Pariksha Adhyayan Class 9 Social Science अध्याय 16 लोकतान्त्रिक अधिकार

अध्याय 16
लोकतान्त्रिक अधिकार

अध्याय 16 लोकतान्त्रिक अधिकार
अध्याय 16
लोकतान्त्रिक अधिकार

वस्तुनिष्ठ प्रश्न
. बहु-विकल्पीय प्रश्न
1. भारतीय संविधान इनमें से कौन सा अधिकार देता है ?
(1) काम का अधिकार
(ii) पर्याप्त जीविका का अधिकार
(ii) अपनी संस्कृति की रक्षा का अधिकार
(iv) निजता का अधिकार।

2. इनमें से कौन-सा मौलिक अधिकारों के उपयोग का उदाहरण नहीं है ?
(i) बिहार के मजदूरों का पंजाब के खेतों में काम करने जाना
(ii) ईसाई मिशनों द्वारा मिशनरी स्कूलों की श्रृंखला चलाना
(iii) सरकारी नौकरी में औरत और मर्द को समान वेतन मिलना
(iv) वच्चों द्वारा माँ-बाप की सम्पत्ति विरासत में पाना।

3. इनमें से कौन-सा मौलिक अधिकार नहीं है ?
(i) काम करने एवं आराम करने का अधिकार
(ii) स्वतन्त्रता का अधिकार
(iii) समानता का अधिकार
(iv) शोषण के विरुद्ध अधिकार।

4. गुआंतानामो बे जेल कहाँ स्थित है ?
(i) न्यूयॉर्क
(ii) वाशिंगटन
(111) क्यूबा
(iv) शिकागो।

5. सऊदी अरब में किसका शासन है?
(1) प्रधानमन्त्री
(ii) राष्ट्रपति
(iii) शाह
(iv) जनरल।

6. 6 से 14 वर्ष तक की आयु के सभी बच्चों को निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार
किस अधिकार के अन्तर्गत आता है ?
(1) समानता का अधिकार
(ii) संस्कृति व शिक्षा का अधिकार
(iii) स्वतन्त्रता का अधिकार
(iv) संवैधानिक उपचारों का अधिकार।

7. इनमें से कौन-सा अधिकार स्वतन्त्रता के मौलिक अधिकार से सम्बन्धित नहीं है ?
(i) भाषण की स्वतन्त्रता
(ii) उपाधियों का अन्त
(iii) निवास की स्वतन्त्रता
(iv) भ्रमण की स्वतन्त्रता।

उत्तर-1. (iii), 2. (iv), 3. (i), 4. (iii), 5. (iii), 6. (ii), 7. (ii),

. रिक्त स्थानों की पूर्ति
1. सऊदी अरब में जजों की नियुक्ति भी करते हैं।

2. अधिकार किसी व्यक्ति का अपने लोगों, अपने समाज और अपनी सरकार से है।

3. प्रधानमन्त्री हो या दूरदराज के गाँव का कोई खेतिहार मजदूर, सब पर एक ही ……………….लागू होता है।
4. संविधान मनुष्य जाति के का निषेध करता है।
5. संविधान में हुआछूत का किसी भी रूप में व्यवहार है।

उत्तर-1. शाह, 2. दावा, 3. कानून, 4. अवैध व्यापार, 5. दण्डनीय अपराध ।

. सत्य/असत्य
1. सऊदी अरब में एक वंश का शासन चलता है।
2. सऊदी अरब में औरतों को वैधानिक रूप से मौ से अधिक का दर्जा मिला हुआ है।
3. अधिकार किसी व्यक्ति का अपने लोगों, अपने समाज और अपनी सरकार से दावा है।
4. किसी भी नागरिक को देश के किसी भी हिस्से में जाने की स्वतन्त्रता है।
5. हमारे देश को न्यायपालिका सरकार और संसद से स्वतन्त्र नहीं है।
उत्तर-1.सत्य, 2. असत्य, 3.सत्य,4.सत्य,5. असत्य।

जोड़ी बनाइए
1. न्यूयॉर्क में हमले (क) कोसोवो
2. सऊदी अरब (ख) सैटेनिक वर्सेज
3. सलमान रश्दी (ग) 1993
4. राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग (घ) 11 सितम्बर, 2001
5. पुराने युगोस्लाविया का प्रान्त (ङ) कोई धार्मिक आजादी नहीं
उत्तर-1.→ (घ),2.→ (ङ),3.→ (ख),4.→(ग),5.→(क)।

एक शब्द/वाक्य में उत्तर

1. 14 वर्ष से कम आयु वाले बच्चों का श्रम कहलाता है।
2. भाषण की अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता।
3. मौलिक अधिकारों का संरक्षण कौन करता है ?
4. किसने संवैधानिक उपचार के अधिकार को हमारे संविधान की आत्मा और हृदय’ कहा था ?
5. आन्ध्र प्रदेश में कौन-सी भाषा बोलने वालों का बहुमत है ?
6. सिक्ख किस राज्य में बहुसंख्यक हैं ?
7. राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग का कार्यालय कहाँ स्थित है ?
उत्तर-1. बालश्रम, 2. स्वतन्त्रता का अधिकार, 3. सर्वोच्च न्यायालय, 4. डॉ. आम्बेडकर, 5. तेलुगू, 6. पंजाब, 7. नई दिल्ली।

अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. मौलिक अधिकार किसे कहते हैं ?
उत्तर-वह अधिकार जो व्यक्ति के सर्वांगीण विकास एवं गरिमा के लिए आवश्यक है, जिन्हें देश के संविधान में अंकित किया गया है और सर्वोच्च न्यायालय जिनकी रक्षा करता है, मौलिक अधिकार कहलाते हैं।

प्रश्न 2. अवैध व्यापार से क्या आशय है?
उत्तर-अनैतिक कार्यों के लिए स्त्री, पुरुष या बच्चों की खरीद-बिक्री को अवैध व्यापार कहा जाता है।

प्रश्न 3. ‘एमनेस्टी इंटरनेशनल’ क्या है ?
उत्तर-एमनेस्टी इंटरनेशनल, मानवाधिकारों के लिए कार्य करने वाले कार्यकर्ताओं का एक अन्तर्राष्ट्रीय संगठन है। यह संगठन दुनिया भर में मानवाधिकारों के उल्लंघन पर स्वतंत्र रिपोर्ट जारी करता है।

प्रश्न 4. बालश्रम के सम्बन्ध में कौन-सा कानून बनाया गया है ?
उत्तर- बालश्रम के सम्बन्ध में अनुच्छेद-23 एवं 24 में 14 वर्ष से कम आयु के बच्चों को कारखानों एवं अन्य खतरनाक स्थानों पर नियुक्ति आदि पर रोक लगायी गयी है। इस सम्बन्ध में ‘शोषण के विरुद्ध अधिकार’ कानून बनाया गया है।

प्रश्न 5. ‘प्रतिज्ञा पत्र’ से क्या आशय है?
उत्तर-प्रतिज्ञा पत्र नियमों और सिद्धान्तों को कायम रखने का व्यक्ति, समूह या देशों का वायदा होता है। इस प्रकार के बयान या संधि पर हस्ताक्षर करने वाले पर इसके पालन की कानूनी बाध्यता होती है।

प्रश्न 6, ‘सम्मन’ क्या है?
उत्तर-सम्मन अदालत द्वारा जारी एक आदेश जिसमें किसी व्यक्ति को अदालत के सामने पेश होने के लिए कहा गया हो।

प्रश्न 7. ‘दावा’ शब्द को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-सभी नागरिकों, समाज या सरकार से किसी नागरिक द्वारा कानूनी या नैतिक अधिकारों की माँग दावा कहलाती है।

प्रश्न 8. रिट का अर्थ बताइए।
उत्तर-उच्च न्यायालय या सर्वोच्च न्यायालय द्वारा सरकार को जारी किया गया एक औपचारिक लिखित आदेश को रिट कहा जाता है।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. लोकतंत्र में अधिकारों की जरूरत क्यों पड़ती है ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-लोकतंत्र की स्थापना के लिए अधिकारों का होना जरूरी है। लोकतंत्र में हर नागरिक को वोट देने और चुनाव लड़कर प्रतिनिधि चुने जाने का अधिकार है। लोकतांत्रिक चुनाव हों इसके लिए लोगों को अपने विचारों को व्यक्त करने की राजनैतिक पार्टी बनाने और राजनैतिक गतिविधियों की आजादी का होना जरूरी है। अधिकार बहुसंख्यकों के दमन से अल्पसंख्यकों की रक्षा करते हैं। ये इस बात को व्यवस्था करते हैं कि बहुसंख्यक किसी लोकतांत्रिक व्यवस्था में मनमानी न करें। अधिकार स्थितियों के बिगड़ने पर एक तरह की गारंटी जैसे हैं।

प्रश्न 2. भारतीय संविधान द्वारा प्रदत्त अधिकारों को मौलिक अधिकार क्यों कहा जाता है ?
उत्तर-विश्व के अधिकांश दूसरे लोकतंत्रों की तरह भारत में भी ये अधिकार संविधान में दर्ज हैं। हमारे जीवन के लिए बुनियादी रूप से जरूरी अधिकारों को विशेष दर्जा दिया गया है। इन्हें मौलिक
अधिकार कहा जाता है। यह सभी नागरिकों को समानता, स्वतंत्रता और न्याय दिलाने की बात कहता है। मौलिक अधिकार इन वायदों को व्यावहारिक रूप देते हैं। ये अधिकार भारत के संविधान की एक महत्वपूर्ण बुनियादी विशेषता है।

प्रश्न 3. समानता के अधिकार को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-समानता का अधिकार अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है। यह लोकतन्त्र की आधारशिला है। इस अधिकार के अन्तर्गत नागरिकों को निम्न प्रकार की समानताएँ प्रदान की गई हैं-
(1) कानून के समक्ष सभी नागरिक समान हैं।
(2) धर्म, वंश, जाति, लिंग या जन्म स्थान के आधार पर किसी भी नागरिक के साथ राज्य किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं करेगा।
(3) राज्य के अधीन नौकरियों और पदों के सम्बन्ध में नियुक्ति के समान अवसर प्राप्त होंगे।
(4) अस्पृश्यता के आधार पर किसी भी व्यक्ति के साथ भेदभाव नहीं किया जाएगा।
(6) सेना तथा शिक्षा सम्बन्धी उपाधियों को छोड़कर अन्य सभी प्रकार की उपाधियों का अन्त ।

प्रश्न 4. जीवन और व्यक्तिगत स्वतन्त्रता के संरक्षण से क्या तात्पर्य है?
उत्तर-जीवन और व्यक्तिगत स्वतन्त्रता के संरक्षण के सन्दर्भ में अनुच्छेद-21 के अनुसार किसी भी नागरिक को कानून द्वारा स्थापित प्रक्रिया के अतिरिक्त, उसके जीवन और व्यक्तिगत स्वतन्त्रता से वंचित नहीं किया जा सकता है। प्रत्येक नागरिक को अपने जीवन और प्राणों की रक्षा के साथ समाज में मानवीय प्रतिष्ट्य के साथ जीवित रहने का अधिकार है। इसके अन्तर्गत सम्मानजनक आजीविका के अवसर और बंधुआ मजदूरी से भी मुक्ति शामिल है। परन्तु नागरिक संविधान द्वारा स्थापित प्रक्रिया के अतिरिक्त स्वतन्त्रता का उपभोग नहीं कर सकता है।

प्रश्न 5. संस्कृति तथा शिक्षा सम्बन्धी अधिकार पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर-संविधान की 29वीं एवं 30वीं धाराओं में नागरिकों के संस्कृति व शिक्षा सम्बन्धी अधिकारों का उल्लेख किया गया है, जो निम्नलिखित हैं-
(1) भाषा, लिपि व संस्कृति की सुरक्षा-प्रत्येक व्यक्ति को अपनी भाषा, लिपि एवं विशिष्ट संस्कृति की रक्षा व प्रचार-प्रसार करने का अधिकार है।
(2) सहायता अनुदान में निष्पक्षता-सरकार समस्त विद्यालयों को चाहे वे अल्पसंख्यकों के हों या बहुसंख्यकों के, सभी को समान अनुदान देगी।’
(3) शिक्षण संस्थाओं में प्रवेश की समानता-जाति, भाषा व धर्म के आधार पर किसी भी नागरिक को सरकारी सहायता प्राप्त विद्यालयों में प्रवेश से नहीं रोका जा सकता है।
(4) शिक्षण संस्थाओं की स्थापना का अधिकार-संविधान के अनुच्छेद-30 के अनुसार समस्त अल्पसंख्यक वर्गों को अपनी रुचि की शिक्षण संस्थाओं को स्थापित करने का अधिकार है।

प्रश्न 6.”स्वतंत्रता का अधिकार छः अधिकारों का समूह है।” स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-संविधान के अनुच्छेद-10 द्वारा नागरिकों को स्वतन्त्रता का अधिकार दिया गया है। इससे उन्हें विचारों की अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतन्त्रता प्राप्त होती है। यह उसके शारीरिक, मानसिक तथा नैतिक विकास के लिए अत्यन्त आवश्यक है। इनके अभाव में व्यक्ति अपने व्यक्तित्व का पूर्ण विकास नहीं कर सकता है। स्वतन्त्रता के अधिकार में हमें निम्नलिखित स्वतन्त्रताएँ प्राप्त हैं-
(1) भाषण तथा अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता।
(2) अस्त्र-शस्त्र के बिना शान्तिपूर्ण ढंग से एकत्रित होने की स्वतन्त्रता।
(3) समुदाय या संघ बनाने की स्वतन्त्रता।
(4) पूरे भारत में कहीं भी भ्रमण करने की स्वतन्त्रता।
(5) भारत के किसी भी कोने में निवास करने की स्वतन्त्रता।
(6) अपनी इच्छा के अनुकूल रोजगार या व्यवसाय करने की स्वतन्त्रता।

प्रश्न 7. धार्मिक स्वतन्त्रता के अधिकार को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-अनुच्छेद-25 से 28 के अन्तर्गत इस अधिकार की व्याख्या की गई है। भारत को धर्मनिरपेक्ष राज्य घोषित किया गया है जिसका अर्थ है राज्य किसी भी धर्म से सम्बन्धित नहीं रहेगा और न ही किसी धर्म विशेष का पोषण करेगा। भारतीय नागरिकों को धार्मिक स्वतन्त्रता प्रदान की गयी है, जिसके अन्तर्गत-
(1) नागरिक अपनी इच्छानुसार किसी भी धर्म को अपना सकते हैं।
(2) प्रत्येक नागरिक को अपने धर्म का शान्तिपूर्वक प्रचार करने का अधिकार है।
(3) नागरिक धार्मिक संस्थाओं की व्यवस्था कर सकते हैं।
(4) अपनी धार्मिक संस्थाओं का प्रबन्ध करने तथा इनके सम्बन्ध में सम्पत्ति प्राप्त करने और व्यय करने की स्वतन्त्रता प्रत्येक नागरिक को है।
(5) राज्य द्वारा संचालित तथा सहायता प्राप्त विद्यालयों में किसी भी प्रकार की धार्मिक शिक्षा प्रदान नहीं की जाएगी।

प्रश्न 8.”संविधान में अस्पृश्यता का किसी भी रूप में व्यवहार दण्डनीय अपराध है।” स्पष्ट कीजिए।
अथवा
भारतीय संविधान में अस्पृश्यता का अन्त करने के लिए क्या व्यवस्था की गई है?
उत्तर-संविधान के अनुच्छेद-17 द्वारा नागरिकों में सामाजिक समानता लाने के लिए अस्पृश्यता अर्थात् छुआछूत के व्यवहार का निषेध किया गया है। नागरिक अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1955 द्वारा राज्य अथवा नागरिकों द्वारा किसी भी रूप में अस्पृश्यता का व्यवहार अपराध माना जाएगा। जो नागरिक छुआछूत को मानेगा तथा इसे बढ़ावा देगा, वह दण्ड का भागी होगा। इस अधिकार के द्वारा अछूतों के साथ किये गये अन्याय का
निराकरण होता है। संविधान में यह भी स्पष्ट लिखा हुआ है कि राज्य, जाति, वंश, धर्म, लिंग तथा जन्म-स्थान के नाम पर कोई भेदभाव नहीं करेगा। अत: किसी भी व्यक्ति को दुकानों, सार्वजनिक जलपान-गृहों, कुओं, तालाबों, नदी के घाटों, सड़कों, पार्को तथा ऐसे सार्वजनिक प्रयोग के स्थानों में नहीं रोका जा सकता है जिनको बनाए रखने का व्यय या तो पूर्णत: या आंशिक रूप से राज्य के द्वारा होता है। किसी को भी जाति या अन्य
किसी आधार पर अपमानित नहीं किया जा सकता है।

प्रश्न 9. दक्षिण अफ्रीका के नागरिकों को कई तरह के नए अधिकार संविधान में मिले हैं। उनका उल्लेख कीजिए।
उत्तर-(1) निजता का अधिकार, इसके कारण नागरिकों और उनके घरों की तलाशी नहीं ली जा सकती, उनके फोन टेप नहीं किए जा सकते, उनकी चिट्ठी-पत्री को खोलकर पढ़ा नहीं जा सकता।
(2) पर्यावरण का अधिकार, ऐसा पर्यावरण पाने का अधिकार जो नागरिकों के स्वास्थ्य या कुशलक्षेम के प्रतिकूल न हो।
(3) पर्याप्त आवास पाने का अधिकार।
(4) स्वास्थ्य सेवाओं, पर्याप्त भोजन और पानी तक पहुँच का अधिकार, किसी को भी आपात चिकित्सा देने से इंकार नहीं किया जा सकता।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. गुआंतानामो बे की जेल में कैदियों के साथ किस प्रकार का व्यवहार किया गया है ?
स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-(1) अमेरिकी फौज ने विश्व भर के विभिन्न स्थानों से 600 लोगों को चुपचाप पकड़ लिया। इन लोगों को गुआंतानामो बे स्थित एक जेल में डाल दिया। क्यूबा के समीप स्थित इस टापू पर अमेरिकी नौ सेना का कब्जा है।
(2) अमेरिकी सरकार का कहना है कि ये लोग अमेरिका के दुश्मन हैं और न्यूयॉर्क में हुए 11 सितम्बर, 2001 के हमलों से इनका सम्बन्ध है।
(3) अधिकांश मामलों में, गिरफ्तार लोगों के देश की सरकार को उनकी गिरफ्तारी और जेल में डालने की सूचना भी नहीं दी गयी। इन कैदियों के परिवार वालों, मीडिया के लोगों और यहाँ तक कि संयुक्त राष्ट्र के प्रतिनिधियों को भी उनसे मिलने की इजाजत नहीं दी जाती।
(4) अमेरिकी सेना ने उन्हें गिरफ्तार किया, उनसे पूछताछ की और उसी ने फैसला किया कि किसे जेल में डालना है किसे नहीं। न तो किसी भी जज के सामने मुकदमा चला और न ही ये कैदी अपने देश को अदालतों का दरवाजा खटखटा सके।
(5) अन्तर्राष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन एमनेस्टी इंटरनेशनल ने गुआंतानामो बे के कैदियों की स्थिति के बारे में सूचनाएँ एकत्र की और बताया कि उनके साथ दुर्व्यवहार किया जा रहा है। उनके साथ अमेरिकी कानूनों के अनुसार भी व्यवहार नहीं किया जा रहा है।
(6) अनेक कैदियों ने भूख हड़ताल करके इन स्थितियों के खिलाफ विरोध करना चाहा पर उनको दबाव में खिलाया गया या नाक के रास्ते उनके पेट में भोजन पहुँचाया गया। जिन कैदियों को आधिकारिक रूप से निर्दोष करार दिया गया था उनको भी नहीं छोड़ा गया। संयुक्त राष्ट्र द्वारा करायी गयी एक स्वतंत्र जाँच से भी
इन बातों की पुष्टि हुई।

प्रश्न 2. सऊदी अरब में नागरिकों के किन्हीं पाँच अधिकारों का उल्लेख कीजिए।
अथवा
सऊदी अरब की सरकार अपने नागरिकों को कितनी आजादी देती है ? स्पष्ट कीजिए।
कोई भूमिका नहीं होती।
उत्तर-(1) देश में एक वंश का शासन चलता है और राजा या शाह को चुनने या बदलने में लोगों की करते हैं और वे उनके फैसलों को भी पलट सकते हैं।
(2) शाह ही, विधायिका और कार्यपालिका के लोगों का चुनाव करते हैं। जजों की नियुक्ति भी शाह
(3) लोग कोई राजनैतिक दल या संगठन नहीं बना सकते। मीडिया शाह की मर्जी के खिलाफ कोई भी खबर नहीं दे सकती।
(4) कोई धार्मिक आजादी नहीं है। सिर्फ मुसलमान ही यहाँ के नागरिक हो सकते हैं। यहाँ रहने वाले अनुष्ठानों पर रोक है।
दूसरे धर्मों के लोग घर के अन्दर ही अपने धर्म के अनुसार पूजा-पाठ कर सकते हैं। उनके सार्वजनिक/ धार्मिक
(5) स्त्रियों को वैधानिक रूप से मर्दो से कमतर दर्जा मिला हुआ है और उन पर कई तरह की सार्वजनिक पाबंदियाँ लगी हैं। मर्दो को जल्दी ही स्थानीय निकाय के चुनावों के लिए मताधिकार मिलने वाला है जबकि स्त्रियों को यह अधिकार नहीं मिलेगा।

प्रश्न 3. स्वतन्त्रता के अधिकारों के अन्तर्गत नागरिकों को कौन-सी स्वतन्त्रताएँ प्राप्त हैं ?
उत्तर-संविधान के अनुच्छेद-10 द्वारा नागरिकों को स्वतन्त्रता का अधिकार दिया गया है। इस अधिकार के अन्तर्गत नागरिकों को निम्नलिखित स्वतन्त्रताएँ प्राप्त हैं-
(1) विचार और अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता-भारत में प्रत्येक नागरिक को अपने विचारों की अभिव्यक्ति करने तथा भाषण देने की स्वतन्त्रता प्रदान की गई है। परन्तु साथ ही इस अधिकार पर कुछ प्रतिबन्ध भी लगाये गये हैं, ताकि कोई नागरिक उनका दुरुपयोग न कर सके।
(2) अस्त्र-शस्त्र रहित शान्तिपूर्ण ढंग से सभा तथा की स्वतन्त्रता-प्रत्येक भारतीय नागरिक को बिना अस्त्र-शस्त्र के शान्तिपूर्ण ढंग से सम्मेलन करने की स्वतन्त्रता है। परन्तु देश की एकता और
उसकी प्रभुता के हित में राज्य इन पर प्रतिबन्ध भी लगा सकता है।
(3) समुदाय और संघ निर्माण की स्वतन्त्रता-भारतीय नागरिकों को अपनी सांस्कृतिक व बौद्धिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए संस्थाएँ तथा संघ निर्माण करने का अधिकार है।
(4) भ्रमण की स्वतन्त्रता-भारत के सभी नागरिक बिना किसी प्रतिबन्ध या अधिकार-पत्र के भारत की सीमाओं के अन्दर कहीं भी भ्रमण कर सकते हैं।
(5) व्यवसाय की स्वतन्त्रता-संविधान प्रत्येक नागरिक को अपनी इच्छानुसार व्यवसाय चुनने तथा उसे करने की स्वतन्त्रता प्रदान करता है। परन्तु वृत्ति, उपजीविका व्यापार करने की स्वतन्त्रता पर प्रतिबन्ध लगाया जा सकता है। कारण यह है कि राज्य को स्वयं या किसी निगम के द्वारा किसी व्यापार, उद्योग या सेवा का स्वामित्व ग्रहण करने का पूरा अधिकार है। इन उद्योगों से सरकार जनता को पृथक् रख सकती है। इसके अतिरिक्त किसी
व्यवसाय को ग्रहण करने के लिए व्यावसायिक योग्यता की भी शर्त लगा सकती है; जैसे-वकालत पेशा ग्रहण करने के लिए एल. एल. बी. की परीक्षा एवं प्रशिक्षण होना अनिवार्य है।
(6) व्यक्तिगत स्वतन्त्रता-बिना कारण बताये गिरफ्तारी एवं नजरबन्दी के विरुद्ध व्यवस्था के अन्तर्गत यदि किसी भी व्यक्ति को बन्दी बनाया जाता है तो उसे मजिस्ट्रेट की अनुमति के बिना चौबीस घण्टे से अधिक समय तक बन्दी बनाकर नहीं रखा जा सकता है। साथ ही अभियुक्त को वकील आदि से परामर्श करने एवं पैरवी आदि कराने की भी पूर्ण स्वतन्त्रता प्राप्त है। जिन लोगों को नजरबन्द किया जाता है उन्हें भी साधारण अवस्था में तीन महीने से अधिक समय के लिए नजरबन्द नहीं किया जा सकता है। परन्तु ‘नजरबन्दी परामर्शदात्री समिति’ जब अधिक समय के लिए नजरबन्दी की सलाह देती है तो यह अवधि बढ़ाई जा सकती है। फिर भी संसद को अधिकार रहता है कि वह निर्णय ले कि किसी व्यक्ति को अधिक से अधिक कितने समय तक नजरबन्द
रखा जा सकता है।
(7) आवास की स्वतन्त्रता-भारत के प्रत्येक नागरिक को किसी भी स्थान पर स्थायी तथा अस्थायी निवास करने की स्वतन्त्रता है। पश्चिमी बंगाल का निवासी उत्तर प्रदेश में निवास कर सकता है और उत्तर प्रदेश का निवासी पश्चिमी बंगाल में।
वर्णन कीजिए। स्वतन्त्रता के मौलिक अधिकारों पर कुछ प्रतिबन्ध भी लगाये गये हैं। नागरिक जनता को भड़काने वाले भाषण नहीं दे सकते। इसी प्रकार अनैतिक तथा अपराधी समुदायों के गठन की स्वतन्त्रता नहीं है। साम्प्रदायिकता फैलाने वाले समुदाय भी नहीं बनाये जा सकते। “आन्तरिक सुरक्षा अधिनियम” (MISA) द्वारा व्यक्तिगत स्वतन्त्रता पर भी अंकुश लगाया जा सकता है। परन्तु यह प्रतिबन्ध विशेष परिस्थितियों में ही लगाया जाता है, सामान्य परिस्थितियों में नहीं।

प्रश्न 4. भारतीय संविधान ने नागरिकों को कौन कौन से मौलिक अधिकार प्रदान किये हैं
उत्तर-1948 में संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा मानव अधिकारों का घोषणा पत्र जारी किया गया था। भारतीय संविधान में नागरिकों को जो मौलिक अधिकार प्रदान किये गये हैं, वे इसी घोषणा-पत्र पर आधारित हैं। ये अधिकार निम्नवत् हैं-
(1) समानता का अधिकार-इस अधिकार के द्वारा प्रत्येक नागरिक को कानून के समक्ष समानता है तथा भेदभाव, अस्पृश्यता और उपाधियों का अन्त कर दिया गया है। सरकारी नौकरियों में बिना धर्म, जाति, लिंग आदि का भेदभाव किये समानता है।
(2) स्वतन्त्रता का अधिकार-स्वतन्त्रता के अधिकार के अन्तर्गत नागरिकों को भाषण देने तथा विचार प्रकट करने, शान्तिपूर्ण सभा करने, संघ बनाने, देश में किसी भी स्थान पर घूमने-फिरने की, देश के किसी भी भाग में व्यवसाय की तथा देश में कहीं भी रहने की स्वतन्त्रता आदि प्राप्त है।
(3) शोषण के विरुद्ध अधिकार प्रत्येक नागरिक को शोषण के विरुद्ध आवाज उठाने का अधिकार है। इस अधिकार के अनुसार मानव के क्रय-विक्रय, किसी से बेगार लेने तथा 14 वर्ष से कम आयु वाले बच्चों को कारखानों, खानों या किसी खतरनाक धन्धे में लगाने पर रोक लगा दी गयी है।
(4) धार्मिक स्वतन्त्रता का अधिकार-भारत एक धर्म-निरपेक्ष राष्ट्र है, अतः प्रत्येक नागरिक को किसी भी धर्म का अनुसरण करने का अधिकार है। प्रत्येक धर्म के अनुयायियों को अपनी धार्मिक संस्थाएँ स्थापित करने तथा उनका प्रबन्ध करने का अधिकार है।
(5) सांस्कृतिक तथा शिक्षा सम्बन्धी अधिकार-इस अधिकार के अन्तर्गत भारत के नागरिकों को अपनी भाषा, लिपि तथा संस्कृति को सुरक्षित रखने तथा उसका विकास करने का अधिकार है।
(6) संवैधानिक उपचारों का अधिकार-इस अधिकार के अनुसार प्रत्येक नागरिक को यह अधिकार दिया गया है कि यदि उपरिवर्णित पाँच अधिकारों में से किसी भी अधिकार पर आक्षेप किया जाए या उससे छीना जाए, चाहे वह सरकार की ओर से ही क्यों न हो, तो वह सर्वोच्च न्यायालय या उच्च न्यायालय से न्याय
की माँग कर सकता है।

प्रश्न 5. राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग पर टिप्पणी कीजिए।
अथवा
राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग के गठन व कार्य प्रणाली पर प्रकाश डालिए।
राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग
गठन-यह 1993 में कानून के द्वारा बनाया गया एक स्वतंत्र आयोग है। न्यायपालिका की तरह आयोग भी सरकार से स्वतंत्र होते हैं। आयोग की नियुक्ति राष्ट्रपति करते हैं और इसमें आमतौर पर सेवानिवृत्त जज, अधिकारी या प्रमुख नागरिकों को ही नियुक्त किया जाता है। किन्तु इस पर अदालती मामलों में फैसले देने का
दायित्व या बोझ नहीं होता। अर्थात् यह पीड़ितों को उनके मानवाधिकार दिलाने में मदद करने पर ही सारा ध्यान दे सकता है। इसमें संविधान प्रदत्त अधिकार भी शामिल हैं। राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग के लिए अधिकारों की परिभाषा में संयुक्त राष्ट्र द्वारा कराई गई वे संधियाँ और अन्तर्राष्ट्रीय घोषणाएँ भी शामिल हैं जिन पर भारत की ओर से हस्ताक्षर किए गए हैं।
कार्यप्रणाली-राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग खुद किसी को सजा नहीं दे सकता। यह जिम्मेदारी अदालतों की है। आयोग का कार्य मानवाधिकार के उल्लंघन के किसी मामले में स्वतंत्र और विश्वसनीय जाँच करना है। यह उन मामलों की भी जाँच करता है जहाँ ऐसे उल्लंघन में या इन्हें रोकने में सरकारी अधिकारियों
उत्तर-
पर उपेक्षा बरतने का आरोप हो। यह देश में मानवाधिकारों को बढ़ाने और उनके प्रति चेतना जागृत करने का भी कार्य करता है। आयोग अपनी जाँच की रिपोर्ट और अपने सुझाव सरकार को देता है या पीड़ितों को का से अदालत में दखल देता है। अपनी जाँच करने के सिलसिले में इसके पास व्यापक अधिकार है। किऔर
अदालत की तरह यह चश्मदीद गवाहों को सम्मन भेजकर बुला सकता है, किसी भी सरकारी अधिकारी पूजाक कर सकता है, किसी भी सरकारी दस्तावेज की माँग कर सकता है, किसी भी जेल में जाकर जाचक सकता है या घटनास्थल पर अपनी जाँच टीम भेज सकता है।

प्रश्न 6. मौलिक अधिकारों से आशय व उसके महत्व को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-मौलिक अधिकार का अर्थ-मौलिक अधिकार वे अधिकार हैं, जिन्हें देश के सर्वोच्च कानून में स्थान दिया गया है तथा जिनकी पवित्रता तथा उल्लंघनीयता को विधायिका तथा कार्यपालिका स्वीकार करते हैं, अर्थात् जिसका उल्लंघन कार्यपालिका तथा विधायिका भी नहीं कर सकती। यदि वे कोई ऐसा कार्य करें,
जिनसे संविधान का उल्लंघन होता है तो न्यायपालिका उनके ऐसे कार्यों को असंवैधानिक घोषित कर सकती है। मौलिक अधिकारों का महत्त्व
(1) व्यक्ति के विकास में सहायक-मौलिक अधिकार उन परिस्थितियों को उपलब्ध कराते हैं, जिनके आधार पर व्यक्ति अपनी मानसिक, शारीरिक, नैतिक, सामाजिक, धार्मिक आदि क्षेत्रों में उन्नति कर सकता है। मूल अधिकार व्यक्ति को उन क्षेत्रों में सुरक्षा और स्वतन्त्रता भी प्रदान करते हैं। इस प्रकार मौलिक अधिकार नागरिकों के व्यक्तित्व के विकास में सहायक हैं।
(2) प्रजातन्त्र की सफलता के आधार-हमारे देश में प्रजातन्त्रीय शासन-प्रणाली को अपनाया गया है। ‘स्वतन्त्रता’ और ‘समानता’ प्रजातन्त्र के मूल आधार हैं। बिना इसके प्रजातन्त्र की सफलता की आशा नहीं की जा सकती। भारतीय संविधान में ‘स्वतन्त्रता’ और ‘समानता’ दोनों को अधिकार के रूप में प्रस्तुत किया गया है। प्रत्येक नागरिक को शासन की आलोचना करने का अधिकार है। निर्वाचन में खड़े होने, प्रचार करने, मत देने आदि के सभी को समान अधिकार हैं। इस प्रकार मूल अधिकार सफल लोकतन्त्र के लिए अनुकूल वातावरण तैयार करते हैं।
(3) एक दल की तानाशाही पर रोक-प्रजातन्त्र में बहुमत की तानाशाही’ का सदैव भय बना रहता है। अत: मूल अधिकार अल्पसंख्यकों के हितों की रक्षा करते हैं। इस प्रकार मौलिक अधिकार किसी एक दल की तानाशाही पर अंकुश लगाने में सहायक है।
(4) न्यायपालिका की सर्वोच्चता-मौलिक अधिकारों को न्यायपालिका का संरक्षण प्राप्त है। इसलिए कार्यपालिका और व्यवस्थापिका नागरिकों के मौलिक अधिकारों में हस्तक्षेप नहीं कर सकी।
(5) देश की सामाजिक व आर्थिक परिस्थितियों के अनुरूप-मौलिक अधिकार हमारे देश की सामाजिक, आर्थिक एवं सांस्कृतिक आदि परिस्थितियों के अनुरूप हैं। इसलिए जीविकोपार्जन का अधिकार, शिक्षा पाने का अधिकार आदि उनमें सम्मिलित किये गये हैं।
(6) अल्पसंख्यक और पिछड़े वर्ग के उत्थान में सहायक-मौलिक अधिकार अल्पसंख्यकों और पिछड़े वर्गों के हितों की रक्षा करते हैं।
(7) व्यक्ति और राज्य के मध्य सामंजस्य- श्री एम. बी. पायली के अनुसार, “मूल अधिकार एक ही समय पर शासकीय शक्ति से व्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा करते हैं एवं शासकीय शक्ति द्वारा व्यक्ति स्वातन्त्र्य को सीमित करते हैं। इस प्रकार मौलिक अधिकार व्यक्ति और राज्य के मध्य सामंजस्य स्थापित करता है।

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