MP Board Class 12th Political Science (राजनीति शास्त्र) chapter 8 पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधन [Environment and Natural Resources] important Questions in Hindi Medium

 अध्याय 8 पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधन [Environment and Natural Resources]

 

वस्तुनिष्ठ प्रश्न  बहु विकल्पीय प्रश्न

  1. पर्यावरण सम्बन्धी मामलों ने राजनीतिक मुद्दों का स्वरूप धारण किया

(i) 1960 के दशक में

(ii) 1970 में दशक में

(iii) 1980 के दशक में

(iv) 1990 के दशक में।

 

  1. यदि पृथ्वी पर पाए जाने वाली वनस्पतियाँ समाप्त हो जाएँ तो किस गैस की कमी होगी ?

(i) नाइट्रोजन,

(ii) कार्बन डाईऑक्साइड

(iii) मीथेन

(iv) ऑक्सीजन ।

 

  1. ‘वर्ल्ड काउंसिल ऑफ इंडिजेनस पिपल’ का गठन कब हुआ ?

(i) 1975

(ii) 1978

(iii) 1992

(iv) 1998.

 

उत्तर – 1. (i), 2. (iv), 3. (i).

 

 

 

  • रिक्त स्थानों की पूर्ति
  1. समकालीन विश्व राजनीति………………………. के उपयोग से जुड़े मुद्दों से भी प्रभावित होती है।
  2. विषैली गैसों के विसर्जन से ……………………..प्रदूषण होता है।
  3. ……………………. परत में छिद्रों के कारण पृथ्वी का तापमान बढ़ रहा है।
  4. पर्यावरण………………………..आज विश्वव्यापी समस्या है।

 

उत्तर – 1. पर्यावरण एवं प्राकृतिक संसाधनों, 2. वायु, 3. ओजोन, 4. प्रदूषण।

 

  • जोड़ी मिलाइए

 

‘क’

  1. विश्व पर्यावरण दिवस
  2. पर्यावरण एवं विकास पर सं. रा. संघ रिपोर्ट

 

  1. पर्यावरण से जुड़ा अन्तर्राष्ट्रीय संगठन
  2. विश्व ओजोन दिवस

 

 

‘ख’

 

(i) अवरकॉमन फ्यूचर (हमारा संयुक्त भविष्य)

(ii) 16 सितम्बर

(iii) संयुक्त राष्ट्र संघ पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP)

(iv) 5 जून

 

उत्तर – 1. (iv), 2. (i), 3. → (iii), 4. → (ii).

 

एक शब्द / वाक्य में उत्तर

  1. जलवायु परिवर्तन से सम्बन्धित संयुक्त राष्ट्र संघ के नियमाचार को किस नाम से जाना जाता है ?
  2. रियो सम्मेलन में कितने देशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया था ?
  3. तीन ‘ज’ सम्बन्धी प्रश्न किससे सम्बन्धित है ?
  4. उत्तराखण्ड में खेल सामान बनाने वाली किस कम्पनी को ‘अंगू’ वृक्षों को काटने का ठेका दिया गया ?

 

उत्तर – 1. यूनाइटेड नेशंस फ्रेमवर्क कवेंशन ऑन क्लाइमेट चेन्ज (UNFCCC 1992), 2.170, 3. जल, जंगल तथा जमीन, 4. साइमण्ड्स कम्पनी

 

सत्य/असत्य

  1. विकासशील देशों में पिछले पाँच दशकों से पर्यावरण संरक्षण हेतु कोई कारगर कदम नहीं उठाए गए।
  2. अति अल्पसंख्यक होने के कारण किसी राज्य के मूलवासियों अथवा आदिवासियों को अन्य लोगों के समान अधिकार नहीं दिए जा सकते।
  3. भारत में मूलवासियों हेतु आदिवासी या अनुसूचित जनजाति शब्द प्रयुक्त किया जाता है।
  4. विश्व पर्यावरण दिवस 2019 की थीम ‘बीट एयर पाल्यूशन’ अर्थात् वायु प्रदूषण को हटाएँ था।
  5. पर्यावरण प्रदूषण हेतु सिर्फ औद्योगीकृत देश ही नहीं बल्कि विश्व के सभी देश एकसमान उत्तरदायी हैं।

 

उत्तर- 1. असत्य, 2. असत्य, 3. सत्य, 4. सत्य, 5. असत्य।

 

अति उत्तरीय प्रश्न लघु

 

प्रश्न 1. संयुक्त सम्पदा क्या है ? तीन उदाहरण भी दीजिए।

उत्तर- वे संसाधन जिन पर किसी एक का वास्तविक अधिकार न होकर सम्पूर्ण समुदाय का अधिकार होता है, संयुक्त सम्पदा कहलाती है। उदाहरणार्थ, चारागाह, मैदान तथा नदी।

 

प्रश्न 2. सम्पूर्ण संसार में संयुक्त सम्पदा का आकार क्यों घट रहा है ? उत्तर- निजीकरण, जनसंख्या में बढ़ोत्तरी तथा पारिस्थितिकी तन्त्र में कमी इत्यादि से

 

सम्पूर्ण संसार में संयुक्त सम्पदा का आकार घट रहा है।

प्रश्न 3. मूलवासी का अर्थ लिखिए।

 

उत्तर- जनसाधारण का वह भाग जो किसी वन प्रदेश अथवा अन्य भू-भाग में आदिकाल से रहता चला आ रहा है वह सम्बन्धित क्षेत्र का मूलावासी कहलाता है।

 

प्रश्न 4. मूलवासियों के प्रमुख निवास स्थान कहाँ-कहाँ हैं ?

उत्तर- मूलवासियों के प्रमुख निवास स्थान मध्य एवं दक्षिण अमेरिका, अफ्रीका, दक्षिण-पूर्व एशिया तथा भारत हैं।

 

प्रश्न 5. वर्ल्ड रिसोर्स इंस्टिट्यूट (डब्ल्यू. आर. आई.) के अनुसार कितने देश जल संकट का सामना कर रहे हैं ?

उत्तर- डब्ल्यू. आर. आई. द्वारा जारी नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार विश्व की जनसंख्या का लगभग एक-चौथाई हिस्सा गम्भीर जल संकट का सामना कर रहा है। पानी का गम्भीर संकट झेलने वाले देशों की संख्या 17 है।

 

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. पर्यावरण से आप क्या समझते हैं ?

उत्तर- पर्यावरण का उद्भव ‘परि’ तथा ‘आवरण’ शब्दों से मिलकर हुआ है। ‘परि’ का शाब्दिक अर्थ चारों ओर तथा ‘आवरण’ का तात्पर्य घेरा होता है अर्थात् पर्यावरण वह इकाई हो जो कि हमको चारों ओर से घेरे हुए है। प्रसिद्ध विद्वान सी. सी. पार्क ने पर्यावरण का अभिप्राय स्पष्ट करते हुए कहा है, “पर्यावरण वह समस्त परिवेश है जिससे मानव एक निश्चित समय एवं स्थान में घिरा रहता है।” पर्यावरण को परिभाषित करते हुए हम कह सकते हैं कि जीवित प्राणियों के अस्तित्व तथा जीवन को प्रभावित करने वाले सभी तत्व और कारक पर्यावरण हैं।

 

प्रश्न 2. वैश्विक पर्यावरण पर किन्हीं चार खतरों को बताइए।

उत्तर- वैश्विक पर्यावरण पर प्रमुख रूप से निम्न खतरे हैं

(1) सम्पूर्ण संसार में कृषि योग्य भूमि लगातार कम होती चली जा रही हैं तथा जो भूमि खेती लायक है उसकी उर्वरता शक्ति में ह्रास हुआ है जिसके फलस्वरूप खाद्य उत्पादन में कमी होती चली जा रही है।

(2) जलवायु को सन्तुलित करने में प्राकृतिक वन सहायक होते हैं तथा उनसे जलचक्र  सन्तुलित रहता है। इन्हीं वनों में भूमि की जैव विविधता का भण्डारण है। लेकिन वनों की अंधाधुन्ध कटाई से जैव विविधता को भारी नुकसान पहुँच रहा है।

(3) पृथ्वी के ऊपरी वायुमण्डल में ओजोन गैस की कम होती मात्रा से मानव के स्वास्थ्य एवं पारिस्थितिकी तन्त्र पर खतरे की घण्टी बजने लगी है।

(4) वैश्विक स्तर पर समुद्र तटीय क्षेत्रों पर प्रदूषण में बढ़ोत्तरी हुई है। हालांकि समुद्र का मध्यवर्ती हिस्सा अभी भी किनारों की अपेक्षाकृत साफ है लेकिन उसका तटवर्ती जल जमीनी क्रियाकलापों से लगातार प्रदूषित होता चला जा रहा है।

 

प्रश्न 3. जल प्रदूषण के लिए उत्तरदायी कारण क्या-क्या हैं ?

उत्तर- जल प्रदूषण के उत्तरदायी कारणों को संक्षेप में अग्र बिन्दुओं द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है

(1) नदियों के जल में मरे हुए जीव जन्तु, मल-मूत्र तथा कूड़ा-कचरा इत्यादि फेंके जाने से जल प्रदूषित होता है।

(2) नदी एवं तालाबों इत्यादि में डिटरजैण्ट एवं केमिकल इत्यादि से कपड़े धोने तथा  राख आदि से बर्तन साफ करने से भी जल प्रदूषण होता है।

(3) औद्योगिक इकाइयों से निकले अवशिष्टों को नदियों में ऐसे ही बहा दिया जाता है जो जल प्रदूषण हेतु उत्तरदायी कारण है।

(4) फसलों पर छिड़के गए कीटनाशक वर्षा जल के साथ नदियों एवं जलाशयों में चले जाते हैं जिससे जल प्रदूषित हो जाता है।

 

प्रश्न 4. मूलवासियों की प्रमुख माँगें लिखिए ।

उत्तर- मूलवासियों की प्रमुख माँगें निम्न प्रकार हैं

(1) विश्व में मूलवासियों के साथ समानता का व्यवहार किया जाए।

( 2 ) मूलवासियों को अपनी स्वयं की अलग पहचान रखने वाले समुदाय के रूप में जाना जाए।

(3) मूलवासियों के आर्थिक संसाधनों का अधिक दोहन नहीं किया जाना चाहिए।

(4) मूलवासियों को उनके देश के विकास का प्रत्येक लाभ मिलना चाहिए।

 

प्रश्न 5. विभिन्न देशों के सामने सबसे गम्भीर चुनौती वैश्विक पर्यावरण को आगे कोई नुकसान पहुँचाए बगैर आर्थिक विकास करने की है। यह कैसे हो सकता है ? कुछ उदाहरणों के साथ समझाइए ।

उत्तर- वर्तमान परिस्थितियों में संसार के सभी देशों के सामने पर्यावरण को सुरक्षित रखते हुए अपना आर्थिक विकास करना एक गम्भीर चुनौती है। यदि कुछ बातों का अनु किया जाए तो पर्यावरण को क्षति पहुँचाए बिना भी देश का आर्थिक विकास किया जा सकता है। उदाहरणार्थ, प्राकृतिक संसाधनों का सीमित प्रयोग, सौर ऊर्जा का ज्यादा से ज्यादा प्रयोग और वर्षा जल का संरक्षण आदि करके पर्यावरण को क्षति पहुँचाए बिना आर्थिक विकास किया जा सकता है। इसी तरह वनों का संरक्षण, भू-जल संरक्षण तथा सामाजिक वानिकी आदि को अपनाकर भी पर्यावरणीय सुरक्षा के साथ-साथ विकास के लक्ष्य को सरलतापूर्वक प्राप्त किया जा सकता है।

 

दीर्घ उत्तरीय / विश्लेषणात्मक प्रश्न

प्रश्न 1. पर्यावरण प्रदूषण के पाँच कारणों को समझाकर लिखिए।

उत्तर

पर्यावरण प्रदूषण के कारण

पर्यावरण प्रदूषण के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं

(1) नगरीकरण एवं औद्योगीकरण की जरूरतों को पूर्ण करने हेतु भारी मात्रा में वनों की कटाई पर्यावरणीय प्रदूषण का प्रमुख कारण है। ऑक्सीजन के प्रमुख वाहक पेड़ों की अंधाधुंध कटाई से भूमि की उपजाऊ क्षमता में कमी आती है तथा अनेक बीमारियों का उ होता है।

(2) कृषि के व्यापारीकरण ने भी पर्यावरणीय प्रदूषण को बढ़ाया है। रासायनिक खादों से मिट्टी की स्वाभाविक उपज पर प्रभाव पड़ता है।

(3) रासायनिक खादों, कीटनाशकों, चर्म शोधन कारखानों तथा ताप विद्युत्घरों ने भी पर्यावरणीय प्रदूषण को बढ़ाया है।

(4) पर्वतीय क्षेत्रों में अवैध खननों की वजह से घटी बंजर भूमि में परिवर्तित होने लगी  है।

(5) विशाल बाँध परियोजनाओं ने भी पर्यावरण प्रदूषण बढ़ाया है। बाँध की वजह से निचले क्षेत्र जलमग्न हो जाते हैं जिसका सीधा असर जनजीवन पर पड़ता है।

 

प्रश्न 2. वनों की कटाई का पर्यावरण पर क्या दुष्प्रभाव पड़ा है ? लिखिए।

उत्तर- वनों की कटाई का पर्यावरण पर दुष्प्रभाव वनों में तेजी से हो रही कटाई का पर्यावरण पर अत्यधिक दुष्प्रभाव पड़ा है जिसे संक्षेप में निम्नलिखित बिन्दुओं द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है (1) वनों की कटाई के कारण भू-स्खलन की घटनाओं में अभिवृद्धि हुई है।

(2) वनों की कटाई ने नदियों के तलछट में बढ़ोत्तरी की है, जिससे बाएँ एवं सूखे की आवृत्ति में वृद्धि हुई है। बाढ़ एवं सूखे की स्थिति से फसलों को भारी नुकसान होता है।

(3) वनों की कटाई की वजह से जमीन की उपजाऊ शक्ति का ह्रास होता है जिसके फलस्वरूप उत्पादन में भारी कमी होती है।

(4) वनों की कटाई की वजह से औद्योगिक क्षेत्र को कच्चे माल की कमी सताने लगती है। (5) यह वनों की कटाई का ही दुष्परिणाम है जो दिन-प्रतिदिन पशुओं के लिए चारे  (पशुओं का भोजन) में कमी आती चली जा रही है।

 

प्रश्न 3. पर्यावरण प्रदूषण के पाँच प्रकार लिखिए।

उत्तर पर्यावरण प्रदूषण के प्रकार पर्यावरण प्रदूषण के विभिन्न प्रकारों को संक्षेप में निम्न प्रकार स्पष्ट किया जा सकता हैं

(1) मिट्टी अर्थात् मृदा प्रदूषण – गन्दे पानी, उर्वरकों तथा घातक कीटनाशक पदार्थों ने जमीन की मिट्टी को इतना अधिक प्रदूषित कर दिया है कि अब पौधों की वृद्धि रुक गई है तथा उससे उत्पादित उत्पादन विषैले हो गए हैं। इस प्रदूषण ने मिट्टी को अनुपजाऊ भी बनाया है।

(2) जल-प्रदूषण- पानी में निश्चित अनुपात में खनिज कार्बनिक, अकार्बनिक पदार्थ  तथा गैसों का मिश्रण होता है। इसमें अन्य दूषित पदार्थ के मिल जाने से यह जीवनदायिनी जल प्रदूषित हो जाता है।

(3) वायु प्रदूषण- भारत में तेजी से कटे वनों तथा धुएँ ने वातावरण में ऑक्सीजन, नाइट्रोजन तथा कार्बन डाइऑक्साइड गैसों का सन्तुलन बिगाड़कर वायु को प्रदूषित कर दिया है।

(4) ध्वनि प्रदूषण- देश में विभिन्न कारखानों, वाहनों तथा ध्वनि विस्तारक यन्त्रों ने ध्वनि प्रदूषण फैलाया है। ध्वनि प्रदूषण व्यक्ति की श्रसण क्षमता को प्रभावित करने के लिए साथ-साथ अनेक बीमारियों का कारण बनता चला जा रहा है।

(5) रेडियोधर्मी तथा तापीय प्रदूषण- रेडियोधर्मी पदार्थ पर्यावरण में विभिन्न प्रकार के कण एवं किरणें पैदा करके प्रदूषण फैलाते हैं।

 

प्रश्न 4. वैश्विक पर्यावरण की सुरक्षा से जुड़े मुद्दे 1990 के दशक से विभिन्न देशों के प्राथमिक सरोकार क्यों बन गए हैं ?

उत्तर- निम्नांकित कारणों की वजह से वैश्विक पर्यावरण की सुरक्षा से जुड़े मुद्दे 1990 के दशक से विभिन्न देशों के प्राथमिक सरोकार बन गए हैं

( 1 ) पर्यावरण प्रदूषित होने से कृषि योग्य भूमि कम हो रही है।

(2) प्राकृतिक जलाशयों का जल स्तर लगातार घटता ही जा रहा है।

( 3 ) वनों की अंधा-धुन्ध कटाई के फलस्वरूप जैव विविधता को नुकसान पहुँच रहा है।

(4) ओजोन परत की क्षति से पारिस्थितिक तन्त्र तथा मानवीय स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है।

(5) समुद्रतटीय क्षेत्रों के प्रदूषण की वजह से समुद्री पर्यावरण की गुणवत्ता में भारी गिरावट में परिणाम स्वरूप समुद्री जीवों का जीवन संकट के दौर से गुजर रहा है।

Be the first to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published.


*