पाठ 7 छाया मत छूना -गिरिजाकुमार माथुर -कवित MP Board हिन्दी क्षितिज Hindi Class-10 क्षितिज-हिंदी class 10 Hindi पाठों के अभ्यास एवं अन्य परीक्षोपयोगी महत्त्वपूर्ण प्रश्न

पाठ 7 छाया मत छूना -गिरिजाकुमार माथुर -कवित

अभ्यास प्रश्न

प्रश्न 1, कवि ने कठिन यथार्थ के पूजन की बात क्यों कही है?
उत्तर – कवि ने कठिन यथार्थ के पूजन की बात इसलिए कही है कि कठिन यथार्थ ही जीवन का सत्य है शेष सब कुछ असत्य है। अत: व्यक्ति को कठिन यथार्थ का ही सदैव पूजन करना चाहिए।

प्रश्न 2. भाव स्पष्ट कीजिए- प्रभुता का शरण-बिंब केवल मृगतृष्णा है, हर चंद्रिका में छिपी एक रात कृष्णा है।
उत्तर-आज व्यक्ति यश-वैभव पाने की लालसा में संलग्न है। यह सब दिखावा मात्र है जो मृगतृष्णा के समान है। सुख के बाद दुःख तथा दुःख के बाद सुख का आना निश्चित है। सुख में ही दुःख की अनुभूति छिपी है।

प्रश्न 3. ‘छाया’ शब्द यहाँ किस संदर्भ में प्रयुक्त हुआ है ? कवि ने उसे छूने के लिए मना क्यों किया है ?
उत्तर-‘छाया’ शब्द यहाँ भूतकालीन सुखद स्मृतियों के संदर्भ में प्रयुक्त हुआ है। कवि ने उसे छूने के लिए मना इसलिए किया है कि भूतकालीन सुख को याद करने से वर्तमानकालिक दु:ख और बढ़ जाते हैं।

प्रश्न 4. कविता में विशेषण के प्रयोग से शब्दों के अर्थ में विशेष प्रभाव पड़ता है; जैसे-कठिन यथार्थ । कविता में आए ऐसे अन्य उदाहरण छाँटकर लिखिए और वह भी लिखिए कि इसमें शब्दों के अर्थ में क्या विशिष्टता पैदा हुई ?
उत्तर-कविता में ऐसे अन्यं उदाहरण तथा उनके अर्थ की विशिष्टता इस प्रकार है- सुरंग सुधियाँ सुहावनी-रंग-बिरंगी और सुहावनी यादें। (रंग-बिरंगी) हर चंद्रिका में छिपी-प्रत्येक सुख में कोई न कोई दु:ख छिपा होता है। (सुख में दु:ख छिपना) शरद-रात-सर्दी से युक्त रातें। (सुख की रातें/सुख के दिन)

प्रश्न 5. ‘मृगतृष्णा’ किसे कहते हैं ? कविता में इसका प्रयोग किस अर्थ में हुआ है ?
उत्तर-चिलचिलाती धूप में हिरण को रेगिस्तान में पानी-सा पर नजर आता है। पुनः आगे पानी दिखाई देने लगता है। इसी ज्ञान को ‘मृगतृष्णा’ कहते हैं। कविता में इसका प्रयोग यश-वभव पाने यह के अर्थ में हुआ है।

प्रश्न 6. बीती ताहि बिसार दे आगे की सुधि ले भाव कविता की किस पंक्ति में झलकता है ?
उत्तर-यह भाव कविता की इस पंक्ति में झलकता है- ‘जो न मिला भूल उसे कर तू भविष्य वरण’

प्रश्न 7. कविता में व्यक्त दु:ख के कारणों को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-कविता में व्यक्त दु:ख के कारण निम्न प्रकार हैं-
(1) भूतकालीन सुख का स्मरण करने से दु:ख होता है।
(2) अतीत का सुख याद करने से दु:ख दो गुना हो जाता है।
(3) यश-सम्मान प्राप्त करने की चाहत में दुःख बढ़ता ही जाता है।
(4) भौतिकता की ओर दौड़ने से दुःख बढ़ता ही जाता है।
(5) प्रभुत्व पाने का चाहत में भी दु:ख बढ़ जाता है।
(6) मन में संतोष का भाव न होने पर दु:ख होता है। दुःख होता है।
(7) जो वस्तु प्राप्त न हो सकी उस पर पश्चाताप करने से रचना और अभिव्यक्ति

प्रश्न 8. ‘जीवन में हैं सुरंग सुधियाँ सुहावनी’, से कवि का अभिप्राय जीवन की मधुर स्मृतियों से है। आपने अपने जीवन की कौन-कौन सी स्मृतियाँ संजो रखी हैं ?
उत्तर-हमने अपने जीवन की निम्नलिखित स्मृतियाँ संजो रखी हैं- खाते-पीते व खेलते थे।
(1) बचपन के वे दिन जब हम सभी भाई-बहिन एक साथ आना।
(2) विद्यालय में वाद-विवाद प्रतियोगिता में प्रथम स्थान
(3) सहपाठियों के साथ शैक्षिक भ्रमण पर ग्वालियर शहर का भ्रमण।
(4) गर्मी की रातों में छत पर सोते हुये एकटक आसमान के तारों को निहारना।

प्रश्न 9. क्या हुआ जो खिला फूल रस-बसंत जाने पर ?’ कवि का मानना है कि समय बीत जाने पर भी उपलब्धि मनुष्य को आनंद देती है। क्या आप ऐसा मानते हैं ? तर्क सहित लिखिए।
उत्तर-समय बीत जाने पर भी उपलब्धि मनुष्य को आनंद तो देती है परन्तु उसका स्वाद कम हो जाता है। समय पर होने वाली उपलब्धि का आनंद अलग ही होता है। जैसे-किसी को भूख लगने पर रोटी न मिले तो वह दुःखी होगा और अचानक भूख मिटने के बाद रोटी मिल जाये तो उतना सुख प्राप्त नहीं होगा जितना भूखा होने पर होता।

पाठेतर सक्रियता

1.आप गर्मी की चिलचिलाती धूप में कभी सफर करें तो दूर सड़क पर आपको पानी जैसा दिखाई देगा पर पास पहुँचने पर वहाँ कुछ नहीं होता। अपने जीवन में भी कभी-कभी हम सोचते कुछ हैं, दिखता कुछ है लेकिन वास्तविकता कुछ और होती है। आपके जीवन में घटे ऐसे किसी अनुभव को अपने प्रिय मित्र को पत्र लिखकर अभिव्यक्त कीजिए।
2. कवि गिरिजाकुमार माथुर की ‘पंद्रह अगस्त’ कविता खोजकर पढ़िए और उस पर चर्चा कीजिए। उत्तर- उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर विद्यार्थी अपने आदरणीय गुरुजनों की सहायता से एवं पुस्तकालय की सहायता से प्राप्त करें।

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