MP Board Class 12th Political Science (राजनीति शास्त्र) chapter 3 समकालीन विश्व में अमेरिकी वर्चस्व important Questions in Hindi Medium

अध्याय 3 समकालीन विश्व में अमेरिकी वर्चस्व

[American Hegemony in Contemporary World]

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

बहु-विकल्पीय प्रश्न

 

  1. एकध्रुवीय शक्ति के रूप में अमेरिकी वर्चस्व की शुरुआत कब हुई ?

(i) 1991

(ii) 1992

(iii) 1993

(iv) 1997.

 

  1. वर्तमान वैश्विक राजनीति की सर्वाधिक महत्वपूर्ण उभरती हुई प्रवृत्ति है

(i) सैन्य गठबन्धन

(ii) शीत युद्ध में तीव्रता

(iii) एकल ध्रुवीय विश्व व्यवस्था

(iv) नि: शस्त्रीकरण

 

। 3. ‘ऑपरेशन डेजर्ट स्टॉर्म’ निम्नांकित में किससे सम्बन्धित था

(i) अलकायदा

(ii) प्रथम खाड़ी युद्ध

(iii) जार्जिया

(iv) यूगोस्लाविया के खिलाफ कार्यवाही ।

 

  1. न्यूयार्क (अमेरिका) स्थित ‘वर्ल्ड ट्रेड सेन्टर (विश्व व्यापार केन्द्र) पर आतंकी हमला कब हुआ ?

(i) 11 सितम्बर, 1991 को

(ii) 1 दिसम्बर, 2000 को

(iii) 11 सितम्बर, 2001 को

(iv) 11 सितम्बर, 2003 को।

 

  1. 9/11 की घटना हेतु निम्नांकित में किसे उत्तरदायी माना गया था ?

(i) अलकायदा तथा तालिबान को

(ii) पाकिस्तान को

(iii) चीन को

(iv) रूस को ।

 

  1. निम्नांकित में से किस राज्य ने कुबैत पर कब्जा कर लिया था ?

(i) पाकिस्तान

(ii) अफगानिस्तान

(iii) इराक

(iv) ईरान ।

 

  1. 2003 में संयुक्त राष्ट्रसंघ की उपेक्षा करके इराक पर हमला करने वाला देश कौन-सा था ?

(i) चीन

(ii) अमेरिका

(iii) रूस

(iv) फ्रांस ।

 

  1. आतंकी संगठन अलकायदा ने नैरोबी स्थित अमेरिकी दूतावास पर कब हमला किया था ?

(i) 2003 में

(ii) 2001 में

(iii) 1999 में

(iv) 1998

 

 

  1. निम्नांकित में से किसमें ‘हेगमनी’ शब्द की जड़ें हैं

(i) जापान

(ii) चीन

(III) प्राचीन यूनान

(iv) अमेरिका

 

  1. 11 सितम्बर की न्यूयार्क घटना के बाद अमेरिका ने कौन-सा आतंक विरोधी कानून बनाया

(i) नेशनल सिक्युरिटी एक्ट

(ii) टेरोरिज्म प्रिवेन्शन एक्ट

(III) पैट्रियोट एक्ट,

(iv) इनमें से कोई नहीं।

 

  1. अमेरिकी राष्ट्रपति जार्जबुश ने आतंकवाद के खिलाफ जिसे 21वीं शताब्दी का प्रथम युद्ध कहते हैं घोषित किया

(i) अक्टूबर 2001

(ii) सितम्बर 2001

(iii) नवम्बर 2001

(iv) दिसम्बर 2001.

 

उत्तर- 1. (i), 2. (m) 3. (11) 4. (iii) 5. (i), 6. (iii) 7. (ii) 8. (iv) 9. (m). 10. (i), 11. (11).

 

  • रिक्त स्थानों की पूर्ति
  1. इराक के राष्ट्रपति …………………….को मृत्युदण्ड दिया गया।
  2. क्लिटन काल में भी अमेरिका ने अपनी……………………… का प्रयोग किया।
  3. …………………………..के अन्तर्गत अमेरिका ने सूडान एवं अफगानिस्तान में अलकायदा ठिकानों पर क्रूज मिसाइलें दागी
  4. 1999 में नाटो सेना ने लगभग दो माह तक ………………………….पर बम वर्षा की थी।
  5. आपरेशन इराकी फ्रीडम में ……………………..’देशों की सेना सम्मिलित थी।

6……………………… का रक्षा बजट विश्व के अन्य 12 शक्तिशाली देशों के संयुक्त रक्षा बजर से भी अधिक है।

7…………………………………. अमेरिकी सैन्य अनुसन्धान परियोजना का परिणाम है।

  1. अमेरिकी वर्चस्व को चुनौती…………………. धरातल से मिलेगी।

उत्तर- 1. सद्दाम हुसैन, 2. सैन्य शक्ति 3. आपरेशन इनफाइनाइट रोच, 4. यूगोस्लाविया, 5. चालीस से अधिक, 6. अमेरिका, 7. इण्टरनेट, 8. सांस्कृतिक एवं आर्थिक ।

 

जोड़ी मिलाइए

 

‘क’

  1. सद्दाम हुसैन पकड़ा गया
  2. प्रथम खाड़ी युद्ध
  3. खाड़ी युद्ध के समय अमेरिका का राष्ट्रपति
  4. विश्व का प्रथम बिजनेस स्कूल
  5. अमेरिकी संस्कृति

 

 

 

‘ख’

(i) वाहर्टन स्कूल (अमेरिका)

(ii) 13 सितम्बर, 2003

(iii) जींस, पेप्सी तथा जंकफूड

(iv) 17 जनवरी, 1991

(v) जार्ज डब्ल्यू. बुश

 

उत्तर – 1. → (ii), 2. → (iv), 3. → (v), 4. (i), 5. → (iii). ‘क’

 

II.

 

  1. आपरेशन इनफाइलाइट रीच
  2. आपरेशन इंड्यूरिंग फ्रीड्म
  3. आपरेशन डेजर्ट स्टार्म
  4. ऑपरेशन इराकी फ्रीडम

 

‘ख’

 

(i) तालिबान और अलकायदा के खिलाफ जंग

(ii) इराक पर हमले के इच्छुक देशों का गठबन्धन

(iii) सूडान पर मिसाइल से हमला

(iv) प्रथम खाड़ी युद्ध

 

उत्तर – 1. → (iii), 2. (i). 3. (iv) 4. (ii).

 

एक शब्द / वाक्य में उत्तर

 

  1. सद्दाम हुसैन को फाँसी कब दी गई ?
  2. अमेरिकी नौसेना का खुफिया ठिकाना क्यूबा के पास किस स्थान पर है ?
  3. ओसामा बिन लादेन अमेरिकी सैन्य कार्यवाही में कब एवं कहाँ मारा गया ?
  4. 11 सितम्बर, 2001 को अमेरिका के किस भवन पर आतंकी हमला हुआ था ?
  5. संयुक्त राज्य अमेरिका को ‘स्टेच्यू ऑफ लिबर्टी’ किस देश ने भेंट की थी ?

 

उत्तर – 1.30 दिसम्बर, 2006, 2. ग्वांतानामो बे, 3. 2011 में एबटाबाद (पाकिस्तान) में मारा गया, 4. पेन्टागन, 5. फ्रांस

 

सत्य / असत्य

  1. शीत युद्ध के पश्चात् सोवियत रूस एकमात्र महाशक्ति के रूप में उभरकर आया है ?
  2. अभी तक किसी भी राष्ट्र ने किसी भी देश पर हमला करते समय संयुक्त राष्ट्र संघ की उपेक्षा नहीं की है।
  3. अमेरिकी प्रभुत्व ने भारत की स्वतन्त्र विदेश नीति का हनन किया है।
  4. एम. बी. ए. पाठ्यक्रम की शुरुआत 1900 में हुई।
  5. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप 24 फरवरी, 2020 को दो दिवसीय यात्रा पर भारत आए।
  6. 25 फरवरी, 2020 को भारत तथा अमेरिका के बीच तीन अरब डालर का रक्षा समझौता किया गया।

 

उत्तर- 1. असत्य, 2. असत्य, 3. असत्य, 4. सत्य, 5. सत्य, 6. सत्य ।

 

अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति में प्रभुत्व का क्या अर्थ है ?

उत्तर- अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति में शक्ति का एक ही केन्द्र होना प्रभुत्व कहलाता है।

 

प्रश्न 2. विश्व राजनीति में अमेरिकी वर्चस्व का क्या तात्पर्य है ?

उत्तर- राजनीति, आर्थिक, सैनिक एवं सांस्कृतिक मामलों में अमेरिकी दबदबा अथवा प्रभाव को ही अमेरिकी वर्चस्व की संज्ञा दी जाती है।

 

प्रश्न 3. निकट भविष्य में सैन्य शक्ति के क्षेत्र में कौन-से तीन देश अमेरिका को चुनौती दे सकने में सक्षम हैं ?

उत्तर- भारत, चीन तथा रूस।

 

प्रश्न 4. 2003 में अमेरिका द्वारा इराक पर हमले के पीछे मूल उद्देश्य क्या था ?

उत्तर – ( 1 ) अमेरिका द्वारा इराक के तेल भण्डारों पर नियन्त्रण स्थापित करना, (2) इराक में सद्दाम हुसैन के स्थान पर अपनी पसन्द की सरकार बनबाना।

 

प्रश्न 5. अमेरिकी वर्चस्व का परिणाम किसे माना जा सकता है ?

उत्तर- विश्व बैंक, अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष तथा विश्व व्यापार संगठन अमेरिकी वर्चस्व के ही परिणाम है।

 

प्रश्न 6. संयुक्त राज्य अमेरिका की संस्थागत शक्ति का एक उदाहरण दीजिए।

उत्तर- मास्टर ऑफ बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन (एम.बी.ए) की अकादमिक डिग्री।

 

प्रश्न 7. अमेरिकी प्रभुत्व कब से प्रारम्भ हुआ ?

उत्तर- सोवियत संघ के पतन के साथ अमेरिकी प्रभुत्व का दौर प्रारम्भ हुआ। इस प्रकार 1991 से ही अमेरिकी प्रभुत्व की शुरुआत मानी जा सकती है।

 

प्रश्न 8. पहले खाड़ी युद्ध को ‘कम्प्यूटर युद्ध’ अथवा ‘वीडियो गेमवार’ क्यों कहा जाता है ?

उत्तर- इस युद्ध के दौरान अमेरिका ने अत्यधिक उन्नत प्रौद्योगिकी में ‘स्मार्ट बम’ प्रयुक्त किए थे, अत: कुछ पर्यवेक्षकों ने इसे ‘कम्प्यूटर युद्ध’ की उपमा दी। पहले खाड़ी युद्ध का विभिन्न देशों के टेलीविजन पर व्यापक प्रसार होने के कारण इसे वीडियो गेमवार भी कहा गया।

 

प्रश्न 9. अमेरिका ने इराक के खिलाफ युद्ध क्यों लड़ा ?

उत्तर- अमेरिका ने पहली बार इराक के खिलाफ युद्ध कुवैत संकट के कारण किया और दूसरी बार युद्ध सामूहिक संहार के अस्त्रों (हथियारों) के आधार पर लड़ा। लेकिन अमेरिकी हमले का असली उद्देश्य खाड़ी क्षेत्र में खनिज तेल के भण्डारण पर नियन्त्रण स्थापित करना था।

 

प्रश्न 10. अमेरिका के मौजूदा वर्चस्व का प्रमुख आधार क्या है ? उत्तर- अमेरिका के मौजूदा वर्चस्व का प्रमुख आधार उसकी सैनिक शक्ति है जिसका संसार का कोई भी देश मुकाबला नहीं कर सकता। अमेरिका अपनी सैन्य क्षमता के बलबूते विश्व में कहीं भी धावा बोलने में सक्षम है।

 

प्रश्न 11. ढाँचागत शक्ति के रूप में वर्चस्व का क्या अर्थ है ?

उत्तर- विश्व अर्थव्यवस्था में अपनी इच्छा चलाने वाला ऐसा देश जो अपने फायदे की वस्तुओं को बनाए रखता है। उसके पास इस व्यवस्था को कायम रखने की जरूरी क्षमता एवं इच्छाशक्ति होती है।

 

प्रश्न 12. वैश्विक स्तर पर सार्वजनिक वस्तुओं से आप क्या समझते हैं ?

उत्तर – वैश्विक स्तर पर सार्वजनिक वस्तुओं का तात्पर्य ऐसी वस्तुओं से है जिनका प्रयोग प्रत्येक देश अथवा व्यक्ति एक समान रूप से कर सके तथा उस पर किसी तरह की रुकावट अथवा कमी न आए। वैश्विक सार्वजनिक वस्तुओं के उदाहरण स्वच्छ वायु, जल, सड़क एवं समुद्री व्यापार इत्यादि हैं।

 

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. आतंकवाद के खिलाफ विश्वव्यापी अभियान में अमेरिका की भूमिका को संक्षेप में समझाइए ।

उत्तर- आतंकवादियों द्वारा 11 सितम्बर 2001 को अमेरिका के न्यूयार्क स्थित वर्ल्ड सेन्टर तथा अमेरिकी रक्षा विभाग के मुख्यालय वर्जीनिया के आर्लिंगटन स्थित पेंटागन पर किए गए हवाई हमलों में लगभग तीन हजार लोगों की जानें चली गईं। ‘नाइन इलेवन’ कहे जाने वाले इस आतंकी हमले में अलकायदा एवं तालिबान के सम्मिलित होने की आशंका थी। इस हमले की प्रतिक्रिया में अमेरिका ने आतंकवाद के खिलाफ कठोर कदम उठाए। उसने आतंकवाद के खिलाफ विश्वव्यापी अभियान ‘ऑपरेशन इन्डयूरिंग फ्रीडम’ संचालित किया। यह अमेरिकी अभियान उन सभी के विरुद्ध था जिन पर 9/11 की घटना का शक (संदेह) था। अमेरिका ने अलकायदा एवं तालिबानी को इसमें प्रमुख निशाना बनाया। हालांकि अमेरिका इन दोनों को पूर्वरूपेण तो समाप्त नहीं कर सका लेकिन उसने इसकी ताकत को बहुत ही कम जरूर कर दिया। विश्व के विभिन्न देशों ने इस हमले को रोकने के लिए अमेरिका से निवेदन किया था लेकिन उसने सभी देशों के आग्रह को सिरे से खारिज करते हुए अपने हमले लगातार जारी रखे । स्वयं अपने ऊपर हुए आतंकी हमले के बाद अमेरिका खुलकर आतंकवादियों के क्रियाकलापों के विरोध में सामने आया। वैश्विक स्तर पर उसने आतंकवाद को जड़ सहित उखाड़ फेंकने के लिए विभिन्न देशों से समस्झौते भी किए तथा आतंकवाद को पोषित करने वाले देशों पर विभिन्न प्रतिबन्ध लगाने एवं आतंकी क्षेत्रों में हवाई हमले करना जारी रखा।

 

प्रश्न 2. अलकायदा पर अति संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।

उत्तर- अलकायदा पूर्णरूपेण धार्मिक एवं राजनीतिक आतंक की सहायता लेकर धार्मिक वर्चस्व स्थापित करने वाला संगठन है। इस्लामी राज समर्थक एवं पोषक अलकायदा की जड़ें अफगानिस्तान से जुड़ी हैं। इस संगठन के अनुयायी जिहाद द्वारा विभिन्न राजनीतिक संगठनों अथवा उनकी कर्मभूमि स्थलों को समूल नष्ट करने में विश्वास रखते हैं। प्राचीन धर्मयुद्धों की भाँति आधुनिक हथियारों से लैस इसके कार्यकर्ता किसी को भी जान से मारने अर्थात् उसकी हत्या करने अथवा अपनी स्वयं की जान देने को एक खेल की भाँति खेलते हैं। अतिवादी इस्लामी विचारधारा से प्रभावित आतंकी संगठन अलकायदा के खिलाफ अमेरिका ने ऑपरेशन इन्डयूरिंग फ्रीडम भी चलाया था। हालांकि तालिबानी सर्वोच्च कमाण्डर ओसामा बिन लादेन को अमेरिका एबटाबाद (पाकिस्तान) में मौत के घाट उतार दिया है लेकिन इसके बावजूद आज भी तालिबान तथा अलकायदा के अवशेष सक्रिय हैं। इनकी तरफ से पाश्चात्य देशों में अनेक स्थानों पर आतंकी हमले किए जा रहे हैं जिसमें इनकी सक्रियता का आसानी से पता लगाया जा सकता है।

 

प्रश्न 3. बैंडवैगन रणनीति से आप क्या समझते हैं ? यह अपने को छुपा ले रणनीति से किस प्रकार अलग है ?

उत्तर- किसी देश को सर्वाधिक शक्तिशाली राज्य के खिलाफ रणनीति बनाने के स्थान पर उसके वर्चस्व तन्त्र में रहकर अवसरों का लाभ (फायदा) उठाने की रणनीति बैंडवैगन रणनीति’ कहलाती है। यह रणनीति अमेरिकी वर्चस्व से सम्बन्धित है। वैश्विक रणनीतिकारों हेतु हमेशा यह एक जटिल प्रश्न रहा है कि अमेरिकी वर्चस्व से किस प्रकार बचा जाए। इस सन्दर्भ में कुछ विद्वानों की मान्यता है कि अमेरिका से संघर्ष करने की अपेक्षा उसके वर्चस्व में रहकर अधिकाधिक लाभ उठाना चाहिए। उदाहरणार्थ, एक देश की आर्थिक वृद्धि दर को शिखर पर ले जाने के लिए बाजार को बढ़ाना, प्रौद्योगिकी हस्तान्तरण तथा निवेश परमावश्यक है और यह सभी अमेरिका का विरोध करके नहीं बल्कि उसके साथ रहकर बड़ी ही सरलता से पूर्ण हो सकते हैं। ” अपने को छिपा लें’ की राजनीति ‘बैंडवैगन’ की अपेक्षाकृत अलग है। इस रणनीति के अन्तर्गत एक देश स्वयं अपने आप को इस प्रकार छिपा लेता है कि वह अमेरिका की नजरों में ही न आ पाए जिससे वह अकारण ही अमेरिकी क्रोध से बचा रहता है। ‘छुपाले’ की रणनीति छोटे देशों के लिए संगत एवं आकर्षक हो सकती है लेकिन विशाल राज्यों हेतु यह कदापि कारगर सिद्ध नहीं हो सकती।

 

प्रश्न 4. अमेरिकी वर्चस्व के रास्ते में आने वाले अवरोधों को संक्षेप में समझाइए। उत्तर- 1991 में सोवियत विघटन ने हर किसी को आश्चर्य चकित कर दिया। इस घटनाचक्र से जहाँ दो महाशक्तियों में से एक का वजूद समाप्त हो गया वहीं दूसरी अपनी पूरी ताकत अर्थात् बढ़ी हुई शक्ति के साथ विश्व पटल पर कायम रही। अमेरिकी वर्चस्व के रास्ते में प्रभुत्व रूप से निम्न तीन अवरोध हैं

(1) अमेरिकी संस्थागत बनावट- अमेरिकी वर्चस्व का महत्वपूर्ण अवरोध उसकी स्वयं की संस्थागत संरचना है। अमेरिकी सरकार के तीनों ही अंग परस्पर एक-दूसरे से स्वतन्त्र हैं।

(2) उन्मुक्त समाज- अमेरिकी वर्चस्व के रास्ते में एक अन्य अवरोध अथवा व्यवधान देश का उन्मुक्त समाज है। अमेरिकी उन्मुक्त समाज में शासन के उद्देश्यों तथा प्रकारों को लेकर सदैव सन्देह व्याप्त रहता है।

(3) नाटो- वर्तमान वैश्विक पटल पर नाटो’ अमेरिकी वर्चस्व पर अंकुश लगा सकता है। अमेरिकी हित लोकतान्त्रिक देशों को ‘नाटो’ संगठन को बनाए रखने में ही निहित हैं, क्योंकि इन देशों में बाजार मूलक अर्थव्यवस्था प्रचलित है। इस बात की प्रबल सम्भावनाएँ हैं, नाटो में शामिल राज्य अमेरिकी वर्चस्व पर आगे चलकर कुछ प्रभावी अंकुश लगा सकें।

 

प्रश्न 5. अमेरिकी वर्चस्व को दर्शाने वाले किन्हीं चार रूपों को संक्षेप में लिखिए।

उत्तर- अमेरिकी वर्चस्व को दर्शाने वाले शक्ति के चार रूपों को संक्षेप में निम्न प्रकार स्पष्ट किया जा सकता है

(1) सैन्य वर्चस्व-अमेरिका की वर्तमान शक्ति का आधार स्तम्भ उसकी विपुल सैनिक शक्ति है। वर्तमान विश्व पटल पर इस इस तथ्य को नकारा नहीं जा सकता कि अमेरिका की सैन्य शक्ति किसी भी देश की अपेक्षा बेजोड़ है जो उसकी वर्चस्वता को स्थापित कराने में सहायक है।

(2) ढाँचागत वर्चस्व वैश्विक पटल पर अपनी मर्जी चलाने वाला एकमात्र देश अमेरिका है जो न केवल अपने फायदे की चीजों को बनाता है बल्कि उन्हें बरकरार भी रखता है। अमेरिका के पास इस व्यवस्था को लागू करने तथा उसे लगातार बनाए रखने की आर्थिक क्षमता विद्यमान है।

(3) सांस्कृतिक वर्चस्व – अमेरिका अपनी भाषा, साहित्य, विविध कलाओं, फिल्मों, जीवन प्रणाली तथा शैली इत्यादि को सर्वश्रेष्ठ मानते हुए उसे किसी-न-किसी प्रकार बढ़ावा (प्रोत्साहन) देता रहता है। अन्य देशों को इससे सहमत कराने की उसके पास विपुल शक्ति मौजूद है।

 

(4) आर्थिक वर्चस्व – दूसरे विश्व युद्ध के पश्चात् अमेरिका ने ब्रेटनबुड प्रणाली स्थापित थी जो वर्तमान में भी विश्व अर्थव्यवस्था की आधारभूत संरचना का कार्य कर रही है। विश्व बैंक, अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष तथा विश्व व्यापार संगठन इत्यादि अमेरिकी आर्थिक वर्चस्व का ही प्रतिफल हैं।

 

दीर्घ उत्तरीय / विश्लेषणात्मक प्रश्न

प्रश्न 1. 9/11 के पश्चात् अमेरिकी विदेश नीति में क्या बदलाव हुए तथा उनका विश्व राजनीति पर क्या प्रभाव पड़ा ?

उत्तर- 9/11 के घटनाचक्र में अरब देशों के 19 आतंकियों द्वारा अमेरिका के न्यूयार्क स्थित वर्ल्ड ट्रेड सेन्टर तथा वर्जीनिया स्थित अमेरिकी रक्षा विभाग के मुख्यालय पेंटागन पर किए गए हमले में लगभग तीन हजार लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा था । सम्पूर्ण विश्व में दहलाने वाले इस घटनाक्रम की तीव्र प्रतिक्रियाएँ हुई। अमेरिका ने जनआकांक्षाओं का सम्मान करते हुए अपनी विदेश नीति में बदलाव करते हुए कठोर कदम उठाए । तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति जार्ज डब्ल्यू बुश ने अमेरिकी हितों को लेकर कठोर रवैया अपनाते हुए आतंकवाद के खिलाफ विश्वव्यापी युद्ध की उद्घोषणा की थी। आतंकवाद के विरुद्ध विश्वव्यापी युद्ध में अमेरिका ने ऑपरेशन एन्डयूरिंग फ्रीडम का संचालन किया जिसमें आशंका के आधार पर किसी भी व्यक्ति, संगठन अथवा देश के खिलाफ कार्यवाही की जा सकती थी जो अमेरिका के विरुद्ध आतंकी गतिविधियों में संलग्न हो । अमेरिका ने देश में हुए आतंकी हमले के लिए मुख्यतया अलकायदा तथा अफगानिस्तान के तालिबानी शासन को जिम्मेदार माना। अमेरिका ने अलकायदा एवं तालिबानी शासन पर आक्रमण करने के साथ-साथ अनेक स्वतन्त्र देशों से गिरफ्तार लोगों को अलग-अलग देशों

में उन देशों की सरकारों की पूर्व अनुमति के बिना गिरफ्तारियाँ की और उनको अनेक देशों के गोपनीय कारागारों में बन्द कर दिया। इन बन्दी बनाए गए लोगों से संयुक्त राष्ट्र संघ तक के प्रतिनिधियों को मिलने की अनुमति नहीं थी। आतंकवाद से निपटने हेतु अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र संघ के साथ विविध अन्तर्राष्ट्रीय कानूनों की अवहेलना की थी। इस प्रकार उसने आतंकी गतिविधियों पर प्रभावी अंकुश लगाने के प्रयास किए। अमेरिकी आतंकी हमले के पश्चात् अन्य देशों की सरकारें भी पूर्व की अपेक्षा आतंकवाद पर अधिक ध्यान देने लगीं। हालांकि आतंकवाद कोई नई परिघटना नहीं थी बल्कि पहले भी मध्य-पूर्व यूरोप, लैटिन अमेरिका तथा दक्षिण एशिया में आतंकवाद की अनेक घटनाएँ घटित हो चुकी थीं। 9 / 11 पश्चात् अमेरिका के साथ कई देशों ने आतंकवाद के खिलाफ एक अभियान को तीव्र गति प्रदान की थी। यह घटनाक्रम अमेरिकी वर्चस्व को बढ़ाने में सहायक सिद्ध हुआ।

 

प्रश्न 2. अफगानिस्तान युद्ध तथा खाड़ी युद्ध के सन्दर्भ में एकध्रुवीय विश्व के विकास की संक्षिप्त व्याख्या कीजिए।

उत्तर- हालांकि सोवियत संघ के विघटन के बाद विश्व में दो गुटों के बीच होने वाली कड़वाहट पर विराम लगा, लेकिन द्वि- ध्रुवीय व्यवस्था के अन्त के साथ ही विश्व एकध्रुवीय व्यवस्था में परिवर्तित हो गया। एकध्रुवीय विश्व अथवा अमेरिकी वर्चस्व को निम्नलिखित घटनाओं से सरलतापूर्वक स्पष्ट किया जा सकता है

(1) पहला खाड़ी युद्ध – अमेरिकी एकाधिकार की शुरुआत पहले खाड़ी युद्ध जब उसने अपनी सैनिक शक्ति के बलबूते कुवैत को इराक से आजादी दिलाई। अगस्त 1990 में इराकी तानाशाह सद्दाम हुसैन ने अपने से छोटे पड़ौसी राष्ट्र कुवैत पर कब्जा कर लिया। अमेरिका ने कुवैत को आजाद कराने में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करते हुए विश्व के उपदेशों के लगभग 6 लाख 60 हजार सैनिकों के साथ इराक पर आक्रमण कर दिया। उल्लेखनीय है कि इस सैन्य अभियान में 75 प्रतिशत अमेरिकी सैनिक थे । इस विपुल सैन्य 1 शक्ति का इराक अधिक दिनों तक सामना नहीं कर पाया और अन्तत: उसे कुवैत को छोड़ना ही पड़ा। इस युद्ध ने विश्व को अमेरिकी सैन्य शक्ति के दर्शन करा दिए ।

(2) सूडान तथा अमेरिकी दूतावास पर प्रक्षेपास्त्र से हमला – 1998 में नैरोबी (कीनिया) तथा दारेसलाम (तंजानिया) में अमेरिकी दूतावासों पर हुए बम धमाकों का उत्तरदायी अलकायदा को माना गया। इस घटना के परिणामस्वरूप तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा अलकायदा ठिकानों पर प्रेक्षेपास्त्र हमले की अनुमति प्रदान की गई। राष्ट्रपति की आज्ञा मिलते ही अमेरिका ने सूडान एवं अफगानिस्तान में स्थित अलकायदा ठिकानों पर प्रक्षेपास्त्रों से आक्रमण कर दिया। यह घटना प्रमाणित करती है कि अमेरिका विश्व पटल पर एकमात्र महाशक्ति है।

(3) 9/11 की घटना तथा अफगानिस्तान युद्ध – 11 सितम्बर, 2001 को विश्व की एक बड़ी आतंकी घटना वर्ल्ड ट्रेड सेन्टर तथा पेटांगन पर हवाई हमले के रूप में घटित हुए जिसमें लगभग तीन हजार लोग मारे गए। इस घटना में अलकायदा सम्मिलित था। अतः अमेरिका ने जवाबी कार्यवाही करते हुए अलकायदा के गढ़ अफगानिस्तान पर हमला कर दिया। इस कार्यवाही से भी विश्व पटल पर अमेरिका एक बड़ी शक्ति बनकर उभरा।

(4) दूसरा खाड़ी युद्ध – मार्च 2003 में अमेरिका ने व्यापक विनाश के हथियारों का आरोप लगाकर इराक के खिलाफ जंग का ऐलान किया। इस युद्ध में उसने संयुक्त राष्ट्र तक की स्वीकृति नहीं ली थी। हालांकि इस युद्ध के फलस्वरूप अमेरिका ने सद्दाम सरकार को उखाड़ फेंका लेकिन वह वहाँ शान्ति स्थापित करने में असफल रहा। उक्त घटनाओं से स्पष्ट है कि विश्व तीव्रता से एकध्रुवीय हो गया है तथा कोई भी देश अब अमेरिका की बराबर शक्ति सम्पन्न नहीं है।

 

प्रश्न 3. “प्रौद्योगिकी तथा भारतीय अप्रवासी भारत-अमेरिका सम्बन्धों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।” स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- प्रौद्योगिकी का योगदान-भारत-अमेरिका सम्बन्धों में प्रौद्योगिकी का महत्वपूर्ण स्थान है, जिसे निम्न बिन्दुओं द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है

(1) सॉफ्टवेयर क्षेत्र में कुल भारतीय निर्यात का लगभग 65 प्रतिशत हिस्सा अकेले अमरिका को ही जाता है।

(2) भारत-अमेरिका के मध्य नैनो प्रौद्योगिकी, जैव प्राविधिकी तथा प्रतिरक्षा साधन के द्विपक्षीय व्यापार पर 2005 में सहमति हुई।

(3) प्राकृतिक विज्ञान, अन्तरिक्ष ऊर्जा, स्वास्थ्य एवं सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में दोनों ही देश नए अनुसंधानों को प्रोत्साहित करने हेतु बौद्धिक सम्पदा अधिकारों के न्यायाचार पर सहमत हैं।

(4) दोनों ही देश उपग्रहों का निर्माण करके उन्हें अन्तरिक्ष में स्थापित करने के कार्य को परस्पर मिलकर करने पर सहमति व्यक्त कर चुके हैं। इस प्रयोजन हेतु वैज्ञानिकों का संयुक्त कार्यकारी समूह बनाया गया है।

(5) मार्च 2006 में भारत-अमेरिका के मध्य नाभिकीय ऊर्जा सहयोग सम्बन्धी समझौता हस्ताक्षरित हुआ। भारतीय अप्रवासियों का योगदान भारत-अमेरिकी सम्बन्धों में मजबूती प्रदान कराने में अमेरिका में रह रहे भारतीय प्रवासियों का भी भारी योगदान है जिसको निम्न बिन्दुओं द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है

(1) हमारे देश के लगभग तीन लाख लोग अमेरिका की सिलिकन वैली में कार्यरत हैं।

(2) उच्च प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में 15 प्रतिशत कम्पनियों का श्रीगणेश अमेरिका में रहने वाले इन भारतीय अप्रवासियों द्वारा ही किया गया है। उक्त से स्पष्ट है कि अमेरिकी वर्चस्व युग में भारत के अमेरिका से मजबूत सम्बन्ध है जिससे हम अपनी स्वयं की प्रगति एवं विकास के नित नए द्वार खोल रहे हैं।

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