NCERT Class 10 SOCIAL SCIENCE Geography: अध्याय 5 खनिज तथा ऊर्जा संसाधन IMPORTANT QUESTIONS

अध्याय 5 खनिज तथा ऊर्जा संसाधन

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

बहु-विकल्पीय प्रश्न

  1. मध्य प्रदेश किस खनिज के उत्पादन में भारत में प्रथम स्थान रखता है ?

(i) लोहा

(ii) अभ्रक

(iii) सोना

(iv) हीरा ।

  1. मैंगनीज का उत्पादन किस राज्य में सबसे अधिक होता है ? 

(i) कर्नाटक

(ii) मध्य प्रदेश

(iii) राजस्थान

(iv) गुजरात

  1. देश का लगभग 52 प्रतिशत ताँबा किस राज्य में होता है ?

(i) मध्य प्रदेश

 (iii) ओडिशा

(ii) राजस्थान

(iv) महाराष्ट्र ।

  1. लौह-अयस्क का उत्पादन किस राज्य में सबसे अधिक होता है ?

(i) ओडिशा

(ii) कर्नाटक

(iii) छत्तीसगढ़

(iv) झारखण्ड ।

  1. मोनोजाइट रेत में निम्नलिखित में से कौन-सा खनिज पाया जाता है ?

(i) खनिज तेल

(ii) यूरेनियम

(iii) थोरियम

(iv) कोयला।

  1. झारखण्ड में स्थित कोडरमा निम्नलिखित में किस खनिज का अग्रणी उत्पादक है ?

(i) बॉक्साइट

(ii) अभ्रक

(iii) लौह अयस्क

(iv) ताँबा

  1. निम्नलिखित में से कौन-सा खनिज अपक्षयित पदार्थ के अवशिष्ट भार को त्यागता हुआ चट्टानों के अपघटन से बनता है ?

(i) कोयला

(ii) बॉक्साइट

(iii) सोना

(iv) जस्ता ।

  1. निम्नलिखित चट्टानों में से किस चट्टान के स्तरों में खनिजों का निक्षेपण और संचयन होता है ?

(i) तलछटी चट्टानें

(ii) कायांतरित चट्टानें

 (iii) आग्नेय चट्टानें

 (iv) इनमें से कोई नहीं।

  1. लौह अयस्क का प्रकार नहीं है

(i) हेमेटाइट

(ii) मैग्नेटाइट

(iv) बॉक्साइट।

(iii) सिडेराइट

  1. निम्न में से ऊर्जा खनिज का उदाहरण है

(i) जिक

(ii) कोयला

(iii) अभ्रक

(iv) लोहा ।

  1. निम्न में से कौन-सा खनिज सबसे कठोर है ?

(i) बॉक्साइट

(ii) हीरा

(iii) लोहा

(iv) सेलखड़ी ।

  1. निम्न में से कौन-सा उच्च गुणवत्ता वाला लौह अयस्क है ?

(i) एन्थ्रासाइट

(ii) हेमेटाइट

(iii) मेग्नेटाइट

 (iv) लिमोनाइट

  1. निम्न में से कौन-सा राज्य अलौह खनिजों में धनी है ?

(i) राजस्थान

(ii) बिहार

(iii) केरल

(iv) पंजाब।

  1. निम्न में से कौन-सा राज्य बॉक्साइट का सबसे बड़ा उत्पादक है ?

(i) झारखण्ड

(ii) ओडिशा

(iii) मध्य प्रदेश

(iv) पश्चिम बंगाल।

  1. निम्न में से कौन-सा बंदरगाह महाराष्ट्र-गोआ पेटी के लौह अयस्क का निर्यात करता है ?

(i) मार्मागाओ

(ii) कांडला

(iii) न्यू मंगलौर

(iv) मुम्बई ।

उत्तर- 1. (iv), 2. (iii) 3. (i), 4. (i), 5. (iii), 6. (ii), 7. (i), 8. (i), 9. (iv), 10. (ii), 11. (ii), 12. (iii), 13. (i), 14. (ii), 15. (i).

  • रिक्त स्थानों की पूर्ति
  1. कोयला उत्पादन में भारत का………स्थान है।
  2. भारत में खनिज तेल का उत्पादन सर्वप्रथम ……….राज्य में प्रारम्भ हुआ।
  3. कृष्णा-गोदावरी नदी बेसिन में …….के विशाल भण्डार खोजे गये हैं।
  4. जलोढ़ निक्षेप………के नाम से जाने जाते हैं।
  5. खनिजों के बिना ………..नहीं चल सकती।
  6. नागरकोइल और जैसलमेर देश में………….के प्रभावी प्रयोग के लिए जाने जाते हैं।
  7. मँगनीज मुख्य रूप से……….. के विनिर्माण में प्रयोग किया जाता है।

उत्तर – 1. तीसरा, 2. असम, 3. प्राकृतिक गैस, 4. प्लेसर निक्षेप, 5. जीवन प्रक्रिया, 6. पवन ऊर्जा, 7. इस्पात।

सत्य / असत्य

  1. हीरे की खुदाई सर्वप्रथम भारत में हुई थी।
  2. अयस्कों के सतत् उत्खनन से लागत घटती है।
  3. बायोमास ऊर्जा गैस एवं विद्युत् दोनों रूपों में प्राप्त की जाती है। 4. खनिज केवल कठोर रूप में पाए जाते हैं।
  4. तेज बहते जल से जल विद्युत् उत्पन्न की जाती है जो एक नवीकरण योग्य संसाधन है।

उत्तर – 1. सत्य, 2. असत्य, 3. सत्य, 4. असत्य, 5. सत्य।

सही जोड़ी बनाइए

‘अ’

  1. परम्परागत साधन
  2. ताँबा
  3. दंतमंजन
  4. अभ्रक निक्षेप
  5. मैंगनीज

‘ब’

(क) बालाघाट

(ख) छोटा नागपुर पठार

(ग) कोयला

(घ) टिटेनियम ऑक्साइड

(ङ) ओडिशा

 उत्तर – 1. → (ग), 2. → (क), 3. → (घ), 4. (ख), 5. → (ङ) ।

  • एक शब्द/वाक्य में उत्तर
  1. गुजरात का सबसे महत्त्वपूर्ण तेल क्षेत्र कौन-सा है ?
  2. मध्य प्रदेश की कौन-सी खदानें देश का लगभग 52 प्रतिशत ताँबा उत्पन्न करती हैं ?
  3. अधात्विक खनिज का एक उदाहरण दीजिए।
  4. सामान्य नमक मैग्नीशियम तथा ब्रोमाइन ज्यादातर कहाँ से प्रग्रहित (derived) होते हैं ?
  5. भारत का सबसे पुराना तेल उत्पादक राज्य है।
  6. एक टन इस्पात बनाने में कितनी मैंगनीज की आवश्यकता होती है ?

 उत्तर – 1. अंकलेश्वर, 2. बालाघाट, 3. अभ्रक, 4. समुद्री जल से, 5. गुजरात, 6.10 किग्रा

अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. खनिज क्या हैं ?

उत्तर- भू-वैज्ञानिकों के अनुसार खनिज प्राकृतिक रूप से विद्यमान समरूप तत्त्व हैं जिनकी एक निश्चित आंतरिक संरचना होती है। खनिज प्रकृति में अनेक रूपों में पाए जाते हैं जिसमें कठोर हीरा व नरम चूना तक सम्मिलित हैं।

प्रश्न 2. भू-पर्पटी क्या है ?

उत्तर- भू-पर्पटी (पृथ्वी की ऊपरी परत) विभिन्न खनिजों के योग से बनी चट्टानों से निर्मित है।

प्रश्न 3. अपनति से क्या अर्थ है ?

उत्तर- अवसादी चट्टानों में संपीडन बल से उत्पन्न एक मेहराबदार मोड़ अपनति कही जाती है।

प्रश्न 4. आर्द्र भूमि से क्या आशय है ?

उत्तर- वह भूमि जो समय-समय पर जलमग्न हो जाती है। इसमें लवण कच्छ, ज्वारनदमुख, कच्छ व दलदल सम्मिलित हैं।

 

प्रश्न 5. भारत में मैंगनीज के प्रमुख उत्पादक तीन राज्य कौन-से हैं ?

उत्तर भारत में मैंगनीज के मुख्य उत्पादक तीन राज्य हैं- (1) मध्य प्रदेश, (2) महाराष्ट्र, (3) ओडिशा

 प्रश्न 6. भारत में लौह-अयस्क के तीन प्रधान उत्पादक राज्यों के नाम लिखिए।

उत्तर भारत में लौह-अयस्क के तीन प्रधान उत्पादक राज्य हैं- (1) ओडिशा, (2) छत्तीसगढ़,(3) कर्नाटक।

प्रश्न 7. बॉक्साइट का क्या उपयोग है ?

उत्तर- बॉक्साइट का उपयोग मुख्यतः ऐल्युमिनियम बनाने में किया जाता है। इसके अतिरिक्त चीनी मिट्टी के बर्तन बनाने, मिट्टी का तेल साफ करने, विद्युत् सुचालक के रूप में बर्तन बनाने, मिश्र धातु बनाने आदि में बॉक्साइट का उपयोग किया जाता है।

प्रश्न 8. ऊर्जा के खनिज संसाधनों के नाम बताइए।

उत्तर- कोयला, पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस तथा परमाणु शक्ति के लिए यूरेनियम और थोरियम ऊर्जा के खनिज संसाधन हैं।

प्रश्न 9. ऊर्जा के स्रोतों का उल्लेख कीजिए।

उत्तर- कोयला, पेट्रोलियम, जलविद्युत्, सौर ऊर्जा व परमाणु ऊर्जा ।

लघु उत्तरीय प्रश्न

 

प्रश्न 1. आग्नेय तथा कायांतरित चट्टानों में खनिजों का निर्माण कैसे होता है ?

उत्तर- (1) आग्नेय तथा कायांतरित चट्टानों में खनिज दरारों, जोड़ों, भ्रंशों व विदरों में मिलते हैं।

 (2) छोटे जमाव शिराओं के रूप में और बृहत् जमाव परत के रूप में पाए जाते हैं।

(3) इनका निर्माण भी अधिकतर उस समय होता है जब ये तरल अथवा गैसीय अवस्था में दरारों के सहारे भू-पृष्ठ की ओर धकेले जाते हैं तथा ऊपर आते हुए ठण्डे होकर जम जाते हैं।

 (4) मुख्य धात्विक खनिज, जैसे-जस्ता, ताँबा, जिंक और सीसा आदि इसी तरह शिराओं व जमावों के रूप में प्राप्त होते हैं।

प्रश्न 2. हमें खनिजों के संरक्षण की क्यों आवश्यकता है ?

उत्तर- खनिज प्रकृति की अनुपम देन है। करोड़ों वर्षों में खनिज तैयार होते हैं। उनकी मात्रा सीमित है। मानव विकास के नाम पर प्रकृति का दोहन निर्बाध रूप से कर रहा है। इससे खनिजों की मात्रा में भारी कमी आई है। इसके दुष्परिणाम आने वाले समय में देखने को मिल सकते हैं। मूल्यवान व उपयोगी खनिजों के दोहन में स्पर्धा इतनी बढ़ गई है कि एक राष्ट्र दूसरे राष्ट्र पर आक्रमण करने से भी नहीं चूकता खनिज पदार्थों के असंयमित दोहन से प्राकृतिक असन्तुलन बिगड़ा है वहीं उसके अत्यधिक उपयोग से वातावरण में प्रदूषण भी बढ़ता जा रहा है। इसलिए खनिज पदार्थों को भावी पीढ़ियों के उपयोग हेतु संरक्षण की आवश्यकता है।

 

प्रश्न 3. लौह और अलौह खनिज के बारे में बताइए।

उत्तर- लौह खनिज-लौह खनिज धात्विक खनिजों के कुल उत्पादन मूल्य के तीन-चौथाई भाग का योगदान करते हैं। ये धातु शोधन उद्योगों के विकास को मजबूत आधार प्रदान करते हैं। भारत अपनी घरेलू माँग को पूरा करने के पश्चात् बड़ी मात्रा में धात्विक खनिजों का निर्यात करता है, जैसे-लौह-अयस्क, मैंगनीज आदि । अलौह खनिज-भारत में अलौह खनिजों की संचित राशि व उत्पादन अधिक संतोषजनक नहीं है।यद्यपि ये खनिज जिनमें ताँबा, बॉक्साइट, सीसा और सोना आते हैं, धातु शोधन, इंजीनियरिंग व विद्युत् उद्योगों में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

प्रश्न 4. परम्परागत तथा गैर-परम्परागत ऊर्जा साधन में अन्तर बताइए।

उत्तर  – परम्परागत तथा गैर-परम्परागत ऊर्जा साधन में अन्तर

ऊर्जा के परम्परागत साधन

  1. कोयला, पेट्रोलियम, परमाणु ऊर्जा, जलशक्ति ऊर्जा के परम्परागत साधन हैं।
  2. जल विद्युत् के अतिरिक्त इन सभी साधनों से प्रदूषण फैलता है।
  3. जल विद्युत् को छोड़कर ये साधन अनापूर्ति साधनों की श्रेणी में आते हैं। इनका एक बार प्रयोग करने के बाद दुबारा प्रयोग करना सम्भव नहीं है।
  4. इनका प्रयोग गैर-परम्परागत साधनों के बाद हुआ है।

ऊर्जा के गैर-परम्परागत साधन

  1. सौर ऊर्जा, भू-तापीय ऊर्जा, ज्वारीय ऊर्जा, पवन ऊर्जा, कूड़े-कचरे या गोबर व मल-मूत्र से तैयार ऊर्जा इस श्रेणी में आती हैं।
  2. ये साधन प्रदूषण मुक्त ऊर्जा देते हैं।
  3. ये सभी साधन आपूर्ति साधनों की श्रेणी में आते हैं। इनका प्रयोग निरन्तर सम्भव है।
  4. इनका प्रयोग बहुत पहले से हो रहा है।

प्रश्न 5. अवसादी चट्टानों में खनिजों का निर्माण किस प्रकार होता है ?

 उत्तर- (1) अनेक खनिज अवसादी चट्टानों के संस्तरों या परतों में पाए जाते हैं।

(2) इनका निर्माण क्षैतिज परतों में निक्षेपण, संचयन व जमाव का परिणाम है।

(3) कोयला तथा कुछ अन्य प्रकार के लौह अयस्कों का निर्माण लम्बी अवधि तक अत्यधिक ऊष्मा व दबाव का परिणाम है।

(4) अवसादी चट्टानों में दूसरी श्रेणी के खनिजों में जिप्सम, पोटाश, नमक व सोडियम सम्मिलित हैं। इनका निर्माण विशेषकर शुष्क प्रदेशों में वाष्पीकरण के फलस्वरूप होता है।

प्रश्न 6. धरातलीय चट्टानों तथा पहाड़ियों के आधार पर खनिजों का निर्माण किस प्रकार होता है ?

उत्तर- (1) धरातलीय चट्टानों द्वारा खनिजों के निर्माण की एक अन्य विधि धरातलीय चट्टानों का अपघटन है। चट्टानों के घुलनशील तत्त्वों के अपरदन के पश्चात् अयस्क वाली अवशिष्ट चट्टानें रह जाती हैं। बॉक्साइट का निर्माण इसी प्रकार होता है।

(2) पहाड़ियों के आध पर- पहाड़ियों के आधार तथा घाटी तल की रेत में जलोढ़ जमाव के रूप में भी कुछ खनिज पाए जाते हैं। ये निक्षेप प्लेसर निक्षेप’ के नाम से जाने जाते हैं। इनमें प्राय: ऐसे खनिज होते हैं जो जल द्वारा घर्षित नहीं होते। इन खनिजों में सोना, चाँदी, टिन व प्लेटिनम प्रमुख हैं।

प्रश्न 7. भारत में खनिज सम्पदा और वितरण की प्रमुख विशेषताओं को बताइए। वे कौन-से खनिज हैं जिनमें (क) भारत बहुत सम्पन्न है या (ख) जिनका भारत में अभाव है।

उत्तर- (1) भारत अच्छे और विविध प्रकार के खनिज संसाधनों में सौभाग्यशाली है, यद्यपि इनका वितरण असमान है।

(2) मोटे तौर पर प्रायद्वीपीय चट्टानों में कोयले धात्विक खनिज, अभ्रक व अन्य अनेक अधात्विक खनिजों के अधिकांश भण्डार संचित हैं।

(3) प्रायद्वीप के पश्चिमी और पूर्वी पाश्र्वों पर गुजरात और असम की तलछटी चट्टानों में अधिकांश खनिज तेल निक्षेप पाए जाते हैं। प्रायद्वीपीय शैल क्रम के साथ राजस्थान में अनेक अलौह खनिज पाए जाते हैं।

(4) उत्तरी भारत के विस्तृत जलोढ़ मैदान आर्थिक महत्त्व के खनिजों से लगभग विहीन हैं। ये विभिन्नताएँ खनिजों की रचना में अंतरग्रस्त भू-गर्भिक संरचना, प्रक्रियाओं और समय के कारण हैं।

(क) लौह-अयस्क, मैंगनीज, बॉक्साइट, अभ्रक, चूने का पत्थर बहुतायत में उपलब्ध है।

(ख) जस्ता, सीसा, सोना, ताँबा तथा गंधक की कमी है।

प्रश्न 8. ताँबे की उपयोगिता का वर्णन कीजिए और उसके प्रमुख उत्पादक क्षेत्र बताइए ।

उत्तर- ताँबा एक धात्विक खनिज है। इसके अनेक उपयोग हैं। यह अलौह खनिजों की श्रेणी में आता है। घातवर्ष (malleable), तन्य और ताप सुचालक होने के कारण ताँबे का उपयोग मुख्यतः बिजली के तार बनाने, इलेक्ट्रॉनिक और रसायन उद्योगों में किया जाता है। इसके अलावा मूर्ति, बर्तन तथा सजावट के सामान भी इस धातु द्वारा बनाये जाते हैं।मध्य प्रदेश की बालाघाट खदानें देश का लगभग 52 प्रतिशत ताँबा उत्पन्न करती हैं। झारखण्ड का सिंहभूम जिला भी ताँबे का मुख्य उत्पादक है। राजस्थान की खेताड़ी खदानें भी ताँबे के लिए प्रसिद्ध थीं।

प्रश्न 9. कौन-से खनिज दंतमंजन में सहायक होते हैं ?

अथवा

‘खनिज व दंतमंजन से एक उज्ज्वल मुस्कान’ पर एक संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए।

 उत्तर- (1) दंतमंजन हमारे दाँत साफ करते हैं।

(2) कुछ अपघर्षक खनिज, जैसे सिलिका, चूना पत्थर, एल्युमिनियम ऑक्साइड व विभिन्न फॉस्फेट खनिज स्वच्छता में मदद करते हैं।

(3) फ्लूराइड जो दाँतों को गलने से रोकता है, फ्लूओराइट नामक खनिज से प्राप्त होता है।

(4) अधिकतर दंतमंजन टिटेनियम ऑक्साइड से सफेद बनाए जाते हैं जोकि यूटाइल, इल्येनाइट तथा एनाटेज नामक खनिजों से प्राप्त होते हैं। कुछ दंतमंजन जो चमक प्रदान करते हैं, उनका कारण अभ्रक है।

(5) टूथब्रुश व पेस्ट की ट्यूब पेट्रोलियम से प्राप्त प्लास्टिक की बनी होती है।

प्रश्न 10. रेट होल (Rat Hole) खनन पर एक संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए।

 उत्तर- (1) भारत में अधिकांश खनिज राष्ट्रीयकृत हैं और इनका निष्कर्षण सरकारी अनुमति के पश्चात् ही सम्भव है।

(2) उत्तर-पूर्वी भारत के अधिकांश जनजातीय क्षेत्रों में, खनिजों का स्वामित्व व्यक्तिगत व समुदायों को प्राप्त है।

(3) मेघालय में कोयला, लौह अयस्क, चूना पत्थर व डोलोमाइट के विशाल निक्षेप पाए जाते हैं।

(4) जोवाई व चेरापूँजी में कोयले का खनन परिवार के सदस्य द्वारा एक लम्बी संकीर्ण सुरंग के रूप में किया जाता है, जिसे रेट होल खनन कहते हैं। (5) नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने इन क्रियाकलापों को अवैध घोषित किया है और सलाह दी है। कि इसे तुरन्त बन्द कर देना चाहिए।

दीर्घ उत्तरीय / विश्लेषणात्मक प्रश्न

प्रश्न 1. खनिजों के वर्गीकरण को स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- सामान्य व वाणिज्यिक उद्देश्य हेतु खनिज निम्न प्रकार से वर्गीकृत किये जाते हैं

प्रश्न 2. कोयले के महत्त्व पर प्रकाश डालते हुए भारत में कोयला उत्पादन क्षेत्रों के वितरण का वर्णन कीजिए।

उत्तर

कोयला

आधुनिक औद्योगीकरण के शुभारम्भ एवं विकास का श्रेय कोयला को है। कोयला को ‘उद्योग-धन्धों का जनक’ कहा जाता है। कोयले का निर्माण वनस्पतियों के विघटन से हुआ है। कार्बन, वाष्पशील द्रव्य, राख इत्यादि तत्त्व इसमें विद्यमान रहते हैं। यह अवसादी चट्टानों में मिलता है।

औद्योगिक क्रान्ति के बाद कोयले का महत्त्व सम्पूर्ण विश्व में बढ़ा है। वर्तमान में कोयले का उपयोग घरेलू ईंधन, संयन्त्र संचालन, विद्युत् उत्पादन तथा अनेक प्रकार की वस्तुएँ बनाने, जैसे- शृंगार सामग्री, नायलोन, बटन आदि के लिए भी होता है। अपनी तीन विशेषताओं- भाप बनाने, ताप प्रदान करने तथा धातुओं को पिघलाने के कारण वर्तमा में यह आधारभूत शक्ति साधन बना हुआ है। कोयले में कार्बन ज्वलनशील तत्व है। कार्बन की विद्यमान मात्रा के आधार पर भारतीय कोयला चार प्रकार का है

(1) एन्थ्रेसाइट- यह सर्वोत्तम कोयला है। भारत में मिलने वाले इस किस्म के कोयले में कार्बन की मात्रा 85 से 95 प्रतिशत तक है। यह कोयला अत्यधिक कठोर तथा चमकीला होता है। यह जलते समय धुआँ नहीं देता तथा ताप अधिक देता है।

( 2 ) बिटुमिनस- यह द्वितीय श्रेणी का कोयला है। इसमें कार्बन की मात्रा 70 से 80 प्रतिशत तक है।

इसका रंग काला होता है तथा जलते समय कम धुआँ देता है। (3) भूरा व लिग्नाइट- यह घटिया किस्म का कोयला है। इसमें कार्बन की मात्रा 40 से 55 प्रतिशत तक होती है। यह छूने पर हाथ काला करता है तथा जलते समय अधिक धुआँ देता है।

(4) पीट- यह कोयले का प्राथमिक रूप है। इसका जमाव छिछले गड्डों में वनस्पति विघटन से हुआ है। इसमें कार्बन की मात्रा 20 प्रतिशत तक है और आर्द्रता 80 प्रतिशत तक है।

 कोयला उत्पादक क्षेत्र कोयला प्राप्ति के भारत में दो प्रमुख क्षेत्र माने जाते हैं

(1) गोंडवाना कोयला क्षेत्र देश में सर्वाधिक कोयला इन्हीं चट्टानों से प्राप्त होता है। देश के कुल भण्डारण का 96 प्रतिशत तथा उत्पादन 99 प्रतिशत कोयला इसी क्षेत्र से उत्पादित होता है। झारखण्ड, पश्चिमी बंगाल, ओडिशा, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र के कोयला क्षेत्र गोंडवाना काल के हैं। इन क्षेत्रों में उत्तम प्रकार का बिटुमिनस कोयला पाया जाता है। (2) टरशियरी कोयला क्षेत्र भारत में कुल उत्पादित कोयले का एक प्रतिशत इस क्षेत्र से प्राप्त होता है। असम, राजस्थान, गुजरात, तमिलनाडु आदि राज्य इस कोयला क्षेत्र में हैं। यहाँ लिग्नाइट प्रकार का घटिया कोयला मिलता है।

 प्रश्न 3. प्राकृतिक गैस हमारे लिए क्यों आवश्यक है ? भारत के प्राकृतिक गैस क्षेत्र एवं उत्पादन के बारे में बताइए।

अथवा

प्राकृतिक गैस की माँग निरन्तर क्यों बढ़ रही है ? स्पष्ट कीजिए।

 उत्तर- प्राकृतिक गैस ऊर्जा का एक उपयोगी संसाधन है। इसकी माँग निरन्तर बढ़ रही है। इसकी माँग बढ़ने के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं

(1) इसका उत्पादन एवं वितरण आसान व कम खर्चीला है तथा संचय के लिए कम स्थान की आवश्यकता होती है।

(2) यह पूर्णत: ज्वलनशील तथा गन्ध एवं कालिख रहित है। अतः घरों को गर्म रखने, भोजन बनाने आदि के लिए उत्तम ईंधन है।

(3) उपयोग के बाद इसमें धूल या राख नहीं होती।

(4) अपने प्राकृतिक रूप में भी यह ज्वलनशील है। प्राकृतिक गैस का उपयोग गृह ऊर्जा के अतिरिक्त पेट्रो रसायन उद्योग, उर्वरक तथा विद्युत् उत्पादन में भी होता है। इसका 60 प्रतिशत भाग उर्वरक कारखानों, 20 प्रतिशत विद्युत् उत्पादन, 15 प्रतिशत आन्तरिक प्रयोग और 5 प्रतिशत अन्य कार्यों में हो रहा है।

प्राकृतिक गैस, क्षेत्र एवं उत्पादन

भारत में प्राकृतिक गैस के क्षेत्र प्रायः खनिज तेल के ही उत्पादक क्षेत्र हैं। ऐसा अनुमान है कि हमारे देश में प्राकृतिक गैस के भण्डार 750 करोड़ घन मीटर है। भारत वर्ष में त्रिपुरा, गुजरात व पश्चिमी तट के निकट गैस के भण्डार हैं। कावेरी और गोदावरी क्षेत्र में भी भण्डार होने के अनुमान लगाए गए हैं। भण्डारण की तुलना में देश में प्राकृतिक गैस का उत्पादन कम है। सन् 2014-15 में भारत का कुल प्राकृतिक गैस उत्पादन 25-32 बीसीएम हुआ। देश में उत्पादित आयातित गैस को देश के भीतरी भागों में पहुँचाने के लिए पाइप लाइनों का उपयोग किया जाता है।

 प्रश्न 4. भारत में सौर ऊर्जा का भविष्य उज्ज्वल है। क्यों ?

उत्तर भारत में सौर ऊर्जा का भविष्य निम्न कारणों से उज्ज्वल है

(1) भारत एक उष्णकटिबंधीय देश है। यहाँ सौर ऊर्जा के दोहन की असीम सम्भावनाएँ हैं।

(2) फोटोवोल्टाइक प्रौद्योगिकी द्वारा धूप को सीधे विद्युत् में परिवर्तित किया जाता है।

(3) सौर ऊर्जा का उपयोग पानी को गर्म करने तथा भोजन पकाने, जगह को गर्म करने तथा वस्तुओं को सुखाने, पानी को शुद्ध करने व फसलों को पकाने, प्रकाश व मशीनों के संचालन के लिए किया जाता है।

(4) भारत के ग्रामीण तथा सुदूर क्षेत्रों में सौर ऊर्जा तेजी से लोकप्रिय हो रही है। ऐसी अपेक्षा है कि सौर

ऊर्जा के प्रयोग में ग्रामीण घरों में उपलों तथा लकड़ी पर निर्भरता न्यूनतम किया जा सकेगा।

(5) सौर ऊर्जा से प्राप्त बिजली का उपयोग वर्तमान में व्यावसायिक स्तर पर भी किया जाने लगा है।

(6) फलस्वरूप यह पर्यावरण संरक्षण में योगदान देगा और कृषि में भी खाद्य की पर्याप्त आपूर्ति होगी।

प्रश्न 5. भारत में खनिज संसाधनों के संरक्षण के उपाय लिखिए।

उत्तर- खनिज संसाधन उद्योगों का आधार है, इनके बिना कोई भी राष्ट्र प्रगति की ओर अग्रसर नहीं हो सकता। खनिज संसाधनों का उपयोग विवेकपूर्ण ढंग से किया जाना चाहिए। इनके संरक्षण के प्रमुख उपाय निम्न हैं

(1) खनिज सम्पदा का उपयोग मितव्ययितापूर्वक तथा विवेकपूर्ण विधि से करना चाहिए।

(2) देश में जो खनिज कम मात्रा में उपलब्ध हैं, उनका मितव्ययितापूर्वक उपयोग किया जाना चाहिए, उदाहरण के लिए- चाँदी, गन्धक, पोटाश, जस्ता, पारा, सीसा आदि।

(3) जो खनिज संसाधन निर्यात किये जा रहे हैं, उदाहरण के लिए मैंगनीज, अभ्रक, बॉक्साइट, क्रोमाइट आदि इन पर नियन्त्रण रखना चाहिए, क्योंकि इससे हमारे बहुमूल्य खनिज संसाधनों का अभाव हो रहा है।

(4) लौह-अयस्क का उपयोग बार-बार गलाकर किया जाय न कि लौह-अयस्क को खदानों से निकालते ही जाएँ।

(5) खनिज संसाधनों की प्राप्ति के लिए नवीन क्षेत्रों का सर्वेक्षण जारी रखना चाहिए जिससे खनिज संसाधनों में वृद्धि हो सके।

(6) निम्न कोटि के अयस्कों का कम लागतों पर प्रयोग करने के लिए उन्नत तकनीकों का सतत् विकास करते रहना होगा।

(7) धातुओं का पुनः चक्रण, रद्दी धातुओं का प्रयोग तथा अन्य प्रतिस्थापनों का उपयोग भविष्य में हमारे खनिज संसाधनों के संरक्षण के उपाय हैं।

 प्रश्न 6. वर्तमान में ऊर्जा संसाधनों के संरक्षण की आवश्यकता क्यों है ? ऊर्जा संसाधनों के संरक्षण के उपाय बताइए।

उत्तर

ऊर्जा संसाधनों के संरक्षण की आवश्यकता

वर्तमान में ऊर्जा संसाधनों के संरक्षण की आवश्यकताएँ निम्नलिखित हैं

(1) आर्थिक विकास के लिए ऊर्जा एक आधारभूत आवश्यकता है।

(2) राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में प्रत्येक क्षेत्र – कृषि, उद्योग, परिवहन, वाणिज्य व घरेलू आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए ऊर्जा के निवेश की आवश्यकता है।

(3) आजादी के पश्चात् आर्थिक विकास की योजनाओं को चालू रखने के लिए ऊर्जा की बड़ी मात्रा की आवश्यकता थी। परिणामस्वरूप पूरे राष्ट्र में ऊर्जा के सभी प्रकारों का उपभोग निरन्तर बढ़ रहा है।

ऊर्जा संसाधनों के संरक्षण के उपाय ऊर्जा संसाधनों के संरक्षण के उपाय निम्नलिखित हैं –

(1) ऊर्जा विकास के सतत् पोषणीय मार्ग के विकसित करने की तुरन्त आवश्यकता है।

(2) ऊर्जा संरक्षण की प्रोन्नति और नवीकरणीय ऊर्जा संसाधनों का बढ़ता प्रयोग सतत् पोषणीय ऊर्जा के दो आधार हैं।

(3) हमें ऊर्जा के सीमित संसाधनों के न्यायसंगत उपयोग के लिए सावधानीपूर्वक उपागम अपनाना होगा। (4) एक जागरूक नागरिक के रूप में हम यातायात के लिए निजी वाहन की अपेक्षा सार्वजनिक वाहन का उपयोग करके, जब प्रयोग न हो रहा हो तो बिजली बन्द करके, विद्युत् बचत करने वाले उपकरणों के प्रयोग से तथा गैर-पारम्परिक ऊर्जा साधनों के प्रयोग से हम अपना योगदान दे सकते हैं।

प्रश्न 7. भारत के मानचित्र पर महत्त्वपूर्ण खनिज उत्पादक क्षेत्र दर्शाइए

उत्तर

प्रश्न 8. भारत के मानचित्र पर महत्त्वपूर्ण परम्परागत ऊर्जा स्रोतों को दर्शाइए ।

उत्तर

प्रश्न 9. भारत के मानचित्र पर महत्त्वपूर्ण आणविक व तापीय ऊर्जा संयंत्र दर्शाइए ।

उत्तर –

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