pariksha adhyayan class 11th इतिहास – HISTORY अध्याय 13 समानता MP BOARD SOLUTION

अध्याय 13
समानता

अध्याय 13 समानता
अध्याय 13
समानता

वस्तुनिष्ठ प्रश्न
बहु-विकल्पीय प्रश्न

1. किस प्रकार की समानता के अभाव में स्वतन्त्रता निष्प्रभावी हो जाती है?
(i) आर्थिक समानता (ii) प्राकृतिक समानता
(iii) सामाजिक समानता (iv) नैतिक समानता।

2. जाति एवं रंगभेद विरोधी आन्दोलन किस समानता की माँग करता है?
(i) सामाजिक समानता (ii) राष्ट्रीय समानता
(iii) राजनीतिक समानता (iv) नागरिक समानता।

3. स्वतन्त्रता एवं समानता को परस्पर पूरक मानने वाला विद्वान् था-
(i) लार्ड एक्टन (ii) डी. टाकचिल
(iii) रूसो (iv) उक्त सभी।

4. 18वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में हुई फ्रांसीसी क्रान्ति का नाम क्या था ?
(i) स्वतन्त्रता (ii) समानता
(ii) भाईचारा (iv) उक्त तीनों।

5. “राजनीति विज्ञान के सम्पूर्ण क्षेत्र में समानता की धारणा से कठिन कोई अन्य धारणा नहीं है।” उक्त कथन निम्न में से किस विद्वान का है ?
(i) गार्नर (ii) लॉस्की
(ii) लासवैल (iv) मिल।

उत्तर-1.(i), 2. (i), 3. (iii), 4. (iv), 5. (ii).

रिक्त स्थान पूर्ति
1. …….. ने व्यक्तियों को प्राकृतिक रूप से समान माना है।
2. भारतीय संविधान में समानता को ……… के रूप में सम्मिलित किया गया है।
3. समानता व्यक्ति के सर्वांगीण विकास के साथ समाज में …….. की स्थापना कराने में
भी सहायक है।
4. समानता ……….से अधिक महत्वपूर्ण है।
5. पूर्ण समानता ………. है।

एक शब्द/वाक्य में उत्तर

1. लम्बे समय से असमानता एवं शोषण के शिकार व्यक्ति जिन पर जन्य व जातिगत विभिन्नताओं के चलते अत्याचार होते रहे हैं, क्या कहलाते हैं ?
उत्तर-वंचित समूह।

2. महिला-पुरुष के समान अधिकारों का पक्ष लेने वाले राजनीतिक सिद्धान्त को किस नाम से पुकारा जाता है ?
उत्तर-नारीवाद।

3. भारत सरकार ने विकलांगता अधिनियम किस वर्ष पारित किया ?
उत्तर-1995.

4. कुछ देशों में सकारात्मक कार्यवाही को किस समता को बढ़ाने के लिए अपनाया जाता है?
उत्तर-अवसरों की समता।

सत्य/असत्य

1. सभी लोगों को राज्य के कार्यों में भाग लेने की समानता, राजनीतिक समानता की श्रेणी में आती है।
2. असमानता होने पर वहाँ किसी भी प्रकार की स्वतन्त्रता की स्थापना हो सकती है।
3. भारत में सामाजिक रीति-रिवाज, सामाजिक समानता एवं राजनीतिक समानता के मार्ग में बाधक हैं।
4. महिला-पुरुष असमानता के चलते कन्या भ्रूण हत्या का पाप समाज में हुआ है।
5. जन्म आधारित असमानता को समाप्त करने हेतु डॉ. आम्बेदकर ने आरक्षण सम्बन्धी प्रावधानों का उल्लेख किया था।

उत्तर-1. सत्य, 2. असत्य, 3. सत्य, 4. सत्य, 5. सत्य।

अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. समानता कितने प्रकार की होती है?
उत्तर- समानता के प्रकारों में सामाजिक समानता, नागरिक समानता, प्राकृतिक समानता, धार्मिक समानता, राजनीतिक समानता, आर्थिक समानता तथा सांस्कृतिक एवं शिश
सम्बन्धी समानता उल्लेखनीय हैं।

प्रश्न 2. स्वतन्त्रता एवं समानता में परस्पर क्या सम्बन्ध है?
उत्तर- स्वतन्त्रता एवं समानता परस्पर एक-दूसरे के पूरक है तथा स्वतन्त्रता के बिना समानता का कोई अस्तित्व नहीं है।

प्रश्न 3. क्या हमारा समाज समानता पर आधारित समाज का उदाहरण हो सकता
उत्तर-हालांकि भारतीय संविधान में मौलिक अधिकारों के अन्तर्गत समानता वर्णित है लेकिन इसके बावजूद भी समाज में अमीर-गरीब, महिला-पुरुष तथा जातिगत असमानताओं
के उदाहरण प्रतिदिन देखने को मिलते हैं।

प्रश्न 4. समाजवाद की अवधारणा को समझाते हुए भारत के
प्रमुख समाजवादी चिन्तक का नाम लिखिए।
उत्तर-समाजवाद का अभिप्राय असमानताओं को न्यूनतम करके संसाधों का न्यायपूर्ण बँटवारा करना है। भारत के प्रमुख समाजवादी चिन्तक राम मनोहर लोहिया थे।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. समानता का अर्थ व प्रकार लिखिए।
अथवा
समानता के किन्हीं तीन प्रकारों का वर्णन कीजिए।
उत्तर-समानता का अर्थ-समानता का अर्थ उन परिस्थितियों के अस्तित्व से है जिसमें सभी लोगों को अपने व्यक्तित्व के विकास के लिए समान अवसर प्राप्त हो सके तथा
उस असमानता का अन्त हो जाये जिसका मूल सामाजिक विषमता है। समानता का अर्थ स्पष्ट करते हुए लॉस्की ने कहा है कि, “समानता प्रत्येक व्यक्ति को अपनी शक्तियों का उपयोग करने का यथाशक्ति समान अवसर प्रदान करने का प्रयास है।”
[समानता के प्रकार अथवा भेद के लिए दीर्घ उत्तरीय प्रश्न संख्या 1 का उत्तर देखें |]

प्रश्न 2. आर्थिक असमानता को दूर करने के कोई तीन उपाय लिखिए।
उत्तर- आर्थिक असमानता को दूर करने हेतु निम्नलिखित उपाय किये जाने जरूरी है-
(1) प्रत्येक व्यक्ति को उसकी योग्यताओं के अनुरूप काम दिया जाना चाहिए तथा उसके द्वारा किए गये कार्य के अनुरूप ही उसे वेतन एव अन्य सुविधाएँ प्रदत्त की जानी चाहिए।
(2) जब तक सभी लोगों के जीवन की न्यूनतम जरूरत पूर्ण न हो, तब तक किसी भी व्यक्ति को विलासिता का जीवन व्यतीत करने का अधिकार नहीं होना चाहिए। यहाँ लॉस्की
का यह कथन उल्लेखनीय है कि, “जब मेरे पड़ौसी को रोटी प्राप्त नहीं होती, तो मुझे केक खाने का अधिकार नहीं है।”
(3) आर्थिक असमानता को दूर करने के लिए आर्थिक संगछा कुछ इस तरह का होना चाहिए कि सर्वप्रथम प्रत्येक व्यक्ति को मानवीय जीवन जीने के लिए आर्थिक साधन मिल
सके।

प्रश्न 3. नागरिक समानता का क्या महत्त्व है?
उत्तर- मानवीय जीवन में स्वतन्त्रता अत्यधिक उपयोगी है। स्वतन्त्रता की रक्षा एवं नागरिकों के व्यक्तित्व का विकास समानता द्वारा ही सम्भव है। राज्य का सदस्य होने की वजह
से प्रत्येक नागरिक को विकास हेतु समान नागरिक सुविधाएँ हासिल होती है। शिक्षा, सम्पत्ति, विचार अभिव्यक्ति, समुदाय का निर्माण, आवास तथा भ्रमण सम्बन्धी अधिकार हमें राज्य
द्वारा ही मिलते हैं। इन नागरिक अधिकारों को प्रदान करते समय राज्य जाति, वर्ण, धर्म, लिंग तथा सम्पत्ति इत्यादि के आधार पर कोई भेदभाव नहीं करता। अत समय नागरिक समानताएँ लोकतन्त्र का आधार है। वही लोकतन्त्र श्रेष्ठ होता है जिसमें नागरिकों के मूलभूत अधिकारों एवं कर्तव्यों की समानता हो। अत: कहा जा सकता है कि नागरिक समानता का काफी महत्त्व है तथा इसकी उपेक्षा नहीं की जा सकती।

प्रश्न 4. समानता का महत्व लिखिए।
उत्तर- दीर्घ उत्तरीय प्रश्न संख्या 2 के उत्तर से कोई तीन बिन्दु देखें।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. समानता का अर्थ व परिभाषा लिखते हुए उसके विभिन्न प्रकारों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
अथवा
समानता के प्रकारों को लिखते हुए किसी एक को समझाइए।
उत्तर-[समानता के अर्थ व परिभाषा के लिए लघु उत्तरीय प्रश्न संख्या । के उत्तर में ‘समानता का अर्थ’ शीर्षक देखें।]
समानता के प्रकार समानता के प्रकार अथवा रूपों अथवा भेदों को संक्षेप में निम्न प्रकार स्पष्ट किया जा सकता है-
(1) सामाजिक समानता-इसका आशय है कि समाज में विशेषाधिकारों का अन्त हो जाना चाहिए तथा सामाजिक दृष्टिकोण से सभी व्यक्तियों को एक समान समझा जाना चाहिए। समाज में वंश, जाति, नस्ल, सम्प्रदाय तथा लिंगीय आधार पर किसी भी प्रकार का कोई भी भेदभाव नहीं किया जाना चाहिए।
(2) धार्मिक समानता-सभी धर्म समान हैं तथा सभी व्यक्तियों को समान रूप से अपने अपने धर्म का पालन करने की पूर्ण आजादी है। राज्य द्वारा धार्मिक आधार पर किसी
व्यक्ति अथवा सम्प्रदाय के साथ कोई भेदभाव नहीं किया जाता है। यहाँ यह उल्लेखनीय है कि इस प्रकार की समानता सिर्फ धर्मनिरपेक्ष राज्य में ही हो सकती है।
(3) आर्थिक समानता-समानता के इस प्रकार का आशय है कि सभी व्यक्तियों को आवश्यकतानुसार उत्तम जीवन हेतु पर्याप्त सुविधाएँ प्राप्त हों, जिससे कि वे अपनी न्यूनतम
जरूरतों की पूर्ति कर सकें। स्वामित्व की दृष्टि से कोई ऐसी स्थिति न हो कि वह दूसरे का शोषण कर सके।
(4) राजनीतिक समानता-सभी लोगों द्वारा बिना किसी भेदभाव के समान रूप से शासकीय कार्यों में भाग लेने के लिए अवसर को राजनीतिक समानता की श्रेणी में रखा जाता है।
(5) अवसर की समानता-अवसर की समानता का तात्पर्य राज्य द्वारा अपने सभी नागरिकों को उनके शैक्षिक, सांस्कृतिक, नैतिक एवं सर्वांगीण विकास हेतु समानता के आधार पर अवसर उपलब्ध कराना है।
(6) वैधानिक समानता-इस प्रकार की समानता से तात्पर्य यह है कि कानून की दृष्टि से सभी व्यक्ति समान हैं तथा सभी को बिना किसी भेदभाव के कानून का समान संरक्षण
हासिल है।

प्रश्न 2. समानता के महत्त्व को समझाइए।
उत्तर- समानता का महत्त्व
समानता के महत्त्व को संक्षेप में निम्न प्रकार स्पष्ट किया जा सकता है-
(1) स्वाभाविक मानवीय इच्छा-प्रत्येक व्यक्ति चाहता है कि उसके साथ वही व्यवहार किया जाए जो अन्य लोगों के साथ किया जा रहा है। विभेदपूर्ण व्यवहार उसे अपार
कष्ट पहुंचाता है।
(2) व्यक्तित्व विकास हेतु परमावश्यक-समानता का व्यवहार प्रत्येक व्यक्ति के व्यक्तित्व हेतु परमावश्यक होता है। समानता के अभाव में मनुष्य के नैतिक विकास की कल्पना
नहीं की जा सकती है।
(3) आदर्श समाज का आधार स्तम्भ-समानता आदर्श भावी समाज का आधार स्तम्भ है। एक आदर्श समाज तभी सम्भव है जब व्यक्ति को किसी भी भेदभाव के बिना विकास
की परिस्थितियाँ तथा समान अवसर प्रदत्त किए जाएँ।
(4) लोक कल्याणकारी राज्य के अनुकूल-जब से लोककल्याणकारी राज्य के प्रादुर्भाव हुआ है, तभी से समानता की अवधारणा राजनीतिक जीवन का एक अभिन्न हिस्सा बन गई है। शताब्दियों से राज्य का प्रमुख आदर्श समानता ही रही है।
(5) अशान्ति तथा अव्यवस्था से रक्षा करने में सहायक-समानता के महत्त्व के एक बिन्दु यह भी है कि ये अशान्ति तथा अव्यवस्था से रक्षा करने में सहायक सिद्ध होती है। अगर समाज में असमानता एवं भेदभाव होगा, तब अशान्ति तथा अव्यवस्था की स्थिति उत्पन्न हो जायेगी। समानता के अभाव में स्वतन्त्रता भी निरर्थक ही रहेगी।

प्रश्न 3. समानता एवं स्वतन्त्रता के सम्बन्धों की संक्षिप्त विवेचना कीजिए।
अथवा
“समानता एवं स्वतन्त्रता परस्पर एक दूसरे के पूरक होते हैं।” स्पष्ट कीजिए।
अथवा
“आर्थिक समानता के बिना राजनीतिक स्वतन्त्रता निरर्थक है।” स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- समानता तथा स्वतन्त्रता विरोधी न होकर परस्पर एक-दूसरे की पूरक हैं। राजनीतिक स्वतन्त्रता के अन्तर्गत शासन में भाग लेने, उसके सम्बन्ध में मत व्यक्त करने,
अपना मत देने, राजकीय पद ग्रहण करने तथा चुनाव लड़ने इत्यादि की स्वतन्त्रता आती है, लेकिन कोई भी व्यक्ति अपनी इन स्वतन्त्रताओं का प्रयोग तभी कर सकता है जब समाज में
आर्थिक समानता हो। सभी लोगों को जब आर्थिक विकास के अवसर समान रूप से मिलेंगे, तब समाज धनवान एवं निर्धन, पूँजीपति व मजदूर तथा शोषक एवं शोषित वर्ग में विभक्त नहीं होगा।
आर्थिक समानता होने पर धनवान गरीब से, पूँजीपति श्रमिक से तथा शोषक शोषितों से दबाव
डालकर अथवा किसी तरह का लालच देकर उनका मत हासिल नहीं कर सकेगा। आर्थिक
असमानता होने पर ही लोग आर्थिक लाभ के लिए अपने मतों को बेचते हैं। अत: राजनीतिक स्वतन्त्रता के उपभोग हेतु परमावश्यक है कि आर्थिक समानता की स्थापना हो। इसी प्रकार, आर्थिक समानता की स्थापना राजनीतिक स्वतन्त्रता पर निर्भर है।

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