अध्याय 17 जन-संघर्ष और आन्दोलन
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
बहु–विकल्पीय प्रश्न
- बोलिविया में जन-संघर्ष किसके लिए हुआ ?
(i) विद्युत् के लिए
(ii) जल के लिए
(iii) पेट्रोल के लिए
(iv) खाद्य पदार्थों के लिए।
- दबाव समूह-
(i) राजनीतिक होते हैं
(ii) अराजनीतिक होते हैं
(iii) राजनीतिक या अराजनीतिक होते हैं
(iv) केवल औपचारिक होते हैं।
- सन् 2006 के अप्रैल माह में विलक्षण जन-आन्दोलन किस देश में हुआ?
(i) श्रीलंका
(ii) भूटान
(iii) नेपाल
(iv) बोलिविया।
- नेपाल में राजतन्त्र समाप्त कर दिया गया था-
(i) 2005
(ii) 2006 में
(iii) 2007 में
(iv) 2008 में।
- निम्नलिखित में किस कथन से स्पष्ट है कि दबाव-समूह और राजनीतिक दल में अन्तर होता
(i) राजनीतिक दल राजनीतिक पक्ष लेते हैं जबकि दबाव-समूह राजनीतिक मसलों की चिन्ता नहीं करते
(ii) दबाव-समूह कुछ लोगों तक ही सीमित होते हैं जबकि राजनीतिक दल का दायरा ज्यादा लोगों तक फैला होता है
(iii) दबाव-समूह सत्ता में नहीं आना चाहते जबकि राजनीतिक दल सत्ता हासिल करना चाहते हैं
(iv) दबाव-समूह लोगों की लामबन्दी नहीं करते जबकि राजनीतिक दल करते हैं।
- ग्रीनबेल्ट मूवमेंट आन्दोलन किसके नेतृत्व में हुआ था ?
(i) जी. पी. कोईराला
(ii) एलेन लाऊजन
(iii) महेन्द्र नागडे
(iv) वांगरी मथाई।
- नेपाल में राजा वीरेन्द्र की हत्या के बाद वहाँ का राजा कौन बन गया ?
(i) ज्ञानेन्द्र
(ii) सतेन्द्र
(iii) देवेन्द्र
(iv) महेन्द्र।
उत्तर-1. (ii), 2. (ii), 3. (111), 4. (iv), 5. (iii), 6. (iv), 7. (i).
रिक्त स्थानों की पूर्ति
- . जो संगठन विशिष्ट सामाजिक वर्ग जैसे मजदूर, कर्मचारी, शिक्षक और वकील आदि के हितों को बढ़ावा देने की गतिविधियाँ चलाते हैं उन्हें ……….कहा जाता है।
- नेपाल लोकतन्त्र की………….. के देशों में से एक है।
- नेपाल की राजधानी…………. है।
- दबाव-समूहों और आन्दोलनों के कारण …………..की जड़ें मजबूत हुई हैं।
- बोलिविया में लोगों ने पानी के …………….के खिलाफ एक संघर्ष चलाया।
- 24 अप्रैल 2006 को एस.पी.ए. ने ………………को अंतरिम सरकार का प्रधानमन्त्री चुना।
उत्तर-1. दबाव-समूह, 2. तीसरी लहर, 3. काठमांडू, 4. लोकतन्त्र, 5. निजीकरण, 6. गिरिजा प्रसाद कोईराला।
सत्य/असत्य
- नेपाल लोकतन्त्र की ‘दूसरी लहर’ के देशों में से एक है जहाँ लोकतन्त्र 1985 में कायम हुआ।
- दबाव-समूह और आन्दोलन राजनीति पर कई तरह से प्रभाव डालते हैं।
- बोलिविया में लोगों की औसत आमदनी ₹5000 महीना थी।
- सन् 2007 की मार्च में राजा मानवेन्द्र ने तत्कालीन प्रधानमन्त्री को अपदस्थ करके जनता द्वारा निर्वाचित सरकार को भंग कर दिया।
- सन् 2006 में बोलिविया में सोशलिस्ट पार्टी को सत्ता हासिल हुई।
- 2008 में नेपाल संघीय लोकतान्त्रिक गणराज्य बन गया।
उत्तर-1. असत्य, 2. सत्य, 3. असत्य, 4. असत्य,5. सत्य, 6. सत्य।
. सही जोड़ी बनाइए
‘अ’
- सेवन पार्टी अलायंस
- बोलिविया
- सूचना अधिकार (RTI)
- इंडोनेशिया
- नेपाल की राजधानी
‘ब’
(क) जकार्ता
(ख) काठमांडू
(ग) एस.पी.ए.
(घ) लातिनी अमरीका का देश
(ङ) 2005
उत्तर- 1 (ग), 2. (घ), 3. → (ङ) 4. (क), 5. (ख) ।
एक शब्द / वाक्य में उत्तर
- कोचबंबा विश्वविद्यालय कहाँ स्थित है ?
- सन् 2006 में लोकतन्त्र के लिए आन्दोलन किस देश में हुआ ?
- बोलिविया में लोगों ने किसके निजीकरण के खिलाफ एक सफल संघर्ष चलाया ?
- बोलिविया में जो आन्दोलन चला उसका नेतृत्व किस संगठन ने किया ?
- सूचना का अधिकार अधिनियम कब पारित हुआ ?
उत्तर – 1. बोलिविया, 2. नेपाल, 3. पानी, 4. फेडेकोर (FEDECOR), 5.2005.
अति लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. दबाव-समूह का निर्माण कब होता है ?
उत्तर- दबाव-समूह का निर्माण तब होता है जब समान पेशे, हित, आकांक्षा अथवा मत के लोग एक समान उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए एकजुट होते हैं।
प्रश्न 2. हित समूह क्या हैं ?
उत्तर – हित समूह अमूमन समाज के किसी खास हिस्से अथवा समूह के हितों को बढ़ावा देना चाहते हैं। मजदूर संगठन, व्यावसायिक संघ और पेशेवरों (वकील, डॉक्टर, शिक्षक आदि) के निकाय इस तरह के दबाव-समूह के उदाहरण हैं।
प्रश्न 3. नेपाल में उठे लोकतन्त्र के आन्दोलन का विशिष्ट उद्देश्य क्या था ?
उत्तर- नेपाल में उठे लोकतन्त्र के आन्दोलन का विशिष्ट उद्देश्य था राजा को अपने आदेशों को वापस लेने के लिए बाध्य करना। इन आदेशों के द्वारा राजा ने लोकतन्त्र को समाप्त कर दिया था।
प्रश्न 4. नेशनल अलायंस फॉर पीपल्स मूवमेंट (NAPM) क्या है ?
उत्तर- नेशनल अलांयस फॉर पीपल्स मूवमेंट संगठनों का संगठन है। विभिन्न मुद्दों पर संघर्ष कर रहे अनेक आंदोलनकारी समूह इस संगठन के घटक हैं। यह संगठन अपने देश में अनेक जनांदोलनों की गतिविधियों में तालमेल बैठाने का काम करता है।
प्रश्न 5. माओवादी विचारधारा क्या है ?
उत्तर- चीनी क्रान्ति के नेता माओ की विचारधारा को मानने वाली माओवादी विचारधारा कहलाती है। माओवादी, मजदूरों और किसानों के शासन को स्थापित करने के लिए सशस्त्र क्रांति के जरिए सरकार को उखाड़ फेंकना चाहते हैं।
प्रश्न 6. नेपाल के जन-संघर्ष में कौन-कौन शामिल था ?
उत्तर- नेपाल के जन संघर्ष में राजनीतिक दलों के अलावा अनेक संगठन शामिल थे। सभी बड़े मजदूर संगठन और उनके परिसंघों ने इस आन्दोलन में भाग लिया। अन्य अनेक संगठनों मसलन मूलवासी लोगों के संगठन तथा शिक्षक, वकील और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के समूह ने इस आन्दोलन को अपना समर्थन दिया।
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. दबाव-समूह, राजनीतिक दलों से सम्बन्ध बनाये रखते हैं तथा उनके कार्य संचालन में पूर्ण रुचि लेते हैं। स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-यह सत्य है कि संगठन, लक्ष्य तथा कार्य प्रणाली की दृष्टि से दबाव-समूह व राजनीतिक दलों में पर्याप्त अन्तर होता है परन्तु यदि सावधानीपूर्वक देखा जाय तो ज्ञात होगा कि दबाव-समूह के सबसे अधिक घनिष्ठ सम्बन्ध राजनीतिक दलों से ही होते हैं। अन्य शब्दों में, संवैधानिक स्तर पर राजनीतिक दल और दबाव-समूह में भले ही भेद किया जाता हो परन्तु राजनीतिक स्तर पर ये परस्पर पूरक संगठन हैं। राजनीतिक दल अपनी अधिकाधिक लोकप्रियता प्राप्त करने के उद्देश्य से श्रमिक, अध्यापक, नारी और दलित आदि सभी वर्गीय संगठनों में रुचि लेते हैं। दूसरी ओर वर्गीय संगठन भी इस बात को अच्छी प्रकार से समझते हैं कि उनके उद्देश्य की पूर्ति में राजनीतिक दल कितने सहायक सिद्ध हो सकते हैं। इस कारण ही वे राजनीतिक दलों से सम्बन्ध रखते हैं तथा उनके कार्य संचालन में पूर्ण रुचि लेते हैं।
प्रश्न 2. दबाव-समूह क्या हैं ? कुछ उदाहरण बताइए।
उत्तर- मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है और समाज में रहकर ही वह अपनी विभिन्न आवश्यकताओं की पूर्ति करता है। अपनी विभिन्न आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए वह समाज के समान हितों के मनुष्यों के साथ सहयोग करता है जिसके फलस्वरूप अनेक प्रकार के समूहों का उदय होता है। एक ही प्रकार के हित रखने वाले व्यक्ति एक समूह में संगठित होकर सामूहिक प्रयास के द्वारा अपने उद्देश्यों की पूर्ति करने का प्रयास करते हैं। समाज में रहने वाले व्यक्तियों के हितों में भिन्नता पायी जाती है, अतः समाज में अलग समूहों का निर्माण होता है। जब दबाव-समूह अपने उद्देश्यों की पूर्ति के लिये सरकार से सहायता चाहने लगते हैं और विधायकों तथा मंत्रियों को इस रूप में प्रभावित करने लगते हैं कि कानून का निर्माण उन्हीं के हित में किया जाय तो उन्हें हित या दबाव-समूह कहा जाता है। औद्योगिक संघ, मजदूर संघ, रेलवे यूनियन, विद्यार्थी संगठन, किसान संगठन व महिलाओं के संगठन दबाव-समूहों की श्रेणी में आते हैं।
प्रश्न 3. दबाव-समूह के लक्षण या विशेषताएँ बताइए। उत्तर-दबाव समूह के निम्नलिखित लक्षण या विशेषताएँ होती हैं
(1) दबाव-समूह ऐसे लोगों का औपचारिक संगठन होता है जिनके हित समान होते हैं तथा जो देश की राजनीतिक व्यवस्था को अपने पक्ष में करने के लिए प्रयत्नशील रहते हैं।
(2) दबाव-समूह का प्रयास रहता है कि शासन अपनी नीति का निर्धारण इस प्रकार करे कि उनके समूह के हित सुरक्षित रहें।
(3) हित समूह संगठित भी हो सकते हैं और असंगठित भी। उनके पक्ष में जनमत बन जाए।
(4) दबाव समूह ऐसा वातावरण बनाने का प्रयास करते हैं जिससे (5) दबाव-समूह अपने विशेष हितों की पूर्ति के लिए आवश्यकतानुसार उचित और अनुचित, संवैधानिक और असंवैधानिक सभी प्रकार के साधनों का प्रयोग करते हैं।
प्रश्न 4. सूचना का अधिकार अधिनियम क्या है ?
उत्तर- सूचना का अधिकार- भारतीय संसद में मई 2005 में सूचना का अधिकार अधिनियम पारित किया गया। इस अधिनियम के द्वारा देश के लोगों को किसी भी सरकारी कार्यालय से जानकारी प्राप्त करने का अधिकार दिया गया है। देश में विगत् कई वर्षों से विकास में लोगों की भागीदारी बढ़ाने के कई प्रयास किए जाते रहे हैं। पंचायत राज की स्थापना और सार्वजनिक सेवाओं की निगरानी में स्थानीय समुदाय की भागीदारी इसका प्रमुख आयाम है। सार्वजनिक सेवाओं, सुविधाओं और योजनाओं, नियम-कायदों के बारे में जानकारी न होने से लोग विकास के कार्यों में भलीभाँति भागीदारी नहीं कर पाते हैं। लेकिन अब सूचना के अधिकार द्वारा विकास योजनाओं और सार्वजनिक कार्यों में पारदर्शिता लाई जा सकती है। शासन में निर्णय लेने की प्रक्रिया में पक्षपात की सम्भावना एवं भ्रष्टाचार को समाप्त करने की दिशा में यह एक महत्त्वपूर्ण कदम है।
दीर्घ उत्तरीय / विश्लेषणात्मक प्रश्न
प्रश्न 1. दबाव-समूहों और राजनीतिक दलों के आपसी संबंधों का स्वरूप कैसा होता है ? वर्णनकरें।
उत्तर-दबाव-समूह राजनीतिक दलों द्वारा ही बनाए गए होते हैं या उनका नेतृत्व राजनीतिक दल के नेता करते हैं। कुछ दबाव-समूह राजनीतिक दल की एक शाखा के रूप में कार्य करते हैं। उदाहरण के लिए, भारत के अधिकतर मजदूर संघ और छात्र संगठन या तो बड़े राजनीतिक दलों द्वारा बनाए गए हैं या उनकी संबद्धता राजनीतिक दलों से है। ऐसे दबाव समूहों के अधिकतर नेता अमूमन किसी-न-किसी राजनीतिक दल के कार्यकर्ता और नेता होते हैं।
दबाव समूह यद्यपि प्रत्यक्ष रूप से चुनावों में भाग नहीं लेते परन्तु वे राजनीतिक दलों की कई प्रकार से मदद करते हैं जिससे चुनावों के पश्चात् दल की सरकार उनके हितों की रक्षा करें। चुनावों में दबाव समूह राजनीतिक दलों की धन, वाहनों तथा अन्य चुनाव सामग्री से मदद करते हैं। वे राजनीतिक दलों को उन बातों के बारे में सूचना भी उपलब्ध कराते हैं, जो उनके हितों से संबंधित होती हैं। इस प्रकार गैर-राजनीतिक होते हुए भी दबाव-समूह राजनीति और प्रशासन से अलग नहीं होते, वे पर्दे के पीछे रहकर राजनीति, राजनीतिक निर्णयों और प्रशासनिक कार्यों को प्रभावित करने की निरन्तर चेष्टा करते हैं। ये विधायक या सांसद नहीं बनना चाहते परन्तु उनके मतों को प्रभावित करने की चेष्टा करते हैं। इस प्रकार दबाव-समूह “राजनीतिक और गैर-राजनीतिक” इन दो स्थितियों के मध्य में स्थित होते हैं।
प्रश्न 2. दबाव-समूहों की गतिविधियाँ लोकतान्त्रिक सरकार के कामकाज में कैसे उपयोगी होतीहैं ?
उत्तर-दबाव समूहों की गतिविधियाँ लोकतान्त्रिक सरकार के कामकाज में निम्न प्रकार उपयोगी हैं
(1) दबाव-समूह आँकड़े एकत्र करते हैं, समस्याओं का संग्रह करते हैं तथा उन्हें सरकार के सम्मुख प्रस्तुत करते हैं। इस प्रकार सरकार को सहायता पहुँचाते हैं।
(2) दबाव-समूह जागरूक होकर कार्य करते हैं अतः वे सरकारी पदाधिकारियों की भ्रष्ट नीतियों पर भी नियन्त्रण रखते हैं। अन्य शब्दों में सरकारी पदाधिकारी निरंकुश नहीं हो पाते।
(3) दबाव समूह अपनी बात मनवाने तथा जनसाधारण को अपने पक्ष में करने के लिए विभिन्न जनमत जागरण के साधनों को अपनाकर प्रजातन्त्रात्मक वातावरण उत्पन्न करते हैं।
(4) दबाव-समूह देश के नागरिकों को देश की नीति निर्धारण करने में या सार्वजनिक नीति को प्रभावित करने में भाग लेने का अवसर प्रदान करते हैं।
(5) सरकार भी दबाव समूहों के माध्यम से जनता की आवश्यकताओं को समझ लेती है।
(6) दबाव-समूह जनता तथा सरकार के मध्य सम्बन्ध स्थापित करते हैं।
प्रश्न 3. नेपाल में लोकतन्त्र की बहाली के लिए चलाए गए आन्दोलन पर टिप्पणी कीजिए।
उत्तर-(1) नेपाल लोकतन्त्र की ‘तीसरी लहर’ के देशों में से एक है जहाँ लोकतन्त्र 1990 के दशक में कायम हुआ।
(2) नेपाल में राजा औपचारिक रूप से राज्य का प्रधान बना रहा लेकिन वास्तविक सत्ता का प्रयोग जनता के द्वारा निर्वाचित प्रतिनिधियों के हाथों में था।
(3) आत्यंतिक राजतन्त्र से संवैधानिक राजतन्त्र के इस संक्रमण को राजा वीरेन्द्र ने स्वीकार कर लिया था। लेकिन शाही खानदान के एक रहस्यमय कत्लेआम में राजा वीरेन्द्र की हत्या हो गई।
(4) नेपाल के नए राजा ज्ञानेंद्र लोकतान्त्रिक शासन को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं थे। लोकतान्त्रिक रूप से निर्वाचित सरकार की अलोकप्रियता और कमजोरी का उन्होंने लाभ उठाया। फरवरी 2005 में राजा ज्ञानेंद्र ने तत्कालीन प्रधानमन्त्री को अपदस्थ करके जनता द्वारा निर्वाचित सरकार को भंग कर दिया।
(5) अप्रैल 2006 में जो आन्दोलन उठ खड़ा हुआ उसका लक्ष्य शासन की बागडोर राजा के हाथ से लेकर दोबारा जनता के हाथों में सौंपना था। संसद की बड़ी राजनीतिक पार्टियों ने एक ‘सेवेन पार्टी अलायंस’ बनाया और नेपाल की राजधानी काठमांडू में ‘बंद’ का आह्वान किया। इसमें माओवादी बागी तथा अन्य संगठन भी साथ गए। तकरीबन एक लाख लोग रोजाना एकजुट होकर लोकतन्त्र की बहाली की माँग कर रहे थे।
( 6 ) 21 अप्रैल 2006 को आन्दोलनकारियों की संख्या 3 से 5 लाख तक पहुँच गई और आन्दोलनकारियों ने राजा को ‘अल्टीमेटम दे दिया।
(7) 24 अप्रैल 2006 अल्टीमेटम का अन्तिम दिन था। इस दिन राजा तीनों माँगों को मानने के लिए बाध्य हुआ। एस. पी. ए. ने गिरिजा प्रसाद कोईराला को अंतरिम सरकार का प्रधानमंत्री चुना। संसद फिर बहाल हुई और इसने अपनी बैठक में कानून पारित किए। इन कानूनों के सहारे राजा की अधिकांश शक्तियाँ वापस ले ली गईं।
(8) 2008 में राजतन्त्र को समाप्त किया गया और नेपाल संघीय लोकतान्त्रिक गणराज्य बन गया। 2015 में यहाँ एक नये संविधान को अपनाया गया। नेपाल के लोगों का यह संघर्ष पूरे विश्व में लोकतन्त्र-प्रेमियों के लिए प्रेरणा का स्रोत है।
प्रश्न 4. बोलिविया के जल-युद्ध पर एक लेख लिखिए।
अथवा
लोकप्रिय संघर्ष लोकतन्त्र कार्यप्रणाली के अभिन्न अंग किस प्रकार से हैं ? बोलिविया के जल-संघर्ष का उदाहरण देते हुए स्पष्ट कीजिए।
उत्तर बोलिविया का जल युद्ध
(1) बोलिविया लातिनी अमरीका का एक निर्धन देश है। यहाँ के लोगों ने पानी के निजीकरण के खिलाफ एक सफल संघर्ष चलाया। इससे पता चलता है कि लोकतन्त्र की जीवंतता से जन-संघर्ष का अन्दरूनी रिश्ता है।
(2) विश्व बैंक ने यहाँ की सरकार पर नगरपालिका द्वारा की जा रही जलापूर्ति से अपना नियन्त्रण छोड़ने के लिए दबाव डाला। सरकार ने कोचबंबा शहर में जलापूर्ति के अधिकार एक बहुराष्ट्रीय कम्पनी को बेच दिए। इस कम्पनी ने पानी की कीमत में चार गुना बढ़ोत्तरी कर दी जिससे लोगों का पानी का मासिक बिल ₹1000 तक पहुँच गया जबकि बोलिविया में लोगों की औसत आय ₹5000 महीना है। इसके फलस्वरूप जन-आन्दोलन भड़क उठा।
( 3 ) जनवरी 2000 में श्रमिकों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं तथा सामुदायिक नेताओं के मध्य एक गठबंधन ने आकार ग्रहण किया और इस गठबंधन ने शहर में चार दिनों की सफल आम हड़ताल की। सरकार वार्ता के लिए तैयार हुई और हड़ताल वापस ले ली गई। फिर भी कुछ हाथ नहीं लगा।
(4) फरवरी में फिर आन्दोलन शुरू हुआ लेकिन इस बार पुलिस ने निर्दयी तरीके से दमन किया। अप्रैल में एक और हड़ताल हुई और सरकार ने मार्शल लॉ’ लगा दिया। लेकिन जनता की ताकत के आगे बहुराष्ट्रीय कम्पनी के अधिकारियों को शहर छोड़कर भागना पड़ा। (5) सरकार को आन्दोलनकारियों की सभी माँगें माननी पड़ीं। बहुराष्ट्रीय कम्पनी के साथ किया गया करार निरस्त कर दिया गया और जलापूर्ति पुनः नगरपालिका को सौंपकर पुरानी दरें लागू कर दी गईं। इस आन्दोलन को ‘बोलिविया के जल युद्ध’ के नाम से जाना जाता है।
प्रश्न 5. क्या दबाव-समूह और आन्दोलन के प्रभाव सकारात्मक होते हैं ?
उत्तर-दबाव-समूहों और आन्दोलनों के कारण लोकतन्त्र की जड़ें मजबूत हुई हैं। शासकों के ऊपर दबाव डालना लोकतन्त्र में कोई हानिकारक गतिविधि नहीं बशर्ते इसका अवसर सबको मिलना चाहिए। अक्सर सरकारें थोड़े से धनी और ताकतवर लोगों के अनुचित दबाव में आ जाती हैं। जनसामान्य के हित-समूह तथा आन्दोलन इस अनुचित दबाव के प्रतिकार में उपयोगी भूमिका अदा करते हैं और जनता की आवश्यकताओं तथा सरोकारों से सरकार को अवगत कराते हैं। वर्ग-विशेष हित-समूह भी महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं। जब विभिन्न समूह सक्रिय हों तो कोई एक समूह समाज के ऊपर प्रभुत्व स्थापित नहीं कर सकता। यदि कोई एक समूह सरकार के ऊपर अपने हित में नीति बनाने के लिए दबाव डालता है तो दूसरा समूह इसके प्रतिकार में दबाव डालेगा कि नीतियाँ उस तरह से न बनाई जाएँ। सरकार को भी ऐसे में पता चलता रहता है कि समाज के विभिन्न तबके क्या चाहते हैं। इससे परस्पर विरोधी हितों के मध्य ताल-मेल बैठाना तथा शक्ति सन्तुलन करना सम्भव होता है।
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