अध्याय22 भारतीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्र
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
. बहु-विकल्पीय प्रश्न
- कृषि क्षेत्र निम्न में सम्मिलित हैं-
(i) प्राथमिक
(ii) द्वितीयक
(iii) तृतीयक
(iv) द्वितीयक एवं तृतीयक दोनों।
- जैसे-जैसे अर्थव्यवस्था विकसित होती है, राष्ट्रीय आय में तृतीयक क्षेत्र का अंश-
(i) बढ़ता जाता है
(ii) घटता जाता है
(iii) बढ़ता है तत्पश्चात् घटता है
(iv) घटता है तत्पश्चात् बढ़ता है।
- प्राथमिक क्षेत्र की गतिविधि है-
(i) गन्ने से शक्कर बनाना
(ii) मकान निर्माण
(iii) बैंकिंग
(iv) मछली पकड़ना।
- एक वस्तु का अधिकांशतः प्राकृतिक प्रक्रिया से उत्पादन किस क्षेत्रक की गतिविधि है ?
(i) प्राथमिक
(ii) द्वितीयक
(iii) तृतीयक
(iv) सूचना प्रौद्योगिकी।
- स.घ.उ के पदों में वर्ष 2013-14 के बीच तृतीयक क्षेत्रक की हिस्सेदारी कितने प्रतिशत है ?
(i) 20 से 30
(ii) 30 से 40
(iii) 50 से 60
(iv) 60 से 701
- किसी वर्ष में उत्पादित कुल मूल्य को स.घ.उ. कहते हैं।
(i) सभी वस्तुओं और सेवाओं
(ii) सभी अन्तिम वस्तुओं और सेवाओं
(iii) सभी मध्यवर्ती वस्तुओं और सेवाओं
(iv) सभी मध्यवर्ती एवं अन्तिम वस्तुओं और सेवाओं।
- निम्नलिखित में से कौन-सा व्यवसाय अर्थव्यवस्था के तृतीयक क्षेत्र के अन्तर्गत आता है ?
(i) किसान
(ii) मछुआरा
(iii) शिक्षक
(iv) फैक्ट्री श्रमिक।
- सेवा क्षेत्र के निरन्तर विकास का कारण है-
(i) सरकारी हस्तक्षेप
(ii) कृषि एवं उद्योगों का विकास
(iii) सोच में परिवर्तन
(iv) उक्त सभी।
- सेवा क्षेत्र रोजगार प्रदान करता है-
(i) प्रत्यक्ष रूप से
(ii) अप्रत्यक्ष रूप से
(iii) प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष दोनों रूप से
(iv) इनमें से कोई नहीं।
- सार्वजनिक और निजी क्षेत्रक आधार पर विभाजित हैं-
(i) रोजगार की शर्तों
(ii) आर्थिक गतिविधि के स्वभाव
(iii) उद्यमों के स्वामित्व
(iv) उद्यम में नियोजित श्रमिकों की संख्या।
- कपास किस प्रकार का उत्पाद है ?
(i) विनिर्मित
(ii) नैसर्गिक
(iii) कृत्रिम
(iv) प्राकृतिक।
- निम्नलिखित में कौन-सी क्रिया प्राथमिक क्षेत्रक की नहीं है ?
(i) मछलीपकड़ना
(ii) खनन
(iii) विनिर्माण
(iv) लट्टे बनाना।
- प्राथमिक क्षेत्र को निम्न में से किस और नाम से भी जाना जाता है ?
(i) सेवा क्षेत्र
(ii) कृषि एवं सहायक क्षेत्रक
(iii) प्राकृतिक क्षेत्र
(iv) औद्योगिक क्षेत्र।
- परिवहन, भण्डारण, संचार और बैंक सेवाएँ किस क्षेत्र के उदाहरण हैं ?
(i) प्राथमिक क्षेत्र
(ii) द्वितीयक क्षेत्र
(iii) तृतीयक क्षेत्र
(iv) विनिर्माण क्षेत्र।
उत्तर-1. (i), 2. (i), 3. (iv), 4. (i), 5. (iii), 6. (ii), 7. (iii), 8. (iv), 9. (iii), 10. (iii),
- (iv), 12. (iii), 13. (ii), 14. (iii).
. रिक्त स्थानों की पूर्ति
- सेवा क्षेत्रक में रोजगार में उत्पादन के में वृद्धि नहीं हुई है।
- क्षेत्रक के श्रमिक वस्तुओं का उत्पादन नहीं करते हैं।
- कपास एक उत्पाद है और कपड़ा एक उत्पाद है।
- अर्थव्यवस्था का …….. क्षेत्रों में विभाजन किया गया है।
- क्षेत्र में प्राकृतिक उत्पादों को विनिर्माण के द्वारा अनेक उपयोगी रूपों में परिवर्तित किया जाता
- भारत में
- प्राथमिक, द्वितीयक और तृतीयक क्षेत्रकों की गतिविधियाँ हैं। अनुपात में श्रमिक असंगठित क्षेत्रक में काम कर रहे हैं।
- मनरेगा के अन्तर्गत सरकार द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में वर्ष में ” दिन के रोजगार की गारण्टी दी गई
है।
उत्तर-1. समान अनुपात, 2. तृतीयक, 3. प्राकृतिक, विनिर्मित, 4. तीन, 5.द्वितीयक, 6. परस्पर निर्भर,
4.
- बड़े, 8. 100.
. सत्य/असत्य
- किसी भी अर्थव्यवस्था को चार क्षेत्रों में बाँटा जाता है।
- सेवा क्षेत्र अर्थव्यवस्था का तृतीयक क्षेत्र होता है।
- कृषि प्राथमिक क्षेत्र के अन्तर्गत आती है।
- विकसित देशों में अधिकांश जनसंख्या प्राथमिक क्षेत्र से जुड़ी रहती है।
- औद्योगिक क्षेत्र को प्राथमिक क्षेत्र कहा जाता है।
- शिक्षक, डॉक्टर, वकील की सेवाएँ उत्पादन में प्रत्यक्ष रूप से योगदान देती हैं।
उत्तर-1. असत्य, 2. सत्य, 3. सत्य, 4. असत्य, 5. असत्य, 6. असत्य।
सही जोड़ी बनाइए
‘अ’
- परिवहन एवं संचार
- मछलीपालन
- सोमेण्ट का कारखाना
- 625 जिलों में काम का अधिकार
- संगठित क्षेत्रक
‘ब’
(क) प्राथमिक क्षेत्र
(ख) तृतीयक क्षेत्र
(ग) मनरेगा
(घ) कारखाना अधिनियम
(ङ) द्वितीयक क्षेत्र
उत्तर-1.→ (ख),2.→ (क),3. → (ङ),4. → (ग),5.→ (घ)।
एक शब्द/वाक्य में उत्तर
- जी.डी.पी. में सबसे अधिक योगदान किस क्षेत्रक का है ?
- रोजगार अधिकांशतः किस क्षेत्रक में मिलता है ?
- देश की कुल जनसंख्या का वह भाग; जो प्रत्यक्ष रूप से उत्पादन क्रियाओं में सहयोग करता है, क्या कहलाता है?
- निजी क्षेत्र के एक उद्योग का नाम बताइए।
- अर्थव्यवस्था के उस क्षेत्र का नाम बताइए जो कृषि एवं उद्योग के संचालन में सहायता पहुँचाता है।
- डॉक्टर, शिक्षक, नाई, धोबी, वकील आदि की सेवाएँ किस प्रकार के कार्यक्षेत्र में आती हैं ?
उत्तर-1. तृतीयक क्षेत्रक, 2. प्राथमिक, 3. द्वितीयक क्षेत्र, 4. टिस्को, 5. तृतीयक क्षेत्र, 6. तृतीयक क्षेत्र।
अति लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. प्राथमिक, द्वितीयक एवं तृतीयक क्षेत्रक का एक-एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर-प्राथमिक क्षेत्र-मछलीपालन,द्वितीयक क्षेत्र-गन्ने से चीनी,तृतीयक क्षेत्र-संचार।
प्रश्न 2. कार्यशील जनसंख्या का व्यावसायिक वितरण का प्रतिशत किस प्रकार का रहता है ?
उत्तर-कार्यशील जनसंख्या का व्यावसायिक वितरण का प्रतिशत बढ़ता रहता है।
रश्न 3. ‘अधोसंरचना’ किसे कहते हैं ?
उतर-वे सुविधाएँ एवं क्रियाएँ जो उत्पादन के कार्यों में सहायक होती हैं, को अधोसंरचना कहा जाता जैसे-ऊर्जा, परिवहन के साधन, बाँध, शिक्षा, स्वास्थ्य सुविधाएँ आदि।
प्रश्न 4. ज्ञान आधारित समाज किसे कहते हैं ?
उत्तर-वह समाज जिसमें सभी क्रियाएँ उपलब्ध ज्ञान के आधार पर होती हैं। दूरसंचार तकनीक के विस्तार से ज्ञान आधारित समाज की धारणा का विकास हुआ है।
प्रश्न 5. सेवा क्षेत्र क्या है ?
उत्तर-तृतीयक क्षेत्र की गतिविधियों से वस्तुओं के स्थान पर सेवाओं का सृजन होता है। अत: इसे सेवा क्षेत्र भी कहा जाता है।
प्रश्न 6. अल्प बेरोजगारी क्या है ?
उत्तर- प्रत्येक व्यक्ति कुछ कार्य कर रहा है परन्तु किसी को भी पूर्ण रोजगार प्राप्त नहीं है। यह अल्प बेरोजगारी की स्थिति है, जहाँ लोग प्रत्यक्ष रूप से कार्य कर रहे हैं, लेकिन अपनी क्षमता से कम काम करते हैं।
प्रश्न 7. किस क्षेत्र में तथा कब व्यावसायिक प्रशिक्षण की माँग होती है ?
उत्तर-तृतीयक क्षेत्र, जैसे-जैसे आय बढ़ती है, कुछ लोग अन्य कई सेवाओं; जैसे- रेस्तरां, पर्यटन,शॉपिंग, निजी अस्पताल, निजी विद्यालय, व्यावसायिक प्रशिक्षण इत्यादि की माँग शुरू कर देते हैं।
प्रश्न 8. अन्तिम उत्पादन से क्या आशय है ?
उत्तर- वे वस्तुएँ जो उपयोग के लिए तैयार हैं उन्हें अन्तिम उत्पादन कहते हैं, जैसे-डबल रोटी उपयोग के लिए तैयार है।
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. जीविका के लिए काम करने वाले अपने आसपास के वयस्कों के सभी कार्यों की लम्बी
सूची बनाइए। उन्हें आप किस तरीके से वर्गीकृत कर सकते हैं? अपने चयन की व्याख्या कीजिए।
उत्तर- जीविका के लिए काम करने वाले वयस्कों की सूची कृषि, मछलीपालन, खनन, निर्माण कार्य, कपड़ा बनाना, लोहे से मशीन बनाना, बैंक, बीमा, पर्यटन, परिवहन, शैक्षणिक संस्थाएँ, स्वास्थ्य सेवाएँ आदि।
प्राथमिक क्षेत्र
कृषि, मछलीपालन, खनन आदि
द्वितीयक क्षेत्र
निर्माण कार्य कपड़ा बनाना, लोहे से मशीन बनाना आदि।
तृतीयक क्षेत्र
बैंक, बीमा, पर्यटन, परिवहन, शैक्षणिक संस्थाएँ, स्वास्थ्य सेवाएँ आदि।
प्रश्न 2. भारत में सेवा क्षेत्रक दो विभिन्न प्रकार के लोग नियोजित करता है। ये लोग कौन हैं ?
उत्तर भारत में सेवा क्षेत्रक कई तरह के लोगों को नियोजित करता है। एक ओर उन सेवाओं की संख्या सीमित है, जिसमें अत्यन्त कुशल और शिक्षित श्रमिकों को रोजगार मिलता है। दूसरी ओर, बहुत अधिक संख्या में लोग छोटी दुकानों, मरम्मत कार्यों, परिवहन जैसी सेवाओं में लगे हुए हैं वे लोग बड़ी कठिनाई से जीविका निर्वाह कर पाते हैं और वे इन सेवाओं में इसलिए लगे हुए हैं क्योंकि उनके पास कोई अन्य वैकल्पिक अवसर नहीं है।
प्रश्न 3. “असंगठित क्षेत्रक में श्रमिकों का शोषण किया जाता है।” क्या आप इस विचार से सहमत हैं? अपने उत्तर के समर्थन में कारण दीजिए।
उत्तर- हाँ, यह बात सत्य है कि असंगठित क्षेत्रक में श्रमिकों का शोषण किया जाता है। क्योंकि असंगठित क्षेत्रक छोटी-छोटी और बिखरी इकाइयों, जो अधिकांशत: सरकारी नियन्त्रण से बाहर होती हैं, से निर्मित होता है। इस क्षेत्रक के नियम और विनियम तो होते हैं परन्तु उनका अनुपालन नहीं होता है। वे कम वेतन वाले रोजगार हैं और प्राय: नियमित नहीं हैं। यहाँ अतिरिक्त समय में काम करने, सवेतन छुट्टी, अवकाश, बीमारी के कारण छुट्टी इत्यादि का कोई प्रावधान नहीं है। रोजगार सुरक्षित नहीं है। श्रमिकों को बिना किसी कारण कार्य से हटाया जा सकता है। कुछ मौसमों में जब काम कम होता है, तो कुछ लोगों को कार्य से छुट्टी दे दी जाती है। बहुत से लोग नियोक्ता की पसन्द पर निर्भर होते हैं।
प्रश्न 4. अर्थव्यवस्था में गतिविधियाँ रोजगार की परिस्थितियों के आधार पर कैसे वर्गीकृत की
जाती हैं ?
उत्तर- अर्थव्यवस्था में गतिविधियाँ रोजगार की परिस्थितियों के आधार पर दो क्षेत्रकों अर्थात् संगठित एवं असंगठित क्षेत्रकों के रूप में वर्गीकृत की जाती हैं। संगठित क्षेत्रक के अन्तर्गत रोजगार की शर्तें कर्मचारियों को बता दी जाती हैं तथा प्रत्येक कर्मचारी को इन शर्तों को मानना पड़ता है। दूसरी ओर, असंगठित क्षेत्र में कोई नियम एवं नियमन नहीं होता है। इसके अन्तर्गत नियमों का पालन नहीं करना होता है।
प्रश्न 5. संगठित और असंगठित क्षेत्रकों में विद्यमान रोजगार परिस्थितियों की तुलना करें।
उत्तर- संगठित क्षेत्रक में वे कार्य स्थान आते हैं जहाँ रोजगार की अवधि नियमित होती है और इसलिए लोगों के पास सुनिश्चित कार्य होता है। वे क्षेत्रक सरकार द्वारा पंजीकृत होते हैं और उन्हें सरकारी नियमों एवं विनियमों का अनुपालन करना होता है। इन नियमों एवं विनियमों का अनेक विधियों, जैसे- कारखाना अधिनियम, न्यूनतम मजदूरी अधिनियम, सेवानुदान अधिनियम, दुकान एवं प्रतिष्ठान अधिनियम, इत्यादि में उल्लेख किया गया है। इसे संगठित क्षेत्रक कहते हैं क्योंकि इसकी कुछ औपचारिक प्रक्रिया एवं कार्य विधि है। जबकि असंगठित क्षेत्रक छोटी-छोटी और बिखरी इकाइयों, जो अधिकांशत: सरकारी नियन्त्रण से बाहर होती हैं. से निर्मित होता है। ये कम वेतन वाले रोजगार हैं और प्रायः नियमित नहीं हैं। यहाँ अतिरिक्त समय में कार्य करने, सवेतन अवकाश, बीमारी के कारण अवकाश इत्यादि का कोई प्रावधान नहीं है। रोजगार सुरक्षित नहीं है। श्रमिकों को बिना किसी कारण कार्य से हटाया जा सकता है।
प्रश्न 6. मनरेगा 2005 (MGNREGA 2005) के उद्देश्यों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर- मनरेगा- भारत के लगभग 625 जिलों में काम का अधिकार लागू करने के लिए एक कानून बनाया है। इसे महात्मा गाँधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी अधिनियम, 2005 कहते हैं। इस अधिनियम की प्रमुख बातें इस प्रकार हैं
(1) यह अधिनियम केवल एक कार्यक्रम ही नहीं है, अपितु एक कानून है जिसके अन्तर्गत रोजगार हासिल करने की कानूनी गारण्टी दी गई है।
(2) इसके नियोजन तथा क्रियान्वयन में पंचायती राज संस्थाओं की महत्त्वपूर्ण भूमिका होगी।
(3) इसका प्रमुख उद्देश्य हर वर्ष प्रत्येक ग्रामीण एवं शहरी गरीब तथा निम्न मध्यम वर्ग के परिवार के एक वयस्क व्यक्ति को कम से कम 100 दिन रोजगार उपलब्ध कराना है।
(4) इसके अन्तर्गत माँग करने पर 15 दिन के अन्दर कार्य उपलब्ध कराना अनिवार्य है।
(5) यदि निश्चित समय में काम उपलब्ध नहीं कराया जाएगा, तो सम्बन्धित व्यक्ति को बेरोजगारी भत्ता प्रदान किया जाएगा।
प्रश्न 7. अर्थव्यवस्था के क्षेत्र एवं राष्ट्रीय आय में क्या सम्बन्ध है ?
उत्तर- अर्थव्यवस्था के क्षेत्र एवं राष्ट्रीय आय में सम्बन्ध- एक राष्ट्र की राष्ट्रीय आय या सकल घरेलू उत्पाद (जी.डी.पी.) की गणना के लिए उस राष्ट्र के प्राथमिक, द्वितीयक एवं तृतीयक क्षेत्रों को आधार माना जाता है। इसके लिए सबसे पहले इन तीनों क्षेत्रों से प्राप्त उत्पादन के मौद्रिक मूल्य की गणना की जाती है। तदुपरान्त इन अलग-अलग क्षेत्रों से प्राप्त मौद्रिक मूल्य को जोड़ा जाता है। इस प्रकार देश का सकल घरेलू उत्पाद (जी.डी.पी.) या राष्ट्रीय आय के आँकड़े प्राप्त हो जाते हैं। अनुभव यह बताता है कि आर्थिक विकास के साथ-साथ जहाँ प्राथमिक, द्वितीयक एवं तृतीयक क्षेत्रों से प्राप्त आय में वृद्धि होती है, वहीं इनके तुलनात्मक योगदान में भी परिवर्तन होता है। यह देखा गया है कि जैसे-जैसे किसी राष्ट्र में आर्थिक विकास होता है, वैसे-वैसे कुल राष्ट्रीय आय में प्राथमिक क्षेत्र का योगदान क्रमशः कम होता जाता है तथा तृतीयक या सेवा क्षेत्र का योगदान बढ़ता जाता है।
प्रश्न 8. अर्थव्यवस्था के प्राथमिक एवं द्वितीयक क्षेत्र को उदाहरण की सहायता से समझाइए।
उत्तर- प्राथमिक क्षेत्र प्राकृतिक संसाधनों पर प्रत्यक्ष रूप से आधारित गतिविधियों को प्राथमिक क्षेत्र कहा जाता है। उदाहरण के लिए, कृषि को लिया जा सकता है। फसलों के उत्पादन के लिए मुख्यत: प्राकृतिक कारकों; जैसे- मृदा, वर्षा, सूर्य का प्रकाश, वायु आदि पर निर्भर रहना पड़ता है। अत: कृषि उपज एक प्राकृतिक उत्पाद है। इसी प्रकार वन, पशुपालन, खनिज आदि को भी प्राथमिक क्षेत्र के अन्तर्गत लिया जाता है।
द्वितीयक क्षेत्र–इस क्षेत्र की गतिविधियों के अन्तर्गत प्राकृतिक उत्पादों को विनिर्माण प्रणाली के माध्यम से अन्य रूपों में परिवर्तित किया जाता है। उदाहरण के लिए, लोहे से मशीन बनाना या कपास से कपड़ा बनाना आदि यह प्राथमिक गतिविधियों के बाद अगला कदम है। इस क्षेत्र में वस्तुएँ सीधे प्रकृति से उत्पादित नहीं होती हैं, वरन् उन्हें मानवीय क्रियाओं के द्वारा निर्मित किया जाता है। ये क्रियाएँ किसी कारखाने या घर में हो सकती हैं। चूँकि यह क्षेत्र क्रमशः सम्बन्धित विभिन्न प्रकार के उद्योगों से जुड़ा हुआ है। इसलिए इसे औद्योगिक क्षेत्र भी कहा जाता है।
प्रश्न 9. सेवा क्षेत्र का कृषि एवं राष्ट्रीय आय में योगदान की विवेचना कीजिए।
उत्तर- सेवा क्षेत्र का कृषि में योगदान- किसानों को प्राकृतिक आपदाओं से बचाने का कार्य भी सेवा क्षेत्र द्वारा किया जाता है। वर्षा बीमा योजना, फसल बीमा योजना, कृषि आय बीमा योजना तथा राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना आदि के द्वारा कृषि उपज की अनिश्चितता एवं जोखिम को दूर किया जाता है। साथ ही सेवा क्षेत्र किसानों को उन्नत खाद, बीज आदि के क्रय हेतु पूँजी प्रदान कर उत्पादन बढ़ाने में सहायक होता है। इस प्रकार सेवा क्षेत्र कृषि उत्पादकता को बढ़ाने में सहयोग करता है। राष्ट्रीय आय में योगदान- आज शहरी क्षेत्र हो या ग्रामीण सभी में सेवा क्षेत्र का महत्त्वपूर्ण योगदान है। यही कारण है कि राष्ट्रीय आय का आधे से अधिक भाग अब सेवा क्षेत्र से प्राप्त हो रहा है। राष्ट्र के आर्थिक विकास के साथ सेवा क्षेत्र की गतिविधियाँ तेजी से बढ़ रही हैं, इसलिए राष्ट्रीय आय में सेवा क्षेत्र का योगदान निरन्तर बढ़ रहा है।
प्रश्न 10. खुली बेरोजगारी और प्रच्छन्न बेरोजगारी के बीच विभेद कीजिए।
उत्तर
खुली बेरोजगारी
- जब व्यक्ति कार्य करने के योग्य हैं और वे कार्य करना चाहते हैं, लेकिन उनको कार्य नहीं मिलता तो ऐसी स्थिति को खुली बेरोजगारी कहते हैं।
- भारत में इस प्रकार की बेरोजगारी व्याप्त है। यहाँ लाखों व्यक्ति ऐसे हैं, जो शिक्षित हैं, तकनीकी योग्यता प्राप्त हैं, लेकिन कार्य के अवसर नहीं मिल रहे हैं।
प्रच्छन्न बेरोजगारी
- बेरोजगारी का यह स्वरूप प्रत्यक्ष रूप से दिखाई नहीं देता है। यह छिपा रहता है।
- भारत में इस प्रकार की बेरोजगारी कृषि में पायी जाती है जिसमें आवश्यकता से अधिक व्यक्ति लगे हुए हैं।
प्रश्न 11. व्याख्या कीजिए कि एक देश के आर्थिक विकास में सार्वजनिक क्षेत्रक कैसे योगदान करता है?
उत्तर- एक देश के आर्थिक विकास में सार्वजनिक क्षेत्रक निम्न प्रकार से योगदान करते हैं (1) इन उपक्रमों द्वारा क्षेत्रीय विषमताओं को दूर करने का प्रयास किया जाता है। इन उद्योगों की स्थापना उन क्षेत्रों में की जाती है, जिन क्षेत्रों की निजी उद्योगपतियों द्वारा अवहेलना कर दी जाती है। इसमें उद्योगों की स्थापना इस प्रकार की जाती है कि उपलब्ध संसाधनों का अधिकतम उपयोग हो सके।
(2) सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों द्वारा आधारभूत सेवाओं के विकास पर बहुत जोर दिया जाता है। इन उद्यमों की स्थापना करके देश में आधारभूत सुविधाओं जैसे- यातायात, संचार, बैंकिंग, जलशक्ति आदि के विकास एवं विस्तार को प्राथमिकता दी जाती है।
(3) सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों से सामाजिक न्याय की प्राप्ति में सहायता मिलती है। इन संस्थाओं के द्वारा अधिकतम सम्भव मानवीय आवश्यकताओं को सन्तुष्ट करने के प्रयास किये जाते हैं, आय की विषमताओं को न्यूनतम किया जाता है तथा राष्ट्रीय आय का वितरण समानता एवं न्याय के आधार पर किया जाता है।
(4) सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम नगर एवं रख-रखाव और सामाजिक कार्यों जैसे- शिक्षा, चिकित्सा और सांस्कृतिक गतिविधियों में अपना महत्त्वपूर्ण योगदान देते हैं।
प्रश्न 12. असंगठित क्षेत्रक के श्रमिकों को निम्नलिखित मुद्दों पर संरक्षण की आवश्यकता है-मजदूरी, सुरक्षा और स्वास्थ्य। उदाहरण सहित व्याख्या कीजिए।
उत्तर- ग्रामीण क्षेत्रों में, असंगठित क्षेत्रक मुख्यतः भूमिहीन कृषि श्रमिकों, छोटे और सीमांत किसानों, फसल बँटाईदारों और कारीगरों (जैसे बुनकरों, लुहारों, बढ़ई और सुनार) से रचित होता है। भारत में लगभग 80 प्रतिशत ग्रामीण परिवार छोटे और सीमांत किसानों की श्रेणी में आते हैं। इन किसानों को समय से बीज, कृषि-उपकरणों, साख, भण्डारण सुविधा और विपणन केन्द्र की पर्याप्त सुविधा उपलब्ध कराने की आवश्यकता है। शहरी क्षेत्रों में असंगठित क्षेत्रक मुख्यतः लघु उद्योगों के श्रमिकों, निर्माण, व्यापार एवं परिवहन में कार्यरत आकस्मिक श्रमिकों और सड़कों पर विक्रेता का कार्य करने वालों, सिर पर बोझा ढोने वाले श्रमिकों, वस्त्र निर्माण करने वालों और कबाड़ उठाने वालों से रचित है। लघु उद्योगों को भी कच्चे माल की प्राप्ति और उत्पाद के विपणन के लिए सरकारी सहायता की आवश्यकता होती है। आकस्मिक श्रमिकों को शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में संरक्षण दिए जाने की आवश्यकता है।
दीर्घ उत्तरीय / विश्लेषणात्मक प्रश्न
प्रश्न 1. क्या आप मानते हैं कि आर्थिक गतिविधियों के प्राथमिक, द्वितीयक एवं तृतीयक क्षेत्र में विभाजन की उपयोगिता है ? व्याख्या कीजिए कि कैसे ?
उत्तर- हम मानते हैं कि आर्थिक गतिविधियों के प्राथमिक, द्वितीयक एवं तृतीयक क्षेत्र में विभाजन की उपयोगिता है। प्राकृतिक संसाधनों पर प्रत्यक्ष रूप से आधारित गतिविधियों को प्राथमिक क्षेत्र कहा जाता है। उदाहरण के लिए, कृषि को लिया जा सकता है। द्वितीयक क्षेत्र की गतिविधियों के अन्तर्गत प्राकृतिक उत्पादों को विनिर्माण प्रणाली के माध्यम से अन्य रूपों में परिवर्तित किया जाता है। उदाहरण के लिए, लोहे से मशीन बनाना या कपास से कपड़ा बनाना आदि यह प्राथमिक गतिविधियों के बाद अगला कदम है। तृतीयक क्षेत्र की गतिविधियाँ स्वतः वस्तुओं का उत्पादन नहीं करतीं, वरन् उत्पादन प्रक्रिया में सहयोग करती हैं। उदाहरण के लिए, प्राथमिक और द्वितीयक क्षेत्रों द्वारा उत्पादित वस्तुओं को थोक एवं फुटकर बाजारों में बेचने के लिए रेल या ट्रक द्वारा परिवहन की आवश्यकता पड़ती है। इसलिए हम कह सकते हैं कि आर्थिक गतिविधियों का प्राथमिक, द्वितीयक एवं तृतीयक क्षेत्र में विभाजन की उपयोगिता है।
प्रश्न 2. “भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास में तृतीयक क्षेत्रक कोई महत्त्वपूर्ण भूमिका नहीं निभा रहा है।” क्या आप इससे सहमत हैं ? अपने उत्तर के समर्थन में कारण दीजिए।
उत्तर- हम इस बात से सहमत नहीं हैं कि भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास में तृतीयक क्षेत्रक कोई महत्त्वपूर्ण भूमिका नहीं निभा रहा है। इसके महत्त्व की विवेचना निम्नलिखित आधार पर की जाती है
(1) रोजगार के अवसर- सेवा क्षेत्र लोगों को प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष दोनों रूपों में रोजगार प्रदान करता है। उदाहरण के लिये, “भारतीय रेलवे में कुल 14 लाख कर्मचारी नियोजित हैं।” यह संख्या देश में किसी भी अन्य उपक्रम की तुलना में अधिक है। रोजगार के अवसर जुटाने में परिवहन, सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी, बँक, शैक्षणिक संस्थाएँ, स्वास्थ्य सेवाएँ, पर्यटन एवं होटल व्यवसाय का योगदान बहुत अधिक है। इस प्रकार सेवा क्षेत्र बेरोजगारी दूर करने एवं लोगों की आय बढ़ाने में सहायक होता है।
(2) उत्पादन में वृद्धि – सेवा क्षेत्र कम लागत पर एवं कम समय में अधिक उत्पादन करने एवं गुणवत्ता में वृद्धि करने में भी सहायक होता है। यह क्षेत्र दो प्रकार से सहायता पहुँचाता है- एक तो कुशल प्रशिक्षण एवं स्वस्थ श्रमिक उपलब्ध कराकर उत्पादन की गुणवत्ता बढ़ाता है। दूसरा, कुशलता एवं कार्यक्षमता में वृद्धि से उत्पादन एवं आय में वृद्धि करता है।
(3) औद्योगिक विकास में सहायक-बैंक एवं अन्य वित्तीय संस्थाएँ साख का सृजन करती हैं और सभी प्रकार के उद्योगों के लिए पूँजी की पूर्ति करती हैं, फिर चाहे वित्त की अल्पकालिक आवश्यकता हो या मध्यकालिक या दीर्घकालिक उद्योगों की स्थापना से लेकर बाजार तक वस्तुएँ पहुँचाने एवं विज्ञापन करने हेतु
सभी व्यवस्थाएँ सेवा क्षेत्र द्वारा की जाती हैं। संक्षेप में, सेवा क्षेत्र पूँजी सम्बन्धी आवश्यकताओं की पूर्ति कर औद्योगिक विकास में सहायक होता है।
(4) बाजार के विस्तार में सहायक-सेवा क्षेत्र प्राथमिक एवं द्वितीयक क्षेत्र के उत्पादों के बाजार का विस्तार करने में सहायक होता है। परिवहन की सुविधा से माल एवं यात्रियों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाया जाता है। संचार के साधनों द्वारा व्यापारिक सौदे तय किये जाते हैं या होटल बुक किया जाता है। इससे सभी प्रकार की गतिविधियाँ सरल हो जाती हैं।
(5) विदेशी मुद्रा का अर्जन- पिछले कुछ वर्षों से सेवाओं के निर्यात से भी बड़ी मात्रा में विदेशी मुद्रा की प्राप्ति हो रही है। जहाजरानी एवं हवाई सेवाओं के साथ-साथ पर्यटन एवं वित्तीय सेवाओं से भी हमें विदेशी मुद्रा प्राप्त होती है। हाल ही के वर्षों में कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर, कॉल सेण्टर, शिक्षा एवं स्वास्थ्य के क्षेत्रों में भी काफी विकास हुआ है और अब इन सेवाओं से भी विदेशी मुद्रा प्राप्त हो रही है।
प्रश्न 3. अपने क्षेत्र से उदाहरण लेकर सार्वजनिक और निजी क्षेत्रक की गतिविधियों एवं कार्यों तुलना तथा वैषम्य कीजिए।
उत्तर –
प्रश्न 4. तृतीयक क्षेत्रक अन्य क्षेत्रकों से कैसे भिन्न है ? सोदाहरण व्याख्या कीजिए।
उत्तर- सेवा क्षेत्र या तृतीयक क्षेत्र की गतिविधियाँ प्राथमिक एवं द्वितीयक क्षेत्र से भिन्न होती हैं। सेवा क्षेत्र की गतिविधियाँ स्वतः वस्तुओं का उत्पादन नहीं करतीं, वरन् उत्पादन प्रक्रिया में सहयोग करती हैं। उदाहरणार्थ, प्राथमिक और द्वितीयक क्षेत्रों द्वारा उत्पादित वस्तुओं को थोक एवं फुटकर बाजारों में बेचने के लिए रेल या ट्रक द्वारा परिवहन करने की आवश्यकता पड़ती है। उद्योगों से बने हुए माल को रखने के लिए गोदामों की आवश्यकता होती है। प्राथमिक एवं द्वितीयक क्षेत्रों में उत्पादन करने के लिए बैंकों से ऋण लेने की आवश्यकता होती है। इस प्रकार परिवहन, भण्डारण, संचार, बैंक, व्यापार आदि से सम्बन्धित गतिविधियाँ तृतीयक क्षेत्र में आती हैं। इन गतिविधियों के विस्तार से ही आर्थिक विकास को गति मिलती है। चूँकि तृतीयक क्षेत्र की गतिविधियों से वस्तुओं के स्थान पर सेवाओं का सृजन होता है, अत: इसे सेवा क्षेत्र भी कहा जाता है। अर्थव्यवस्था में कुछ ऐसी सेवाएँ भी होती हैं जो वस्तुओं के उत्पादन में प्रत्यक्ष योगदान न देकर अप्रत्यक्ष रूप से सहायता करती हैं। उदाहरण के लिए, शिक्षक, डॉक्टर, वकील, लेखाकर्मी, प्रशासनिक आदि की सेवाओं को लिया जा सकता है। धोबी, नाई एवं मोची की सेवाएँ भी महत्त्वपूर्ण होती हैं। वर्तमान समय में सूचना प्रौद्योगिकी पर आधारित सेवाएँ जैसे इण्टरनेट, कैफे, ए.टी.एम. बूथ, कॉल सेण्टर, सॉफ्टवेयर निर्माण आदि का भी उत्पादन की गतिविधियों में महत्त्वपूर्ण स्थान है।
प्रश्न 5. प्रच्छन्न बेरोजगारी से आप क्या समझते हैं ? शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों से उदाहरण देकर व्याख्या कीजिए।
उत्तर- प्रच्छन्न बेरोजगारी-बेरोजगारी का यह स्वरूप प्रत्यक्ष रूप से दिखायी नहीं देता। यह छिपा रहता है। भारत में इस प्रकार की बेरोजगारी कृषि में पायी जाती है जिसमें आवश्यकता से अधिक व्यक्ति लगे हुए हैं। यदि इनमें से कुछ व्यक्तियों को खेती के कार्य से अलग कर दिया जाये तो उत्पादन में कोई अन्तर नहीं पड़ता है। ऐसे व्यक्ति प्रच्छन्न बेरोजगारी के अन्तर्गत आते हैं। उदाहरण के लिए, खेत में तीन व्यक्तियों की आवश्यकता है, परन्तु घर के सभी पाँच व्यक्ति उस कार्य में लग जाते हैं, फिर भी इससे उत्पादन में कोई अन्तर नहीं आता है तो इस प्रकार दो व्यक्ति इस कार्य में अधिक लगे हैं। यही अदृश्य या छिपी बेरोजगारी है। यह बेरोजगारी दूसरे क्षेत्रकों में भी हो सकती है। उदाहरण के लिए, शहरों में सेवा क्षेत्रक में हजारों अनियत श्रमिक हैं जो दैनिक रोजगार की तलाश करते हैं। वे प्लम्बर, पेन्टर, मरम्मत कार्य जैसे रोजगार करते हैं और अन्य लोग असुविधाजनक विषम कार्य करते हैं। उनमें से कई रोजाना कार्य नहीं प्राप्त कर पाते हैं। इसी प्रकार हम सेवा क्षेत्रक के कुछ लोगों को सड़कों पर ठेला खींचते या कुछ सामान बेचते हुए देखते हैं, जहाँ वे पूरा दिन बिता देते हैं, परन्तु बहुत कम कमा पाते हैं।
Leave a Reply