अध्याय 9 वैश्वीकरण [Globalisation]
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
बहु-विकल्पीय प्रश्न
- वैश्वीकरण है
(i) विश्व का मण्डलीकरण
(ii) सांस्कृतिक क्रान्ति
(iii) प्रदेश का एकीकरण
(iv) प्रादेशिकवाद ।
- निम्नांकित में वैश्वीकरण की विशेषता नहीं है
(i) अन्तर्राष्ट्रीय बाजार का प्रादुर्भाव
(ii) अन्तर्राष्ट्रीय वित्तीय लेन-देन में शिथिलता
(iii) व्यापार का तीव्रता से विकास
(iv) राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था का अन्तर्राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था से एकत्रीकरण ।
- निम्नांकित में कौन-सा देश वैश्वीकरण में प्रथम स्थान पर है ?
(i) जापान
(ii) आयरलैण्ड
(iii) अमेरिका
(iv) स्विट्जरलैण्ड ।
- वैश्वीकरण निम्नांकित में से क्या है ?
(i) पूँजी का प्रवाह
(ii) वस्तुओं का प्रवाह
(iii) विचारों का प्रवाह
(iv) उक्त सभी ।
- वैश्वीकरण निम्नांकित में से किस विचारधारा पर आधारित है ?
(i) अराजकतावाद
(ii) समाजवाद
(iii) उदारवाद
(iv) साम्यवाद ।
- “भूमण्डलीकरण (वैश्वीकरण) समय एवं दूरी को मिटाता है।” उक्त कथन किसका है ?
(i) डी. हारवे
(ii) आई. वालरस्टीन
(iii) आर. राबर्ट्सन
(iv) जे. ए. शोल्टे ।
- निम्नांकित में कौन वैश्वीकरण का विरोध नहीं करता है ?
(i) वर्ल्ड सोशल फोरम
(ii) इण्डियन सोशल फोरम
(iii) बहुराष्ट्रीय निगम
(iv) वामपंथी कार्यकर्ता ।
- वर्ल्ड सोशल फोरम में कौन सम्मिलित है ?
(i) मानवाधिकार कार्यकर्त्ता
(ii) पर्यावरणवादी
(iii) मजदूर एवं युवा
(iv) उक्त सभी ।
उत्तर – 1. (i), 2. (ii), 3. (iv), 4. (iv), 5. (iii), 6. (i), 7. (iii), 8. (iv).
- रिक्त स्थानों की पूर्ति
1…………………………साम्राज्यवाद के दलाल हैं, जो जनता को भरमाते – बरगलाते हुए भ्रष्ट करते हैं।
- वैश्वीकरण का आधारभूत…………………………… है।
- वैश्वीकरण का एक सुदृढ़……………………….है।
- भारत में वैश्वीकरण का……………………….दक्षिणपंथियों द्वारा किया गया।
उत्तर – 1. एन.जी.ओ., 2. प्रवाह, 3. ऐतिहासिक आधार, 4. विरोध।
जोड़ी मिलाइए
‘क’
- वैश्विक ग्राम का निर्माण
- वैश्वीकरण के समक्ष चुनौतियाँ
- नव उदारवादी वैश्वीकरण का विरोध
- वर्ल्ड सोशल फोरम की प्रथम बैठक 2001
- वर्ल्ड सोशल फोरम की भारत में बैठक 2004
‘ख’
(i) प्रतियोगिता बनाए रखना
(ii) मुम्बई में चौथी बैठक
(iii) पोर्टो अलगेरे (ब्राजील)
(iv) वैश्वीकरण
(v) वर्ल्ड सोशल फोरम
उत्तर – 1. → (iv), 2. → (i), 3. → (v), 4. → (iii), 5. → (ii).
एक शब्द/वाक्य में उत्तर
- वैश्वीकरण के विरोध में स्थापित हुई किसी अन्तर्राष्ट्रीय संस्था का नाम लिखिए।
- 16 वीं ‘वर्ल्ड सोशल फोरम’ बैठक 13-17 मार्च, 2018 को कहाँ हुई ?
- 50 वीं “वर्ल्ड इकानोमी फोरम” कब एवं कहाँ हुई ?
उत्तर- 1. वर्ल्ड सोशल फोरम (विश्व सामाजिक मंच), 2. सल्वाडोर (ब्राजील), 3.21-24 जनवरी, 2020 को दावोस (स्विटजरलैण्ड) में हुई।
- सत्य/ असत्य
- वैश्वीकरण के लक्ष्य को हासिल करने हेतु पारदर्शित करे
- वैश्वीकरण से रोके अवसर कम हो जाते हैं।
- वैश्वीकरण के कारण विकासशील देश उल्लेखनीय कीर्तिमान स्थापित कर
- वैश्वीकरण में पूरा विश्व बँट जाता है।
- वैश्वीकरण एक बहुआयाम परिघटना है।
- देश तथा समाजों पर वैश्वीकरण का प्रभाव विषय रहा है।
- करण का सम्बन्ध विश्वव्यापी पारस्परिक जुड़ाव से है।
उत्तर- 1. सत्य, 2. असत्य 3. असत्य 4. असत्य 5.सत्य 6.सत्य 7.सत्य
अति लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. वैश्वीकरण में किसका कोई महत्व नहीं है ?
उत्तर- वैश्वीकरण में भौगोलिक अथवा आर्थिक पृथक्करण का कोई
प्रश्न 2. वर्तमान में वैश्वीकरण के समक्ष कौन-सी चुनौतियाँ है?
उत्तर- वर्तमान में वैश्वीकरण के समक्ष चार प्रकारको प्रयोगब रखना सरकार एवं व्यापार नियमन, अन्तराष्ट्रय परिप्रेक्ष्य का विकास करन को व्यक्ति करना है।
प्रश्न 3. वैश्वीकरण में कौन-सा देश दूसरे एवं तीसरे स्थान पर है?
उत्तर- क्रमश: जापान एवं फिनलैण्ड
प्रश्न 4. वैश्वीकरण के उत्तरदायी कोई दो कारण लिखिए।
अथवा
वैश्वीकरण को प्रेरित करने वाली दो परिस्थितियाँ लिखिए।
उत्तर-(1) प्रौद्योगिकों में हुए विकास तथा (2) जनसाधारणको पारस्परिक जुड़ाव का बढ़ा
प्रश्न 5. वैश्वीकरण की प्रक्रिया में विश्व में कल्याणकारी राज्य को धारणा का स्थान किस धारणा मे ले लिया है ?
उत्तर- न्यूनतम हस्तक्षेपकारों राज्य।
प्रश्न 6. वैश्वीकरण के मध्यमार्गी समर्थकों का क्या अभिमत है ?
उत्तर- वैश्वीकरण ने चुनौतियाँ प्रस्तुत की हैं जिनका सावधानीपूर्वक पूरी समझदारी से सामान्य करना चाहिए।
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. वैश्वीकरण अथवा भूमण्डलीकरण से आप क्या समझते हैं ?
अथवा
वैश्वीकरण क्या है ?
उत्तर- जब कोई देश विश्व के विभिन्न राष्ट्रों के साथ वस्तु, सेवा, पूँजी एवं बौद्धिक सम्पदा का किसी प्रतिबन्ध के बिना परस्पर आदान-प्रदान करता है तो इसे वैश्वीकरण अथवा भूमण्डलीकरण की संज्ञा दी जाती है। वैश्वीकरण तभी सम्भव है जब परस्पर ऐसे आदान-प्रदान के दौरान किसी भी देश द्वारा कोई रुकावट पैदा न की जाए और इस प्रक्रिया को कोई ऐसी अन्तर्राष्ट्रीय संस्था संचालित करे जिसमें सभी देशों का अटूट विश्वास हो तथा जो सभी की अनुमति से नीति निर्धारक सिद्धान्तों का प्रतिपादन करे। जब सभी देश एक समान नियमों में बँधकर अपने व्यापार एवं निवेश का संचालन करते हैं तो स्वाभाविक रूप से एक ही धारा प्रभावित होती है और यही वैश्वीकरण है। वैश्वीकरण को स्पष्ट करते हुए वैयलिस एवं स्मिथ ने कहा है कि “वैश्वीकरण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें सामाजिक सम्बन्ध अपेक्षाकृत दूरी रहित तथा सीमा रहित बन जाते हैं।” एडवर्ड एस. हरमन के शब्दों में, “वैश्वीकरण विभिन्न राष्ट्रों की सीमाओं के आर-पार प्रबन्धकीय विस्तार की क्रियाशील प्रक्रिया है। ”
प्रश्न 2. वैश्वीकरण की कोई चार विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर – वैश्वीकरण की प्रमुख विशेषताएँ निम्नवत् हैं (1) वैश्वीकरण से अन्तर्राष्ट्रीय वित्तीय क्रियाकलाप तीव्र हो जाते हैं।
(2) व्यापार का तेजी से विकास होने की वजह से इसमें बहुराष्ट्रीय निगमों का अधिकार विकास होता है।
(3) राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के विश्व अर्थव्यवस्था के साथ एकीकृत होने की वजह से भौगोलिक एवं राजनीतिक गतिरोध समाप्त हो जाते हैं।
(4) ) वैश्वीकरण की एक अन्य विशेषता यह है कि इसमें अन्तर्राष्ट्रीय बाजार का प्रादुर्भाव होता है।
प्रश्न 3. वैश्वीकरण अथवा भूमण्डलीकरण के उदय के कारण लिखिए।
उत्तर – वैश्वीकरण (भूमण्डलीकरण) के उदय के प्रमुख कारण निम्नांकित हैं (1) वैश्वीकरण के उदय का मुख्य कारण युद्ध की समभावनाओं का कम करना था।
(2) वैश्वीकरण के उदय का एक कारण राष्ट्रों के अलगाववाद को खत्म करके उन्हें विश्व व्यवस्था में सक्रिय करना था।
(3) पर्यावरण सन्तुलन को निरन्तर कायम रखना भी वैश्वीकरण के उदय का कारण रहा है।
(4) वैश्वीकरण के उदय का एक अन्य कारण ऐसी आर्थिक व्यवस्था की स्थापना करना रहा जिसमें निर्धनता को कम किया जा सके।
प्रश्न 4. वैश्वीकरण ( भूमण्डलीकरण) से होने वाले कोई दो लाभ एवं दो हानि लिखिए।
उत्तर – वैश्वीकरण (भूमण्डलीकरण) से होने वाले दो लाभ निम्न प्रकार हैं
(1) इससे आर्थिक क्षेत्र में प्रतिस्पर्द्धा बढ़ती है जिसके फलस्वरूप वस्तुओं की कीमतें कम हो जाती हैं।
(2) वैश्वीकरण से देश को विदेशी पूँजी मिलती है जिससे आर्थिक प्रगति की गति तीव्र होती है।
वैश्वीकरण से होने वाली दो हानि निम्न प्रकार हैं
(1) वैश्वीकरण से पूँजीवाद को प्रोत्साहन मिलता है।
(2) बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ पूरी तरह से मशीनीकृत होती हैं, जिसके परिणामस्वरूप देश में रोजगार के अवसर कम होने लगते हैं।
प्रश्न 5. वैश्वीकरण के समक्ष चार चुनौतियाँ लिखिए।
उत्तर – वैश्वीकरण के समक्ष निम्नलिखित चुनौतियाँ हैं
(1) वैश्वीकरण के दौरान प्रत्येक देश हेतु यह परमावश्यक है कि वह प्रतियोगिता एवं प्रतिस्पर्द्धा को बनाए रखे।
(2) विभिन्न विकासशील देशों में स्वदेशी के नाम पर राजनीति की जाती है जो वैश्वीकरण के समक्ष एक कड़ी चुनौती पेश करती है।
(3) विविधता वैश्वीकरण का परिणाम है तथा इसे कुशलता से व्यवस्थित करना कड़ी चुनौती है।
(4) वैश्वीकरण के समक्ष एक अन्य चुनौती अन्तर्राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य का विकास करना भी है।
प्रश्न 6. वैश्वीकरण में प्रौद्योगिकी का क्या योगदान है ?
उत्तर- प्रौद्योगिकी का वैश्वीकरण में अत्यधिक योगदान है। सर्वविदित है कि वैश्वीकरण का मुख्य कारण प्रौद्योगिकी ही है। 1990 के दशक में आयी प्रौद्योगिकी क्रान्ति ने सम्पूर्ण संचार को एक छोटा-सा गाँव बनाने में निर्णायक भूमिका का निर्वहन किया है। दूरसंचार के आधुनिक संसाधनों ने विश्व को एकाकार कर दिया है। आज प्रौद्योगिकी की वजह से ही संसार के अनेक हिस्सों में विचार, पूँजी तथा वस्तुओं की आवाजाही आसान हुई है। इससे स्पष्ट है कि वैश्वीकरण में प्रौद्योगिकी अत्यधिक योगदान है।
प्रश्न 7. विश्वव्यापी ‘पारस्परिक जुड़ाव’ क्या है ? इसके कौन-कौन से घटक हैं ?
उत्तर – विश्वव्यापी ‘ पारस्परिक जुडाव’ का तात्पर्य वैश्विक स्तर पर अधिकांश लोगों का विविध पक्षों से सम्बद्ध होना है। वैश्वीकरण के फलस्वरूप ही संसार के एक कोने से दूसरे कोने तक विचारों का आदान-प्रदान हो पा रहा है। इसी प्रकार किसी देश विशेष की पूँजी का अनेक देशों में प्रवाह हो पा रहा है। किसी देश विशेष की वस्तुओं का अनेक देश में पहुँचना तथा उच्च जीवन स्तर की खोज में अन्य देशों में जाकर रहना आदि विश्व के पारस्पारिक जुड़ाव के अन्तर्गत ही आते हैं। विश्वव्यापी पारस्परिक जुड़ाव के प्रमुख घटक राजनीतिक, आर्थिक एवं सांस्कृतिक
प्रश्न 8. वैश्वीकरण ने भारत को कैसे प्रभावित किया है और भारत कैसे वैश्वीकरण को प्रभावित कर रहा है ?
उत्तर – वैश्वीकरण ने भारत को निम्न प्रकार प्रभावित किया है
(1) भारत में 1991 से वैश्वीकरण तीव्र हो गया है।
( 2 ) वैश्वीकरण की वजह से भारत की वित्तीय स्थिति में सुधार हुआ है।
(3) भारत की आर्थिक वृद्धि दर तथा विदेशी निवेश में बढ़ोतरी हुई है।
भारत का वैश्वीकरण पर निम्न प्रभाव पड़ा है
(1) भारत में वैश्वीकरण के विरोध हेतु ‘इण्डियन सोशल मंच’ का गठन किया गया।
(2) औद्योगिक श्रमिकों एवं किसान संगठनों ने बहुराष्ट्रीय निगमों का विरोध किया। (3) कुछ भारतीय वस्तुओं के पेटेण्ट का भी विरोध किया गया है।
दीर्घ उत्तरीय / विश्लेषणात्मक प्रश्न
प्रश्न 1. वैश्वीकरण के गुण-दोषों को समझाकर लिखिए।
उत्तर वैश्वीकरण के गुण 20वीं सदी के अन्तिम चौथाई दशक में विकसित वैश्वीकरण की अवधारणा में मुख्य रूप में निम्नलिखित गुण विद्यमान हैं
(1) यह अवधारणा आर्थिक क्षेत्र में प्रतिस्पर्द्धा को बढ़ाकर वस्तुओं के मूल्य कम कराने में सहायक सिद्ध होती है जिससे आम उपभोक्ता को अधिकाधिक फायदा पहुँचता है।
(2) वैश्वीकरण की वजह से एक ही वस्तु के विभिन्न उत्पादक मैदान में कूद पड़ते हैं जिससे उपभोक्ताओं को विभिन्न विकल्पों में से श्रेष्ठ उत्पाद चुनने की आजादी मिल जाती है।
(3) प्रतिस्पर्द्धा के वजह से देश में उपलब्ध आर्थिक संसाधनों का भली-भाँति उपयोग हो जाता है जिसके फलस्वरूप आर्थिक प्रगति की गति में तेजी आ जाती है।
(4) वैश्वीकरण का एक गुण यह भी है कि इसमें राष्ट्रीय उद्योगों की वैदेशिक सम्बद्धता में बढ़ोत्तरी होती है जिससे अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार बढ़ाने में मदद मिलती है ।
वैश्वीकरण के दोष अथवा अवगुण
वैश्वीकरण के अवगुणों अथवा दोषों को संक्षेप में निम्न प्रकार स्पष्ट किया जा सकता
(1) वैश्वीकरण को अपनाने से पूँजीवाद को बढ़ावा मिलता है।
(2) वैश्वीकरण में मूलभूत उद्योगों के स्थान पर उपभोक्ता वस्तुओं से सम्बद्ध उद्योगों को ज्यादा महत्व दिया जाता है।
(3) विदेशी प्रतिस्पर्द्धा में हिस्सेदारी करने की वजह से राष्ट्रीय प्राथमिकताओं को काफी नुकसान पहुँचता है।
(4) चूँकि आर्थिक असमानता को पनपाने में वैश्वीकरण का महत्वपूर्ण योगदान रहता है, अत: इससे अमीर एवं गरीब के बीच और अधिक दूरी बनती चली जाती है।
प्रश्न 2. वैश्वीकरण प्रतिरोध के प्रमुख कारणों की विवेचना कीजिए ।
उत्तर
वैश्वीकरण प्रतिरोध के कारण
वैश्वीकरण का प्रतिरोध प्रमुख रूप से निम्न कारणों की वजह से हो रहा है
(1) वैश्विक पूँजीवाद की विशेष अवस्था वैश्वीकरण से धनिक और धनवान तथा गरीब और अधिक निर्धन होता चला जा रहा है, अतः वैश्वीकरण का प्रतिरोध किया जा रहा है।
(2) वैश्वीकरण में राज्य की शक्ति कम होती है तथा उसके कमजोर होने से गरीबों के हितों की रक्षा करने की उसकी क्षमता में कमी आती है। इसी प्रकार राजनीतिक दृष्टिकोण से भी वैश्वीकरण राज्य को कमजोर कर रहा है, अतः उसका प्रतिरोध होने लगा।
( 3 ) वैश्वीकरण से परम्परागत संस्कृति को नुकसान पहुँचा तथा लोग अपनी शताब्दियों पुराने जीवन-मूल्य एवं तौर तरीकों से दूर जाने लगे अतः वैश्वीकरण के प्रतिरोध के स्वर मुखर होने लगे।
(4) विकासशील देशों में वैश्वीकरण के चलते बहुराष्ट्रीय कम्पनियों की एकाधिकारवादी प्रवृत्ति बढ़ती ही जा रही है।
( 5 ) वैश्वीकरण स्वाभाविक रूप से स्वीकृत प्रक्रिया न होकर प्रभुत्ता सम्पन्न राज्यों द्वारा कमजोर राष्ट्रों पर जबरन लादी जा रही है क्योंकि विकसित देशों को अपने लिए बाजारों की जरूरत है।
(6) वैश्वीकरण प्रक्रिया का लाभ अधिकांश लोगों तक नहीं पहुँचा। इससे आर्थिक असमानता को प्रोत्साहन मिला और तृतीय विश्व के देशों में निर्धनता का ग्राफ बढ़ा।
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