अध्याय 14 संघवाद
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
. बहु-विकल्पीय प्रश्न
- कौन-सा देश ‘साथ बनाए रखना’ (Holding together) संघ का उदाहरण नहीं है ?
(i) स्पेन
(ii) संयुक्त राज्य अमेरिका
(iii) बेल्जियम
(iv) भारत।
- भारत ने कब लोकतन्त्र की राह पर अपनी जीवन-यात्रा शुरू की ?
(1) 1950
(ii) 1947
(iii) 1952
(iv) 1955.
- हिन्दी कितने लोगों की मातृभाषा है ?
(i) 50 प्रतिशत
(ii) 44 प्रतिशत
(iii) 39 प्रतिशत
(iv) 35 प्रतिशत।
- समवर्ती सूची में कौन-सा विषय है ?
(i) गोद लेना
(ii) सिंचाई
(iii) बैंकिंग
(iv) उपर्युक्त में कोई नहीं।
- ग्रामीण स्थानीय सरकार को कहा जाता है-
(i) नगर कमेटी
(ii) पंचायती राज
(iii) पंचायत
(iv) ग्राम सभा।
- संविधान का रक्षक किसे कहा जाता है ?
(i) सर्वोच्च न्यायालय
(ii) उच्च न्यायालय
(iii) प्रधानमंत्री
(iv) कानून मंत्री।
- किस सूची में दर्ज विषयों पर संघीय और राज्य सरकारें दोनों कानून बना सकती हैं ?
(i) संघीय सूची
(ii) राज्य सूची
(iii) समवर्ती सूची
(iv) उपर्युक्त में कोई नहीं।
- भारतीय संविधान में विषयों की कितनी सूचियाँ दी गई हैं ?
(i) दो
(ii) तीन
(iii) चार
(iv) पाँच।
- निम्न में से कौन-से राष्ट्र ‘साथ रहकर’ संघों के उदाहरण हैं ?
(i) भूटान एवं मालदीव
(ii) भारत एवं स्पेन
(iii) अमेरिका एवं स्विट्जरलैण्ड
(iv) स्विट्जरलैण्ड एवं ऑस्ट्रेलिया।
- सरकार के विभिन्न स्तरों पर अधिकारों एवं संविधान की व्याख्या करने का अधिकार किसके
पास होता है?
(i) प्रधानमंत्री
(ii) राष्ट्रपति
(iii) कानून मंत्री
(iv) न्यायालय।
उत्तर-1. (ii), 2. (ii), 3. (ii), 4. (i), 5. (i), 6. (i), 7. (iii), 8. (ii), 9. (ii), 10. (iv).
. रिक्त स्थानों की पूर्ति
- संघीय सरकार के मुकाबले प्राप्त……….हैं।
- भारत में……………सरकार ज्यादा शक्तिशाली है।
- चूँकि अमरीका……………..तरह का संघ है इसलिए वहाँ सभी इकाइयों को समान अधिकार हैं।
- भारतीय संविधान ने भारत को राज्यों का………..घोषित किया।
- संवैधानिक प्रावधानों और कानूनों के क्रियान्वयन की देख-रेख में…………..महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
- 22 भाषाओं को भारतीय संविधान की…………. अनुसूची में रखा गया है।
उत्तर-1. शक्तिशाली, 2. केन्द्रीय, 3. साथ आकर संघ बनाने की, 4. संघ, 5. न्यायपालिका, 6. आठवीं।
. सत्य/असत्य
- संवैधानिक प्रावधानों और कानूनों के क्रियान्वयन की देख-रेख में न्यायपालिका महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
- हमारे संविधान में किसी एक भाषा को राष्ट्रभाषा का दर्जा नहीं दिया गया।
- लोकतांत्रिक व्यवस्था के अन्दर अलग-अलग इलाकों का साथ रहना और चलना सम्भव नहीं हो पाता है।
- श्रीलंका में व्यावहारिक रूप से अभी भी एकात्मक शासन व्यवस्था है।
- संघीय शासन व्यवस्था एकात्मक शासन व्यवस्था से ठीक उलट है।
- संविधान में स्पष्ट रूप से केन्द्र और राज्य सरकारों के बीच विधायी अधिकारों को चार हिस्सों में बाँटा गया है।
- भारतीय संघ की कई इकाइयों को बहुत ही कम अधिकार हैं।
उत्तर-1.सत्य,2.सत्य,3. असत्य,4. सत्य,5. सत्य, 6. असत्य, 7. सत्य।
* सही जोड़ी बनाइए
‘अ’
- संघीय शासन व्यवस्था
- एकात्मक शासन व्यवस्था
- संघ सूची में
- समवर्ती सूची
- स्थानीय शासन
‘ ब’
(क) विदेशी मामले
(ख) नगर निगम
(ग) बेल्जियम
(घ) श्रीलंका
(ङ) व्यापार संघ
उत्तर-1, → (ग),2.→ (घ),3. → (क),4. → (ङ),5.→(ख)।
. एक शब्द/वाक्य में उत्तर
- ग्राम पंचायत के प्रमुख का पदनाम क्या है ?
- किस स्थानीय संस्था का प्रमुख ‘ नगर प्रमुख’ होता है।
- भारत में स्थानीय शासन के लिए कितने लोग चुने जाते हैं ?
- प्रतिरक्षा और विदेशी मामले कौन-सी सूची में शामिल होते हैं ?
- भारतीय लोकतन्त्र में वास्तविक विकेन्द्रीकरण की दिशा में एक बड़ा कदम कब उठाया गया ?
- राज्य पुनर्गठन आयोग की रिपोर्ट को किस वर्ष में लागू किया गया था ?
उत्तर-1. प्रधान, 2. नगर निगम, 3. 36 लाख, 4. संघ सूची, 5. 1992, 6. 1956.
अति लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. अधिकार क्षेत्र क्या है ?
उत्तर- अधिकार क्षेत्र ऐसा दायरा जिस पर किसी का वैधानिक अधिकार हो। यह दायरा भौगोलिक सीमा के अन्तर्गत परिभाषित होता है अथवा इसके अन्तर्गत कुछ विषयों को भी रखा जा सकता है। प्रश्न 2. तीन ऐसे राज्यों के नाम बताइए जिन्हें बड़े राज्यों को काटकर बनाया गया है। उत्तर – छत्तीसगढ़ – मध्य प्रदेश, उत्तराखण्ड- उत्तर प्रदेश, झारखण्ड बिहार।
प्रश्न 3. गठबंधन सरकार से क्या अर्थ है ?
उत्तर- एक से ज्यादा राजनीतिक पार्टियों द्वारा साथ मिलकर बनाई गई सरकार को गठबन्धन सरकार कहते हैं। आमतौर पर गठबन्धन में शामिल दल एक राजनीतिक गठजोड़ करते हैं और एक साझा कार्यक्रम स्वीकार करते हैं।
प्रश्न 4. भारतीय संघ में कितने राज्य तथा कितने संघीय क्षेत्र हैं ?
उत्तर- वर्तमान में भारत में 28 राज्य तथा संघ द्वारा शासित क्षेत्र 9 हैं।
प्रश्न 5. भारतीय संघ का गठन किस सिद्धान्त पर हुआ है ?
उत्तर भारतीय संघ का गठन संघीय शासन व्यवस्था के सिद्धान्त पर हुआ है।
प्रश्न 6. शक्तियों के बँटवारे के सम्बन्ध में कोई विवाद होने पर फैसला कौन लेता है ?
उत्तर- शक्तियों के बँटवारे के सम्बन्ध में कोई विवाद होने की हालत में फैसला उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय में ही होता है।
प्रश्न 7. संघीय व्यवस्था जब सिर्फ बड़े देशों के अनुकूल है, तो बेल्जियम ने इसे क्यों अपनाया ?
उत्तर- बेल्जियम ने संघीय व्यवस्था को इस कारण अपनाया क्योंकि उस राष्ट्र में जाति तथा भाषा के आधार पर अनेक विभिन्नताएँ मौजूद हैं और राष्ट्र की एकता और अखण्डता को बनाए रखने के लिए ऐसा करना अनिवार्य था।
प्रश्न 8. कौन-से राज्य संविधान के कुछ प्रावधानों के तहत लाभ उठाते हैं ?
उत्तर- असम, नागालैण्ड, अरुणाचल प्रदेश और मिजोरम संविधान के कुछ प्रावधानों (अनुच्छेद 371) के तहत विशेष शक्तियों का लाभ उठाते हैं।
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. भारत की संघीय व्यवस्था में बेल्जियम से मिलती-जुलती एक विशेषता और उससे अलग एक विशेषता को बताएँ।
उत्तर- भारत और बेल्जियम की संघीय व्यवस्था की एक मिलती-जुलती विशेषता यह है कि दोनों देशों में केन्द्र सरकार और राज्य सरकार में सत्ता की साझेदारी होती है। भारत और बेल्जियम की संघीय व्यवस्था की अलग विशेषता यह है कि भारत में कोई ‘सामुदायिक सरकार’ नहीं है जबकि बेल्जियम में केन्द्र और राज्य सरकारों के अतिरिक्त सामुदायिक सरकार भी हैं।
प्रश्न 2. 1992 के संविधान संशोधन के पहले और बाद के स्थानीय शासन के दो महत्त्वपूर्ण अन्तरों को बताएँ।
उत्तर- वास्तविक विकेन्द्रीकरण की दिशा में एक बड़ा कदम 1992 में उठाया गया। संविधान में संशोधन करके लोकतान्त्रिक शासन व्यवस्था के इस तीसरे स्तर को ज्यादा शक्तिशाली और प्रभावी बनाया गया।
(1) अब स्थानीय स्वशासी निकायों के चुनाव नियमित रूप से कराना संवैधानिक बाध्यता है।
( 2 ) संशोधन के बाद कम-से-कम एक तिहाई पद महिलाओं के लिए आरक्षित हैं। इससे पहले यह आरक्षित नहीं थे।
प्रश्न 3. संघीय शासन व्यवस्थाएँ किस प्रकार से गठित होती हैं ?
उत्तर- संघीय शासन व्यवस्थाएँ आमतौर पर दो तरीकों से गठित होती हैं
(1) पहला तरीका है दो या अधिक स्वतन्त्र राष्ट्रों को साथ लाकर एक बड़ी इकाई गठित करने का। इसमें दोनों स्वतन्त्र राष्ट्र अपनी सम्प्रभुता को साथ करते हैं, अपनी अलग-अलग पहचान को भी बनाए रखते हैं और अपनी सुरक्षा तथा खुशहाली बढ़ाने का रास्ता अख्तियार करते हैं। साथ आकर संघ बनाने के उदाहरण हैं—संयुक्त राज्य अमरीका, स्विट्जरलैण्ड और ऑस्ट्रेलिया आदि। इस प्रकार की संघीय व्यवस्था वाले देशों में आमतौर पर प्रान्तों को समान अधिकार होता है।
(2) संघीय शासन व्यवस्था के गठन का दूसरा तरीका है बड़े राष्ट्र द्वारा अपनी आंतरिक विविधता को ध्यान में रखते हुए राज्यों का गठन करना और फिर राज्य और राष्ट्रीय सरकार के मध्य सत्ता का बँटवारा कर देना। भारत, बेल्जियम और स्पेन इसके उदाहरण हैं। इस दूसरी श्रेणी वाली व्यवस्था में राज्यों की अपेक्षा केन्द्र सरकार ज्यादा ताकतवर हुआ करती है। अक्सर इस व्यवस्था में संघ की घटक इकाइयों को असमान अधिकार दिए जाते हैं पर विशेष स्थिति में किसी-किसी इकाई को विशेष अधिकार भी दिए जाते हैं।
प्रश्न 4. “भारत में बड़े स्तर पर संस्कृति, क्षेत्रीयता और धार्मिक विभिन्नताएँ हैं लेकिन फिर भी यहाँ लोगों के बीच एकता है।” इसके लिए कौन से कारक उत्तरदायी हैं ? स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर भारत में विभिन्नताएँ होने के बावजूद भी एकता होने के निम्न कारण हैं
(1) धार्मिक, शैक्षिक, सांस्कृतिक और स्वतन्त्रता के अधिकार सभी को प्राप्त हैं।
(2) अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजातियों के लिए सीटें आरक्षित हैं, और वे अपना प्रतिनिधित्व करते हैं।
(3) जाति, स्वीकृत मत, क्षेत्र अथवा धर्म के आधार पर कोई भेद नहीं है।
(4) समानता का अधिकार
प्रश्न 5. एकात्मक शासन का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- एकात्मक शासन- एकात्मक शासन वह होता है जिसके अन्तर्गत संविधान के द्वारा शासन की समस्त शक्ति केन्द्रीय सरकार में निहित करा दी जाती है और स्थानीय सरकारों का अस्तित्व एवं शक्तियाँ केन्द्रीय सरकार की इच्छा पर निर्भर करती हैं। गार्नर के अनुसार, “यह शासन की वह प्रणाली है जिसमें संविधान द्वारा शासन की सम्पूर्ण शक्ति केन्द्रीय सरकार के एक या अनेक अंगों को प्रदान की जाती है और केन्द्र से ही स्थानीय सरकारें अपनी समस्त शक्ति या स्वायत्तता प्राप्त करती हैं। वस्तुतः उनका अस्तित्व भी केन्द्र पर ही निर्भर रहता है।”
प्रश्न 6. एकात्मक शासन के दोष बताइए। उत्तर- एकात्मक शासन में प्रमुख रूप से निम्नलिखित दोष पाये जाते हैं
(1) एकात्मक शासन में सम्पूर्ण शक्ति केन्द्रीय शासन में निहित होती है, अतः स्वाभाविक रूप से यह में भय रहता है कि केन्द्रीय सरकार शासन के सभी क्षेत्रों में मनमानी न करने लगे।
( 2 ) प्रजातन्त्रीय शासन की सफलता नागरिकों की राजनीतिक चेतना पर निर्भर करती है किन्तु यह राजनीतिक चेतना एकात्मक शासन में ठीक प्रकार से उत्पन्न नहीं होती।
(3) एकात्मक शासन में जनता को शासन में सभी स्तरों पर सक्रिय रूप से भाग लेने का अवसर नहीं मिलता है, इसलिए शासन शक्ति सरकारी कर्मचारियों के हाथों में केन्द्रित हो जाती है और नौकरशाही का स्वेच्छाचारी शासन स्थापित हो जाता है।
(4) छोटे राज्यों में एकात्मक शासन भले ही सफल हो जाय, लेकिन बड़े क्षेत्रफल और अधिक जनसंख्या वाले राज्यों में जहाँ पर भाषा, नस्ल, धर्म और संस्कृति की विविधताएँ हों, एकात्मक शासन के आधार पर कार्य किया ही नहीं जा सकता है। इस प्रकार की विविधताओं वाले विशाल राज्यों के लिए तो संघात्मक शासन पद्धति ही उपयुक्त होती है।
प्रश्न 7. संघीय शासन व्यवस्था क्या है ?
उत्तर- जिन राज्यों में संविधान के द्वारा ही केन्द्रीय सरकार और प्रान्तीय सरकारों के बीच शक्ति विभाजन कर दिया जाता है या ऐसा प्रबन्ध कर दिया जाता है कि इन दोनों पक्षों में से कोई एक अकेला इस शक्ति-विभाजन में परिवर्तन कर सके, उसे संघात्मक शासन कहते हैं। इस प्रकार संघीय शासन व्यवस्था एकात्मक शासन व्यवस्था से ठीक उलट है। एकात्मक व्यवस्था में या तो शासन का एक ही स्तर होता है और बाकी इकाइयाँ उसके अधीन होकर काम करती हैं। इसमें केन्द्रीय सरकार प्रान्तीय या स्थानीय सरकारों को आदेश दे सकती है। पर, संघीय व्यवस्था में केन्द्रीय सरकार राज्य सरकार को कुछ विशेष करने का आदेश नहीं दे सकती। राज्य सरकारों के पास अपनी शक्तियाँ होती हैं और इसके लिए वह केन्द्रीय सरकार को जवाबदेह नहीं होती हैं। ये दोनों ही सरकारें अपने-अपने स्तर पर लोगों को जवाबदेह होती हैं।
प्रश्न 8. केन्द्र और राज्यों में सत्ता का विभाजन कैसे हुआ है ? उदाहरणों सहित व्याख्या कीजिए। उत्तर- ये तीन सूचियाँ इस प्रकार हैं
(1) संघ सूची-संघ सूची में प्रतिरक्षा, विदेशी मामले, बैंकिंग, संचार और मुद्रा जैसे राष्ट्रीय महत्त्व के विषय हैं। पूरे देश के लिए इन मामलों में एक तरह की नीतियों की आवश्यकता है। इसी कारण इन विषयों को संघ सूची में रखा गया है। संघ सूची में शामिल विषयों के बारे में कानून बनाने का अधिकार सिर्फ केन्द्र सरकार को है।
(2) राज्य सूची- इस सूची में पुलिस, व्यापार, वाणिज्य, कृषि और सिंचाई जैसे प्रांतीय और स्थानीय महत्त्व के विषय हैं। राज्य सूची में वर्णित विषयों के बारे में सिर्फ राज्य सरकार ही कानून बना सकती है।
(3) समवर्ती सूची- इस सूची के अन्तर्गत शिक्षा, वन, मजदूर संघ, विवाह, गोद लेना और उत्तराधिकार जैसे विषय हैं जो केन्द्र के साथ राज्य सरकारों की साझी जिम्मेदारी में आते हैं।
दीर्घ उत्तरीय / विश्लेषणात्मक प्रश्न
प्रश्न 1. संघीय व्यवस्था की महत्त्वपूर्ण विशेषताएँ बताइए।
उत्तर- संघीय व्यवस्था की महत्त्वपूर्ण विशेषताएँ इस प्रकार है(1) यहाँ सरकार दो या अधिक स्तरों वाली होती है।
( 2 ) अलग-अलग स्तर की सरकारें एक ही नागरिक समूह पर शासन करती हैं किन्तु कानून बनाने, कर वसूलने और प्रशासन का उनका अपना-अपना अधिकार क्षेत्र होता है।
(3) विभिन्न स्तरों की सरकारों के अधिकार क्षेत्र संविधान में स्पष्ट रूप में उल्लेखित होते हैं इसलिए संविधान सरकार के हर स्तर के अस्तित्व और प्राधिकार को गारण्टी और सुरक्षा देता है।
(4) अदालतों को संविधान और विभिन्न स्तर की सरकारों के अधिकारों की व्याख्या करने का अधिकार है। विभिन्न स्तर की सरकारों के बीच अधिकारों के विवाद की स्थिति में सर्वोच्च न्यायालय निर्णायक की भूमिका निभाता है।
(5) संविधान के मौलिक प्रावधानों को किसी एक स्तर की सरकार अकेले नहीं बदल सकती। ऐसे बदलाव दोनों स्तर की सरकारों की सहमति से ही हो सकते हैं।
(6) वित्तीय स्वायत्तता निश्चित करने के लिए विभिन्न स्तर की सरकारों के लिए राजस्व के अलग-अलग स्रोत निर्धारित हैं।
( 7 ) इस प्रकार संघीय शासन व्यवस्था के दोहरे उद्देश्य हैं- देश की एकता की सुरक्षा करना और उसे बढ़ावा देना तथा इसके साथ ही क्षेत्रीय विविधताओं का पूरा सम्मान करना।
प्रश्न 2. भारत में केन्द्र-राज्य सम्बन्ध पर टिप्पणी कीजिए।
अथवा
1990 से पूर्व भारत में केन्द्र-राज्य सम्बन्धों के बीच क्या चुनौतियाँ थीं ? आज सत्ता की साझेदारी केन्द्र और राज्य के बीच अधिक प्रभावशाली क्यों है ?
उत्तर- 1990 से पूर्व भारत में केन्द्र-राज्य सम्बन्ध काफी समय तक हमारे यहाँ एक ही पार्टी का केन्द्र और अधिकांश राज्यों में शासन रहा। इसका व्यावहारिक आशय यह हुआ कि राज्य सरकारों ने स्वायत्त संघीय इकाई के रूप में अपने अधिकारों का प्रयोग नहीं किया। जब केन्द्र और राज्य में अलग-अलग दलों की सरकारें रहीं तो केन्द्र सरकार ने राज्यों के अधिकारों की अनदेखी करने की कोशिश की। उन दिनों केन्द्र सरकार अक्सर संवैधानिक प्रावधानों का दुरुपयोग करके विपक्षी दलों की राज्य सरकारों को भंग कर देती थी। यह संघवाद की भावना के प्रतिकूल काम था।
1990 के बाद – 1990 के बाद से यह स्थिति काफी बदल गई। इस अवधि में देश के अनेक राज्यों में क्षेत्रीय दलों का उदय हुआ। यही दौर केन्द्र में गठबंधन सरकार की शुरूआत का भी था। चूँकि किसी एक दल को लोकसभा में स्पष्ट बहुमत नहीं मिला इसलिए प्रमुख राष्ट्रीय पार्टियों को क्षेत्रीय दलों समेत अनेक दलों का गठबन्धन बनाकर सरकार बनानी पड़ी। इससे सत्ता में साझेदारी और राज्य सरकारों की स्वायत्तता का आदर करने की नई संस्कृति पनपी। इस प्रवृत्ति को सुप्रीम कोर्ट के एक बड़े फैसले से भी बल मिला। इस फैसले के कारण राज्य सरकार को मनमाने ढंग से भंग करना केन्द्र सरकार के लिए मुश्किल हो गया। इस प्रकार वर्तमान संघीय व्यवस्था के तहत सत्ता की साझेदारी संविधान लागू होने के तत्काल बाद वाले दौर की तुलना में ज्यादा प्रभावी है।
प्रश्न 3. भारत की भाषा नीति पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर
भारत की भाषा नीति
भारत के संविधान में किसी एक भाषा को राष्ट्रभाषा का दर्जा नहीं दिया गया। हिन्दी को राजभाषा माना गया पर हिन्दी सिर्फ 40 फीसदी भारतीयों की मातृभाषा है इसलिए अन्य भाषाओं के संरक्षण के अनेक उपाय किए गए हैं। संविधान में हिन्दी के अतिरिक्त 21 भाषाओं को अनुसूचित भाषा का दर्जा दिया गया है। केन्द्र सरकार के किसी पद का उम्मीदवार इनमें से किसी भी भाषा में परीक्षा दे सकता है बशर्ते उम्मीदवार इसको विकल्प भाषा के रूप में चुने राज्यों की अपनी राजभाषाएँ हैं। राज्यों का अपना अधिकांश कार्य अपनी राजभाषा में ही होता है।संविधान के अनुसार सरकारी कामकाज की भाषा के तौर पर अंग्रेजी का प्रयोग 1965 में बन्द हो जाना चाहिए था पर अनेक गैर-हिन्दी भाषी प्रदेशों ने माँग की कि अंग्रेजी भाषा का प्रयोग जारी रखा जाए। केन्द्र सरकार ने हिन्दी के साथ-साथ अंग्रेजी को राजकीय कार्यों में प्रयोग की अनुमति देकर इस विवाद को सुलझाया। राजभाषा के रूप में हिन्दी को बढ़ावा देने की भारत सरकार की नीति बनी हुई है पर बढ़ावा देने का आशय यह नहीं कि केन्द्र सरकार उन राज्यों पर भी हिन्दी को लागू कर सकती है जहाँ लोग कोई और भाषा बोलते हैं। भारतीय राजनेताओं ने इस विषय में जो लचीला रुख अपनाया उसी से हम श्रीलंका जैसी स्थिति में पहुँचने से बच गए। 2011 की जनगणना में लोगों ने 1300 से ज्यादा अलग-अलग भाषाओं को अपनी मातृभाषा के रूप में बताया था। इन भाषाओं को कुछ प्रमुख भाषाओं के साथ समूहबद्ध कर दिया जाता है। जैसे- भोजपुरी, मगही, बुंदेलखंडी, छत्तीसगढ़ी, राजस्थानी और ऐसी ही दूसरी भाषाओं को हिन्दी के साथ जोड़ लिया जाता है। ऐसी समूहबद्धता के बाद भी जनगणना में 121 प्रमुख भाषाएँ पाई गईं। इनमें से 22 भाषाओं को भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में रखा गया है और इसी कारण इन्हें अनुसूचित भाषाएँ कहा जाता है। बाकी को गैर अनुसूचित भाषा कहते हैं। भाषा के हिसाब से भारत दुनिया का संभवतः सबसे ज्यादा विविधता वाला देश है।
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