Pariksha Adhyayan Economics भाग (क) : अर्थशास्त्र के लिए सांख्यिकी 1 परिचय in Hindi Class 11th Arthashastra mp board

भाग (क) : अर्थशास्त्र के लिए सांख्यिकी
1 परिचय

Pariksha Adhyayan Economics in Hindi Class 11th Arthashastra mp board

वस्तुनिष्ठ प्रश्न
-विकल्पीय प्रश्न
1. अर्थशास्त्र का जनक कहा जाता है-
किसने कहा?
(i) कैनन
(ii) रॉबिन्स
(ii) मार्शल
(iv) एडम स्मिथ।

2. “अर्थशास्त्र जीवन के साधारण व्यवसाय में मानव जाति का अध्ययन है।” यह
(मार्शल
(ii) एडम स्मिथ
(iii) रॉबिन्स
(iv) जे. के. मेहता।

3. “अर्थशास्त्र वह विज्ञान है, जो धन का अध्ययन करता है।” यह किसने कहा ?
जे. बी. से
(ii) मार्शल
(iii) रॉबिन्स
(iv) एफ. ए. वाल्कर।

4. अर्थशास्त्र के विभाग होते हैं-
(2019)
(1) दो
(ii) तीन
(iii) चार
(iv) पाँच।

5. ‘सांख्यिकी’ के जनक के रूप में जाने जाते हैं-
(2019)
(i) डॉ. ए. एल. बाउले
(ii) प्रो. बॉडिंगटन
(1) गॉटफ्रायड एकेनवाल
(iv) प्रो. मार्शल।

6. “सांख्यिकी गणना का विज्ञान है।” यह किसका कथन है ?
(i) जॉनसन
(ii) किंग
(i) ए. एल. बाउले
(iv) वेब्सटर।
उत्तर-1. (iv), 2. (i), 3. (1), 4. (iv), 5. (iii), 6. (iii)।

* रिक्त स्थान पूर्ति

1. अर्थशास्त्र की दुर्लभता सम्बन्धी परिभाषा देने वाले अर्थशास्त्रियों में प्रमुख नाम………का आता है।

2. अर्थशास्त्र में केवल क्रियाओं का ही अध्ययन किया जाता है।
3. अर्थशास्त्र के………………विभाग एक-दूसरे से सम्बन्धित होते हैं।
4. सांख्यिकी………………एवं सम्भावनाओं का विज्ञान है।
5. सांख्यिकी………………का विज्ञान है। (2019)
उत्तर-1. रॉबिन्स, 2. आर्थिक, 3. पाँचों, 4. अनुमानों, 5. गणना।

सत्य असत्य

1. अर्थशास्त्र में आर्थिक तथा गैर आर्थिक क्रियाओं का अध्ययन किया जाता है।
2. अर्थशास्त्र प्राकृतिक विज्ञानों के समान ही एक निश्चित विज्ञान है।
3. रॉबिन्स के अनुसार, अर्थशास्त्र केवल वास्तविक विज्ञान है।
4. बहुवचन के रूप में सांख्यिकी, सांख्यिकी सूत्र है।
5. सांख्यिकी का सम्बन्ध मात्रात्मक आँकड़ों से है।
6. सांख्यिकी जाँच से आशय समंकों के एकत्रीकरण से है।
7. सांख्यिकी केवल गणना का विज्ञान है।
8. अकुशल व्यक्तियों के हाथ में सांख्यिकीय विधियाँ बहुत खतरनाक औजार हैं।
उत्तर-1. असत्य, 2. सत्य, 3. सत्य, 4. असत्य, 5. सत्य, 6. सत्य, 7. असत्य, 8. सत्य।

* जोड़ी बनाइए

1. आधुनिक अर्थशास्त्र के जनक (क) सैम्युलसन 8
2. असीमित आवश्यकता (ख) गॉटफ्रायड एकेनवाल
3. विकास सम्बन्धी परिभाषा (ग) बाउले
4. सांख्यिकी के जनक (घ) एडम स्मिथ
5. सांख्यिकी गणना का विज्ञान (ङ) रॉबिन्स
उत्तर-1.→ (घ), 2. → (ङ), 3. → (क), 4. → (ख), 5.→ (ग)।

* एक शब्द/वाक्य में उत्तर

1. ‘राष्ट्रों के धन के स्वरूप तथा कारणों की खोज’ नामक पुस्तक किसने लिखी
उत्तर-एडम स्मिथ ने।

2. चुनाव की समस्या को आर्थिक समस्या का नाम किसने दिया ?
उत्तर-रॉबिन्स ने।

3. अर्थशास्त्र विज्ञान है या कला ?
उत्तर-दोनों।

4. अर्थशास्त्र और समाजशास्त्र में किस प्रकार का सम्बन्ध है ?
उत्तर-प्रत्यक्ष।

5. उत्पादन में किसका सृजन होता है ?
उत्तर-उपयोगिता का।

6. “सांख्यिकी अनुमानों और सम्भावनाओं का विज्ञान है।” यह कथन किसका है ?
उत्तर-बॉडिंगटन।

7. सांख्यिकी एक साधन है या लक्ष्य ?
उत्तर-साधन।

8. प्रो. डिजराइली के अनुसार झूठ कितने प्रकार के होते हैं ?
उत्तर-तीन।

9. सांख्यिकी का एक कार्य बताइए।
उत्तर-विशाल व जटिल तथ्यों को सरल बनाना।

10. सांख्यिकी किन इकाइयों का अध्ययन नहीं करती है ?
उत्तर-व्यक्तिगत।

अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. एडम स्मिथ को अर्थशास्त्र का जनक क्यों कहा जाता है ?
उत्तर-प्राचीन अर्थशास्त्रियों ने अर्थशास्त्र को धन का विज्ञान कहकर परिभाषित किया है। इन प्राचीन अर्थशास्त्रियों में अर्थशास्त्र सम्बन्धी परिभाषाओं को प्रारम्भ करने का श्रेय एडम
स्मिथ को है। इसी कारण उन्हें ‘अर्थशास्त्र के जनक’ के रूप में जाना जाता है।

प्रश्न 2. प्रो. मार्शल की परिभाषा दीजिए।
उत्तर-“अर्थशास्त्र मनुष्य के जीवन की साधारण व्यापार सम्बन्धी क्रियाओं का अध्ययन ,है। यह इस बात की विवेचना करता है कि वह किस प्रकार धनोपार्जन करता है और किस प्रकार उसका उपयोग करता है। इस प्रकार, यह एक ओर धन का अध्ययन है और दूसरी ओर, जो अधिक महत्वपूर्ण है, मनुष्य के अध्ययन का एक भाग है।”

प्रश्न 3. अर्थशास्त्र की मार्शल द्वारा दी गई परिभाषा की दो आलोचनाएँ लिखिए।
उत्तर-(1) मानवीय क्रियाओं को आर्थिक एवं अनार्थिक क्रियाओं में बाँटना अनुचित है।
(2) जीवन के साधारण व्यवसाय का अस्पष्ट अर्थ। अनाय. प्रो. रॉबिन्स की परिभाषा दीजिए।

उत्तर-“अर्थशास्त्र वह विज्ञान है जो लक्ष्यों तथा उनके सीमित एवं वैकल्पिक उपयोग वाले साधनों के परस्पर सम्बन्धों के रूप में मानव व्यवहार का अध्ययन करता है।”

प्रश्न 5. अर्थशास्त्र से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर-अर्थशास्त्र से आशय-अर्थशास्त्र के अन्तर्गत इस बात का अध्ययन किया जाता है कि मनुष्य या समाज किस प्रकार सीमित साधनों का किफायत के साथ प्रयोग करके वस्तुओं व सेवाओं का उत्पादन करता है तथा उनके द्वारा आवश्यकताओं की पूर्ति करता है। वास्तव में अर्थशास्त्र की कोई भी ऐसी परिभाषा नहीं की जा सकती जो सर्वमात्य हो, क्योंकि इस विषय की विषय-सामग्री को परिभाषाओं के बन्धन में बाँध देना असम्भव कार्य है।

प्रश्न 6, विज्ञान का अर्थ बताइए।
उत्तर-विज्ञान का अर्थ-विज्ञान जानकायहक्रमबद्धरुयोजी किसी विशयकाल या तथ्य के कारण तथा परिणामों के पारस्परिक सम्बन्ध को प्रकट करता है। दूसरी शान विज्ञान किसी भी विषय के क्रमबद्ध ज्ञान को कहते हैं जिसमें किसी तथ्य विशेष के कारण
एवं परिणामों के पारस्परिक सम्बन्धों का अध्ययन किया जाता है।

प्रश्न 7. कला का अर्थ बताइए।
उत्तर-कला का अर्थ-कला शब्द से आशय किसी अध्ययन के व्यावशिक या से लगाया जाता है। कला किसी समस्या का केवल विश्लेषण ही नहीं बात याका समान भी है। सरल शब्दों में, कला उद्देश्यों की प्राप्ति की एक व्यावहारिक तकनीकी है। का प्रयोग वास्तव में व्यावहारिक समस्याओं को सुलझाने, अर्थात् आर्थिक नीतियों के निर्मात्र लिये किया जाता है।

प्रश्न 8. एकवचन में सांख्यिकी का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-एकवचन के रूप में प्रयुक्त होने पर सांख्यिकी का आशय सांख्यिकी विज्ञान से है जिसके अन्तर्गत समंकों के संग्रहण, संक्षिप्तीकरण, प्रस्तुतीकरण, विश्लेषण एवं निवेदन से सम्बन्धित सांख्यिकीय विधियों का उचित रूप से अध्ययन किया जाता है।

प्रश्न 9. सांख्यिकी के कोई दो कार्य लिखिए। (2019)
उत्तर-(1) विशाल एवं जटिल तो को सरल बनाती है,
(2) सांख्यिकी तों को एक निश्चित रूप में प्रस्तुत करती है,
(3) सांख्यिकी विभिन्न तथ्यों की आपस में तुलना करते का कार्य करती है।

प्रश्न 10. सांख्यिकीय विधियों से क्या आशय है?
उत्तर-यूल एवं केण्डाल के अनुसार, “सांख्यिकीय विधियों से हमारा आशयक विधियों से है जिनको अनगिनत कारणों से प्रभावित होने वाले संख्यात्मक तथ्यों की व्याख्या करने के लिए विशेष रूप से प्रयोग किया जाता है।”

प्रश्न 11.सांख्यिकी की सीमाएँ बताइए।
उत्तर-
(1) सांख्यिकी केवल संख्यात्मक तथ्यों का अध्ययन करती है, गुणात्मक तथ्यों का नहीं,
(2) सांख्यिकी समूहों का अध्ययन करती है व्यक्तिगत इकाइयों का नहीं,
(3) सांख्यिकीय समंकों का सजातीय होना आवश्यक है।

प्रश्न 12. रेलवे में सांख्यिकी का महत्व बताइए।
उत्तर-रेलवे तथा यातायात की अन्य संस्थाएँ भी यातायात की व्यवस्था करने, भाड़ा निर्धारित करने, यात्रियों की सुविधाओं का अनुमान लगाने इत्यादि में समंकों को लेती हैं। इस प्रकार, रेलवे में सांख्यिकी का अत्यन्त महत्व है।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. अर्थशास्त्र की धन केन्द्रित परिभाषाओं की मुख्य विशेषताएं लिखिए।
उत्तर-धन केन्द्रित परिभाषाओं की मुख्य विशेषताएँ अग्र प्रकार है-
(1) अर्थशास्त्र के अध्ययन का केन्द्र-बिन्दु धन है।
(2) धन का स्थान मनुष्य से भी अधिक महत्वपूर्ण है।
(3) धन ही मानवीय सुख का एकमात्र साधन है।
(4) साधारणतया, एक मनुष्य जो भी आर्थिक क्रियाएँ करता है, वे उसके स्वार्थ से प्रेरित होती हैं।
(5) व्यक्तिगत समृद्धि से ही राष्ट्रीय धन एवं समृद्धि में वृद्धि होती है।

प्रश्न 2. धन सम्बन्धी परिभाषा की आलोचना कीजिए।
उत्तर-धन सम्बन्धी परिभाषा की प्रमुख आलोचनाएँ निम्नलिखित हैं-
(1) धन का अशुद्ध अर्थ-प्राचीन परिभाषाओं के अनुसार केवल स्थूल पदार्थ ही धन के अन्तर्गत शामिल किये जाते थे, किन्तु धन का यह अर्थ सही नहीं है। वर्तमान समय में, वे सभी वस्तुएँ जिनमें स्वल्पता, उपयोगिता तथा विनिमय-साध्यता के गुण होते हैं, धन के अन्तर्गत आती हैं। उदाहरणार्थ-एक अध्यापक तथा वकील की सेवा भी धन कहलायेगी, जबकि इन्हें न तो देखा और न ही छुआ जा सकता है। अत: प्राचीन परिभाषा दोषयुक्त थी।
(2) मानव को गौण स्थान देना उचित नहीं-एडम स्मिथ आदि अर्थशास्त्रियों ने अर्थशास्त्र की परिभाषा में धन पर अधिक जोर दिया है जो कि परिभाषाओं का सबसे बड़ा दोष है, क्योंकि मनुष्य धन के लिए नहीं होता है, धन मनुष्य के लिए है। उसी की सहायता से वह अपनी समस्त आवश्यकताओं की पूर्ति करता है।’
(3) अर्थशास्त्र के क्षेत्र का संकुचित होना-स्मिथ व उसके अनुयायियों की परिभाषा ने अर्थशास्त्र के क्षेत्र को बहुत संकुचित कर दिया है, क्योंकि उनके द्वारा इस शास्त्र में मात्र भौतिक पदार्थों को ही शामिल किया गया है। डॉक्टर, वकील व अध्यापक की सेवाओं को धन में शामिल नहीं किया गया, जबकि वर्तमान में धन का अर्थ भौतिक व अभौतिक दोनों वस्तुओं से लिया जाता है।
(4) अर्थ मानव की कल्पना-प्राचीन अर्थशास्त्रियों ने काल्पनिक मानव की कल्पना करते हुए अर्थशास्त्र की परिभाषा की थी। उनके अनुसार मानव केवल अपने आर्थिक लाभ, हानि को ध्यान में रखकर कार्य करता है। उस पर दया, धर्म, परोपकार आदि भावनाओं का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है, जबकि व्यावहारिक रूप में ऐसा देखने को नहीं मिलता है।

प्रश्न 3. प्रो. मार्शल द्वारा दी गई अर्थशास्त्र की परिभाषा की विशेषताएँ समझाइए।
त्तिरे-मार्शल द्वारा दी गयी कल्याण सम्बन्धी परिभाषा में निम्न विशेषताएँ पायी जाती
(1) अर्थशास्त्र मुख्यत: धन का नहीं वरन् मनुष्य का अध्ययन है-मार्शल के अनुसार, अर्थशास्त्र के अध्ययन का केन्द्र बिन्दु मनुष्य है। उन्होंने धन की अपेक्षा मनुष्य को अधिक महत्व दिया। उनके अनुसार धन मनुष्य के लिए है, मनुष्य धन के लिए नहीं। धन तो मात्र एक साधन है, साध्य नहीं। साध्य तो मानव कल्याण है।
(2) जीवन के साधारण व्यवसाय का अध्ययन-मार्शल ने अपनी परिभाषा में स्पष्ट किया था कि अर्थशास्त्र के अन्तर्गत मनुष्य की साधारण व्यवसाय सम्बन्धी क्रियाओं का अध्ययन, किया जाता है। यहाँ पर साधारण व्यवसाय से तात्पर्य, एक साधारण मनुष्य द्वारा आय कमाने व उसका प्रयोग करने से है।
(3) भौतिक साधनों का अध्ययन-मार्शल के अनुसार, अर्थशास्त्र के अध्ययन का उद्देश्य भौतिक कल्याण है, अर्थात् अर्थशास्त्र में मात्र ऐसे भौतिक साधना का अध्ययन किया जाता है जिनके द्वारा मनुष्यों का कल्याण होता है। अभौतिक कल्याण को उन्होंने इसके
(4) व्यक्ति की सामाजिक क्रियाओं का अध्ययन-प्रो. मार्शल के अनुसार, अर्थशास्त्र वाले व्यक्तियों जैसे साधु, सन्त आदि की क्रियाओं का अध्ययन इसमें नहीं किया जाता है। में व्यक्ति की केवल सामाजिक क्रियाओं का ही अध्ययन किया जाता है। समाज से अलग रहने में शामिल नहीं किया।

प्रश्न 4. प्रो. रॉबिन्स की परिभाषा की विशेषताएँ लिखिए। (कोई चार)
उत्तर-प्रो. रॉबिन्स की परिभाषा में निम्नलिखित विशेषताएँ हैं-
(1) प्रो. रॉबिन्स ने अर्थशास्त्र को मानव विज्ञान माना है। उनके अनुसार, अर्थशास्त्र में मानव व्यवहार का अध्ययन किया जाता है, फिर चाहे वह मानव समाज में रहता हो अथवा एकान्त में।
(2) इस परिभाषा ने अर्थशास्त्र के क्षेत्र को बहुत व्यापक तथा विस्तृत बना दिया है। मानवीय साधन सीमित होने के कारण प्रत्येक व्यक्ति के सामने, चाहे वह समाज में रहता हो। अथवा समाज के बाहर, चुनाव की समस्या रहती है।
(3) रॉबिन्स की परिभाषा विश्लेषणात्मक है। अर्थशास्त्र में मनुष्य की क्रियाओं के उस पहलू का अध्ययन किया जाता है जिस पर साधनों की सीमितता का प्रभाव पड़ता है।
(4) रॉबिन्स की परिभाषा अर्थशास्त्र की मुख्य समस्या का स्पष्टीकरण करती है। अर्थशास्त्र में हमारा सम्बन्ध भौतिक और अभौतिक दोनों ही प्रकार के पदार्थों से होता है जिनकी मात्रा सीमित होती है। अर्थशास्त्र में केवल चुनाव की समस्या का ही अध्ययन किया जाता है। इससे अर्थशास्त्र के क्षेत्र का सही-सही पता चल जाता है।
(5) रॉबिन्स ने अपनी परिभाषा में मुद्रा अथवा द्रव्य के पैमाने को कोई महत्वपूर्ण स्थान नहीं दिया है।

प्रश्न 5. प्रो. जे. के. मेहता की अर्थशास्त्र की परिभाषा की चार आलोचनाओं की विवेचना कीजिए।
उत्तर-प्रो, जे. के. मेहता के अनुसार, “अर्थशास्त्र मानव के प्रयासों का वह शास्त्र है।
• जिसमें आवश्यकता विहीनता की स्थिति को प्राप्त करने का प्रयास किया जाता है।”
आलोचना-प्रमुख आलोचनाएँ निम्नलिखित हैं-
(1) प्रो. मेहता की इच्छारहित मानव की कल्पना निराधार है।
(2) प्रो. मेहता की अधिकतम सन्तुष्टि की धारणा गलत है।
(3) प्रो. मेहता का अर्थशास्त्र को पूर्णतया आदर्श विज्ञान मानना अनुचित है।
(4) वे इच्छाओं व आवश्यकताओं का अन्त चाहते हैं। प्रो. मेहता का यह विचार अनुचित है, क्योंकि इच्छाविहीन समाज में आर्थिक प्रगति का कोई स्थान नहीं रह जाता है।

प्रश्न 6, मार्शल तथा रॉबिन्स की परिभाषाओं में क्या समानताएँ हैं ?
उत्तर-समानताएँ-प्रो. मार्शल और प्रो. रॉबिन्स की परिभाषा में अग्रलिखित समानताएँ
(1) अर्थशास्त्र एक विज्ञान है-रॉबिन्स व मार्शल दोनों ही अर्थशास्त्री अर्थशास्त्र को एक विज्ञान मानते हैं।
(2)’धन’ एवं ‘सीमित साधन’ जैसे शब्दों का प्रयोग-मार्शल ने अपनी परिभाषा में धन’ व रॉबिन्स ने अपनी परिभाषा में ‘सीमित साधन’ जैसे शब्दों का प्रयोग किया है। अगर अध्ययन किया जाये तो हम पायेंगे कि दुर्लभता अर्थात् ‘सीमितता’ धन का ही एक लक्षण है।
(3) अधिकतम कल्याण-अधिकतम कल्याण की विचारधारा वस्तुत: मार्शल की परिभाषा में दिखायी देती है, पर यही विचार रॉबिन्स की परिभाषा में भी दिखाई देता है। अन्तर सिर्फ इतना है कि रॉबिन्स अधिकतम कल्याण के स्थान पर अधिकतम सन्तुष्टि पर जोर देते हैं। अधिकतम सन्तुष्टि परोक्ष रूप से कल्याण का ही दूसरा रूप है।

प्रश्न 7. अर्थशास्त्र को किन आधारों पर विज्ञान कहा जा सकता है ?
अथवा
क्या अर्थशास्त्र विज्ञान है ? समझाइए।
उत्तर-अर्थशास्त्र के विज्ञान होने के पक्ष में तर्क-अर्थशास्त्र को विज्ञान मानने के पक्ष में निम्नलिखित तर्क हैं-
(1) विज्ञान की भाँति अर्थशास्त्र में भी नियमों; जैसे-उपयोगिता ह्यस नियम, माँग का नियम, उत्पत्ति ह्रास नियम, कीमत सिद्धान्त आदि का निर्माण होता है और इन नियमों में कारण और परिणाम के सम्बन्ध की व्याख्या की जाती है।
(2) इसमें तथ्यों का अवलोकन, एकत्रीकरण, वर्गीकरण तथा विश्लेषण क्रमबद्ध रूप में किया जाता है।
(3) अर्थशास्त्र के कुछ नियम सार्वभौमिक होते हैं; जैसे-माँग का नियम, उपयोगिता ह्रास नियम आदि।
(4) विज्ञान की भाँति, अर्थशास्त्र के तथ्यों को भी मुद्रा रूपी पैमाने से मापा जा सकता है।

प्रश्न 8. अर्थशास्त्र के कला होने के पक्ष में तर्क दीजिए।
उत्तर-अर्थशास्त्र के कला होने के पक्ष में तर्क-अर्थशास्त्र को कला मानने के पक्ष में निम्नलिखित तर्क हैं-
(1) अर्थशास्त्र विभिन्न उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए मार्गदर्शन करता है, जो वास्तव में कला की श्रेणी में आता है। विभिन्न आर्थिक योजनाओं का अध्ययन आज अर्थशास्त्र की विषय-सामग्री का अभिन्न अंग है।
(2) वर्तमान समय में अर्थशास्त्र का स्वरूप व्यावहारिक है। अत: अर्थशास्त्र को कला कहना अधिक उपयुक्त होगा।
(3) पीगू के शब्दों में, “जब हम अर्थशास्त्र का अध्ययन करते हैं तब हमारी प्रवृत्ति एक दार्शनिक के समान ज्ञान के लिए ज्ञान प्राप्त करने की नहीं होती, वरन् डॉक्टर के ज्ञान की तरह होती है, जो (ज्ञान) पीड़ाओं को दूर करने में सहायता करती है।” अत: स्पष्ट है कि अर्थशास्त्र के ज्ञान का मूल्य इसलिए नहीं है कि वह प्रकाशदायक है, अपितु इसलिए है कि वह फलदायक है।
(4) एक कलाकार के रूप में अर्थशास्त्र हमें इस बात का ज्ञान कराता है कि राष्ट्र के सीमित साधनों को किस प्रकार प्रयोग में लाया जाय ताकि अधिकतम उत्पादन हो सके। पूर्ण रोजगार की स्थिति लाने के लिए किन-किन व्यावहारिक नियमों का पालन किया जाना चाहिए? कीमतों में स्थिरता लाने के लिए किन बातों का पालन किया जाये ? इत्यादि। इस प्रकार, कला या व्यावहारिक विज्ञान हमें उन रीतियों का ज्ञान कराता है जिनकी सहायता से हम आदर्श तक पहुँच सकते हैं। इस प्रकार, कला का कार्य दोनों विज्ञानों में सम्बन्ध स्थापित करने का है। इस
प्रकार, कला वैज्ञानिक आधार के विकास में सहायक है, बाधक नहीं।

प्रश्न 9. अर्थशास्त्र की सीमाओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर-अर्थशास्त्र की सीमाएँ-अर्थशास्त्र की सीमाओं को निम्न प्रकार से व्यक्त किया जा सकता है-
(1) अर्थशास्त्र के अन्तर्गत केवल वास्तविक मनुष्य का अध्ययन किया जाता है। इसमें काल्पनिक व्यक्ति को कोई स्थान नहीं दिया जाता।
(2) अर्थशास्त्र में केवल आर्थिक क्रियाओं का अध्ययन किया जाता है, अनार्थिक क्रियाओं का नहीं।
(3) अर्थशास्त्र में केवल मानवीय क्रियाओं का अध्ययन किया जाता है, गैर-मानवीय क्रियाओं का अध्ययन नहीं किया जाता।
(4) प्रो. रॉबिन्स अर्थशास्त्र को केवल वास्तविक विज्ञान मानते हैं। आजकल यह सीमा मान्य नहीं है क्योंकि अर्थशास्त्र को अब वास्तविक विज्ञान के साथ-साथ आदर्श विज्ञान तथा कला के रूप में मान्यता प्राप्त है।
(5) अर्थशास्त्र की एक प्रमुख सीमा यह है कि इसके नियम प्राकृतिक विज्ञान के समान सार्वभौमिक, दृढ़ एवं निश्चित नहीं होते, परन्तु आर्थिक नियम प्रवृत्तियों के द्योतक अवश्य
माने जाते हैं।
प्रश्न 10. सांख्यिकी का अर्थ एवं परिभाषा दीजिए।
अथवा
एकवचन के रूप में सांख्यिकी को समझाइए। (2018)
(संकेत : एकवचन के रूप में शीर्षक देखें।)
अथवा
बहुवचन के रूप में सांख्यिकी को समझाइए।
(2018
(संकेत : बहुवचन के रूप में शीर्षक देखें।)
उत्तर- सांख्यिकी’ शब्द की परिभाषा उसके दोनों अर्थों, एकवचन व बहुवचन में
निम्न प्रकार दी गई है-
बहुवचन या आँकड़ों के रूप में सांख्यिकी की परिभाषाएँ
(1) यूल एवं केण्डाल के अनुसार, “समंकों से तात्पर्य उन आँकड़ों से है जो पर्याप्त सीमा तक अनेक प्रकार के कारणों से प्रभावित होते हैं।”
(2) प्रो. बाउले के अनुसार, “समंक अनुसन्धान के किसी विभाग में तथ्यों के संख्यात्मक विवरण हैं, जिन्हें एक-दूसरे से सम्बन्धित रूप में प्रस्तुत किया जाता है।”
(3) प्रो. होरेस सेक्राइस्ट के अनुसार, “समंक से हमारा अभिप्राय तथ्यों के उन समूहों से है जो अगणित कारणों से पर्याप्त सीमा तक प्रभावित होते हैं, जो संख्याओं में व्यक्त किये जाते हैं, एक उचित मात्रा की शुद्धता के अनुसार गिने या अनुमानित किये जाते हैं, किसी पूर्व निश्चित उद्देश्य के लिए एक व्यवस्थित ढंग से एकत्र किये जाते हैं और एक-दूसरे से सम्बन्धित रूप में प्रस्तुत किये जाते हैं।”
एकवचन या विज्ञान के रूप में सांख्यिकी की परिभाषाएँ
(1) बॉडिंगटन के अनुसार, “सांख्यिकी अनुमानों एवं सम्भाविताओं का विज्ञान है।”
(2) प्रो. सेलिगमैन के अनुसार, “सांख्यिकी वह विज्ञान है, जो ऐसे ठोस समर्को के संकलन, वर्गीकरण, प्रदर्शन तथा निर्वचन की पद्धतियों से सम्बन्ध रखता है, जो जाँच के किसी क्षेत्र पर प्रकाश डालने के लिए एकत्र किये गये हों।”
(3) क्रॉस्टन एवं काउडेन के अनुसार, “सांख्यिकी की संख्या सम्बन्धी समंकों के संग्रह, प्रस्तुतीकरण, विश्लेषण एवं निर्वचन के रूप में परिभाषित किया जा सकता है।” उपर्युक्त परिभाषाओं के आधार पर, सांख्यिकी की एक उचित परिभाषा निम्न प्रकार
दी जा सकती है-
“सांख्यिकी एक विज्ञान एवं कला है जो सामाजिक, आर्थिक, प्राकृतिक व अन्य समस्याओं से सम्बन्धित समंकों के संग्रहण, वर्गीकरण, सारणीयन, प्रस्तुतीकरण, हो सके।”
विश्लेषण, निर्वचन एवं पूर्वानुमान से सम्बन्ध रखती है, ताकि निर्धारित उद्देश्य की प्राप्ति

प्रश्न 11. समंक से क्या आशय है ? इसकी तीन विशेषताएँ
समझाइए।
अथवा
समंकों की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
(2019)
अथवा
“सभी आंकिक आँकड़ों को सांख्यिकी नहीं कहा जा सकता, परन्तु सारी सांख्यिकी को आँकड़े कहा जा सकता है।” इस कथन की पुष्टि कीजिए।
उत्तर-समंक का आशय-होरेस सेक्राइस्ट के अनुसार, “समंकों से हमारा आशय तथ्यों के समूह से है जो कि पर्याप्त सीमा तक अनेक कारणों से प्रभावित होते हैं, जिनको अंकों में व्यक्त किया जाता है, जो कि गणना किए जाते हैं या शुद्धता के उचित स्तर के आधार पर अनुमानित किए जाते हैं, जिनको पूर्ण निश्चित उद्देश्य के लिए व्यवस्थित ढंग से एकत्रित किया जाता है तथा उन्हें एक-दूसरे से सम्बन्ध स्थापित करके रखा जाता है।”
समंकों की विशेषताएँ
(1) समंकों में केवल वे तथ्य शामिल किये जाते हैं, जिन्हें संख्याओं में रखा जा सकता है।
(2) समंक तथ्यों के समूह के रूप में होते हैं, अकेली संख्या तथ्य को समंक नहीं कहा जा सकता है।
(3) समंकों में केवल उन्हीं संख्यात्मक तथ्यों को शामिल किया जाता है, जो अनेक कारणों से प्रभावित होते हैं, क्योंकि ऐसा होने पर ही उनके सांख्यिकी विश्लेषण की आवश्यकता पड़ती है।
उपर्युक्त विभिन्न विशेषताओं के सन्दर्भ में यह कहा जा सकता है कि, “सभी आंकिक आँकड़ों को सांख्यिकी नहीं कहा जा सकता, परन्तु सारौं सांख्यिकी को आँकड़े कहा जा सकता
है।” इसका अर्थ यह है कि यदि तथ्यों का कोई समूह सांख्यिकी है तो वह संख्यात्मक तथ्य अवश्य होगा, लेकिन प्रत्येक संख्यात्मक तथ्य का सांख्यिकीय समंक होना आवश्यक नहीं है। संख्यात्मक तथ्य सांख्यिकी तथ्य तब ही होंगे, जबकि वे समंकों की सभी विशेषताओं को पूरा करें।

प्रश्न 12. सांख्यिकी का अर्थशास्त्र में महत्व समझाइए।
आर्थिक विश्लेषण में सांख्यिकी का क्या महत्व है ?
(2018)
अथवा
उत्तर-आर्थिक विश्लेषण में सांख्यिकी का बहुत महत्व है। सांख्यिकी के द्वारा सभी आर्थिक क्रियाओं का उचित अध्ययन एवं व्याख्या साभव है। चाहे वे क्रियाएँ उपभोग, उत्पादन, विनिमय, वितरण या राजस्व किसी भी क्षेत्र से सम्बन्धित हों। उपभोग के क्षेत्र में समंकों के द्वारा यह ज्ञात होता है कि आय-व्यय किस प्रकार करना चाहिए। उत्पादन के लिए किस-किस साधन की कितनी कितनी आवश्यकता पड़ेगी। विभिन्न वर्षों में उत्पादन का क्या मात्रा उत्पन्न की गई आदि बातों का ज्ञान सांख्यिकी से होता है।
राष्ट्रीय आय तथा वितरण के सम्बन्ध में नीतियाँ सांख्यिकी की सहायता से बनायी जा सकती हैं। अन्त में, राजस्व के क्षेत्र में भी सांख्यिकी से यह पता लगाया जा सकता है कि समाज
के किस वर्ग की कितनी कर क्षमता है। किन-किन वस्तुओं तथा व्यक्तियों पर कर लगाना चाहिए। कर की मात्रा कितनी होनी चाहिए, आदि बातें समंकों की सहायता से पता चलती हैं।

प्रश्न 13. सांख्यिकी की प्रकृति को समझाइए। (2018)
उत्तर-सांख्यिकी एक विज्ञान है-सामान्यत: विज्ञान ज्ञान की उस शाखा को कहते हैं, जिसमें निम्न लक्षण होते हैं-(i) विज्ञान ज्ञान का क्रमबद्ध अध्ययन है, (ii) इसमें नियमों और सिद्धान्तों का समूह होता है, (iii) ये नियम और सिद्धान्त कारण तथा परिणामों के
सम्बन्धों पर आधारित होते हैं तथा (iv) विज्ञान के नियम तथा विधियाँ सार्वभौमिक होती हैं। उपर्युक्त लक्षणों के आधार पर सांख्यिकी को देखा जाये तो स्पष्ट होगा कि इसमें विज्ञान के सभी गुण पाये जाते हैं। सांख्यिकी कला है-कला का अर्थ किसी दिये हुये लक्ष्य या उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए कार्य करने की सर्वोत्तम विधि से है। विज्ञान यह बताता है कि समस्या क्या है ?
कला यह बताती है कि समस्या हल कैसे की जाये? इसीलिये यह कहा जाता है कि कला केवल तथ्यों का वर्णन ही नहीं करती, वरन् लक्ष्य को प्राप्त करने के उपाय भी बताती है। इस दृष्टि से सांख्यिकी निश्चित रूप से कला भी है। अन्त में, हम यह कह सकते हैं कि सांख्यिकी विज्ञान और कला दोनों ही है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. मार्शल द्वारा दी गई अर्थशास्त्र की परिभाषा की आलोचनात्मक व्याख्या
कीजिए।
उत्तर-मार्शल की परिभाषा की आलोचनाएँ-प्रो. मार्शल द्वारा दी गई परिभाषा की काफी समय तक कोई आलोचना नहीं की गयी। परन्तु सन् 1932 में ‘लन्दन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स’ में अर्थशास्त्र के प्राध्यापक प्रो. रॉबिन्स ने अपनी पुस्तक ‘Nature and
Significance of Economic Science’ में जोरदार शब्दों में प्रो. मार्शल की परिभाषा की कटु आलोचना की, जिनमें से कुछ प्रमुख अग्र प्रकार हैं-

(1) मार्शल की परिभाषा में जीवन के साधारण व्यापारिक कार्य’ याक्यांश भ्रमपूर्ण तथा विवाद उत्पन्न करने वाला है-इस वाक्यांश का अर्थ स्पष्ट नहीं है। इससे यह जात नहीं हो पाता कि जीवन के साधारण और असाधारण व्यवसाय में क्या अन्तर है। परिभाषा
कौन-कौनसी नहीं आती। यह स्पष्ट नहीं करती कि कौन-कौनसी क्रियाएँ साधारण व्यवसाय’ के अन्तर्गत आती हैं और
(2) प्रो. मार्शल की परिभाषा भौतिकता के भ्रम में फंसी है-मार्शल के अनुसार, अर्थशास्त्र में मनुष्य के केवल उन्हीं प्रयों का अध्ययन किया जाता है, जिनका सम्बन्ध भौतिक सुख के साधनों की प्राप्ति तथा उपयोग से होता है। अभौतिक साधनों का अध्ययन अर्थशास्त्र
में नहीं किया जाता, लेकिन भौतिक तथा अभौतिक साधनों में भेद करना कठिन है।
(3) प्रो. मार्शल के अनुसार अर्थशास्त्र में भौतिक सुख की वृद्धि करने वाले आर्थिक कार्यों का अध्ययन किया जाता है लेकिन रॉबिन्स का कहना है कि अनेक आर्थिक कार्य भौतिक सुख की समृद्धि में बाधक होते हैं; जैसे-शराब बनाना और बेचना। मार्शल के अनुसार शराब बनाना और बेचना एक आर्थिक कार्य है, लेकिन इससे मनुष्य का कल्याण नहीं होता।
(4) प्रो. मार्शल के अनुसार अर्थशास्त्र में केवल आर्थिक क्रियाओं का ही अध्ययन किया जाता है-प्रो. रॉबिन्स का कहना है कि प्रो. मार्शल ने मनुष्य की क्रियाओं को आर्थिक और अनार्थिक भागों में विभाजित करके भूल की है। केवल द्रव्य से सम्बन्धित होने या न होने से ही कोई मानवीय क्रिया आर्थिक या अनार्थिक नहीं हो जाती। उनके अनुसार, अर्थशास्त्र में मनुष्य की आर्थिक और अनार्थिक दोनों ही प्रकार की क्रियाओं का अध्ययन किया
जाता है।
(5) प्रो. मार्शल की परिभाषा वर्गकारिणी है-प्रो. मार्शल ने भौतिक कल्याण’ तथा ‘साधारण जीवन में व्यापार सम्बन्धी क्रियाएँ’ आदि शब्दों का प्रयोग करके मानवीय क्रियाओं
को भौतिक-अभौतिक’,’कल्याण-अकल्याण’ तथा ‘साधारण-असाधारण’ भागों में विभाजित कर दिया है। यह अवैज्ञानिक है।
(अर्थशास्त्र केवल सामाजिक ही नहीं वरन् मानवीय विज्ञान भी है-मार्शल की परिभाषा के अनुसार, अर्थशास्त्र में केवल समाज में रहने वाले व्यक्तियों की क्रियाओं का ही अध्ययन किया जाता है, परन्तु रॉबिन्स के अनुसार, अर्थशास्त्र एक मानवीय विज्ञान है और इसमें सभी मनुष्यों का अध्ययन होता है, चाहे वह समाज के अन्दर रहते हों या बाहर।

प्रश्न 2. रॉबिन्स द्वारा दी गयी अर्थशास्त्र की परिभाषा लिखिए। इसकी व्याख्या
तथा इसकी आलोचना कीजिए। अथवा “अर्थशास्त्र दुर्लभता का विज्ञान है।” विवेचना कीजिए। दुर्लभता या सीमितता केन्द्रित परिभाषाएँ
उत्तर- वर्तमान काल के सुविख्यात अर्थशास्त्रियों में ‘लन्दन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स’ के सुप्रसिद्ध अर्थशास्त्री प्रो. एल. रॉबिन्स का नाम सर्वप्रथम लिया जाता है। उन्होंने मार्शल एवं अन्य परम्परागत अर्थशास्त्रियों की परिभाषाओं की कटु आलोचना की है। उनके अनुसार, एक सही परिभाषा में अग्रलिखित तीन बातों का समावेश आवश्यक है-
(1) मनुष्य का अध्ययन,
(2) मनुष्य की असीमित आवश्यकताओं के बारे में अध्ययन
सन्तुष्ट करने के लिए सीमित साधनों का अध्ययन जिनके
(3) आवश्यकताओं प्रयोग सम्भव होते हैं। इस प्रकार, प्रो. रॉबिन्स ने सन् 1932 में प्रकाशित अपनी पुस्तक “अर्थशास्त्र के स्वरूप एवं महत्व पर एक निबन्ध” (An Essay on the Nature and Significance of Economic Science) में मार्शल व उनके अनुयायियों का खण्डन करते हुए वज्ञानिक आधार “अर्थशास्त्र वह विज्ञान है जो लक्ष्यों तथा उनके सीमित व वैकल्पिक प्रयोगों वाले साधनों के पर अर्थशास्त्र की एक लोकप्रिय तथा सर्वमान्य परिभाषा देने का प्रयल किया है। उनके अनुसार, आपसी सम्बन्धी के रूप में मानव व्यवहार का अध्ययन करता है।” दुर्लभता केन्द्रित परिभाषाओं की मुख्य विशेषताएँ प्रो. रॉबिन्स तथा उनके अनुयायियों द्वारा दी गयी सीमितता की परिभाषाओं की मुख्य
विशेषताएँ निम्न प्रकार हैं-
लघु उत्तरीय प्रश्न 4 देखें।
रॉबिन्स की परिभाषा की आलोचनाएँ
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से रॉबिन्स की परिभाषा अन्य परिभाषाओं से श्रेष्ठ है तथापि इसकी भी अनेक आलोचनाएँ की गई हैं जो निम्नलिखित हैं-
(1) परिभाषा कठिन है-प्रो. रॉबिन्स द्वारा दी गई अर्थशास्त्र की परिभाषा अत्यन्त कठिन है। पाठकों को इसे भली प्रकार समझने में कठिनाई होती है।
(2) उद्देश्यों के प्रति तटस्थता तथा वास्तविक विज्ञान-रॉबिन्स ने अर्थशास्त्र को एक वास्तविक विज्ञान माना है और बताया है कि अर्थशास्त्र उद्देश्यों के प्रति पूर्णतया तटस्थ रहता है। उनके अनुसार, अर्थशास्त्र का मानव कल्याण से कोई सरोकार नहीं। उनका यह
देता है। मत अव्यावहारिक, अर्थहीन तथा नीरस है। यह अर्थशास्त्र के विषय को ही महत्वहीन बना
(3) ‘साधन’ और ‘साध्य’ शब्दों के अर्थ का अन्तर स्पष्ट नहीं-रॉबिन्स ने अपनी परिभाषा में ‘साधन’ और ‘साध्य’ शब्दों का प्रयोग किया है। इनका अर्थ स्पष्ट नहीं है, जो एक समय में साधन है, वही दूसरे समय में साध्य बन जाता है।
(4) अर्थशास्त्र का क्षेत्र अनावश्यक रूप से विस्तृत कर दिया गया है-प्रो. रॉबिन्स की परिभाषा इतनी व्यापक है कि इसके अनुसार मनुष्य के प्रत्येक कार्य का विवेचन चाहे वह धार्मिक हो, राजनीतिक हो या सामाजिक, अर्थशास्त्र के अन्तर्गत किया जाता है।
(5) परिभाषा में ‘सीमित’ तथा ‘वैकल्पिक प्रयोग’ शब्द अनावश्यक है- सभी साधन सदा सीमित होते हैं और उनका वैकल्पिक प्रयोग भी हो सकता है। ये गुण प्रायः सभी साधनों में पाये जाते हैं। अत: रॉबिन्स ने इन शब्दों का प्रयोग अनावश्यक रूप से किया है।

प्रश्न 3. मार्शल एवं रॉबिन्स की परिभाषा में अन्तर कीजिए।
उत्तर-
परिचय – मार्शल एवं रॉबिन्स की परिभाषा में अन्तर
मार्शल की परिभाषा
रॉबिन्स की परिभाषा
सीमितता सम्बन्धी परिभाषा या दुर्लभता
भौतिक कल्याण सम्बन्धी परिभाषा
मार्शल की अर्थशास्त्र सम्बन्धी परिभाषा सम्बन्धी परिभाषा-रॉबिन्स की परिभाषा
वर्ग में किया गया है।
का वर्गीकरण भौतिक कल्याण सम्बन्धी का वर्गीकरण ‘दुर्लभता सम्बन्धी’ है।
वास्तविक एवं आदर्श विज्ञान-मार्शल वास्तविक विज्ञान-रॉबिन्स का विचार
का विचार था कि अर्थशास्त्र का अध्ययन था कि अर्थशास्त्र का अध्ययन केवल
वास्तविक विज्ञान और आदर्श विज्ञान दोनों वास्तविक विज्ञान के रूप में होना चाहिए।
ही रूपों में होना चाहिए।

3. साधारण मनुष्यों का अध्ययन-मार्शल मनुष्य मात्र का अध्ययन(मानव का विचार था कि अर्थशास्त्र में साधारण, विज्ञान)-रॉबिन्स का विचार यह था कि वास्तविक एवं सामाजिक व्यक्ति का ही अर्थशास्त्र के अन्तर्गत मनुष्य मात्र का अध्ययन होना अन्य किसी का नहीं। अध्ययन होना चाहिए, क्योंकि सभी मनुष्यों पर आर्थिक नियमों का प्रभाव पड़ता है।

4. आर्थिक क्रियाओं का अध्ययन-मार्शल मानवीय क्रियाओं का अध्ययन-रॉबिन्स का विचार था कि अर्थशास्त्र में केवल का कहना है कि अर्थशास्त्र में उन समस्त आर्थिक क्रियाओं का ही अध्ययन होना मानवीय क्रियाओं का अध्ययन होता चाहिए, क्योंकि इनका घनिष्ठ सम्बन्ध है जिनके द्वारा मनुष्य अपनी असीमित
मानव-कल्याण से होता है। आवश्यकताओं को सीमित साधनों के द्वारा सन्तुष्ट करने का प्रयास करता है

5. व्यावहारिक है-मार्शल की परिभाषा कम व्यावहारिक है-रॉबिन्स की परिभाषा वास्तविक एवं व्यावहारिक है। इसमें के अनुसार, प्रत्येक मनुष्य की समस्त साधारण मनुष्यों की आर्थिक क्रियाओं का क्रियाओं का वास्तविक विज्ञान के रूप में
भौतिक कल्याण की दृष्टि से अध्ययन होता अध्ययन होता है। सैद्धान्तिक दृष्टिकोण है एवं इनके अनुसार अर्थशास्त्र विज्ञान से ये सभी बातें सही हैं, किन्तु इनमें एवं कला दोनों है। अत: इनकी परिभाषा व्यावहारिकता का नितान्त अभाव है। व्यावहारिक है।

स्पश्न 4. “अर्थशास्त्र कला और विज्ञान दोनों है।” इस कथन की व्याख्या कीजिए।
अथवा
सुयश्न अर्थशास्त्र कला है अथवा विज्ञान ? स्पष्ट कीजिए।
[संकेत : प्रश्न का निष्कर्ष देखें।
अथवा
अर्थशास्त्र की प्रकृति या स्वभाव से क्या आशय है ? स्पष्ट कीजिए।
अर्थशास्त्र का स्वभाव
उत्तर-
अर्थशास्त्र के स्वभाव पर विचार करते समय यह स्पष्ट करना आवश्यक है कि अर्थशास्त्र विज्ञान है अथवा कला या इसे दोनों रूप में स्वीकार किया जा सकता है। अर्थशास्त्र की विवेचना
में हमें यह स्पष्ट करना होगा कि अर्थशास्त्र किस प्रकार का विज्ञान है।
अर्थशास्त्र विज्ञान के रूप में
विज्ञान का अर्थ-विज्ञान की साधारण तथा प्रचलित परिभाषा है कि यह किसी विषय से सम्बद्ध व्यवस्थित ज्ञान है। तात्पर्य यह है कि जब किसी विषय के अध्ययन से उसका पूर्ण और क्रमबद्ध ज्ञान प्राप्त हो सके तो उसे विज्ञान की संज्ञा दी जाती है। पोइनकेअर के
अनुसार, “विज्ञान तथ्यों द्वारा निर्मित होता है, जिस प्रकार कि एक मकान ईंटो द्वारा निर्मित होता है। परन्तु तथ्यों को एकत्रित करना मात्र उसी प्रकार से विज्ञान नहीं है जिस प्रकार से एक ईंटों का ढेर मकान नहीं है।” उपर्युक्त परिभाषा के अनुसार, विज्ञान में निम्न तथ्यों का समावेश होना अनिवार्य है-
(1) तथ्यों का क्रमबद्ध अध्ययन होना अनिवार्य है।
(2) विज्ञान के अपने नियम व सिद्धान्त होने चाहिए।
(3) सिद्धान्त, कारण और परिणामों से परस्पर सम्बन्धित होने चाहिए।
(4) विज्ञान के नियमों में वास्तविकता होनी चाहिए।
क्या अर्थशास्त्र विज्ञान है ? Is Economics aScience?) अर्थशास्त्र को अधिकांश
विद्वानों ने विज्ञान माना है। वास्तव में यह दृष्टिकोण ठीक ही है क्योंकि अर्थशास्त्र में कार्यों के कारण और परिणाम के पारस्परिक सम्बन्ध की व्याख्या होती है। अर्थशास्त्र के विज्ञान होने के पक्ष में तर्क-लघु उत्तरीय प्रश्न 7 का उत्तर देखें।
अर्थशास्त्र कला के रूप में कला का अर्थ (Meaning of Art)-कला से अभिप्राय निर्दिष्ट उद्देश्यों को प्राप्त करने की रीति से होता है। चित्रकार कागज पर तालिका से रंग भरकर चित्र बनाने के लक्ष्य को प्राप्त करना चाहता है। इसके लिए वह जिस रीति का प्रयोग करता है, वह ‘कला’ है। विज्ञान में तथ्यों का विश्लेषण होता है और कला में कार्य करने की प्रणाली का, दोनों में सामंजस्य करना
सहज नहीं होता है। कला को स्पष्ट करते हुए प्रो. कोसा (Cossa) ने कहा है कि, “विज्ञान हमें सैद्धान्तिक ज्ञान की शिक्षा देता है, जबकि कला व्यावहारिक क्रियाओं का प्रशिक्षण देती है। संक्षेप में, विज्ञान केवल व्याख्या ही करता है, जबकि कला तथ्यों की प्राप्ति के लिए नियमों का प्रतिपादन करती है।”
अर्थशास्त्र के कला होने के पक्ष में तर्क-लघु उत्तरीय प्रश्न 8 का उत्तर देखें। उपर्युक्त विवेचन से स्पष्ट हो जाता है कि अर्थशास्त्र न केवल एक ‘विज्ञान’ है वरन् यह एक ‘कला’ भी है। क्योंकि अर्थशास्त्र विज्ञान के रूप में यह मानव व्यवहार को समझाने
में सहायता पहुँचाता है, तो कला के रूप में यह जीवन स्तर में सुधार के लिए उचित समाधान भी प्रस्तुत करता है। अत: यह कहा जा सकता है कि अर्थशास्त्र विज्ञान के रूप में ईंटों के ढेर
को एक भवन के रूप में सुसज्जित करने का नक्शा तैयार करता है, तो कला के रूप में यह उस नक्शे को कार्यान्वित करता है। अत: हम इस निष्कर्ष पर पहुँचते हैं कि अर्थशास्त्र न केवल
विज्ञान है वरन् कला भी है। मागला मत मला काम
प्रश्न भारत में अर्थशास्त्र के अध्ययन का क्या महत्व है ? समझाइए।
अथवा
अर्थशास्त्र के किन्हीं पाँच महत्व की व्याख्या कीजिए।
अथवा
आप अर्थशास्त्र का अध्ययन क्यों करना चाहते हैं ?
(2019)
उत्तर-(अर्थव्यवस्था को समझने में सहायक-अर्थशास्त्र का अध्ययन सम्पूर्ण प्रगति की सम्पूर्ण झाँकी मिलती है।
अर्थव्यवस्था को समझने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसके अध्ययन से अर्थव्यवस्था को (अ व्यावसायिक समस्याओं के समाधान में सहायक-वर्तमान जटिल आर्थिक युग में, प्रत्येक व्यवसायी एवं उद्योगपति को पग-पग पर अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। अर्थशास्त्र का अध्ययन इन समस्याओं के समाधान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
(3) आर्थिक नीतियों के निर्धारण में सहायक-अर्थशास्त्र के सिद्धान्त एवं नीतियाँ भावी आर्थिक योजनाओं एवं नीतियों के निर्धारण में भी सहायक हैं। एक व्यक्ति, व्यवसाय,
फर्म, उद्योग एवं राष्ट्र की आर्थिक योजनाओं एवं नीतियों का निर्धारण भूतकालीन आर्थिक परिणामों के विश्लेषण, वर्तमान आर्थिक परिस्थितियों के सन्दर्भ तथा भावी आर्थिक पूर्वानुमानों
के सन्दर्भ में किया जाता है।
(4) राष्ट्रीय आय के वितरण में सहायक-किसी भी वस्तु या सेवा का उत्पादन, उत्पादन के विभिन्न साधनों के संयुक्त प्रयास का परिणाम होता है। इस सम्बन्ध में एक मुख्य समस्या यह उत्पन्न होती है कि इन सभी साधनों के मध्य राष्ट्रीय आय का वितरण किस प्रकार किया जाये। वितरण के सामान्य सिद्धान्त, लगान का सिद्धान्त, मजदूरी का सिद्धान्त, व्याज का सिद्धान्त तथा लाभ का सिद्धान्त इस समस्या के समाधान में सहायता करते हैं।
(5) कर नीति के निर्धारण में सहायक-अर्थशास्त्र सरकार को भी आवश्यक दिशा- निर्देश प्रदान कराता है। सरकार इसकी सहायता से देश के लिए उपयुक्त कर नीति निर्धारित कर सकती है।

प्रश्न 6. सांख्यिकी के क्षेत्र की विस्तार से व्याख्या कीजिए।
अथवा सांख्यिकी की विषय सामग्री लिखिए।
(2019)
अथवा
व्यावहारिक सांख्यिकी का आशय स्पष्ट कीजिए तथा उसके प्रकारों का वर्णन कीजिए।
उत्तर-सांख्यिकी का क्षेत्र-प्राय: जो भी तथ्य प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से संख्याओं में व्यक्त किये जा सकते हैं, सांख्यिकी के क्षेत्र के अन्तर्गत आते हैं। सांख्यिकी के क्षेत्र तथा विभागों (या विषय-सामग्री) को अध्ययन की सुविधा की दृष्टि से निम्न दो भागों में बाँटा जा सकता है-(1) सांख्यिकीय रीतियाँ, (II) व्यावहारिक सांख्यिकी।
(1) सांख्यिकीय रीतियाँ-सांख्यिकीय रीतियाँ उन रीतियों को कहते हैं जिन्हें संख्यात्मक तथ्यों का स्पष्टीकरण करने के लिए प्रयोग किया जाता है। यूल तथा केण्डाल के अनुसार, “सांख्यिकीय रीतियों से हमारा आशय उन रीतियों से है जो विविध कारणों से प्रभावित संख्यात्मक तथ्यों का स्पष्टीकरण करने के लिए विशेष रूप से प्रयोग की जाती है जॉनसन संगठन, संक्षिप्तीकरण, विश्लेषण, निर्वचन और प्रस्तुतीकरण में प्रयोग की जाती हैं।”
तथा जेक्स के अनुसार, “सांख्यिकीय रीतियाँ वे प्रक्रियाएँ हैं जो संख्यात्मक तथ्यों के संग्रहण, सांख्यिकी की विभिन्न रीतियों को निम्नलिखित चार वर्गों में बाँट सकते हैं-
(1) आँकड़ों का संकलन,
(2) प्रस्तुतीकरण। श्रेणी का विश्लेषण, आन्तरगणन इत्यादि।
कराना है।
(3) विश्लेषण-माध्य, अपकिरण, विषमता, सह-सम्बन्ध, सूचकांक रचना, काल
(4) निर्वचन-मुख्य कार्य निष्कर्ष निकालना व उनकी सांख्यिकीय तरीके से जाँच जाय, इसका अध्ययन इस विभाग में किया जाता है। किसी समस्या से सम्बन्धित संख्याओं का

(II) व्यावहारिक सांख्यिकी-सांख्यिकीय विधियों को व्यवहार में किस प्रकार लाया।
उत्तर-
किस प्रकार संग्रह, विश्लेषण एवं निर्वचन किया जाय, यह व्यावहारिक सांख्यिकी का क्षेत्र है। व्यावहारिक सांख्यिकी को पुनः निम्न दो भागों में बाँटा जाता है-
(1) वर्णनात्मक व्यावहारिक सांख्यिकी (Deseriptive Applied Statistics)- इसके अन्तर्गत किसी क्षेत्र से सम्बन्धित भूतकाल एवं वर्तमान काल में संकलित समंकों का अध्ययन किया जाता है; जैसे-दो समय के मूल्य स्तरों के अन्तरों को निर्देशांक द्वारा सरल
बनाया जाता है। ये समंक ऐतिहासिक महत्व के होते हैं।
(2) वैज्ञानिक व्यावहारिक सांख्यिकी (Scientific Applied Statistics)-इसके अन्तर्गत सांख्यिकीय विधियों का प्रयोग करने के बाद संकलित समंकों से वैज्ञानिक नियमों का प्रतिपादन किया जाता है अथवा प्रचलित नियमों व सिद्धान्तों की पुष्टि की जाती है। उदाहरण के लिए, प्रशासन द्वारा उचित औद्योगिक नीति का निर्माण करने के लिए अथवा प्रचलित औद्योगिक नीति की पुष्टि करने के लिए तत्सम्बन्धित औद्योगिक समंक संकलित किये जा
सकते हैं।

प्रश्न 7. सांख्यिकी के कार्यों की विवेचना कीजिए। श्री सांख्यिकी के कार्य
(1) जटिल तथ्यों को सरल बनाना-अनेक प्रकार के संख्यात्मक कथन, जो भारी जटिलताओं और विषमताओं से पूर्ण होते हैं, सरलता से सामान्य मनुष्य की समझ से परे होते हैं। सांख्यिकी की विभिन्न रीतियों के प्रयोग द्वारा; जैसे-वर्गीकरण, सारणीयन, तुलना और सह-सम्बन्ध द्वारा इन जटिलताओं को सरलता में बदल लिया जाता है जिसके परिणामस्वरूप
कोई भी सामान्य व्यक्ति इन्हें सरलता से समझ सकता है।
(भ तथ्यों को। एक निश्चित रूप में प्रस्तुत करती है-सांख्यिकी का सबसे महत्वपूर्ण कार्य विभिन्न प्रकार के तथ्यों को संख्याओं के रूप में प्रस्तुत करना होता है। उदाहरण के लिए, यह कहना कि हमारी राष्ट्रीय आय कम है अथवा जनसंख्या बहुत अधिक है, उस समेय
तक अर्थहीन है जब तक कि दोनों कथनों का संख्याओं द्वारा स्पष्ट रूप न दिया जाय। यदि इस प्रकार के तथ्यों को तुलना योग्य स्थिति में प्रदर्शित करना है तो संख्याओं का प्रयोग अति अनिवार्य है। इस दिशा में सांख्यिकी का सबसे महत्वपूर्ण कार्य यही है।
(३) समुचित नीति का निर्धारण करना-सांख्यिकी विभिन्न क्षेत्रों में सामाजिक, आर्थिक, व्यापारिक नीतियाँ निर्धारित करने में पथ प्रदर्शक का कार्य करती है। कोई राष्ट्र सी वर्ष किस वस्तु का कितना आयात करे और किस वस्तु का निर्यात करें, यह समुचित आंकड़ों के उपलब्ध होने पर ही निश्चित किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, संख्यात्मक विश्लेषण द्वारा ही सही पता चल सकता है कि भारतीय सरकार द्वारा बैंकों के राष्ट्रीयकरण की
नीति कहाँ तक सफल रही। अत: अनेक नीतियों का निर्माण सांख्यिकी पर आधारित होता है। अव्यक्तिगत अनुभव व ज्ञान में वृद्धि करना-प्रो. बाउले के शब्दों में, “सांख्यिकी का उचित कार्य वास्तव में व्यक्तिगत अनुभव की वृद्धि करना है।” सांख्यिकी द्वारा जटिल एवं व्यवस्थित समंकों को समझने योग्य बनाया जा सकता है और उन समंकों के आधार पर अनुसन्धानकर्ता अनेक प्रकार के परिणाम प्रस्तुत कर सकता है और अनुमान लगा सकता है।
इस प्रकार, सांख्यिकी मानव के ज्ञान एवं अनुभव में वृद्धि करती है; जैसे-राष्ट्रीय आय, उत्पादन अन्य संख्यात्मक तथ्यों द्वारा मानव के अनुभव व ज्ञान में वृद्धि होती है।
(5) तथ्यों को तुलनात्मक रूप में प्रस्तुत करना-सांख्यिकी विभिन्न तथ्यों की आपस में तुलना करने का कार्य करती है। कुछ सांख्यिकीय साधनों; जैसे-औसत, अनुपात, प्रतिशत आदि का प्रयोग तुलना के लिए किया जाता है।
(6) वैज्ञानिक नियमों की जाँच करना-सांख्यिकीय विधियों के प्रयोग द्वारा ही विभिन्न विज्ञानों का विकास सम्भव हुआ है। सभी विज्ञानों में निगमन द्वारा प्रस्तुत पुराने नियमों के परीक्षण और नये नियमों के निर्माण में सांख्यिकीय विधियाँ उपयोगी सिद्ध होती हैं। अत: सांख्यिकी किसी विज्ञान द्वारा प्रतिपादित नियम की सत्यता परखने के लिए भी रीतियाँ प्रदान करती है।

प्रश्न 8. सांख्यिकी के महत्व लिखिए।
अथवा
“सांख्यिकी प्रत्येक व्यक्ति को प्रभावित करती है और जीवन को अनेक बिन्दुओं पर स्पर्श करती है।” स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
सांख्यिकी का महत्व
वर्तमान युग में सांख्यिकी का महत्व बढ़ गया है। आज जीवन के हर क्षेत्र में इसका प्रयोग होता है। प्रो. हार्षर ने सांख्यिकी के महत्व पर प्रकाश डालते हुए लिखा है-“समंक विवेकपूर्ण निर्णयों के आधार बनते जा रहे हैं तथा घटनाओं से यह सिद्ध होता है कि समंकों पर आधारित निर्णयों से श्रेष्ठतम परिणाम प्राप्त होते हैं।” नीचे सांख्यिकी के विभिन्न क्षेत्रों में
महत्व की विवेचना की गई है-
(1) अर्थशास्त्र में सांख्यिकी का महत्व-अर्थशास्त्र के अध्ययन में सांख्यिकी का विशेष महत्व है। अर्थशास्त्र के प्रत्येक विभाग में इसका प्रयोग होता है। सांख्यिकी के माध्यम से ही सभी आर्थिक क्रियाओं का नियमन एवं व्यवस्था सम्भव होती है। प्रो. बाउले के अनुसार, ‘अर्थशास्त्र का कोई भी विद्यार्थी पूर्णता का दावा नहीं कर सकता जब तक कि वह सांख्यिकी की रीतियों में निपुण न हो। प्रत्येक आर्थिक नीति के निर्माण में सांख्यिकी का प्रयोग आवश्यक
होता है।” आवश्यकताएँ, रहन-सहन का स्तर, पारिवारिक बजट, माँग की लोच, मुद्रा की मात्रा, बैंक दर, आयात-निर्यात की नीति का अध्ययन तथा निर्माण सांख्यिकीय आँकड़ों के आधार पर ही किया जाता है। आधार पर ही सरकार अपना बजट तैयार करती है।
(2) सांख्यिकी का प्रशासन में महत्व-वर्तमान युग में प्रशासन में सांख्यिकी का मरल इतना बढ़ गया है कि कुछ विद्वानों का कहना है कि ये प्रशासन के नेत्र होते है। यह सही भी है। के लिए अनेक प्रकार की सूचनाएं, जैसे-जनसंख्या, राष्ट्रीय आय-व्यय, आयात-निर्यात राष्ट्रीय आधुनिक शासन व्यवस्था पूर्णतया सांख्यिकीय आँकड़ों पर निर्भर रहती है। प्रशासन को चलाने उत्पादन, कीमत का निर्धारण, मजदूरी का निरिण, सैन्य शक्ति, वचत, विनियोग सम्बन्धी सूचनाएँ एकत्रित करने के लिए सांख्यिकीय विधियों का प्रयोग किया जाता है।
(3) अनुसन्धान में सांख्यिकी का महत्व-वर्तमान में प्राय: प्रत्येक विषय के में सांख्यिकी का प्रयोग अत्यन्त आवश्यक हो गया है। भौतिक एवं सामाजिक विज्ञानी के सभी क्षेत्रों में अनुसन्धान के लिए समंकों का प्रयोग आवश्यक है। समंकों के बिना अनुसन्धानकर्ता समंकों के
(4) सांख्यिकी का सार्वभौमिक महत्व-वर्तमान में सांख्यिकी का प्रयोग प्रायः सभी क्षेत्रों में होता है। अतः यह एक सार्वभौमिक महत्व का विज्ञान बन गई है। सरकार, प्रशासक, व्यापारी, उद्योगपति, उपभोक्ता, अर्थशास्त्री, अनुसन्धानकर्ता आदि सभी सांख्यिकी का प्रयोग करते हैं। प्राय: सभी विज्ञानों के सिद्धान्तों का प्रतिपादन तथा उनकी पूष्टि सांख्यिकीय विधियों के प्रयोग द्वारा की जाती है। टिप्पेट के शब्दों में, “सांख्यिकी प्रत्येक व्यक्ति को प्रभावित अनुसन्धान सही निष्कर्ष नहीं निकाल सकता।
महत्व का विषय है। करती है और जीवन को अनेक बिन्दुओं पर स्पर्श करती है।” अतः सांख्यिकी सार्वभौमिक

प्रश्न 9. सांख्यिकी की सीमाओं की विवेचना कीजिए।
उत्तर-सांख्यिकी की प्रमुख सीमाएँ निम्नलिखित हैं-
(1) सांख्यिकी समूहों का अध्ययन करती है-सांख्यिकी में संख्यात्मक तथ्यों को सामूहिक विशेषताओं का विवेचन किया जाता है। व्यक्तिगत इकाइयों की निजी विशेषताओं पर कोई ध्यान नहीं दिया जाता।
(2) सांख्यिकी केवल संख्यात्मक तथ्यों का ही अध्ययन करती है-केवल उन्हीं समस्याओं का सांख्यिकी के अन्तर्गत अध्ययन किया जा सकता है, जिनको संख्याओं के रूप में व्यक्त किया जा सके; जैसे-आयु, ऊँचाई, उत्पादन, मजदूरी आदि। गुणात्मक पहलुओं
जैसे-स्वास्थ्य बौद्धिक स्तर, दरिद्रता आदि का विश्लेषण नहीं किया जाता है। (अ सांख्यिकीय रीति किसी समस्या के अध्ययन की एकमात्र रीति नहीं है- यह नहीं मान लेना चाहिए कि सांख्यिकीय रीति ही अनुसन्धान कार्य में प्रयोग की जाने वाली एकमात्र रीति है, क्योंकि सांख्यिकीय विधियाँ सभी परिस्थितियों के लिए सर्वोत्तम हल नहीं देती। इसलिए निष्कर्षों को निकालते समय अन्य विधियों का भी प्रयोग किया जाना चाहिए। गणितीय परिशुद्धता नहीं-सांख्यिकीय विश्लेषण सम्भावना है, जिसमें परिणाम शुद्धता के उच्च स्तर पर निकालने के प्रयास किये जाते हैं, परन्तु जहाँ शत-प्रतिशत शुद्धता की आवश्यकता हो, वहाँ सांख्यिकी सहायक सिद्ध नहीं होती।
(5) सांख्यिकीय नियम केवल औसत रूप से और दीर्घकाल में ही सत्य होते हैं-सांख्यिकी के नियम भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान या खगोलशास्त्र के नियमों क पर आधारित उतरते हैं।
भाँति पूर्ण रूप से सत्य नहीं होते। वे केवल दीर्घकाल में औसत रूप से तथा समूहों पर ही पूरे आँकड़ों का संग्रहण, व्यवस्थापन और प्रस्तुतीकरण
(6) समंकों में एकरूपता तथा सजातीयता होनी चाहिए-समकों की आपस में तुलना करने के लिए यह आवश्यक है कि वे एकरूप और सजातीय हो। भिन्न-भिन्न जाति के तथा विभिन्न तथ्यों से सम्बन्धित समंकों की तुलना नहीं की जा सकती है।
(7) सांख्यिकी का उचित प्रयोग केवल विशेषज्ञ ही कर सकते हैं-केवल उन्हीं व्यक्तियों द्वारा ही समंकों का उचित रूप से संकलन, विश्लेषण व निर्वचन किया जा सकता है जो सांख्यिकीय रीतियों का विशेष ज्ञान रखते हैं। अयोग्य और अनभिज्ञ व्यक्तियों द्वारा निकाले हाथ में सांख्यिकीय रीतियाँ बहुत खतरनाक औजार है।”
गये निष्कर्ष गलत व अशुद्ध होते हैं। यूल एवं कैण्डाल के शब्दों में, “अयोग्य व्यक्तियों के उपर्युक्त तथ्यों से स्पष्ट है कि सांख्यिकीय रीतियों का प्रयोग करते समय उसकी परिसीमाओं को ध्यान में रखना चाहिए। इनकी उपेक्षा करने से भ्रमात्मक निष्कर्ष निकलते
ही किंग ने ठीक ही कहा है, “सांख्यिकी वह मिट्टी है जिससे कोई भगवान या शैतान कुछ भी बना सकता है।”

Be the first to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published.


*