II : जीविका, अर्थव्यवस्था एवं समाज
अध्याय10 भूमण्डलीकृत विश्व का बनना
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
बहु-विकल्पीय प्रश्न
- आलू, सोया, मूंगफली, मक्का, टमाटर, मिर्च,शकरकन्द जैसे खाद्य पदार्थ लगभग कितने साल पहले हमारे पूर्वजों के पास नहीं थे ?
(i) 500 वर्ष पहले
(ii) 400 वर्ष पहले
(iii) 300 वर्ष पहले
(iv) 200 वर्ष पहले।
- नूडल्स किस राष्ट्र से पश्चिम में पहुँचे ?
(i) अरब
(1) इटली
(iii) चीन
(iv) जापान।
- उन्नीसवीं सदी में यूरोप के लगभग कितने लोग अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया में जाकर बस
गए ?
(i) एक करोड़
(ii) तीन करोड़
(iii) चार करोड़
(iv) पाँच करोड़।
- 1923 के दशक में रिंडरपेस्ट नामक बीमारी किस देश में फैली ?
(i) न्यूजीलैण्ड
(ii) अफ्रीका
(iii) अमेरिका
(iv) जर्मनी।
- 1923 में विश्व को पूँजी देने वाला और विश्व का सबसे बड़ा कर्जदाता राष्ट्र कौन था ?
(i) अमेरिका
(ii) अफ्रीका
(ii) इंग्लैण्ड
(iv) फ्रांस।
- हैदराबादी सिंधी व्यापारियों ने किस दशक में दुनिया भर के बन्दरगाहों पर अपने बड़े-बड़े
एम्पोरियम खोल दिए ?
(i) 1790 के दशक में
(11) 1820 के दशक में
(iii) 1860 के दशक में
(iv) 1910 के दशक में।
- सन् 1800 के आस-पास निर्यात में सूती कपड़े का प्रतिशत था ?
(i) 30 प्रतिशत
(ii) 15 प्रतिशत
(iii) 10 प्रतिशत
(iv)3 प्रतिशत।
- प्रथम विश्व युद्ध शुरू हुआ था-
(i) 1950 में
(ii) 1907 में
(iii) 1912 में
(iv) 1914 में।
- विश्व व्यापार संगठन (W.T.0.) की स्थापना कब की गई ?
(i)1990 ई.
(ii) 1995 ई.
(iii) 1998 ई.
(iv) 2000 ई.।
- रिंडरपेस्ट क्या था ?
(i) पशु रोग
(ii) पुरुष रोग
(iii) स्त्री रोग
(iv) मछली रोग।
- अमेरिका के किस क्षेत्र को सोने का शहर कहा जाता था ?
(i) वाशिंगटन
(ii) न्यूयार्क
(iii) एलडोराडो
(iv) न्यू जर्सी।
- कोलम्बस गलती से अज्ञात महाद्वीप में पहुँच गया था। उसका क्या नाम है ?
(i) आस्ट्रेलिया
(ii) अमेरिका
(iii) चीन
(iv) भारत।
- मानव अधिकार दिवस किस दिन मनाया जाता है ?
(i) 10 सितम्बर
(ii) 25 अक्टूबर
(iii) 15 नवम्बर
(iv) 10 दिसम्बर।
उत्तर-1. (i), 2. (iii), 3. (iv), 4. (ii), 5. (i), 6. (iii), 7.(i), 8. (iv), 9. (ii), 10. (i), 11. (ii),
- (ii), 13. (iv)
रिक्त स्थानों की पूर्ति
- अपनी ‘खोज’ से पहले लाखों साल से………………का दुनिया से कोई संपर्क नहीं था।
- 1885 में यूरोप के ताकतवर देशों की……………में बैठक
- अफ्रीका में 1890 के दशक में……………….नामक बीमारी बहुत तेजी से फैल गई।
- पास्ता अरब यात्रियों के साथ पाँचवीं सदी में……………….पहुँचा जो अब इटली का ही एक टापू है।
- भारत में पैदा होने वाली महीन…………….का यूरोपीय देशों को निर्यात किया जाता था।
- 1921 में हर पाँच में से………………..ब्रिटिश मजदूर के पास काम नहीं था।
- आई. एम. एफ. और विश्व बैंक का गठन……………….की जरूरतों को पूरा करने के लिए किया गया।
उत्तर-1. अमेरिका, 2. बर्लिन, 3. रिंडरपेस्ट, 4. सिसली, 5. कपास, 6. एक, 7. औद्योगिक देशों।
सत्य/असत्य
- इतिहास के हर दौर में मानव समाज एक-दूसरे के ज्यादा नजदीक आते गए हैं।
- पन्द्रहवीं सदी में यूरोपीय जहाजियों ने एशिया तक का समुद्री रास्ता ढूँढ लिया।
- 1890 तक एक वैश्विक कृषि अर्थव्यवस्था सामने आ चुकी थी।
- अठारहवीं सदी के आखिरी दशकों में ब्रिटेन की आबादी तेजी से बढ़ने लगी थी।
- अमेरिका विश्व बैंक और आई. एम. एफ. के किसी भी फैसले को वीटो कर सकता है।
- औद्योगीकरण के बाद ब्रिटेन में कपास का उत्पादन घटने लगा था।
उत्तर-1. सत्य, 2. असत्य, 3. सत्य, 4. सत्य, 5. सत्य, 6. असत्य।
. सही जोड़ी बनाइए
(i) ‘अ’
- स्पेनिश सैनिक
- रिंडरपेस्ट नामक बीमारी
- द्वितीय विश्व युद्ध
‘ब’
(क) 1939
(ख) चेचक कीटाणु
(ग) अफ्रीका
उत्तर-1. → (ख), 2. → (ग),3. → (क)।
(II) ‘अ’
- प्रथम विश्व युद्ध
- द्वितीय विश्व युद्ध
- अनुबंधित श्रमिक व्यवस्था समाप्त
- वैश्विक कृषि अर्थव्यवस्था
- मक्का आयात पर प्रतिबन्ध
‘ब’
(क) 1921
(ख) 1890
(ग) कोर्न लॉ
(घ) 1914-18
(ङ) 1939-45
उत्तर-1. → (घ), 2.→(ङ), 3. → (क),4.→ (ख),5. → (ग)।
.एक शब्द/वाक्य में उत्तर
- विश्व बैंक और आई.एम.एफ. ने औपचारिक रूप से काम करना कब शुरू किया ?
- प्रथम विश्व युद्ध कब लड़ा गया ?
- अनुबंधित श्रमिक व्यवस्था को कब समाप्त कर दिया गया ?
- द्वितीय विश्व युद्ध कब लड़ा गया ?
- उन्नीसवीं सदी में यूरोप के लगभग कितने लोग अमेरिका और आस्ट्रेलिया में जाकर बस गए ?
- 1950 से 1970 के बीच विश्व व्यापार की विकास दर सालाना कितने प्रतिशत रही ?
उत्तर-1. 1947, 2. 1914-18, 3. 1923. 4. 1939-45, 5.5 करोड़, 6.8 प्रतिशत ।
अति लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.’कार्न लॉ’ क्या था ?
उत्तर-ब्रिटिश सरकार ने बड़े भू-स्वामियों के दबाव में मक्का के आयात पर पाबंदी लगा दी थी। जिन
कानूनों के सहारे सरकार ने यह पाबंदी लागू की थी उन्हें ‘कॉर्न लॉ’ कहा जाता था।
प्रश्न 2. विदेश में भारतीय उद्यमियों के नाम बताइए।
उत्तर-शिकारीपूरी श्रॉफ और नटूकोट्टई।
प्रश्न 3. हायर-परचेज क्या व्यवस्था थी ?
उत्तर- हायर-परचेज एक ऐसी व्यवस्था थी जिसमें खरीददार वस्तुएँ कर्जे पर खरीदते थे और उनकी कीमत साप्ताहिक या मासिक किस्तों में चुकाई जाती थी।
प्रश्न 4. प्रथम विश्व युद्ध में सहयोगी (मित्र राष्ट्र) कौन से थे ?
उत्तर-प्रथम विश्व युद्ध से पहले ब्रिटेन, फ्रांस और रूस मित्र राष्ट्र ( सहयोगी) थे जो प्रथम विश्व युद्ध में एक साथ लड़े, बाद में अमेरिका भी इनके साथ हो गया।
प्रश्न 5. प्रथम विश्व युद्ध में केन्द्रीय शक्तियाँ कौन-सी थीं ?
उत्तर-प्रथम विश्वयुद्ध में जर्मनी, ऑस्ट्रिया-हंगरी और ऑटोमन तुर्की केन्द्रीय शक्तियाँ थीं।
प्रश्न 6. द्वितीय विश्व युद्ध में मित्र राष्ट्र और धुरी शक्तियाँ कौन-कौन सी थीं ?
उत्तर-एक गुट में धुरी शक्तियाँ (मुख्य रूप से नात्सी जर्मनी, जापान और इटली) र्थी तो दूसरा खेमा मित्र राष्ट्रों (ब्रिटेन, सोवियत संघ, फ्रांस और अमेरिका) के नाम से जाना जाता था।
प्रश्न 7. वीटो’ (निषेधाधिकार) का क्या अर्थ है ?
उत्तर-वीटो (निषेधाधिकार) इस अधिकार के सहारे एक ही सदस्य की असहमति किसी भी प्रस्ताव को खारिज करने का आधार बन जाती है।
प्रश्न 8. आयात शुल्क (Tariff) से क्या आशय है ?
उत्तर-आयात शुल्क (Tariff) किसी दूसरे राष्ट्र से आने वाली चीजों पर वसूल किया जाने वाला शुल्क। यह कर या शुल्क उस जगह लिया जाता है जहाँ से वह वस्तु देश में आती है, अर्थात् सीमा पर, बंदरगाह पर या हवाई अड्डे पर।
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. सत्रहवीं सदी से पहले होने वाले आदान-प्रदान दो उदाहरण दीजिए। एक उदाहरण एशिया से और एक उदाहरण अमेरिका महाद्वीपों के बारे में चुनें।
उत्तर-एशिया-चीन एशिया का एक महत्त्वपूर्ण राष्ट्र है। ‘सिल्क मार्ग’ से पता चलता है कि इस मार्ग से पश्चिम को भेजे जाने वाले चीनी रेशम (सिल्क) का कितना महत्त्व था। इसी रास्ते से चीनी पॉटरी जाती थी और इसी रास्ते से भारत व दक्षिण-पूर्व एशिया के कपड़े व मसाले दुनिया के दूसरे भागों में पहुँचते थे। वापसी में सोने-चाँदी जैसी कीमती धातुएँ यूरोप से एशिया पहुँचती थीं। अमेरिका-आलू, सोया, मूंगफली, मक्का, टमाटर, मिर्च, शकरकंद और ऐसे ही बहुत सारे दूसरे खाद्य पदार्थ लगभग पाँच सौ साल पहले हमारे पूर्वजों के पास नहीं थे। ये खाद्य पदार्थ यूरोप और एशिया में तब पहुँचे जब क्रिस्टोफर कोलम्बस गलती से उन अज्ञात महाद्वीपों में पहुँच गया था जिन्हें बाद में अमेरिका के नाम से जाना जाने लगा। दरअसल, हमारे बहुत सारे खाद्य पदार्थ अमेरिका के मूल निवासियों यानी अमेरिकन इंडियन्स से हमारे पास आए हैं।
प्रश्न 2. बताएँ कि पूर्व-आधुनिक विश्व में बीमारियों के वैश्विक प्रसार ने अमेरिकी भू-भागों
के उपनिवेशीकरण में किस प्रकार मदद दी?
उत्तर-(1) सोलहवीं सदी के मध्य तक आते-आते पुर्तगाली और स्पेनिश सेनाओं की विजय का सिलसिला शुरू हो चुका था। उन्होंने अमेरिका को उपनिवेश बनाना शुरू कर दिया था।
(2) यूरोपीय सेनाएँ केवल अपनी सैनिक ताकत के दम पर नहीं जीतती थीं। स्पेनिश विजेताओं के सबसे शक्तिशाली हथियारों में परम्परागत किस्म का सैनिक हथियार तो कोई था ही नहीं। यह हथियार तो चेचक जैसे कीटाणु थे जो स्पेनिश सैनिकों और अफसरों के साथ वहाँ जा पहुँचे थे।
(3) लाखों सालों से दुनिया से अलग-थलग रहने के कारण अमेरिका के लोगों के शरीर में यूरोप से आने वाली इन बीमारियों से बचने की रोग-प्रतिरोधी क्षमता नहीं थी। फलस्वरूप इस नए स्थान पर चेचक बहुत मारक साबित हुई।
(4) एक बार संक्रमण शुरू होने के बाद तो यह बीमारी पूरे महाद्वीप में फैल गई। जहाँ यूरोपीय लोग नहीं पहुंचे थे वहाँ के लोग भी इसकी चपेट में आने लगे। इसने पूरे के पूरे समुदायों को खत्म कर डाला। इस प्रकार घुसपैठियों की जीत का रास्ता आसान होता चला गया।
प्रश्न 3. कॉर्न लॉ के समाप्त करने के बारे में ब्रिटिश सरकार के फैसले का प्रभाव लिखिए।
उत्तर-कॉर्न लॉ के समाप्त करने के बारे में ब्रिटिश सरकार का फैसला-अठारहवीं सदी के आखिरी दशकों में ब्रिटेन की आबादी तेजी से बढ़ने लगी थी। नतीजा. देश में भोजन की माँग भी बढ़ी। जैसे-जैसे शहर फैले और उद्योग बढ़ने लगे, कृषि उत्पादों की मांग भी बढ़ने लगी। कृषि उत्पाद महँगे होने लगे। दूसरी तरफ बड़े भू-स्वामियों के दबाव में सरकार ने मक्का के आयात पर भी प्रतिबन्ध लगा दिया था। जिन कानूनों के सहारे सरकार ने यह प्रतिबन्ध लगाया था उसे ‘कॉर्न लॉ’ कहा जाता था। खाद्य पदार्थों की ऊँची कीमतों से परेशान उद्योगपतियों और शहरी बाशिंदों ने सरकार को मजबूर कर दिया कि वह कॉर्न लॉ को फौरन समाप्त कर दे कॉर्न लॉ के निरस्त हो जाने के बाद बहुत कम कीमत पर खाद्य पदार्थों का आयात किया जाने लगा। आयातित खाद्य पदार्थों की लागत ब्रिटेन में पैदा होने वाले खाद्य पदार्थों से भी कम थी। परिणामस्वरूप, ब्रिटिश किसानों के हालात बिगड़ने लगे क्योंकि वे आयातित माल की कीमत का मुकाबला नहीं कर सकते थे। विशाल भू-भागों पर खेती बंद हो गई। हजारों लोग बेरोजगार हो गए। गाँवों से उजड़ कर ये या तो शहरों में या दूसरे देशों में जाने लगे।
प्रश्न 4.”अफ्रीका में रिंडरपेस्ट का आना” पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए।
उत्तर-अफ्रीका में रिंडरपेस्ट का आना-
(1) अफ्रीका में रिंडरपेस्ट नाम की बीमारी सबसे पहले 1880 के दशक के आखिरी सालों में दिखाई दी। मवेशियों में प्लेग की तरह फैलने वाली इस बीमारी से लोगों की आजीविका और स्थानीय अर्थव्यवस्था पर गहरा प्रभाव पड़ा।
(2) उस समय पूर्वी अफ्रीका में एरिट्रिया पर हमला कर रहे इतालवी सैनिकों का पेट भरने के लिए एशियाई देशों से जानवर लाए जाते थे। यह बीमारी ब्रिटिश आधिपत्य वाले एशियाई देशों से आए उन्हीं जानवरों के जरिए यहाँ पहुँची थी।
(3) अफ्रीका के पूर्वी हिस्से से महाद्वीप में दाखिल होने वाली यह बीमारी ‘जंगल की आग’ की तरह पश्चिमी अफ्रीका की तरफ बढ़ने लगी।
(4) 1892 में यह अफ्रीका के अटलांटिक तट तक जा पहुँची। पाँच साल बाद यह केप (अफ्रीका का धुर दक्षिणी हिस्सा) तक भी पहुंच गई। रिंडरपेस्ट ने अपने रास्ते में आने वाले 90 प्रतिशत मवेशियों को मौत की नींद सुला दिया।
प्रश्न 5. विश्व युद्ध के कारण यूरोप में कामकाजी उम्र के पुरुषों की मौत पर टिप्पणी कीजिए।
उत्तर-विश्व युद्ध के कारण यूरोप में कामकाजी उम्र के पुरुषों की मौत-अगस्त 1914 में जबयुद्ध शुरू हुआ उस समय बहुत सारी सरकारों को यही लगता था कि यह युद्ध ज्यादा से ज्यादा क्रिसमस तक खत्म हो जाएगा। पर यह युद्ध तो चार साल से भी ज्यादा समय तक चलता रहा। मानव सभ्यता के इतिहास में ऐसा भीषण युद्ध कभी नहीं हुआ था।
इस युद्ध ने मौत और विनाश की जैसी विभीषिका रची उसकी औद्योगिक युग से पहले और औद्योगिक शक्ति के बिना कल्पना नहीं की जा सकती थी। युद्ध में 90 लाख से ज्यादा लोग मारे गए और 2 करोड़ घायल हुए।
मृतकों और घायलों में से ज्यादातर कामकाजी उम्र के लोग थे। इस महाविनाश के कारण यूरोप में कामकाज के लायक लोगों की संख्या बहुत कम रह गई। परिवार के सदस्य घट जाने से युद्ध के बाद परिवारों की आय गिर गई। युद्ध की जरूरतों के मद्देनजर पूरे के पूरे समाजों को बदल दिया गया। मर्द मोर्चे पर जाने लगे तो उन कामों को संभालने के लिए घर की औरतों को बाहर आना पड़ा जिन्हें अब तक केवल मर्दो का ही काम माना जाता था।
प्रश्न 6. बहुराष्ट्रीय कम्पनियों द्वारा अपने उत्पादन को एशियाई देशों में स्थानांतरित करने के
फैसले के प्रभाव बताइए।
उत्तर-बहुराष्ट्रीय कम्पनियों द्वारा अपने उत्पादन को एशियाई देशों में स्थानांतरित करने का फैसला-एक साथ बहुत सारे देशों में व्यवसाय करने वाली कंपनियों को बहुराष्ट्रीय निगम (मल्टीनेशनल कॉर्पोरेशन कम्पनी-एमएनसी) या बहुराष्ट्रीय कम्पनी कहा जाता है। शुरूआती बहुराष्ट्रीय कम्पनियों की स्थापना 1920 के दशक में की गई थी। पचास व साठ के दशक में जब अमेरिकी व्यवसाय दुनियाभर में फैलते जा रहे थे और पश्चिमी यूरोप एवं जापान भी विश्व युद्ध के प्रभाव से बाहर निकलते हुए शक्तिशाली औद्योगिक राष्ट्र बनने की ओर अग्रसर थे, उस समय ऐसी बहुत सारी नयी कम्पनियाँ सामने आईं। बहुराष्ट्रीय कम्पनियों का विश्वव्यापी प्रसार पचास और साठ के दशक की एक विशेषता थी। सत्तर के दशक के मध्य से बेरोजगारी बढ़ने लगी। नब्बे के दशक के प्रारम्भिक वर्षों तक काफी बेरोजगारी रही। सत्तर के दशक के आखिरी सालों से बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ भी एशिया के ऐसे राष्ट्रों में उत्पादन केन्द्रित करने लगी जहाँ वेतन कम थे । चीन जैसे देशों में वेतन तुलनात्मक रूप से कम थे। फलस्वरूप विश्व बाजारों पर अपना प्रभुत्व स्थापित करने के लिए प्रतिस्पर्धा कर रही विदेशी बहुराष्ट्रीय कम्पनियों ने वहाँ जमकर निवेश करना शुरू कर दिया।
प्रश्न 7. खाद्य उपलब्धता पर तकनीक के प्रभाव को दर्शाने के लिए इतिहास से दो उदाहरण दें।
उत्तर-(1) औपनिवेशीकरण के कारण यातायात और परिवहन साधनों में भारी सुधार किए गए। तेज
चलने वाली रेलगाड़ियाँ बर्नी, बोगियों का भार कम किया गया, जलपोतों का आकार बढ़ा जिससे किसी भी
उत्पाद को खेतों से दूर-दूर के बाजारों में कम लागत पर और ज्यादा आसानी से पहुँचाया जा सके।
(2) 1870 के दशक तक अमेरिका से यूरोप को मांस निर्यात नहीं किया जाता था। उस समय केवल जिंदा जानवर ही भेजे जाते थे जिन्हें यूरोप ले जाकर ही काटा जाता था। लेकिन जिंदा जानवर बहुत ज्यादा जगह घेरते थे। नयी तकनीक के आने पर यह स्थिति बदल गई। पानी के जहाजों में रेफ्रिजरेशन की तकनीक स्थापित कर दी गई जिससे जल्दी खराब होने वाली चीजों को भी लम्बी यात्राओं पर ले जाया जा सकता था।
प्रश्न 8. सोलहवीं सदी में दुनिया ‘सिकुड़ने लगी तो इसका क्या अर्थ है ?
उत्तर-सोलहवीं सदी में जब यूरोपीय जहाजियों ने एशिया का समुद्री मार्ग ढूँढ़ लिया और वे पश्चिमी
सागर पार करते हुए अमेरिका तक जा पहुँचे तो पूर्व-आधुनिक विश्व बहुत छोटा-सा दिखाई देने लगा। इससे
पहले कई सदियों से हिंद महासागर के पानी में फलता-फूलता व्यापार, तरह-तरह के सामान, लोग, ज्ञान और
परम्पराएँ एक जगह से दूसरी जगह आ-जा रही थीं। भारतीय उपमहाद्वीप इन प्रवाहों के रास्ते में एक अहम बिंदु
था। पूरे नेटवर्क में इस क्षेत्र का भारी महत्त्व था। यूरोपियों के दाखिले से यह आवाजाही और बढ़ने लगी और
इन प्रवाहों की दिशा यूरोप की तरफ भी मुड़ने लगी। अपनी ‘खोज’ से पहले लाखों साल से अमेरिका का दुनिया से कोई सम्पर्क नहीं था। लेकिन सोलहर्वी सदी से उसकी विशाल भूमि और बेहिसाब फसलें व खनिज पदार्थ हर दिशा में जीवन का रंग-रूप बदलने लगे।
प्रश्न 9. ‘चटनी म्यूजिक’ क्यों और कहाँ लोकप्रिय था?
उत्तर-त्रिनिदाद और गुयाना में मशहूर ‘चटनी म्यूजिक’ भी भारतीय अप्रवासियों के वहाँ पहुँचने के में बाद सामने आई रचनात्मक अभिव्यक्तियों का उदाहरण है। सांस्कृतिक समागम के ये स्वरूप एक नयी वैश्विक दुनिया के उदय की प्रक्रिया का अंग थे। यह ऐसी प्रक्रिया थी जिसमें अलग-अलग स्थानों की चीजें आपस में घुल-मिल जाती थीं, उनकी मूल पहचान और विशिष्टताएँ गुम हो जाती थीं और बिल्कुल नया रूप सामने आता था।
प्रश्न 10. सर हेनरी मार्टन स्टैनली कौन थे?
उत्तर-मार्टन स्टैनली एक पत्रकार और खोजी थे। न्यूयॉर्क हैरल्ड ने उन्हें कई साल पहले अफ्रीका गए लिविंग्स्टन नामक मिशनरी की खोज करने के लिए भेजा था। उस जमाने में अन्य यूरोपीय और अमेरिकी अन्वेषकों की भाँति स्टैनली भी हथियारों से लैस होकर गए थे। उन्होंने वहाँ जाकर स्थानीय शिकारियों, योद्धाओं और मजदूरों को एकत्र किया, स्थानीय कबीलों के साथ लड़ाइयाँ लड़ीं, अफ्रीकी भूदृश्य की पड़ताल की और विभिन्न क्षेत्रों के नक्शे बनाए। बाद में इन खोजों और अन्वेषणों से अफ्रीका को जीतने में मदद मिली। ऐसे भौगोलिक अन्वेषण केवल वैज्ञानिक जानकारियाँ एकत्र करने की सामान्य इच्छा से प्रेरित नहीं होते थे। उनका साम्राज्यवादी योजनाओं से प्रत्यक्ष सम्बन्ध होता था।
दीर्घ उत्तरीय/विश्लेषणात्मक प्रश्न
प्रश्न 1. अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक विनिमयों में तीन तरह की गतियों या प्रवाहों की व्याख्या करें। तीनों प्रकार की गतियों के भारत और भारतीयों से सम्बंधित एक-एक उदाहरण दें और उनके बारे में संक्षेप में लिखें।
उत्तर-अर्थशास्त्रियों ने अन्तर्राष्ट्रीय आर्थिक विनिमय में तीन प्रकार की गतियों या ‘प्रवाहों’ का उल्लेख किया है।
(1) पहला प्रवाह व्यापार का होता है जो उन्नीसवीं सदी में मुख्य रूप से वस्तुओं (जैसे-कपड़ा या गेहूँ में आदि) के व्यापार तक ही सीमित था। ब्रिटिश भारतीय सरकार ने अर्द्ध-रेगिस्तानी परती जमीनों को उपजाऊ बनाने के लिए नहरों का जाल बिछा दिया ताकि निर्यात के लिए गेहूँ और कपास की खेती की जा सके।
(2) दूसरा, श्रम का प्रवाह होता है, इसमें लोग काम या रोजगार की तलाश में एक जगह से दूसरी जगह जाते हैं। उन्नीसौं सदी में भारत और चीन के लाखों मजदूरों को बागानों, खदानों और सड़क व रेलवे निर्माण परियोजनाओं में काम करने के लिए दूर-दूर के देशों में ले जाया जाता था। भारतीय अनुबंधित श्रमिकों को मुख्य रूप से कैरीबियाई द्वीप समूह (मुख्यत: त्रिनिदाद, गुयाना और सूरीनाम) मॉरिशस व फिजी ले जाया जाता था। बहुत सारे अनुबंधित श्रमिकों को असम के चाय बागानों में काम करने के लिए भी लाया जाता था।
(3) तीसरा प्रवाह पूँजी का होता है जिसे अल्प या दीर्घ अवधि के लिए दूर-दराज के इलाकों में निवेश
कर दिया जाता है। भारत में देशी साहूकार और महाजन, उन बहुत सारे बैंकों और व्यापारियों में से थे जो मध्य एवं
दक्षिण-पूर्व एशिया में निर्यातोन्मुखी खेती के लिए कर्जे देते थे। इसके लिए वे या तो अपनी जेब से पैसा लगाते
थे या यूरोपीय बैंकों से कर्जे लेते थे। उनके पास दूर-दूर तक पैसे पहुँचाने की एक व्यवस्थित पद्धति होती थी।
प्रश्न 2. जी-77 देशों से आप क्या समझते हैं ? जी-77 को किस आधार पर ब्रेटनवुड्स की
जुड़वाँ संतानों की प्रतिक्रिया कहा जा सकता है? व्याख्या करें।
उत्तर-जी-77-ज्यादातर विकासशील राष्ट्रों को पचास और साठ के दशक में पश्चिमी अर्थव्यवस्थाओं की तेज प्रगति से कोई लाभ नहीं हुआ। इस समस्या को देखते हुए उन्होंने एक अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक प्रणाली (New International Economic Order-NIEO) के लिए आवाज और समूह-77 (जी-77) के रूप में संगठित हो गए। एन. आई. ई. ओ. से उनका आशय एक ऐसी व्यवस्था से था जिसमें उन्हें अपने संसाधनों पर सही मायनों में नियन्त्रण मिल सके, जिसमें उन्हें विकास के लिए अधिक सहायता मिले, कच्चे माल के सही दाम मिलें, और अपने तैयार मालों को विकसित देशों के बाजारों में बेचने के लिए बेहतर पहुँच मिले। जी-77 का गठन ब्रेटनवुड्स की जुड़वाँ संतानों की प्रतिक्रिया थी। विकासशील राष्ट्र विकसित औद्योगिक राष्ट्रों के बराबर पहुँचने की जी तोड़ कोशिश करने लगे थे। अत: एन.आई.ई.ओ. एक ऐसी व्यवस्था थी जिसमें विकासशील राष्ट्र अपने संसाधनों पर सही नियंत्रण रख सकें। जिसके अनुसार उन्हें विकास के लिए अधिक सहायता मिले, कच्चे मालों को विकसित राष्ट्रों के बाजारों में बेचने के लिए बेहतर स्थान मिले।
प्रश्न 3. ब्रेटनवुड्स समझौते का क्या अर्थ है ?
उत्तर-ब्रेटनवुड्स समझौता-जुलाई 1944 में अमेरिका स्थित न्यू हैम्पशायर के ब्रेटनवुड्स नामक स्थान पर संयुक्त राष्ट्र मौद्रिक एवं वित्तीय सम्मेलन में सहमति बनी थी। सदस्य राष्ट्रों के विदेश व्यापार में लाभ और घाटे से निपटने के लिए ब्रेटनवुड्स सम्मेलन में ही अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आई. एम. एफ.) की स्थापना की गई। युद्धेत्तर निर्माण के लिए पैसे की व्यवस्था करने के लिए अन्तर्राष्ट्रीय पुनर्निर्माण एवं विकास बैंक (जिसे आम बोलचाल में विश्व बैंक कहा जाता है) का गठन किया। इसी वजह से विश्व बैंक और आई.एम.एफ. को ब्रेटनवुड्स ट्विन (ब्रेटनवुड्स की जुड़वाँ) संतान भी कहा जाता है। अन्तर्राष्ट्रीय मौद्रिक व्यवस्था राष्ट्रीय मुद्राओं और मौद्रिक व्यवस्थाओं को एक-दूसरे से जोड़ने वालीव्यवस्था है। ब्रेटनवुड्स व्यवस्था निश्चित विनिमय दरों पर आधारित होती थी। इस व्यवस्था में राष्ट्रीय मुद्राएँ,जैसे भारतीय मुद्रा-रुपया डॉलर के साथ एक निश्चित विनिमय दर से बँधा हुआ था। एक डॉलर के बदले में कितने रुपये देने होंगे, यह स्थिर रहता था। डॉलर का मूल्य भी सोने से बँधा हुआ था। ब्रेटनवुड्स व्यवस्था ने पश्चिमी औद्योगिक राष्ट्रों और जापान के लिए व्यापार तथा आय में वृद्धि के एक अप्रतिम युग का सूत्रपात किया। 1950 से 1970 के बीच विश्व व्यापार की विकास दर सालाना 8 प्रतिशत से भी ज्यादा रही। विकास दर भी कमोबेश स्थिर ही थी। उसमें ज्यादा उतार-चढ़ाव नहीं आए। प्रश्न 4. उन्नीसवीं सदी में तकनीक की भूमिका को स्पष्ट कीजिए। उत्तर-रेलवे, भाप के जहाज, टेलिग्राफ, ये सब तकनीक बदलाव बहुत महत्त्वपूर्ण रहे। उनके बिना उन्नीसवीं सदी में आए परिवर्तनों की कल्पना नहीं की जा सकती थी। तकनीकी प्रगति अक्सर चौतरफा सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक कारकों का परिणाम भी होती हैं। उदाहरण के लिए, औपनिवेशीकरण के कारण यातायात और परिवहन साधनों में भारी सुधार किए गए। तेज चलने वाली रेलगाड़ियाँ बर्नी, बोगियों का भार कम किया गया, जलपोतों का आकार बढ़ा जिससे किसी भी उत्पाद को खेतों से दूर-दूर के बाजारों में कम लागत पर और ज्यादा आसानी से पहुंचाया जा सके मांस उत्पादों के व्यापार से इस प्रक्रिया का अच्छा अंदाजा मिलता है। 1870 के दशक तक अमेरिका से यूरोप को मांस का निर्यात किया जाता था। उस समय केवल जिंदा जानवर ही भेजे जाते थे जिन्हें यूरोप ले जाकर ही काटा जाता था। लेकिन जिंदा जानवर बहुत ज्यादा जगह घेरते थे। बहुत सारे तो लम्बे सफर में मर जाते थे या बीमार पड़ जाते थे। इसी वजह से मांस खाना एक महँगा सौदा था और यूरोप के गरीबों की पहुँच से बाहर था। दूसरी तरफ ऊँची कीमतों के कारण मांस उत्पादों की माँग और उत्पादन भी कम रहता था। नयी तकनीक के आने पर यह स्थिति बदल गई। पानी के जहाजों में रेफ्रिजरेशन की तकनीक स्थापित कर दी गई जिससे जल्दी खराब होने वाली चीजों को भी ले जाया जा सकता था। इसके बाद तो अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया या न्यूजीलैंड, सब जगह से जानवरों की बजाय उनका मांस यूरोप भेजा जाने लगा। इससे न केवल समुद्री यात्रा में आने वाला खर्चा कम हो गया बल्कि यूरोप में मांस के दाम भी गिर गए।
प्रश्न 5. उन्नीसवीं सदी के आखिर में उपनिवेशवाद की क्या स्थिति थी ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-उन्नीसवीं सदी के आखिर में उपनिवेशवाद की स्थिति निम्नलिखित थी-
(1) उन्नीसवीं शताब्दी के आखिरी दशकों में व्यापार बढ़ा और व्यापार तेजी से फैलने लगा। यह केवल
फैलते व्यापार और सम्पन्नता का ही दौर नहीं था। हमें इस प्रक्रिया के स्याह (धुंधले) पक्ष को भी नजरअंदाज
नहीं करना चाहिए। व्यापार में लाभ और विश्व अर्थव्यवस्था के साथ निकटता का एक परिणाम यह हुआ कि
विश्व के बहुत सारे भागों में स्वतन्त्रता और आजीविका के साधन छिनने लगे।
(2) उन्नीसवीं सदी के आखिरी दशकों में यूरोपियों की विजयों से बहुत सारे कष्टदायक आर्थिक, सामाजिक और पारिस्थितिकीय परिवर्तन आए और औपनिवेशिक समाजों को विश्व अर्थव्यवस्था में समाहित कर लिया गया।
(3) अफ्रीका के मानचित्र का अध्ययन करेंगे तो हम पाएँगे कि वहाँ के कुछ देशों की सीमाएँ तो बिल्कुल
सीधी लकीर जैसी हैं मानो उन्हें स्केल (scale) रखकर खींचा गया हो। वास्तव में, यही हुआ भी था।
(4) अफ्रीका पर कब्जे की कोशिश में लगी प्रतिद्वंदी यूरोपीय ताकतों ने अपने-अपने इलाके बाँटने के
लिए प्रायः इसी तरीके का सहारा लिया था। 1985 में यूरोप के ताकतवर देशों की बर्लिन में एक बैठक हुई
में जिसमें अफ्रीका के नक्शे पर इसी तरह लकीरें खींचकर उसको आपस में बाँट लिया गया था।
(5) उन्नीसर्वी सदी के आखिर में ब्रिटेन और फ्रांस ने अपने शासन वाले विदेशी क्षेत्रफल में भारी वृद्धि
कर ली थी। बेल्जियम और जर्मनी नयी औपनिवेशिक ताकतों के रूप में सामने आये। पहले स्पेन के कब्जे
में रह चुके कुछ उपनिवेशों पर कब्जा करके 1890 के दशक के आखिरी वर्षों में संयुक्त राज्य अमेरिका भी
औपनिवेशिक ताकत बन गया।
प्रश्न 6. भारत में उन्नीसवीं सदी के दौरान अनुबंधित श्रमिकों पर टिप्पणी कीजिए।
उत्तर- भारत में उन्नीसवीं सदी के दौरान अनुबंधित श्रमिकों की स्थिति निम्नलिखित थी-
(1) भारतीय अनुबंधित श्रमिकों को खास तरह के अनुबंध या एग्रीमेंट के तहत ले जाया जाता था।
इन अनुबंधों में यह शर्त होती थी कि यदि श्रमिक अपने मालिक के बागानों में पाँच साल कार्य कर लेंगे तो वे
स्वदेश लौट सकते हैं।
(2) भारत के ज्यादातर अनुबंधित श्रमिक मौजूदा पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य भारत और तमिलनाडु
के सूखे इलाकों से जाते थे। उन्नीसवीं सदी के मध्य में इन इलाकों में भारी परिवर्तन आने लगे थे। कुटीर उद्योग
खत्म हो रहे थे, जमीन का किराया बढ़ गया था, खानों और बागानों के लिए जमीनों को साफ किया जा रहा
था। इन परिवर्तनों से निर्धनों के जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ा।
(3) भारतीय अनुबंधित श्रमिकों को मुख्य रूप से कैरीबियाई द्वीप समूह (मुख्यत: त्रिनिदाद, गुयाना
और सूरीनाम), मॉरीशस व फिजी ले जाया जाता था। तमिल अप्रवासी सीलोन और मलाया जाकर कार्य करते बहुत सारे अनुबंधित श्रमिकों को असम के चाय बागानों में कार्य करवाने के लिए भी ले जाया जाता था।
(4) श्रमिकों की भर्ती का काम मालिकों के एजेंट किया करते थे। एजेंटों को कमीशन मिलता था।
बहुत सारे अप्रवासी अपने गाँव में होने वाले उत्पीड़न और गरीबी से बचने के लिए भी इन अनुबंधों को मान
लेते थे। एजेंट भी भावी अप्रवासियों को फुसलाने के लिए झूठी जानकारियाँ देते थे।
(5) उन्नीसवीं सदी की इस अनुबंध व्यवस्था को बहुत सारे लोगों ने ‘नयी दास प्रथा’ का भी नाम दिया है। बागानों में या कार्यस्थल पर पहुँचने के बाद श्रमिकों को पता चलता था कि वे जैसी उम्मीद कर रहे थे यहाँ वैसे हालत नहीं हैं। नयी जगह का जीवन एवं कार्य स्थितियाँ कठोर थीं और श्रमिकों के पास कानूनी अधिकार कहने भर को भी नहीं थे। इसके बावजूद मजदूरों ने भी जिंदगी बसर करने के अपने तरीके ढूँढ़ निकाले।
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