pariksha adhyayan class 11th इतिहास – HISTORY अध्याय 20 विकास MP BOARD SOLUTION

अध्याय 20
विकास

अध्याय 20 विकास
अध्याय 20
विकास

वस्तुनिष्ठ प्रश्न
बहु-विकल्पीय प्रश्न
1. प्रगति, कल्याण एवं बेहतर जीवन की अभिलाषा के विचारों का वाहक है-
(i) समाज (ii) धर्म (iii) विकास (iv) सरकार।

2. लोकतन्त्र तथा विकास दोनों का सरोकार निम्नांकित में से किससे है-
(i) औद्योगीकरण (ii) तकनीकी विकास
(iii) आधुनिकीकरण (iv) जनसाधारण की बेहतरी।

3. “विकास मन की एक अवस्था, झुकाव तथा दिशा है।” उक्त परिभाषा है-
(i) एडवर्ड वीडनरे (ii) मैकेंजी
(iii) कार्ल मार्क्स (iv) राबर्ट डहल।

4. विकास है-
(i) स्थाई धारणा (ii)गतिशील धारणा
(iii) गतिहीन धारणा (iv) इनमें कोई धारणा नहीं।

5. 1950-60 में नव स्वतन्त्र हुए अविकसित अथवा विकासशील देशों के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती थी-
(i) गरीबी एवं निरक्षरता (ii) बेरोजगारी
(iii) कुपोषण (iv) उक्त सभी समस्याएँ।

उत्तर-1.(iii), 2. (iv), 3. (1), 4. (ii), 5. (iv).

रिक्त स्थान पूर्ति

1. विकास की धारणा का तेजी से प्रसार…….के मध्य से होना शुरू हुआ।

2. विकास ने ……….. एवं असन्तुलन को जन्म तथा बढ़ावा दिया है।

3…………के फलस्वरूप प्राय: दलित, जनजाति एवं गरीब लोग विस्थापित होते हैं।

4. विकास के आधार पर विश्व के देशों को सामान्य रूप से ……….. में बाँटा जाता है।

5. वर्तमान विश्व विकास के……..मॉडल का अनुसरण कर रहा है।

उत्तर-1. 20वीं शताब्दी, 2. पर्यावरण प्रदूषण,
3. बड़ी परियोजनाओं, 4. तीन भागों,

एक शब्द/वाक्य में उत्तर

1. ‘मूवमेंट फॉर सरवाइबल ऑफ ओगोनी प्यूपिल’ आन्दोलन किसके द्वारा चलाया गया?
उत्तर-केन सारो वीवा।

2. ग्रीन हाउस गैसों के तीव्र उत्सर्जन की वजह से कहाँ पर बर्फ पिघल रही है ?
उत्तर-आर्कटिक तथा अंटार्कटिक ध्रुवों पर।

3. संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम विकास को मापने हेतु कौन-सा दस्तावेज प्रतिवर्ष प्रकाशित करता है?
उत्तर-मानव विकास प्रतिवेदन।

4. नैसर्गिक संसाधनों पर अधिकार का मुद्दा किन लोगों द्वारा उठाया जाता है ?
उत्तर-आदिवासियों तथा वनवासियों द्वारा।

5. यदि किसी देश के बच्चे विद्यालय न जाकर कोई काम-धन्धा कर रहे हैं तब यह विकास के सम्बन्ध में किस बात का परिचायक है ?
उत्तर-देश के पिछड़ेपन अथवा अविकसित होने।

सत्य/असत्य

1. विकास ने पर्यावरण को किसी भी प्रकार की क्षति नहीं पहुँचाई है।
2. विकास की प्रक्रिया ने समाज एवं पर्यावरण दोनों को ही प्रभावित नहीं किया है।
3. विकासशील देशों की प्रमुख समस्या रोटी, कपड़ा और मकान है।
4. विकास शब्द का सम्बन्ध समाज के प्रत्येक पहलू से है।
5. विकास के मामले में नए स्वतन्त्र हुए देशों का मुकाबला पश्चिमी यूरोप के धनी देशों तथा अमेरिका से था।

उत्तर-1. असत्य, 2. असत्य, 3. सत्य,4.सत्य, 5. सत्य।

अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. विकास के कोई दो उद्देश्य लिखिए।
उत्तर-(1) विकास प्रक्रिया को लोकतान्त्रिक प्रणाली द्वारा चलाना तथा (2) बेरोजगारी की समस्या को दूर करना।

प्रश्न 2. विकास के कोई दो प्रतिरूपों अथवा मॉडलों के नाम लिखिए।
उत्तर-(1) विकास का गाँधीवादी प्रतिरूप अथवा मॉडल तथा (2) विकास का समाजवादी मॉडल।

प्रश्न 3. विकास की प्रचलित अवधारणा किस नियम पर आधारित है?
उत्तर-विकास की प्रचलित अवधारणा ‘ऊपर से नीचे’ के नियम पर आधारित है। इस अवधारणा से यह उम्मीद (आशा) थी कि समाज में लाभ ऊपर से नीचे की ओर बह-बहकर
समाज के सबसे गरीब तथा वंचित वर्गों तक पहुँचेगा। लेकिन दुर्भाग्य से ऐसा हो नहीं पाया है।

प्रश्न 4. विकास की ऊपर से नीचे’ की रणनीति के दो परिणाम बताइए।
उत्तर-(1) विकास को ऊपर से नीचे’ की रणनीति अत्यधिक महँगी सिद्ध हुई। इसकी वित्तीय लागत अधिक होने की वजह से विकासशील देशों को विकसित देशों से आर्थिक
सहायता एवं ऋण लेना पड़ा और (2) इस रणनीति की वजह से बड़ी संख्या में लोगों को अपने घरों एवं क्षेत्रों से विस्थापित होना पड़ा, जिससे संस्कृति एवं आजीविका को क्षति पहुँची।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. विकास के कोई चार लक्ष्य लिखिए।
उत्तर-विकास के चार प्रमुख लक्ष्य निम्न प्रकार हैं-
(1) विकास का सर्वाधिक महत्वपूर्ण लक्ष्य निर्धन अर्थात् गरीब व्यक्तियों की न्यूनतम जरूरतों को पूरा करना है।
(2) विकास का दूसरा महत्वपूर्ण लक्ष्य आर्थिक पुनर्निर्माण द्वारा निर्धनता एवं बेरोजगारी को जड़ सहित उखाड़ फेंकना है।
(3) विकास का एक अन्य लक्ष्य अपने सम्बन्धित देश को और अधिक आत्मनिर्भर बनाना भी है।
(4) विकास का चौथा लक्ष्य प्राकृतिक संसाधनों का विकास एवं उनका संरक्षण करना है।

प्रश्न 2. विकास के गांधीवादी दृष्टिकोण (मॉडल) की कोई चार विशेषताएं लिखिए।
उत्तर-विकास के गाँधीवादी मॉडल की प्रमुख विशेषताएँ निम्न प्रकार हैं-
(1) गाँधीवाद की स्पष्ट मान्यता है कि व्यक्ति न केवल भौतिक प्राणी है, बल्कि सैकड़ों श्रेष्ठतम प्रवृत्तियों वाला मानव है। अतः उसे अपनी आत्मा को विकसित करके जनकल्याणकारी
कार्य करने चाहिए।
(2) विकास का गाँधीवादी मॉडल आर्थिक विकेन्द्रीकरण पर विशेष जोर देता है।
(3) विकास के गाँधीवादी दृष्टिकोण का मानना है कि ईश्वर को प्राप्त करने का सर्वश्रेष्ठ साधन मानव की सेवा है। अत: नर सेवा ही नारायण सेवा है।
(4) गाँधीजी जनसाधारण को विकास के एकसमान अवसर के प्रबल हिमायती थे। उनकी स्पष्ट मान्यता थी कि जिस व्यक्ति के पास धन (पूँजी) है, वह उसे समाज की धरोहर
मानते हुए उसका प्रयोग लोककल्याण हेतु करेगा।

प्रश्न 3. विकास के समाजवादी प्रतिमान (मॉडल) की कोई चार विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर-विकास के समाजवादी मॉडल की चार प्रमुख विशेषताएँ निम्न प्रकार हैं-
(1) विकास का समाजवादी दृष्टिकोण (मॉडल) उत्पादन तथा वितरण के साधनों को सम्पूर्ण समाज की सम्पत्ति मानता है। अतः समाजवादी उत्पादन एवं वितरण के साधनों पर राज्य
का अंकुश अर्थात् नियन्त्रण स्थापित करना चाहते हैं।
(2) विकास का समाजवादी प्रतिमान (मॉडल) आर्थिक क्षेत्र में स्वतन्त्र प्रतिस्पद्धां समाप्त करके सहयोग की भावना विकसित करने का प्रबल हिमायती (पक्षधर) है।
(3) विकास का उक्त दृष्टिकोण व्यक्ति के स्थान पर समाज को अधिक महत्व देता है। इस दृष्टिकोण की मान्यता है कि समाज का अधिकाधिक विकास किया जाना चाहिए।
(4) विकास के इस दृष्टिकोण की एक विशेषता यह भी है कि ये नियोजित अर्थव्यवस्था का प्रबल समर्थक है। विकास के समाजवादी मॉडल का स्पष्ट रूप से मानना है कि नियोजित
अर्थव्यवस्था द्वारा ही किसी देश का विकास किया जा सकता है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. भारत में विकास की प्रमुख समस्याओं को संक्षेप में समझाइए।
उत्तर- भारत में विकास की समस्याएँ
भारत में विकास की अनेक समस्याएँ हैं, जिन्हें संक्षेप में निम्न प्रकार स्पष्ट किया जा सकता है-
(1) परिवर्तित परिस्थितियों के अनुकूल नहीं-भारत में परिवर्तित परिस्थितियों के अनुकूल प्रशासन अपने आप को पूर्णरूपेण बदलने में असफल रहा है। अभी भी विकास
प्रशासन के अभिकरण अधिक प्रभावी तथा शक्तिशाली नहीं बन सके हैं, परिणामस्वरूप उनकी निर्भरता नियामकीय प्रशासन पर बनी रहती है। हमारे यहाँ नियामकीय प्रशासन अपने दैनिक क्रियाकलापों में ही इतना उलझा रहता है कि वह विकासात्मक प्रशासन को वांछित सहायता नहीं कर पाता, क्योंकि उसके लिए कानून एवं व्यवस्था की समस्या ही इतनी गम्भीर है कि वह उसी के मकड़जाल में फंसा रहता है।
(2) राजनीतिज्ञों का हस्तक्षेप-वर्तमान प्रशासन में राजनेताओं का हस्तक्षेप दिन-प्रतिदिन बढ़ता ही चला जा रहा है। एक ओर जहाँ प्रशासनिक अधिकारी पर विश्वास की कमी है तथा राजनीतिज्ञ उससे अपने पक्ष के कार्य क्रियान्वित कराना चाहते हैं, वहीं दूसरी ओर, प्रशासनिक वर्ग अपने ज्ञान एवं विशेषज्ञता की वजह से राजनेताओं को महत्व नहीं देता है। इस सभी का विकास पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
(3) स्थानीय संस्थाओं की कार्यप्रणाली में परिवर्तन नहीं- भारत में विकास की एक समस्या यह भी है कि स्थानीय संस्थाओं को संवैधानिक बनाए जाने के बावजूद भी उनकी
कार्यप्रणाली में अपेक्षित परिवर्तन नहीं हुआ है। पिछले कुछ समय से यह देखने में आया है कि स्थानीय संस्थाओं ने विकास सम्बन्धी कार्यों में कोई विशेष सफलता अर्जित नहीं की है। यहाँ नीति निर्माण तथा क्रियान्वयन में जनसाधारण की सहभागिता की कमी है। विकास की उक्त समस्याओं से स्पष्ट है कि अभी भारत विकास की समस्याओं का पूर्णरूपेण समाधान नहीं कर पाया है। प्रायः सभी विकासशील देशों में विकास में बाधाएँ एव समस्याएँ आती ही हैं। वर्तमान में उक्त समस्याओं के बाद भी भारत ने प्रत्येक क्षेत्र में विकास किया है तथा हमारा देश निरन्तर विकास की ओर तेजी से बढ़ रहा है।

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