अध्याय 17 क्षेत्रीय आकांक्षाएँ [ Regional Aspirations]
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
बहु-विकल्पीय प्रश्न
- निम्नांकित में किस आन्दोलन के अन्तर्गत ‘उत्तर हर दिन बढ़ता जाए, दक्षिण हर दिन घटता जाए’ लोकप्रिय नारा (स्लोगन) दिया गया ?
(i) गोरखालैण्ड आन्दोलन
(ii) बोडोलैण्ड आन्दोलन
(iii) द्रविड़ आन्दोलन
(iv) असम आन्दोलन ।
- डी. एम. के. ने तीन सूत्रीय आन्दोलन के साथ राजनीति में कदम रखा था
(i) 1950-51 में
(ii) 1953-54 #
(iii) 1957-58 में
(iv) 1965-66 में।
- दक्षिण भारत के किस प्रसिद्ध राजनेता को ‘पेरियार’ के नाम से भी जाना जाता है ?
(i) ई. बी. रामास्वामी नायकर
(ii) सी. एन. अन्नादुराई
(iii) एम. करुणानिधि
(iv) एम. जी. रामचन्द्रन
- निम्नांकित में किसे तमिल राजनीति में सर्वाधिक लोकप्रिय नेता माना जाता है ?
(i) शशिकला नटराजन
(ii) जयललिता
(iii) करुणानिधि
(iv) एम. के. स्टालिन ।
- सिक्किम लोकतन्त्र बहाली आन्दोलन के प्रमुख नेता कौन थे ?
(i) काजी लैंदुप दोरजी खांगसरपा
(ii) अंगामी जापू
(iii) लालडेंगा
(iv) चोग्याल ।
उत्तर – 1. (iii), 2. (ii), 3. (i), 4. (ii), 5. (i).
- रिक्त स्थानों की पूर्ति
- भारतीय भू-भाग के………………… क्षेत्र को सात बहनों का भाग कहा जाता है।
- 1979 में………………… ने विदेशियों के विरोध में एक आन्दोलन चलाया।
3………………….खुली अर्थव्यवस्था तथा कम्प्यूटर प्रौद्योगिकी के समर्थक थे।
- तेलुगु देशम पार्टी के संस्थापक…………………… थे।
उत्तर- 1. पूर्वोत्तर, 2. ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन, 3. राजीव गाँधी, 4. एन. टी. रामाराव ।
जोड़ी मिलाइए
‘क’
- मिजो नेशनल फ्रंट संस्थापक
- डी. एम. के. संस्थापक
- सिक्किम राज्य कांग्रेस संस्थापक
- आसू का विदेशी विरोधी आन्दोलन
- आसू एवं भारत सरकार के बीच समझौता
‘ख
(i) अन्नादुरै
(ii) 1985
(iii) 1979
(iv) लाल डेंगा
(v) काजी लैंदुप दोरजी खांगसरपा
उत्तर – 1. → (iv), 2. (i), 3. → (v), 4. (iii) 5. → (ii).
एक शब्द / वाक्य में उत्तर
- 1960 के दशक में पंजाब में पंजाबी सूबे की स्थापना हेतु किसके नेतृत्व में व्यापक में आन्दोलन चला ?
- किस आन्दोलन ने डी. एम. के. को जनसाधारण के बीच लोकप्रियता दिलाई थी ?
- सिक्किम भारत का कौन-सा राज्य बना ?
- किसने सिक्किम को भारत का राज्य बनाने सम्बन्धी फैसले से असहमति व्यक्त की थी ?
- असम समझौते में विदेशी नागरिकों की पहचान के लिए किसे आधार वर्ष माना गया ?
उत्तर- 1. मास्टर तारा सिंह तथा संत फतेह सिंह, 2. 1965 का हिन्दी विरोधी आन्दोलन, 3. 22वां, 4. चोग्याल, 5.1 जनवरी 1966.
सत्य / असत्य
- असम आन्दोलन के प्रमुख नेता प्रफुल्ल कुमार महन्त थे ।
- क्षेत्रीय आकांक्षाएँ लोकतान्त्रिक राजनीति का अभिन्न अंग हैं।
- ग्रेट ब्रिटेन में कभी भी क्षेत्रीय आकांक्षाएँ नहीं उभरी हैं।
उत्तर – 1. सत्य, 2. सत्य, 3. असत्य ।
अति लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. मिजोरम की समस्या के समाधान के लिए कब समझौता किया गया तथा समझौते के पश्चात् कौन वहाँ का मुख्यमन्त्री बना ?
उत्तर- मिजोरम समस्या के समाधान हेतु 1986 में समझौता हुआ तथा समझौते के पश्चात् लालड़ेंगा वहाँ के मुख्यमन्त्री बने।
प्रश्न 2. उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में सात बहनें किन राज्यों को कहा जाता है ?
अथवा
पूर्वोत्तर भारत के किन-किन राज्यों को सात बहनों के नाम से जाना जाता है ?
उत्तर- असम, अरुणाचल प्रदेश, नागालैण्ड, मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा तथा मेघालय प्रश्न 3. द्रविड़ आन्दोलन से किस राजनीतिक संगठन का सूत्रपात हुआ ?
उत्तर- द्रविड़ आन्दोलन की प्रक्रिया से ‘द्रविड़ कणगम’ संगठन का सूत्रपात हुआ जो ब्राह्मणों के वर्चस्व का विरोधी था।
प्रश्न 4. क्षेत्रीय आकांक्षाओं का एक आधारभूत सिद्धान्त क्या है ?
उत्तर- क्षेत्रीय आकांक्षाएँ लोकतान्त्रिक राजनीति का अभिन्न अंग (हिस्सा) हैं।
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. भारतीय राजनीति में क्षेत्रीयता का क्या कारण है ? उत्तर भारत में आजादी के बाद राज्यों ( प्रदेशों) को पुनः गठित किया गया। इस पुनर्गठन के दौरान प्राचीन रियासतों का राज्यों में विलय कर दिया गया। देशी रियासतों के भारतीय संघ के राज्यों में मिला दिए जाने के बावजूद स्थानीय निवासियों तथा रियासतदारों को यह लगने लगा कि यदि उनकी रियासत के भाग को अलग राज्य की श्रेणी में रखा जाता तो उनका पिछड़ापन एवं गरीबी दूर हो जाती। इसी आधार पर वे अपनी भाषा एवं रीति-रिवाजों को किसी अन्य के साथ बाँटकर उसे अपने सामाजिक एवं आर्थिक विकास कार्यों में लगाना चाहते थे। इस धारणा की वजह से क्षेत्रीयता की भावना को प्रबल आधार मिला।
प्रश्न 2. क्षेत्रीय असन्तुलन के प्रभावों को समझाइए ।
उत्तर- क्षेत्रीय असन्तुलन के प्रभावों को निम्न बिन्दुओं द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है: (1) क्षेत्रीय असन्तुलन क्षेत्रवाद अथवा क्षेत्रवादी प्रवृत्तियों को प्रोत्साहित करता है। (2) क्षेत्रीय असन्तुलन का ही प्रभाव है जिससे विकसित एवं अविकसित दोनों क्षेत्रों में निहित स्वार्थों को बढ़ावा मिलता है। (3) असन्तुलित विकास की वजह से युवाओं में हताशा एवं निराशा के भाव उत्पन्न होते हैं। (4) क्षेत्रीय असन्तुलन से जनसंख्या के अविकसित क्षेत्र से विकसित क्षेत्र की तरफ पलायन को बढ़ावा मिलता है।
प्रश्न 3. क्षेत्रवाद का क्या दुष्परिणाम निकला ?
उत्तर- क्षेत्रवाद की वजह से भारत की राष्ट्रीय एकता के लिए संकट उत्पन्न होता है। संकीर्ण क्षेत्रवाद विभिन्न क्षेत्रों के बीच तनाव एवं टकराव उत्पन्न करता है। यह क्षेत्रवाद का ही दुष्परिणाम है कि इससे विभिन्न क्षेत्रों में इस तरह के स्वार्थी संगठनों एवं उसके नेतृत्वकर्ताओं का उदय होता है जो लोगों की भावनाओं को भड़काकर अपने संकीर्ण हितों को पूरा करते हैं। अनेक वार क्षेत्रवाद की प्रवृत्ति की वजह से केन्द्र एवं राज्य सरकारों के सम्बन्ध के बीच गहरी खाई बन जाती है। क्षेत्रवाद ने भाषायी समस्या को भी उलझाने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी है।
प्रश्न 4. क्षेत्रीय असन्तुलन को रोकने (दूर करने) के लिए कोई चार व्याय लिखिए।
उत्तर- क्षेत्रीय असन्तुलन को रोकने हेतु निम्नलिखत उपाय किए जाने जरूरी हैं
(1) शहरों तथा गाँवों की विकास दर के अन्तर को कम करके क्षेत्रीय असन्तुलन को रोका जा सकता है।
(2) क्षेत्रीय असन्तुलन को रोकने के लिए प्रशासनिक व्यवस्था में आवश्कय सुरक्षा करते हुए इसे चुस्त बनाया जाना चाहिए।
(3) क्षेत्रीय असन्तुलन को रोकने के लिए पिछड़े क्षेत्रों के विकास को उच्च प्राथमिकता प्रदान की जानी चाहिए।
(4) क्षेत्रीय असन्तुलन को रोकने के लिए आदिवासी एवं पहाड़ी क्षेत्रों में विकास की गति को और अधिक तेज किया जाना चाहिए।
प्रश्न 5. भारत में चली आन्दोलन की राजनीति से हम क्या शिक्षा ग्रहण कर सकते हैं ?
उत्तर- भारत में लम्बी समयावधि तक चली आन्दोलन की राजनीति से हम निम्न शिक्षा ग्रहण कर सकते हैं
(1) लोकतान्त्रिक प्रणाली में जनसाधारण द्वारा अपनी क्षेत्रीय आकांक्षाओं को व्यक्त करने को सकारात्मक रूप में स्वीकार किया जाना चाहिए जिसमें उनमें किसी प्रकार की विद्रोह की भावना उत्पन्न न हो।
(2) राजनीतिक एवं प्रशासनिक व्यवस्था का निर्माण इस प्रकार किया जाना चाहिए जिससे क्षेत्रीय भावनाओं का अधिकाधिक समावेश हो सके।
(3) राजनीतिक एवं प्रशासनिक स्तर पर आन्दोलनकर्त्ताओं के साथ शीघ्रतम वार्ता प्रक्रिया शुरू की जानी चाहिए।
(4) भारत के सभी राजनीतिक दलों को स्थानीय आकांक्षाओं, माँगों तथा हितों को उचित प्रकार समझकर उन्हें शासन के समक्ष प्रस्तुत करना चाहिए।
(5) जहाँ तक सम्भव हो सके वहाँ तक शक्तियों को विकेन्द्रित करते हुए स्थानीय संस्थाओं को मजबूत किया जाना चाहिए जिससे वे क्षेत्रीय समस्याओं का समाधान समय रहते कर सके ।
दीर्घ उत्तरीय / विश्लेषणात्मक प्रश्न
प्रश्न 1. भारत में क्षेत्रीय असन्तुलन के कोई पाँच कारण लिखिए। के
उत्तर भारत में क्षेत्रीय असन्तुलन के कारण
भारत को ब्रिटिश साम्राज्यवाद से विरासत में मिले क्षेत्रीय असन्तुलन के प्रमुख कारण निम्न प्रकार हैं:
(1) विकास योजनाओं की आंशिक सफलता- भारत में क्षेत्रीय असन्तुलन को पनपने का अवसर विकास योजनाओं की आंशिक सफलता ने दिया। हालांकि विकास योजनाओं का लक्ष्य उत्पादन एवं रोजगार में अभिवृद्धि था, लेकिन यथार्थ में ऐसा न हो पाया।
(2) विपरीत राजनीतिक एवं प्रशासनिक परिस्थितियाँ- भारत में क्षेत्रीय असन्तुलन का एक कारण राजनीतिक एवं प्रशासनिक परिस्थितियाँ भी हैं। दल-बदल एवं शासकीय उथल-पुथल ने विकास कार्यों को प्रभावित किया। राजनेताओं की परस्पर फूट के फलस्वरूप प्रशासन भी कार्यकुशल न रह सका।
(3) मानवीय पूँजी का अभाव- उत्पादन में औद्योगिक मशीनरी एवं पूँजी के साथ मानवीय श्रम की भी महती उपयोगिता होती है। भारत के कुछ प्रदेशों के लोग अशिक्षित एवं आलसी प्रवृत्ति के हैं, जो विकास की दौड़ में पीछे रह गए हैं।
(4) राजनीतिक इच्छाशक्ति का ह्रास- भारत में राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी की वजह से भी क्षेत्रीय असन्तुलन पनपा है।
(5) कमजोर आधारभूत संरचना- भारत में क्षेत्रीय असन्तुलन का एक कारण विभिन्न प्रदेशों की कमजोर आधारभूत संरचना भी है। इन प्रदेशों में पूँजीपति निवेश करने से डरते हैं, क्योंकि वहाँ न तो समुचित यातायात के साधन हैं तथा न बाजार एवं वित्तीय संस्थाएँ । यहाँ औद्योगिक इकाइयों की स्थापना करना अपने आप में एक चुनौती ही है।
प्रश्न 2. क्षेत्रीय असन्तुलन के संकेतक लिखिए।
उत्तर
क्षेत्रीय असन्तुलन के संकेतक क्षेत्रीय असन्तुलन के प्रमुख संकेतकों को संक्षेप में निम्न प्रकार स्पष्ट किया जा सकता है
(1) साक्षरता दर में अन्तर- भारत के विभिन्न राज्यों में साक्षरता दर में अत्यधिक अन्तर है। जहाँ कुछ राज्यों में साक्षरता दर तीन-चौथाई से अधिक है, वहीं कुछ ऐसे प्रदेश भी हैं जहाँ लगभग आधी आबादी ही साक्षर है।
(2) आर्थिक विकास में अन्तर- देश के पिछड़े हुए राज्यों में प्रति व्यक्ति आय कम होने से लाखों लोग गरीबी, कुपोषण, बीमारी तथा अशिक्षा की दशाओं में अपना जीवनयापन कर रहे हैं जबकि दिल्ली, पंजाब तथा हरियाणा के लोगों की आय राष्ट्रीय आय की अपेक्षाकृत अधिक है।
(3) औद्योगिक विकास में अन्तर- भारत में इस दृष्टिकोण के आधार पर भी क्षेत्रीय असन्तुलन है। औद्योगिक विकास के दृष्टिकोण से जहाँ कुछ राज्य पिछड़े हैं वहीं कुछ अग्रणी एवं विकसित हैं।
(4) जन्म एवं मृत्यु दर में अन्तर भारत के विभिन्न क्षेत्रों में इस दृष्टिकोण के आधार पर भी पर्याप्त अन्तर है।
(5) सम्पत्ति का असमान वितरण- हमारे देश में सम्पत्ति का असमान वितरण है। भारत की लगभग 72% सम्पत्ति पर सिर्फ 28% लोगों का कब्जा है।
प्रश्न 3. भारत में क्षेत्रवाद के उदय के कोई पाँच कारण लिखिए।
उत्तर भारत में क्षेत्रवाद के उदय के कारण
हमारे देश भारत में क्षेत्रवाद के उदय के प्रमुख कारण निम्न प्रकार हैं (1) ऐतिहासिक पृष्ठभूमि – राज्यों के पुनर्गठन के बाद अनेक पुरानी रियासतों का विभिन्न राज्यों में विलय कर दिया गया। इन रियासतों के लोग अब यह महसूस करते हैं कि यदि उनकी रियासत को अलग राज्य बनाया जाता तो वे अधिक फायदे में रहते।
(2) विभिन्न संस्कृतियाँ- हमारा देश अनेक संस्कृतियों से परिपूर्ण है। भारत के प्रत्येक क्षेत्र के निवासियों को अपनी-अपनी भाषा एवं संस्कृति पर गर्व है। अतः वे अपने लिए विशेष स्थितियों की माँग करते हैं।
विकास (3) आर्थिक परिस्थितियाँ- कुछ भारतीय क्षेत्रों का तेजी से अत्यधिक आर्थिक हुआ है जबकि देश के कुछ हिस्से इस दृष्टिकोण से पिछड़ गए हैं। इन पिछड़े हुए क्षेत्रों में जनसाधारण में असन्तोष के भाव उत्पन्न हुए हैं जिनकी वजह से क्षेत्रवाद का उदय हुआ है। (4) जातीयता की भावना – क्षेत्रवाद को उदित करने में जातियों की भी भूमिका है। भारत के जिस हिस्से में किसी एक जाति विशेष की प्रधानता रही है वहीं क्षेत्रवाद की प्रवृत्ति काफी उग्र रूप में परिलक्षित हुए है। (5) राजनीतिक परिस्थितियाँ राजनेता अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं को पूर्ण करने हेतु प्रादेशिकता की आग को तेज करने का हर सम्भव उपाय करते हैं; उनका यह कृत्य क्षेत्रवाद को उदित करने में सहायक सिद्ध होता है।
प्रश्न 4. क्षेत्रवाद को रोकने के उपायों पर एक संक्षिप्त लेख लिखिए।
उत्तर क्षेत्रवाद को रोकने के उपाय
क्षेत्रवाद को रोकने हेतु निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं
(1) शासकीय नीतियाँ इस तरह निर्धारित हों जिससे समस्त उप-सांस्कृतिक क्षेत्रों का सन्तुलित आर्थिक विकास सम्भव हो सके।
( 2 ) उप-सांस्कृतिक क्षेत्रों की उचित आकांक्षाओं की यथासम्भव पूर्ति की जाय। (3) केन्द्र तथा उसकी इकाई राज्यों के सम्बन्धों को इस प्रकार विकसित किया जिससे उनमें किसी प्रकार के असन्तोष के भाव पैदा ही न होने पाए।जाए
(4) राष्ट्रीय विचारधारा का विरोध करके क्षेत्रीय राजनीति को महत्व देने वाले नेताओं तथा राजनीतिक दलों की कार्य प्रणाली को सीमित करके ही क्षेत्रवाद पर अंकुश लगाया जा सकता है। (5) एक क्षेत्र के लोगों की दूसरे क्षेत्र के प्रति अधिक सहनशीलता की भावना विकसित करने हेतु प्रचार माध्यमों द्वारा अलग-अलग क्षेत्रों की सांस्कृतिक विशेषताओं से जनसाधारण को अवगत कराया जाना चाहिए।
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