बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया।
(3) श्रीमती इन्दिरा गाँधी सरकार ने भूमि सुधारों की ओर ध्यान दिया।
(4) इन्दिरा गाँधी सरकार ने दलितों एवं आदिवासियों के लिए विशिष्ट कार्यक्रम चलाए।
(5) भूमिहीन किसानों के लिए सुविधाएँ प्रदान करके भी 1970 दशक में श्रीमती गाँधी सरकार लोकप्रिय हुई।
( 6 ) इस सरकार ने बेरोजगारों के लिए रोजगार के उत्तम अवसर उपलब्ध कराकर लोकप्रियता पाई।
(7) श्रीमती गाँधी सरकार ने सामाजिक एवं आर्थिक विषमताओं को दूर करने का भरसक प्रयास किया।
(8) इसी सरकार के कार्यकाल में गरीबी उन्मूलन योजनाओं का श्रीगणेश किया गया था।
(9) श्रीमती इन्दिरा गाँधी सरकार वी. वी. गिरी जैसे श्रमिक नेता को दल के घोषित राष्ट्रपति प्रत्याशी के खिलाफ चुनाव जिताकर लाई जिससे उसकी लोकप्रिय । में बढ़ोत्तरी हुई।
(10) इस सरकार ने अल्पसंख्यकों में विश्वास पैदा करने वाले कार्य करके लोकप्रियता हासिल की थी।
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