NCERT Class 10 SOCIAL SCIENCE Geography:अध्याय 24 वैश्वीकरण और भारतीय अर्थव्यवस्था IMPORTANT QUESTIONS

अध्याय 24 वैश्वीकरण और भारतीय अर्थव्यवस्था

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

बहु-विकल्पीय प्रश्न

 

  1. वैश्वीकरण का मुख्य आधार है

(i) विदेशी व्यापार

(ii) आन्तरिक व्यापार

(iii) उन्नत कृषि व्यापार

(iv) लघु उद्योग

 

  1. निम्नलिखित में कौन-सी क्रिया आर्थिक सुधारों के अन्तर्गत आती है ?

(i) वैश्वीकरण

(ii) उदारीकरण

(iii) निजीकरण

(iv) उक्त सभी।

  1. भारत में वैश्वीकरण की प्रक्रिया प्रारम्भ हुई है

(i) सन् 1947 में

(ii) सन् 1951 में

(iii) सन् 1991 में

(iv) सन् 2002 में

  1. वैश्वीकरण ने जीवन स्तर के सुधार में सहायता पहुँचाई है

(i) सभी लोगों के

 (ii) विकसित देशों के

(iii) विकासशील देशों के श्रमिकों के

 (iv) उपर्युक्त में से कोई नहीं।

  1. वैश्वीकरण के विगत दो दशकों में द्रुत आवागमन देखा गया है

(i) राष्ट्रों के बीच वस्तुओं, सेवाओं और लोगों का

(ii) देशों के बीच वस्तुओं, सेवाओं और निवेशों का

(iii) देशों के बीच वस्तुओं, निवेशों और लोगों का

(iv) उपर्युक्त सभी ।

  1. वैश्वीकरण ने जीवन स्तर में सुधार किया है

(i) गरीब वर्ग का

(ii) उच्च वर्ग का

(iii) ग्रामीण क्षेत्रों का

(iv) समाज के सभी वर्गों का

 

  1. वैश्वीकरण से कौन-से उद्योग बन्द हो गए हैं ?

(i) बड़े पैमाने के उद्योग

(ii) बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ

(iii) लघु उद्योग

(iv) सभी प्रकार के उद्योग

 

  1. विश्व के देशों में बहुराष्ट्रीय कम्पनियों द्वारा निवेश का सबसे अधिक सामान्य मार्ग है

(i) नये कारखानों की स्थापना

(ii) स्थानीय कम्पनियों को खरीद लेना

(iii) स्थानीय कम्पनियों से साझेदारी करना

(iv) इनमें से कोई नहीं।

  1. देशों के तीव्र एकीकरण की प्रक्रिया कहलाती है

(i) उदारीकरण

(ii) वैश्वीकरण

(iii) शहरीकरण

(iv) उपर्युक्त में से कोई नहीं।

  1. बहुराष्ट्रीय कम्पनियों द्वारा किया गया निवेश कहलाता है

(i) विदेशी निवेश

(ii) पोर्टफोलियो निवेश

 (iii) म्युचुअल निवेश

(iv) अन्त: सरकारी निवेश।

  1. किस वस्तु के विनिर्माताओं पर वैश्वीकरण की भारी मार पड़ी है ?

(i) प्लास्टिक

(ii) सूती

(iii) मोटर कार

(iv) इलेक्ट्रॉनिक्स

 

  1. वैश्वीकरण को सम्भव बनाने वाले कारकों में से एक मुख्य कारक कौन-सा है ?

(i) प्रौद्योगिकी

(ii) समुद्री जहाज उद्योग

(iii) समाजवाद

(iv) लोकतन्त्र ।

उत्तर=1. (i), 2. (iv), 3. (iii), 4. (i), 5. (iii), 6. (ii), 7. (iii), 8. (ii), 9. (ii), 10. (i), 11. (i),12. (1).

रिक्त स्थानों की पूर्ति

  1. विभिन्न देशों के बाजारों को आपस में जोड़ना ही ………………कहलाता है।
  2. वैश्वीकरण के अन्तर्गत विभिन्न अर्थव्यवस्थाओं के मध्य वस्तुओं एवं सेवाओं का ……………….आवागमन होता है।
  3. आयात पर कर ………………का एक उदाहरण है।
  4. प्रौद्योगिकी में तीव्र उन्नति वह मुख्य कारक है जिसने…………… की प्रक्रिया को उत्प्रेरित किया।
  5. विभिन्न देशों में उत्पादन करने वाली कम्पनियों को …………….कहा जाता है।

उत्तर – 1. अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार, 2. एक देश से दूसरे देश में, 3. व्यापार अवरोधक, 4. वैश्वीकरण, 5. बहुराष्ट्रीय कम्पनी।

  • सत्य / असत्य
  1. भारत में लघु उद्योगों में कृषि के बाद सबसे अधिक श्रमिक नियोजित है।
  2. वैश्वीकरण ने संचार प्रौद्योगिकी को संकुचित किया है। 3. वैश्वीकरण से भारत में गरीबों को अधिक लाभ नहीं मिला है।
  3. वैश्वीकरण से क्षेत्रीय विषमताएँ कम हुई हैं।
  4. एक बहुराष्ट्रीय कम्पनी वह है जो केवल अपने राष्ट्र के लिए उत्पादन करती है।

 उत्तर- 1. सत्य, 2. असत्य, 3. सत्य, 4. असत्य, 5. असत्य

  • सही जोड़ी मिलाइए

‘अ’

  1. नई आर्थिक नीति लागू की गई
  2. उद्योगों तथा व्यापार को अनावश्यक प्रतिबन्ध से मुक्त करना
  3. विदेशी निवेश एवं विदेशी व्यापार को प्रोत्साहित करना
  4. निजी उद्यमियों को उद्योग लगाने हेतु प्रेरित करने की योजना

‘ब’

(क) वैश्वीकरण

(ख) विशेष आर्थिक क्षेत्र

(ग) जुलाई 1991

(घ) उदारीकरण

उत्तर- 1. (ग), 2. → (क), 3. (घ) 4. (ख) ।

एक शब्द / वाक्य में उत्तर

  1. किन दशकों में भारत में उद्योगों का उदय हुआ ?
  2. सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी को संक्षेप में क्या कहा जाता है?
  3. बहुराष्ट्रीय कम्पनियों द्वारा किए गए निवेश को क्या कहते हैं ?
  4. एक वर्ष में ही खिलौने की 70-80 प्रतिशत दुकानों में भारतीय खिलौनों का स्थान किस देश के खिलौनों ने ले लिया है ?
  5. भारत में लघु उद्योगों में कितने श्रमिक नियोजित हैं ?
  6. लम्बे समय से विभिन्न देशों को आपस में जोड़ने का मुख्य माध्यम क्या रहा है ?

उत्तर – 1. 1950 और 1960, 2. आई. टी., 3. विदेशी निवेश, 4. चीन, 5.2 करोड़, 6. विदेश व्यापार।

अति लघु उत्तरीय प्रश्न

 प्रश्न 1. वर्ष 1991 से पूर्व भारत के विदेशी व्यापार की नीति क्या थी ?

उत्तर- वर्ष 1991 तक आयातों पर नियन्त्रण रखा गया। इस अवधि में केवल अनिवार्य वस्तुओं, जैसे- मशीनरी, उर्वरक और पेट्रोलियम का ही मुख्य रूप से आयात किया गया। देश के उत्पादकों को विदेशी प्रतियोगिता से बचाए रखने के लिए संरक्षण की नीति को अपनाया गया। परिणामस्वरूप इस अवधि में व्यापार धीमी गति से बढ़ा।

प्रश्न 2. एक से अधिक देशों में उत्पादन करने वाली कम्पनियों को क्या कहा जाता है ?

उत्तर- एक से अधिक देशों में उत्पादन करने वाली कम्पनियों को बहुराष्ट्रीय कम्पनी कहा जाता है। प्रश्न 3. बहुराष्ट्रीय कम्पनियों से आप क्या समझते हैं ? उत्तर- एक बहुराष्ट्रीय कम्पनी वह है जो एक से अधिक राष्ट्रों में उत्पादन करती हैं। ये कम्पनियाँ बड़े पैमाने पर उत्पादन करती हैं और उत्पादित वस्तुओं को अनेक राष्ट्रों में बेचती हैं।

 प्रश्न 4. वैश्वीकरण से किस उपभोक्ता वर्ग को अधिक लाभ हुआ है ?

 उत्तर- शिक्षित, कुशल और सम्पन्न लोगों ने वैश्वीकरण से मिले नये अवसरों का सर्वोत्तम उपयोग किया है।

प्रश्न 5. किन उद्योगों पर वैश्वीकरण का बुरा प्रभाव पड़ा है ?

उत्तर- बैटरी, संधारित्र, प्लास्टिक, खिलौने, टायरों, डेयरी उत्पादों एवं खाद्य तेल के उद्योग कुछ ऐसे उदाहरण हैं, जहाँ प्रतिस्पर्धा के कारण छोटे विनिर्माताओं पर कड़ी मार पड़ी है। कई इकाइयाँ बन्द हो गई, जिसके चलते अनेक श्रमिक बेरोजगार हो गए।

प्रश्न 6. भारत के लघु उत्पादकों को बाजार में बेहतर प्रतिस्पर्धा के लिए किन तीन बातों की आवश्यकता है ?

उत्तर भारत के लघु उत्पादकों को बाजार में बेहतर प्रतिस्पर्धा के लिए तीन चीजों की आवश्यकता (i) बेहतर सड़कें, बिजली, पानी, कच्चा माल, विपणन और सूचना तन्त्र, (ii) प्रौद्योगिकी में सुधार एवं आधुनिकीकरण, और (iii) उचित ब्याज दर पर साख की समय पर उपलब्धता।

प्रश्न 7. श्रम विभाजन क्या है ?

उत्तर- किसी वस्तु की उत्पादन प्रक्रिया को विभिन्न उप-क्रियाओं में बाँटना और प्रत्येक उपक्रिया को अलग-अलग श्रमिकों से कराना श्रम विभाजन कहलाता है।है

प्रश्न 8. ऐसी भारतीय कम्पनियों के नाम बताइए जिन्होंने विश्व स्तर पर अपने क्रियाकलापों का प्रसार किया है ?

उत्तर- वैश्वीकरण ने कुछ बड़ी भारतीय कम्पनियों के रूप में उभरने के योग्य बनाया है। टाटा मोटर्स, इंफोसिस, एशियन पेंट्स, सुंदरम फास्नर्स कुछ ऐसी भारतीय कम्पनियाँ हैं जो विश्व स्तर पर अपने क्रियाकलापों का प्रसार कर रही हैं।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. वैश्वीकरण से आप क्या समझते हैं ? अपने शब्दों में स्पष्ट कीजिए।

उत्तर – वैश्वीकरण – वैश्वीकरण का शाब्दिक अर्थ अर्थव्यवस्था को विश्व की अर्थव्यवस्था के साथ एकीकृत करने से लगाया जाता है। इसमें प्रत्येक राष्ट्र का अन्य राष्ट्रों के साथ वस्तु, सेवा, पूँजी एवं बौद्धिक सम्पदा का अप्रतिबन्धित आदान-प्रदान होता है। यह वस्तुतः खुली अर्थव्यवस्था की विचारधारा पर आधारित है जिसमें विश्व के विभिन्न राष्ट्रों के मध्य व्यापारिक दृष्टिकोण से सार्वजनिक सीमाओं को अधिक महत्त्व नहीं दिया जाता है, बल्कि व्यापारिक लेन-देन या तो स्वतन्त्र रूप से या सीमित नियन्त्रण के अधीन चलते रहते हैं। अतः यह कहा जा सकता है कि वैश्वीकरण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके अन्तर्गत सभी व्यापारिक क्रियाओं का अन्तर्राष्ट्रीयकरण हो जाता है और वे एक इकाई के रूप में कार्य करने लगती हैं।

प्रश्न 2. विदेशी व्यापार क्या है ?

उत्तर- विदेशी व्यापार से आशय-“विदेशी व्यापार से आशय दो या दो से अधिक पृथक् सत्ताधारी राष्ट्रों के बीच वस्तुओं और सेवाओं के विनिमय से है।” यदि क्रेता और विक्रेता अलग-अलग सत्ताधारी देशों में रहते हों तो उनके बीच हुआ क्रय-विक्रय विदेशी व्यापार कहलाता है। इस प्रकार विदेशी व्यापार में वस्तुएँ एक देश की सीमाओं को पार करके दूसरे देश की सीमाओं में प्रवेश करती हैं। उदाहरण के लिए, बांग्लादेश तथा भारत के बीच होने वाला व्यापार विदेशी व्यापार कहलायेगा। विदेशी व्यापार तीन प्रकार का होता है

(1) आयात व्यापार – आयात व्यापार से आशय दूसरे राष्ट्रों से माल अपने देश में मँगवाने से है।

 (2) निर्यात व्यापार निर्यात व्यापार से आशय अपने देश से विदेशों को माल भेजे जाने से है।

(3) निर्यात हेतु आयात- जब वस्तुएँ किसी एक देश में दूसरे देश से स्थानीय उपयोग के लिए आयात नहीं की गई हों वरन् वहाँ से किसी अन्य देश को निर्यात करने के उद्देश्य से आयात की गई हों, तो ऐसे व्यापार को ‘निर्यात हेतु आयात’ कहते हैं।

प्रश्न 3. किन्हीं तीन बातों की व्याख्या कीजिए जिनसे बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ अन्य देशों में हो रहे उत्पादों पर नियन्त्रण रखती हैं।

उत्तर – (1) सामान्यत: बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ उसी स्थान पर उत्पादन इकाई स्थापित करती है जो बाजार के नजदीक हो, जहाँ कम लागत पर कुशल और अकुशल श्रम उपलब्ध हो और जहाँ उत्पादन के अन्य कारको की उपलब्धता सुनिश्चित हो ।

(2) बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ सरकारी नीतियों पर भी नजर रखती हैं, जो उनके हितों का देखभाल करती हैं।

(3) इन परिस्थितियों को सुनिश्चित करने के बाद ही बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ उत्पादन के लिए कार्यालयों और कारखानों की स्थापना करती हैं।

प्रश्न 4. “सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी ने विभिन्न देशों के बीच सेवाओं के उत्पादन के प्रसार में मुख्य भूमिका निभायी है।” इस कथन को स्पष्ट कीजिए

उत्तर- सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी का विकास वर्तमान समय में दूरसंचार कम्प्यूटर और इण्टरनेट के क्षेत्र में प्रौद्योगिकी द्रुत गति से परिवर्तित हो रही है। दूरसंचार सुविधाओं (टेलीग्राफ, टेलीफोन, मोबाइल फोन एवं फैक्स) का विश्व भर में एक-दूसरे से सम्पर्क करने, सूचनाओं को तत्काल प्राप्त करने और दूरवर्ती क्षेत्रों में संवाद करने में प्रयोग किया जाता है। ये सुविधाएँ संचार उपग्रहों द्वारा सुगम हुई हैं। जीवन के लगभग प्रत्येक क्षेत्र में कम्प्यूटरों का प्रवेश हो गया है। इण्टरनेट का चमत्कारिक संसार, जहाँ जो कुछ भी हम जानना चाहते हैं, लगभग उसकी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं और सूचनाओं को आपस में बाँट सकते हैं। इण्टरनेट से हम तत्काल इलेक्ट्रॉनिक डाक (ई-मेल) भेज सकते हैं और अत्यन्त कम मूल्य पर विश्व भर में बात (वॉयस मेल) कर सकते हैं।

 प्रश्न 5. “वैश्वीकरण का प्रभाव एकसमान नहीं है।” इस कथन की अपने शब्दों में व्याख्या कीजिए।

उत्तर – वैश्वीकरण ने संचार प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में नवीन लाभप्रद सेवाओं का विस्तार किया है। एक भारतीय कम्पनी द्वारा लन्दन स्थित कम्पनी के लिए पत्रिका का प्रकाशन और कॉल सेन्टर्स इसके उदाहरण हैं। इसके अतिरिक्त डाटा एन्ट्री, लेखाकरण, प्रशासनिक कार्य, इंजीनियरिंग जैसी कई सेवाएँ भारत में उपलब्ध हैं। ये सेवाएँ विकसित राष्ट्रों को निर्यात की जाती हैं। भारत को ‘सॉफ्टवेयर की सेवाओं के निर्यात के द्वारा बड़ी मात्रा में विदेशी मुद्रा का अर्जन हो रहा है। ‘ दूसरी ओर छोटे उत्पादकों पर वैश्वीकरण का बुरा प्रभाव पड़ा है। विदेशी उत्पादित माल से प्रतियोगिता लघु करने में छोटे उद्योग सक्षम नहीं हैं। परिणामस्वरूप अनेक छोटे उद्योग बन्द हो गए हैं। बैटरी, प्लास्टिक, खिलौने, टायर, डेयरी उत्पादों एवं खाद्य तेल के उद्योगों की स्थिति खराब है। यहाँ पर उल्लेखनीय है कि भारत में उद्योगों में कृषि के बाद सबसे अधिक लोगों को रोजगार प्राप्त है।

प्रश्न 6. व्यापार और निवेश नीतियों का उदारीकरण वैश्वीकरण प्रक्रिया में कैसे सहायता पहुँचाती हैं ?

उत्तर- व्यापार और निवेश नीतियों का उदारीकरण वैश्वीकरण प्रक्रिया में निम्न प्रकार सहायता पहुँचाती हैं

( 1 ) वैश्वीकरण विभिन्न राष्ट्रों के बीच तीव्र एकीकरण की प्रक्रिया है। यह अधिकाधिक विदेशी निवेश और विदेशी व्यापार के द्वारा संभव हो रहा है। बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ वैश्वीकरण की प्रक्रिया में मुख्य भूमिका निभा रही हैं। अधिक से अधिक बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ विश्व के उन स्थानों की खोज कर रही हैं, जो उनके उत्पादन के लिए ज्यादा सस्ते हों। परिणामतः उत्पादन कार्य जटिल ढंग से संगठित किया जा रहा है।

(2) राष्ट्रों के मध्य उत्पादन को संगठित करने में प्रौद्योगिकी, विशेषकर सूचना प्रौद्योगिकी ने एक बड़ी भूमिका निभायी है। साथ ही, व्यापार और निवेश के उदारीकरण ने व्यापार और निवेश अवरोधकों को हटाकर वैश्वीकरण को सुगम बनाया है। अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर विश्व व्यापार संगठन ने व्यापार और निवेश के उदारीकरण के लिए विकासशील राष्ट्रों पर दबाव डाला है।

प्रश्न 7. वैश्वीकरण भविष्य में जारी रहेगा। क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि आज से बीस वर्ष बाद विश्व कैसा होगा ? अपने उत्तर का कारण दीजिए।

उत्तर- वैश्वीकरण वर्तमान और भविष्य की आवश्यकता है। यदि वैश्वीकरण भविष्य में जारी रहेगा, तो इससे विश्व को बहुत लाभ होगा। यह लाभ अनेक प्रकार के हो सकते हैं

(1) रोजगार के नये अवसर उत्पन्न होंगे।

(2) कम्पनियों को बढ़ती प्रतियोगिता से लाभ होगा तथा कुछ कम्पनियों को संयुक्त साहस से भी लाभ होगा।

(3) इससे श्रम सम्बन्धी सभी बाधाएँ दूर हो जाएँगी एवं भविष्य में लोगों के जीवन स्तर में सुधार होगा।

 (4) अत: आज से बीस वर्ष बाद लोग अपेक्षाकृत उच्चतर जीवन स्तर का आनन्द लेंगे।

प्रश्न 8. श्रम कानूनों में लचीलापन कम्पनियों की कैसे मदद करेगा ?

उत्तर- विदेशी निवेश आकर्षित करने हेतु सरकार ने श्रम कानूनों में लचीलापन लाने की अनुमति दे दी है। संगठित क्षेत्र की कम्पनियों को कुछ नियमों का अनुपालन करना पड़ता है जिसका उद्देश्य श्रमिक अधिकारों का संरक्षण करना है। हाल के वर्षों में सरकार ने कम्पनियों को अनेक नियमों से छूट लेने की अनुमति दे दी है। अब नियमित आधार पर श्रमिकों को रोजगार देने के बजाय कम्पनियों में जब काम का अधिक दबाव होता है, तो लोचदार ढंग से छोटी अवधि के लिए श्रमिकों को कार्य पर रखती हैं। कम्पनी की श्रम लागत में कटौती करने के लिए ऐसा किया जाता है।

प्रश्न 9. “कारगिल फूड्स” भारत में खाद्य तेलों का सबसे बड़ा उत्पादक कैसे बना ? व्याख्या कीजिए।

उत्तर- बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के निवेश का सबसे आम रास्ता स्थानीय कम्पनियों को खरीदना और उसके बाद उत्पादन का प्रसार करना है। अपार सम्पदा वाली बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ यह सरलता से कर सकती हैं। उदाहरण के लिए, एक बहुत बड़ी अमेरिकी बहुराष्ट्रीय कम्पनी कारगिल फूड्स ने परख फूड्स जैसी छोटी भारतीय कम्पनियों को खरीद लिया। परख फूड्स ने भारत के विभिन्न भागों में एक बड़ा विपणन तन्त्र तैयार किया था, जहाँ उसके ब्राण्ड काफी प्रसिद्ध थे। परख फूड्स के चार तेल शोधक केन्द्र भी थे, जिस पर अब कारगिल का नियन्त्रण हो गया है। अब कारगिल 50 लाख पैकेट प्रतिदिन निर्माण क्षमता के साथ भारत में खाद्य तेलों की सबसे बड़ी उत्पादक कम्पनी है।

प्रश्न 10. भारत में चीनी खिलौने के व्यापार पर टिप्पणी कीजिए।

उत्तर- व्यापार के कारण चीनी खिलौने भारत के बाजारों में आए भारतीय और चीनी खिलौनों की प्रतिस्पर्धा में चीनी खिलौने बेहतर साबित हुए। भारतीय खरीददारों के समक्ष कम कीमत पर खिलौनों के अपेक्षाकृत अधिक विकल्प हैं। इससे चीन के खिलौना निर्माताओं को अपना व्यवसाय फैलाने के लिए अवसर प्राप्त होता है। इसके विपरीत, भारतीय खिलौना निर्माताओं को हानि होती है, क्योंकि उनके खिलौने कम बिकते हैं। एक वर्ष में ही खिलौने की 70-80 प्रतिशत दुकानों में भारतीय खिलौनों का स्थान चीनी खिलौनों ने ले लिया है।

 

प्रश्न 11. “फोर्ड मोटर कम्पनी” फोर्ड इण्डिया को विकसित करना क्यों चाहती थी, एक आंशिक वितरण विश्व के अन्य संयन्त्रों के आधार पर व्याख्या कीजिए।

उत्तर- अमेरिकी कम्पनी फोर्ड मोटर्स विश्व के 26 राष्ट्रों में प्रसार के साथ विश्व की सबसे बड़ी मोटरगाड़ी निर्माता कम्पनी है। यह कम्पनी 1995 में भारत आयी और चेन्नई के समीप ₹1,700 करोड़ का निवेश करके एक विशाल संयन्त्र की स्थापना की। यह संयन्त्र भारत में जीपों एवं ट्रकों के प्रमुख निर्माता महिन्द्रा एण्ड महिन्द्रा के सहयोग से स्थापित किया गया। वर्ष 2017 तक फोर्ड मोटर्स भारतीय बाजारों में 88,000 कारें बेच रही थी जबकि 1,81,000 कारों का निर्यात भी भारत से दक्षिण अफ्रीका, मैक्सिको, ब्राजील और संयुक्त राज्य अमेरिका किया गया। कम्पनी विश्व के दूसरे राष्ट्रों में अपने संयन्त्रों के लिए फोर्ड इण्डिया का विकास पुर्जा आपूर्ति केन्द्र के रूप में करना चाहती है।

 

प्रश्न 12. कंटेनर क्या हैं? इनकी उपयोगिता बताइए।

उत्तर- वस्तुओं को कंटेनरों में रखा जाता है, जिससे इन्हें जहाजों, रेलों, वायुयानों एवं ट्रकों पर बिना क्षति के लादा जा सके। कंटेनरों से ढुलाई लागत में भारी बचत हुई है और माल को बाजारों तक पहुँचाने की गति में वृद्धि हुई है। इसी प्रकार, वायु यातायात की लागत में गिरावट आयी है। परिणामतः वायुमार्ग से अपेक्षाकृत अधिक मात्रा में वस्तुओं का परिवहन सम्भव हुआ है।

दीर्घ उत्तरीय / विश्लेषणात्मक प्रश्न

प्रश्न 1. भारत सरकार द्वारा विदेश व्यापार एवं विदेशी निवेश पर अवरोधक लगाने के क्या कारण थे ? इन अवरोधकों को सरकार क्यों हटाना चाहती थी ?

 उत्तर- सरकार व्यापार अवरोधक का प्रयोग विदेश व्यापार में वृद्धि या कटौती (नियमित करने) और देश में किस प्रकार की वस्तुएँ कितनी मात्रा में आयातित होनी चाहिए, यह निर्णय करने के लिए कर सकती हैं। आजादी के बाद भारत सरकार ने विदेश व्यापार एवं विदेशी निवेश पर प्रतिबन्ध लगा रखा था। राष्ट्र के उत्पादकों को विदेशी प्रतियोगिता से संरक्षण प्रदान करने के लिए यह अनिवार्य माना गया। 1950 और 1960 के दशकों में उद्योगों का उदय हो रहा था और इस अवस्था में आयात से प्रतिस्पर्धा इन उद्योगों को बढ़ने नहीं देती। इसलिए भारत ने केवल अनिवार्य वस्तुओं जैसे- मशीनरी, उर्वरक और पेट्रोलियम के आयात की ही अनुमति दी। सन् 1991 के प्रारम्भ से नीतियों में कुछ दूरगामी परिवर्तन किए गए। सरकार ने यह निश्चय किया कि भारतीय उत्पादकों के लिए विश्व के उत्पादकों से प्रतिस्पर्धा करने का समय आ गया है। यह महसूस किया गया कि प्रतिस्पर्धा से देश में उत्पादकों के प्रदर्शन में सुधार होगा, क्योंकि उन्हें अपनी गुणवत्ता में सुधार करना होगा। इस निर्णय का प्रभावशाली अन्तर्राष्ट्रीय संगठनों ने समर्थन किया।अतः विदेशी व्यापार एवं विदेशी निवेश पर से अवरोधों को काफी सीमा तक हटा दिया गया। इसक आशय यह है कि वस्तुओं का आयात निर्यात सुगमता से किया जा सकता था और विदेशी कम्पनियाँ भारत अपने कार्यालय और कारखाने स्थापित कर सकती थीं।

प्रश्न 2. वैश्वीकरण की प्रक्रिया को प्रोत्साहित करने वाले कारणों की विवेचना कीजिए।

अथवा

वैश्वीकरण को प्रोत्साहित करने वाले प्रमुख कारक लिखिए।

उत्तर- वैश्वीकरण की प्रक्रिया को प्रोत्साहित करने वाले कारक वैश्वीकरण की प्रक्रिया को प्रोत्साहित करने वाले कारक निम्नलिखित हैं

 (1) तकनीक – पिछले पाँच दशकों में तकनीकी ज्ञान का तेजी से विकास हुआ है। परिवहन प्रौद्योगिकी ने अब लम्बी दूरियों तक वस्तुओं को कम लागत पर भेजना सम्भव बनाया है। दूर संचार सुविधाओं, जैसे- इन्टरनेट, मोबाइल फोन, फैक्स आदि ने विश्व भर में एक-दूसरे से सम्पर्क करने के कार्य को आसान बना दिया है। संचार उपग्रहों ने इन सुविधाओं का विस्तार कर क्रान्तिकारी परिवर्तन कर दिया है जिससे वैश्वीकरण का तेजी से विस्तार हुआ है।

(2) प्रतियोगिता- पूँजीवादी आर्थिक प्रणाली में प्रतियोगिता का विशेष महत्त्व होता है। इस प्रणाली में विभिन्न उत्पादक कम्पनियाँ बाजारों पर कब्जा करने के उद्देश्य से प्रतियोगिता का सहारा लेती हैं। इसके लिये ये कम्पनियाँ कीमत कम करने के साथ-साथ विज्ञापनों एवं प्रचार-प्रसार के विभिन्न माध्यमों का उपयोग करती हैं।

(3) बाजार का विस्तार पिछले कुछ वर्षों में उपभोक्ताओं की आय में वृद्धि, उपभोक्ता प्रवृत्ति, रुचि एवं आदतों में परिवर्तन आदि से वस्तुओं एवं सेवाओं की माँग में वृद्धि हुई है। प्रौद्योगिकी के विकास से उत्पादनों की किस्म एवं गुणवत्ता में सुधार हुआ है। फलत: नई-नई वस्तुओं का उत्पादन सम्भव हुआ है जिससे बाजारों का विस्तार हुआ है।

(4) बहुराष्ट्रीय कम्पनियों का विस्तार- बहुराष्ट्रीय कम्पनियों की पहली विशेषता यह है कि इनकी क्रियाएँ किसी एक राष्ट्र में सीमित न होकर अनेक राष्ट्रों में चलती हैं। ये कम्पनियाँ उन राष्ट्रों में उत्पादन के लिए कारखाने स्थापित करती हैं, जहाँ उन्हें सस्ता श्रम एवं अन्य साधन मिलते हैं। इससे उत्पादन लागत में कमी आती है तथा कम्पनियों की प्रतियोगिता करने की क्षमता बढ़ जाती है। बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ केवल वैश्विक स्तर पर ही अपने उत्पादन नहीं बेचतीं वरन् अधिक महत्त्वपूर्ण यह है कि वे वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन विश्व स्तर पर करती हैं।

(5) उदारीकरण की प्रक्रिया- बीसवीं शताब्दी के मध्य तक उत्पादन मुख्यतः राष्ट्रों की सीमाओं के अन्दर ही सीमित था। अनेक राष्ट्रों ने अपने द्वारा उत्पादित वस्तुओं को विदेशी प्रतियोगिता से बचाने के लिये अनेक प्रकार के कठोर प्रतिबन्ध लगा दिये थे। किन्तु 1970 एवं 1990 के दशकों में अनेक ऐसे परिवर्तन हुए जिनसे विदेशी व्यापार को उदार बनाने की प्रक्रिया प्रारम्भ हुई। सन् 1995 में विश्व व्यापार संगठन की स्थापना के बाद प्राय: विश्व के सभी राष्ट्रों ने अपने आयात करों में कमी की है और अपने राष्ट्र के बाजार को अन्य राष्ट्रों के लिये खोल दिया है। परिणामस्वरूप वैश्वीकरण की प्रक्रिया को प्रोत्साहन मिला है।

प्रश्न 3. वैश्वीकरण से उत्पन्न प्रमुख समस्याओं का वर्णन कीजिए।

उत्तर

वैश्वीकरण से उत्पन्न समस्याएँ

वैश्वीकरण से उत्पन्न प्रमुख समस्याएँ निम्नलिखित हैं

(1) श्रमिकों के जीवन पर प्रभाव- वैश्वीकरण के कारण श्रमिकों के जीवन पर व्यापक प्रभाव पड़ा है। बढ़ती प्रतिस्पर्धा के कारण अधिकांश नियोक्ता इन दिनों श्रमिकों को रोजगार देने में लचीलापन पसन्द करते हैं। इसका आशय है कि श्रमिकों का रोजगार अब सुनिश्चित नहीं है।

(2) छोटे उत्पादकों पर प्रभाव- लघु उत्तरीय प्रश्न 5 का उत्तर देंखे।

 (3) सभी लोगों को लाभ नहीं- वैश्वीकरण का लाभ समाज के सभी वर्गों को नहीं मिला है। शिक्षित, कुशल और सम्पन्न लोगों ने वैश्वीकरण से मिले नये अवसरों का सर्वोत्तम उपयोग किया है। इसके विपरीत, अनेक लोगों को लाभ में हिस्सा नहीं मिला है। इस प्रकार यह कहा जा सकता है कि समाज का कमजोर एवं गरीब वर्ग वैश्वीकरण के लाभों से दूर है।

(4) विकसित राष्ट्रों का आधिपत्य – वैश्वीकरण की प्रक्रिया विश्व व्यापार संगठन के निर्देशानुसार क्रियान्वित की जा रही है। किन्तु इस संगठन में विकसित राष्ट्रों का वर्चस्व अधिक है। ये राष्ट्र उन्हीं नीतियों एवं कार्यक्रमों का समर्थन करते हैं जिनसे उन्हें लाभ प्राप्त होता है। श्रमिक के लिए इन राष्ट्रों ने अपने बाजार नहीं खोले हैं। इसी प्रकार कृषि को दी जाने सब्सिडी पर भी कोई निर्णय नहीं हुआ है। अत: यह आवश्यक है कि विकसित राष्ट्रों के वर्चस्व को समाप्त किया जाए और वैश्वीकरण को विकसित किया जाए जिससे सभी राष्ट्रों को लाभ हो।

(5) क्षेत्रीय असमानताएँ – वैश्वीकरण से क्षेत्रीय विषमताएँ बढ़ी हैं जिस प्रकार वैश्वीकरण से विकासशील राष्ट्रों की तुलना में विकसित राष्ट्रों को अधिक लाभ मिला है, ठीक उसी प्रकार राष्ट्र के अन्दर भी विकसित क्षेत्रों को पिछड़े क्षेत्रों की तुलना में अधिक लाभ प्राप्त हुआ है। इस प्रकार वैश्वीकरण के लाभ सभी क्षेत्रों के लोगों को प्राप्त नहीं हुए हैं।

प्रश्न 4. विदेशी निवेश आकर्षित करने के लिए उठाए गए कदम बताइए।

उत्तर- हाल के वर्षों में भारत की केन्द्र एवं राज्य सरकारें भारत में निवेश हेतु विदेशी कम्पनियों को आकर्षित करने के लिए विशेष कदम उठा रही हैं।

(1) औद्योगिक क्षेत्रों, जिन्हें विशेष आर्थिक क्षेत्र कहा जाता है, की स्थापना की जा रही है। विशेष आर्थिक क्षेत्रों में विश्व स्तरीय सुविधाएँ बिजली, पानी, सड़क, परिवहन, भण्डारण, मनोरंजन और शैक्षिक सुविधाएँ उपलब्ध होनी चाहिए।

(2) विशेष आर्थिक क्षेत्र में उत्पादन इकाइयाँ स्थापित करने वाली कम्पनियों को आरम्भिक पाँच वर्षों तक कोई कर नहीं देना पड़ता है।

(3) विदेशी निवेश आकर्षित करने हेतु सरकार ने श्रम कानूनों में लचीलापन लाने की अनुमति दे दी है।

(4) संगठित क्षेत्र की कम्पनियों को कुछ नियमों का अनुपालन करना पड़ता है जिसका उद्देश्य श्रमिक अधिकारों का संरक्षण करना है। हाल के वर्षों में सरकार ने कम्पनियों को अनेक नियमों से छूट लेने की अनुमति दे दी है।

(5) अब नियमित आधार पर श्रमिकों को रोजगार देने के बजाय कम्पनियों में जब काम का अधिक दबाव होता है, तो लोचदार ढंग से छोटी अवधि के लिए श्रमिकों को कार्य पर रखती हैं। कम्पनी की श्रम लागत में कटौती करने के लिए ऐसा किया जाता है।

प्रश्न 5. दूसरे देशों में बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ किस प्रकार उत्पादन या उत्पादन पर नियन्त्रण स्थापित करती हैं ?

उत्तर-दूसरे देशों में बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ निम्न प्रकार उत्पादन या उत्पादन पर नियन्त्रण स्थापित करती हैं

 (1) सामान्यत: बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ उसी स्थान पर उत्पादन इकाई स्थापित करती हैं जो बाजार के नजदीक हो, जहाँ कम लागत पर कुशल और अकुशल श्रम उपलब्ध हो और जहाँ उत्पादन के अन्य कारकों की उपलब्धता सुनिश्चित हो। साथ ही, बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ सरकारी नीतियों पर भी नजर रखती हैं, जो उनके हितों का देखभाल करती हैं।

(2) बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ उत्पादन के लिए कार्यालयों और कारखानों की स्थापना करती है। परिसम्पत्तियों; जैसे- भूमि, भवन, मशीन और अन्य उपकरणों की खरीद में व्यय की गई मुद्रा को निवेश कहते हैं। बहुराष्ट्रीय कम्पनियों द्वारा किए गए निवेश को विदेशी निवेश कहते हैं।

(3) कभी-कभी बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ इन देशों की स्थानीय कम्पनियों के साथ संयुक्त रूप से उत्पादन करती हैं। संयुक्त उत्पादन से स्थानीय कम्पनी को दोहरा लाभ होता है।

(4) बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के निवेश का सबसे आम रास्ता स्थानीय कम्पनियों को खरीदना और उसके बाद उत्पादन का प्रसार करना है। अपार सम्पदा वाली बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ यह आसानी से कर सकती हैं।

(5) बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ एक अन्य तरीके से उत्पादन नियन्त्रित करती हैं। विकसित देशों की बड़ी बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ छोटे उत्पादकों को उत्पादन का ऑर्डर देती हैं। वस्त्र, जूते-चप्पल एवं खेल के सामान ऐसे उद्योग हैं, जहाँ विश्व भर में बड़ी संख्या में छोटे उत्पादकों द्वारा उत्पादन किया जाता है। बहुराष्ट्रीय कम्पनियों को इन उत्पादों की आपूर्ति की जाती है। फिर इन्हें अपने ब्राण्ड नाम से ग्राहकों को बेचती हैं। इस प्रकार, हम देखते हैं कि बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ कई तरह से अपने उत्पादन कार्य का प्रसार कर रही हैं और विश्व के कई देशों की स्थानीय कम्पनियों के साथ पारस्परिक सम्बन्ध स्थापित कर रही हैं।

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