NCERT Class 10 SOCIAL SCIENCE Geography:अध्याय 25 उपभोक्ता अधिकार IMPORTANT QUESTIONS

अध्याय 25 उपभोक्ता अधिकार

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

  • बहु-विकल्पीय प्रश्न

  1. उपभोक्ता जागरूकता आवश्यक है

(i) शोषण से बचाव के लिए

(ii) उच्च जीवन स्तर के लिए

(iii) हानिकारक उपभोग रोकने के लिए

(iv) उक्त सभी।

  1. आवश्यक वस्तु अधिनियम किस वर्ष में पारित किया गया ?

(i) सन् 1949 में

(ii) सन् 1952 में

(iii) सन् 1955 में

(iv) सन् 1960 में।

  1. उपभोक्ता संरक्षण नियम कब लागू किया ?

 (i) 1986 में

(ii) 1996 में

(iii) 1975 में

(iv) 1999 में।

  1. कोपरा किस पर लागू होता है ?

(i) दुकानों पर

(ii) सामानों पर

 (iii) मकानों पर

(iv) उपर्युक्त सभी।

  1. उपभोक्ता संरक्षण परिषद् किस प्रकार का संगठन है ?

(i) सामाजिक

(ii) असामाजिक

(iii) सार्वजनिक

(iv) अन्तर्राष्ट्रीय

  1. उपभोक्ता जागरूकता का अर्थ है

(i) अपने अधिकारों के प्रति सतर्कता

(ii) अपने कर्त्तव्यों के प्रति सतर्कत

(iii) उपरोक्त दोनों के प्रति सतर्कता

 (iv) उपरोक्त में से कोई नहीं।

  1. उत्पादक वस्तु की गुणवत्ता एवं कीमत के सम्बन्ध में मनमानी कर सकते हैं

(i) प्रतियोगी बाजार में

 (ii) एकाधिकार में

(iii) कृषि उत्पादों में

(iv) इनमें से कोई नहीं।

  1. एगमार्क सुरक्षा चिह्न है

(i) आभूषणों के लिए

(ii) कृषि उत्पादों के लिए

(iii) ऊनी वस्त्रों के लिए

(iv) बिजली उपकरणों के लिए।

उत्तर- 1. (iv), 2. (iii), 3. (i), 4. (ii), 5. (i), 6. (iii) 7. (ii), 8. (ii).

  • रिक्त स्थानों की पूर्ति
  1. मिलावटी खाद्य पदार्थ के विरुद्ध उपभोक्ताओं को ………………….अधिकार प्राप्त है।
  2. आई. एस. आई. …………..स्तर का मानक है।
  3. वस्तु की पूर्ति होते हुए उसका अभाव बताना…………………. ‘कहलाता है।
  4. उपभोक्ताओं को अनुचित सौदेबाजी और शोषण के विरुद्ध…………………. है।
  5. बिजली के उपकरणों पर का चिन्ह रहता है। 6. एक उपभोक्ता वह व्यक्ति है जो………………से वस्तु खरीदता है।

 उत्तर – 1. वस्तुओं और सेवाओं की जानकारी, 2. गुणवत्ता, 3. कृत्रिम अभाव, 4. क्षतिपूर्ति निवारण का अधिकार, 5. आई.एस.आई., 6. बाजार।

सत्य / असत्य

  1. जब अधिक मूल्य का नुकसान हो, तभी उपभोक्ता अदालत में जाना लाभप्रद होता है।
  2. हॉलमार्क, आभूषणों की गुणवत्ता बनाए रखने वाला प्रमाण है।
  3. उपभोक्ता समस्याओं के निवारण की प्रक्रिया अत्यन्त सरल और शीघ्र होती है।
  4. उपभोक्ता को मुआवजा पाने का अधिकार है, जो क्षति की मात्रा पर निर्भर करती है।
  5. कोपरा केवल सामानों पर लागू होता है।
  6. भारत विश्व के उन देशों में से एक है, जिसके पास उपभोक्ताओं की समस्याओं के निवारण के लिए विशिष्ट अदालतें हैं।
  7. जब उपभोक्ता को ऐसा लगे कि उसका शोषण हुआ है, तो उसे जिला उपभोक्ता अदालत में निश्चित रूप से मुकदमा दायर करना चाहिए।

उत्तर – 1. असत्य, 2. सत्य, 3. असत्य, 4. सत्य, 5. असत्य, 6. सत्य, 7. सत्य।

सही जोड़ी बनाइए

‘अ’

  1. एक उत्पाद के घटकों का विवरण
  2. एगमार्क
  3. स्कूटर में खराब इंजन के कारण हुई दुर्घटना
  4. जिला उपभोक्ता अदालत विकसित करने वाली एजेंसी
  5. उपभोक्ता इंटरनेशनल
  6. भारतीय मानक ब्यूरो

 ‘ब’

(क) सुरक्षा का अधिकार

(ख) उपभोक्ता मामलों में सम्बन्ध

(ग) अनाजों और खाद्य तेल का प्रमाण

(घ) उपभोक्ता कल्याण संगठनों की अन्तर्राष्ट्रीय संस्था

(ङ) सूचना का अधिकार

(च) वस्तुओं और सेवाओं के लिए मानक

उत्तर – 1. → (ङ), 2. → (ग), 3. → (क), 4. → (ख), 5. → (घ), 6.→ (च) ।

(II)

            ‘अ’

  1. मानकीकरण
  2. आई. एस. आई.
  3. उपभोक्ता शोषण
  4. उपभोक्ता जागरूकता
  5. उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम

           ‘ब’

(क) औद्योगिक वस्तुएँ

(ख) त्रिस्तरीय व्यवस्था

(ग) भारतीय मानक संस्थान

(घ) कालाबाजारी

(ङ) जीवन स्तर में वृद्धि

उत्तर – 1. (ग), 2. → (क), 3. → (घ), 4. (ङ), 5. → (ख) ।

एक शब्द / वाक्य में उत्तर

  1. वस्तु या सेवा के खरीददार को क्या कहते हैं ?
  2. वूलमार्क किसकी गुणवत्ता को प्रमाणित करता है ?
  3. हॉलमार्क के द्वारा किसकी गुणवत्ता को प्रमाणित किया जाता है ?
  4. राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस कब मनाया जाता है ?
  5. सूचना प्राप्त करने का अधिकार (राइट टू इन्फॉरमेशन) किस वर्ष में पारित किया गया ?
  6. 1986 में भारत सरकार द्वारा उपभोक्ता सुरक्षा अधिनियम, 1986 कानून का बनना किस नाम से प्रसिद्ध है ?
  7. किस दशक में व्यवस्थित रूप में उपभोक्ता आन्दोलन का उदय हुआ ?

उत्तर – 1. उपभोक्ता, 2. ऊन एवं ऊनी वस्त्रों की, 3. स्वर्ण आभूषण में, 4. 24 दिसम्बर, 5. वर्ष 2005 में, 6. कोपरा (COPRA) 7. 1960 के दशक में

अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. वस्तु के सम्बन्ध में सीमित जानकारी प्राप्त होने का क्या परिणाम होता है ?

उत्तर- वैश्वीकरण के इस युग में बाजार अनेक प्रकार के उत्पादों से भरा पड़ा है। उत्पादक उत्पादन करने हेतु स्वतन्त्र है। गुणवत्ता एवं मूल्य निर्धारण के कोई निश्चित समय नहीं हैं। वस्तु के अनेक पहलुओं जैसे- मूल्य, गुण, संरचना, प्रयोग की शर्तें क्रय के नियम आदि की उपयुक्त एवं पूर्ण जानकारी का अभाव होता है। अतः उपभोक्ता गलत चुनाव करके अपना आर्थिक नुकसान कर बैठते हैं।

प्रश्न 2. एकाधिकार क्या है ?

उत्तर- एकाधिकार- एकाधिकार का आशय है किसी वस्तु के उत्पादन एवं वितरण पर किसी एक उत्पादक या एक उत्पादक समूह का अधिकार होना। एकाधिकार की स्थिति में उत्पादक कीमतों एवं वस्तु की गुणवत्ता तथा उपलब्धता के सम्बन्ध में मनमानी करते हैं। फलतः वे उपभोक्ताओं का शोषण करने में सफल हो जाते हैं।

प्रश्न 3. कालाबाजारी किसे कहते हैं ?

उत्तर- जब उत्पादक एवं व्यापारी आवश्यक वस्तुओं की जमाखोरी कर लेते हैं तो इन वस्तुओं का मूल्य बाजार में बढ़ जाता है। विवशतापूर्ण उपभोक्ताओं को इन्हीं ऊँचे मूल्यों पर वस्तुओं को खरीदना पड़ता है और यदि सरकार इन वस्तुओं की राशनिंग कर देती है तो यही वस्तुएँ काले बाजार में बिकने के लिए आ जाती हैं, इसे ही कालाबाजारी कहते हैं।

प्रश्न 4. उपभोक्ता शिक्षा से क्या अभिप्राय है ?

उत्तर- उपभोक्ता अपनी सीमित आय से अधिकतम सन्तुष्टि प्राप्त कर सके और बाजार में व्याप्त बुराइयों से अपने आपको शोषण से बचा सके। उपभोक्ता शिक्षा से उन्हें ऐसा ज्ञान प्राप्त होगा जिससे उनमें वस्तुओं को गुण-दोषों के आधार पर परखने की क्षमता पैदा होगी और इस ज्ञान से वे उचित समय पर उचित वस्तुएँ क्रय कर सकेंगे।

प्रश्न 5. सूचना का अधिकार क्या है ?

उत्तर- भारत सरकार ने वर्ष 2005 में सूचना प्राप्त करने का अधिकार (राइट टू इन्फॉरमेशन) के नाम से जानने वाला कानून बनाया है। यह कानून सरकारी विभागों के कार्य-कलापों की सभी सूचनाएँ पाने के अधिकार को सुनिश्चित करता है।

प्रश्न 6. उपभोक्ता शोषण से क्या आशय है ?

उत्तर- उपभोक्ता शोषण से आशय है कि उपभोक्ताओं को कम वजन तौलना, अधिक कीमत वसूलना, मिलावटी एवं दोषपूर्ण वस्तुएँ बेचना, भ्रमित विज्ञापन देकर उपभोक्ताओं को गुमराह करना आदि ।

प्रश्न 7. उपभोक्ता शोषण के दो प्रकार बताइए।

उत्तर-(1) ऊँची कीमतें–प्रायः दुकानदार निर्धारित फुटकर कीमत से अधिक मनमानी कीमत ले लेते हैं।

(2) मिलावट एवं अशुद्धता – मिलावट का आशय है वस्तु में कुछ सस्ती वस्तु को मिला देना। इससे कई बार उपभोक्ता के स्वास्थ्य को हानि होती है।

 

 प्रश्न 8. सिनेमा की टिकट को उसकी निर्धारित कीमत से अधिक कीमत पर बेचना क्या कहलाता है ?

उत्तर- टिकट की कालाबाजारी द्वारा उपभोक्ता का शोषण

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. दो उदाहरण देकर उपभोक्ता जागरूकता की जरूरत का वर्णन करें।

उत्तर- उपभोक्ता को जागरूक बनाने की आवश्यकता एवं महत्त्व निम्न से स्पष्ट है

 (1) अधिकतम सन्तुष्टि प्राप्त करना- प्रत्येक व्यक्ति की आय सीमित होती है। वह अपनी आय से अधिक वस्तुएँ व सेवाएँ खरीदना चाहता है। इससे ही उसे पूर्ण सन्तुष्टि प्राप्त होती है। अतः यह आवश्यक है कि उसे वस्तुएँ सही माप-तौल के अनुसार प्राप्त हों और उसके साथ किसी भी प्रकार की धोखाधड़ी न हो। इसके लिए उसे जागरूक बनाना आवश्यक है।

(2) उत्पादकों के शोषण से बचाव- उत्पादक एवं विक्रेता उपभोक्ताओं का कई प्रकार से शोषण करते हैं, जैसे-कम तौलना, अधिक कीमत लेना, बिल न देना, मिलावट करना, नकली वस्तु देना आदि। बड़ी-बड़ी कम्पनियाँ भी अपने विज्ञापनों से उपभोक्ताओं को भ्रमित करती हैं। उपभोक्ता जागरूकता ही उन्हें उत्पादकों एवं विक्रेताओं के शोषण से बचाती हैं।

प्रश्न 2. उपभोक्ता सुरक्षा अधिनियम, 1986 के निर्माण की जरूरत क्यों पड़ी ?

उत्तर- उपभोक्ता सुरक्षा अधिनियम- देश के उपभोक्ता आन्दोलन में उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 का बनाया जाना एक मील का पत्थर है। यह अधिनियम कोपरा (COPRA) के नाम से प्रसिद्ध है। इस कानून का मुख्य उद्देश्य उपभोक्ता की शिकायतों को तुरन्त निपटाने तथा कानूनी प्रक्रिया को सरल बनाना है। कोपरा के अन्तर्गत उपभोक्ता विवादों के निपटारे के लिए जिला, राज्य एवं राष्ट्रीय स्तरों पर एक त्रिस्तरीय न्यायिक तन्त्र स्थापित किया गया है। जिला स्तर का न्यायालय 20 लाख तक के दावों से सम्बन्धित मुकदमों पर विचार करता है। राज्य स्तरीय अदालतों में 20 लाख से एक करोड़ तक के मामलों की सुनवाई की जाती है। राष्ट्रीय स्तर की अदालतें एक करोड़ से ऊपर की दावेदारी से सम्बन्धित मुकदमों को देखती हैं।

प्रश्न 3. मान लीजिए, आप शहद की एक बोतल और बिस्किट का एक पैकेट खरीदते हैं।खरीदते समय आप कौन-सा लोगो या शब्द चिह्न देखेंगे और क्यों ?

उत्तर- शहद की बोतल और बिस्किट का पैकेट खरीदते समय ‘एगमार्क’ चिह्न देखेंगे क्योंकि कृषि उत्पादों की गुणवत्ता को प्रमाणित करने वाले चिह्न को एगमार्क कहते हैं।

 

प्रश्न 4. भारत में उपभोक्ताओं को समर्थ बनाने के लिए सरकार द्वारा किन कानूनी मानदण्डो  को लागू करना चाहिए?

उत्तर- उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय में दो विभाग हैं- खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग और उपभोक्ता मामले विभाग (डीसीए)। देश में उभरते उपभोक्ता आन्दोलन को प्रोत्साहन देने के लिए एक पृथक् विभाग बनाए जाने की आवश्यकता महसूस होने के कारण मंत्रालय के दो विभागों में से एक- उपभोक्ता मामले विभाग को जून 1997 में पृथक् विभाग बनाया गया। विभाग को निम्नलिखित दायित्व सौंपे गए हैं- आंतरिक व्यापार आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955. कालाबाजारी निवारण और आवश्यक वस्तु प्रदाय अधिनियम, 1980 पैकबन्द वस्तुओं का नियन्त्रण, विधिक माप विज्ञान में प्रशिक्षण, उपभोक्ता सहकारिताएँ आदि।

प्रश्न 5. उपभोक्ता जागरूकता का आशय उदाहरणों द्वारा स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- पूँजीवाद एवं वैश्वीकरण के इस युग में प्रत्येक उत्पादक का प्रमुख उद्देश्य अपने लाभ को अधिकतम करना होता है। उत्पादक हर सम्भव तरीके से अपने उत्पाद की बिक्री बढ़ाने में लगे हुए हैं। अतः अपने उद्देश्य की पूर्ति करते हुए वे उपभोक्ताओं के पक्ष को भूल जाते हैं और उनका शोषण करते हैं। उदाहरण के लिये, कम वजन तोलना, अधिक कीमत वसूलना, मिलावटी एवं दोषपूर्ण वस्तुएँ बेचना, भ्रमित विज्ञापन देकर उपभोक्ताओं को गुमराह करना आदि। इस प्रकार उपभोक्ता बाजार में ठगा न जा सके इसके लिए उसे जागरूक बनाना आवश्यक है। इस प्रकार उपभोक्ता जागरूकता से आशय उपभोक्ता का अपने अधिकारों एवं कर्त्तव्यों के प्रति जागरूक करने से है।

प्रश्न 6. उपभोक्ता जागरूकता अराजकता तथा हानिकारक उपभोग पर रोक लगाने में किस प्रकार सहायक है ?

उत्तर- उपभोक्ता की जागरूकता हानिकारक उपभोग तथा अराजकता पर नियन्त्रण लगाने में निम्न प्रकार सहायक है

(1) हानिकारक वस्तुओं के उपभोग पर रोक बाजार में अनेक ऐसी वस्तुएँ भी उपलब्ध रहती हैं जो कुछ उपभोक्ताओं को हानि पहुँचाती हैं। उदाहरण के लिए, सिगरेट, तम्बाकू, शराब आदि को लिया जा सकता है। उपभोक्ता शिक्षा एवं जागरूकता ऐसी वस्तुओं को न खरीदने की प्रेरणा देती है।

(2) अराजकता पर नियन्त्रण समाज में प्रत्येक व्यक्ति उपभोक्ता होता है। अतः यदि उपभोक्ता, जागरूक एवं विवेकशील है तब सम्पूर्ण समाज भी स्वस्थ और अपने अधिकारों के प्रति सचेत हो जाता है। ऐसी स्थिति में समाज में अराजकता पर नियन्त्रण रहता है।

प्रश्न 7. आई. एस. आई. क्या है ?

उत्तर- आई. एस. आई. भारत सरकार ने कुछ ऐसी संस्थाओं का गठन किया है जो वस्तुओं की गुणवत्ता को प्रमाणित करती हैं। औद्योगिक तथा उपभोक्ता वस्तुओं के लिए आई. एस. आई. चिह्न दिया गया है। धोखाधड़ी से बचने के लिए उपभोक्ताओं को इस चिह्न वाली वस्तुओं का प्रयोग करना चाहिए।

प्रश्न 8. क्षतिपूर्ति का अधिकार क्या है ? उदाहरण द्वारा स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- क्षतिपूर्ति का अधिकार उपभोक्ता को अनुचित सौदेबाजी और शोषण के विरुद्ध क्षतिपूर्ति निवारण का अधिकार है। इसे एक उदाहरण के द्वारा सरलता से समझा जा सकता है। एक व्यक्ति केरल के एक निजी चिकित्सालय में टॉन्सिल निकलवाने के लिए भर्ती हुआ। एक ई.एन.टी. सर्जन ने सामान्य बेहोशी की दवा देकर टॉन्सिल निकालने के लिए ऑपरेशन किया। अनुचित बेहोशी के कारण व्यक्ति में दिमागी असामान्यता के लक्षण आ गए, जिसके कारण वह जीवन भर के लिए अपंग हो गया। उपभोक्ता निवारण समिति ने अस्पताल को चिकित्सा में लापरवाही का दोषी पाया और क्षतिपूर्ति देने का निर्देश दिया। इस प्रकार स्पष्ट है कि यदि एक उपभोक्ता को कोई क्षति पहुँचाई जाती है तो उसे क्षति की मात्रा के आधार पर क्षतिपूर्ति पाने का अधिकार होता है।

प्रश्न 9. उपभोक्ता अपनी एकजुटता का प्रदर्शन कैसे कर सकते हैं ?

उत्तर- उपभोक्ता अपनी एकजुटता का प्रदर्शन निम्नलिखित प्रकार से करसकते हैं

(1) उपभोक्ता संघ का गठन करके।

(2) उपभोक्ताओं की सक्रिय भागीदारी से ही उपभोक्ता आन्दोलन प्रभावी हो सकता है।

 (3) इसके लिए स्वैच्छिक प्रयास और सबकी साझेदारी से युक्त संघर्ष की जरूरत है।

(4) उपभोक्ता न्यायालय में शिकायत दर्ज करके।

(5) धोखा देने वाली कम्पनियों के विरुद्ध संयुक्त रूप से आवाज उठाकर ।

दीर्घ उत्तरीय / विश्लेषणात्मक प्रश्न

प्रश्न 1. भारत में उपभोक्ता आन्दोलन की शुरूआत किन कारणों से हुई ? इसके विकास के बारे में पता लगाएँ।

उत्तर

भारत में उपभोक्ता आन्दोलन

उपभोक्ता आन्दोलन का प्रारम्भ उपभोक्ताओं के असन्तोष के कारण हुआ है। उपभोक्ताओं में असन्तोष के अनेक कारण थे; जैसे-खाद्य पदार्थों की कमी, जमाखोरी, कालाबाजारी, मिलावट आदि। इन समस्याओं से निपटने के लिए सबसे पहले सन् 1955 में ‘ आवश्यक वस्तु अधिनियम’ पारित किया गया। इस अधिनियम के द्वारा आवश्यक वस्तुओं के उत्पादन, वितरण, मूल्य एवं आपूर्ति को नियन्त्रित करने का प्रयास किया गया। इसके बाद वस्तुओं की नाप-तौल को व्यवस्थित करने के लिए सन् 1976 में बाँट एवं माप मानक अधिनियम पारित किया गया। सन् 1986 में उपभोक्ता सुरक्षा अधिनियम’ पारित किया गया। “उपभोक्ता सुरक्षा अधिनियम” ने भारत में उपभोक्ता आन्दोलन को व्यापक बनाने में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है। ये अदालते उपभोक्ताओं के विवादों को निपटाने के साथ-साथ उनका मार्गदर्शन भी करती हैं। भारत सरकार के उपभोक्ता मामलों के विभाग’ ने भी उपभोक्ता को जागरूक बनाने के लिए अनेक योजनाएँ चलाई हैं। भारत में उपभोक्ता आन्दोलन के परिणामस्वरूप उपभोक्ताओं में अपने अधिकारों के प्रति काफी जागृति आई हैं। आज राष्ट्र में 700 से अधिक उपभोक्ता संगठन कार्यरत हैं। किन्तु उपभोक्ताओं की उदासीनता के कारण प्रभावी एवं मान्यता प्राप्त संगठनों की संख्या अपेक्षाकृत कम है। भारत जैसे विकासशील राष्ट्र में उपभोक्ताओं को शोषण से बचाने में सरकार के साथ-साथ स्वयंसेवी संगठनों का भी महत्त्वपूर्ण स्थान है। उपभोक्ताओं को जागरूक बनाने की दिशा में ये संस्थाएँ महत्त्वपूर्ण कार्य कर सकती हैं। इसके साथ ही यह भी आवश्यक है कि उपभोक्ता स्वयं अपने अधिकारों को समझे और उपभोक्ता आन्दोलन में अपना सक्रिय योगदान देने के लिए आगे आए।

प्रश्न 2. बाजार में नियमों तथा विनियमों की आवश्यकता क्यों पड़ती है ? कुछ उदाहरणों के द्वारा समझाइए।

उत्तर- बाजार में भी उपभोक्ताओं की सुरक्षा के लिए नियम एवं विनियमों की आवश्यकता होती हैं, क्योंकि अकेला उपभोक्ता प्राय: स्वयं को कमजोर स्थिति में पाता है। खरीदी गयी वस्तु या सेवा के बारे में जब भी कोई शिकायत होती है, तो विक्रेता साग उत्तरदायित्व क्रेता पर डालने का प्रयास करता है। जब उत्पादक थोड़े और शक्तिशाली होते हैं और उपभोक्ता कम मात्रा में खरीददारी करते हैं और बिखरे हुए होते हैं, तो बाजार उचित तरीके से कार्य नहीं करता है। विशेष रूप से यह स्थिति तब होती है, जब इन वस्तुओं का उत्पादन बड़ी कम्पनियाँ कर रही हों। उदाहरण के लिए, एक कम्पनी ने यह दावा करते हुए कि माता के दूध से हमारा उत्पाद बेहतर है, सर्वाधिक वैज्ञानिक उत्पाद के रूप में शिशुओं के लिए दूध का पाउडर पूरे विश्व में कई वर्षों तक बेचा। कई वर्षों के लगातार संघर्ष के बाद कम्पनी को यह स्वीकार करना पड़ा कि वह झूठे दावे करती आ रही थी। इसी तरह सिगरेट उत्पादक कम्पनियों से यह बात मनवाने के लिए कि उनका उत्पाद कैंसर का कारण हो सकता है, न्यायालय में लम्बी लड़ाई लड़नी पड़ी। अतः उपभोक्ताओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए नियम और विनियमों की आवश्यकता है।

 

प्रश्न 3. उपभोक्ताओं के कुछ अधिकारों को बताएँ और प्रत्येक अधिकार पर कुछ पंक्तियाँ लिखें।

उत्तर

उपभोक्ताओं के अधिकार

उपभोक्ताओं को बाजार से श्रेष्ठ वस्तु एवं सेवाएँ क्रय करने । अधिकार है। उत्पादक या विक्रेता उसे किसी भी प्रकार का धोखा न दे सके, इसके लिए उसे कानून द्वारा संरक्षण दिया गया है। सामान्यत: उपभोक्ता को निम्नलिखित अधिकार प्राप्त हैं

(1) सुरक्षा का अधिकार उत्पादकों के लिए यह आवश्यक है कि वे उपभोक्ताओं की सुरक्षा से सम्बन्धित नियमों का पालन करें। कारण यह है कि यदि उत्पादक इन नियमों का पालन नहीं करते हैं तो उपभोक्ता को भारी जोखिम उठाना पड़ सकता है। उदाहरण के लिए, प्रेशर कुकर में एक सेफ्टी वॉल्व होता है जो यदि खराब हो तो भयंकर दुर्घटना हो सकती है। सेफ्टी वॉल्व के निर्माता को इसकी उच्च गुणवत्ता सुनिश्चित करनी चाहिए। यदि निर्माता ऐसा नहीं करते हैं तो उपभोक्ता कानून का सहारा ले सकते हैं।

( 2 ) चयन का अधिकार- जब कोई उपभोक्ता किसी वस्तु या सेवा को खरीदता है तो उसे चुनने का अधिकार होता है। उदाहरण के लिए, यदि हम गैस कनेक्शन लेते हैं और गैस डीलर साथ में चूल्हा खरीदने के लिए दबाव डालता है किन्तु हम केवल गैस कनेक्शन लेना चाहते हैं और चूल्हे की हमें आवश्यकता नहीं है। इस स्थिति में हमारे चुनने के अधिकार का उल्लंघन होता है। कारण यह है कि जो वस्तु हम खरीदना नहीं चाहते, उसे खरीदने के लिए विक्रेता या डीलर हमको विवश करता है। ऐसी स्थिति में हम विक्रेता के विरुद्ध कानूनी कार्यवाही कर सकते हैं।

(3) जानकारी का अधिकार जब हम कोई वस्तु खरीदते हैं तब यह पाते हैं कि उसकी पैकिंग पर कुछ खास जानकारियाँ लिखी हुई होती हैं, जैसे- उस वस्तु की बैच संख्या, निर्माण की तारीख, उपयोग करने की अन्तिम तिथि और उसके निर्माण स्थल का पता आदि। जब हम कपड़े खरीदते हैं, तब हमें धुलाई से सम्बन्धित निर्देश उल्लेखित होने चाहिए। जब हम कोई दवा खरीदते हैं तो उस दवा के अन्य प्रभावों और खतरों से सम्बन्धित निर्देश भी प्राप्त कर सकते हैं। इस प्रकार उपभोक्ता जिन वस्तुओं को खरीदता है, उसके बारे में जानकारी पाने का अधिकार है।

(4) सूचना का अधिकार-भारत सरकार ने वर्ष 2005 को सूचना प्राप्त करने का अधिकार (राइट टू इन्फॉरमेशन) के नाम से कानून बनाया है। यह कानून सरकारी विभागों के कार्य-कलापों की सभी सूचनाएँ पाने का अधिकार सुनिश्चित करता है। उपभोक्ताओं को उपभोक्ता शिक्षा प्राप्त करने का भी अधिकार है।

(5) क्षतिपूर्ति का अधिकार- लघु उत्तरीय प्रश्न 8 का उत्तर देखें।

 

प्रश्न 4. भारत में उपभोक्ता आन्दोलन की प्रगति की समीक्षा करें।

उत्तर- 24 दिसम्बर को भारत में राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस के रूप में मनाया जाता रहा है। 1986 में इसी दिन भारतीय संसद ने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम पारित किया था। भारत उन राष्ट्रों में से एक है जहाँ उपभोक्ता सम्बन्धित समस्याओं के निवारण के लिए विशिष्ट न्यायालय हैं। भारत में उपभोक्ता आन्दोलन ने संगठित समूहों की संख्या और उनकी कार्य विधियों के मामले में कुछ प्रगति की है। आज देश में 700 से अधिक उपभोक्ता संगठन हैं, जिनमें से केवल 20-25 ही अपने कार्यों के लिए पूर्ण संगठित और मान्यता प्राप्त हैं। फिर भी उपभोक्ता निवारण प्रक्रिया जटिल खर्चीली और समय साध्य सावित हो रही है। कई बार उपभोक्ताओं को वकीलों का सहारा लेना पड़ता है। ये मुकदमे अदालती कार्यवाहियों में शामिल होने और आगे बढ़ने आदि में काफी समय लेते हैं। दोषयुक्त उत्पादों से पीड़ित उपभोक्ताओं की क्षतिपूर्ति के मुद्दे पर मौजूदा कानून भी बहुत स्पष्ट नहीं है। कोपरा अधिनियम के 30 वर्ष बाद भी भारत में उपभोक्ता ज्ञान बहुत धीरे-धीरे फैल रहा है। श्रमिकों के हितों की रक्षा के लिए कानूनों के लागू होने के बावजूद, खासतौर से असंगठित क्षेत्र में ये कमजोर हैं। इस प्रकार, बाजारों के कार्य करने के लिए नियमों और विनियमों का प्रायः पालन नहीं होता। फिर भी, उपभोक्ताओं को अपनी भूमिका और अपना महत्त्व समझने की जरूरत है।

प्रश्न 5 उपभोक्ता को शोषण से बचाने के लिए कोई पाँच उपाय लिखिए।

उत्तर- एक उपभोक्ता होने के नाते हम बाजार में उगे न जाएँ इसके लिए हमें निम्नलिखित उपाय अपनाने चाहिए

(1) रसीद प्राप्त करना किसी वस्तु को खरीदने के साथ ही उसका कैश मेमो लेना बहुत आवश्यक है। इससे वस्तु खराब निकलने या घटिया होने या निर्धारित समय के पूर्व ही खराब हो जाने की स्थिति में कानूनी कार्यवाही की जा सकती है।

(2) मानकीकृत वस्तुओं का क्रय-बाजार में अनेक प्रकार की वस्तुएँ उपलब्ध रहती हैं किन्तु शोषण से बचने के लिये उपभोक्ताओं को हमेशा मानकीकृत वस्तुएँ ही खरीदनी चाहिए। आई. एस. आई. एगमार्क एवं हॉलमार्क वाले चिह्नों की वस्तुएँ मानकीकृत होती हैं।

( 3 ) उपभोक्ता शिक्षा-शोषण में निदान का सबसे महत्त्वपूर्ण उपाय उपभोक्ता शिक्षा एवं जागरूकता है सरकार ने उपभोक्ता के संरक्षण के अनेक कानून बनाये हैं। किन्तु यह देखा गया है कि जन-सामान्य को इनकी जानकारी नहीं होती है। अतः उपभोक्ताओं को इन अधिकारों की शिक्षा दी जानी चाहिए।

(4) विज्ञापनों के बहकावे में न आना-बड़ी-बड़ी कम्पनियाँ अपने उत्पादों का दूरदर्शन एवं अन्य माध्यमों से आकर्षक विज्ञापन करते हैं। इसका उपभोक्ता पर मनोवैज्ञानिक प्रभाव पड़ता है और वह वस्तुएँ खरीदने के लिए तैयार हो जाते हैं परन्तु उपभोक्ताओं को विज्ञापनों से सावधान रहना चाहिए। वस्तु खरीदने से पहले उसकी गुणवत्ता, कीमत, मात्रा आदि की जाँच कर लेनी चाहिए।

(5) खराब होने की तिथि की जाँच- हमें सदैव वस्तु की निर्माण तिथि एवं खराब होने की तिथि अवश्य देख लेनी चाहिए, क्योंकि इस तिथि के बाद वह वस्तु प्रभावी नहीं रहती है और उसके बुरे प्रभाव होने की सम्भावना रहती है। उदाहरणार्थ- दवाएँ, डिब्बाबन्द पदार्थ, खाद्य सामग्री आदि ।

प्रश्न 6. उत्पादक एवं व्यापारी उपभोक्ताओं का शोषण किस प्रकार करते हैं ?

अथवा

 उपभोक्ता शोषण के किन्हीं पाँच प्रकारों का वर्णन कीजिए।

उत्तर- सामान्यतः उत्पादक एवं व्यापारी उपभोक्ताओं का शोषण निम्नलिखित प्रकार से करते हैं

( 1 ) मिलावट एवं अशुद्धता-मिलावट का आशय है वस्तु में कुछ सस्ती वस्तु का मिला देना। इससे कई बार उपभोक्ता के स्वास्थ्य को हानि होती है। चावल में सफेद कंकड़, मसालों में रंग, तुअर दाल में खेसरी दाल तथा अन्य महँगे खाद्य पदार्थ में हानिकारक वस्तुओं की मिलावट अधिक लाभ अर्जन के उद्देश्य से की जाती है।

(2) अधिक मूल्य प्रायः दुकानदार निर्धारित फुटकर कीमत से अधिक मनमानी कीमत ले लेते हैं। अक्सर देखा गया है कि जब हम एक दुकान से महँगी वस्तु खरीद लेते हैं और वही वस्तु दूसरी किसी दुकान में कम कीमत में मिल जाती है। यदि हम अंकित मूल्य दिखाते हैं तो वह कई कारण बता देता है, जैसे- स्थानीय कर आदि।

(3) झूठी अथवा अधूरी जानकारी उत्पादक एवं विक्रेता कई बार ग्राहकों को गलत या अधूरी जानकारी देते हैं। इससे ग्राहक गलत वस्तु खरीदकर फँस जाते हैं और उनका पैसा बेकार चला जाता है। वस्तु की कीमत, गुणवत्ता, अन्तिम तिथि, पर्यावरण पर प्रभाव, क्रय की शर्तें आदि के विषय में सम्पूर्ण जानकारी नहीं दी जाती है। वस्तु को खरीदने के बाद उपभोक्ता परेशान होता रहता है।

(4) घटिया गुणवत्ता- जब कुछ वस्तुएँ बाजार में चल जाती हैं तो कुछ बेईमान उत्पादक जल्दी धन कमाने की लालसा में उनकी बिल्कुल नकल उतार कर बाजार में नकली माल चला देते हैं। ऐसे में दुकानदार भी ग्राहक को घटिया सामान दे देते हैं क्योंकि ऐसी वस्तुएँ बेचने में उन्हें अधिक लाभ रहता है। इस प्रकार उपभोक्ता ठगा जाता है और उसका शोषण होता है।

(5) माप-तौल में गड़बड़ी माप-तौल में विक्रेता कई प्रकार से गड़बड़ियाँ करते हैं, जैसे-बाँट के तले को खोखला करना उसका वजन वांछित से कम होना, बाँट के स्थान पर पत्थर का उपयोग करना, लीटर के पैमाने का तला नीचे से मोटा या ऊपर की ओर उठा हुआ होना, तराजू के पलड़े के नीचे चुम्बक लगा देना आदि। इस प्रकार उपभोक्ता जितना भुगतान करता है उसके बदले में उसे वस्तु उचित मात्रा में प्राप्त नहीं होती है।

(6) बिक्री के पश्चात् असन्तोषजनक सेवा- जब तक उपभोक्ता वस्तु खरीद नहीं लेता, उसे तरह-तरह के लालच एवं बाद में प्रदान की जाने वाली सेवाओं का आकर्षण दिया जाता है किन्तु बाद में सेवाएँ उचित समय में प्रदान नहीं की जाती है तथा उपभोक्ताओं की समस्याओं पर कोई ध्यान नहीं दिया जाता है। परिणामस्वरूप उपभोक्ता परेशान होता रहता है।

Be the first to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published.


*