अध्याय 2 वन एवं वन्य जीव संसाधन
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
बहु-विकल्पीय प्रश्न
- इनमें से कौन-सा संरक्षण तरीका समुदायों की सीधी भागीदारी नहीं करता ?
(i) संयुक्त वन प्रबन्धन
(ii) चिपको आन्दोलन
(iii) बीज बचाओ आन्दोलन
(iv) वन्य जीव पशु विहार का परिसीमन ।
- जैव विविधता के संदर्भ में भारत में विश्व की कितने प्रतिशत जैव उपजातियाँ पाई जाती हैं ?
(i) 4 प्रतिशत
(ii) 6 प्रतिशत
(iii) 8 प्रतिशत
(iv) 10 प्रतिशत ।
- भारत में कितने प्रतिशत स्तनधारियों के लुप्त होने का खतरा है ?
( i ) 20 प्रतिशत
(ii) 15 प्रतिशत
(iii) 10 प्रतिशत
(iv) 5 प्रतिशत ।
- चीता किस गति से दौड़ सकता है ?
(i) 80 किमी प्रति घंटा
(ii) 90 किमी प्रति घंटा
(iii) 112 किमी प्रति घंटा
(iv) 100 किमी प्रति घंटा ।
- इनमें से कौन-सी टिप्पणी प्राकृतिक वनस्पतिजात और प्राणिजात के ह्रास का सही कारण नहीं है ?
(i) कृषि प्रसार
(ii) बृहत स्तरीय विकास परियोजनाएँ
(iii) पशुचारण और ईंधन लकड़ी एकत्रित करना
(iv) तीव्र औद्योगीकरण और शहरीकरण ।
- भारत में वन्य जीव सुरक्षा अधिनियम कब पारित हुआ ?
(i) 1972
(ii) 1971
(iii) 1970
(iv) 1968.
- स्थायी वनों का सर्वाधिक क्षेत्र किस प्रदेश में है ?
(i) राजस्थान
(ii) मध्य प्रदेश
(iii) ओडिशा
(iv) पश्चिम बंगाल।
- स्टेट ऑफ फोरेस्ट रिपोर्ट (2015) के अनुसार देश के कुल कितने प्रतिशत क्षेत्रफल पर हैं ?
(i) 40.8 प्रतिशत
(ii) 30-8 प्रतिशत
(iii) 24-16 प्रतिशत
(iv) 15-5 प्रतिशत।
- ‘प्रोजेक्ट टाइगर’ परियोजना कब प्रारम्भ हुई ?
(i) 1970
(ii) 1973
(iii) 1976
(iv) 1980.
- 1951 से 1980 के बीच भारत में कितने वर्ग किमी. वन क्षेत्र कृषि भूमि में परिवर्तन हुआ ?
(i) लगभग 40 लाख वर्ग किमी
(iii) लगभग 26 लाख वर्ग किमी
(ii) लगभग 35 लाख वर्ग किमी
(iv) लगभग 17 लाख वर्ग किमी ।
उत्तर – 1. (iv), 2. (iii), 3. (i), 4. (iii), 5. (iii), 6. (i), 7. (ii), 8. (iii), 9. (ii) 10. (iii).
रिक्त स्थानों की पूर्ति
- भारत में विश्व की सारी जैव उपजातियों की………..प्रतिशत संख्या पाई जाती है।
- भारत में 10 प्रतिशत वन्य वनस्पतिजात और 20 प्रतिशत ………….के लुप्त होने का खतरा है।
- वन…………. उत्पादक हैं जिन पर दूसरे सभी जीव निर्भर करते हैं।
- देश में आधे से अधिक वन क्षेत्र ………. घोषित किए गए हैं।
- अमेरिकी नागरिक का औसत संसाधन उपभोग एक सोमाली नागरिक के औसत उपभोग से …………गुना ज्यादा है।
- पश्चिम बंगाल में………..डोलोमाइट के खनन के कारण गम्भीर खतरे में है।
उत्तर- 1.8, 2. स्तनधारियों, 3. प्राथमिक, 4. आरक्षित वन, 5.40, 6. बक्सा टाइगर रिजर्व |
- सत्य/असत्य
- 1952 से नदी घाटी परियोजनाओं के कारण वन क्षेत्रों को साफ करना पड़ा है।
- मध्य प्रदेश में स्थायी वनों के अन्तर्गत सर्वाधिक वन क्षेत्र है।
- भारतीय वन्य जीव रक्षण अधिनियम, 1965 में लागू किया गया।
- वन्य जीव और कृषि फसल उपजातियों में अत्यधिक जैव विविधताएँ पाई जाती हैं।
- सुभेद्य जातियों में चीता और गुलाबी सिर वाली बत्तख आती हैं।
- वनों और वन्य जीवन का विनाश मात्र जीव विज्ञान का विषय है।
उत्तर – 1. सत्य, 2. सत्य, 3. असत्य, 4. सत्य, 5. असत्य, 6. असत्य।
- सही जोड़ी बनाइए
(I) ‘अ’
- काला हिरण
- एशियाई हाथी
- अंडमान जंगली सुअर
- हिमालयन भूरा भालू
- गुलाबी सिर वाली बत्तख
‘ब’
(क) लुप्त
(ख) दुर्लभ
(ग) संकटग्रस्त
(घ) सुभेद्य
(ङ) स्थानिक
उत्तर – 1. (ग), 2. → (घ), 3. → (ङ), 4. (ख), 5. → (क) ।
(II) ”अ”
- बक्सा टाइगर रिजर्व
- हिमालय यव
- कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान
- बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान
- पेरियार
‘ब’
(क) उत्तराखण्ड
(ख) मध्य प्रदेश
(ग) केरल
(घ) पश्चिम बंगाल
(ङ) औषधीय पौधा
उत्तर- 1. (घ), 2. → (ङ), 3. → (क), 4. (ख) 5. → (ग) ।
एक शब्द / वाक्य में उत्तर
- मानस बाघ रिजर्व कहाँ स्थित है ?
- सुंदरवन राष्ट्रीय उद्यान किस राज्य में है ?
- स्थाई वनों का सर्वाधिक क्षेत्र किस प्रदेश में है ?
- वृक्षारोपण को प्रोत्साहन देने का कार्यक्रम प्रमुख रूप से कौन-सा है ?
- सरिस्का वन्य जीव पशु विहार किस राज्य में स्थित है ?
उत्तर – 1. असम, 2. पश्चिम बंगाल, 3. मध्य प्रदेश, 4. सामाजिक वानिकी, 5. राजस्थान ।
अति लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. आरक्षित वन क्या हैं ?
उत्तर- देश के आधे से अधिक वन क्षेत्र आरक्षित वन घोषित किए गए हैं। जहाँ तक वन और वन्य प्राणियों के संरक्षण की बात है, आरक्षित वनों को सबसे अधिक मूल्यवान माना जाता है।
प्रश्न 2. रक्षित वन किन-किन राज्यों में हैं ?
उत्तर- बिहार, हरियाणा, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, ओडिशा और राजस्थान में कुल वनों में रक्षित वनों
का एक बड़ा अनुपात है।
प्रश्न 3. मनुष्य के जीवित रहने के लिए पारितन्त्र का संरक्षण क्यों आवश्यक है ?
उत्तर- पारितंत्र के अन्तर्गत आने वाले पौधों तथा जीव-जन्तुओं में गहरा सम्बन्ध होता है। मानव भी अपने अस्तित्व एवं विकास के लिए पारितन्त्र के जीव-जन्तुओं और वनस्पति पर आश्रित हो जाता है। पारितन्त्र से छेड़छाड़ करने से अत्यन्त गम्भीर परिणाम हो सकते हैं। अतः पारितन्त्र का संरक्षण आवश्यक है।
प्रश्न 4. पेड़ के विषय में गौतम बुद्ध ने क्या कहा था ?
उत्तर- “पेड़ एक विशेष असीमित दयालु और उदारपूर्ण जीवधारी है जो अपने सतत् पोषण के लिए कोई माँग नहीं करता और दानशीलतापूर्वक अपने जीवन की क्रियाओं को भेंट करता है। यह सभी की रक्षा करता है और स्वयं पर कुल्हाड़ी चलाने वाले विनाशक को भी छाया प्रदान करता है। “
प्रश्न 5. पारिस्थितिक तंत्र से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर- भौतिक पर्यावरण और उसमें रहने वाले जीवों के सम्मिलित रूप को पारिस्थितिक तन्त्र या पारितन्त्र कहते हैं।
प्रश्न 6. अभ्यारण्य किसे कहते हैं ?
उत्तर- अभ्यारण्य राष्ट्रीय उद्यानों के समान ही होते हैं। ये वन्य प्राणियों को संरक्षित और प्रजातियों को सुरक्षित करने के लिए प्राकृतिक स्थल हैं। यहाँ बिना अनुमति के शिकार करना मना होता है।
प्रश्न 7. केन्द्रीय वन आयोग क्या है ?
उत्तर- केन्द्र सरकार 1965 में केन्द्रीय वन आयोग की स्थापना की। इसका कार्य आँकड़े व सूचनाएँ एकत्रित करना, तकनीकी सूचनाओं को प्रसारित करना, बाजारों का अध्ययन करना और वन विकास में लगी संस्थाओं के कार्यों को समन्वित करना है।
प्रश्न 8. वनों की बर्बादी में खनन ने भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उदाहरण दीजिए।
उत्तर-पश्चिम बंगाल में बक्सा टाइगर रिजर्व डोलोमाइट के खनन के कारण गंभीर खतरे में है।
प्रश्न 9. प्राकृतिक वनस्पति से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर प्राकृतिक रूप से मानव के हस्तक्षेप के बिना उगने वाले पेड़-पौधों को प्राकृतिक वनस्पति कहते हैं।
प्रश्न 10. उन वन्य प्राणियों के नाम लिखिए जो अब विलुप्त होने के कगार पर हैं ?
उत्तर- काला हिरण, मगरमच्छ, भारतीय जंगली गधा, गैंडा, शेर-पूँछ वाला बन्दर, संगाई ( मणिपुरी हिरण) आदि वन्य प्राणी अब विलुप्त होने के कगार पर हैं।
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. जैव विविधता क्या है ? यह मानव जीवन के लिए क्यों महत्त्वपूर्ण है ?
उत्तर- जैव विविधता में अनेक प्रकार के पेड़-पौधे, जीव-जन्तु तथा मनुष्य की अनेक जातियाँ एवं उपजातियाँ पायी जाती हैं। अर्थात् विविध प्रकार के वन एवं जीव-जन्तु की उपस्थिति को जैव विविधता कहा जाता है। जैव विविधता के कारण मानव को अनेक प्रकार की आवश्यकता की वस्तुएँ प्राप्त होती हैं जिससे उनका अस्तित्व पृथ्वी पर बना हुआ है। अतः जैव विविधता मानव जीवन के लिए अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है।
प्रश्न 2. भारत में जैव विविधता को कम करने वाले कारकों को बताइए।
उत्तर – (1) भारत में जैव विविधता को कम करने वाले कारकों में वन्य जीवों के आवास का विनाश, जंगली जानवरों को मारना व आखेटन, पर्यावरणीय प्रदूषण व विषाक्तिकरण और दावानल आदि शामिल हैं।
(2) पर्यावरण विनाश के अन्य मुख्य कारकों में संसाधनों का असमान वितरण व उनका असमान उपभोग और पर्यावरण के रख-रखाव की जिम्मेदारी में असमानता शामिल हैं।
(3) आमतौर पर विकासशील राष्ट्रों में पर्यावरण विनाश का मुख्य दोषी अत्यधिक जनसंख्या को माना
ता है।
प्रश्न 3. भारत में बाघ संरक्षण परियोजनाओं के प्रमुख उदाहरण दीजिए।
उत्तर- उत्तराखण्ड -कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान
मध्य प्रदेश-बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान
राजस्थान-सरिस्का वन्य जीव पशुविहार
पश्चिम बंगाल – सुंदरवन राष्ट्रीय उद्यान
केरल- पेरियार बाघ रिजर्व
असम – मानस बाघ रिवर्ज
प्रश्न 4. भारत में वनों को कितने वर्गों में बाँटा गया है ?
उत्तर – भारत में वनों को निम्नलिखित वर्गों में बाँटा गया है
(i) आरक्षित वन अति लघु उत्तरीय प्रश्न 1 का उत्तर देखें।
(ii) रक्षित वन-वन विभाग के अनुसार भारत के कुल वन क्षेत्र का एक-तिहाई भाग रक्षित है। इन वनों को और अधिक नष्ट होने से बचाने के लिए इनकी सुरक्षा की जाती है।
(iii) अवर्गीकृत वन- अन्य सभी प्रकार के वन और बंजर भूमि जो सरकार, व्यक्तियों और समुदाय के स्वामित्व में होते हैं, अवर्गीकृत वन कहे जाते हैं।
आरक्षित और रक्षित वन ऐसे स्थायी वन क्षेत्र हैं जिनका रख-रखाव इमारती लकड़ी, अन्य वन पदार्थों और उनके बचाव के लिए किया जाता है।
प्रश्न 5. “वन पर्यावरण के महत्त्वपूर्ण अंग हैं।” इस कथन को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- वनों एवं पर्यावरण में घनिष्ठ सम्बन्ध है। यह निम्न तथ्यों से स्पष्ट है
(1) वन वायुमण्डल को शुद्ध रखते हैं और वायु प्रदूषण को कम करते हैं।
(2) वन वायुमण्डल को ऑक्सीजन प्रदान करते हैं।
(3) वन वायु के तापमान को बनाये रखते हैं जिससे वर्षा होती है।
(4) वन जलवायु को सम रखते हैं।होती है।
(5) वन जल के बहाव को रोकते हैं, जिससे भूमि का कटाव रुक जाता है तथा भूगर्भीय जल में वृद्धि कीजिए।
प्रश्न 6. मानव और दूसरे जीवधारी पारिस्थितिकी तंत्र में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। स्पष्ट
उत्तर- मानव और दूसरे जीवधारी एक जटिल पारिस्थितिक तंत्र का निर्माण करते हैं, जिसका हम मात्र एक हिस्सा हैं और अपने अस्तित्व के लिए इसके विभिन्न तत्त्वों पर निर्भर करते हैं। उदाहरणतया, वायु जिसमें हम साँस लेते हैं, जल जिसे हम पीते हैं और मृदा जो अनाज पैदा करती है, जिसके बिना हम जीवित नहीं रह सकते, पौधे, पशु और सूक्ष्मजीवी इनका पुनः सृजन करते हैं। वन पारिस्थितिक तंत्र में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं क्योंकि ये प्राथमिक उत्पादक हैं जिन पर दूसरे सभी जीव निर्भर करते हैं।
प्रश्न 7. “हिमालय यव (Yew) संकट में” इस कथन पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए।
उत्तर- (1) हिमालय यव (चीड़ की प्रकार का सदाबहार वृक्ष) एक औषधीय पौधा है। यह हिमाचल प्रदेश और अरुणाचल प्रदेश के कई क्षेत्रों में पाया जाता है।
(2) इस पेड़ की छाल, पत्तियों, टहनियों और जड़ों से टैक्सोल (taxol) नामक रसायन निकाला जाता है तथा इसे कैंसर रोग के उपचार में प्रयोग किया जाता है।
(3) इस वृक्ष से निर्मित दवाई संसार में सबसे अधिक बिकने वाली कैंसर की दवाई है।
(4) इसके अत्यधिक निष्कासन से इस वनस्पति जाति को खतरा उत्पन्न हो गया है। पिछले एक दशक में हिमाचल प्रदेश और अरुणाचल प्रदेश में विभिन्न क्षेत्रों में यव के हजारों वृक्ष नष्ट हो गए हैं।
प्रश्न 8. ‘एशियाई चीते’ के बारे में बताइए व इनके लुप्त होने के प्रमुख कारण बताइए।
उत्तर-(1) भूमि पर रहने वाला विश्व का सबसे तेज स्तनधारी प्राणी चीता, बिल्ली परिवार का एक अजूबा और विशिष्ट सदस्य है।
(2) यह 112 किमी प्रति घंटा की गति से दौड़ सकता है।
(3) बीसवीं शताब्दी से पहले चीते अफ्रीका और एशिया में दूर-दूर तक फैले हुए थे।
(4) चीते की विशेष पहचान उसकी आँख के कोने से मुँह तक नाक के दोनों ओर फैली आँसुओं के नकीरनुमा निशान हैं।
(5) इनके आवासीय क्षेत्र और शिकार की उपलब्धता कम होने से ये लगभग लुप्त हो चुके हैं।
(6) भारत में तो यह जाति 1952 में लुप्त घोषित कर दी गई थी।
दीर्घ उत्तरीय / विश्लेषणात्मक प्रश्न
प्रश्न 1. विस्तारपूर्वक बताएँ कि मानव क्रियाएँ किस प्रकार प्राकृतिक वनस्पतिजात और प्राणि प्राणिजात के ह्रास के कारक हैं
उत्तर- मानव क्रियाएँ निम्न प्रकार प्राकृतिक वनस्पतिजात और प्राणिजात के ह्रास के कारक हैं
(1) मानव ने अपने जीवन यापन के लिए वनों को काटा। जंगलों की अन्धाधुन्ध कटाई के कारण जैवमण्डल का सन्तुलन बिगड़ गया है।
(2) निरन्तर वनों के ह्रास के कारण और भूमि पर से वनस्पति को हटाकर मानव द्वारा कुछ विशेष प्रकार की फसलें उगाने से वनस्पति की विविधता समाप्त होती जा रही है।
(3) वायु और जल प्रदूषण के कारण पेड़-पौधों की कई प्रजातियाँ विलुप्त हो गईं क्योंकि प्रदूषित वायु और जल उनके अनुकूल नहीं होता।
(4) मनुष्य जाति सर्वभक्षी है क्योंकि वह न केवल वनस्पति अपितु पशु उत्पाद भी भोजन के रूप में
खाता है। मानव द्वारा अन्धाधुन्ध शिकार करने की प्रवृत्ति के फलस्वरूप पशु-पक्षियों की कई जातियाँ पूर्णतया विलुप्त हो गई हैं और कुछ विलुप्त प्राय: हैं।
(5) हमने अपनी जनसंख्या में इतनी तीव्र गति से वृद्धि की है, जिसे बहुधा विनाश का पर्याय माना जा सकता है। हम बड़ी शीघ्रता से विश्व के अपूर्व साधनों का प्रयोग कर रहे हैं तथा अनेक प्रकार से पर्यावरण को हानि पहुँचा रहे हैं। जैसे-जैसे हमारी जनसंख्या बढ़ती गयी, उपजाऊ भूमि व वन सिमटते गये। तीव्र गति से बढ़ती जनसंख्या की माँग को पूरा करने के लिए प्राकृतिक संसाधनों का दोहन भी तीव्र गति से हुआ है।
प्रश्न 2. अन्तर्राष्ट्रीय प्राकृतिक संरक्षण और प्राकृतिक संसाधन संरक्षण संघ (IUCN) के अनुसार पौधे और प्राणियों की जातियों को कितनी श्रेणियों में विभाजित किया गया है ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-पौधे और प्राणियों की जातियों को निम्नलिखित श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है
(1) सामान्य जातियाँ- ये वे जातियाँ हैं जिनकी संख्या जीवित रहने के लिए सामान्य मानी जाती हैं, जैसे- पशु, साल, चीड़, और कृन्तक (रोडेंट्स) इत्यादि
(2) संकटग्रस्त जातियाँ- इस प्रकार की जातियों के लुप्त होने का खतरा है। जिन विषम परिस्थितियों के कारण इनकी संख्या कम हुई है, यदि वे जारी रहती हैं तो इन जातियों का जीवित रहना कठिन है। काला हिरण, मगरमच्छ, भारतीय जंगली गधा, गैंडा, शेर, पूँछ वाला बन्दर, संगाई (मणिपुरी हिरण) इत्यादि इस प्रकार की जातियों के उदाहरण हैं।
(3) सुभेद्य जातियाँ- इस जाति की जनसंख्या घट रही है। यदि इनकी संख्या पर विपरीत प्रभाव डालने वाली परिस्थितियाँ नहीं बदली जातीं और इनकी संख्या घटती जायेगी जिससे यह संकटग्रस्त जातियों की श्रेणी में शामिल हो जाएँगी। नीली भेड़, एशियाई हाथी, गंगा नदी की डॉल्फिन इत्यादि इस प्रकार की जातियों के उदाहरण हैं।
(4) दुर्लभ जातियाँ- इस प्रकार की जातियों की संख्या बहुत कम या सुभेद्य हैं और यदि इनको प्रभावित करने वाली विषम परिस्थितियाँ नहीं परिवर्तित होतीं तो यह संकटग्रस्त जातियों की श्रेणी में आ सकती हैं।
(5) स्थानिक जातियाँ- प्राकृतिक या भौगोलिक सीमाओं से अलग विशेष क्षेत्रों में पाई जाने वाली
जातियाँ; जैसे- अंडमानी टील, निकोबारी कबूतर, अंडमानी जंगली सुअर और अरुणाचल के मिथुन
(6) लुप्त जातियाँ-इन जातियों के रहने के आवासों में खोज करने पर ये अनुपस्थित पाई गई हैं। ये उपजातियाँ स्थानीय क्षेत्र, प्रदेश, देश, महाद्वीप या पूरी पृथ्वी से ही लुप्त हो गई हैं। उदाहरण के लिए, एशियाई चीता और गुलाबी सिर वाली बत्तख शामिल हैं।
प्रश्न 3. “जैव संसाधनों का विनाश सांस्कृतिक विविधता के विनाश से जुड़ा हुआ है।” इस कथन की व्याख्या कीजिए।
उत्तर- वनों और वन्य जीवन का विनाश मात्र जीव विज्ञान का विषय ही नहीं है। जैव संसाधनों का विनाश सांस्कृतिक विविधता के विनाश से जुड़ा हुआ है। जैसा कि निम्न बातों से स्पष्ट है
(1) जैव विनाश के कारण कई मूल जातियाँ और वनों पर आधारित समुदाय निर्धन होते जा रहे हैं, और आर्थिक रूप से हाशिये पर पहुँच गए हैं। यह समुदाय खाने, पीने, औषधि, संस्कृति, अध्यात्म इत्यादि के लिए वनों और वन्य जीवों पर निर्भर हैं।
(2) निर्धन वर्ग में स्त्रियाँ पुरुषों की तुलना में अधिक प्रभावित हैं। कई समाजों में खाना, चारा, जल और
अन्य आवश्यकता की वस्तुओं को एकत्र करने की मुख्य जिम्मेदारी महिलाओं की ही होती है।
(3) जैसे-जैसे इन संसाधनों की कमी होती जा रही है, स्त्रियों पर कार्यभार बढ़ता जा रहा है और कई बार तो उनको संसाधन एकत्र करने के लिए 10 किमी से अधिक पैदल चलना पड़ता है। इससे उन्हें गंभीर स्वास्थ्य समस्याएँ झेलनी पड़ती हैं, काम का समय बढ़ने के कारण घर और बच्चों की उपेक्षा होती है जिसके गंभीर सामाजिक दुष्परिणाम हो सकते हैं।
(4) वन कटाई के परोक्ष परिणाम, जैसे सूखा और बाढ़ भी निर्धन तबके को सबसे अधिक प्रभावित करता है। इस स्थिति में निर्धन, पर्यावरण निम्नीकरण का सीधा परिणाम होता है। (5) भारतीय उपमहाद्वीप में वन और वन्य जीवन मानव जीवन के लिए बहुत कल्याणकारी है। अतः यह अनिवार्य है कि वन और वन्य जीवन के संरक्षण के लिए सही नीति अपनाई जाए।
प्रश्न 4. वन्य प्राणी संरक्षण क्यों आवश्यक है ? वन्य प्राणी संरक्षण के उपाय बताइए।
उत्तर – वन्य प्राणी का संरक्षण क्यों आवश्यक है ?
वनों के साथ-साथ वन्य जीव भी मानव के लिए महत्त्वपूर्ण संसाधन हैं। वन्य जीवों से माँस, खाल, हाथी दाँत आदि प्राप्त होते हैं। वन के साथ-साथ मानव ने वन्य प्राणियों का भी बेदर्दी से विनाश किया है। इससे वन्य जीवों का अस्तित्व ही खतरे में पड़ गया है। बाघ, सिंह, हाथी, गेंडे आदि की संख्या में निरन्तर कमी आ रही है। आने वाले कुछ ही वर्षों में वन्य प्राणियों की कुछ प्रजातियों का पूर्णतः लुप्त हो जाने का खतरा है। इस प्राकृतिक धरोहर को भावी पीढ़ियों तक ज्यों-का-त्यों पहुँचाना प्रत्येक नागरिक का धर्म और कर्त्तव्य है। इसलिए वन्य जीव-जन्तुओं को उनके मूल प्राकृतिक स्वरूप में पनपने देने के लिए वन्य जीवों का संरक्षण अनिवार्य है। वन्य प्राणी संरक्षण के उपाय वन्य प्राणियों के संरक्षण हेतु निम्नलिखित प्रयास किये जा सकते हैं
(1) वन्य जीवों के प्राकृतिक आवासों को बिना हानि पहुँचाए नियन्त्रित करना।
(2) वन्य जीवों के शिकार पर पूर्णतः प्रतिबन्ध लगाना।
(3) वन्य क्षेत्रों में जैव मण्डल रिजर्व की स्थापना करना ।
(4) लुप्त हो रहे जीवों का पुनर्विस्थापन के लिए राष्ट्रीय पार्क, अभ्यारण्यों की स्थापना करना ।
(5) वन्य जीव प्रबन्धन की योजनाओं को ईमानदारी से लागू करना ।
(6) वन्य जीवों के प्रति लोगों की मानसिकता में परिवर्तन हेतु शिक्षा एवं जागरूकता का विकास करना।
प्रश्न 5. भारत में विभिन्न समुदायों ने किस प्रकार वनों और वन्य जीव संरक्षण और रक्षण में योगदान किया है ? विस्तारपूर्वक विवेचना करें।
उत्तर- (1) वन संरक्षण की नीतियाँ हमारे देश में कोई नई बात नहीं है क्योंकि वन हमारे देश में कुछ जनजातियों के आवास भी हैं।
(2) भारत के कुछ क्षेत्रों में तो स्थानीय समुदाय सरकारी अधिकारियों के साथ मिलकर अपने आवास
स्थलों के संरक्षण में जुटे हैं क्योंकि इसी से ही दीर्घकाल में उनकी आवश्यकताओं की पूर्ति हो सकती है।
(3) सरिस्का बाघ रिजर्व में राजस्थान के गाँवों के लोग वन्य जीव रक्षण अधिनियम के तहत वहाँ से खनन कार्य बन्द करवाने के लिए संघर्षरत हैं।
(4) कई क्षेत्रों में तो लोग अपने आप वन्य जीव आवासों की रक्षा कर रहे हैं और सरकार की ओर से हस्तक्षेप भी स्वीकार नहीं कर रहे हैं।
(5) राजस्थान के अलवर जिले में 5 गाँवों के लोगों ने तो 1,200 हेक्टेयर वन भूमि भैरोंदेव डाकव ‘सेंचुरी’ घोषित कर दी जिसके अपने नियम कानून हैं, जो शिकार वर्जित करते हैं तथा बाहरी लोगों की घुसपैठ से यहाँ के वन्य जीवन को बचाते हैं।
(6) हिमालय में प्रसिद्ध चिपको आन्दोलन कई क्षेत्रों में वन कटाई रोकने में ही कामयाब नहीं रहा अपितु यह भी दिखाया कि स्थानीय पौधों की जातियों को प्रयोग करके सामुदायिक वनीकरण अभियान को सफल बनाया जा सकता है।
(7) भारत में संयुक्त वन प्रबन्धन कार्यक्रम क्षरित वनों के प्रबन्ध और पुनर्निर्माण में स्थानीय समुदायों की भूमिका के महत्त्व पर प्रकाश डालता है। औपचारिक रूप में इन कार्यक्रमों की शुरूआत 1988 में हुई जब
ओडिशा राज्य ने संयुक्त वन प्रबंधन का पहला प्रस्ताव पारित किया।
(8) वन विभाग के अन्तर्गत ‘संयुक्त वन प्रबन्धन’ क्षरित वनों के बचाव के लिए कार्य करता है और इसमें गाँव के स्तर पर संस्थाएँ बनाई जाती हैं जिसमें ग्रामीण और वन विभाग के अधिकारी संयुक्त रूप से कार्य करते हैं।
प्रश्न 6. वन और वन्य जीव संरक्षण में सहयोगी रीति-रिवाजों पर एक निबन्ध लिखिए।
उत्तर- वन और वन्य जीव संरक्षण में सहयोगी रीति-रिवाज
(1) कुछ समाज कुछ विशेष पेड़ों की पूजा करते हैं और आदिकाल से उनका संरक्षण करते आ रहे हैं। छोटा नागपुर क्षेत्र में मुंडा और संथाल जनजातियाँ महुआ और कदंब के पेड़ों की पूजा करते हैं।
(2) ओडिशा और बिहार की जनजातियाँ शादी के दौरान इमली और आम के पेड़ की पूजा करती हैं।
(3) हममें से बहुत से व्यक्ति पीपल और वटवृक्ष को पवित्र मानकर पूजा अर्चना करते हैं।
(4) आमतौर पर झरनों, पहाड़ी चोटियों, पेड़ों और पशुओं को पवित्र मानकर उनका संरक्षण किया जाता है।
(5) मन्दिरों के आस-पास अक्सर बंदर और लंगूर पाए जाते हैं। उपासक उन्हें खिलाते-पिलाते हैं और मन्दिर के भक्तों में गिनते हैं।
(6) राजस्थान में बिश्नोई गाँवों के आस-पास काले हिरण, चिंकारा, नीलगाय और मोरों के झुंड पाये जाते हैं जो वहाँ के समुदाय का अभिन्न हिस्सा हैं और कोई उनको हानि नहीं पहुँचाता है।
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