अध्याय 9 भारत में राष्ट्रवाद वस्तुनिष्ठ
- बहु-विकल्पीय प्रश्न
- सत्याग्रह निम्नलिखित में से क्या था ?
(i) हथियारों का बल
(ii) शुद्ध आत्मिक बल
(iii) कमजोर का हथियार
(iv) भौतिक बल ।
- दक्षिण अफ्रीका में नस्लभेदी सरकार से लोहा लेने के लिए महात्मा गाँधी ने निम्नलिखित में से किस पद्धति को अपनाया था ?
(i) सत्याग्रह
(ii) भूख हड़ताल
(iii) जेल भरो आन्दोलन
(iv) प्रार्थना।
- ‘हिन्द स्वराज’ नामक पुस्तक का लेखक निम्नलिखित में से कौन था ?
(i) सरदार पटेल
(ii) अरबिन्दो घोष
(iii) महात्मा गाँधी
(iv) बाल गंगाधर तिलक।
- निम्नलिखित में से किसने रॉलेट एक्ट 1919 पारित किया ?
(i) इम्पीरियल लेजिस्लेटिव काउन्सिल
(ii) भारत सरकार
(iii) ब्रिटिश काउन्सिल
(iv) स्टेचुअरी कमीशन।
- गाँधीजी के नमक सत्याग्रह में कितने मील पैदल यात्रा हुई ?
(i) 320 मील
(ii) 240 मील
(iii) 360 मील
(iv) 200 मील।
- किस स्थान पर महात्मा गाँधी द्वारा आयोजित ‘नमक-मार्च’ समाप्त हुआ ?
(i) सूरत
(ii) साबरमती
(iii) बम्बई
(iv) दांडी ।
- भारत में साइमन कमीशन का बहिष्कार किया गया क्योंकि
(i) कांग्रेस ने माना कि लोग स्वराज के लायक थे
(ii) कमीशन में कोई भी भारतीय सदस्य नहीं था
(iii) सदस्यों के बीच में अन्तर थे
(iv) इसने मुस्लिम लीग का समर्थन किया था।
- वन्देमातरम् को किसने लिखा था ?
(i) बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय
(ii) रवीन्द्रनाथ टैगोर
(iii) राजा रवि वर्मा
(iv) के. टी. रानाडे ।
- गाँधीजी दक्षिण अफ्रीका से भारत कब लौटे ?
(i) फरवरी 1911
(ii) जनवरी 1912
(iii) जनवरी 1915
(iv) फरवरी 1917.
- गाँधीजी ने साबरमती आश्रम की स्थापना कब की ?
(i) 1915
(ii) 1916
(iii) 1917
(iv) 1920.
- गाँधीजी ने ‘खिलाफत आन्दोलन’ का समर्थन क्यों किया ?
(i) क्योंकि खलीफा भारतीय स्वतन्त्रता संघर्ष का समर्थक था
(ii) क्योंकि गाँधीजी अंग्रेजों के विरुद्ध मुसलमानों का समर्थन चाहते थे
(iii) क्योंकि खलीफा भारतीय सभ्यता व संस्कृति के प्रेमी थे
(iv) क्योंकि टर्की ने भारतीय स्वतन्त्रता का समर्थन किया।
- रॉलेट एक्ट का उद्देश्य था
(i) सभी हड़तालों को गैर-कानूनी घोषित करना
(ii) आन्दोलनकारियों का दमन करना
(iii) सभी के मध्य समानता स्थापित करना
(iv) उपर्युक्त सभी ।
- सविनय अवज्ञा आन्दोलन के कार्यक्रम में निम्नलिखित में से कौन शामिल नहीं है ?
(i) देशवासियों को नमक बनाना चाहिए।
(ii) विदेशी वस्त्रों की होली जलाई जाए
(iii) हिंसात्मक साधनों से कानूनों का उल्लंघन किया जाए
(iv) शराब की दुकानों पर धरना दिया जाए।
- गाँधीजी के नेतृत्व में असहयोग का कार्यक्रम अपनाया गया
(i) 1908 में
(ii) 1912 में
(iii) 1918 में
(iv) 1920 में।
15 दिसम्बर 1929 में हुए लाहौर अधिवेशन के अध्यक्ष थे
(i) मोतीलाल नेहरू
(ii) पं. जवाहरलाल नेहरू
(iii) महात्मा गाँधी
(iv) मौलाना आजाद ।
उत्तर- 1. (ii), 2. (i) 3. (iii), 4. (i), 5. (ii) 6. (iv), 7. (ii), 8. (i), 9. (iii) 10. (ii), 11. (ii), 12. (ii), 13. (iii), 14. (iv), 15. (iii).
- रिक्त स्थानों की पूर्ति
- मार्च 1919 में बम्बई में एक …………………का गठन किया गया था।
- गाँधीजी ने 1919 में प्रस्तावित………………………. के खिलाफ एक राष्ट्रव्यापी आन्दोलन चलाने का फैसला किया।
- असहयोग खिलाफत आन्दोलन…………………… में शुरू हुआ।
4……………………की जनगणना के अनुसार दुर्भिक्ष और महामारी के कारण 120-130 लाख लोग मारे गए।
- 1928 में वल्लभभाई पटेल ने गुजरात के बारदोली तालुका में………………………..का नेतृत्व किया।
- 1929 में भगतसिंह और बटुकेश्वर दत्त ने…………………..में बम फेंका।
- ‘…………………………ने 1930 में दलितों को दमित वर्ग एसोसिएशन में संगठित किया।
उत्तर- 1. खिलाफत समिति, 2. रॉलेट एक्ट, 3 जनवरी 1921, 4. 1921, 5 किसान आन्दोलन, 6. सेण्ट्रल लेजिस्लेटिव असेम्बली, 7. डॉ. अम्बेडकर
सत्य / असत्य
- महात्मा गाँधी जनवरी 1915 में भारत लौटे। इससे पहले वे इंग्लैण्ड में थे।
- 5 मार्च 1931 को गाँधीजी ने इरविन के साथ एक समझौते पर दस्तखत कर दिए।
- 1913 से 1918 के बीच कीमतें आधी रह गई थीं।
- सिविल नाफरमानी आन्दोलन में छात्रों ने बड़े पैमाने पर हिस्सा लिया।
- अम्बेडकर ने सितम्बर 1932 में पूना पैक्ट पर हस्ताक्षर किए।
- इतिहास की पुनर्व्याख्या राष्ट्रवाद की भावना पैदा करने का एक और साधन थी।
- बंगाल में स्वदेशी आन्दोलन के दौरान एक तिरंगा झण्डा (हरा, पीला, लाल) तैयार किया गया।
उत्तर- 1. असत्य, 2. सत्य, 3. असत्य, 4. असत्य, 5. सत्य, 6. सत्य, 7. सत्य ।
- सही जोड़ी बनाइए
‘अ’
- दूसरा गोलमेज सम्मेलन
- हिन्द स्वराज
- कांग्रेस का कलकत्ता अधिवेशन
- गुजरात के बारदोली में किसान आन्दोलन
- ‘वन्देमातरम्’
‘ब’
(क) वल्लभभाई पटेल
(ख) बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय
(ग) 1932
(घ) महात्मा गाँधी
(ङ) सितम्बर 1920
उत्तर – 1. (ग), 2. (घ), 3. → (ङ), 4. → (क), 5. → (ख) ।
- एक शब्द / वाक्य में उत्तर
- रॉलेट अधिनियम कब लागू हुआ ?
- राष्ट्रीय आन्दोलन में पूर्ण स्वाधीनता दिवस किस दिन मनाया गया था ?
- साइमन कमीशन भारत कब पहुँचा ?
- गाँधीजी ने सविनय अवज्ञा आन्दोलन कब वापिस लिया था ?
- आनन्दमठ उपन्यास किसने लिखा था ?
- उस कारण को बताइए जिसके कारण गाँधीजी को 1919 में सत्याग्रह शुरू करना पड़ा ?
- दूसरा गोलमेज सम्मेलन कब शुरू हुआ ?
उत्तर- 1. अप्रैल 1919, 2. 26 जनवरी 1930, 3. 1928, 4. 1931, 5. बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय, 6. रॉलेट एक्ट, 7 दिसम्बर 19311
अति लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. रॉलेट एक्ट क्या था ?
उत्तर- यह एक ऐसा कानून था जिसके अनुसार किसी भी व्यक्ति को बिना अभियोग चलाये अनिश्चित समय तक जेल में डाला जा सकता था। यह सन् 1919 में पारित हुआ था। रॉलेट एक्ट का प्रमुख उद्देश्य राष्ट्रीय आन्दोलनों को कुचलना था। अतः गाँधीजी ने इस एक्ट का व्यापक विरोध किया।
प्रश्न 2. ‘बहिष्कार’ से क्या आशय है ?
उत्तर- बहिष्कार किसी के साथ सम्पर्क रखने और जुड़ने से इन्कार करना या गतिविधियों में हिस्सेदारी, चीजों की खरीद व प्रयोग से इन्कार करना है। आमतौर पर यह विरोध का एक रूप होता है।
प्रश्न 3. पिकेटिंग का क्या अर्थ है ?
उत्तर- पिकेटिंग प्रदर्शन या विरोध का ऐसा स्वरूप है जिसमें लोग किसी दुकान, फैक्ट्री या दफ्तर के भीतर जाने का रास्ता रोक लेते हैं।
प्रश्न 4. गिरमिटिया मजदूर किन्हें कहा जाता था ?
उत्तर- औपनिवेशिक शासन के दौरान बहुत सारे लोगों को कार्य करने के लिए फिजी, गुयाना, वेस्टइंडीज आदि स्थानों पर ले जाया गया था जिन्हें बाद में गिरमिटिया कहा जाने लगा। उन्हें एक एग्रीमेण्ट के तहत ले जाया जाता था। बाद में इसी एग्रीमेण्ट को ये मजदूर गिरमिट कहने लगे जिससे आगे चलकर इन मजदूरों को गिरमिटिया मजदूर कहा जाने लगा।
प्रश्न 5. ‘बारदोली सत्याग्रह’ के बारे में बताइए।
उत्तर- बारदोली सत्याग्रह-1928 में वल्लभभाई पटेल ने गुजरात के बारदोली तालुका में किसान आन्दोलन का नेतृत्व किया, जो कि भू-राजस्व को बढ़ाने के खिलाफ था। यह बारदोली सत्याग्रह के नाम से जाना जाता है और यह आन्दोलन वल्लभभाई पटेल के सक्षम नेतृत्व के तहत सफल रहा। इस संघर्ष का प्रचार व्यापक रूप से हुआ और इसे भारत के कई हिस्सों में अत्यधिक सहानुभूति प्राप्त हुई।
प्रश्न 6. लाला लाजपत राय का देहान्त किस प्रकार हुआ ?
उत्तर- साइमन कमीशन के खिलाफ शान्तिपूर्ण प्रदर्शन के दौरान ब्रिटिश पुलिस ने लाला लाजपत राय पर हमला किया। प्रदर्शन के दौरान मिले गहरे जख्मों के कारण उन्होंने दम तोड़ दिया।
प्रश्न 7. साइमन कमीशन का बहिष्कार क्यों किया गया ?
उत्तर- साइमन कमीशन का बहिष्कार इसलिए किया गया, क्योंकि इसमें सभी सदस्य अंग्रेज थे और भारतीयों का इसमें कोई प्रतिनिधि नहीं था।
प्रश्न 8. पूर्ण स्वराज्य के लक्ष्य को कब और कहाँ स्वीकार किया गया ?
उत्तर- दिसम्बर 1929 में कांग्रेस के वार्षिक अधिवेशन में जो कि लाहौर में हुआ था, इसके अध्यक्ष जवाहरलाल नेहरू थे। यहाँ कांग्रेस ने पूर्ण स्वराज्य को अपना लक्ष्य स्वीकार किया और इसकी प्राप्ति के लिए गाँधीजी के नेतृत्व में सविनय अवज्ञा आन्दोलन चलाने का फैसला किया।
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. उपनिवेशों में राष्ट्रवाद के उदय की प्रक्रिया उपनिवेशवाद से जुड़ी हुई क्यों थी ?
उत्तर-उपनिवेशों में राष्ट्रवाद के उदय की प्रक्रिया उपनिवेशवाद विरोधी आन्दोलन से जुड़ी थी, जिसके निम्न कारण थे
(1) औपनिवेशिक शासकों के खिलाफ संघर्ष के दौरान लोग आपसी एकता को पहचानने लगे थे।
(2) उत्पीड़न और दमन के साझा भाव ने विभिन्न समूहों को एक-दूसरे से बाँध दिया था।
(3) हर वर्ग और समूह पर उपनिवेशवाद का प्रभाव एक जैसा नहीं था। उनके अनुभव भी अलग थे और स्वतन्त्रता के मायने भी भिन्न थे।
(4) महात्मा गाँधी के नेतृत्व में कांग्रेस ने इन समूहों को एकत्र करके एक विशाल आन्दोलन खड़ा किया।
प्रश्न 2. पहले विश्व युद्ध ने भारत में राष्ट्रीय आन्दोलन के विकास में किस प्रकार योगदान दिया ?
उत्तर- 1914 में जब प्रथम विश्व युद्ध आरम्भ हुआ तो ब्रिटिश सरकार ने भारत को भी इस युद्ध में सम्मिलित कर लिया। अमरीकी राष्ट्रपति विल्सन तथा ब्रिटिश प्रधानमन्त्री जार्ज लायड ने यह घोषणा की कि यह युद्ध लोकतन्त्र और राष्ट्रीय आत्म-निर्णय के अधिकार की रक्षा हेतु लड़ा जा रहा है अत: भारतीय जनता को इसमें अपना पूर्ण सहयोग देना चाहिए। महात्मा गाँधी ने जार्ज लायड की घोषणा के आधार पर ब्रिटिश सरकार को युद्ध के संचालन में पूर्ण सहयोग देने का आश्वासन दिया। अनेक भारतीय ब्रिटिश सेना में भर्ती हुए तथा उन्होंने बड़ी वीरता के साथ युद्ध में भाग लिया। इस युद्ध ने राष्ट्रीयता की भावना को और अधिक जागृत किया। भारतीय नेताओं ने यह माँग की कि जब ब्रिटेन लोकतन्त्र की रक्षा के लिए युद्ध लड़ रहा है तो उसका नैतिक कर्त्तव्य है कि युद्ध के पश्चात् वह भारत में भी स्वशासन की स्थापना करे।
प्रश्न 3. भारत के लोग रॉलेट एक्ट के विरोध में क्यों थे ?
उत्तर- राष्ट्रीय आन्दोलन के इतिहास में इसे ‘आतंकवादी अपराध नियम’ कहा जाता है। रॉलेट एक्ट में राष्ट्रीय आन्दोलन को कुचलने के लिए निम्नलिखित बातें शामिल थीं
(1) रॉलेट एक्ट के अनुसार ब्रिटिश सरकार को यह अधिकार प्रदान किया गया कि वह किसी भी राजनीतिक आन्दोलन या सरकार के विरुद्ध किये गये किसी भी कार्य का दमन करने में पूर्णतया स्वतन्त्र है।
(2) सरकार बिना मुकदमा चलाये किसी भी व्यक्ति को बन्दी बना सकती थी।
(3) मजिस्ट्रेटों द्वारा किसी भी ऐसे व्यक्ति को जिस पर क्रान्तिकारी होने का सन्देह हो, नजरबन्द किया जा सकता था।
रॉलेट एक्ट का विरोध-रॉलेट एक्ट का देशव्यापी विरोध किया गया। महात्मा गाँधी ने भी इस विरोध में सक्रिय भाग लिया और उत्साह के साथ सत्याग्रह आन्दोलन चलाया। 6 अप्रैल को देशव्यापी हड़ताल का निश्चय हुआ। उस दिन जनता ने देश के विभिन्न भागों में जुलूस बनाकर निकाले और रॉलेट एक्ट के विरोध में नारे लगाये। यह ऐसा आन्दोलन था जिसमें अमीर-गरीब, हिन्दू-मुसलमान सभी एक साथ मिलकर आन्दोलन कर रहे थे।
प्रश्न 4. गाँधीजी ने असहयोग आन्दोलन को वापस लेने का फैसला क्यों लिया ?
उत्तर- असहयोग आन्दोलन का स्थगन-आन्दोलन जिस समय तीव्र गति से चल रहा था उस समय ही एक दुर्घटना हो गयी जिसके कारण गाँधीजी को आन्दोलन समाप्त करना पड़ा। 5 फरवरी 1922 को गोरखपुर जिले में चोरी-चौरा नामक गाँव की उत्तेजित भीड़ ने पुलिस थाने में आग लगा दी। गाँधीजी अहिंसात्मक आन्दोलन में विश्वास करते थे। अतः इस हिंसात्मक घटना ने उनके सिद्धान्तों को आघात पहुँचाया अनेक राष्ट्रीय नेताओं द्वारा मना किये जाने पर भी 11 फरवरी 1922 को उन्होंने अपना आन्दोलन बन्द कर दिया। यह प्रथम आन्दोलन था जिसने राष्ट्रव्यापी रूप धारण किया था। दो दिन के पश्चात् ही ब्रिटिश शासन द्वारा महात्मा गाँधी को 6 वर्ष कारावास का दण्ड दे दिया गया।
प्रश्न 5. सत्याग्रह के विचार का क्या मतलब है ?
उत्तर- सत्याग्रह के विचार में सत्य की शक्ति पर आग्रह और सत्य की खोज पर जोर दिया जाता था। इसका आशय यह था कि अगर आपका उद्देश्य सच्चा है, यदि आपका संघर्ष अन्याय के खिलाफ है तो उत्पीड़क से मुकाबला करने के लिए आपको किसी शारीरिक बल की आवश्यकता नहीं है। प्रतिशोध की भावना या आक्रामकता का सहारा लिए बिना सत्याग्रही केवल अहिंसा के सहारे भी अपने संघर्ष में सफल हो सकता है। इसके लिए दमनकारी शत्रु की चेतना को झिझोड़ना चाहिए। उत्पीड़क शत्रु को ही नहीं बल्कि सभी लोगों को हिंसा के द्वारा सत्य को स्वीकार करने पर विवश करने की बजाय सच्चाई को देखने और सहज भाव से स्वीकार करने के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए। इस संघर्ष में अन्ततः सत्य की जीत होती है।
प्रश्न 6. जलियाँवाला बाग हत्याकाण्ड पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए।
उत्तर – जलियाँवाला बाग हत्याकाण्ड-रॉलेट अधिनियम मार्च 1919 में लागू किया गया। विरोध में पूरे देश से आवाज उठी। पंजाब में भी रॉलेट अधिनियम का विरोध हुआ। पंजाब में ब्रिटिश सरकार ने अनेक जगहों पर लाठी-गोली चलवाई। 10 अप्रैल को कांग्रेस के दो प्रभावशाली नेता डॉ. सत्यपाल और डॉ. सैफुद्दीन किचलू गिरफ्तार किए गए और उन्हें जेल भेज दिया गया। इन गिरफ्तारियों के विरोध में अमृतसर के जलियाँवाला बाग में 13 अप्रैल को बैसाखी के दिन विरोध सभा हुई। जैसे ही सभा प्रारम्भ हुई जनरल डायर नामक एक सैनिक अधिकारी ने सभा को किसी भी प्रकार की चेतावनी दिये बिना अपने सैनिकों को सभा की भीड़ पर गोली चलाने का आदेश दिया। सैनिकों ने भीड़ पर गोली चलायी जिसके परिणामस्वरूप लगभग 800 से अधिक व्यक्ति मारे गये तथा 2000 के लगभग घायल हो गये। जलियाँवाला काण्ड से जनता में ब्रिटिश शासन के विरुद्ध व्यापक असन्तोष की भावना जागृत हुई। इसके बाद असहयोग आन्दोलन प्रारम्भ हो गया।
प्रश्न 7. साइमन कमीशन पर टिप्पणी कीजिए।
उत्तर- साइमन कमीशन-1927 में ब्रिटिश सरकार ने सर जॉन साइमन की अध्यक्षता में 7 सदस्यों का एक कमीशन नियुक्त किया जिसका कार्य भारत में संवैधानिक सुधार लाने के लिए रिपोर्ट तैयार करना था। इस कमीशन का बहिष्कार इसलिए किया गया, क्योंकि इसमें सभी सदस्य अंग्रेज थे और भारतीयों का इसमें कोई प्रतिनिधि नहीं था। जहाँ यह कमीशन जाता था वहाँ हड़तालें होती थीं, काली झण्डियाँ दिखायी जाती थीं और ‘साइमन वापस जाओ’ का नारा लगाया जाता था। इसी आन्दोलन का नेतृत्व करते हुए पुलिस की लाठियों के प्रहार से लाला लाजपत राय का निधन हो गया।
प्रश्न 8. भारत पहुँचने के बाद गाँधीजी ने विभिन्न स्थानों पर सत्याग्रह आन्दोलन को सफलतापूर्वक कैसे चलाया ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- भारत आने के बाद गाँधीजी ने कई स्थानों पर सत्याग्रह आन्दोलन चलाया।
(1) गाँधीजी ने 1917 में बिहार के चम्पारन इलाके का दौरा किया और दमनकारी बागान व्यवस्था के खिलाफ किसानों को संघर्ष के लिए प्रेरित किया।
(2) 1917 में गाँधीजी ने गुजरात के खेड़ा जिले के किसानों की मदद के लिए सत्याग्रह का आयोजन किया। फसल खराब हो जाने और प्लेग की महामारी के कारण खेड़ा जिले के किसान लगान चुकाने की हालत में नहीं थे। वे चाहते थे कि लगान वसूली में ढील दी जाए।
(3) 1918 में गाँधीजी सूती कपड़ा कारखानों के मजदूरों के बीच सत्याग्रह आन्दोलन चलाने अहमदाबाद पहुँचे।
प्रश्न 9. पूना पैक्ट क्या था ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर पूना पैक्ट- ब्रिटिश सरकार ने अम्बेडकर की माँग मान ली तो गाँधीजी आमरण अनशन पर बैठ गए। उनका मत था कि दलितों के लिए अलग निर्वाचन क्षेत्रों की व्यवस्था से समाज में उनके एकीकरण की प्रक्रिया धीमी पड़ जाएगी। आखिरकार अम्बेडकर ने गाँधीजी की राय मान ली और सितम्बर 1932 में पूना पैक्ट पर हस्ताक्षर कर दिए। इससे दमित वर्गों (जिन्हें बाद में अनुसूचित जाति के नाम से जाना गया) को प्रान्तीय एवं केन्द्रीय विधायी परिषदों में आरक्षित सीटें मिल गईं हालांकि उनके लिए मतदान सामान्य निर्वाचन क्षेत्रों में ही होता था।
प्रश्न 10. सविनय अवज्ञा आन्दोलन में भारतीय व्यवसायियों और उद्योगपतियों के रुख की व्याख्या कीजिए।
उत्तर- सविनय अवज्ञा आन्दोलन में भारतीय व्यवसायियों और उद्योगपतियों का रुख
(1) प्रथम विश्व युद्ध के दौरान भारतीय व्यापारियों और उद्योगपतियों ने भारी मुनाफा कमाया था और वे ताकतवर हो चुके थे। अपने कारोबार को फैलाने के लिए उन्होंने ऐसी औपनिवेशिक नीतियों का विरोध किया जिनके कारण उनकी व्यावसायिक गतिविधियों में रुकावट आती थी।
(2) वे विदेशी वस्तुओं के आयात से सुरक्षा चाहते थे और रुपया- स्टर्लिंग विदेशी विनिमय अनुपात में बदलाव चाहते थे जिससे आयात में कमी आ जाए।
(3) व्यावसायिक हितों को संगठित करने के लिए उन्होंने 1920 में भारतीय औद्योगिक एवं व्यावसायिक कांग्रेस (इंडियन इण्डस्ट्रियल एण्ड कॉमर्शियल कांग्रेस) और 1927 में भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग परिसंघ (फिक्की) का गठन किया।
(4) पुरुषोत्तमदास ठाकुरदास और जी. डी. बिड़ला जैसे जाने-माने उद्योगपतियों के नेतृत्व में उद्योगपतियों ने भारतीय अर्थव्यवस्था पर औपनिवेशिक नियन्त्रण का विरोध किया। उन्होंने आन्दोलन को आर्थिक सहायता दी और आयातित वस्तुओं को खरीदने या बेचने से इन्कार कर दिया।
दीर्घ उत्तरीय / विश्लेषणात्मक प्रश्न
प्रश्न 1. 1921 में असहयोग आन्दोलन में शामिल होने वाले सभी सामाजिक समूहों की सूची बनाइए। इसके बाद उनमें से किन्हीं तीन को चुनकर उनकी आशाओं और संघर्षों के बारे में लिखते हुए यह दर्शाइए कि वे आन्दोलन में शामिल क्यों हुए ?
उत्तर- असहयोग आन्दोलन-असहयोग आन्दोलन जनवरी 1921 में प्रारम्भ हुआ। इस आन्दोलन में विभिन्न सामाजिक समूहों ने हिस्सा लिया था, जिनमें से प्रमुख निम्नलिखित थे (1) शहरी मध्यम वर्ग, (2) ग्रामीण किसान, (3) जंगलों के आदिवासी समूह, (4) बागानों में कार्य करने वाले, (5) राजनीतिक दल, (6) चुनावों का बहिष्कार करने वाले।
यहाँ हम निम्नलिखित तीन वर्गों की चर्चा करेंगे
(1) शहरी मध्यम वर्ग- आन्दोलन का प्रारम्भ शहरी मध्यम वर्ग के साथ हुआ बहुत बड़ी संख्या में विद्यार्थियों ने स्कूल-कॉलेज छोड़ दिए। हैडमास्टरों और शिक्षकों ने इस्तीफे सौंप दिए। वकीलों ने मुकदमे लड़ना बन्द कर दिए। मद्रास के अलावा ज्यादातर प्रान्तों में परिषदीय चुनावों का बहिष्कार किया गया। आर्थिक मोर्चे पर असहयोग का असर और भी ज्यादा रहा। विदेशी सामानों का बहिष्कार किया गया, शराब की दुकानों की पिकेटिंग की गई, और विदेशी कपड़ों की होली जलाई जाने लगी।
( 2 ) ग्रामीण किसान- देश के विभिन्न भागों में चले किसानों व आदिवासियों के संघर्ष भी इस आन्दोलन में समा गए। किसानों की माँग थी कि लगान कम किया जाए, बेगार खत्म हो और दमनकारी जमींदारों का सामाजिक बहिष्कार किया जाए। लेकिन किसानों कांग्रेस ने अवध के किसान संघर्ष को इस आन्दोलन में शामिल करने का प्रयास किया के आन्दोलन में ऐसे स्वरूप विकसित हो चुके थे जिनसे कांग्रेस का नेतृत्व खुश नही 1921 में जब आन्दोलन फैला तो तालुकेदारों और व्यापारियों के मकानों पर हमले होने लगे, बाजारों में लूटपाट होने लगी और अनाज के गोदामों पर कब्जा कर लिया गया। बहुत सारे स्थानों पर स्थानीय नेता किसानों को समझा रहे थे कि गाँधीजी ने घोषणा कर दी है कि अब कोई लगान नहीं भरेगा और जमीन निर्धनों में बाँट दी जाएगी। गाँधीजी का नाम लेकर लोग अपनी सारी कार्यवाहियों और आकांक्षाओं को सही ठहरा रहे थे।
(3) बागानों में कार्य करने वाले गांधीजी के विचारों और स्वराज की अवधारणा के बारे में श्रमिकों की अपनी समझ थी। असम के बागान श्रमिकों के लिए स्वतन्त्रता का आशय यह था कि वे उन चारदीवारियों से जब चाहे आ-जा सकते हैं जिनमें उनको बन्द करके रखा गया था। उनके लिए आजादी का आशय था कि वे अपने गाँवों से सम्पर्क रख पाएँगे। 1859 के इनलैंड इमिग्रेशन एक्ट के तहत बागानों में कार्य करने वाले मजदूरों को बिना इजाजत बागान से बाहर जाने की छूट नहीं होती थी और यह इजाजत उन्हें कभी-कभी ही मिलती थी। जब उन्होंने असहयोग आन्दोलन के बारे में सुना तो हजारों मजदूर अपने अधिकारियों की अवहेलना करने लगे। उन्होंने बागान छोड़ दिए और अपने घर चल दिए। उनको लगता था कि अब गांधी राज आ रहा है इसलिए अब तो हरेक को गाँव में जमीन मिल जाएगी। इस प्रकार बागान मजदूरों ने भी असहयोग आन्दोलन में गांधीजी का साथ दिया।
प्रश्न 2. नमक यात्रा की चर्चा करते हुए स्पष्ट करें कि यह उपनिवेशवाद के खिलाफ प्रतिरोध का एक असरदार प्रतीक था।
उत्तर नमक यात्रा- भारत को एकजुट करने के लिए गांधीजी को नमक एक शक्तिशाली प्रतीक दिखाई दिया। इसके कारण उन्होंने निम्नलिखित प्रयास किए
(1) गांधीजी ने 31 जनवरी 1930 को वायसराय इरविन को एक पत्र लिखा। इस पत्र में उन्होंने 11 माँगों का उल्लेख किया था।
(2) इनमें सबसे महत्वपूर्ण माँग नमक कर को खत्म करने के बारे में थी।
(3) नमक का अमीर-गरीब, सभी उपयोग करते थे। यह भोजन का एक अभिन्न हिस्सा था। इसीलिए नमक पर कर और उसके उत्पादन पर सरकारी इजारेदारी को गांधीजी ने ब्रिटिश शासन का सबसे दमनकारी पहलू बताया था।
(4) गांधीजी का यह पत्र एक अल्टीमेटम (चेतावनी) की तरह था। उन्होंने लिखा कि अगर 11 मार्च तक उनकी माँगें नहीं मानी गईं तो कांग्रेस अवज्ञा आन्दोलन छेड़ देगी। इरविन झुकने को तैयार नहीं था। इसलिए गांधीजी ने अपने 78 विश्वस्त वॉलंटियरों के साथ नमक यात्रा शुरू कर दी।
(5) यह यात्रा साबरमती में गांधीजी के आश्रम से 240 किलोमीटर दूर दांडी नामक गुजराती तटीय कस्बे में जाकर खत्म होनी थी। गांधी की टोली ने 24 दिन तक हर रोज लगभग 10 मील का सफर तय किया।
(6) महात्मा गांधी जहाँ भी रुकते हजारों लोग उन्हें सुनने आते। इन सभाओं में गांधीजी ने स्वराज का अर्थ स्पष्ट किया और आह्वान किया कि लोग ब्रिटिश सरकार की शान्तिपूर्वक अवज्ञा करें यानी अंग्रेजों का
कहा न मानें। 6 अप्रैल को वह दांडी पहुँचे और उन्होंने समुद्र का पानी उबालकर नमक बनाना शुरू कर दिया। यह कानून का उल्लंघन था। अतः स्पष्ट है कि नमक यात्रा उपनिवेशवाद के खिलाफ प्रतिरोध का एक असरदार प्रतीक था।
प्रश्न 3. कल्पना कीजिए कि आप सिविल नाफ़रमानी आन्दोलन में हिस्सा लेने वाली महिला हैं। बताइए कि इस अनुभव का आपके जीवन में क्या अर्थ होता ?
उत्तर- (1) सिविल नाफरमानी आन्दोलन में स्त्रियों ने बड़े पैमाने पर हिस्सा लिया।
(2) गांधीजी के नमक सत्याग्रह के दौरान हजारों स्त्रियाँ उनकी बात सुनने के लिए घर से बाहर आ जाती थीं।
(3) महिलाओं ने जुलूसों में हिस्सा लिया, नमक बनाया, विदेशी कपड़ों व शराब की दुकानों की पिकेटिंग की बहुत सारी महिलाएँ जेल भी गई।
(4) शहरी इलाकों में ज्यादातर ऊँची जातियों की महिलाएँ सक्रिय थीं जबकि ग्रामीण इलाकों में सम्पन्न किसान परिवारों की महिलाएँ आन्दोलन में हिस्सा ले रही थीं।
(5) मैंने इस आन्दोलन के दौरान अनुभव किया कि गांधीजी के आह्वान के बाद महिलाओं को राष्ट्र की सेवा करना अपना पवित्र दायित्व दिखाई देने लगा था।
प्रश्न 4. राजनीतिक नेता पृथक् निर्वाचिका के सवाल पर क्यों बँटे हुए थे ?
उत्तर- राजनीतिक नेता पृथक् निर्वाचिका के सवाल पर निम्नलिखित कारणों से बँटे हुए थे
(1) कांग्रेस ने लम्बे समय तक दलितों पर ध्यान नहीं दिया क्योंकि कांग्रेस रूढ़िवादी सवर्ण हिन्दू सनातन निर्वाचन क्षेत्रों के सवाल पर दूसरे गोलमेज सम्मेलन में गांधीजी के साथ उनका काफी विवाद हुआ।
(2) अम्बेडकर ने 1930 में दलितों को दमित वर्ग एसोसिएशन में संगठित किया। दलितों के लिए अलग पंथियों से डरी हुई थी।
(3) ब्रिटिश सरकार ने अम्बेडकर की माँग मान ली तो गांधीजी आमरण अनशन पर बैठ गए। उनका मत था कि दलितों के लिए अलग निर्वाचन क्षेत्रों की व्यवस्था से समाज में उनके एकीकरण की प्रक्रिया धीमी पड़ जाएगी।
(4) 1920 के दशक के मध्य से कांग्रेस हिन्दू महासभा जैसे हिन्दू धार्मिक राष्ट्रवादी संगठनों के काफी करीब दिखने लगी थी। जैसे-जैसे हिन्दू-मुसलमानों के बीच सम्बन्ध खराब होते गये, दोनों समुदाय उग्र धार्मिक जुलूस निकालने लगे। इससे कई शहरों में हिन्दू-मुस्लिम साम्प्रदायिक टकराव व दंगे हुए हर दंगे के साथ दोनों समुदायों के बीच फासला बढ़ता गया।
(5) 1930 में मुस्लिम लीग के अध्यक्ष सर मोहम्मद इकबाल ने मुसलमानों के लिए अल्पसंख्यक राजनीतिक हितों की रक्षा के उद्देश्य से पृथक् निर्वाचिका की जरूरत पर एक बार फिर जोर दिया।
(6) मुस्लिम लीग के नेताओं में से एक, मोहम्मद अली जिन्ना का कहना था कि अगर मुसलमानों को केन्द्रीय सभा में आरक्षित सीटें दी जाएँ और मुस्लिम बहुल प्रान्तों (बंगाल और पंजाब) में मुसलमानों को आबादी के अनुपात में प्रतिनिधित्व दिया जाए तो वे मुसलमानों के लिए पृथक् निर्वाचिका की माँग छोड़ने के में लिए तैयार हैं।
प्रश्न 5. भारत माता की छवि और जर्मेनिया की छवि की तुलना कीजिए।
उत्तर भारत माता और जर्मेनिया की छवि की तुलना
भारत माता की छवि
- 1905 में अबनीन्द्रनाथ टैगोर ने भारत माता की छवि को चित्रित किया।
- भारत माता को एक संन्यासिनी के रूप में दर्शाया गया है।
- भारत माता शान्त, गम्भीर, दैवीय और आध्यात्मिक गुणों से युक्त दिखाई देती है।
- भारत माँ की छवि शिक्षा भोजन और कपड़े दे रही हैं। एक हाथ में माला उसके संन्यासी गुण को रेखांकित करती है।
- इस मातृ छवि के प्रति श्रद्धा को राष्ट्रवाद में आस्था का प्रतीक माना जाने लगा।
जर्मेनिया की छवि
- 1848 में चित्रकार फिलिप वेट ने जर्मेनिया की छवि को चित्रित किया।
- जर्मेनिया को ‘गार्डिंग द राइने नदी पर पहरा देती हुई दर्शाया गया है।
- जर्मेनिया को एक वीर साहसी तथा देश की रक्षा करने वाली स्त्री के रूप में दर्शाया गया है।
- चाक्षुस अभिव्यक्तियों में जर्मेनिया बलूत वृक्ष के पत्तों का मुकुट पहनती है क्योंकि जर्मन बलूत वीरता का प्रतीक है।
- चित्रकार ने जर्मेनिया के चित्र को सूती झण्डे पर बनाया चूँकि इसे सेंट पॉल की छत पर लटकाया था और जहाँ मार्च 1848 में फ्रैंकफर्ट संसद बुलाई गई।
प्रश्न 6. “सविनय अवज्ञा आन्दोलन” का वर्णन कीजिए।
अथवा
सविनय अवज्ञा आन्दोलन का क्या अभिप्राय है? इसके कार्यक्रम एवं महत्त्व पर प्रकाश डालिए।
उत्तर- सन् 1930 ई. में लाहौर में हुए अधिवेशन में पूर्ण स्वाधीनता को अपना लक्ष्य घोषित किया और गांधीजी के नेतृत्व में सविनय अवज्ञा आन्दोलन प्रारम्भ करने का निश्चय किया गया। गांधीजी ने इस आन्दोलन में निम्न प्रमुख कार्यक्रम रखे
(1) जगह-जगह नमक कानून तोड़कर नमक बनाया जाए।
(2) सरकारी कर्मचारी सरकारी नौकरियों को त्याग दें और छात्र सरकारी स्कूल-कॉलेजों का बहिष्कार करें।
(3) विदेशी वस्त्रों को त्याग कर उनकी होली जलायी जाए।
(4) स्त्रियाँ शराब, अफीम और विदेशी कपड़े की दुकानों पर धरना दें।
(5) जनता सरकार को कर न दे।
गांधीजी ने सविनय अवज्ञा आन्दोलन का शुभारम्भ नमक कानून का उल्लंघन कर किया। 12 मार्च 1930 को गांधीजी ने दाण्डी के लिए प्रस्थान किया और वहाँ 5 अप्रैल को पहुँचे। यह घटना ‘दाण्डी- यात्रा’ के नाम से प्रसिद्ध है। मार्ग में जनता ने सत्याग्रहियों का अभूतपूर्व स्वागत किया। वहाँ उन्होंने नमक कानून तोड़ा। इस प्रकार देश में नमक कानून भंग करने का आन्दोलन चल पड़ा। आम जनता ने भी नमक कानून का उल्लंघन किया। यह सविनय अवज्ञा आन्दोलन का प्रारम्भ था हिन्दुस्तान के सभी भागों में लोगों ने सरकारी कानूनों को भंग करना शुरू किया। स्त्रियों ने भी पर्दा छोड़कर इस आन्दोलन में भाग लिया। किसानों ने भी सरकार को कर देने से इन्कार कर दिया। विदेशी कपड़े का बहिष्कार हुआ 5 मार्च 1931 को गांधीजी का वायसराय इरविन से समझौता हो गया और गांधीजी ने आन्दोलन स्थगित कर दिया। नवम्बर 1931 ई. में गांधीजी ने कांग्रेस की ओर से लन्दन में द्वितीय गोलमेज सम्मेलन में भाग लिया और भारत के लिए पूर्ण स्वाधीनता की माँग की, परन्तु ब्रिटिश शासन ने उनकी माँग को स्वीकार नहीं किया। अतः 1932 ई. में कांग्रेस ने गांधीजी के नेतृत्व में पुनः सविनय अवज्ञा आन्दोलन शुरू किया। सरकार ने दमन-चक्र तेज किया एक लाख से अधिक व्यक्ति गिरफ्तार हुए। 1934 ई. में गांधीजी ने आन्दोलन को समाप्त कर दिया।
सविनय अवज्ञा आन्दोलन का महत्त्व
यह सत्य है कि असहयोग आन्दोलन की तरह सविनय अवज्ञा आन्दोलन भी बीच में ही स्थगित कर दिया गया था जिससे जनता में कुछ निराशा फैली, परन्तु इस आन्दोलन ने कांग्रेस की शक्ति को भी बढ़ाया। जनता ने गांधीजी के नेतृत्व में अपार कष्टों को सहन किया तथा उनके आदेशों का पालन आँख मींच कर किया। ब्रिटिश सरकार को भी इस बार गांधीजी के व्यक्तित्व ने प्रभावित किया और वह समझ गयी कि उनके पीछे एक अपार जन बल है। इस आन्दोलन ने गांधीजी को एक विश्वविख्यात राजनीतिज्ञ बना दिया।
प्रश्न 7. विभिन्न सांस्कृतिक तरीकों ने किस प्रकार से राष्ट्रवाद को बनाने में एक अहम् भूमिका का निर्वहन किया ? स्पष्ट कीजिए।
अथवा
उन्नीसवीं शताब्दी में विविध सांस्कृतिक प्रक्रियाओं ने भारत में कैसे सामूहिक अपनेपन के भाव को विकसित किया ? स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर- (1) सामूहिक अपनेपन की यह भावना आंशिक रूप से संयुक्त संघर्षों के चलते पैदा हुई थी। इनके अलावा बहुत सारी सांस्कृतिक प्रक्रियाएँ भी थीं जिनके द्वारा राष्ट्रवाद लोगों की कल्पना और दिलोदिमाग पर छा गया था। इतिहास व साहित्य, लोक कथाएँ व गीत, चित्र व प्रतीक, सभी ने राष्ट्रवाद को साकार करने में अपना योगदान दिया था।
(2) राष्ट्र की पहचान सबसे ज्यादा किसी तस्वीर में अंकित की जाती है। इससे लोगों को एक ऐसी छवि गढ़ने में मदद मिलती है जिसके द्वारा राष्ट्र को पहचान सकते हैं। बीसवीं सदी में राष्ट्रवाद के विकास के साथ भारत की पहचान भी भारत माता की छवि का रूप लेने लगी।
(3) राष्ट्रवाद का विचार भारतीय लोक कथाओं को पुनर्जीवित करने के आन्दोलन से भी मजबूत हुआ। उन्नीसवीं सदी के आखिर में राष्ट्रवादियों ने भाटों व चारणों द्वारा गाई सुनाई जाने वाली लोक कथाओं को दर्ज करना शुरू कर दिया।
(4) जैसे-जैसे राष्ट्रीय आन्दोलन आगे बढ़ा। राष्ट्रवादी नेता लोगों को एकजुट करने और उनमें राष्ट्रवाद की भावना भरने के लिए इस तरह के चिह्नों और प्रतीकों के बारे में और ज्यादा जागरूक होते गये।
(5) बंगाल में स्वदेशी आन्दोलन के दौरान एक तिरंगा झण्डा (हरा, पीला, लाल) तैयार किया गया । इसमें ब्रिटिश भारत के आठ प्रान्तों का प्रतिनिधित्व करते कमल के आठ फूलों और हिन्दुओं व मुसलमानों का प्रतिनिधित्व करता एक अर्धचन्द्र दर्शाया गया था।
( 6 ) 1921 तक गांधीजी ने भी स्वराज का झण्डा तैयार कर लिया था। यह भी तिरंगा (सफेद, हरा और लाल) था। इसके मध्य गांधीवादी प्रतीक चरखे को जगह दी गई थी जो स्वावलम्बन का प्रतीक था। जुलूसों में यह झण्डा थामे चलना शासन के प्रति अवज्ञा का संकेत था। इस प्रकार उन्नीसवीं शताब्दी में विभिन्न सांस्कृतिक प्रक्रियाओं ने भारत में एक अहम भूमिका का निर्वहन किया।
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