अध्याय 15 लोकतान्त्रिक व्यवस्था का संकट [Crisis of the Democratic Order]
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
बहु-विकल्पीय प्रश्न
- ‘इन्दिरा इज इण्डिया, इण्डिया इज इन्दिरा’ नारा दिया गया था
(i) डी. के. बरूआ
(ii) मोरारजी देसाई
(iii) चारू मजूमदार
(iv) जयप्रकाश नारायण ।
- जनता पार्टी का चुनाव चिह्न था
(i) कमल का फूल
(ii) दीपक
(iii) हलघर
(iv) हसिया और बाती।
- गैर-कांग्रेसी सरकार का प्रथम प्रधानमन्त्री कौन था ?
(i) चरण सिंह
(ii) वी. पी. सिंह
(iii) आई. के. गुजराल
(iv) मोरारजी देसाई |
- श्रीमती इन्दिरा गाँधी ने भारत में आपातकाल की घोषणा कब की थी ?
(i) 18 जून, 1975
(ii) 25 जून, 1975
(iii) 5 जुलाई, 1975
(iv) 10 जून, 1975,
- इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने 1971 में रायबरेली से श्रीमती गाँधी के चुनाव को कब अवैध घोषित किया था ?
(i) 8 मई, 1974
(ii) 8 अप्रैल, 1974
(iii) 12 जून, 1975
(iv) 25 जून, 1975.
- मई 1974 की रेल हड़ताल का नेतृत्व किसके द्वारा किया गया ?
(i) जार्ज फर्नान्डीज
(ii) जगजीवन राम
(iii) जयप्रकाश नारायण
(iv) चन्द्रशेखर
- आजादी के बाद कांग्रेस को सबसे बड़ी जीत किस लोकसभाई चुनाव में मिली ?
(i) 7वीं लोकसभा
(ii) आठवीं लोकसभा
(iii) नौवीं लोकसभा
(iv) दसर्वी लोकसभा
- निम्नांकित में कौन-सा आपातकाल की घोषणा के सन्दर्भ में मेल नहीं खाता
(i) ‘सम्पूर्ण क्रान्ति’ का आह्वान
(ii) 1974 की रेल हड़ताल
(iii) नक्सलवादी आन्दोलन
(iv) इलाहाबाद उच्च न्यायालय का फैसला।
उत्तर – 1. (i), 2. (iii), 3. (iv), 4. (ii), 5. (iii), 6. (i), 7. (ii), 8. (iii)
रिक्त स्थानों की पूर्ति
- समग्र क्रान्ति के प्रतिपादक……………………… थे।
- भारत में प्रतिबद्ध नौकरशाही तथा प्रतिबद्ध न्यायपालिका को ……………….के जन्म दिया
- ……………………..ने भारतीय क्रान्तिदल का गठन किया।
- आपातकाल में ‘डरो नहीं, अभी मैं जिन्दा हूँ’ नारा ………………….द्वारा दिया गया।
- भारतीय राष्ट्रपति……………………. ने श्रीमती इन्दिरा गाँधी के परामर्श पर भारत में आपातकाल लागू करने की घोषणा की थी।
6.………………..’नेताओं ने कांग्रेस सरकार द्वारा लागू आपातकाल का विरोध किया।
- 1977 के चुनाव में श्रीमती इन्दिरा गाँधी को जेल में बन्द समाजवादी नेता…………………….. ने हराया।
उत्तर – 1. जयप्रकाश नारायण, 2. श्रीमती इन्दिरा गाँधी, 3. चौधरी चरण सिंह, 4. जयप्रकाश नारायण, 5 फखरुद्दीन अली अहमद, 6. युवा तुर्क, 7. राजनारायण
जोड़ी मिलाइए
‘क’
- 1984 लोकसभाई चुनावों में कांग्रेस को मिले स्थान
- चौधरी चरणसिंह का प्रधानमन्त्री कार्यकाल
- पीपुल्स यूनियन फार सिविल लिबर्टीज
- संसद के दोनों सदनों में विपक्षी नेता को कानूनी मान्यता
- शाह आयोग की नियुक्ति
‘ख’
(i) 28 मई, 1977
(ii) जयप्रकाश नारायण
(iii) 1977
(iv) 28 जुलाई, 1979 से 14 जनवरी, 1980
(v) 415
उत्तर – 1. → (v), 2. → (iv), 3. → (ii), 4. → (iii), 5. → (i).
एक शब्द / वाक्य में उत्तर
- 1974 के बिहार आन्दोलन का प्रसिद्ध नारा क्या था ?
- लोकनायक जयप्रकाश नारायण किस नाम से प्रसिद्ध थे ?
- कुछ कांग्रेसियों ने जगजीवन राम के नेतृत्व में कौन-सी पार्टी बनाई थी ?
- 1978 के चुनाव में श्रीमती इन्दिरा गाँधी कहाँ से लोकसभाई चुनाव जीती थीं ?
- भारतीय राजनीति का सर्वाधिक विवादास्पद प्रकरण कौन सा है ?
- 1977 का आम चुनाव विपक्ष ने किस नारे पर लड़ा था ?
उत्तर – 1. सम्पूर्ण कान्ति अब नारा है, भावी इतिहास हमारा है, 2. जे. पी., 3. कांग्रेस फॉर डेमोक्रेसी, 4. चिकमंगलूर 5. आपातकाल 6. लोकतन्त्र बचाओ।
- सत्य/ असत्य
- आपातकाल के दौरान भारतीय संविधान में 44वाँ संवैधानिक संशोधन पारित किया गया।
- 1980 के चुनावों के पश्चात् केन्द्र में जनता पार्टी की सरकार बनी।
- चारू मजूमदार कम्युनिस्ट क्रान्तिकारी तथा नक्सलवादी आन्दोलन के जनक थे ।
- प्रेस से सरशिप के अन्तर्गत समाचार पत्रों में कोई भी खबर छापने से पूर्व उसकी सरकार से अनुमति लेनी होती थी।
- जनता पार्टी सरकार के पतन का प्रमुख कारण दलीय गुटबाजी थी।
- श्रीमती इन्दिरा गाँधी के पुत्र संजय गाँधी की 23 जून, 1980 को एक विमान दुर्घटना में मृत्यु हो गई ।
उत्तर – 1. असत्य, 2. असत्य, 3. सत्य, 4. सत्य, 5. सत्य, 6. सत्य ।
अति लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. आन्तरिक अशान्ति की दशा में उद्घोषित आपातकाल के दो प्रभाव बताइए।
उत्तर – (1) संसद के सभी कार्य स्थगित रहते हैं, तथा (2) प्रेस की आजादी पर रोक लगायी जा सकती है।
प्रश्न 2. जे. सी. शाह आयोग रिपोर्ट भारत सरकार को कब सौंपी गई ?
उत्तर – शाह आयोग ने तीन चरणों में अपनी 525 पृष्ठीय रिपोर्ट तत्कालीन जनता सरकार को प्रेषित की थी जिसमें अन्तिम रिपोर्ट 6 अगस्त, 1978 को प्रस्तुत की गई । जनता सरकार के 16 जुलाई, 1979 को पदच्युत होने के उपरान्त यह रिपोर्ट ठण्डे बस्ते में चली गई
प्रश्न 3. गुरिल्ला युद्ध किसे कहते हैं तथा गुरिल्ला युद्ध की रणनीति किसके द्वारा अपनाई गई थी ?
उत्तर- चन्द लोगों द्वारा विशाल सैन्य शक्ति के खिलाफ छिपकर लड़ने की युद्ध नीति गुरिल्ला युद्ध कहलाती है। मार्क्सवादी लेनिनवादी पार्टी ने क्रान्ति करने हेतु इस रणनीति को अपनाया।
प्रश्न 4. प्रतिबद्ध नौकरशाही किसे कहते हैं ?
उत्तर- लोकसेवकों की नियुक्ति एवं स्थानान्तरण सत्ताधारी दल द्वारा किया जाता है अत: उन्हें उसकी विचारधारा एवं नीतियों के अनुसार कार्यों का क्रियान्वयन करना पड़ता है, जिसे प्रतिबद्ध नौकरशाही कहा जाता है।
प्रश्न 5. प्रतिबद्ध न्यायपालिका से क्या अभिप्राय है उत्तर प्रतिबद्ध न्यायपालिका का तात्पर्य है कि न्यायपालिका शासक दल तथा नीतियों के प्रति निष्ठावान रहे।
प्रश्न 6. संवैधानिक व्यवस्था के संकट का क्या अर्थ है ?
उत्तर- जब जनसमुदाय अथवा कोई संगठन संवैधानिक प्रावधानों की वैधता पर चिह्न लगाता है अथवा उनके प्रयोग को अवैध बतलाकर उसका प्रबल विरोध करता है तब संवैधानिक संकट उत्पन्न हो जाता है।
प्रश्न 7. गुजरात में व्यापक छात्र आन्दोलन क्यों हुए ?
उत्तर- जनवरी 1974 में गुजरात के विद्यार्थियों द्वारा खाद्यान्न, खाद्य तेल और अन्य जीवनोपयोगी वस्तुओं की बढ़ती हुई कीमतों तथा उच्चाधिकारियों द्वारा जारी भ्रष्टाचार के विरुद्ध व्यापक आन्दोलन का शंखनाद किया जिसमें बड़े राजनीतिक दल भी सम्मिलित हुए।
प्रश्न 8. जनता पार्टी में कौन-कौन से दल सम्मिलित थे ? उसका विघटन क्यों हुआ ?
उत्तर- जनता पार्टी में पाँच दल कांग्रेस संगठन, जनसंघ, लोकदल, स्वतन्त्रपार्टी तथा सोशलिस्ट पार्टी सम्मिलित थे। जनता पाठी का विघटन परस्पर उभरे मतभेदों के फलस्वरूप हुआ।
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. 1975 की आन्तरिक आपातकालीन घोषणा के पश्चात् भारतीय संविधान में हुए किन्हीं चार संशोधनों का उल्लेख कीजिए। उत्तर- 1975 की आन्तरिक आपातकालीन घोषणा के सन्दर्भ में भारतीय संविधान मे निम्न संशोधन हुए (1) श्रीमती इन्दिरा गाँधी ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के निर्णय को दृष्टिगत रखते हुए इस आशय का संवैधानिक संशोधन कराया कि राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति तथा प्रधानमन्त्री के निर्वाचन को न्यायपालिका में चुनौती नहीं दी जा सकती है।
(2) आपातकाल के दौरान ही 42वाँ संवैधानिक संशोधन पारित हुआ जिसके द्वारा देश की विधायिका के कार्यकाल को 5 वर्ष से बढ़ाकर 6 वर्ष किया गया। आगे चलकर इस व्यवस्था को स्थायी रूप से लागू किया जाना था।
(3) संवैधानिक संशोधन द्वारा यह प्रावधान भी किया गया कि आपातकाल के दौरान चुनाव को एक वर्ष की समयावधि के लिए स्थगित किया जा सकता था। इस प्रकार 1977 के पश्चात् 1978 में चुनाव कराए जा सकते थे। में
(4) राज्य के नीति निदेशक तत्वों को मूलाधिकारों से अधिक कानूनी बल देने के लिए भी संवैधानिक संशोधन किया गया। संशोधन द्वारा नागरिकों के मूल कर्तव्य जोड़े गए और व्यक्ति अथवा समूहों के राष्ट्र विरोधी कार्यों हेतु संविधान में दण्ड के नवीन उपबन्ध प्रविष्ट किए गए।
प्रश्न 2. ‘युवा तुर्क’ से आप क्या है?
उत्तर 20वीं शताब्दी के शुरुआत में कर साम्राज्य की अधिनायकवादी नीतियों का विरोध किया। इ किया गया। यह शब्द भारतीय राजनीति में भी नहीं आया। 1970 के दशक में कांग्रेस के भीतर एक ऐसा वर्ग उभरा जो वादी समाजिक एवं आर्थिक सुधारों का प्रवल हिमायती था। इन नेताओं के इस अनौपचारिक समूहको तुर्क’ की उपमा दी गई। कांग्रेस के इस युवा तुर्क में मुख्यतया बखर गौडन गरिय कृष्णकान्त, सी. सुबामनियम तथा चरनजीत यादव इत्यादि सम्मिलित थे। नेताओं ने कांग्रेस सरकार द्वारा 1975 में लागू आपातकाल का विरोध किया। अतः उन्हें दल में निष्कासित कर दिया गया। कालान्तर में यही नेता नवगठिन जनता पार्टी में सम्मिलित हो गए।
प्रश्न 3. 1977 के लोकसभा चुनावों में जहाँ कांग्रेस को उत्तर-पूर्वी राज्यों में भारी पराजय देखनी पड़ी वहीं दक्षिण के राज्यों में उसका प्रदर्शन सन्तोषजनक था। इस विरोधाभाषी मतदान व्यवहार के क्या कारण थे ?
उत्तर- 1977 के लोकसभाई चुनावों में कांग्रेस को विरोधाभाषी मतदान व्यवहार का सामना करना पड़ा। इस विरोधाभाषी मतदान व्यवहार प्रमुख कारण निम्नांकित थे (1) चूँकि आपातकालीन जुल्मों सितम दक्षिण भारत की अपेक्षा उत्तर भारत में अधिक थीं। अत: दक्षिण भारत में कांग्रेसी जनाधार अधिक प्रभावित नहीं हुआ था।
(2) दक्षिण के राज्यों में कांग्रेस का चुनावी प्रदर्शन इस कारण भी सन्तोषजनक रहा क्योंकि वहाँ कांग्रेसी नेतृत्व देवराज अर्स तथा बेंगलराव जैसे योग्य एवं लोकप्रिय नेताओं के हाथों में था।
(3) आपातकाल के दौरान जिन नेताओं एवं राजनीतिक दलों ने कांग्रेस सरकार का विरोध किया था, उनमें से ज्यादातर का आधार उत्तरी भारत में ही था। अतः यहाँ कांग्रेस को भारी पराजय का सामना करना पड़ा।
प्रश्न 4. जनता पार्टी सरकार की कौन-सी नीतियाँ एवं कार्य महत्वपूर्ण थे ?
उत्तर- हालांकि जनता पार्टी सरकार का कार्यकाल लगभग ढाई वर्ष तक ही रहा लेकिन उन्होंने इस छोटे से कार्यकाल में अनेक नीतिगत निर्णय लेकर केन्द्रीय शासन को नवीन दिशा प्रदान की थी। जनता पार्टी की निम्न नीतियाँ एवं कार्य महत्वपूर्ण थे
(1) आपातकाल के दौरान 42वें संवैधानिक संशोधन द्वारा संविधान में जो अलोकतान्त्रिक संशोधन किए गए थे, जनता पार्टी सरकार द्वारा 44वें संवैधानिक संशोधन द्वारा उन्हें सुधारने का प्रयत्न किया।
(2) समाजवादी नीतियों को लागू करने हेतु जनता पार्टी सरकार ने सम्पत्ति के मौलिक अधिकार को समाप्त करके उसे कानूनी अधिकार का दर्जा दिया।
(3) जनता पार्टी शासन ने नेहरू के समाजवाद के स्थान पर गाँधीवादी समाजवाद की अवधारणा को अपनाने का प्रयास किया।
(4) ग्राम पंचायतों को मजबूती प्रदान करके सत्ता के विकेन्द्रीयकरण का प्रयास भी जनता सरकार द्वारा किया गया जिसके लिए अशोक मेहता कमेटी गठित की गई।
(5) जनता पार्टी सरकार ने विदेश नीति के मामले में वास्तविक गुट निरपेक्षताको करने की बात की तथा दोनों ही महाशक्तियों के साथ सन्तुलित सम्बन्धों को विकसित पर जोर दिया।
प्रश्न 5. जनता पार्टी ने 1977 में शाह आयोग को नियुक्त किया था। इस आयोग की नियुक्ति क्यों की गई थी और इसके क्या निष्कर्ष थे ?
उत्तर- मई 1977 में जनता पार्टी सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय के भूतपूर्व मुख्य न्यायाधीश जे. सी. शाह की अध्यक्षता में एक आयोग गठित किया। इस आयोग का 25 जून, 1975 के दिन घोषित आपातकाल के दौरान की गई कार्यवाही तथा सत्ता के दुरुपयोग अतिचार और कदाचार के विभिन्न आरोपों के विविध पहलुओं की जाँच के लिए किया गया आयोग ने विभिन्न प्रकार के साक्ष्यों की जाँच की तथा हजारों गवाहों के बयान दर्ज किए। इन गवाहों में श्रीमती इन्दिरा गाँधी भी सम्मिलित थीं। हालांकि वे आयोग के समक्ष उपस्थित तो हुईं लेकिन उन्होंने आयोग के प्रश्नों के जवाब देने से इन्कार कर दिया। तत्कालीन भारत सरकार ने आयोग द्वारा प्रस्तुत दो अन्तरिम रिपोर्टों तथा तीसरी अन्तरिम रिपोर्ट की सिफारिशों, पर्यवेक्षणों तथा निष्कर्षों को स्वीकारते हुए इसे संसद के दोनों सदनों में भी विचारार्थ रखा।
प्रश्न 6. किन कारणों से 1980 में मध्यावधि चुनाव करवाने पड़े ?
उत्तर- 1977 में दो-तिहाई बहुमत से जनता पार्टी सरकार बनने के बावजूद परम्पर तालमेल की कमी से वह अपना कार्यकाल पूर्ण नहीं कर पायी। श्रीमती गाँधी के मनमाने शासन के विरुद्ध एकत्र विभिन्न दलों का जनता गठबन्धन टूटकर बिखर गया। चुनावों के बाद प्रधानमन्त्री की कुर्सी को लेकर चले घमासान में मोरारजी देसाई ने सफलता तो पाई लेकिन इससे दलीय सत्ता की परस्पर खींचतान कम न हो सकी। •जनता पार्टी के पास कोई दिशा, नेतृत्व अथवा संयुक्त कार्यक्रम नहीं था और यह सरकार कांग्रेसी नीतियों में किसी तरह का परिवर्तन भी न ला सकी। चौधरी चरणसिंह, राजनारायण बीजू पटनायक, जार्ज फर्नांडिज एवं मधुलिमये के नेतृत्व में जनता पार्टी के लगभग एक-तिहाई सदस्य इस गठबन्धन से अलग हो गए। इस प्रकार जनता पार्टी बिखर गई तथा मोरारजी सरकार ने केवल 18 माह में ही अपना बहुमत खो दिया। कांग्रेसी समर्थन से चौधरी चरणसिंह के नेतृत्व में सरकार गठित हुई। लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण रहा कि चार माह सत्ता का स्वाद चखने के बाद कांग्रेस द्वारा समर्थन वापसी के फैसले से वह सत्ता दूर चली गई कुर्सी भी उठापटक के बीच जनवरी 1980 में लोकसभा के मध्यावधि चुनाव कराने पड़े। उक्त से स्पष्ट है कि जनता पार्टी की आन्तरिक कलह के कारण 1980 में मध्यावधि चुनाव हुए थे।
दीर्घ उत्तरीय / विश्लेषणात्मक प्रश्न
प्रश्न 1. आपातकाल (1975) के प्रभावों का वर्णन कीजिए।
उत्तर
आपातकाल के प्रभाव
राजनीतिक उथल-पुथल के माहौल में लगाए गए 1975 के आपातकाल के प्रभावों को संक्षेप में अग्र प्रकार स्पष्ट किया जा सकता है
(1) विरोधियों पर नियन्त्रण- आपातकाल की घोषणा का तात्कालिक प्रभाव यह हुआ कि कांग्रेस सरकार ने राजनीतिक दलों के विरोध प्रदर्शन पर रोक लगाते हुए उनके महत्वपूर्ण नेताओं को पहले ही दिन गिरफ्तार करके कारागार में डाल दिया गया।
(2) मूलाधिकारों का स्थगन- आपातकाल की घोषणा के साथ ही नागरिकों के भाषण एवं अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता सहित अन्य स्वतन्त्रताएँ भी निलम्बित कर दी गईं।
(3) मीडिया पर सेंसरशिप-25 जून, 1975 को लागू आपातकाल के दौरान मीडिया अर्थात् समाचार पत्र, रेडियो एवं दूरदर्शन इत्यादि पर सेंसरशिप लगा दी गई। इसका तात्पर्य यह था कि समाचार माध्यमों द्वारा सूचनाओं का प्रसारण शासकीय इच्छानुसार किया जाएगा।
(4) पुलिस एवं नौकशाहों का अमानवीय व्यवहार आपातकाल में सरकार के प्रमुख कर्ताधर्ता पुलिस एवं प्रशासनिक अधिकारियों ने शक्ति का मनमाना दुरुपयोग निरपराध जनता को हिरासत में रखकर प्रताड़ित भी किया। किया और
(5) न्यायपालिका पर दबाव- हालांकि भारतीय न्यायपालिका अपनी स्वतन्त्रता हेतु विश्वविख्यात है लेकिन आपातकाल के दौरान यह भी भारी दबाब में आ गई। भारतीय सर्वोच्च न्यायालय ने आपातकाल की घोषणा को उचित ठहराया तथा अवैध रूप से नजरबन्द किए गए लोगों की रिहाई में हस्तक्षेप करने से भी मना कर दिया।
(6) मनमाने संवैधानिक संशोधन- आपातकाल के दौरान सरकार ने संविधान में 42वें तथा 43वें संवैधानिक संशोधन किए जिनका उद्देश्य कार्यपालिका अथवा मन्त्रिपरिषद् एवं प्रधानमन्त्री की शक्तियों में बढ़ोत्तरी करना और न्यायपालिका शक्तियों एवं नागरिक अधिकारों में ज्यादा से ज्यादा कटौती करना था।
प्रश्न 2. 1975 में राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा करते हुए सरकार ने इसके क्या कारण बताए थे ?
उत्तर- सरकार ने विरोधी दलों के आन्दोलनों को दबाने हेतु 25 जून, 1975 को आपातकाल की घोषणा की जिसके निम्नांकित कारण बतलाए गए थे
(1) आपातकालीन स्थिति की घोषणा संविधान के अनुच्छेद 352 के अन्तर्गत की गई, जिसमें आन्तरिक गड़बड़ी के कारण आपात स्थिति की घोषणा का उल्लेख किया गया है।
(2) भारत सरकार का कहना था कि निर्वाचित सरकारों को कार्य नहीं करने दिया जा रहा था।
(3) भारत में जगह-जगह पर आन्दोलन एवं धरनों का आयोजन हो रहा था।
( 4 ) देश के विभिन्न हिस्सों में आन्दोलन के कारण हिंसक घटनाएँ घटित हो रही थीं।
(5) सैन्य बलों तथा पुलिस को बगावत तथा विद्रोह के लिए प्रेरित किया जा रहा था।
(6) साम्प्रदायिक उन्माद को बढ़ाने का कुप्रयास किया जा रहा था।
(7) राष्ट्रीय एकता एवं अखण्डता को खतरा पैदा हो रहा था ।
(8) देश में राजनीतिक अस्थिरता उत्पन्न करने का प्रयास किया जा रहा था।
(9) अर्थव्यवस्था का संकट गहरा गया था।
(10) कानून के शासन को खतरा उत्पन्न हो गया था।
प्रश्न 3. आपातकाल से हमें क्या शिक्षा प्राप्त होती है ?.
उत्तर- 1975 के आपातकाल के अनुभवों से हमें निम्न शिक्षा प्राप्त होती हैं
( 1 ) लोकतन्त्र में विपक्ष का महत्वपूर्ण स्थान है तथा विरोधी दलों एवं जनसाधारण के सहयोग से ही तानाशाही पर प्रभावी अंकुश लगाया जा सकता है।
( 2 ) नागरिकों के मूलाधिकारों की सुरक्षा विशेषतया अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता की विशेष उपयोगिता है तथा इसकी रक्षा के समुचित उपाय किए जाने जरूरी हैं। इसी प्रकार लोकतन्त्र में संचार माध्यमों की आजादी भी परमावश्यक होती है।
(3) यदि लोकतन्त्र की रक्षा की जानी है तो शासन के तीनों अंगों-कार्यपालिका,विधायिका तथा न्यायपालिका में सन्तुलन बनाए रखने की जरूरत है।
(4) प्रशासनिक अधिकारियों को उनके द्वारा किए गए कार्यों के लिए उत्तरदायी बनाना भी जरूरी है तथा उनकी स्वविवेकीय शक्तियों को भी न्यूनतम किए जाने की आवश्यकता है।
(5) चूँकि गैर-सरकारी संगठन शासन की निरंकुशता पर प्रभावी रोक लगाने के लिए जरूरी है, अतः उन्हें मजबूत बनाया जाना परमावश्यक है।
प्रश्न 4. 1977 में केन्द्र में पहली बार जनता पार्टी की गैर-कांग्रेसी सरकार गठित हुई । इस परिवर्तन के प्रमुख कारणों पर प्रकाश डालिए । अथवा 1977 में कांग्रेसी पराजय अथवा जनता पार्टी की विजय के कारणों की विवेचना अथवा चुनाव के बाद पहली बार केन्द्र में विपक्षी दल की सरकार बनी। ऐसा कीजिए । 1977 के किन कारणों से सम्भव हुआ ?
उत्तर- 1977 का लोकसभाई चुनाव लोकतन्त्र बनाम तानाशाही का चुनाव था जिसमें कांग्रेस की पराजय अथवा जनता पार्टी की विजय के लिए निम्न कारण उत्तरदायी थे
(1) नागरिक स्वतन्त्रता हनन एवं शासकीय अत्याचार- आपातकाल की समयावधि में पुलिस एवं नौकरशाहों द्वारा जनसाधारण का भारी उत्पीड़न किया गया तथा लगभग 35 हजार लोगों को मीसा जैसे उत्पीड़क कानून के अन्तर्गत कारागारों में डाला गया। इस उत्पीड़न के खिलाफ लोग आक्रोशित हुए जिसका परिणाम कांग्रेस की हार तथा जनता पार्टी की जीत हुई।
(2) आर्थिक असन्तोष- आपातकाल से पूर्व ही लोग महँगाई, आवश्यक वस्तुओं की कमी तथा शासकीय वितरण प्रणाली में व्याप्त भ्रष्टाचार आदि से परेशान हो चुके थे। देश में आपातकाल लागू होने की वजह से वे विभिन्न आर्थिक समस्याओं का विरोध भी नहीं कर सकते थे। लोगों का इस बात को लेकर तीव्र असन्तोष 1977 के लोकसभाई चुनावों में कांग्रेस की पराजय के रूप में देखने को मिला।
(3) परिवार नियोजन कार्यक्रम की विफलता-चूँकि पुलिस एवं प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा आपातकाल के दौरान परिवार नियोजन अर्थात् नसबन्दी को बाध्यकारी तरीके से लागू किया अतः मुस्लिमों एवं ग्रामीणों में इसे लेकर डर का वातावरण बना। लोकसभाई चुनावों में लोगों ने इस भय पैदा करने वाले कार्यक्रम की वजह से जनता पार्टी को अपना भरपूर समर्थन दिया।
(4) परिवारवाद – आपातकाल के दौरान श्रीमती इन्दिरा गाँधी के पुत्र संजय गाँधी ने बिना किसी पद के अपने साथियों के साथ मिलकर सत्ता का भारी दुरुपयोग किया। परिवार के इस कृत्य से कांग्रेस जनता के बीच अलोकप्रिय हो गई तथा लोगों ने इसकी अभिव्यक्ति 1977 के चुनावों में जनता पार्टी को अपना बहुमत देकर की थी।
(5) कांग्रेस का कमजोर जनाधार – आपातकाल के दौरान कांग्रेसी संगठन तथा उसका जन्मधार कमजोर पड़ गए। जहाँ नसबन्दी के कारण कांग्रेस से मुस्लिम वर्ग नाराज हो गया, वहीं जगजीवन राम जैसे नेता के कांग्रेस से अलग होने की वजह से दलित वर्ग भी उससे दूर चला गया। इसका दुष्परिणाम कांग्रेस को चुनावों में हार के रूप में झेलना पड़ा।
(6) विपक्ष की एकजुटता- आपातकाल के दौरान विपक्षी दलों एवं उसके नेतृत्वकर्त्ताओं के सामने उनके अस्तित्व का संकट था। चुनावों की घोषणा होते ही वे अपने पुराने गिले-सिकवे भूलकर परस्पर एकजुट हो गए। जिसका परिणाम जनता पार्टी के उदय के रूप में प्रकट हुआ। चूँकि पहले के चुनावों में विपक्ष में एकता के अभाव में मतों का विभाजन हो जाता था लेकिन 1977 के चुनावों में उनकी परस्पर एकता की वजह से मत विभाजित नहीं हुए और चुनाव परिणामों में उनकी सफलता का स्वाद चखने का अवसर मिला।
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