अध्याय 4 कृषि
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
बहु-विकल्पीय प्रश्न
- भारत विश्व में सबसे बड़ा उत्पादक और उपभोक्ता है
(i) दालों का
(ii) कपास का
(iii) मक्का का
(iv) गेहूँ का |
- किस फसल को सुनहरी रेशा कहा जाता है ?
(i) रेशम
(ii) कपास
(iii) जूट
(iv) हेम्प ।
- भारत में कपास का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य है
(i) राजस्थान
(ii) महाराष्ट्र
(iii) बिहार
(iv) गोआ ।
- इनमें से कौन-सी रबी की फसल है ?
(i) चावल
(ii) मोटे अनाज
(iii) चना
(iv) कपास।
- निम्नलिखित में से कौन-सा उस कृषि प्रणाली को दर्शाता है जिसमें एक ही फसल लम्बे चौड़े क्षेत्र में उगाई जाती है ?
(i) स्थानांतरी कृषि
(ii) रोपण कृषि
(iii) बागवानी
(iv) गहन कृषि ।
- इनमें से कौन-सी एक फलीदार फसल है ?
(i) दालें
(ii) मोटे अनाज
(iii) ज्वार
(iv) तिल।
- कौन-सा राज्य रागी का सबसे बड़ा उत्पादक है ?
(i) केरल
(ii) कर्नाटक
(iii) तमिलनाडु
(iv) पंजाब।
- भारत में गन्ने का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य है
(i) मध्य प्रदेश
(ii) उत्तर प्रदेश
(iii) गुजरात
(iv) राजस्थान ।
- निम्न में से कौन-सी फसल मानसून के आरम्भ होने पर बोई जाती है और सितम्बर अक्टूबर में काट ली जाती है ?
(i) जायद
(ii) रबी
(iii) खरीफ
(iv) इनमें से कोई नहीं।
- निम्न में से कौन-सा राज्य भारत में गेहूँ का सबसे बड़ा उत्पादक है ?
(i) मध्य प्रदेश
(ii) हरियाणा
(iii) राजस्थान
(iv) उत्तर प्रदेश।
- निम्न में से कौन-सी फसल में भारत अग्रणी उत्पादक है और विश्व का प्रमुख निर्यातक है ?
(i) जूट
(ii) कहवा
(iii) रवर
(iv) चाय।
- हमारे देश की तीसरी प्रमुख फसल है
(i) ज्वार
(ii) रागी
(iii) चावल
(iv) गेहूँ ।
- देश के उत्तर और उत्तर-पूर्वी भाग में मुख्य फसल कौन-सी है ?
(i) गन्ना
(ii) गेहूँ
(iii) चावल
(iv) मक्का ।
- उत्तर और उत्तरी-पश्चिमी भारत में कौन-सी प्रमुख खाद्य फसल है ?
(i) बाजरा
(ii) गेहूँ
(iii) मक्का
(iv) चावल।
उत्तर- 1. (i). 2. (iii), 3. (ii), 4. (iii) 5. (ii) 6. (i) 7. (ii), 8. (ii), 9. (iii) 10. (iv),
- (iv), 12. (i), 13. (iii), 14. (ii).
- रिक्त स्थानों की पूर्ति
- भारत की.……….. ‘जनसंख्या कृषि कार्यों में लगी हुई है।
- कृषि एक…….. क्रिया है जो हमारे लिए अधिकांश खाद्यान्न उत्पन्न करती है।
- ‘कर्तन दहन प्रणाली’ को छत्तीसगढ़ में………… कहा जाता है।
- रोपण कृषि, उद्योग और कृषि के बीच एक…………… है।
- भारत में …………किस्म की कॉफी पैदा की जाती है।
- गहन जीविका कृषि उन क्षेत्रों में की जाती है, जहाँ भूमि पर…………..का दबाव अधिक होता है।
- सोयाबीन उत्पादन में प्रथम स्थान प्राप्त भारतीय राज्य………… है।
उत्तर – 1. दो-तिहाई, 2. प्राथमिक, 3. दीपा, 4. अंतरापृष्ठ 5. अरेबिका, 6. जनसंख्या, 7. मध्य प्रदेश।
सत्य/असत्य
- 2016 में भारत विश्व में चीन के बाद दूसरा बड़ा तिलहन उत्पादक देश था।
- खरीफ फसलें देश के विभिन्न क्षेत्रों में मानसून के आगमन के साथ बोई जाती हैं और सितम्बर-अक्टूबर में काट ली जाती हैं।
- भारत में चार शस्य ऋतुएँ हैं।
- दालें वायु से नाइट्रोजन लेकर भूमि की उर्वरता को बनाए रखती हैं।
- रोपण कृषि भी एक प्रकार की वाणिज्यिक खेती है।
- रबी फसलों को मई से जुलाई के मध्य बोया जाता है।
उत्तर – 1. सत्य, 2. सत्य, 3. असत्य, 4. सत्य, 5. सत्य, 6. असत्य ।
सही जोड़ी बनाइए
‘अ’
- चावल
- कॉफी
- कपास
- मक्का
- चाय
‘ब
(क) महाराष्ट्र
(ख) उत्तर प्रदेश
(ग) असम
(घ) पश्चिम बंगाल
(ङ) कर्नाटक
उत्तर – 1. (घ), 2. (ङ) 3. (क) 4. (ख), 5. → (ग) ।
एक शब्द / वाक्य में उत्तर
- मूँगफली का प्रमुख उत्पादक राज्य कौन-सा है ?
- रबड़ उत्पादक प्रमुख राज्य का नाम बताइए।
- गन्ना उत्पादन में भारत का विश्व में कौन-सा स्थान है ?
- भारत का चावल के उत्पादन की दृष्टि से विश्व में कौन-सा स्थान है ?
- भारत की दो प्रमुख खाद्यान्न फसलें कौन-सी हैं ?
उत्तर- 1. गुजरात, 2. केरल, 3. प्रथम, 4. दूसरा, 5. चावल, गेहूँ।
अति लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. किसी फसल का उदाहरण दीजिए जो एक प्रदेश में वाणिज्यिक फसल के रूप में और दूसरे प्रदेश में जीविका फसल के रूप में उगाई जाती है।
उत्तर- हरियाणा और पंजाब में चावल वाणिज्यिक फसल है परन्तु ओडिशा में यह एक जीविका फसल है।
प्रश्न 2. भारत में उगाई जाने वाली मुख्य रेशेदार फसलें कौन-कौन-सी हैं ?
उत्तर- कपास, जूट, सन और प्राकृतिक रेशम भारत में उगाई जाने वाली चार मुख्य रेशेदार फसलें हैं। इनमें से पहली तीन मृदा में फसल उगाने से प्राप्त होती हैं और चौथा रेशम के कीड़े के कोकून से प्राप्त होता है. जो शहतूत के पेड़ की हरी पत्तियों पर पलता है।
प्रश्न 3. गन्ना नकद दाम की फसल है, क्यों ?
उत्तर- गन्ना एक महत्त्वपूर्ण व्यापारिक फसल है। गन्ना चीनी बनाने में प्रयुक्त किया जाता है। चीनी उद्योग में गन्ने का प्रयोग होने के कारण यह अब एक महत्त्वपूर्ण मुद्रादायिनी कृषि उपज बन गया है।
प्रश्न 4. जूट को ‘सुनहरा रेशा’ क्यों कहा जाता है ?
उत्तर- जूट को भारत का सुनहरा रेशा (Golden fibre) कहते हैं। इसका कारण यह है कि जूट का रेशा सोने की तरह चमकीला होता है। इसे बहुत उपयोगी सस्ता और व्यापारिक महत्त्व का होने से सुनहरा रेशा कहते हैं।
प्रश्न 5. भारत की प्रमुख पेय फसलों के नाम बताइए।
उत्तर- चाय, कहवा और कोको भारत की पेय फसलें हैं।
प्रश्न 6. रबी और खरीफ की फसलों के नाम लिखिए।
उत्तर- रबी की फसलें-गेहू, जौ, मटर, चना और सरसों कुछ मुख्य रबी फसलें हैं। खरीफ की फसलें- चावल, मक्का, ज्वार, बाजरा, तुअर (अरहर), मूँग, उड़द, कपास, जूट, मूँगफली,और सोयाबीन आदि खरीफ की फसलें हैं।
प्रश्न 7. नकद व व्यापारिक फसलों से क्या आशय है ?
उत्तर- नकद व व्यापारिक फसलों से आशय उन फसलों से है, जो प्रत्यक्ष रूप से भोजन के लिए उत्पन्न नहीं की जाती हैं, किन्तु उन्हें बेचकर नकद राशि प्राप्त की जाती है। इनमें कपास, चाय, कॉफी, तिलहन, सोयाबीन, गन्ना, तम्बाकू, रबर आदि हैं।
प्रश्न 8. जायद की फसल के बारे में बताइए।
उत्तर- रबी और खरीफ फसल के बीच ग्रीष्म ऋतु में बोई जाने वाली फसल को जायद कहा जाता है।
जायद ऋतु में मुख्यत: तरबूज, खरबूज, खीरे, सब्जियों और चारे की फसलों की खेती की जाती है।
प्रश्न 9. भारत की एक खाद्य फसल का नाम बताएँ और जहाँ यह पैदा की जाती है, उन क्षेत्रों का विवरण दें।
उत्तर भारत की एक प्रमुख खाद्य फसल चावल है। चावल उत्तर और उत्तर पूर्वी मैदानों, तटीय क्षेत्रों और डेल्टाई प्रदेशों में उगाया जाता है। नहरों के जाल और नलकूपों की सघनता के कारण पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और राजस्थान के कुछ कम वर्षा वाले क्षेत्रों में चावल की फसल उगाना सम्भव हो पाया है।
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. प्रारम्भिक जीविका निर्वाह कृषि क्या है ?
उत्तर- प्रारम्भिक जीविका निर्वाह कृषि भारत के कुछ भागों में अभी भी की जाती है। यह कृषि भूमि के छोटे टुकड़ों पर आदिम कृषि औजारों, जैसे- लकड़ी के हल, डाओ (Dao) और खुदाई करने वाली छड़ी तथा परिवार या समुदाय श्रम की मदद से की जाती है। इस प्रकार की कृषि प्राय: मानसून, मृदा की प्राकृतिक उर्वरता और फसल उगाने के लिए अन्य पर्यावरणीय परिस्थितियों की उपयुक्तता पर निर्भर करती है। यह ‘ कर्तन दहन प्रणाली’ कृषि है। किसान जमीन के टुकड़े साफ करके उन पर अपने परिवार के भरण-पोषण के लिए
अनाज व अन्य फसलें उगाते हैं।
प्रश्न 2. गहन जीविका कृषि क्या है ? गहन जीविका कृषि के किन्हीं तीन लक्षणों को लिखिए।
उत्तर- गहन जीविका कृषि उन क्षेत्रों में की जाती है जहाँ भूमि पर जनसंख्या का दबाव अधिक होता है। यह श्रम-गहन खेती है जहाँ अधिक उत्पादन के लिए अधिक मात्रा में जैव-रासायनिक निवेशों और सिंचाई का प्रयोग किया जाता है।
गहन कृषि के लक्षण-
(1) वर्ष भर में एक से अधिक फसलें प्राप्त की जाती हैं।
(2) अच्छे बीजों का प्रयोग करने से अधिक उत्पादन होता है और गहनता में वृद्धि होती है। (3) कृषि में यन्त्रों के प्रयोग से कृषि सम्बन्धी अनेक कार्यों को शीघ्रता से निपटाया जा सकता है।
प्रश्न 3. एक पेय फसल का नाम बताएँ तथा उगाने के लिए अनुकूल भौगोलिक परिस्थितियों का विवरण दें।
उत्तर- चाय एक महत्त्वपूर्ण पेय पदार्थ की फसल है, जिसे शुरूआत में अंग्रेज भारत में लाए थे। चाय के लिए भौगोलिक परिस्थितियाँ- चाय का पौधा उष्ण और उपोष्ण कटिबंधीय जलवायु, ह्यूमस और जीवांश युक्त गहरी मृदा तथा सुगम जल निकास वाले ढलवाँ क्षेत्रों में भली-भाँति उगाया जाता है। चाय की झाड़ियों को उगाने के लिए वर्ष भर उष्ण, नम और पालरहित जलवायु की आवश्यकता होती है। वर्ष भर समान रूप से होने वाली वर्षा की बौछारें इसकी कोमल पत्तियों के विकास में सहायक होती हैं। चाय एक श्रम-साध्य उद्योग है।
प्रश्न 4. ‘खरीफ शस्य ऋतु’ की प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर- ‘खरीफ शस्य ऋतु’ की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं
(1) खरीफ फसलें देश के विभिन्न क्षेत्रों में मानसून के आगमन के साथ बोई जाती हैं और सितम्बर-अक्टूबर
में काट ली जाती हैं।
(2) इस ऋतु में बोई जाने वाली मुख्य फसलों में चावल, मक्का, ज्वार, बाजरा, तुअर ( अरहर), मूँग, उड़द, कपास, जूट, मूँगफली और सोयाबीन शामिल हैं।
(3) इनको मानसून फसलों के नाम से भी जाना जाता है
प्रश्न 5. खाद्यान्न फसलों से क्या तात्पर्य है ? खरीफ व रबी की फसल में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर खाद्यान्न फसलें- खाद्यान्न फसलों से हमारा आशय उन फसलों से है जो भोजन के लिए मुख्य पदार्थ का कार्य करती हैं। खाद्यान्न फसलों में अनाज व दालें सम्मिलित हैं, जैसे-चावल, गेहूँ, ज्वार, मक्का, बाजरा, चना, अरहर (तुअर) व अन्य दालें।
खरीफ व रबी की फसल में अन्तर
खरीफ
- यह ऋतु मानसून के आगमन के साथ ही शुरू होती है।
- इसकी प्रमुख फसलें चावल, ज्वार, बाजरा, मक्का, कपास, पटसन और मूँगफली आदि हैं।
- इन फसलों के पकने में कम समय लगता है।
- इन फसलों का प्रति हैक्टेयर उत्पादन कम होता है।
- ये फसलें सितम्बर अक्टूबर में काटी जाती हैं।
रबी
- यह फसल मानसून ऋतु के बाद शरद ऋतु के साथ शुरू होती है।
- इसकी मुख्य फसलें गेहूँ, जौ, चना, सरसों और अलसी, जैसे तेल निकालने के बीज आदि हैं।
- इन फसलों के पकने में अपेक्षाकृत अधिक समय लगता है।
- इन फसलों का प्रति हैक्टेयर उत्पादन अधिक है।
- ये फसलें मार्च-अप्रैल में काटी जाती हैं।
प्रश्न 6. भारत में दालों की उपयोगिता व कृषि के लिए भौगोलिक दशाओं तथा प्रमुख उत्पादक राज्यों के नाम लिखिए।
उत्तर- दालों की उपयोगिता- भारत विश्व में दालों का सबसे बड़ा उत्पादक तथा उपभोक्ता देश है। शाकाहारी खाने में दालें सबसे अधिक प्रोटीनदायक होती हैं। तुअर (अरहर), उड़द, मूँग, मसूर, मटर और चना भारत की मुख्य दलहनी फसलें हैं। भौगोलिक दशाएँ- दालों को कम नमी की आवश्यकता होती है और इन्हें शुष्क परिस्थितियों में भी उगाया जा सकता है। इन फसलों को आमतौर पर अन्य फसलों के आवर्तन (rotating) में बोया जाता है। फलीदार फसलें होने के नाते अरहर को छोड़कर अन्य सभी दालें वायु से नाइट्रोजन लेकर भूमि की उर्वरता को बनाए रखती हैं। प्रमुख उत्पादक का राज्य-भारत में मध्य प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और कर्नाटक दाल
के मुख्य उत्पादक राज्य हैं।
प्रश्न 7. दिन-प्रतिदिन कृषि के अंतर्गत भूमि कम हो रही है। क्या आप इसके परिणामों की कल्पना कर सकते हैं ?
उत्तर- (1) भारतीय कृषि की सबसे बड़ी समस्या देश की तीव्र गति से बढ़ती जनसंख्या है, जिसके कारण भूमि पर जनसंख्या का भार बढ़ता जा रहा है।
(2) भारत में लगभग 83.3 करोड़ लोग लगभग 25 करोड़ हैक्टेयर भूमि पर निर्भर हैं। इस प्रकार एक व्यक्ति के हिस्से में औसतन आधा हैक्टेयर से भी कम कृषि भूमि आती है।
(3) जोतों का औसत आकार भी बहुत छोटा है और इसका वितरण भी असमान है। कृषि योग्य भूमि के क्षेत्रफल को बढ़ाना असम्भव है। (4) 2011 की जनगणना के अनुसार जनसंख्या का घनत्व 384 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर होने केकारण भूमि की आवश्यकता निरन्तर बढ़ रही है। परिणामस्वरूप कम उपजाऊ यहाँ तक कि अनुपजाऊ भूमि
को खेतों में बदला जा चुका है।
प्रश्न 8. चावल तथा गेहूँ के लिए उपयुक्त मिट्टी और जलवायु की दशाओं की तुलना कीजिए।
उत्तर
चावल
- चावल मुख्यत: उष्ण व आर्द्र मानसूनी प्रदेश की उपज है।
- चावल के लिए बोते समय 20° से. और बढ़ते समय 24° से. तथा पकते समय 27° से. तापमान की आवश्यकता होती है।
- चावल के लिए उपजाऊ चिकनी या चीका-दोमट | मिट्टी की आवश्यकता होती है जिससे धान की जड़ें बँधी रहें और पौधा खड़ा रह सके।
- चावल के लिए वार्षिक वर्षा 150 से 200 सेमी आवश्यक है। इससे कम वर्षा वाले भागों में यह सिंचाई के सहारे बोया जाता है।
गेहूँ
- गेहूँ शीतोष्ण कटिबन्धीय उपज है।
- गेहूँ के लिए बोते समय 15° से. तथा पकते समय ऊँचा तापमान 20° से 25° से. होना आवश्यक है।
- गेहूँ के लिए दोमट मिट्टी और चिकनी मिट्टी उत्तम होती है। काली मिट्टी में भी गेहूँ होता है।
- गेहूँ के लिए साधारण वर्षा 50 से 70 सेमी वार्षिक होनी चाहिए। तेज हवाएँ और बादल हानिकारक हैं।
प्रश्न 9. भारत में गेहूँ उत्पादन की आवश्यक भौगोलिक दशाएँ एवं उत्पादन क्षेत्र लिखिए।
उत्तर- भौगोलिक दशाएँ-गेहूँ भारत की दूसरी सबसे महत्त्वपूर्ण खाद्यान्न फसल है। जो देश के उत्तर और उत्तर-पश्चिम भागों में पैदा की जाती है। रबी की फसल को उगाने के लिए शीत ऋतु और पकने के समय खिली धूप की आवश्यकता होती है। इसे उगाने के लिए समान रूप से वितरित 50 से 75 सेमी वार्षिक वर्षा की आवश्यकता होती है।उत्पादन क्षेत्र भारत में गेहूँ उत्पादक मुख्य क्षेत्र हैं-उत्तर-पश्चिम में गंगा-सतलुज का मैदान और दक्कन का काली मिट्टी वाला प्रदेश पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार और राजस्थान के कुछ भाग गेहूँ पैदा करने वाले मुख्य राज्य हैं।
प्रश्न 10. सरकार द्वारा किसानों के हित में किए गए संस्थागत सुधार कार्यक्रमों की सूची बनाएँ।
उत्तर- सरकार द्वारा किसानों के हित में किए गए संस्थागत सुधार कार्यक्रम सरकार द्वारा किसानों के हित में किये गये संस्थागत सुधार कार्यक्रम निम्न हैं
(1) जोतों की चकबंदी, सहकारिता तथा जमींदारी आदि समाप्त करने को प्राथमिकता दी गयी। प्रथम पंचवर्षीय योजना में भूमि सुधार मुख्य लक्ष्य था।
(2) 1980 तथा 1990 के दशकों में व्यापक भूमि विकास कार्यक्रम शुरू किया गया जो संस्थागत और तकनीकी सुधारों पर आधारित था। इस दिशा में उठाए गए कुछ महत्त्वपूर्ण कदमों में सूखा, बाढ़, चक्रवात, आग तथा बीमारी के लिए फसल बीमा के प्रावधान और किसानों को कम दर पर ऋण सुविधाएँ प्रदान करने के लिए ग्रामीण बैंकों, सहकारी समितियों और बैंकों की स्थापना सम्मिलित थे।
(3) किसानों के लाभ के लिए भारत सरकार ने किसान क्रेडिट कार्ड और व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा योजना (पीएआईएस) भी शुरू की है।
(4) किसानों को बिचौलियों से बचाने के लिए न्यूनतम सहायता मूल्य और कुछ महत्त्वपूर्ण फसलों के लाभदायक खरीद मूल्यों की सरकार घोषणा करती है।
दीर्घ उत्तरीय / विश्लेषणात्मक प्रश्न
प्रश्न 1. भारत में प्रचलित ‘गहन जीविका कृषि’ और ‘वाणिज्यिक कृषि की तुलना कीजिए।
उत्तर- ‘गहन जीविका कृषि’ और ‘वाणिज्यिक कृषि’ में अन्तर
(1) गहन जीविका कृषि में किसान अपने लिए उत्पादन करता है जबकि वाणिज्यिक कृषि में उत्पादन बाजार के लिए किया जाता है।
(2) गहन जीविका कृषि में पूँजी का निवेश कम है जबकि वाणिज्यिक कृषि अत्यधिक पूँजी और श्रमिकों की सहायता से की जाती है।
(3) गहन जीविका कृषि उद्योग से सम्बन्धित नहीं है जबकि वाणिज्यिक कृषि में प्राप्त समस्त उत्पादन उद्योग में कच्चे माल के रूप में होता है।
(4) गहन जीविका कृषि की जोतों का आकार छोटा होता है जबकि वाणिज्यिक कृषि में लम्बे-चौड़े क्षेत्र में एकल फसल बोई जाती है। (5) गहन जीविका कृषि उन क्षेत्रों में की जाती है, जहाँ जनसंख्या का दबाव होता है जबकि वाणिज्यिक कृषि उन क्षेत्रों में की जाती है, जहाँ जनसंख्या का दबाव कम होता है।
(6) गहन जीविका कृषि श्रम-गहन खेती है, जहाँ अधिक उत्पादन के लिए अधिक मात्रा में जैव-रासायनिक निवेशों और सिंचाई का प्रयोग किया जाता है जबकि वाणिज्यिक कृषि में आधुनिक निवेशों, जैसे अधिक पैदावार देने वाले बीजों, रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के प्रयोग से उच्च पैदावार प्राप्त करना है।
प्रश्न 2. कृषि उत्पादन में वृद्धि सुनिश्चित करने के लिए सरकार द्वारा किए गए उपाय सुझाइए।
उत्तर- कृषि उत्पादन में वृद्धि सुनिश्चित करने के लिए सरकार द्वारा किए गए उपाए कृषि उत्पादन में वृद्धि सुनिश्चित करने के लिए सरकार द्वारा किये गये उपाय निम्नलिखित है
(1) चकबन्दी द्वारा भूमि को छोटे-छोटे टुकड़ों में बाँटने की प्रथा को बन्द किया गया। अब जोतों का आकार बड़ा हो गया है और उन पर सामूहिक रूप से खेती की जाने लगी है।
(2) जमींदारी प्रथा का कानून द्वारा उन्मूलन हो चुका है। इस प्रकार सरकार और भूस्वामियों के मध्य आने वाले मध्यस्थ समाप्त हो गये हैं।
(3) सिंचाई सुविधाओं तथा रासायनिक उर्वरकों के प्रयोग से भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ी है।
(4) कीड़ों, हानिकारक जीवों, फफूँद तथा खरपतवार से फसलों को बचाने के लिए अब कीटनाशक तथा खरपतवारनाशक दवाएँ प्रयोग में लायी जा रही हैं।
(5) फसल उत्पादन बढ़ाने में कृषि उपकरणों का भी योगदान है। वर्तमान में भारतीय कृषक कृषि में ट्रैक्टरों, हार्वेस्टरों, कम्बाइनों, जल पम्पों तथा स्प्रिंकलरों का खूब प्रयोग करने लगे हैं।
(6) कुछ कृषि क्षेत्रों में एक ही वर्ष में एक के बाद एक तीन फसलें पैदा की जाती हैं। में
(7) राष्ट्रीयकृत बैंक किसानों को आसान शर्तों पर ऋण देने लगे हैं।
(8) कृषि उत्पादन को प्रोत्साहन देने के लिए राष्ट्रीय बीज निगम, केन्द्रीय भण्डार निगम, भारतीय खाद्य
निगम, भारतीय कृषि अनुसन्धान परिषद्, कृषि विश्वविद्यालय, कृषि प्रदर्शन फार्मों, डेयरी विकास बोर्ड तथा ऐसी ही दूसरी संस्थाओं का गठन किया गया है।उपर्युक्त सुधारों के फलस्वरूप भारतीय किसान अपनी आवश्यकताओं से अधिक उपज प्राप्त करने लगा है जिसके फलस्वरूप कृषि अपनी निर्वाह अवस्था से निकलकर व्यापारिक स्वरूप धारण कर रही है।
प्रश्न 3. चावल की खेती के लिए उपयुक्त भौगोलिक परिस्थितियों का वर्णन करें।
उत्तर- चावल की खेती के लिए उपयुक्त भौगोलिक दशाएँ चावल की खेती के लिए उपयुक्त भौगोलिक दशाएँ निम्नलिखित हैं
(1) चावल उष्ण व आर्द्र मानसूनी प्रदेश की उपज है।
(2) चावल बोते समय 20° से. तथा बढ़ते समय 24° से. तथा पकते समय 27° से. तापमान होना चाहिए।
(3) चावल के लिए अधिक आर्द्रता (100 सेमी से अधिक वर्षा) की आवश्यकता होती है। कम वर्षा वाले क्षेत्रों में इसे सिंचाई करके उगाया जाता है।
(4) चावल के लिये चीका, दोमट मिट्टी व डेल्टाई प्रदेशों की मिट्टी उपयुक्त है।
(5) चावल के लिए समतल धरातल एवं सस्ते कुशल श्रमिक आवश्यक हैं, क्योंकि इसमें अधिकांश कार्य हाथ से करना पड़ता है।
प्रश्न 4. प्रारम्भिक जीविका निर्वाह कृषि और वाणिज्यिक कृषि में अन्तर स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर- प्रारम्भिक जीविका निर्वाह कृषि और वाणिज्यिक कृषि में अन्तर
प्रारम्भिक जीविका निर्वाह कृषि
- यह कृषि भूमि के छोटे टुकड़ों पर की जाती है।
- यह आदिम कृषि औजारों, जैसे लकड़ी के हल, डाओ (Dao) और खुदाई करने वाली छड़ी से की जाती है।
- यह कृषि परिवार अथवा समुदाय श्रम की मदद से की जाती है।
- केवल अनाज और अन्य खाद्य फसलें उगाई जाती हैं।
- उर्वरकों और रासायनिक खाद का प्रयोग न करने के कारण भूमि की उत्पादकता कम तथा फसल उत्पादन भी कम होता है।
वाणिज्यिक कृषि
- यह कृषि बड़े क्षेत्रों में की जाती है।
- इस कृषि में आधुनिक यंत्रों और मशीनों का उपयोग होता है।
- यह स्थानीय या आयातित कुशल श्रमिकों द्वारा की जाती है।
- वाणिज्यिक फसलें उगाई जाती हैं।
- आधुनिक निवेशों; जैसे-अधिक पैदावार वाले बीजों, रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के प्रयोग से उच्च पैदावार प्राप्त होती है।
प्रश्न 5. भारत में मोटे अनाज के विषय में एक लेख लिखिए।
अथवा
मोटे अनाज क्या हैं ? भारत में उत्पादित किए जाने वाले मोटे अनाजों के लिए जलवायुवीय स्थितियों व उत्पादन करने वाले राज्यों के विषय में बताइए।
उत्तर
मोटे अनाज
ज्वार, बाजरा और रागी भारत में उगाए जाने वाले मुख्य मोटे अनाज हैं। यद्यपि इन्हें मोटा अनाज कहा जाता है, किन्तु इनमें पोषक तत्वों की मात्रा अत्यधिक होती है। उदाहरण के लिए, रागी में प्रचुर मात्रा में लोहा, कैल्शियम, सूक्ष्म पोषक और भूसी मिलती है।
(1) ज्वार-क्षेत्रफल और उत्पादन की दृष्टि से ज्वार देश की तीसरी महत्त्वपूर्ण खाद्यान्न फसल है। यह फसल वर्षा पर निर्भर होती है। अधिकतर आर्द्र क्षेत्रों में उगाए जाने के कारण इसके लिए सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है।
उत्पादक राज्य– ज्वार के प्रमुख उत्पादक राज्य महाराष्ट्र, कर्नाटक, आन्ध्र प्रदेश और मध्य प्रदेश हैं।
(2) बाजरा– यह बलुई और उथली काली मिट्टी पर उगाया जाता है। यह खरीफ की फसल है। मानसून आगमन के साथ बोई जाती है और सितम्बर-अक्टूबर में काट ली जाती है।
उत्पादक राज्य – राजस्थान, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात और हरियाणा इसके मुख्य उत्पादक राज्य हैं।
( 3 ) रागी – रागी शुष्क प्रदेशों की फसल है और यह लाल, काली, बलुई, दोमट और उथली काली पर अच्छी तरह उगायी जाती है।
उत्पादक राज्य-रागी के प्रमुख उत्पादक राज्य कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखण्ड, सिक्किम, झारखण्ड और अरुणाचल प्रदेश हैं।
(4) मक्का– इस फसल का उपयोग खाद्यान्न व चारा दोनों रूप में होता है। यह खरीफ की फसल है जो 21° सेल्सियस से 27° सेल्सियस तापमान में और पुरानी जलोढ़ मृदा पर अच्छी तरह उगायी जाती है। बिहार जैसे राज्यों में मक्का रबी की ऋतु में भी उगायी जाती है। आधुनिक प्रौद्योगिक निवेशों जैसे उच्च पैदावार देने वाले बीजों, उर्वरकों और सिंचाई के उपयोग से मक्का का उत्पादन बढ़ा है। उत्पादक राज्य कर्नाटक, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना मक्का के प्रमुख उत्पादक राज्य हैं।
Leave a Reply