NCERT Class 10 SOCIAL SCIENCE Geography:अध्याय 18 राजनीतिक दल IMPORTANT QUESTIONS

   अध्याय 18 राजनीतिक दल

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

. बहु-विकल्पीय प्रश्न

  1. भारतीय जनता पार्टी का मुख्य प्रेरक सिद्धान्त क्या है ?

(i) बहुजन समाज

(ii) क्रान्तिकारी लोकतन्त्र

(iii) समग्र मानवतावाद

(iv) आधुनिकता।

 

  1. दलीय व्यवस्था किस शासन के लिये अनिवार्य है?

(i) राजतन्त्र

(ii) कुलीनतन्त्र

(iii) अधिनायकतन्त्र

(iv) प्रजातन्त्र।

  1. भारत में किस प्रकार की शासन व्यवस्था है ?

(i) राजवंशीय

(ii) बहुदलीय व्यवस्था

(iii) राजतन्त्र

(iv) द्वि-दलीय व्यवस्था।

  1. इनमें से कौन बहुजन समाज पार्टी का संस्थापक है ?

(i) काशीराम

(ii) साहू महाराज

(iii) बी. आर. आंबेडकर

(iv) ज्योतिबा फुले।

 

  1. किस संगठन ने राजनीतिक पार्टियों को अपने संगठन के चुनाव कराना तथा आयकर रिटर्न

भरना अनिवार्य बनाया है ?

(i) प्रधानमन्त्री

(ii) सर्वोच्च न्यायालय

(iii) चुनाव आयोग

(iv) संसद।

  1. राजनीतिक दलों का सबसे बड़ा दोष है-

(i) वे जनता के शासन को दलीय शासन में बदल देते हैं

(ii) वे समाज में भ्रष्टाचार की वृद्धि में सहायक हैं

(iii) वे राष्ट्रीय एकता के लिए खतरनाक हैं

(iv) वे राजनीति को व्यवसाय बना देते हैं।

 

  1. एक-दलीय व्यवस्था क्या है ?

(i) जिस देश में दो दल हो

(ii) जिस देश में सिर्फ एक दल हो

(iii) जिस देश में अनेक दल हों

(iv) इनमें से कोई नहीं।

  1. वह व्यक्ति जो किसी दल, समूह अथवा गुट के प्रति पूरी तरह समर्पित हो-

(i) अनुयायी

(ii) पार्टी का व्यक्ति

(iii) पक्षधर

(iv) उपर्युक्त में कोई नहीं।

  1. भारत में चुनावों के लिए उम्मीदवारों का चयन कौन करता है ?

(i) केन्द्रीय सरकार

(ii) राज्य सरकार

(iii) दलों के नेता

(iv) आम जनता।

  1. संयुक्त राज्य अमेरिका में कौन-सी शासन व्यवस्था है ?

(i) बहुदलीय व्यवस्था

(ii) त्रि-दलीय व्यवस्था

(iii) द्वि-दलीय व्यवस्था

(iv) एकदलीय व्यवस्था।

 

  1. देश के कानून निर्माण में निर्णायक भूमिका निभाते हैं-

(i) राजनीतिक पार्टियाँ

(ii) कानून मंत्रालय

(iii) उच्चतम न्यायालय

(iv) राज्य सरकारें।

  1. निम्न में से कौन-सा एक राष्ट्रीय दल नहीं है ?

(i) भारतीय जनता पार्टी

(ii) राष्ट्रवादी काँग्रेस पार्टी

(iii) बहुजन समाज पार्टी

(iv) राष्ट्रीय जनता दल।

  1. यूनाइटेड किंगडम (इंग्लैण्ड) में निम्नलिखित में से कौन-सी प्रणाली है ?

(i) एकदलीय व्यवस्था

(ii) द्वि-दलीय व्यवस्था

(iii) गठबन्धन

(iv) बहुदलीय व्यवस्था।

  1. लोकतन्त्र को प्रभावशाली उपकरण बनाने के लिए निम्नलिखित में से कौन-सा विकल्प

राजनीतिक पार्टियों के लिए चुनौती नहीं है ?

(i) पार्टियों में आन्तरिक लोकतन्त्र की कमी

(ii) अधिकांश पार्टियों में वंशानुगत उत्तराधिकार

(iii) धन और बाहुबल का बढ़ता प्रयोग

(iv) प्रायः राजनीतिक पार्टियाँ लोगों के समक्ष सार्थक विकल्प प्रस्तुत करती हैं।

  1. अमरीका में राजनीतिक उम्मीदवारों का चयन कैसे किया जाता है ?

(i) राष्ट्रपति के द्वारा

(ii) आम लोगों के द्वारा

(iii) दल के सदस्य और समर्थकों के द्वारा

(iv) संसद सदस्यों के द्वारा।

उत्तर-1. (iii), 2. (iv), 3. (ii), 4. (i), 5. (iii), 6. (ii), 7. (ii), 8. (iii), 9. (iii), 10. (iii),

  1. (i), 12. (iv), 13. (11), 14. (iv), 15. (iii).

. रिक्त स्थानों की पूर्ति

  1. जनमत-निर्माण में………. महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
  2. लोकतन्त्र में सबसे अलग दिखाई देने वाली संस्था ………” है।
  3. नागरिकों का प्रतिनिधि चुनने का अधिकार ………….कहलाता है।
  4. कई दल मिलकर जब सरकार बनाते हैं, तब वह…………. सरकार कहलाती है।
  5. राजनीतिक दलों को मान्यता देने के लिए………………… बनाया गया है।
  6. बहुमत प्राप्त न करने वाले दल ……………दल कहलाते हैं।

उत्तर-1. दल, 2. राजनीतिक दल, 3. मताधिकार, 4. साझा, 5. निर्वाचन आयोग, 6. विपक्षी।

सत्य/असत्य

  1. देश की हर पार्टी को गृह मंत्रालय में अपना पंजीकरण कराना पड़ता है।
  2. बहुजन समाज पार्टी का गठन सन् 1984 में किया गया।
  3. आम नागरिकों के लिए लोकतन्त्र का आशय राजनीतिक दल ही है।
  4. सामूहिक हित एक सर्वव्यापी विचार है।
  5. पिछले तीन दशकों के दौरान भारत में राजनीतिक दलों की सदस्यता का अनुपात धीरे-धीरे बढ़ता गया है।
  6. अमरीका और ब्रिटेन में दो दलीय व्यवस्था है।

उत्तर-1. असत्य, 2. सत्य, 3. सत्य, 4. असत्य, 5. सत्य, 6. सत्य।

सही जोड़ी बनाइए

‘अ’

  1. इण्डियन नेशनल काँग्रेस
  2. भारतीय जनता पार्टी
  3. ऑल इण्डिया तृणमूल काँग्रेस
  4. बहुजन समाज पार्टी
  5. कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इण्डिया

‘ब’

(क) जनवरी 1998

(ख) 1984

(ग) 1885

(घ) मार्क्सवाद-लेनिनवाद

(ङ) श्यामा प्रसाद मुखर्जी

उत्तर-1.→ (ग), 2. → (ङ), 3. → (क),4. →(ख),5. → (घ)।

एक शब्द/वाक्य में उत्तर

  1. . किस देश में एकल पार्टी सिस्टम है ?
  2. . ऑल इण्डिया तृणमूल काँग्रेस किसके नेतृत्व में बनी ?
  3. . भारतीय जनसंघ को कब पुनर्जीवित करके भारतीय जनता पार्टी को गठित किया गया ?
  4.  बहुमत प्राप्त न करने वाले राजनैतिक दल को क्या कहते हैं ?
  5. . उस दल को क्या कहते हैं जिसे लोकसभा में 6 प्रतिशत मत अथवा चार सीटें प्राप्त हुई हों ?
  6. . भारत में चुनाव आयोग में नाम पंजीकृत कराने वाले दलों की संख्या कितनी है ?

उत्तर-1. चीन, 2. ममता बनर्जी, 3. 1980, 4. विपक्षी दल, 5. राष्ट्रीय दल, 6.750 से ज्यादा।

अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. राष्ट्रीय पार्टी किसे कहते हैं ?

उत्तर-कई पार्टियाँ पूरे देश में फैली हुई हैं और उन्हें राष्ट्रीय पार्टी कहा जाता है। इन दलों की विभिन्न राज्यों में इकाइयाँ हैं। पर कुल मिलाकर देखें तो ये सभी इकाइयाँ राष्ट्रीय स्तर पर तय होने वाली नीतियों, कार्यक्रमों और रणनीतियों को ही मानती हैं।

प्रश्न 2. बर्जुस्कोनी कौन थे ?

उत्तर-बर्लुस्कोनी इटली के प्रधानमन्त्री थे। वह इटली के बड़े व्यवसायियों में से एक है। वे 1993 में गठित फोर्जा इतालिया के नेता हैं।

प्रश्न 3. दल-बदल क्या है?

उत्तर-विधायिका के लिए किसी दल-विशेष से निर्वाचित होने वाले प्रतिनिधि का उस दल को छोड़कर किसी अन्य दल में शामिल हो जाना दल-बदल कहलाता है।

प्रश्न 4. शपथपत्र किसे कहते हैं ?

उत्तर-किसी अधिकारी को सौंपा गया एक दस्तावेज इसमें कोई व्यक्ति अपने बारे में निजी सूचनाएँ

देता है और उनके सही होने के बारे में शपथ लेता है। इस पर सूचना देने वाले के हस्ताक्षर होते हैं।

प्रश्न 5. राजनीतिक दल किसे कहते हैं ?

उत्तर-राजनीतिक दल उन नागरिकों के संगठित समूह का नाम है जो एक ही राजनीतिक सिद्धान्तों

को मानते और एक राजनीतिक इकाई के रूप में काम करते हैं और सरकार पर अपना अधिकार जमाने का

प्रयत्न करते हैं।

प्रश्न 6. राजनीतिक दल के तीन प्रमुख हिस्से क्या हैं ?

उत्तर-(1) नेता, (2) सक्रिय सदस्य और (3) अनुयायी या समर्थक।

प्रश्न 7. शासक दल किसे कहते हैं ?

उत्तर- जिस दल का शासन हो यानी जिसकी सरकार बनी हो, उसे शासक दल कहते हैं।

 प्रश्न 8 साझा सरकार किसे कहते हैं ?

उत्तर- किसी एक दल का बहुमत न आने पर जब कई दल मिलकर सरकार बनाते हैं, तब वह सरकार साझा सरकार कहलाती है। इसे गठबन्धन सरकार भी कहते हैं।

 

प्रश्न 9. ‘आम चुनाव’ से क्या तात्पर्य है ?

उत्तर- हमारे देश में लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं के सदस्यों के चुनाव वयस्क मताधिकार के आधार पर किये जाते हैं। इन चुनावों को आम चुनाव कहते हैं।

प्रश्न 10. राजनीतिक पार्टी का मुख्य कार्य क्या है ?

उत्तर- राजनैतिक पदों को भरना और सत्ता का प्रयोग करना ही किसी पार्टी का मुख्य कार्य होता है।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. राजनीतिक दल का क्या अर्थ होता है ?

 उत्तर- राजनीतिक दल लोगों के एक ऐसे संगठित समूह के रूप में समझा जा सकता है जो चुनाव लड़ने और सरकार में राजनीतिक सत्ता हासिल करने के उद्देश्य से कार्य करता है। समाज के सामूहिक हित को ध्यान में रखकर यह समूह कुछ नीतियाँ और कार्यक्रम तय करता है। सामूहिक हित एक विवादास्पद विचार है। इसे लेकर सबकी राय अलग-अलग होती है। इसी आधार पर दल लोगों को यह समझाने का प्रयास करते हैं कि उनकी नीतियाँ औरों से बेहतर हैं। वे लोगों का समर्थन पाकर चुनाव जीतने के बाद उन नीतियों को लागू करने का प्रयास करते हैं। गार्नर के शब्दों में, “राजनीतिक दल किसी राज्य के अन्तर्गत मनुष्यों के उस संगठित समूह को कहते हैं जो किसी राजनीतिक उद्देश्य या आर्थिक लक्ष्य की पूर्ति के लिए शान्तिमय और वैध साधनों से किसी देश के निर्वाचक मण्डल के बहुमत को अपने पक्ष में करके, राज्य की शासन शक्ति को अपने हाथ में लेना चाहता है। ” इस प्रकार दल किसी समाज के बुनियादी राजनीतिक विभाजन को भी दर्शाते हैं। पार्टी समाज के किसी एक हिस्से से सम्बन्धित होती है। इसलिए उसका नज़रिया समाज के उस वर्ग/समुदाय विशेष की तरफ झुका होता है। किसी दल की पहचान उसकी नीतियों और उसके सामाजिक आधार पर तय होती है।

प्रश्न 2. किसी भी राजनीतिक दल के क्या गुण होते हैं ?

उत्तर   राजनीतिक दल के गुण

(1) अपने विचारों के समर्थन में निरन्तर जनमत बनाना।

(2) एक विधान द्वारा संगठित और संचालित होना।

(3) निर्वाचन आयोग में पंजीकृत होना।

(4) पहचान हेतु एक चुनाव चिह्न होना।

(5) प्रमुख उद्देश्य निर्वाचन में विजय प्राप्त कर सत्ता प्राप्त करना ।

(6) शासक दल पर निगाह रखते हुए जनविरोधी नीतियों के विरुद्ध जनमत तैयार करना।

प्रश्न 3. क्या दलीय व्यवस्था प्रजातन्त्र के लिए अनिवार्य है ?

उत्तर- दलविहीन लोकतन्त्र व्यावहारिक नहीं है। वस्तुतः प्रतिनिध्यात्मक शासन के लिए राजनीतिक दलों का अस्तित्व अनिवार्य है। राजनीतिक दलों की बुराइयों को दूर करने का एकमात्र व्यावहारिक मार्ग यही है कि जनता के बौद्धिक और नैतिक स्तर को ऊँचा किया जाय। इसके अतिरिक्त प्रत्येक परिस्थिति में दल के प्रति भक्ति से राष्ट्र के प्रति भक्ति को उच्च स्थान दिया जाना चाहिए। राजनीतिक दलों में योग्य जनभावना से प्रेरित नागरिकों को स्थान दिया जाना चाहिए। राजनीतिक दल प्रतिनिध्यात्मक प्रजातन्त्र के लिए आवश्यक हैं। इन उपायों को अपनाकर उन्हें प्रतिनिध्यात्मक प्रजातन्त्र के लिए अधिक उपयोगी बनाया जा सकता है।

प्रश्न 4. भारत में राजनीतिक दलों की भूमिका का वर्णन कीजिए।

 उत्तर- (1) जनमत निर्माण में दल महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

(2) राजनीतिक दल चुनाव लड़ते हैं।

( 3 ) दल ही सरकारी मशीनरी और सरकार द्वारा चलाए जाने वाले कल्याण कार्यक्रमों तक लोगों की पहुँच बनाते हैं।

(4) दल ही सरकारें बनाते और चलाते हैं।

(5) दल अलग-अलग नीतियों और कार्यक्रमों को आगे बढ़ाते हैं।

(6) चुनाव हारने वाले दल शासक दल के विरोधी पक्ष की भूमिका अदा करते हैं।

प्रश्न 5. एकदलीय व्यवस्था को उदाहरण सहित समझाइए। क्या यह लोकतान्त्रिक विकल्प है ?

उत्तर- चीन में सिर्फ कम्युनिस्ट पार्टी को शासन करने की अनुमति है। हालांकि कानूनी रूप से वहाँ भी लोगों को राजनीतिक दल बनाने की आजादी है पर वहाँ की चुनाव प्रणाली सत्ता के लिए स्वतन्त्र प्रतिद्वंद्विता की अनुमति नहीं देती इसलिए लोगों को नया राजनीतिक दल बनाने का कोई लाभ नहीं दिखता और इसलिए कोई नया दल नहीं बन पाता। हम एकदलीय व्यवस्था को अच्छा विकल्प नहीं मान सकते क्योंकि यह लोकतान्त्रिक विकल्प नहीं है। किसी भी लोकतान्त्रिक व्यवस्था में कम-से-कम दो दलों को राजनीतिक सत्ता के लिए चुनाव में प्रतिद्वंद्विता करने की अनुमति तो होनी चाहिए। साथ ही उन्हें सत्ता में आने का पर्याप्त अवसर भी मिलना चाहिए।

प्रश्न 6. बहुजन समाज पार्टी के सार्वभौम विचार और संगठन का वर्णन कीजिए।

उत्तर- बहुजन समाज पार्टी का गठन 1984 में स्व. काशीराम के नेतृत्व में किया गया। बहुजन समाज जिसमें दलित, आदिवासी, पिछड़ी जातियाँ और धार्मिक अल्पसंख्यक शामिल हैं, के लिए राजनीतिक सत्ता पाने का और प्रतिनिधित्व करने का दावा पार्टी साहू महाराज, महात्मा फुले, पेरियार रामास्वामी नायकर और बाबा साहब आंबेडकर के विचारों और शिक्षाओं से प्रेरणा लेती है। दलितों और कमजोर वर्ग के लोगों के कल्याण और उनके हितों की रक्षा के मुद्दों पर सबसे ज्यादा सक्रिय इस पार्टी का मुख्य आधार उत्तर प्रदेश में है, पर मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड, दिल्ली और पंजाब में भी यह पार्टी पर्याप्त ताकतवर है।

प्रश्न 7. दक्षिण भारत के चार राज्यों में किन्हीं छः ‘क्षेत्रीय दलों के नाम लिखिए।

उत्तर- पांडिचेरी- ऑल इण्डिया एन.आर. काँग्रेस । केरल – (1) केरल काँग्रेस (मणि), (2) इण्डियन यूनियन मुस्लिम लीग आंध्र प्रदेश – (1) तेलुगु देशम पार्टी, (2) वाई एस आर काँग्रेस पार्टी। तमिलनाडु – (1) ऑल इण्डिया अन्ना द्रमुक मुनेत्र कड़गम (2) द्रविड़ मुनेत्र कड़गम ।

प्रश्न 8. क्षेत्रीय दलों और राष्ट्रीय दलों के बीच अन्तर लिखिए।

उत्तर – क्षेत्रीय दल

  1.  ये क्षेत्रीय मुद्दे उठाते हैं।
  2. क्षेत्रीय दलों में अक्सर किसी एक व्यक्ति या परिवार का प्रभुत्व होता है।
  3.  ये दल क्षेत्रीय स्तर पर कार्य करते हैं तथा इनका अस्तित्व भी क्षेत्रीय स्तर तक होता है।
  4. जब कोई पार्टी राज्य विधानसभा के चुनाव में पड़े कुल मतों का 6 फीसदी या उससे अधिक हासिल करती है और कम-से-कम दो सीटों पर जीत दर्ज करती है तो उसे अपने राज्य के राजनीतिक दल के रूप में मान्यता मिल जाती है।

राष्ट्रीय दल

  1. ये राष्ट्रीय मुद्दे उठाते हैं।
  2. राष्ट्रीय दलों पर भी व्यक्ति व परिवारवाद का प्रभाव देखने को मिलता है, लेकिन सभी दलों में ऐसा नहीं होता।
  3. ये दल पूरे देश में कार्य करते हैं तथा इनकाप्रभाव भी पूरे देश में फैला होता है।
  4. अगर कोई दल लोकसभा चुनाव में पड़े कुल वोट का अथवा चार राज्यों के विधानसभा चुनाव में पड़े कुल वोटों का 6 प्रतिशत हासिल करता है और लोकसभा के चुनाव में कम-से-कम चार सीटों पर जीत दर्ज करता है तो उसे राष्ट्रीय दल की मान्यता मिलती है

दीर्घ उत्तरीय / विश्लेषणात्मक प्रश्न

 

प्रश्न 1. लोकतन्त्र में राजनीतिक दलों की विभिन्न भूमिकाओं की चर्चा करें

। उत्तर- लोकतन्त्र में राजनीतिक दल अनेक प्रकार के कार्य करते हैं। इनमें मुख्य कार्य निम्नलिखित हैं

(1) जनमत तैयार करना- राजनीतिक दल देश की समस्याओं को स्पष्ट रूप से जनता के सामने रखकर जनमत तैयार करते हैं। वे पत्र-पत्रिकाओं तथा सभाओं में इन समस्याओं को सरल ढंग से सामने रखते हैं और फिर इस लोकमत को तथा जनता की कठिनाइयों को संसद में रखते हैं।

(2) मध्यस्थता – राजनीतिक दल जनता और सरकार के बीच मध्यस्थता का कार्य करते हैं। सरकार की नीतियों एवं कार्यक्रमों को जनता के सामने तथा जनता की इच्छाओं को सरकार के सामने रखते हैं।

(3) आलोचना – प्रजातन्त्रीय शासन में बहुमत प्राप्त दल अपनी सरकार बनाता है और अल्पमत दल विरोधी दल का कार्य करते हैं। विरोधी दलों की आलोचना के भय से सत्तारूढ़ दल गलत कार्य व नीतियाँ नहीं अपनाता।

(4) राजनीतिक शिक्षा – राजनीतिक दल साधारण नागरिकों को राजनीतिक शिक्षा देने का कार्य भी करते हैं। चुनाव के दिनों में राजनीतिक दल प्रेस, रेडियो, टी.वी. व सभाओं के माध्यम से अपनी नीतियों व • जनता के अधिकारों का वर्णन करते हैं। इससे नागरिकों को राजनीतिक शिक्षा मिलती है।

(5) शासन पर अधिकार करना- राजनीतिक दलों का अन्तिम उद्देश्य शासन पर अधिकार करना होता है। वे प्रचार साधनों के द्वारा जनमत को अपने पक्ष में करते हैं और सत्ता पर अधिकार करने का प्रयास करते हैं।

(6) संसदीय सरकार के लिए अनिवार्य-संसदीय शासन व्यवस्था में सरकार का निर्माण दलों के आधार पर होता है। संसद के निम्न सदन में जिस दल का बहुमत होता है, वह सरकार बनाता है।

(7) लोकतन्त्र के लिए अनिवार्य- लोकतन्त्रात्मक शासन में राजनीतिक दल अनिवार्य होता है। उसके बिना निर्वाचन की व्यवस्था करना कठिन है। दलों से ही सरकार बनती है और वही उस पर नियन्त्रण रखते हैं। उनके माध्यम से सरकार व जनता के बीच सम्पर्क स्थापित होता है और जनता की कठिनाइयों से सरकार अवगत होती है।

(8) मतदान में सहायक-राजनीतिक दलों के सहयोग से नागरिकों को निर्वाचन के समय यह निर्णय लेने में कठिनाई नहीं होती कि उन्हें अपना मत किस उम्मीदवार को देना है। वह जिस दल के कार्यक्रम व नीति को पसन्द करता है, उसी उम्मीदवार के पक्ष में मतदान कर देता है।

 

 प्रश्न 2. राजनीतिक दल लोकतन्त्र की एक अनिवार्य शर्त है। इस कथन को स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- राजनीतिक दल लोकतन्त्र के लिए एक अनिवार्य शर्त है। जैसा कि निम्न बातों से स्पष्ट है

 (1) राजनीतिक दल न हों तो सारे उम्मीदवार स्वतन्त्र या निर्दलीय होंगे। तब इनमें से कोई भी बड़े नीतिगत बदलाव के बारे में लोगों से चुनावी वायदे करने की स्थिति में नहीं होगा। सरकार बन जाएगी पर उसकी उपयोगिता संदिग्ध होगी।

(2) निर्वाचित प्रतिनिधि सिर्फ अपने निर्वाचन क्षेत्रों में किए गए कार्यों के लिए जवाबदेह होंगे। लेकिन देश कैसे चले इसके लिए कोई उत्तरदायी नहीं होगा।

(3) पंचायत चुनावों में दल औपचारिक रूप से अपने उम्मीदवार नहीं खड़े करते लेकिन हम पाते हैं कि चुनाव के अवसर पर पूरा गाँव कई खेमों में बँट जाता है और हर खेमा सभी पदों के लिए अपने उम्मीदवारों का ‘पैनल’ उतारता है। राजनीतिक दल भी ठीक यही काम करते हैं।

(4) राजनीतिक दलों का उदय प्रतिनिधित्व पर आधारित लोकतान्त्रिक व्यवस्था के उभार के साथ जुड़ा है। बड़े समाजों के लिए प्रतिनिधित्व आधारित लोकतन्त्र की जरूरत होती है। जब समाज बड़े और जटिल हो जाते हैं तब उन्हें विभिन्न मुद्दों पर अलग-अलग विचारों को समेटने और सरकार की नजर में लाने के लिए किसी माध्यम या एजेंसी की आवश्यकता होती है।

(5) वहीं विभिन्न जगहों से आए प्रतिनिधियों को साथ करने की आवश्यकता होती है जिससे जिम्मेदार सरकार का गठन हो सके। उन्हें सरकार का समर्थन करने या उस पर अंकुश रखने, नीतियाँ बनवाने और नीतियों का समर्थन अथवा विरोध करने के लिए उपकरणों की आवश्यकता होती है। प्रत्येक प्रतिनिधि सरकार की ऐसी जो भी आवश्यकताएँ होती हैं- राजनीतिक दल उनको पूरा करते हैं। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि राजनीतिक दल लोकतन्त्र की अनिवार्य शर्त हैं।

प्रश्न 3. दल व्यवस्था क्या है ? उसका महत्त्व बताइए।

अथवा

राजनैतिक दल व्यवस्था क्या है ? उसका महत्त्व बताइए।

उत्तर- संसदीय लोकतन्त्र के लिए विभिन्न राजनीतिक दल आवश्यक हैं। राजनीतिक दल नागरिकों के संगठित समूह हैं, जो एक-सी विचारधारा रखते हैं। ये अपनी नीतियों और कार्यक्रमों के लिए प्रतिबद्ध होते हैं। राजनीतिक दल एक शक्ति के रूप में कार्य करते हैं और सदैव शक्ति प्राप्त करने और उसे बनाये रखने का प्रयास करते रहते हैं। दलीय व्यवस्था का महत्त्व- दलीय व्यवस्था लोकतान्त्रिक शासन को सम्भव बनाती है। आधुनिक युग में शासन कार्य राजनीतिक दलों के सहयोग से होता है। यह शासन के नीति निर्धारण में सहयोग करते हैं और इनके सहयोग से नीतियों में परिवर्तन आसान होता है। दल-व्यवस्था के प्रभाव से सरकार जनोन्मुखी होती है व लोकहित में कार्य करती है। राजनैतिक दल शासन की निरंकुशता पर नियन्त्रण करते हैं। इनके माध्यम से जनता की आशाएँ और अपेक्षाएँ सरकार तक पहुँचती हैं। यह जनता को राजनीतिक प्रशिक्षण देते हैं। इनके माध्यम से जनता को शासन में भाग लेने का अवसर प्राप्त होता है। राजनीतिक नागरिक स्वतन्त्रताओं के रक्षक होते हैं। इनके द्वारा राष्ट्र की एकता स्थापित होती है। लॉर्ड ब्राइस का मत है कि, “दल राष्ट्र के मस्तिष्क को उसी प्रकार क्रियाशील रखते हैं, जैसे कि लहरों की हलचल से समुद्र की खाड़ी का जल स्वच्छ रहता है।”

प्रश्न 4. राजनीतिक दलों की संख्या के आधार पर राजनीतिक दलों के प्रकार लिखिए।

उत्तर- दलीय व्यवस्था के प्रकार किसी राष्ट्र में राजनीतिक दलों की संख्या के आधार पर दल व्यवस्था को तीन वर्गों में बाँटा जाता है

(1) एकल दल (एक दलीय) प्रणाली- एक दलीय पद्धति या व्यवस्था उसे कहते हैं जिसमें केवल एक राजनीतिक दल होता है और वही समस्त राजनीतिक गतिविधियों का संचालन करता है, जैसे- जनवादी चीन में एक दलीय प्रणाली है, वहाँ केवल साम्यवादी दल को ही मान्यता है। अन्य राजनैतिक विचार रखने वालों पर पाबन्दी है।

(2) द्वि- दलीय प्रणाली- इस प्रणाली में केवल दो दल या दो प्रमुख दल होते हैं। संयुक्त राज्य अमेरिका में द्वि-दलीय प्रणाली प्रचलित है। इस राष्ट्र के दो प्रमुख दल हैं-डेमोक्रेटिक दल तथा रिपब्लिकन दल इस प्रकार संयुक्त राज्य अमेरिका और ब्रिटेन की शासन व्यवस्था में द्वि-दलीय प्रणाली प्रचलित है।

( 3 ) बहुदलीय प्रणाली – बहुदलीय प्रणाली में अनेक राजनीतिक दल होते हैं, किन्तु सभी दलों की स्थिति समान नहीं होती। हमारे देश में बहुदलीय राजनीतिक प्रणाली है। निर्वाचन में किसी एक दल का बहुमत में आना आवश्यक नहीं है। जब किसी एक दल का बहुमत नहीं आता है, तो देश या प्रान्त में साझा सरकार बनाई जाती है। साझा या गठबन्धन सरकार में दो या अधिक दल शामिल होते हैं। बहुदलीय प्रणाली का सबसे बड़ा दोष दल-बदल है। चुनावों के समय अनेक प्रकार की कठिनाइयाँ आती हैं। इस प्रणाली में राजनीतिक दलों की नीतियों में स्पष्ट अन्तर करना कठिन हो जाता है। बहुदलीय प्रणाली में व्यक्तिनिष्ठ दलों की संख्या बढ़ जाती है। आये दिन उनका विघटन और पतन होता रहता है।

प्रश्न 5. राजनीतिक दल अपना कामकाज बेहतर ढंग से करें, इसके लिए उन्हें मजबूत बनाने के कुछ सुझाव दें।

उत्तर- राजनीतिक दल अपना कामकाज बेहतर ढंग से करें, इसके लिए अग्र सुझाव दिए जा सकते हैं

(1) सांसदों और विधायकों को दल-बदल करने से रोकने के लिए संविधान में संशोधन किया गया। निर्वाचित प्रतिनिधियों के मन्त्रिपद या पैसे के लोभ में दल-बदल करने में आई तेजी को देखते हुए ऐसा किया गया। नए कानून के अनुसार अपना दल-बदलने वाले विधायक या सांसद को अपनी सीट भी गँवानी होगी। इस नए कानून से दल-बदल में कमी आई है, पर इससे पार्टी में विरोध का कोई स्वर उठाना और भी कठिन हो गया है। पार्टी नेतृत्व जो फैसला करता है, सांसद और विधायक को उसे मानना ही होता है।

(2) राजनीतिक दलों का निर्माण जाति, भाषा या क्षेत्र के आधार पर न करके विशुद्ध राजनीतिक तथा आर्थिक सिद्धान्तों के आधार पर किया जाना चाहिए। ऐसा होने पर ही इन दलों द्वारा राज्य के सभी नागरिकों में एकता उत्पन्न करने व जनमत जाग्रत करने का कार्य भी किया जा सकता है।

(3) उच्चतम न्यायालय ने पैसे और अपराधियों का प्रभाव कम करने के लिए एक आदेश जारी किया है। इस आदेश के द्वारा चुनाव लड़ने वाले हर उम्मीदवार को अपनी सम्पत्ति का और अपने खिलाफ चल रहे आपराधिक मामलों का ब्यौरा एक शपथपत्र के माध्यम से देना अनिवार्य कर दिया गया है। इस नयी व्यवस्था से लोगों को अपने प्रत्याशियों के बारे में बहुत-सी पक्की सूचनाएँ उपलब्ध होने लगी हैं।

(4) चुनाव का खर्च सरकार उठाए। सरकार दलों को चुनाव लड़ने के लिए धन दे। यह मदद पेट्रोल, कागज, फोन वगैरह के रूप में भी हो सकती है या फिर पिछले चुनाव में मिले मतों के अनुपात में नकद पैसा दिया जा सकता है।

(5) दो और तरीके हैं जिनसे राजनीतिक दलों को सुधारा जा सकता है। पहला तरीका है राजनीतिक दलों पर लोगों द्वारा दबाव बनाने का। यह काम पत्र लिखने, प्रचार करने और आन्दोलनों के जरिये किया जा सकता है। आम नागरिक, दबाव समूह, आन्दोलन और मीडिया के माध्यम से यह कार्य किया जा सकता है। अगर पार्टियों को लगे कि सुधार न करने से उनका जनाधार गिरने लगेगा या उनकी छवि खराब होगी तो इसे लेकर वे चिंतित होने लगेंगे।

सुधार का दूसरा तरीका है सुधार की इच्छा रखने वालों का खुद राजनीतिक दलों में शामिल होना । लोकतन्त्र की गुणवत्ता लोकतन्त्र में लोगों की भागीदारी से तय होती है। अगर आम नागरिक खुद राजनीति में भाग न लें और बाहर से ही बातें करते रहें तो सुधार मुश्किल है। खराब राजनीति का समाधान है ज्यादा से ज्यादा राजनीति और बेहतर राजनीति ।

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