CLASS 9TH HINDI MP BOARD NCERT अध्याय 4 कवियों का साहित्यिक परिचय Pariksha Adhyayan Hindi 9th

CLASS 9TH HINDI MP BOARD NCERT अध्याय 4 कवियों का साहित्यिक परिचय Pariksha Adhyayan Hindi 9th

अध्याय 4
कवियों का साहित्यिक परिचय

अध्याय 4 कवियों का साहित्यिक परिचय

i. कबीर
जीवन-परिचय-कबीर का जन्म सन् 1398 ई. में काशी में माना जाता है। नीरू और नीमा नामक जुलाहे दम्पत्ति ने कबीर को बनारस के लहरतारा तालाब के किनारे पाया था। कबीर प्रसिद्ध सन्त रामानन्द के शिष्य माने जाते हैं। इनकी पत्नी का नाम लोई, पुत्र का नाम कमाल और पुत्री का नाम कमाली था। इन्होंने
मूर्ति पूजा, कर्मकाण्ड तथा बाहरी आडम्बरों का विरोध किया। इन्होंने हिन्दू-मुस्लिम एकता का नारा भी दिया। लगभग 120 वर्ष की उम्र पाकर सन् 1518 ई. में कबीर की मगहर में मृत्यु हो गई।

रचनाएँ-कबीर पढ़े-लिखें नहीं थे। अत: इनकी वाणी का संग्रह उनके शिष्य धर्मदास ने किया जो ‘बीजक’ के नाम से प्रसिद्ध है। ‘बीजक’ के तीन भाग हैं-साखी, सबद और रमैनी।

कलापक्ष-भावपक्ष
(क) भावपक्ष-

(1) दार्शनिक विचार-कबीर के काव्य में दार्शनिक विचारधारा मिलती है। उस समय में फैली अनेक धार्मिक परम्पराओं में से कबीर ने सार तत्व को लिया और एक नये पंथ का निर्माण किया जिसे कबीर पंथ के नाम से जाना जाता है।
(2) रहस्यवादी विचारधारा-अनेक स्थानों पर इनके काव्य में रहस्यात्मकता के दर्शन होते हैं। कबीर ने ईश्वर को अनेक रूपों में अनुभव किया। जैसे-
“राम मोरे पिउ, मैं राम की बहुरिया।”
(3) समाज सुधार-कबीर के काव्य में समाज सुधार की भावना है। हिन्दू-मुसलमान, ब्राह्मण-शूद्र आदि का भेद ईश्वर द्वारा नहीं बनाया गया। उन्होंने आडम्बरों का विरोध किया। सामाजिक बुराइयों पर चोट की।

(ख) कलापक्ष-

भाषा-छंद, अलंकार-कबीर पढ़े-लिखे नहीं थे इसलिए उनका ज्ञान सत्संग और भ्रमण से प्राप्त था। उनकी भाषा में पूर्वी, अवधी, राजस्थानी, ब्रज, पंजाबी, खड़ी बोली, अरबी और फारसी आदि अनेक भाषाओं के शब्द मिलते हैं। इनकी भाषा अपरिष्कृत और अपमार्जित है। अत: इनकी भाषा को सधुक्कड़ी या खिचई हैं।
भाषा कहते हैं। कबीर ने दोहा, चौपाई, पद छंदों का प्रयोग किया है। आपके काव्य में अनुप्रास, रूपक, उपमा आदि अलंकारों का स्वाभाविक प्रयोग हुआ है। आपने उपदेशात्मक शैली को अपनाया। साहित्य में स्थान-ज्ञानमार्गी शाखा के प्रतिनिधि कवि कबीर उच्च कोटि के विचारक महान समाज सुधारक तथा निर्भीक स्वभाव के धनी कबीर ने हिन्दी को श्रेष्ठ साहित्य से परिपूर्ण किया है। हिन्दी साहित्य में आपका अत्यन्त महत्वपूर्ण स्थान है।

2. रसखान
जीवन-परिचय-रसखान का वास्तविक नाम सैयद इब्राहीम था। इनका जन्म सन् 1548 में दिल्ली में हुआ था। रसखान कृष्ण के अनन्य भक्त थे। इन्होंने गोस्वामी विट्ठलनाथ से दीक्षा ली। आप वैष्णव मत में दीक्षित होकर रात-दिन कृष्णभक्ति में लीन होकर गोवर्धन में जाकर रहने लगे। रसखान भाव-विभोर होकर ब्रज
की महिमा का गायन करते रहते थे। इनकी मृत्यु सन् 1628 में हो गई।
रचनाएँ-(1) सुजान रसखान, (2) प्रेम वाटिका।

भावपक्ष-कलापक्ष
(क) भावपक्ष-रसखान की कविता में सच्चे प्रेम से युक्त हृदय के भावोद्रेक का छलकता स्वरूप विद्यमान है। इनके काव्य में प्रेम और अनुभूति की तीव्रता का संगम है। इन्होंने भक्ति, शृंगार एवं शान्त रस पधान काव्य की रचना की। उनका मन कृष्ण की लीलाभूमि ब्रज में रमा था।
(ख) कलापक्ष-रसखान ने अपनी कविता में ब्रजभाषा के प्रौढ़ एवं परिष्कृत स्वरूप का प्रयोग किया है। उनकी भाषा में सहजता, सरलता एवं एक प्रवाह विद्यमान है। अनुप्रास, यमक, उत्प्रेक्षा आदि अलंकारों का स्वाभाविक प्रयोग किया है। रसखान ने सवैया, दोहा, कवित्त आदि छंदों में काव्य रचना की है। साहित्य में स्थान-मुसलमान होते हुए भी रसखान के हृदय श्रीकृष्ण के प्रति अत्यन्त गहरा भक्तिभाव था। उनका कृष्णभक्ति परम्परा में श्रेष्ठ स्थान है। हिन्दी के कृष्णभक्ति साहित्य को परिपूर्ण करने वालों में रसखान का महत्वपूर्ण स्थान है।

3. माखनलाल चतुर्वेदी

जीवन-परिचय-माखनलाल चतुर्वेदी का जन्म सन् 1889 ई. में मध्य प्रदेश के बावई नामक गाँव में हुआ था। आपने गाँव की पाठशाला में प्रारम्भिक शिक्षा प्राप्त की। इसके बाद घर पर ही संस्कृत, बंगला, गुजराती तथा अंग्रेजी का ज्ञान प्राप्त किया। आपने कुछ समय तक अध्यापक के रूप में काम किया। साथ ही
‘प्रभा’ तथा ‘कर्मवीर’ पत्रों का सम्पादन भी किया। गणेश शंकर विद्यार्थी की प्रेरणा से आप स्वतन्त्रता आन्दोलन में सक्रिय रहे। सागर विश्वविद्यालय ने आपको डी. लिट्. की मानद उपाधि दी तथा भारत सरकार ने आपको पद्मभूषण सम्मान से विभूषित किया। सन् 1968 में आपका देहावसान हो गया।

रचनाएँ-चतुर्वेदी जी ने विपुल साहित्य की रचना की। प्रमुख रचनाएँ इस प्रकार हैं-
काव्य संग्रह-‘हिम तरंगिनी’, ‘हिम किरीटनी’, ‘युगचरण’, ‘समर्पण’, ‘माता’, ‘वेणु लो [जे धरा’ आदि।

गद्य साहित्य-नाटक-‘कृष्णार्जुन युद्ध’, निबन्ध-‘साहित्य देवता’, कहानी-‘कला का अनुवाद’।

संस्मरण-‘संतोष’, ‘बंधन सुख’, ‘गणेश शंकर विद्यार्थी की मधुर स्मृतियाँ’। चतुर्वेदी जी को ‘हिम तरंगिनी’ काव्य संग्रह पर साहित्य अकादमी पुरस्कार मिल चुका है।

भावपक्ष-कलापक्ष
भावपक्ष-माखनलाल चतुर्वेदी के काव्य का मूल स्वर देश-प्रेम है। इन्होंने भारतीय संस्कृति, दर्शन तथा प्रेम सौन्दर्य का स्वाभाविक अंकन किया है। इनके काव्य में रहस्य, विद्रोह तथा प्रेरण के स्वर व्यक्त हुए

कलापक्ष-माखनलाल चतुर्वेदी ने सुमधुर खड़ी बोली में काव्य रचना की है। जहाँ उर्दू-फारसी के भी आ गए हैं। छन्द, अलंकार आदि की सहजता ने आपके काव्य को प्रभावपूर्ण बना दिया है।
साहित्य में स्थान-भारत के स्वतन्त्रता आन्दोलन में सक्रिय रहे चतुर्वेदी जी ने राष्ट्रीयता, स्वाभिमान बलिदान, समर्पण, मानवता आदि से युक्त श्रेष्ठ साहित्य से हिन्दी को सम्पन्न बनाया है। आधुनिक युग साहित्यकारों में आपका प्रमुख स्थान है।

राजेश जोशी

जीवन-परिचय-राजेश जोशी का जन्म सन् 1946 में मध्य प्रदेश के नरसिंहगढ़ जिले में हुआ। इन्होंने एम.एस-सी (जीव विज्ञान) तथा एम. ए. (समाजशास्त्र) तक शिक्षा प्राप्त की। कुछ समय पत्रकारिता कर के बाद आप अध्यापन करने लगे। आपने लघु फिल्मों की पटकथाएँ लिखने का काम भी किया। इनक ‘माखनलाल चतुर्वेदी पुरस्कार’ तथा मध्य प्रदेश का ‘शिखर सम्मान’ से अलंकृत किया गया । इन्हें ‘शमी सम्मान’, ‘पहल सम्मान’ और साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है।

रचनाएँ-राजेश जोशी की प्रमुख काव्य-रचनाएँ इस प्रकार हैं-(1) एक दिन बोलेंगे पेड़,'(2) मिट्टी का चेहरा’, (3) ‘नेपथ्य में हँसी’, (4) ‘दो पंक्तियों के बीच’। इन्होंने भर्तृहरि की कविताओं का अनुवाद ‘भूति का कल्पतरु यह भी’ शीर्षक से किया है। मायकोवस्की की कविता का अनुवाद ‘पतलून पहिना वादल’ नाम
से किया गया। इनकी कविताओं का अनुवाद भारतीय तथा विदेशी भाषाओं में हुआ है।

भावपक्ष-कलापक्ष

भावपक्ष-राजेश जोशी ने सामाजिक महत्व के काव्य को रचना है। इनके काव्य में संघर्षशील जीवन की कठिनाइयों को इस तरह व्यवत किया है कि वे आशावादी सन्देश देती हैं। उनके काव्य में भावात्मकता संवदेनशीलता तथा मानवता के स्वर सुनाई पड़ते हैं।
कलापक्ष-राजेश जोशी ने व्यावहारिक खड़ी बोली में काव्य रचना की है। इनकी भाषा में स्थानीय बोली-बानी, मिजाज एवं मौसम आदि सजीव हो उठा है। एक विशेष लय से युक्त इनके काव्य में गम्भीर विषयों को वाणी मिली है।
साहित्य में स्थान-वर्तमान हिन्दी साहित्य को सम्पन्न करने वाले राजेश जोशी आशावादी साहित्यकार हैं। समसामयिक रचनाकारों में इनका महत्वपूर्ण स्थान है।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

• रिक्त स्थानों की पूर्ति

1. कबीर के गुरु थे। (नरहरिदास/रामानंद )
2. कबीर ने …….” का विरोध किया। (पाखण्डों/शिक्षा
3. रसखान ….” के अनन्य भक्त थे। (राम/श्रीकृष्ण
4. ललद्यद …..” भाषा की कवयित्री थीं। (कश्मीरी/वंगल
5. माखनलाल चतुर्वेदी ने पूर्ण काव्य की रचना की। (देश प्रेम/द्वेषपूर्ण
6. ‘वाख’ की रचनाकार ……..” हैं। (रसखान/ललबाद
7. राजेश जोशी “…..” जिले में पैदा हुए हैं। (नरसिंहगढ़/सागत)
उत्तर-1. रामानन्द, 2. पाखण्डों, 3. श्रीकृष्ण, 4. कश्मीरी, 5. देशप्रेम, 6. ललद्यद, 7. नरसिंहगढ़।

• सही विकल्प चुनिए
1. ‘बीजक’ किसकी रचना है ?
(क) कबीर,
(ख) रसखान,
(ग) माखनलाल चतुर्वेदी,
(घ) राजेश जोशी।

2. कबीर की मृत्यु हुई घी-
(क) काशी में,
(ख) मगहर में,
(ग) हरिद्वार में,
(घ) अयोध्या में।

3. रसखान मे किससे दीक्षा ली थी?
(क) रामानन्द से,
(ख) नरहरिदास से,
(ग) विठ्ठलनाथ से,
(घ) बल्लभाचार्य से।

4. ‘प्रेमवाटिका’ के रचनाकार हैं-
(क) कबीर,
(ख) माखनलाल चतुर्वेदी,
(ग) केदारनाथ अग्रवाल,
(घ) रसखाना

5. माखनलाल चतुर्वेदी के काव्य का मूल स्वर है-
(क) राष्ट्रीयता एवं देश-प्रेम,
(ख) प्रकृति चित्रण,
(ग) समाज सुधार,
(घ) धर्म प्रचार।

6. माखनलाल चतुर्वेदी पैदा हुए थे-
(क) सन् 1889 में,
(ख) सन् 1898 में,
(ग) सन् 1880 में,
(घ) सन् 1895 में।

7. ‘बच्चे काम पर जा रहे हैं’ के रचनाकार हैं-
(क) सुमित्रानन्दन पन्त,
(ख) माखनलाल चतुर्वेदी,
(ग) चन्द्रकान्त देवताले,
(घ) राजेश जोशी।

उत्तर-1.(क), 2. (ख), 3. (ग), 4. (घ), 5. (क),6.(क),7.(घ)।

• सही जोड़ी मिलाइए

1. कबीर – (क) ब्रजभूमि
2. रसखान – (ख) रमैनी
3. माखनलाल चतुर्वेदी (ग) कबीर
4. मगहर (घ) होशंगाबाद
उत्तर-1. + (ख), 2. → (क), 3. → (घ),4. + (ग)।

1. माखनलाल चतुर्वेदी (क) मिट्टी का चेहरा
2. राजेश जोशी (ख) कश्मीरी कवयित्री
3. ललद्यद (ग) समर्पण
4. रसखान (घ) विठ्ठलनाथ
उत्तर-1.1 (ग),2.→ (क),3. → (ख),4.7 (घ)।

सत्य/असत्य
1. कबीर की पत्नी का नाम लोई था।
2. कबीर पूजा-पाठ तथा आडम्बरों के विरोधी थे।
3. ललद्यद हिन्दी की श्रेष्ठ कवयित्री हैं।
4. रसखान का नाम सैयद इब्राहीम था।
5. रसखान को ब्रजभूमि से बहुत लगाव था।
6. माखनलाल चतुर्वेदी अंग्रेजों के समर्थक थे।
7. माखनलाल चतुर्वेदी को देश की आजादी के लिए जेल जाना पड़ा था।
उत्तर-1, सत्य, 2. सत्य, 3, असत्य, 4. सत्य, 5. सत्य, 6. असत्य, 7. सत्य।

एक शब्द/वाक्य में उत्सर
1. कबीर की रचनाएँ किस संग्रह में संकलित की गई हैं ?
2. कबीर की मृत्यु कहाँ हुई थी।
3. रसखान आगामी जन्म कहाँ लेना चाहते हैं।
4. रसखान का वास्तविक नाम क्या था ?
5. ललाद किस भाषा की कवयित्री थी?
6. राजेश जोशी का जन्म कहाँ हुआ।
7. ‘युग चारण’ किसकी रचना है ?
8. माखनलाल चतुर्वेदी का निधन किस सन् में हुआ था ?
9. ‘नेपथ्य में हँसी’ के रचनाकार का नाम बताइए।
उत्तर-1. बीजक में, 2. मगहर में, 3. ब्रज में, 4. सैयद इब्राहीम, 5. कश्मीरी की, 6. नरसिंहगढ़, मध्य प्रदेश में, 7. माखनलाल चतुर्वेदी की, 8. सन् 1968 में, 9. राजेश जोशी।

Be the first to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published.


*