Pariksha Adhyayan Economics इकाई3 सांख्यिकीय विधियाँ और निर्वचन, केन्द्रीय प्रवृत्ति के रूप in Hindi Class 11th Arthashastra mp board

इकाई3
सांख्यिकीय विधियाँ और निर्वचन, केन्द्रीय प्रवृत्ति के रूप

3. सांख्यिकीय विधियाँ और निर्वचन, केन्द्रीय प्रवृत्ति के रूप
3. सांख्यिकीय विधियाँ और निर्वचन, केन्द्रीय प्रवृत्ति के रूप

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

* बहु-विकल्पीय प्रश्न

1. “किसी भी वितरण में चर का वह मूल्य जिसकी आवृत्ति सबसे अधिक हो, बहुलक कहलाता है।” यह कथन किसका है ?
(i)कीनी तथा कीपिंग
(ii) क्रॉक्सटन एवं कॉउडेन
(iii) ए. एल. बाउले
(iv) सेक्रिस्ट।

2. केन्द्रीय प्रवृत्ति की माप है-
(i) निर्देशांक
(in समान्तर माध्य
(iii) माध्य विचलन
(iv) सह-सम्बन्ध।

3. निम्नलिखित में से कौन-सा सबसे अधिक अस्थायी माध्य है ?
(i) माध्यिका
(iy बहुलक
(iii) समान्तर माध्य
(iv) गुणोत्तर माध्य।

4. माध्यिका को कहा जाता है-
(i) भूयिष्ठिक
(ii) स्थिति सम्बन्धी माध्य
(iii) समूहीकरण
(iv) औसत।

5. कपड़ों के औसत आकार के लिये उपयुक्त है-
(i) माध्यिका
(ii) समान्तर माध्य
(iii) बहुलक
(iv) हरात्मक माध्य।
उत्तर-1. (i), 2. (ii), 3. (ii), 4. (ii), 5. (ii)।

* रिक्त स्थान पूर्ति
1, वास्तविक माध्य के लिए विचलनों का जोड़ होता है।
2. बहुलक प्रकार का औसत है।
3.3मध्यका-2 माध्य =…………….है।
4. केन्द्रीय प्रवृत्ति की माप ……… है।
5. व्यक्तिगत श्रेणी में माध्यिका की गणना करने का सूत्र………….

उत्तर-1.0, 2. अनिश्चित व अस्पष्ट, 3. भूयिष्ठिक (बहुलक), 4.समान्तर माध्य,

* सत्य/असत्य
1. माध्यिका की बीजगणितीय विवेचना सम्भव नहीं है।
2. माध्यिका को स्थिति सम्बन्धी माध्य’ भी कहा जाता है।
3. किसी भी वितरण में चर का वह मूल्य जिसकी आवृत्ति सबसे अधिक हो, बहुलक कहलाता है।
4. माध्य का बीजगणितीय विवेचन सम्भव नहीं है।
उत्तर-1.सत्य, 2. सत्य, 3. सत्य, 4. असत्य।

* जोड़ी बनाइए

1. सतत् एवं खण्डित श्रेणी में माध्य (क) से कम से अधिक रीति में आवृत्तियों को संचयी आवृत्ति में बदलना
2. केन्द्रीय प्रवृत्ति की माप (ख) विश्लेषण तालिका
3. भूयिष्टिक (ग) महत्वानुसार भार
4. भारित माध्य (घ) समान्तर माध्य
5. माध्यिका (ङ) पद विचलन रीति का उपयोग।
उत्तर-1.→ (ङ), 2.→ (घ), 3. → (ख),4. → (ग), 5. → (क)।

* एक शब्द/वाक्य में उत्तर
1. पद विचलन रीति से समान्तर माध्य ज्ञात करने का सूत्र लिखिए।

उत्तर-

2. वह पद मूल्य जो वितरण में सबसे अधिक बार आता है, कहलाता है।
उत्तर-बहुलका

3. किसी भी वितरण में चर का वह मूल्य जिसकी आवृत्ति सबसे अधिक हो।
उत्तर-बहुलक।

4. किसी श्रेणी के पदों के मूल्यों के योग में उनकी संख्या का भाग देने से जो मूल्य प्राप्त होता है, उसे क्या कहते हैं?
उत्तर-समान्तर माध्य।

5. विचलन किस माध्य से ज्ञात किया जाता है?
अथवा
किसका सूत्र है ?
उत्तर-समान्तर माध्य।

अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. सांख्यिकीय माध्य से क्या आशय है ?
उत्तर-साधारण शब्दों में, औसत या माध्य का आशय प्रतिनिधि मूल्य से होता है, अर्थात् एक ऐसी इकाई जो अन्य मूल्यों का प्रतिनिधित्व करती है, औसत कहलाती है। दूसरे शब्दों में,
सांख्यिकीय माध्य एक ऐसा सरल और संक्षिप्त मूल्य है जिसका प्रयोग समंकमाला के सभी मूल्यों का प्रतिनिधित्व करने के लिए किया जाता है। क्रॉक्सटन एवं कॉउडेन के अनुसार, “माध्य आँकड़ों के विस्तार के अन्तर्गत स्थित एक ऐसा अकेला मूल्य है जिसका प्रयोग श्रेणी के समस्त मूल्यों का प्रतिनिधित्व करने के लिए
किया जाता है। समंक श्रेणी के विस्तार के मध्य में होने के कारण माध्य को केन्द्रीय प्रवृत्ति का माप कहा जाता है।”

प्रश्न 2. समान्तर माध्य का खंडित श्रेणी में सूत्र लिखिए।
उत्तर-

प्रश्न 3. समान्तर माध्य के प्रकार लिखिए।
उत्तर-समान्तर माध्य दो प्रकार के होते हैं-
(1) सरल समान्तर माध्य-इसे ज्ञात करने के लिए समंकमाला के सभी पदों को समान महत्व दिया जाता है। पद मूल्यों के योग में पदों की संख्या से भाग देकर इसकी गणना की जाती है।
(2) भारित समान्तर माध्य-इसके अन्तर्गत प्रत्येक पद को व्यक्तिगत महत्व के अनुसार भार दिया जाता है तथा प्रत्येक पद के मूल्य में भार का गुणा कर देते हैं। इस प्रकार प्राप्त गुणनफल के योग में भारों का गुणा देकर भारित समान्तर माध्य निकल आता है।

प्रश्न 4. बहुलक का क्या व्यावहारिक प्रयोग है ?
उत्तर-विभिन्न वस्तुओं की लोकप्रियता ज्ञात करने, उत्पादन में वस्तु का आकार एवं डिजाइन निर्धारित करने इत्यादि में बहुलक एकमात्र उपयोगी माध्य के रूप में कार्य करता है। रेडीमेड कॉलर, सिले-सिलाये कपड़े, जूते, टोपी इत्यादि के उत्पादन निर्णय में बहुलक की महत्वपूर्ण उपयोगिता है।

प्रश्न 5. भूयिष्ठिक के कोई दो गुण लिखिए।
उत्तर-(1) भूयिष्ठिक का मूल्य ज्ञात करना अत्यन्त सरल होता है।
(2) बहुलक मूल्य श्रेणी का सर्वोत्तम प्रतिनिधित्व करने वाला मूल्य है।

प्रश्न 6. एक आदर्श माध्य के आवश्यक गुणों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर-(1) एक आदर्श माध्य को श्रेणी के सभी पदों पर आधारित होना चाहिए।
(2) एक अच्छे माध्य में कुछ ऐसी गणितीय विशेषताएँ होनी चाहिए जिससे कि उसका आगे बीजीय विवेचन सम्भव हो सके।
(3) चरम मूल्यों से एक आदर्श माध्य को प्रभावित नहीं होना चाहिए।

प्रश्न 7. किसी कक्षा में 10 विद्यार्थियों के अर्थशास्त्र में प्राप्तांक निम्नलिखित हैं। समान्तर माध्य का परिकलन कीजिए-
aich : 155, 152, 165, 160, 163, 165, 166, 175, 160, 164,
उत्तर-उपर्युक्त आँकड़ों से समान्तर माध्य ज्ञात करने के लिए-
10 विद्यार्थियों के कुल प्राप्तांक = 155 + 152 + 165 + 160 + 163 + 165 + 166+ 175 + 160 + 164 1625
समान्तर माध्य X – 1625 = 162.5 उत्तर।

लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. केन्द्रीय प्रवृत्ति की माप क्या है ? इसके दो कार्य लिखिए।
[संकेत : केन्द्रीय प्रवृत्ति का आशय अति लघु प्रश्न | का उत्तर देखें।
(2019)
अथवा
सांख्यिकीय माध्य के किन्हीं चार उद्देश्यों को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-(1) यह विशाल समूह को संक्षिप्त रूप में प्रस्तुत करता है।
(2) इसके माध्यम से तुलना का कार्य सरल एवं सुविधाजनक हो जाता है।
(3) इसके आधार पर गणितीय क्रियाओं में सहायता मिलती है।
(4) माध्यों के आधार पर वास्तविक स्थिति का ज्ञान हो जाता है, जिससे भविष्य में योजनाएँ बनाना सम्भव होता है।

प्रश्न 2. समान्तर माध्य के चार गुण लिखिए।
उत्तर-(1) इसके परिकलन में प्रत्येक पद को लिया जाता है।
(2) इसका बीजगणितीय रीति से परिकलन करना सम्भव है।
(3) इसकी गणना सरल है।
(4) यह एक सामान्य व्यक्ति की समझ में सरलता से आ जाता है।

प्रश्न 3. समान्तर माध्य के दोष लिखिए।
उत्तर-दोष-(1) इसका मान केवल निरीक्षण द्वारा नहीं किया जा सकता है।
(2) इसके प्रत्येक मूल्य को समान महत्व दिया जाता है जिससे परिणाम भ्रमात्मक हो सकते हैं।
(3) कभी-कभी माध्य मूल्य वह मूल्य होता है जो मूल्यों में कोई अस्तित्व नहीं रखता।

प्रश्न 4.बहुलक के दोष बताइए।
उत्तर-दोष-(1) कभी-कभी समंकमाला में एक से अधिक पद अधिकतम बार आये होते हैं, तो इस स्थिति में बहुलक की गणना कठिन हो जाती है।
(2) इससे गणितीय विवेचन नहीं किया जा सकता है।
(3) यह समूहीकरण पर अधिक निर्भर करता है। अगर समूहीकरण विस्तार में परिवर्तन हो जाए, तो बहुलक बदल जाएगा।
(4) इसमें अति सीमान्त आवृत्तियों की अवहेलना की जाती है।
की आवृत्ति समान हो, तो बहुलक निश्चित नहीं किया जा सकता।
5. भूयिष्ठिक (बहुलक) का अर्थ स्पष्ट कीजिए।

(5) अनेक परिस्थितियों में बहुलक अनिश्चित व अस्पष्ट हो जाता है। यदि सभी पदों
उत्तर-सबसे अधिक प्रचलित पद को सांख्यिकी में भूयिष्टिक कहा जाता है। समग्र में जिस पद की सबसे अधिक पुनरावृत्ति हुई हो, उसे भूयिष्टिक कहते हैं। दूसरे शब्दों में, कहा जाता है, कि भूयिष्ठिक वह पद होता है जिसकी आवृत्ति सबसे अधिक होती है। भूयिष्टिक के कॉक्सटन एवं कॉउडेन के अनुसार, “भूयिष्ठिक किसी वितरण का वह मूल्य है जिसके द्वारा किसी तथ्य, वस्तु या इकाई के प्रचलन या फैशन का पता लगता है। चारों तरफ श्रेणी की अधिकतम इकाइयाँ केन्द्रित हों।” उदाहरण के लिए, यदि जूते की दुकान पर आठ नम्बर का जूता सबसे ज्यादा विकता
शासन है, तो आठ नम्बर बहुलक कहलायेगा या रेडीमेड गारमेंट्स की दुकान पर 38 नम्बर की शर्ट सबसे ज्यादा बिकती है, तो 38 नम्बर भूयिष्ठिक (बहुलक) होगा।

सश्न 6. भूयिष्ठिक (बहुलक) के गुण बताइए। (कोई तीन)
उत्तर-बहुलक के गुण-(1) बहुलक का मूल्य ज्ञात करना अत्यन्त सरल होता है।
(2) बहुलक रेखाचित्र द्वारा ज्ञात किया जाता है।
(3) बहुलक मूल्य श्रेणी का सर्वोत्तम प्रतिनिधित्व करने वाला मूल्य है।
(4) बहुलक मूल्य ज्ञात करने के लिए सभी इकाइयों का मूल्य मालूम होने की आवश्यकता नहीं होती।

प्रश्न 7. भारित अंकगणितीय माध्य किसे कहते हैं ? समझाइए।
(2019)
उत्तर-भारित अंकगणितीय माध्य-भारित अंकगणितीय माध्य वह है जिसमें प्रत्येक मद को उसके तुलनात्मक महत्व के अनुसार भाग देकर माध्य की गणना की जाती है। वास्तविक जीवन में हम कुछ मदों को अधिक महत्व देते हैं तथा कुछ मदों को कम महत्व देते हैं। उदाहरण के लिए, एक व्यक्ति अपनी आय को व्यय करते समय भोजन को अधिक महत्व देगा, कपड़े को उससे कम महत्व देगा तथा मनोरंजन को और भी कम महत्व देगा। ऐसी स्थिति में औसत ज्ञात करने के लिए भारित समान्तर माध्य का प्रयोग करते हैं। भारित अंकगणितीय माध्य की गणना निम्न सूत्र द्वारा की जा सकती है- सांख्यिकीय विधियाँ और निर्वचन, केन्द्रीय प्रवृत्ति के रूप . माध्यिका क्या है ? इसकी गणना कैसे की जाती है ?
उत्तर-जब दो पदों को उनके आकार के क्रम में रखा जाता है तो बीच की संख्या को माध्यिका कहते हैं। अत: माध्यिका ज्ञात करने के लिए सबसे पहले संख्याओं को उनके आकार (Size) के क्रम में रखना चाहिए। पदों को आरोही या अवरोही क्रम में व्यवस्थित कर लिया जाता है और फिर माध्यिका का आकलन किया जाता है। (N+1) पद का मान N+1 शा सूत्र द्वारा माध्यिका का आकलन किया जाता है- व्यक्तिगत समंकमाला-इसमें पदों को आरोही क्रम में व्यवस्थित करके निम्नलिखित M = (N21) सूत्र के आधार पर माध्यिका ज्ञात की जाती है- खण्डित श्रेणी-इसमें पद मूल्यों की आवृत्ति से संचयी आवृत्ति ज्ञात करके निम्नलिखित
M3 वें पद का मान अखण्डित या सतत् श्रेणी-इसमें पद मूल्यों की आवृत्ति से संचयी आवृत्ति ज्ञात की जाती है। इसके बाद m=
2 द्वारा केन्द्रीय पद ज्ञात किया जाता है। यह पद जिस संचा
आवृत्ति में आता है, उसी से सम्बन्धित वर्ग माध्यिका वर्गान्तराल कहलाता है। VA इसके पश्चात्, निम्नलिखित सूत्र की सहायता से माध्यिका का मान ज्ञात किया जायेगा-

प्रश्न. आदर्श माध्य के पाँच आवश्यक तत्व लिखिए।
उत्तर- आदर्श माध्य के आवश्यक तत्व
(1) सरल-एक अच्छे माध्य में यह गुण होना चाहिए कि वह सरलता व शीघ्रता से निकाला जा सके, ताकि किसी भी व्यक्ति को उसे निकालने तथा समझने में किसी विशेष कठिनाई का सामना न करना पड़े।
(2) निश्चित संख्या-माध्य निश्चित संख्या का होना चाहिए। यदि माध्य एक संख्या न होकर एक वर्ग आये, तो इसे अच्छा माध्य नहीं कहेंगे। इसी प्रकार, यदि माध्य दो आता है, जैसे 50 या 53, तो यह भी ठीक नहीं।
(B) निरपेक्ष संख्या-एक अच्छे माध्य में यह विशेषता होनी चाहिए कि वह एक निरपेक्ष संख्या हो, अर्थात् माध्य प्रतिशत में या अन्य किसी सापेक्ष रीति से न व्यक्त हो।
(4) बीजगणितीय तथा अंकगणितीय विवेचन-एक संतोषजनक माध्य में यह गुण भी आवश्यक है कि उसका प्रयोग अंकगणितीय विधियों द्वारा किया जा सके।
(5) न्यादर्श के परिवर्तन का कम से कम प्रभाव-एक अच्छे माध्य की एक विशेषता यह है कि यदि न्यादर्श में परिवर्तन कर दिया जाए, तो माध्य पर उसका कम-से-कम प्रभाव पड़े। यदि न्यादर्श के परिवर्तन से माध्य में भी परिवर्तन हो जाये, तो माध्य सन्तोषजनक नहीं माना जायेगा।

प्रश्न – माध्यिका के गुण-दोष बताइए।
उत्तर-माध्यिका के गुण-
(1) माध्यिका को ज्ञात करना एवं समझना सरल है।
(2) कई प्रकार की श्रेणियों में केवल निरीक्षण से ही माध्यिका का अनुमान लगाया जा सकता है।
(3) माध्यिका प्राप्त करते समय यदि कुछ अंशों तक समंक अधूरे रहे, तब भी इसे ज्ञात किया जा सकता है।
(4) माध्यिका पर असाधारण और अति सीमान्त पदों का प्रभाव नहीं पड़ता है।
(5) माध्यिका भूयिष्ठिक की भाँति अस्पष्ट और अनिश्चित नहीं होती। इसे निश्चितता
के साथ सदैव ज्ञात किया जा सकता है।
माध्यिका के दोष-
(1) माध्यिका ज्ञात करने के लिए सबसे प्रथम पदों को आरोही एवं अवरोही क्रम में अनुविन्यासित करना पड़ता है। इसमें समय लगता है व असुविधा भी होती है।
(2) माध्यिका सीमान्त मूल्यों से प्रभावित नहीं होती। अत: जहाँ इन मूल्यों को महत्व या भार देना हो वहाँ यह अनुपयुक्त है।
(3) माध्यिका और आवृत्तियों की कुल संख्या से गुणा करने पर मूल्यों का कुल योग प्राप्त नहीं किया जा सकता है।
(4) इस माध्य को निकालने में श्रेणी के सभी पदों को समान महत्व दिया जाता है जो अशुद्ध है।
(5) यदि मध्य पद दो मूल्यों के बीच पड़ता है, तो इसे एकदम ठीक प्राप्त करना कठिन होता है।

प्रश्न 3. निम्नलिखित आँकड़ों की सहायता से आप प्रत्यक्ष रीति से समान्तर माध्य की गणना कीजिए-

प्रश्न 4. निम्न समंकों से समान्तर माध्य ज्ञात करो
प्रति दुकान लाभ

प्रश्न 5. दस छात्रों के गणित की परीक्षा में प्राप्तांक अग्र प्रकार हैं। लघु रीति से माध्य की गणना कीजिए-

प्रश्न 6. श्योपुर के श्री गर्ग अपनी कक्षा के निम्नांकित आँकड़े प्रस्तुत करते हैं। इन आँकड़ों से समान्तर माध्य की गणना कीजिए-

प्रश्न 7. निम्न समंकों से माध्यिका ज्ञात कीजिए-

प्रश्न 8. निम्न सारणी द्वारा संचयी आवृत्ति में माध्यिका की गणना कीजिए-

प्रश्न 9. निम्न श्रृंखला में माध्यिका मूल्य की गणना करो-

प्रश्न 10. निम्नलिखित सारणी से समूहीकरण विधि द्वारा बहुलक की गणना कीजिए-

प्रश्न 11. निम्नलिखित से बहुलक ज्ञात कीजिए-

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