अध्याय 6 विनिर्माण उद्योग
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- बहु-विकल्पीय प्रश्न
- कौन-सा उद्योग कृषि पर आधारित नहीं है ?
(i) सूती वस्त्र
(ii) पटसन
(iii) चीनी
(iv) सीमेण्ट ।
- भारत की जूट निर्यात में क्या स्थिति है ?
(i) प्रथम
(ii) द्वितीय
(iii) तृतीय
(iv) पाँचवीं
- टिस्को किस क्षेत्र के अन्तर्गत आता है ?
(i) निजी क्षेत्र
(ii) संयुक्त क्षेत्र
(iii) सार्वजनिक क्षेत्र
(iv) सहकारी क्षेत्र ।
- निम्न में कौन-सा उद्योग चूना पत्थर को कच्चे माल के रूप में प्रयुक्त करता है ?
(i) एल्यूमिनियम
(ii) प्लास्टिक
(iii) सीमेण्ट
(iv) मोटरगाड़ी।
- निम्न में कौन-सा उद्योग दूरभाष, कम्प्यूटर आदि संयंत्र निर्मित करते हैं ?
(i) स्टील
(ii) एल्युमिनियम प्रगलन
(iii) इलेक्ट्रॉनिक
(iv) सूचना प्रौद्योगिकी।
- सेल उद्यम किस क्षेत्र के अन्तर्गत आता है ?
(i) निजी क्षेत्र
(ii) सहकारी क्षेत्र
(iii) सार्वजनिक क्षेत्र
(iv) संयुक्त क्षेत्र ।
- भारत का सबसे प्राचीन और प्रमुख उद्योग है
(i) लोहा तथा इस्पात उद्योग
(ii) जूट उद्योग
(iii) सूती वस्त्र उद्योग
(iv) कागज उद्योग।
- दुर्गापुर इस्पात संयंत्र कहाँ है ?
(i) बिहार
(ii) मध्य प्रदेश
(iii) उत्तर प्रदेश
(iv) पश्चिम बंगाल।
- भिलाई इस्पात संयंत्र कहाँ है ?
(i) उत्तर प्रदेश
(ii) बिहार
(iii) मध्य प्रदेश
(iv) ओडिशा।
- निम्न में से कौन-सा रेशम उद्योग का प्रमुख केन्द्र है ?
(i) पूना
(ii) अमृतसर
(iii) मैसूर
(iv) सूरत
- प्रथम जूट मिल की स्थापना कहाँ हुई ?
(i) बंगलौर
(ii) कोलकाता
(iii) मुम्बई
(iv) पटना।
- अधिकतर चीनी उद्योग है
(i) सहकारी क्षेत्र में
(ii) सार्वजनिक क्षेत्र में
(iii) निजी क्षेत्र में
(iv) संयुक्त क्षेत्र में।
- निम्न में कौन-सी एजेंसी सार्वजनिक क्षेत्र में स्टील को बाजार में उपलब्ध कराती है ?
(i) हेल (HAIL)
(ii) सेल ( SAIL)
(iii) टाटा स्टील
(iv) एमएनसीसी (MNCC)
- उद्योग निम्न में से किस प्रदूषण के लिए उत्तरदायी हैं ?
(i) वायु
(ii) जल
(iii) ध्वनि
(iv) उपरोक्त सभी
उत्तर-1. (iv), 2. (ii), 3. (i), 4. (iii), 5. (iii), 6. (iii), 7. (iii), 8. (i), 9. (i), 10. (iii), 11. (ii), 12. (i), 13. (ii) 14. (iv).
- रिक्त स्थानों की पूर्ति
- विनिर्माण उद्योग सामान्यत:……….. की रीढ़ समझे जाते हैं।
- मनुष्य का वस्तु निर्माण करने का कार्य………….
कहलाता है।
- टाटा आयरन एण्ड स्टील कम्पनी, जमशेदपुर……….
राज्य में स्थित है।
- बोकारो इस्पात संयन्त्र सन्………… में स्थापित किया गया।
- भारत में…………के पठारी क्षेत्र में अधिकांश लोहा तथा इस्पात उद्योग संकेन्द्रित हैं।
- आरम्भिक वर्षों में सूती वस्त्र उद्योग…….. तथा ……….. के कपास उत्पादन क्षेत्रों तक सीमित थे।
- पिछले दो दशकों में सकल घरेलू उत्पाद में विनिर्माण उद्योग का योगदान…………. प्रतिशत है।
उत्तर- 1. आर्थिक विकास, 2. उद्योग, 3. झारखण्ड, 4. 1972 5. छोटा नागपुर, 6. महाराष्ट्र तथा गुजरात, 7.17 प्रतिशत।
सत्य / असत्य
- ‘टिस्को’ एशिया महाद्वीप का सबसे बड़ा इस्पात कारखाना है।
- कृषि तथा उद्योग एक-दूसरे के पूरक हैं।
- तृतीयक कार्यों में लगे व्यक्ति कच्चे माल को परिष्कृत वस्तुओं में परिवर्तित करते हैं।
- भारत जापान को सूत निर्यात करता है।
- सार्वजनिक क्षेत्र के उद्योग, जैसे- रिलायन्स, टिस्को हैं।
उत्तर – 1. सत्य, 2. सत्य, 3. असत्य, 4. सत्य, 5. असत्य
सही जोड़ी बनाइए
‘अ’
- ऑयल इण्डिया लिमिटेड
- बजाज ऑटो लिमिटेड
- कृषि आधारित उद्योग
- सीमेण्ट उद्योग
- वायु प्रदूषण का कारण
‘ब’
(क) ऊनी वस्त्र
(ख) सिलिका
(ग) कार्बन मोनोऑक्साइड
(घ) संयुक्त उद्योग
(ङ) निजी उद्योग
उत्तर – 1. → (घ), 2. → (ङ), 3. → (क), 4. → (ख), 5. → (ग) ।
एक शब्द/वाक्य में उत्तर
- कच्चे पदार्थ को मूल्यवान उत्पाद में परिवर्तित कर अधिक मात्रा में वस्तुओं के उत्पादन को क्या कहा जाता है ?
- पूर्णत: भारतीय तकनीक पर आधारित कौन-सा इस्पात कारखाना है ?
- पटसन उद्योग किस राज्य व किस नदी तट पर स्थित है ?
- हवाई जहाज, बर्तन व तार बनाने में किस धातु का प्रयोग किया जाता है ?
- उद्योग स्थापना विस्तार व निवेश की उदार नीति को क्या कहते हैं ?
- सार्वजनिक क्षेत्र के लगभग सभी उपक्रम अपने इस्पात को किसके माध्यम से बेचते हैं?
उत्तर – 1. विनिर्माण, 2. विजयनगर इस्पात कारखाना (कर्नाटक में), 3. पश्चिम बंगाल, हुगली नदी,4. एल्युमिनियम, 5. उदारीकरण, 6. स्टील अथॉरिटी ऑफ इण्डिया
अति लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. विनिर्माण क्या है ?
उत्तर-कच्चे पदार्थ को मूल्यवान उत्पाद में परिवर्तित कर अधिक मात्रा में वस्तुओं के उत्पादन को विनिर्माण कहा जाता है, जैसे- कागज बाँस से, चीनी गन्ने से, लोहा- इस्पात लौह-अयस्क से तथा एल्युमिनियम बॉक्साइट से निर्मित है।
प्रश्न 2. उद्योगों की अवस्थिति को प्रभावित करने वाले तीन भौतिक कारक बताएँ।
उत्तर- उद्योगों की अवस्थिति को प्रभावित करने वाले तीन कारक निम्न हैं- (1) कच्चे माल की प्राप्ति,(2) शक्ति के साधन, (3) उपयुक्त जलवायु ।
प्रश्न 3. औद्योगिक अवस्थिति को प्रभावित करने वाले तीन मानवीय कारक बताएँ।
उत्तर- औद्योगिक अवस्थिति को प्रभावित करने वाले तीन मानवीय कारक निम्न हैं- (1) श्रम, (2) बाजार, (3) परिवहन एवं संचार की सुविधाएँ।
प्रश्न 4. आधारभूत उद्योग क्या हैं ? उदाहरण देकर बताएँ।
उत्तर-वे उद्योग जो अन्य उद्योगों के आधार होते हैं। इनके उत्पादन अन्य उद्योगों के निर्माण तथा संचालन
के काम आते हैं; जैसे- लोहा इस्पात, ताँबा प्रगलन व ऐल्युमिनियम प्रगलन उद्योग
प्रश्न 5. भारत में कृषि पर आधारित उद्योग कौन से हैं ?
उत्तर – वस्त्र उद्योग, चीनी उद्योग, कागज उद्योग, पटसन उद्योग, वनस्पति उद्योग कृषि पर आधारित उद्योग हैं।
प्रश्न 6. लोहा इस्पात उद्योग कहाँ स्थापित किया जा सकता है
उत्तर- जहाँ इस उद्योग से सम्बन्धित कच्चा माल (लौह अयस्क, चूना पत्थर और मैंगनीज) व पर्याप्त मात्रा में शक्ति के साधन उपलब्ध हों।
प्रश्न 7. आरम्भिक वर्षों में सूती वस्त्र उद्योग कहाँ पर केन्द्रि
त था ?उत्तर- आरम्भिक वर्षों में सूती वस्त्र उद्योग महाराष्ट्र तथा गुजरात के कपास उत्पादन क्षेत्रों तक ही सीमित था।
प्रश्न 8. संयुक्त उद्योग से आप क्या समझते हैं?
उत्तर-वे उद्योग जो सरकार और निजी क्षेत्र के संयुक्त प्रयास से चलाये जाते हैं, जैसे-ऑयल इण्डिया लिमिटेड (OIL) ।
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. पटसन उद्योग मिलों के मुख्यतः हुगली नदी के किनारे अवस्थित होने के लिए उत्तरदायी कारकों को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-पटसन उद्योग हुगली नदी तट पर स्थित होने के निम्न कारण हैं
(1) पटसन उत्पादक क्षेत्रों की निकटता।
(2) सस्ता जल एवं परिवहन (सड़क, रेल व जल परिवहन का जाल, कच्चे माल का मिलों तक ले जाने में सहायक होना) की सुविधा।
(3) कच्चे पटसन को संसाधित करने में प्रचुर जल उपलब्ध होना।
(4) पश्चिम बंगाल तथा समीपवर्ती राज्य ओडिशा, बिहार व उत्तर प्रदेश से सस्ता श्रमिक उपलब्ध होना। (5) कोलकाता का एक बड़े नगरीय केन्द्र के रूप बैंकिंग, बीमा और जूट के सामान के निर्यात के लिए पत्तन की सुविधाएँ प्रदान करना आदि सम्मिलित हैं।
प्रश्न 2. जूट या पटसन उद्योग की चुनौतियाँ व सरकार द्वारा उठाए गए कदमों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर-जूट या पटसन उद्योग की चुनौतियाँ- इस उद्योग की चुनौतियों में अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में कृत्रिम वस्त्रों से और बांग्लादेश, ब्राजील, फिलीपीन्स, मिस्र तथा थाइलैण्ड जैसे अन्य राष्ट्रों में कड़ी प्रतिस्पर्धा शामिल है।
सरकार द्वारा प्रयास-जूट या पटसन पैकिंग की अनिवार्य प्रयोग की सरकारी नीति के कारण इसकी घरेलू माँग बढ़ी है तथापि माँग बढ़ाने हेतु उत्पाद में विविधता भी आवश्यक है। पटसन के प्रमुख खरीददार अमेरिका, कनाडा, घाना, सऊदी अरब, यूनाइटेड किंगडम और ऑस्ट्रेलिया हैं। बढ़ते वैश्विक पर्यावरण अनुकूलन, जैव निम्नीकरणीय पदार्थों के लिए विश्व की बढ़ती जागरूकता ने पुनः जूट या पटसन उत्पादों के लिए अवसर प्रदान किया है।
प्रश्न 3. स्पष्ट कीजिए कि कृषि और उद्योग किस प्रकार साथ-साथ बढ़ रहे हैं ?
उत्तर भारत कृषि प्रधान राष्ट्र है। आज कृषि का विकास पूर्णतया उद्योगों के विकास पर निर्भर है। कृषि में उर्वरकों, कीटनाशकों, प्लास्टिक, बिजली और डीजल का प्रयोग निरन्तर बढ़ रहा है जो उद्योगों से प्राप्त होता है। दूसरी ओर उद्योगों के लिए कच्चे माल की आवश्यकता होती है। यह कच्चा माल हमें कृषि से ही प्राप्त होता है। अतः कृषि हमारे उद्योगों का आधार है। इस प्रकार कृषि और उद्योग एक-दूसरे से अलग नहीं हैं। वास्तव में इन दोनों में निकट का सम्बन्ध है। इससे स्पष्ट है कि कृषि और उद्योग साथ-साथ बढ़ रहे हैं।
प्रश्न 4. लोहा और इस्पात उद्योग को आधारभूत उद्योग क्यों कहा जाता है ?
अथवा
किसी भी देश के आर्थिक विकास में लोहा एवं इस्पात उद्योगों का महत्त्वपूर्ण स्थान है। स्पष्ट करें।
उत्तर- लोहा एवं इस्पात उद्योग आधारभूत उद्योगों में से एक महत्त्वपूर्ण उद्योग है। किसी भी देश के आर्थिक विकास के लिए लोहा एवं इस्पात उद्योग का विकास आवश्यक होता है। इस उद्योग की गणना महत्त्वपूर्ण उद्योगों में की जाती है। किसी भी राष्ट्र की अर्थव्यवस्था का यह आधार स्तम्भ होता है। यह आधुनिक औद्योगिक ढाँचे का आधार और राष्ट्रीय शक्ति का मापदण्ड है। लोहा-इस्पात उद्योग का उपयोग मशीनें, रेलवे लाइन, यातायात के साधन, रेल पुल, जलयान, अस्त्र-शस्त्र एवं कृषि यन्त्र आदि बनाने में किया जाता है। इसीलिए लोहा इस्पात उद्योग को आधारभूत उद्योग कहा जाता है।
प्रश्न 5. छोटा नागपुर पठार पर लोहा-इस्पात उद्योग क्यों केन्द्रित हो गया है ?
उत्तर- (1) इस पठार पर झारखण्ड और ओडिशा की खानों से पर्याप्त लौह-अयस्क की प्राप्ति होती है।
(2) ऊर्जा के रूप में कोयले की प्राप्ति रानीगंज, बोकारो, झरिया की खदानों से होती है।
(3) यह पठार रेलमार्गों द्वारा देश के सभी भागों से जुड़ा है।
(4) निकटवर्ती क्षेत्रों में सस्ते श्रमिक उपलब्ध हैं।
(5) कोलकाता बन्दरगाह से विदेशी व्यापार की सुविधा उपलब्ध है।
प्रश्न 6. सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्र के उद्योगों में अन्तर स्पष्ट कीजिए। सार्वजनिक एवं निजी उद्योगों में अन्तर
उत्तर सार्वजनिक उद्योग
- सार्वजनिक उद्योगों का स्वामित्व सरकार या सरकार के किसी संगठन के पास होता है।
- इनमें उत्पादन तथा व्यापार पर सरकार का | नियन्त्रण होता है।
- इनमें लगी हुई पूँजी प्राय: सरकारी या सार्वजनिक होती है। ऐसे उद्योग रेलवे, भिलाई, दुर्गापुर इस्पात उद्योग, जलयान निर्माण उद्योग आदि हैं।
- इनमें बड़े पैमाने के उद्योग या आधारभूत उद्योग आते हैं;जैसे-ओएनजीसी, सेल।
निजी उद्योग
- निजी उद्योगों का स्वामित्व व्यक्ति विशेष, कुछ व्यक्तियों या कम्पनियों के पास होता है।
- इनमें उत्पादन, व्यापार तथा वितरण पर व्यक्ति विशेष फर्म या कम्पनी का नियन्त्रण होता है।
- इनमें लगी हुई पूँजी अधिकांश निजी या उधार ली हुई होती है। ये सरकारी हस्तक्षेप के बिना चलते हैं।
- इनमें छोटे बड़े सभी प्रकार के उद्योग आते हैं;जैसे-टाटा आयरन एण्ड स्टील, बाटा शू आदि।
प्रश्न 7. भारत में वस्त्र उद्योग तथा लोहा-इस्पात उद्योग की तुलना कीजिए।
उत्तर वस्त्र उद्योग
- भारत में वस्त्र उद्योग प्राचीन तथा बड़ा उद्योग है।
- वस्त्र उद्योग के अधिकतर कारखाने निजी क्षेत्र में हैं।
- मुम्बई, अहमदाबाद, पूना, सूरत, शोलापुर इसके मुख्य केन्द्र हैं।
- कपास, जूट, रेशम तथा ऊन वस्त्र उद्योग के लिए कच्चा माल है।
लोहा-इस्पात उद्योग
- हमारे पूर्वज उच्चकोटि का इस्पात बनाते थे। दिल्ली में कुतुबमीनार के पास स्थित लौह-स्तम्भ इसका उदाहरण है।
- जमशेदपुर तथा भद्रावती को छोड़कर सभी कारखाने सार्वजनिक क्षेत्र में हैं।
- जमशेदपुर, दुर्गापुर, राउरकेला, भिलाई, बोकारो इसके मुख्य केन्द्र हैं।
- लौह-अयस्क, मँगनीज, चूना या डोलोमाइट इस उद्योग के लिए कच्चा माल हैं।
प्रश्न 8. तापीय प्रदूषण से क्या आशय है ? इसके जलीय जीवन पर प्रभाव बताइए।
उत्तर-तापीय प्रदूषण- जब कारखानों तथा तापघरों से गर्म जल को बिना ठण्डा किए ही नदियों तथा तालाबों में छोड़ दिया जाता है, तो जल में तापीय प्रदूषण होता है।
तापीय प्रदूषण का प्रभाव-
(1) परमाणु ऊर्जा संयंत्रों के अपशिष्ट व परमाणु शस्त्र उत्पादक कारखानों से कैंसर, जन्मजात विकार तथा अकाल प्रसव जैसी बीमारियाँ होती हैं।
(2) मृदा व जल प्रदूषण आपस में संबंधित हैं।
(3) मलबे का ढेर विशेषकर काँच, हानिकारक रसायन, औद्योगिक बहाव, पैंकिंग, लवण तथा कूड़ा करकट मृदा को अनुपजाऊ बनाता है।
(4) वर्षा जल के साथ ये प्रदूषक जमीन से रिसते हुए भूमिगत जल तक पहुँच कर उसे भी प्रदूषित कर देते हैं।
दीर्घ उत्तरीय / विश्लेषणात्मक प्रश्न
प्रश्न 1. विनिर्माण उद्योग का महत्त्व बताइए।
अथवा
“विनिर्माण उद्योग सामान्यतः विकास की तथा विशेषत: आर्थिक विकास की रीढ़ समझे जाते हैं, ” इस कथन को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में उद्योगों के विकास से निम्नलिखित लाभ प्राप्त हुए हैं
(1) विनिर्माण उद्योग न केवल कृषि के आधुनिकीकरण में सहायक है वरन् द्वितीयक व तृतीयक सेवाओं से रोजगार उपलब्ध कराकर कृषि पर हमारी निर्भरता को कम करते हैं।
(2) उद्योगों के विकास से उत्पादन में वृद्धि होती है जिससे प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि होती है तथा जीवन स्तर उन्नत होता है।
(3) रोजगार के साधनों में वृद्धि होती है। साथ ही मानव संसाधन भी पुष्ट होते हैं।
(4) देश में औद्योगिक विकास बेरोजगारी तथा गरीबी उन्मूलन की एक आवश्यक शर्त है। भारत में सार्वजनिक तथा संयुक्त क्षेत्र में लगे उद्योग इसी विचार पर आधारित हैं। जनजातीय तथा पिछड़े क्षेत्रों में उद्योगों की स्थापना का उद्देश्य भी क्षेत्रीय असमानताओं को कम करना था।
(5) निर्मित वस्तुओं का निर्यात विदेशी व्यापार को बढ़ाता है जिससे अपेक्षित विदेशी मुद्रा की प्राप्ति होती है।
(6) उद्योगों के विकास से अर्थव्यवस्था के अन्य क्षेत्रों, जैसे- कृषि, खनिज, परिवहन आदि में प्रगति होती है।
(7) वे देश ही विकसित हैं, जो कच्चे माल को विभिन्न तथा अधिक मूल्यवान तैयार माल में विनिर्मित करते हैं। भारत का विकास विविध व शीघ्र औद्योगिक विकास में निहित है।
प्रश्न 2. उद्योगों को किस प्रकार से वर्गीकृत किया जा सकता है ? स्पष्ट कीजिए।
अथवा
उद्योगों का विभिन्न आधारों पर वर्गीकरण कीजिए।
उत्तर- उद्योगों को निम्न प्रकार वर्गीकृत किया जा सकता है
(1) कच्चे माल के स्रोत के आधार पर ये दो प्रकार के होते हैं
(i) कृषि आधारित उद्योग- जिन्हें कच्चा माल कृषि उत्पादन से प्राप्त होता है जैसे- सूती वस्त्र, ऊनी वस्त्र, पटसन, रबर, चाय, कॉफी तथा वनस्पति तेल उद्योग ।
(ii) खनिज आधारित उद्योग-जिन्हें कच्चा माल खनिजों से प्राप्त होता है, जैसे- लोहा-इस्पात, सीमेन्ट, एल्युमिनियम, मशीन, औजार तथा पेट्रोरसायन उद्योग
(2) प्रमुख भूमिका के आधार पर इस आधार पर उद्योग दो प्रकार के होते हैं
(i) आधारभूत उद्योग-वे उद्योग जो अन्य उद्योगों के आधार होते हैं। इनके उत्पादन अन्य उद्योगों के निर्माण तथा संचालन के काम आते हैं, जैसे-लोहा-इस्पात, ताँबा प्रगलन व ऐलुमिनियम प्रगलन उद्योग
(ii) उपभोक्ता उद्योग-वे उद्योग जो लोगों की दैनिक आवश्यकताओं की पूर्ति करने के काम आते हैं; जैसे-चीनी, कागज, पंखे आदि ।
(3) पूँजी निवेश के आधार पर एक लघु उद्योग को परिसंपत्ति की एक इकाई पर अधिकतम निवेश मूल्य के परिप्रेक्ष्य में परिभाषित किया जाता है। यह निवेश सीमा, समय के साथ परिवर्तित होती रहती है। यह अधिकतम स्वीकार्य निवेश के आधार पर की जाती है। यह निवेश मूल्य समय के साथ बदलता गया है। वर्तमान में अधिकतम निवेश एक करोड़ रुपये तक स्वीकार्य है।
(4) स्वामित्व के आधार पर स्वामित्व के आधार पर उद्योग निम्न प्रकार के होते हैं
(i) निजी उद्योग-निजी क्षेत्र के उद्योग जिनका एक व्यक्ति के स्वामित्व में और उसके द्वारा संचालित अथवा लोगों के स्वामित्व में या उनके द्वारा संचालित है। टिस्को, बजाज ऑटो आदि।
(ii) सार्वजनिक क्षेत्र – सार्वजनिक क्षेत्र में लगे, सरकारी एजेंसियों द्वारा प्रबंधित तथा सरकार द्वारा संचालित उद्योग-जैसे स्टील अथॉरिटी ऑफ इण्डिया लिमिटेड (SAIL) तथा ओएनजीसी (ONGC) आदि।
(iii) संयुक्त क्षेत्र – ये उद्योग सरकार तथा व्यक्ति विशेष समूहों के संयुक्त प्रबन्धन द्वारा संचालित है;
जैसे- ऑयल इण्डिया लिमिटेड। (iv) सहकारी उद्योग-जिनका स्वामित्व कच्चे माल की पूर्ति करने वाले उत्पादकों, श्रमिकों या दोनों के हाथों में होता है। संसाधनों का कोष संयुक्त होता है तथा लाभ-हानि का विभाजन भी आनुपातिक होता है;जैसे- महाराष्ट्र के चीनी उद्योग, केरल के नारियल पर आधारित उद्योग
(5) कच्चे माल के आधार पर कच्चे माल के आधार पर उद्योग दो प्रकार के होते हैं
(i) भारी उद्योग-जैसे-लोहा तथा इस्पात आदि।
(ii) हल्के उद्योग-वे उद्योग जो कम भार वाले कच्चे माल का प्रयोग कर हल्के तैयार माल का उत्पादन करते हैं, जैसे- विद्युतीय उद्योग
प्रश्न 3. आरम्भिक वर्षों में सूती कपड़ा उद्योग कपास पैदा करने वाले क्षेत्रों में क्यों संकेन्द्रित हो अथवा गए थे ?
शुरूआती वर्षों में सूती वस्त्र उद्योग के महाराष्ट्र व गुजरात में केन्द्रित होने के उत्तरदायी कारकों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर- आरम्भिक वर्षों में सूती वस्त्र उद्योग महाराष्ट्र तथा गुजरात के कपास उत्पादन क्षेत्रों तक ही सीमित था, क्योंकि (1) सूती कपड़ा मिलों के लिए आर्द्र जलवायु की आवश्यकता होती है। चूँकि महाराष्ट्र तथा गुजरात सागरीय तट पर स्थित हैं, अत: यहाँ की जलवायु आर्द्र है।
(2) भारत में कपास के क्षेत्र महाराष्ट्र एवं गुजरात में विस्तृत हैं, अत: इस क्षेत्र में कपास मुम्बई के केन्द्रों को आसानी से मिल जाता है। दूसरे, मुम्बई बन्दरगाह होने के कारण मिस्र तथा संयुक्त राज्य अमेरिका बढ़िया कपास आसानी से आयात हो जाता है।
(3) मुम्बई सागर तट पर स्थित है, अतः स्थापित जल विद्युत् संस्थान से जल विद्युत् आसानी से प्राप्त हो जाती है।
(4) यहाँ पूँजी एवं बैंकिंग सुविधा उपलब्ध है।
(5) इस उद्योग का कृषि से निकट का संबंध है और कृषकों, कपास चुनने वालों, गाँठ बनाने वालों, कताई करने वालों, रंगाई करने वालों, डिजाइन बनाने वालों, पैकट बनाने वालों और सिलाई करने वाले सस्ते श्रमिकों की उपलब्धता है।
प्रश्न 4. समन्वित इस्पात उद्योग मिनी इस्पात उद्योगों से कैसे भिन्न हैं ? इस उद्योग की क्या समस्याएँ हैं ? किन सुधारों के अन्तर्गत इसकी उत्पादन क्षमता बढ़ी है ?
उत्तर
समन्वित (संकलित) इस्पात व मिनी इस्पात उद्योगों में अन्तर
समन्वित इस्पात उद्योग
- समन्वित इस्पात का संयंत्र बड़ा होता है।
- इसमें कच्चे माल को एक स्थान पर एकत्रित करने से लेकर इस्पात बनाने, उसे ढालने और उसे आकार देने तक की प्रत्येक क्रिया की जाती है।
- इनमें भारी इस्पात बनाया जाता है।
- भारत में 12 मुख्य संकलित उद्योग हैं।
मिनी इस्पात उद्योग
- इस उद्योग का संयंत्र छोटा होता है।
- इसमें विद्युत् भट्टी, रद्दी इस्पात व स्पंज आयरन का प्रयोग होता है। इसमें रि-रोलर्स होते हैं। जिनमें इस्पात सिल्लियों का प्रयोग किया जाता है।
- इनमें हल्के स्टील या निर्धारित अनुपात के मृदु व | मिश्रित इस्पात का उत्पादन करते हैं।
- बहुत से छोटे इस्पात संयंत्र हैं।
इस्पात उद्योग की समस्याएँ– यद्यपि भारत में इस्पात उद्योग के विकास के लिए पर्याप्त मात्रा प्राकृतिक संसाधन उपलब्ध हैं, परन्तु इसके बावजूद इस्पात के उत्पादन में घरेलू माँग के अनुरूप वृद्धि नहीं हो में
पा रही है। इसका प्रमुख कारण समयानुकूल इस्पात उद्योग में पूँजी निवेश का अभाव एवं नयी प्रौद्योगिकी को लागू करने में देरी होना है। इसी के साथ कुछ अन्य कारण भी हैं, जैसे
(1) इस्पात के निर्माण में प्रयुक्त होने वाले भारतीय कोयले का निम्न स्तर का होना (जिसमें राख की मात्रा अधिक होती है) भी इस उद्योग के विकास में बाधक है।
(2) इस्पात उद्योग के क्षेत्र में स्थित इस्पात संयंत्रों को बिजली की नियमित सप्लाई न मिलना तथा बिजली की बढ़ी हुई दरों के कारण उत्पादित इस्पात की लागत अधिक होना भी इस उद्योग की प्रगति में बाधक है।
(3) इस्पात क्षेत्र के मुख्य कच्चा माल खासतौर से आयातित स्क्रेप की ऊँची कीमत भी इस उद्योग के विकास में बाधक है।
(4) इस उद्योग में कच्चे माल एवं उत्पादन दोनों की दृष्टि से भारी पदार्थों का परिवहन होता है। इससे उद्योग के सामने परिवहन की कठिनाइयाँ बनी रहती हैं।
(5) देश की औद्योगिक नीति के अनुसार लोहा व इस्पात उद्योग के भावी विकास का दायित्व के ऊपर है, किन्तु सार्वजनिक क्षेत्र में इस उद्योग का संचालन सन्तोषप्रद नहीं है।
सरकार सुधारों द्वारा उत्पादन क्षमता निजी क्षेत्र में उद्यमियों के प्रयत्न से तथा उदारीकरण व प्रत्यक्ष विदेशी निवेश ने इस्पात उद्योग को प्रोत्साहन दिया है। वर्ष 2018 में भारत 106.5 मिलियन टन इस्पात का विनिर्माण कर विश्व में कच्चा इस्पात उत्पादकों में दूसरे स्थान पर था। यह स्पंज लौह का सबसे बड़ा उत्पादक है।
प्रश्न 5. उद्योग पर्यावरण को कैसे प्रदूषित करते हैं ?
उत्तर औद्योगिक प्रदूषण
औद्योगिक प्रगति ने अर्थव्यवस्था को विकसित व उन्नत बनाने में जहाँ अपना महत्त्वपूर्ण सहयोग दिया • वहीं दूसरी ओर पर्यावरण सम्बन्धी कठिनाइयों को जन्म दिया जो आज विकराल रूप से हमारे समक्ष खड़ी हैं। आज पर्यावरणविद् इस बात का अनुभव कर रहे हैं कि औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाला कचरा, दूषित जल, विषैली गैस आदि सम्पूर्ण पर्यावरण को प्रदूषित कर रही हैं, पारिस्थितिकी तन्त्र का सन्तुलन बिगड़ रहा है तथा प्रदूषण की स्थिति संकट बिन्दु तक पहुँच गई है और पृथ्वी पर जीवन के अस्तित्व के लिए खतरा उत्पन्न हो गया है। औद्योगीकरण से होने वाले प्रमुख प्रदूषण निम्नलिखित हैं
(1) वायु प्रदूषण – औद्योगिक कारखानों की चिमनियों के कारण निकलने वाला धुआँ वायु प्रदूषण का प्रमुख कारण है। विभिन्न उद्योगों से होने वाले प्रदूषण की मात्रा एवं प्रकृति, उद्योग के प्रकार, प्रयुक्त होने वाले कच्चे माल एवं निर्माण आदि पर निर्भर करती है। इस दृष्टि से कपड़ा उद्योग, रासायनिक उद्योग, धातु उद्योग, तेल शोधक एवं चीनी उद्योग अन्य उद्योगों की अपेक्षा अधिक प्रदूषण फैलाते हैं। इन उद्योगों से वायुमण्डल में, कार्बन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड, धूल आदि हानिकारक व विषैले तत्त्व मिल जाते हैं, जो वायु को प्रदूषित करते हैं।
(2) जल प्रदूषण-जल जीवन का आधार है। जल निरन्तर प्रदूषित हो रहा है। इसका प्रमुख कारण कारखानों का कूड़ा-करकट नदियों और जलाशयों में बहाना है। कागज और चीनी की मिलें तथा चमड़ा साफ करने के कारखाने अपना कूड़ा-कचरा नदियों में बहा देते हैं या भूमि पर सड़ने के लिए छोड़ देते हैं, जिससे भूमिगत जल प्रदूषित होता है, क्योंकि कूड़े-कचरे का अंश रिस-रिस कर भूमिगत जल में मिल जाता है। इस जल का उपयोग या सम्पर्क प्राणियों और वनस्पतियों के लिए हानिकारक होता है।
(3) भूमि प्रदूषण-इसे ‘मृदा प्रदूषण’ भी कहते हैं। औद्योगिक अपशिष्ट का भूतल पर फैलाव भूमि प्रदूषण का कारण बनता है। इस प्रकार के अपशिष्ट में अनेक ऐसे पदार्थ होते हैं, जो प्राकृतिक रूप में घटित नहीं होते तथा इनका प्रकृति में पुनः चक्रीकरण नहीं होता जिससे भूमि की गुणवत्ता में कमी आती है।
(4) ध्वनि प्रदूषण मानव के कानों में भी ध्वनि को साधारणतया ग्रहण करने की एक सीमा होती है। वास्तव में शोर वह ध्वनि है जिसके द्वारा मानव के अन्दर अशान्ति व बेचैनी उत्पन्न होने लगती है, इसी को ध्वनि प्रदूषण कहते हैं। उद्योगों में अनेक प्रकार की मशीनें प्रयोग की जाती हैं जिनसे निरन्तर शोर होता रहता है। इसके अतिरिक्त कारखानों में जनरेटर भी चलाये जाते हैं, इन सभी से निरन्तर अधिक शोर होता है। इससे इनमें कार्य करने वाले श्रमिक अनेक मानसिक रोगों तथा बहरेपन के शिकार हो जाते हैं।
चर्चा करें।
प्रश्न 6. उद्योगों द्वारा पर्यावरण निम्नीकरण को कम करने के लिए उठाए गए विभिन्न उपायों की
उत्तर- औद्योगिक प्रदूषण को नियन्त्रित करने के उपाय औद्योगिक प्रदूषण के नियन्त्रण हेतु निम्न उपाय किए जाने चाहिए
वायु प्रदूषण को नियन्त्रित करने के उपाय
(1) कारखानों की चिमनियों की ऊँचाई बढ़ाकर उनसे निकलने वाली हानिकारक गैसों के प्रभाव को कम किया जा सकता है।
( 2 ) कारखानों में कम से कम प्रदूषण करने वाले ऊर्जा संसाधनों का उपयोग होना चाहिए, जैसे- सौर ऊर्जा।
(3) औद्योगिक इकाई की स्थापना से पूर्व ही प्रदूषण अनुमान लगाकर उसको नियन्त्रित करने के साधन जैसे वनस्पति आवरण आदि कारखाना परिसर में विकसित किया जाना चाहिए।
(4) उद्योगों में प्रदूषण नियन्त्रक उपकरण लगाए जाने चाहिए। जल प्रदूषण को नियन्त्रित करने के उपाय
(1) उद्योगों में प्रयोग किए गए जल के उपचार व्यवस्था कारखाने की स्थापना के साथ ही की जानी चाहिए।
(2) रासायनिक उद्योग जो कि जल को सर्वाधिक प्रदूषित करते हैं, को जलाशयों व नदियों से दूर स्थापित किया जाना चाहिए।
(3) सड़क के किनारे तथा कारखानों के निकट खाली स्थानों पर वृक्ष लगाए जाने चाहिए।
(4) उद्योग संचालकों को जल प्रदूषण नियन्त्रण परामर्श नियमित दिए जाने चाहिए तथा उद्योगों से विसर्जन जल की प्रशासनिक निगरानी होनी चाहिए। भू-प्रदूषण को नियन्त्रित करने के उपाय
(1) औद्योगिक संस्थानों को अपने अपशिष्ट पदार्थों को बिना उपचार किए विसर्जित करने से रोका जाना चाहिए।
(2) औद्योगिक अपशिष्टों के निक्षेपण की समुचित व्यवस्था होनी चाहिए। अपशिष्ट निक्षेपण खुले स्थानों में नहीं होना चाहिए।
(3) अपशिष्टों को आधुनिक तकनीक से जलाकर उससे उत्पन्न ताप को ऊर्जा के रूप में प्रयोग किया जा सकता है।
(4) औद्योगिक अपशिष्टों को पुनरुत्पादन हेतु प्रयुक्त करने की तकनीक विकसित की जानी चाहिए। ध्वनि प्रदूषण को नियन्त्रित करने के उपाय
(1) औद्योगिक इकाइयों को शहर से दूर स्थापित करना चाहिए।
(2) कारखानों में ध्वनि निरोधक यन्त्रों का उपयोग किया जाना चाहिए।
(3) कल-कारखानों में मशीनों का रख-रखाव सही करके, मशीनों का शोर कम किया जा सकता है। खराब मशीनें अधिक शोर करती हैं।
(4) अधिक शोर उत्पन्न करने वाली औद्योगिक इकाइयों में श्रमिकों को कर्ण बन्दकों का प्रयोग करना चाहिए।
पर्यावरण की सुरक्षा के लिए औद्योगिक विकास अवरुद्ध न किया जाये बल्कि औद्योगिक विकास नियोजित ढंग से हो, जिससे पर्यावरण में किसी भी प्रकार का असन्तुलन उत्पन्न न हो।
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