Pariksha Adhyayan Economics इकाई7 आर्थिक सुधार (1991 से वर्तमान) in Hindi Class 11th Arthashastra mp board

इकाई7
आर्थिक सुधार (1991 से वर्तमान)

इकाई7 आर्थिक सुधार (1991 से वर्तमान)
इकाई7
आर्थिक सुधार (1991 से वर्तमान)

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

* बहु-विकल्पीय प्रश्न

1. नई औद्योगिक नीति की घोषणा कब की गई ?
मी 1991
(ii) 1990
(iii) 1992
(iv) 1951.

2. फसल बीमा योजना प्रारम्भ होने का वर्ष है-
(i) 1990
(iy 1985
(iii) 2001
(iv) 2014.

3. विश्व व्यापार संगठन किस नीति को बढ़ावा दे रहा है ?
Lir मुक्त व्यापार
(ii) प्रतिबन्धित व्यापार
(iii) स्वदेशी व्यापार
(iv) विदेशी व्यापार।

4. निम्नलिखित में से भारत किसका आयात नहीं करता है?
(i) पेट्रोल
(6 चाय
(iii) उर्वरक
(iv) इंजीनियरिंग सामान।

5. निम्नलिखित में से कौन-सी क्रिया आर्थिक सुधार के अन्तर्गत आती है ?
(0 उदारीकरण
(ii) सरलीकरण
(iii) विविधीकरण
(iv) राष्ट्रीयकरण।

6. भारत में आर्थिक सुधार (नई आर्थिक नीति) प्रारम्भ किए गए- (2018)
(8 1991 में
(ii) 1951 में
(ii) 1985 में
(iv) 2001 में।

उत्तर-1(i), 2. (ii), 3. (1), 4.(ii), 5. (i), 6. (i)।

* रिक्त स्थान पूर्ति
1. व्यापार में राशिपतन का भय रहता है।
2. उदारीकरण में अनावश्यक …………………को कम किया जाता है।
3. भारत में नई आर्थिक नीति से प्रारम्भ की गई।
.
4…………में सम्पूर्ण विश्व बाजार को एक ही क्षेत्र के रूप में देखा जाता है।
5 अर्थव्यवस्था में खुलापन लाने की प्रक्रिया को कहते हैं।
उत्तर-1. अन्तर्राष्ट्रीय, 2. प्रतिबन्धों, 3. जुलाई 1991, 4. वैश्वीकरण, 5. उदारीकरण।

* सत्य/असत्य
1. 1991 को औद्योगिक नीति में लाइसेंस में ढील दी गयी।
2. नई आर्थिक नीति में नीतिगत उपाय और परिवर्तन शामिल हैं।
(2019)
3. आर्थिक सुधार 1993 से लागू किये गये हैं।
(2019)
4. निजीकरण का अर्थ आर्थिक गतिविधियों में राज्य की भूमिका कम करना है।
5. आधुनिकीकरण का आशय उस प्रक्रिया से है जिसमें राज्य तथा सार्वजनिक क्षेत्र की आर्थिक भागीदारी कम की जाती है।
6. शासन की नई आर्थिक नीति सार्वजनिक क्षेत्र की कार्यक्षमता को नहीं बढ़ायेगी।
7. निजीकरण से उद्योगों में कार्यक्षमता बढ़ती है।
उत्तर-1.सत्य, 2. सत्य, 3. असत्य,4.सत्य, 5. सत्य, 6. असत्य, 7.सत्य।

* एक शब्द/वाक्य में उत्तर
1. लघु उद्योगों में अधिकतम निवेश की सीमा क्या है ?
उत्तर-₹5 करोड़।

2. व्यापार का आधार क्या होता है?
उत्तर-विशिष्टीकरण

3. भारत में आर्थिक सुधार (या नई आर्थिक नीति) कब लागू किये गये ?
उत्तर-14 जुलाई, 1991 से।

4. सरकार द्वारा अर्थव्यवस्था में लगाये गये भौतिक नियमों व नियन्त्रणों में ढील देने को क्या कहते हैं ?
उत्तर-उदारीकरण।

5. निजी क्षेत्र द्वारा सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों पर पूर्ण रूप से स्वामित्व प्राप्त करना क्या कहलाता है?
उत्तर-निजीकरण।

6. देश की मौद्रिक तथा बैंकिंग नीतियों में सुधार करना कौन-सा सुधार कहलाता है?
उत्तर-वित्तीय सुधार।

7. देश की अर्थव्यवस्था को विश्व की अर्थव्यवस्था के साथ एकीकृत करना क्या है?
उत्तर-भूमण्डलीकरण।

अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. आर्थिक सुधारों को समझाइए। (2018)
उत्तर-आर्थिक सुधारों से आशय है वर्तमान आर्थिक नीतियों एवं व्यवस्था में सुधार लाना तथा उनमें आवश्यक परिवर्तन करना, जिससे अर्थव्यवस्था के निर्धारित लक्ष्यों को सरलता से प्राप्त किया जा सके।

प्रश्न 2. भारत में आर्थिक सुधार क्यों आरम्भ किये गये ?
अथवा
आर्थिक सुधारों के दो उद्देश्य लिखिए।
उत्तर-भारी राजकोषीय घाटा, बड़ी मात्रा में भुगतान सन्तुलन के चालू खाते में घाटा और बढ़ती हुई मुद्रास्फीति आदि कुछ ऐसे कारण थे, जिसके कारण भारत में आर्थिक सुधार आरम्भ किये गये।

प्रश्न 3. उदारीकरण क्या है?
(2019)
उत्तर-उदारीकरण वह प्रक्रिया है जिसमें देश के शासन तन्त्र द्वारा अपनाये जा रहे लाइसेंस, नियन्त्रण, कोटा, प्रशुल्क आदि प्रशासकीय अवरोधों को कम किया जाता है, जिससे देश को आर्थिक विकास के मार्ग पर ले जाया जा सके।

प्रश्न 4. भारत में आर्थिक सुधार कार्यक्रम की मुख्य नीतियाँ कौन-सी हैं ?
उत्तर-भारत में आर्थिक सुधार कार्यक्रम की मुख्य नीतियाँ निम्नलिखित हैं-
(1) उदारीकरण की नीति, (2) निजीकरण की नीति, (3) भूमण्डलीकरण की नीति,

प्रश्न 5. वैश्वीकरण से क्या आशय है ? 47
उत्तर-वैश्वीकरण से आशय है घरेलू अर्थव्यवस्था का शेष विश्व के साथ एकीकरण या समन्वय करना, जिससे विभिन्न अर्थव्यवस्थाएँ एक-दूसरे के साथ जुड़ जायें।

प्रश्न 6. 1991 की आर्थिक नीति को U-Turn की संज्ञा क्यों दी जाती है ?
उत्तर-1991 की आर्थिक नीति को U-Turn इसलिए कहते हैं कि 1991 के बाद अपनाई गई आर्थिक नीति पहले से अपनाई गई नीतियों के बिल्कुल विपरीत है।

प्रश्न 7. निजीकरण का क्या आशय है ?
उत्तर-निजीकरण के अन्तर्गत देश में निजी क्षेत्र के विकास पर अधिक ध्यान दिया जाता है। सार्वजनिक क्षेत्रों के लिए आरक्षित क्षेत्रों को निजी क्षेत्र हेतु खोला जाता है तथा सार्वजनिक
क्षेत्र में सरकार द्वारा विनिवेश कार्यक्रम चलाया जाता है। इस प्रकार, निजीकरण का उद्देश्य सार्वजनिक क्षेत्र के कार्यक्षेत्र को सीमित करना तथा निजी क्षेत्र का विस्तार करना होता है।

प्रश्न 8. एफ.डी.आई. (FDI) से क्या आशय है ? इसका पूरा नाम लिखिए। (2018)
उत्तर-एफ. डी. आई. (FDI) का पूरा नाम विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (Foreign Direct Investment) है। इसमें भौतिक सम्पदा; जैसे-कारखाने, भूमि, पूँजीगत वस्तुओं तथा आधारिक संरचना वाले क्षेत्रों में विदेशी निवेशकों द्वारा धन लगाया जाता है।

प्रश्न 9.निजीकरण के पक्ष में दो तर्क दीजिए।
उत्तर-(1) देश की आवश्यकताओं एवं प्राथमिकताओं के अनुसार किसी क्षेत्र को सार्वजनिक क्षेत्र के साथ समन्वित करके आर्थिक विकास की दर में तेजी लाना।
(2) उत्पादन में वृद्धि करना, उत्पादन क्षमता बढ़ाना, उत्पादन तकनीक तथा किस्म में वृद्धि करना।

लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. नवीन औद्योगिक नीति की विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर-नवीन औद्योगिक नीति की विशेषताएं-24 जुलाई, 1991 में सरकार ने औद्योगिक नीति में व्यापक परिवर्तनों की घोषणा की। इस नीति की प्रमुख विशेषताएँ निम्न प्रकार है-(1) उत्पादकता में वृद्धि बनाए रखना,(2) लाभकारी रोजगार के अवसरों का विकास
करना, (3) मानव संसाधनों का अधिकतम उपयोग करना, (4) अन्तर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धात्मकता
को प्राप्त करना, तथा (5) अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत को एक प्रमुख भागीदार और प्रतियोगी के रूप में स्थापित करना।
आदि पर भारी मात्रा में निवेश)।

प्रश्न 2. नवीन आर्थिक नीति के उद्देश्य समझाइए। (कोई चार)
अथवा
भारत में नई आर्थिक नीति के तीन उद्देश्यों को समझाइए।
(2019)
उत्तर-(1) उत्पादन क्षमता का पूर्ण विदोहन,
(2) आधुनिक तकनीक का प्रयोग,
(3) रोजगार एवं निर्धनता उन्मूलन कार्यक्रमों का प्रभावशाली ढंग से क्रियान्वयन,
(4) मानव संसाधन विकास करना ( प्रत्याशित आयु, जीवन की गुणवत्ता, शिक्षा का विस्तार, स्वास्थ्य सेवाएँ

प्रश्न 3. आर्थिक सुधार के कोई चार प्रभाव लिखिए। मा
(2019)
अथवा
भारत में आर्थिक सुधारों का मूल्यांकन तीन बिन्दुओं में कीजिए।
(2019)
अथवा
आर्थिक सुधारों के पक्ष में तर्क दीजिए।
(2018)
उत्तर-आर्थिक सुधार कार्यक्रमों के प्रमुख सकारात्मक प्रभाव निम्नलिखित हैं-
औद्योगिकीकरण-वर्ष 1991 में घोषित औद्योगिक नीति और बाद में किए गए सुधारों के कारण देश में औद्योगिकीकरण में तेजी आई है। अब सार्वजनिक क्षेत्र के अन्तर्गत आरक्षित उद्योगों की संख्या केवल तीन रह गई है। इसका अर्थ यह है कि निजी क्षेत्र को अपने
विस्तार के पर्याप्त अवसर प्राप्त हो गए हैं। औद्योगिक नीति के अनुसार देश में अब उदारीकरण एवं निजीकरण की नीति को अपनाया जा रहा है।
(2) विदेशी व्यापार में वृद्धि-वर्ष 1991 में घोषित आयात-निर्यात में निर्यात आधारित विकास पर जोर दिया गया। इस उद्देश्य की प्राप्ति हेतु आयात एवं निर्यात पर लगे हुए प्रतिबन्धों तथा प्रशासनिक नियन्त्रण को कम किया गया है। पिछले वर्षों में आयात शुल्क कम करने का भारतीय अर्थव्यवस्था पर अनुकूल प्रभाव पड़ा है। कुल विश्व व्यापार में भारत के विदेशी व्यापार का योगदान वर्ष 1990 में 0.6 प्रतिशत से बढ़कर अब लगभग 1-0 प्रतिशत हो गया है।
(3) विदेशी निवेश में वृद्धि-आर्थिक सुधारों के बाद अनेक बहुराष्ट्रीय कम्पनियों ने भारत में अपने निवेश में वृद्धि की है। इन कम्पनियों ने सेलफोन, मोटर गाड़ियाँ, इलेक्ट्रोनिक उपकरणों, ठण्डे पेय पदार्थों, जंक खाद्य पदार्थों एवं बैंकिंग जैसी सेवाओं के निवेश में रुचि दिखाई है। इन उद्योगों और सेवाओं में नये रोजगार के अवसर उत्पन्न हुए हैं। इस प्रकार, कहा जा सकता
है कि 1991 के बाद देश में विदेशी निवेश में वृद्धि हुई है और अर्थव्यवस्था को लाभ हुआ है।
(4) उपभोक्ताओं को लाभ-आर्थिक सुधार कार्यक्रमों के बाद विदेशी एवं स्थानीय उत्पादकों के मध्य परस्पर प्रतियोगिता में वृद्धि हुई है और परिणामस्वरूप अनेक वस्तुओं एवं सेवाओं की कीमतें कम हुई हैं। इससे उपभोक्ताओं को उत्कृष्ट गुणवत्ता वाली वस्तुएँ प्राप्त हो रही हैं। अब उपभोक्ताओं को पहले से अधिक विकल्प उपलब्ध हैं। परिणामस्वरूप, उपभोक्ता वर्ग पहले की तुलना में उच्चतर जीवनस्तर का लाभ प्राप्त कर रहे हैं।

प्रश्न 4. अर्थव्यवस्था के उदारीकरण से क्या अभिप्राय है ? इसके
बताइए।
उत्तर-उदारीकरण वह प्रक्रिया है जिसमें देश के शासन-तन्त्र द्वारा अपनाये जा रहे लाइसेन्स, नियन्त्रण, कोटा, प्रशुल्क आदि प्रशासकीय अवरोधों को कम किया जाता है, जिससे देश को आर्थिक विकास के मार्ग पर ले जाया जा सके। मुख्य उपाय
तो पूर्ण रूप से हटा लेती है या फिर कुछ सीमा तक मुक्त कर देती है। इसके अन्तर्गत सरकार उदारीकरण के अन्तर्गत सरकार आर्थिक क्रियाओं पर लगे हुए अनेक प्रतिबन्धों को या द्वारा मूलतः विभिन्न नीतियों, जो उद्योगों को नियन्त्रित करती हैं, में समय-समय पर ऐसे सुधार किये जाते हैं जो उद्योग जगत के हित में होते हैं। उदारीकरण की प्रक्रिया तभी सफल है जब उस देश में निजीकरण एवं वैश्वीकरण की प्रक्रियाएँ भी अपनायी जाएँ।
प्रश्न 5. भारतीय अर्थव्यवस्था में वैश्वीकरण के उपाय लिखिए।
अथवा
अर्थव्यवस्था के विश्वव्यापीकरण हेतु क्या कदम उठाये गये हैं ?
उत्तर-भारतीय अर्थव्यवस्था में वैश्वीकरण हेतु निम्नलिखित उपाय अपनाये गये हैं।
(1) प्रारम्भिक दौर में आयातों को अत्यधिक उदार बनाया गया और अब तो आयात पर ये सभी प्रकार के मात्रात्मक प्रतिबन्ध उठा लिये गये हैं।
(2) रुपये को चालू खाते पर पूर्ण परिवर्तनीय बना दिया गया है। अब धीरे-धीरे रुपया पूँजी खाते पर पूर्ण परिवर्तनीयता की ओर बढ़ रहा है।
(3) विदेशी ईक्विटी के अन्तर्प्रवाह अत्यधिक सुगम तथा उदार बना दिया गया है। अब विदेशी निवेशकों को वे समस्त सुविधाएँ मिल रही हैं जो घरेलू निवेशकों को प्राप्त हैं।
(4) दुहरे कराधान को यथासम्भव समाप्त किया गया है।
(5) देशी एवं विदेशी कम्पनियों पर निगम कर अब लगभग बराबरी के स्तर पर है।

प्रश्न 6. नई आर्थिक नीति के विपक्ष में तर्क दीजिए।
(2018)
अथवा
नई आर्थिक नीति के मुख्य दोषों को लिखिए।
उत्तर-भारत की नई आर्थिक नीति के प्रमुख ऋणात्मक प्रभाव निम्न प्रकार हैं-
(1) विश्वव्यापीकरण के अन्तर्गत विदेशी पूँजी निवेश सभी क्षेत्रों में विस्तृत न होकर केवल लाभप्रद क्षेत्रों तक सीमित रह गया है।
(2) घरेलू स्वदेशी उद्योग आज अपनी कुशलता एवं गुणवत्ता, विदेशी प्रतिस्पर्धा के कारण खोते जा रहे हैं।
(3) भारतीय अर्थव्यवस्था विकासोन्मुखी होते हुए भी गरीबी एवं बेरोजगारी जैसी प्रमुख समस्याओं का समाधान करने में असमर्थ रही है।
(4) अर्थव्यवस्था का विश्वव्यापीकरण मन्दी के दौर से गुजर रहा है।

प्रश्न 7. सार्वभौमीकरण के प्रतिकूल प्रभाव बताइए।
उत्तर-सार्वभौमीकरण के कारण कुछ क्षेत्रों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकते हैं।
सार्वभौमीकरण ने ‘असमान प्रतियोगिता’ को जन्म दिया है। यह प्रतियोगिता सम्पन्न बहुराष्ट्रीय निगमों और कमजोर भारतीय उद्यमों के मध्य उत्पन्न हो गई है। सार्वभौमीकरण के कारण पूरे
आर्थिक ढाँचे का पुनर्गठन होता है, जिसका कुछ वगों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। साथ ही बहुराष्ट्रीय निगमों के प्रभाव से राष्ट्र के आर्थिक क्षेत्र में सरकार की शक्ति कम होने लगती है। सार्वभौमीकरण से रोजगार के अवसरों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है तथा विश्व अर्थव्यवस्था में अस्थिरता या मन्दी का सीधा प्रभाव राष्ट्र की अर्थव्यवस्था पर पड़ता है।

प्रश्न 8. निजीकरण के पक्ष एवं विपक्ष में कोई दो तर्क दीजिए।
उत्तर-निजीकरण के पक्ष में तर्क- अति लघु उत्तरीय प्रश्न 9 का उत्तर देखें।
निजीकरण के विपक्ष में तर्क-(1) निजीकरण में व्यक्ति निजी लाभ से अधिक प्रेरित होता है। सार्वजनिक लाभ से उसका मतलब नहीं होता है।
(2) निजीकरण एक संकुचित अवधारणा है जिसे विकास के हर क्षेत्र में आसानी से अपनाया नहीं जा सकता है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. आर्थिक सुधार कार्यक्रम क्या है ? इनके उद्देश्य बताइए। >
अथवा
आर्थिक सुधारों के छः कारणों को लिखिए।
उत्तर-आर्थिक सुधार कार्यक्रम एक ऐसा कार्यक्रम है जिसमें देश में चल रही औद्योगिक गतिविधियों पर लगाये गये अप्रत्यक्ष या प्रत्यक्ष नियन्त्रणों में धीमे-धीमे कमी की जाती है। उद्योगों को स्वतन्त्रता दी जाती है तथा विस्तार हेतु खुला वातावरण तैयार किया जाता है। अन्य शब्दों में यह कहा जा सकता है कि आर्थिक सुधार बाजार में परिमाणात्मक नियन्त्रण हटाने की
प्रक्रिया है। इसके तीन प्रमुख अंग हैं-
(1) उदारीकरण (Liberalization),
(2) भूमण्डलीकरण या वैश्वीकरण (Globalization),
(3) निजीकरण (Privatization)।
आर्थिक सुधार कार्यक्रम के उद्देश्य-इसके प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित हैं-
(1) आर्थिक विकास की दर में तेजी लाना।
(2) अर्थव्यवस्था के प्रत्येक क्षेत्र का विस्तार करना।
(3) रोजगार के अवसरों में वृद्धि करना।
(4) प्रतियोगिता में वृद्धि करना तथा निजी क्षेत्र को बढ़ावा देना।
(5) विश्व स्तर की तकनीक को आयात करना तथा विकसित करना।
(6) विदेशी विनियोग कार्यक्रम को बढ़ावा देना।
(7) विश्व स्तरीय प्रबन्ध कुशलता को विकसित करना।
(8) औद्योगिक उत्पादन की कार्यकुशलता में वृद्धि करना।
(9) आर्थिक विकास के वास्ते विश्वव्यापी संसाधनों का प्रयोग।

प्रश्न 2. भूमण्डलीकरण क्या है ? इसके उद्देश्य बताइए।
उत्तर-भूमण्डलीकरण-‘भूमण्डलीकरण’ का शाब्दिक अर्थ देश की अर्थव्यवस्था को विश्व की अर्थव्यवस्था के साथ एकीकृत करने से लगाया जाता है। इसमें प्रत्येक राष्ट्र का अन्य राष्ट्रों के साथ वस्तु, सेवा, पूँजी एवं बौद्धिक सम्पदा का अप्रतिबन्धित आदान प्रदान होता है। यह वस्तुत: खुली अर्थव्यवस्था की विचारधारा पर आधारित है, जिसमें विश्व के विभिन्न राष्ट्रों के मध्य व्यापारिक दृष्टिकोण से सार्वजनिक सीमाओं को कोई अधिक महत्व नहीं दिया के जाता है, बल्कि व्यापारिक लेन-देन तो स्वतन्त्र रूप से या सीमित नियन्त्रण के अधीन चलते रहते हैं। भारत की नवीन आर्थिक नीतियों में एक नीति अर्थव्यवस्था के भूमण्डलीकरण या
भूमण्डलीकरण के मूल उद्देश्य-
(1) विदेशी मुद्रा कोष में वृद्धि करने हेतु विदेशी निवेश तथा विदेशी व्यापार को बढ़ाना,
(2) विनिमय दरों में परिवर्तनों को कम करना,
(3) भुगतान वैश्वीकरण की है।
सन्तुलन को ठीक करना,
(4) देश में औद्योगिक विकास करने हेतु विदेशी निवेशकों एवं विदेशी संस्थाओं को देश में व्यापार करने की अनुमति प्रदान करना,
(5) उत्पादन में वृद्धि करना आदि है।

प्रश्न 3. निजीकरण से आप क्या समझते हैं ? इसके मुख्य उद्देश्यों को स्पष्ट कीजिए। 1
अथवा
निजीकरण का क्या आशय है ? इसमें किन-किन बातों पर बल दिया जाता है?
अथवा
भारत में निजीकरण के उपाय बताइए।
(2018, 19)
उत्तर-निजीकरण से अभिप्राय उस प्रक्रिया से है, जिनमें ऐसे उद्योगों तथा व्यवसायों जो अब तक सरकारी स्वामित्व में थे, के स्वामित्व को निजी क्षेत्र को हस्तान्तरित कर दिया जाता है। निजीकरण के अन्तर्गत निजी क्षेत्र की व्यावसायिक गतिविधियों में वृद्धि कर दी जाती है तथा उद्योग या विशेष क्षेत्र से सरकारी नियन्त्रण को आंशिक या पूर्ण रूप से हटा लिया जाता है। इसके विभिन्न रूप हो सकते हैं-
(1) विराष्ट्रीयकरण अर्थात् राष्ट्रीयकृत प्रतिष्ठानों से राज्य के नियन्त्रण को हटा लेना।
(2) सार्वजनिक क्षेत्र के विकास पर रोक लगाना।
(3) सार्वजनिक प्रतिष्ठानों को निजी उद्यमियों या निजी क्षेत्र को हस्तान्तरित कर देना।
(4) सार्वजनिक क्षेत्र या राष्ट्रीयकृत प्रतिष्ठानों की पूँजी को जनता को या निजी क्षेत्र को बेचना।
(5) सार्वजनिक क्षेत्र हेतु सुरक्षित उद्योगों में निजी क्षेत्र को उद्योग स्थापित करने की अनुमति प्रदान करना।
(6) सार्वजनिक कम्पनियों द्वारा अपने कार्यों के निजी क्षेत्र को लाइसेन्स देना अथवा उत्पादन या विक्रय अधिकार हस्तान्तरित करना। निजीकरण के उद्देश्य
तथा भागीदारी प्रदान करना होता है। इसके कुछ उद्देश्य निम्नलिखित हैं- निजीकरण का मूल उद्देश्य निजी क्षेत्र को प्रोत्साहित करना, उसका कार्य क्षेत्र बढ़ाना
(1) सार्वजनिक क्षेत्र की निराशाजनक भूमिका के मद्देनजर देश में उत्पादन तथा विनियोग की दर को बढ़ाया जाना। वृद्धि करना।
(2) राजकोष पर बढ़ते हुए सार्वजनिक क्षेत्र के घाटे का बोझ कम करना।
(3) उत्पादन में वृद्धि करना, उत्पादन क्षमता बढ़ाना, उत्पादन तकनीक तथा किस्म में
(4) प्रतियोगिता में वृद्धि करना जिससे जनता को कम लागत पर तथा अच्छी तकनीक से उत्पादित माल उपलब्ध कराया जा सके।
(5) प्रबन्धकीय योग्यता तथा दक्षता में वृद्धि करना।
(6) नये उद्योगों की स्थापना तथा आयात प्रतिस्थापन पर जोर देना।
(7) देश की आवश्यकताओं एवं प्राथमिकताओं के अनुसार निजी क्षेत्र को सार्वजनिक क्षेत्र के साथ समन्वित करके आर्थिक विकास की दर में तेजी लाना।

प्रश्न 4. भारत के आर्थिक सुधार कार्यक्रमों में वैश्वीकरण से सम्बन्धित क्या नीतिगत निर्णय लिये गये ? स्पष्ट कीजिए।
अथवा
वैश्वीकरण के प्रमुख तत्वों का उल्लेख कीजिए। (कोई पाँच)
उत्तर-वर्ष 1991-92 में प्रारम्भ किये गये आर्थिक सुधारों तथा उदारीकरण की नीतियों का एक उद्देश्य भारतीय अर्थव्यवस्था का वैश्वीकरण करना भी था। इसके लिए निम्नलिखित उपाय अपनाये गये हैं-
(1) प्रारम्भिक दौर में आयातों को अत्यधिक उदार बनाया गया और अब तो आयातों पर से सभी प्रकार के मात्रात्मक प्रतिबन्ध उठा लिये गये हैं।
(2) रुपये को चालू खाते पर पूर्ण परिवर्तनीय बना दिया गया है। अब धीरे-धीरे रुपया पूँजी खाते पर पूर्ण परिवर्तनीयता की ओर बढ़ रहा है।
(3) विदेशी इक्विटी के अन्तर्ग्रवाह को अत्यधिक सुगम तथा उदार बना दिया गया है। अब विदेशी निवेशकों को वे समस्त सुविधाएँ मिल रही हैं, जो घरेलू निवेशकों को प्राप्त हैं।
(4) दुहरे कराधान को यथासम्भव समाप्त किया गया है।
(5) देशी एवं विदेशी कम्पनियों पर निगम कर अब लगभग बराबरी के स्तर पर है।
(6) विदेशी प्रौद्योगिकी करार किये जाने, विदेशी कम्पनियों के ब्राण्ड नामों तथा ट्रेडमार्कों की बिना प्रौद्योगिकी हस्तान्तरण के ही प्रयुक्त किये जाने की छूट प्रदान कर दी गई है।

प्रश्न 5. ‘उचित वैश्वीकरण’ पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर-वैश्वीकरण का शाब्दिक अर्थ अर्थव्यवस्था को विश्व की अर्थव्यवस्था के साथ एकीकृत करने से लगाया जाता है। इसमें प्रत्येक राष्ट्र का अन्य राष्ट्रों के साथ वस्तु, सेवा, पूँजी एवं बौद्धिक. सम्पदा का अप्रतिबन्धित आदान-प्रदान होता है। यह वस्तुतः खुली अर्थव्यवस्था की विचारधारा पर आधारित है, जिसमें विश्व के विभिन्न राष्ट्रों के मध्य व्यापारिक दृष्टिकोण से सार्वजनिक सीमाओं को अधिक महत्व नहीं दिया जाता है, बल्कि व्यापारिक लेन-देन या तो स्वतन्त्र रूप से या सीमित नियन्त्रण के अधीन चलते रहते हैं। अत: यह कहा जा सकता है कि वैश्वीकरण एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसके अन्तर्गत सभी व्यापारिक क्रियाओं का अन्तर्राष्ट्रीयकरण हो जाता है और वे एक इकाई के रूप में कार्य करने लगती हैं। उचित वैश्वीकरण के लाभ-उचित वैश्वीकरण के प्रमुख लाभ निम्नलिखित हैं-
(1) देश के संसाधनों और उत्पादन क्षमता का अधिक कुशल उपयोग हो सकता है।
(2) रोजगार के अवसरों का अधिक सृजन किया जा सकता है।
(3) तकनीकी विकास की गति तीव्र हो सकती है।
(4) आर्थिक संवृद्धि दर तीव्र हो सकती है।
(5) वस्तुओं और सेवाओं की उपलब्धता में वृद्धि हो सकती है।
(6) जनसाधारण का जीवनस्तर सुधर सकता है।

प्रश्न 6. उदारीकरण की विशेषताओं को लिखिए।
अथवा
उदारीकरण के उपाय बताइए।
अथवा
उदारीकरण से आप क्या समझते हैं ? उदारीकरण में किन-किन बातों पर जोर दिया जाता है?
(संकेत : उदारीकरण से आशय, अति लघु उत्तरीय प्रश्न 3 का उत्तर देखें।
उत्तर-(1) लाइसेंस से उद्योगों को छूट-ऐसे उद्योग, जिनका पर्यावरण पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है, उनको छोड़कर शेष सभी उद्योगों को लाइसेंस प्रणाली से मुक्त कर दिया है। ऐसी आशा की जाती है कि इससे उद्योगों का विस्तार होगा और उनकी कुशलता बढ़ेगी।
(2) बड़े उद्योगों पर प्रतिबन्ध समाप्त-एकाधिकार की प्रवृत्ति बढ़ने से रोकने के लिए लगाये गये प्रतिबन्ध हटा लिये गये। बड़े औद्योगिक घरानों को अपना कार्यक्षेत्र विभिन्न क्षेत्रों में फैलाने की अनुमति दे दी गई।
(3) आयात शुल्क में कमी-आयात शुल्कों को कम किया गया है, जिससे देश के उत्पादों की विदेशी उत्पादों से उपयोगिता बढ़ गई क्योंकि अब विदेशी वस्तुएँ पहले की अपेक्षा सस्ती हो गईं।
(4) विदेशी निवेश की स्वतन्त्रता-विदेशी निवेशकों की भारतीय उद्योगों में निवेश की छूट दे दी गई है। इससे विदेशी पूँजी के साथ-साथ नई प्रौद्योगिकी प्रबन्ध विधियाँ भी देश में आयेंगी।
(5) सुरक्षित उद्योग निजी क्षेत्र-ऐसे उद्योग जिनके विकास का उत्तरदायित्व केवल सरकार पर था, अब उन्हें निजी क्षेत्र के लिए खोल दिया गया। केवल रक्षा सामग्री या अति आवश्यक उद्योग ही सरकार ने अपने हाथ में रखे हैं।

प्रश्न 7. भारत की नयी आर्थिक नीति की प्रमुख समस्याएँ बताइए। इनके समाधान हेतु सुझाव दीजिए।
अथवा
आर्थिक उदारीकरण के छः दोष (हानियाँ) बताइएका
उत्तर-
समस्याएँ (दोष)
भारतीय अर्थव्यवस्था में विश्वव्यापीकरण के कारक ऐसी अनेक आशंकाएँ उत्पन्न हो गई हैं, जिन्हें नजरअन्दाज नहीं किया जा सकता। मुख्य समस्याएँ निम्नलिखित हैं-
(1) विश्वव्यापीकरण के अन्तर्गत विदेशी पूँजी निवेश सभी क्षेत्रों में विस्तृत न होकर केवल लाभप्रद क्षेत्रों तक सीमित रह गया है।
(2) भारतीय अर्थव्यवस्था विकासोन्मुखी होते हुए भी गरीबी एवं बेरोजगारी जैसी प्रमुख समस्याओं का समाधान करने में असमर्थ रही है।
(७) भारतीय अर्थव्यवस्था भविष्य में बहुराष्ट्रीय कम्पनियों एवं विकसित राष्ट्रों के आर्थिक उपनिवेश के रूप में बदल सकती है।
(4) अर्थव्यवस्था का विश्वव्यापीकरण मन्दी के दौर से गुजर रहा है।
(5) अर्थव्यवस्था में आज असमानताओं की समस्याएँ अधिक हैं।
(6) घरेलू स्वदेशी उद्योग, आज अपनी कुशलता एवं गुणवत्ता विदेशी प्रतिस्पर्धा के कारण खोते जा रहे हैं।
(7) बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ उत्पादकों एवं उपभोक्ताओं के प्रति निष्ठावान नहीं हैं।
(8) बहुराष्ट्रीय निगमों द्वारा मुद्रा के सम्बन्ध में हेरा-फेरी करने से भारतीय अर्थव्यवस्था को हानि होती है।

सुझाव

उपर्युक्त समस्याओं के समाधान हेतु निम्नलिखित सुझाव दिये जा सकते हैं-
(1) विश्वव्यापीकरण के दौर में अर्थव्यवस्था का संरचनात्मक परिवर्तन स्वदेशी धरातल पर किया जाये।
(2) भारत विभिन्न क्षेत्रों की भाँति अपने घरेलू उद्योगों के लिए संरक्षणात्मक नीति लागू करे।
(3) सरकारी प्रतिनिधियों को इनके प्रबन्ध-संचालन में संलग्न होना चाहिए।
(4) बहुराष्ट्रीय निगमों के स्वामित्व को नियन्त्रित करते हुए उनकी गतिविधियों पर निगाह रखी जाये।
(5) उपभोक्ता उद्योगों में उनकी सहभागिता बढ़ाने का प्रयास करना चाहिए।
(6) विश्वव्यापीकरण की उन्नत तकनीक का उपयोग विकास की प्राथमिक अवस्था में ही किया जाना चाहिए।

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