Pariksha Adhyayan Economics इकाई4 विचलन के माप in Hindi Class 11th Arthashastra mp board

इकाई4
विचलन के माप

इकाई4 विचलन के माप
इकाई4
विचलन के माप

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

* बहु-विकल्पीय प्रश्न

1. 300, 310, 308,210, 330 एवं 400; इनका विस्तार है-
(i) 200
(i) 210
(HI) 190
(iv) 308.
2. “पदों के विचरण का माप ही अपकिरण है।” यह कथन किसका है?
(ii) ब्रुक्स एवं डिक
(iii) काफ्का
(iv) कॉर्नर।

3. प्रमाप विचलन की गणना की जाती है-
मा समान्तर माध्य से
(ii) बहुलक से
(iii) माध्यिका से
(iv) सभी से।

4. प्रमाप विचलन का गुणांक ज्ञात करने का सूत्र है-
(i) M
(ii)
(iii) A
उत्तर-1.(iii), 2. (i), 3. (1), 4. (iv)|

* रिक्त स्थान पूर्ति
1. समंकों के बिखराव के माप का आशय है।
2. चतुर्थक विस्तार का सूत्र है।
3. प्रमाप विचलन का विचार
ने दिया था।
4. माध्य विचलन चरम पदों से प्रभावित होता है।
उत्तर-1. विचरण, 2.Q.D. =
2
, 3. कार्ल पियर्सन, 4. कम।

* सत्य/असत्य

1. माध्य विचलन ज्ञात करने के लिए विचलन किसी भी माध्य से लिए जा सकते हैं।
2. प्रमाप विचलन एक आदर्श व वैज्ञानिक माप है।
3. विस्तार किसी वितरण में अधिकतम एवं न्यूनतम मानों के बीच का अन्तर है।
4. अन्तर चतुर्थक विस्तार, किसी वितरण में माध्य में 25% मानों पर आधारित होता है।
5. प्रमाप विचलन का सूत्र-
उत्तर-1. सत्य, 2. सत्य, 3. सत्य, 4. असत्य, 5. असत्य।

* एक शब्द/वाक्य में उत्तर
1. श्रेणी के प्रत्येक मूल्य पर आधारित माप है।
उत्तर-माध्य विचलन।

2. माध्य विचलन का सूत्र बताइए।
उत्तर-63

3. प्रमाप विचलन का विचार किसने दिया?
उत्तर-कार्ल पियर्सन।

4. किसी श्रेणी के विभिन्न पदों के निरपेक्ष विचलनों का समान्तर माध्य क्या कहलाता है ?
उत्तर-प्रमाप विचलन।

अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. अपकिरण से क्या आशय है?
उत्तर-अपकिरण का शाब्दिक अर्थ ‘बिखराव’ या ‘फैलाव’ है, अर्थात् इसके द्वारा यह पता लगाने का प्रयास करते हैं कि समंकों या आवृत्ति वितरण में एकरूपता है या विविधता। बाउले के अनुसार, “अपकिरण पदों के विचरण या अन्तर का एक नाप है।”
स्पीगेल के अनुसार, “संख्यात्मक आँकड़े एक माध्य मूल्य के दोनों ओर फैलने की जिस सीमा तक प्रवृत्ति रखते हैं, उस सीमा को उन आँकड़ों का विचरण या अपकिरण कहते हैं।”

प्रश्न 2. अपकिरण मापने की प्रमुख विधियाँ कौन-सी हैं ? केवल नाम बताइए।
उत्तर-अपकिरण मापने की प्रमुख विधियाँ हैं-(1) विस्तार, (2) चतुर्थक विचलन, (3) माध्य विचलन तथा (4) प्रमाप विचलन।

प्रश्न 3. विस्तार से क्या आशय है ?
उत्तर-विस्तार (Range)-यह अपकिरण का सबसे सरलतम माप है। विस्तार किसी वितरण में अधिकतम (H) एवं न्यूनतम (L) मानों के बीच का अन्तर है। इसको निम्न सूत्र द्वारा ज्ञात करते हैं-
जहाँ,
R=L-S
R= विस्तार
L- श्रेणी का सबसे बड़ा मूल्य
S = श्रेणी का सबसे छोटा मूल्य।

प्रश्न 4. विस्तार गुणांक (Coefficient of Range) से क्या आशय है ?
उत्तर-विस्तार गुणांक (Coefficient of Range)-अपकिरण के तुलनात्मक अध्ययन के लिए विस्तार का सापेक्ष माप ज्ञात करना जरूरी होता है। इस सापेक्ष माप को विस्तार-गुणांक कहते हैं। सूत्र के रूप में- विस्तार गुणांक (C.R.) = Lई

प्रश्न 5. चतुर्थक विचलन किसे कहते हैं ?
उत्तर-चतुर्थक विचलन (Quartile Deviation)-चतुर्थक विचलन किसी समंकमाला में तृतीय चतुर्थक (Q3) और प्रथम चतुर्थक (Q1) के अन्तर का आधा होता है।

प्रश्न 6. माध्य विचलन से क्या आशय है ?
उत्तर-माध्य विचलन श्रेणी के किसी माध्य (जैसे-माध्य, माध्यिका या बहुलक) से ज्ञात किए गये विभिन्न मूल्यों का समान्तर माध्य है। दूसरे शब्दों में, माध्य-विचलन किसी श्रेणी के समस्त मूल्यों के विचलनों (Deviations) का माध्य है।

प्रश्न 7. माध्य विचलन का सबसे बड़ा दोष क्या है ?
उत्तर-माध्य विचलन का सबसे बड़ा दोष यह है कि इसमें (+) तथा (-) के बीजगणितीय चिह्नों को छोड़ दिया जाता है, अर्थात् सभी मूल्यों को धनात्मक मान लिया जाता है, जो कि गणितीय दृष्टि से अशुद्ध है।

प्रश्न 8. लॉरेन्ज वक्र के कोई दो गुण लिखिये। (2019)
उत्तर-(1) लॉरेन्ज वक्र द्वारा दो या अधिक समंकमालाओं के अपकिरण की तुलना सरलता से की जा सकती है।
(2) लॉरेन्ज वक्र आकर्षक और प्रभावशाली होता है, जिसका मस्तिष्क पर अच्छा प्रभाव पड़ता है।

प्रश्न 9. माध्य विचलन की गणना में किस माध्य को सबसे उपयुक्त माना जाता है ?
उत्तर-माध्य विचलन किसी भी माध्य (समान्तर माध्य, माध्यिका या बहुलक) द्वारा निकाला जा सकता है, परन्तु व्यवहार में माध्यिका (Median) का ही अधिक प्रयोग किया जाता है क्योंकि यह स्थिर, निश्चित तथा प्रतिनिधि माध्य है और इससे लिये गए विचलनों को जोड़ भी न्यूनतम होता है।

लघु उत्तरीय प्रश्न
I ,माध्य विचलन से क्या आशय है ? इसके दोष लिखिए।
अथवा
माध्य विचलन के दो दोष लिखिए।
अथवा
माध्य विचलन के दो गुण एवं दो दोष बताइए।
उत्तर-माध्य विचलन से आशय-माध्य विचलन से आशय समंकमाला में केन्द्रीय प्रवृत्ति के किसी माप या किसी भी सांख्यिकीय माध्य (समान्तर माध्य, माध्यिका या बहुलक)
से निकाले गये विभिन्न मूल्यों के विचलनों के समान्तर माध्य से है।
माध्य विचलन के गुण-(1) माध्य विचलन की गणना किसी भी माध्य से की जा सकती है।
(2) माध्य विचलन को समझना व इसकी गणना करना अधिक सरल होता है।
(3) यह श्रेणी के सभी मूल्यों पर आधारित होता है। इसलिए इससे श्रेणी की बनावट की उचित जानकारी प्राप्त होती है।
दोष-(1) माध्य विचलन का सबसे बड़ा दोष यह है कि विचलन निकालते समय बीजगणितीय चिह्न (+) व (-) को छोड़ दिया जाता है।
(2) यह एक अनिश्चित माप है क्योंकि यह समान्तर माध्य, माध्यिका व बहुलक में से किसी भी माध्य से ज्ञात किया जा सकता है।

प्रश्न 2. प्रमाप विचलन किसे कहते हैं ? प्रमाप विचलन के कोई दो दोष लिखिए।
अथवा
प्रमाप विचलन के दो दोष लिखिए।
उत्तर-प्रमाप विचलन से आशय-किसी श्रेणी के समान्तर माध्य से निकाले गये उसके विभिन्न पद मूल्यों के विचलनों के वर्गों के माध्य का वर्गमूल, उस श्रेणी का प्रमाप
विचलन होता है।
प्रमाप विचलन (O) =
दोष-(1) प्रमाप विचलन में वर्ग और वर्गमूलों की गणना करनी होती है, जो तुलनात्मक रूप से कठिन होती है।
(2) यह चरम मूल्यों को अत्यधिक महत्व देता है।

प्रश्न 3. माध्य विचलन और प्रमाप विचलन में अन्तर बताइए।
उत्तर-(1) माध्य विचलन गणना में अधिक सरल है, परन्तु वे गणितीय गुण जो प्रमाप विचलन में पाये जाते हैं, इस मापन में अनुपस्थित हैं और बीजगणितीय विवेचना सम्भव नहीं है।
(2) माध्य विचलन में सीमान्त मूल्यों का प्रभाव पड़ता है, लेकिन प्रमाप विचलन की तुलना म कम पड़ता है।
(3) माध्य विचलन की गणना किसी भी माध्य से हो सकने के कारण अनिश्चित है, जबकि प्रमाप विचलन की गणना केवल समान्तर माध्य से होने के कारण निश्चित एवं स्पष्ट है।
(4) माध्य विचलन की गणना सरल है, जबकि प्रमाप विचलन की गणना तुलनात्मक रूप से कठिन है क्योंकि इसमें वर्ग और वर्गमूल की गणना करनी होती है।

प्रश्न 4. प्रमाप विचलन को एक आदर्श और वैज्ञानिक माप’ क्यों कहा जाता है, ?
अथवा
प्रमाप विचलन के कोई दो गुण लिखिए।
उत्तर-प्रमाप विचलन को अपकिरण का एक आदर्श और वैज्ञानिक माप माना जाता है, इसके निम्नलिखित कारण हैं-
(1) प्रमाप विचलन समान्तर माध्य से निकाला जाता है जो कि एक आदर्श माध्य है।
(2) अपने बीजगणितीय गुणों के कारण प्रमाप विचलन उच्चतर गणितीय रीतियों में
प्रयोग हेतु उपयुक्त है। इसमें बीजगणितीय चिह्नों (+) व (-) को ध्यान में रखा जाता है।
(3) यह एक निश्चित तथा स्पष्ट माप है जो प्रत्येक स्थिति में ज्ञात किया जाता है।
(4) यह श्रेणी के सभी मूल्यों पर आधारित होता है।

प्रश्न 5. अपकिरण का अर्थ बताइए एवं इसकी गणना के तीन उद्देश्य लिखिए।
उत्तर-अपकिरण का शाब्दिक अर्थ ‘बिखराव’ या ‘फैलाव’ है, अर्थात् इसके द्वारा यह पता लगाने का प्रयास करते हैं कि समंकों या आवृत्ति वितरण में एकरूपता है या विविधता।
बाउले के अनुसार, “अपकिरण पदों के विचरण या अन्तर का एक नाप है।” स्पीगेल के अनुसार, “संख्यात्मक आँकड़े एक माध्य मूल्य के दोनों ओर फैलने की जिस सीमा तक प्रवृत्ति रखते हैं, उस सीमा को उन आँकड़ों का विचरण या अपकिरण कहते हैं।
उद्देश्य-लघु उत्तरीय प्रश्न 8 का उत्तर देखें।

प्रश्न 6. माध्य विचलन का अर्थ बताइए। माध्य विचलन ज्ञात करते समय ध्यान रखने योग्य दो बातें बताइए।
उत्तर-माध्य विचलन का अर्थ-प्रश्न । का उत्तर देखें।
माध्य विचलन ज्ञात करते समय ध्यान रखने योग्य बातें-

(1) माध्य विचलन की गणना करते समय यह आवश्यक है कि समस्त विचलन से धनात्मक रूप में व्यवहार किया गया हो (अर्थात् धनात्मक व ऋणात्मक चिह्नों पर ध्यान न दिया हो)।
(2) माध्य विचलन की गणना के लिये माध्य या माध्यिका से विचलन की गणना करनी चाहिए। इसके उपग्रन्त, समस्त विचलन के योग को मदों की संख्या से भाग कर देना चाहिए।
प्रश्न. चतुर्थक विचलन के गुण-दोष बताइए।
उत्तर-चतुर्थक विचलन के गुण-(1) चतुर्थक विचलन को समझना व इसकी गणना करना सरल है।
(2) चतुर्थक विचलन की गणना खुले सिरे वाली श्रेणी में भी की जा सकती है।
(3) अपकिरण की विधि पर सीमान्त मूल्यों का बहुत कम प्रभाव पड़ता है।
दोष-(1) चतुर्थक विचलन श्रृंखला के सभी मूल्यों पर आधारित नहीं होता है।
(2) इस विधि से शृंखला की पूरी बनावट का ज्ञान प्राप्त नहीं होता।
(3) चतुर्थक विचलन पर निदर्शन (Sampling) परिवर्तन का अधिक प्रभाव पड़ता है।

प्रश्न 8. अपकिरण के कोई चार उद्देश्य लिखिए।
उत्तर-अपकिरण की माप निम्नलिखित उद्देश्यों के लिए आवश्यक है-
(1) अपकिरण की मापों के आधार पर दो या अधिक श्रेणियों के मध्य विचरणशीलता की तुलना आसानी से की जा सकती है।
(2) अपकिरण का एक प्रमुख उद्देश्य विचरणशीलता की प्रकृति तथा कारणों का पता लगाना है जिससे स्वयं विचरणशीलता को नियन्त्रित किया जा सके।
(3) अपकिरण के माप अन्य विभिन्न सांख्यिकीय मापों के लिए आधार का कार्य करते हैं। उदाहरण के लिए, सह-सम्बन्ध, प्रतीपगमन, किस्म नियन्त्रण इत्यादि के मापों में अपकिरण
मापों का प्रयोग होता है।
(4) अपकिरण की माप के आधार पर माध्य की विश्वसनीयता का अनुमान लगाया जा सकता है, अर्थात् यह निर्धारित किया जा सकता है कि माध्य समंकमाला का उचित प्रतिनिधित्व
करता है या नहीं।

प्रश्न 9. पाँच खिलाड़ियों के मैच स्कोर दिए गए हैं। स्कोर का विस्तार एवं विस्तार गुणांक ज्ञात कीजिए-

प्रश्न 10. किसी कक्षा के 11 छात्रों के वजन (किग्रा में) निम्न प्रकार हैं। विस्तार तथा विस्तार गुणांक ज्ञात कीजिए।
हल: अधिकतम वजन (L) = 61, न्यूनतम वजन (S)= 40

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. विस्तार को परिभाषित कीजिए एवं इसके दो गुण लिखिए।
अथवा
विस्तार के गुण-दोषों को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-विस्तार (Range)-यह अपकिरण की सबसे सरलतम माप है। विस्तार किसी द्वारा ज्ञात करते हैं-
वितरण में अधिकतम (L) एवं न्यूनतम (S) मानों के बीच का अन्तर है। इसको निम्न सूत्र R=L-S
जहाँ, R= विस्तार, L = श्रेणी का सबसे बड़ा मूल्य, S = श्रेणी का सबसे छोटा मूल्य। विस्तार के गुण-(1) विस्तार की गणना करना तथा इसे समझना बहुत सरल है।
(2) इसका गुण नियन्त्रण सम्बन्धी कार्यों में प्रयोग अधिक लाभदायक है।
(3) उत्पादित वस्तुओं के गुण नियन्त्रण सम्बन्धी कार्यों में इसका प्रयोग लाभदायक होता है।
(4) ब्याज की दरों, विनिमय दरों, शेयर कीमतों आदि में होने वाले परिवर्तनों को मापने के लिए विस्तार का प्रयोग सामान्य रूप से किया जाता है।
विस्तार के दोष-(1) विस्तार किसी शृंखला का स्थिर माप नहीं है। यह सीमान्त मानों पर निर्भर करता है। इनमें होने वाले परिवर्तनों का विस्तार पर तुरन्त प्रभाव पड़ता है।
(2) विस्तार शृंखला के सभी मूल्यों पर आधारित नहीं है। इसमें सभी मूल्यों को महत्व नहीं दिया जाता है।
(3) विस्तार से शृंखला के बनावट की जानकारी प्राप्त नहीं होती।
(4) खुले सिरे वाली आवृत्ति वितरण की स्थिति में विस्तार की गणना नहीं की जा सकती।

प्रश्न 2. प्रमाप विचलन किसे कहते हैं ? प्रमाप विचलन के गुण-दोष व गणना विधि का वर्णन कीजिए।
अथवा
प्रमाप विचलन को परिभाषित कीजिए तथा चार गुण लिखिए।
अथवा
प्रमाप विचलन का अर्थ एवं दो गुण तथा दो दोष लिखिए।
अथवा
प्रमाप विचलन से क्या आशय है ? इसके तीन दोष लिखिए।
प्रमाप विचलन
उत्तर-
[Standard Deviation]
प्रमाप विचलन या मानक विचलन अपकिरण का एक आदर्श माप है और इसका प्रयोग सांख्यिकी में सबसे अधिक किया जाता है। इस माप का प्रयोग सर्वप्रथम 1893 में कार्ल पियर्सन द्वारा किया गया था। किसी श्रेणी के समान्तर माध्य से निकाले गये उसके विभिन्न पद-मूल्यों के विचलनों के वर्गों के माध्य का वर्गमूल, उस श्रेणी का प्रमाप विचलन होता है। प्रमाप विचलन के लिए ग्रीक वर्णमाला का अक्षर ० का प्रयोग किया जाता है। प्रमाप विचलन के गुण-लघु उत्तरीय प्रश्न 4 के उत्तर में देखें।
प्रमाप विचलन के दोष-प्रमाप विचलन के निम्नलिखित दोष हैं-
(1) अन्य मापों की तुलना में इसको समझना व गणना करना अधिक जटिल है।
(2) यह चरम मूल्यों को अधिक महत्व देता है।
(3) यह समान्तर माध्य से दूर के पदों को अनावश्यक महत्व देता है और उसके पास के पदों को कम महत्व देता है।
(4) इसका एक प्रमुख दोष यह भी है कि यह ऐसी दो या दो से अधिक श्रेणियों के विचरण की तुलना नहीं कर सकता जिनकी इकाइयाँ अलग-अलग हों। प्रमाप विचलन की गणना विधि-विभिन्न समंकमालाओं में इसकी गणना की विधि
निम्नलिखित है- व्यक्तिगत समंकमाला
(1) प्रत्यक्ष रीति-इस रीति के अन्तर्गत वास्तविक समान्तर माध्य से विचलन लिए जाते हैं। फिर समान्तर माध्य से विचलन (d अर्थात् X-X) ज्ञात किये जाते हैं। विचलनों का
वर्ग करके उनका योग (ER) निकाल लिया जाता है। विचलनों के वर्गों के योग में पदों की संख्या (N) से भाग देकर प्राप्त मूल्य का वर्गमूल निकाल दिया जाता है। यही प्रमाप विचलन है। सूत्र के रूप में-
(2) लघु रीति-इस रीति के अन्तर्गत विचलन कल्पित माध्य से निकाले जाते हैं। इस कल्पित माध्य से सभी मूल्यों के विचलन (dr = X-A) लिये जाते हैं, फिर इन विचलनों के वर्ग करके उनका जोड़ (Edx) ज्ञात कर लिया जाता है। सूत्र के रूप में-

प्रश्न 3. निम्न समंकों से चतुर्थक विस्तार एवं चतुर्थक विचलन ज्ञात कीजिए-
हल:

प्रश्न 4. निम्न आँकड़ों से माध्य विचलन एवं माध्य विचलन गुणांक ज्ञात कीजिए-

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