MP board Class 10 Sanskrit अध्याय 10 धातुरूपाणि solution NCERT Solutions for Class 10 Sanskrit व्याकरण तथा रचनात्मक कार्य

अध्याय 10

धातुरूपाणि

जिस शब्द द्वारा किसी कार्य के करने या होने का बोध हो, उसे क्रिया कहते हैं और क्रियापद के मूल रूप को धातु कहा जाता है। उदाहरणार्थ- रामः पुस्तकं पठति। इस वाक्य में राम कर्ता है और उसके द्वारा पुस्तक पढ़ी जाती है। यहाँ ‘पठ्’ धातु के द्वारा पढ़ना क्रिया का होना प्रकट होता है। जिससे ‘पठति’ रूप बना है।

संस्कृत साहित्य में विभिन्न अर्थों को बताने के लिये अनेक धातुएँ हैं। इनका विभाजन 10 गणों में किया गया है

1. भ्वादिगण

4. दिवादिगण

7. तुदादिगण

10. चुरादिगण ।

2. अदादिगण

5. स्वादिगण

8. तनादिगण

3. जुहोत्यादिगण

6. रुधादिगण

9. क्र्यादिगण

गणों के नामकरण का आधार उस गण में आने वाली प्रथम धातु है, जैसे- भ्वादिगण का आधार उसमें सर्वप्रथम आने वाली ‘भू’ धातु है (भू+आदि)। चुरादिगण का आधार सर्वप्रथम आने वाली ‘चुर्’ धातु है। इसी प्रकार अन्य गणों का नामकरण भी उनकी प्रथम धातु पर ही आधारित है।

इसके अतिरिक्त प्रत्येक गण में तीन प्रकार की धातुएँ पाई जाती हैं

(i) परस्मैपदी (ii) आत्मनेपदी (iii) उभयपदी | परस्मैपदी धातुओं के वर्तमानकाल में ति, तः अन्ति (पठति, पठतः पठन्ति) रूप पाया जाता है और आत्मनेपदी धातुओं में ते, इते, अन्ते (सेवते, सेवेते, सेवन्ते) । पठ्, लिख, गम् आदि धातुओं का परस्मैपद में प्रयोग होता है, जबकि सेव्, मुद, लभ् आदि धातुओं का आत्मनेपद में प्रयोग किया जाता है। इनके अतिरिक्त कुछ धातुएँ ऐसी भी हैं जो उभयपदी हैं, जिनमें दोनों ही प्रकार के रूप पाए जाते हैं। इनमें कृ, ब्रू, पच् आदि धातुएँ उल्लिखित की जा सकती हैं कृ (प.) करोति, (आ) कुरुते उभयपदी धातुओं का यदि क्रिया फल कर्तृगामी हो, तो

आत्मनेपद एवं परगामी हो तो परस्मैपद का प्रयोग किया जाता है। काल एवं विधि आदि अर्थों के आधार पर संस्कृत व्याकरण में दस लकार पाए जाते हैं

1. लट् लकार,

4. लृट् लकार,

7. लङ् लकार,

2. लिट् लकार,

5. लेट् लकार,

3. लुट् लकार, 6. लोट् लकार,

8. लिङ् लकार (विधिलिङ् + आशीर्लिङ् )

9. लुङ् लकार, 10. लृङ् लकार 1. लट् लकार – वर्तमान काल को व्यक्त करने के लिए लट् लकार का प्रयोग किया जाता है।

यथा- रामः पाठं पठति। छात्र: गुरुं सेवते ।

2. लिट् लकार लिट् लकार का प्रयोग ऐसी घटना का वर्णन करने के लिए होता है जो हमारी आँखों

के सामने न घटी हो और ऐतिहासिक भी हो।

यथा- रामः रावणं जघान

3. लुट् लकार – भविष्य काल की क्रिया को व्यक्त करने के लिए लुट् लकार का प्रयोग किया जाता है।

किन्तु यह काल अद्यतन आज का नहीं होना चाहिए। यथा— श्वः प्रधानमंत्री रूसदेशं गन्ता ।
धातुरूपाणि | 129

4. लृट् लकार – सामान्य भविष्यत् काल की घटनाओं को व्यक्त करने के लिए लृट् लकार का प्रयोग

किया जाता है।

यथा- सः लेखं लेखिष्यति ।

5. लेट् लकार – अनेक कालों तथा अनेक मनोभावों को प्रकट करने वाले इस लकार का प्रयोग वेद में ही पाया जाता है। लौकिक संस्कृत में इसका अभाव है।

6. लोट् लकार – आज्ञा देने के भाव को प्रकट करने के लिए लोट् लकार का प्रयोग किया जाता है।

यथा- सः गृहकार्यं करोतु । 7. लङ् लकार – अनद्यतन भूतकाल की क्रिया को बताने के लिए लङ् लकार का प्रयोग किया जाता है।

यथा- रामः पाठम् अपठत् । 8. विधिलिङ् लकार – ‘चाहिए, ‘ ‘करे’ आदि विध्यात्मक भावों को प्रकट करने के लिए विधिलिङ् का

प्रयोग किया जाता है।

यथा – सः लेखं लिखेत् ।

लिङ् का एक भेद आशीर्लिङ् भी है, जिसका प्रयोग आशीर्वाद देने के लिए होता है।

यथा – त्वं चिरायुः भूयाः ।

9. लुङ् लकार – सामान्य भूतकाल की क्रिया को व्यक्त करने के लिए लुङ्लकार का प्रयोग किया जाता

यथा- पुरा राजा नलः अभूत् ।

है।

10. लृङ् लकार – भाषा में कभी ऐसी स्थिति भी आती है जब किसी एक क्रिया के न होने पर दूसरी क्रिया में सफलता नहीं मिलती। वैसी स्थिति में लृङ्लकार का प्रयोग होता है।

यथा- यदि वर्षा अभविष्यत् तर्हि दुर्भिक्षं नाभविष्यत् ।

परस्मैपदी क्रियाओं में लगने वाले नौ प्रत्यय हैं जो निम्नलिखित हैं

पुरुष

प्रथम पुरुष

मध्यम पुरुष

एकवचन

तिप्

सिप्

द्विवचन

तस्

स्

उत्तम पुरुष मिप् वस् आत्मनेपदी क्रियाओं में भी नौ प्रत्यय होते हैं

पुरुष

प्रथम पुरुष

मध्यम पुरुष

उत्तम पुरुष

एकवचन

थास्

इट्

आताम्

आथाम्

बहुवचन

मस्

बहुवचन

ध्वम्

महि

छात्रों की सुविधा के लिए माध्यमिक स्तर को दृष्टि में रखते हुए पाँच लकारों में प्रयोग होने वाले प्रत्यय

यहाँ दिए जा रहे हैं। इनकी सहायता से छात्रों को धातुरूपों को याद रखने में सहायता मिलेगी।

लट्लकार (वर्तमान काल)

परस्मैपद

द्विवचन

तः

पुरुष

प्रथम पुरुष

मध्यम पुरुष

उत्तम पुरुष

एकवचन

मि

बहुवचन

अन्ति

मः

 

आत्मनेपद

द्विवचन बहुवचन अन्ते

इथे

लङ्लकार ( भूतकाल) के प्रत्यय

परस्मैपद

ताम्

तम्

आव

आत्मनेपद

द्विवचन

इताम्

इथाम्

एकवचन

स् (:)

अम्

एकवचन

था:

ध्वे

बहुवचन

अन्

आम

पुरुष

प्रथम पुरुष

मध्यम पुरुष

उत्तम पुरुष

एकवचन

से

पुरुष

प्रथम पुरुष

मध्यम पुरुष

उत्तम पुरुष

पुरुष

प्रथम पुरुष

मध्यम पुरुष

उत्तम पुरुष

बहुवचन

अन्त

ध्वम्

लृट्लकार ( भविष्यत् काल ) के प्रत्यय

परस्मैपद

स्यतः

स्यथ:

स्याव:

आत्मनेपद

स्येते स्येथे

स्यावहे

एकवचन

स्यामि

एकवचन

लोट् लकार (आज्ञार्थक) के प्रत्यय

परस्मैपद

द्विवचन

ताम्

तम्

आव

आत्मनेपद

द्विवचन

इताम्

इथाम्

एकवचन

तु, तात्

तात्, अ

तानि

एकवचन

ताम्

बहुवचन

स्यामः

पुरुष

प्रथम पुरुष

मध्यम पुरुष उत्तम पुरुष

पुरुष

प्रथम पुरुष

मध्यम पुरुष

उत्तम पुरुष

बहुवचन

स्यामहे

पुरुष

प्रथम पुरुष

मध्यम पुरुष

उत्तम पुरुष

पुरुष

प्रथम पुरुष

मध्यम पुरुष

उत्तम पुरुष

बहुवचन

अन्तु

आम

बहुवचन

अन्ताम्

ध्वम्
धातुरूपाणि 131

विधिलिङ्लकार ( विधि / नियम) के प्रत्यय

परस्मैपद

इताम्

इतम्

इव

आत्मनेपद

एकवचन

इत्

इयम्

एकवचन

ईथा:

ईय

बहुवचन

इत

इम

पुरुष

प्रथम पुरुष

मध्यम पुरुष

उत्तम पुरुष

पुरुष

प्रथम पुरुष

मध्यम पुरुष

उत्तम पुरुष

बहुवचन

ईरन्

ईयाताम् ईयाथाम् ईध्वम्

ईवहि

ईमहि

परस्मैपदी पठ् और आत्मनेपदी सेव् धातुओं के सभी पुरुषों और वचनों में रूप इस प्रकार बनते हैं—

‘पठ्’ (पढ़ना) धातु परस्मैपद रूप लट्लकार (वर्तमान काल)

एकवचन

पठति

पठसि

पठामि

एकवचन

द्विवचन

पठत:

पठथ:

पठाव:

( भूतकाल)

द्विवचन

अपठताम्

अपठतम्

अपठाव

लृट् लकार ( भविष्यकाल)

द्विवचन

पठिष्यतः पठिष्यथ:

पठिष्याव:

लोट्लकार (आज्ञार्थक)

द्विवचन

पठताम्

पठतम्

पठाव

लङ्लकार

बहुवचन

पठन्ति

पठथ

पठामः

पुरुष

प्रथम पुरुष

मध्यम पुरुष

उत्तम पुरुष

पुरुष

प्रथम पुरुष अपठत्

मध्यम पुरुष

उत्तम पुरुष

पुरुष

प्रथम पुरुष

मध्यम पुरुष

उत्तम पुरुष

पुरुष

प्रथम पुरुष

मध्यम पुरुष

उत्तम पुरुष

पुरुष

प्रथम पुरुष

मध्यम पुरुष

उत्तम पुरुष

अपठः

अपठम्

एकवचन

पठिष्यति

पठिष्यसि

पठिष्यामि

एकवचन

पठतु

पठ

पठानि

बहुवचन

अपठन्

अपठत

अपठाम

बहुवचन

पठिष्यन्ति

पठिष्यथ

पठिष्यामः

बहुवचन

पठन्तु

पठत

पठाम

विधिलिङ्लकार ( चाहिए के योग में )

एकवचन

पठेत्

पठेः

पठेयम्

द्विवचन

पठेताम्

पठेतम्

पठेव

बहुवचन

पठेयुः

पठेत्

पठेम

‘सेव्’ ( सेवा करना ) धातु आत्मनेपद रूप

लट्लकार (वर्तमान काल)

द्विवचन

( भूतकाल)

द्विवचन

असेवेताम्

असेवावहि

(भविष्यकाल)

द्विवचन

सेविषयेथे

लोट्लकार (आज्ञार्थक)

द्विवचन

एकवचन

सेव

बहुवचन

पुरुष

प्रथम पुरुष

मध्यम पुरुष

उत्तम पुरुष

पुरुष

प्रथम पुरुष

मध्यम पुरुष

उत्तम पुरुष

पुरुष

प्रथम पुरुष

मध्यम पुरुष

उत्तम पुरुष

पुरुष

प्रथम पुरुष

मध्यम पुरुष

उत्तम पुरुष

पुरुष

प्रथम पुरुष

मध्यम पुरुष

उत्तम पुरुष

लङ्लकार

एकवचन

असेवत

असेवथा :

असेवे

बहुवचन

असेवन्त

असेवध्वम्

बहुवचन

सेविष्यन्ते

सेविष्यध्वे

सेविष्यामहे

बहुवचन

सेवन्ताम्

सेवेथाम् सेवध्वम्

सेवामहै

विधिलिङ्लकार ( चाहिए के योग में )

एकवचन

सेवेथाः

सेवेध

द्विवचन

सेवेयाताम्

सेवेयाथाम्

कुछ अन्य धातु रूप

‘अस्’ धातु परस्मैपद रूप

लट्लकार

द्विवचन

सेवेध्वम्

सेवेमहि

लृट्लकार

एकवचन

सेविष्यसे

सेविष्ये

एकवचन

सेताम्

पुरुष

प्रथम पुरुष

मध्यम पुरुष

उत्तम पुरुष

एकवचन

असि

बहुवचन

स्थ

स्मः

लोट्लकार

द्विवचन

स्ताम्

स्तम्

असाव

लङ्लकार

द्विवचन

आस्ताम्

आस्तम्

आस्व

विधिलिङ्लकार

द्विवचन

स्याताम्

स्यातम्

स्याव

लृट्लकार

द्विवचन

भविष्यतः

भविष्यथ:

भविष्याव:

पुरुष

प्रथम पुरुष

मध्यम पुरुष

उत्तम पुरुष

पुरुष

प्रथम पुरुष

मध्यम पुरुष

उत्तम पुरुष

पुरुष

प्रथम पुरुष

मध्यम पुरुष

उत्तम पुरुष

पुरुष

प्रथम पुरुष

मध्यम पुरुष

उत्तम पुरुष

एकवचन

अस्तु

असानि

एकवचन

आसीत्

आसी:

आसम्

एकवचन

स्यात्

एकवचन

भविष्यति

भविष्यसि

भविष्यामि

‘कृ’ धातु परस्मैपद रूप

लट्लकार

द्विवचन

कुरुतः

कुरुथ:

कुर्वः

लोट्लकार (आज्ञार्थं

द्विवचन

कुरुताम्

एकवचन

करोति

करोषि

करोमि

एकवचन

करोतु / कुरुतात्

कुरु कुरुतात् कुरुतम्

कुरवाणि

एकवचन

अकरोत्

अकरो: अकरवम्

करवाव

लङ्गलकार

द्विवचन

अकुरुताम्

अकुरुतम्

बहुवचन

सन्तु

स्त

असाम

बहुवचन

आसन्

आस्त

आस्म

बहुवचन

स्यात

स्याम

बहुवचन

भविष्यन्ति

भविष्यथ

भविष्यामः

पुरुष

प्रथम पुरुष

मध्यम पुरुष

उत्तम पुरुष

पुरुष

प्रथम पुरुष

मध्यम पुरुष

उत्तम पुरुष

पुरुष

प्रथम पुरुष

मध्यम पुरुष

उत्तम पुरुष

बहुवचन

कुर्वन्ति

कुरुथ

कुर्मः

बहुवचन

कुर्वन्तु

कुरुत

करवाम

)

बहुवचन

अकुर्वन्

अकुरुत

विधिलिङ्गलकार

कुर्याताम्

कुर्यातम्

कुर्याव

लृट्लकार

द्विवचन

करिष्यतः

करिष्यथ:

करिष्याव:

पुरुष

प्रथम पुरुष

मध्यम पुरुष

उत्तम पुरुष

पुरुष

प्रथम पुरुष

मध्यम पुरुष

उत्तम पुरुष

एकवचन

कुर्यात्

कुर्या:

कुर्याम्

एकवचन

करिष्यसि

करिष्यामि

‘श्रु’ धातु परस्मैपद रूप

लट्लकार (श्रु को शृ )

एकवचन

शृणोति

शृणोषि

शृणोमि

द्विवचन

शृणुवः (शृण्व:)

लोट्लकार (श्रु को शृ)

एकवचन

शृणोतु

शृणवानि

द्विवचन

श्रृणुताम्

शृणुतम्

शृणवाव

लङ्लकार (श्रु को शृ)

एकवचन

अश्रृणवम्

द्विवचन

अश्रृणुताम्

बहुवचन

कुर्यात

कुर्याम

बहुवचन

करिष्यथ

करिष्यामः

पुरुष

प्रथम पुरुष

मध्यम पुरुष उत्तम पुरुष

पुरुष प्रथम पुरुष

मध्यम पुरुष

उत्तम पुरुष

पुरुष

प्रथम पुरुष

मध्यम पुरुष

उत्तम पुरुष

पुरुष

प्रथम पुरुष

मध्यम पुरुष

उत्तम पुरुष

पुरुष

प्रथम पुरुष

मध्यम पुरुष उत्तम पुरुष

बहुवचन

बहुवचन शृण्वन्तु

श्रृणुत

शृणवाम

अशृणुव (अश्रृण्व) अशृणुम् (अश्रृण्म)

विधिलिङ्लकार (श्रु को शृ)

एकवचन

शृणुयात्

श्रृणुया:

श्रृणुयाम्

एकवचन

श्रोष्यसि

श्रोष्यामि

शृणुयाताम्

शृणुयातम्

श्रृणुयाव

लृट्लकार

द्विवचन

श्रोष्यतः

श्रोष्यथ:

श्रोष्याव:

बहुवचन

शृणुयात

शृणुयाम

बहुवचन

श्रोष्यन्ति

श्रोष्यथ

श्रोष्यामः

धातुरूपाणि | 135

‘पा’ (पिब्) धातु परस्मैपद रूप

लट्लकार

द्विवचन पिबत

पिबथ:

पिबाव:

लोट्लकार

द्विवचन

पिबताम्

पिबतम्

पिबाव

लङ्लकार

द्विवचन

अपिबताम्

एकवचन

पिबति

पिबसि

पिबामि

एकवचन

पिबतु

पिब

पिबानि

एकवचन

अपिबत्

अपिब:

अपिबम्

एकवचन

पिबेत्

पिबेः

पिबेयम्

एकवचन

पास्यति

पास्यामि

पुरुष

प्रथम पुरुष

मध्यम पुरुष

उत्तम पुरुष

पुरुष

प्रथम पुरुष

मध्यम पुरुष

उत्तम पुरुष

पुरुष

प्रथम पुरुष

मध्यम पुरुष

उत्तम पुरुष

पुरुष

प्रथम पुरुष

मध्यम पुरुष

उत्तम पुरुष

पुरुष

प्रथम पुरुष

मध्यम पुरुष

उत्तम पुरुष

बहुवचन

पिबन्ति

पिबथ

पिबाम:

बहुवचन

पिबन्तु

पिबत

पिबाम

बहुवचन

अपिबन्

अपिबतम् अपिबत

अपिबाव

विधिलिङ्लकार

अपिबाम

बहुवचन

पिबेताम् पिबेयुः पिबेत

पिबेतम्

लृटलकार

पास्यतः

पारस्यथ: पास्याव

‘दृश्’ (पश्य) धातु परस्मैपद रूप

लट्लकार

द्विवचन

पश्यतः

पश्यथ:

पश्याव:

लोट्लकार

द्विवचन

पश्यताम्

पश्यतम् पश्याव

एकवचन

पश्यति

एकवचन

पश्य

पश्यानि

पिबेम

बहुवचन

पास्यन्ति

पास्यथ

पास्यामः

पुरुष

प्रथम पुरुष

मध्यम पुरुष

उत्तम पुरुष

पुरुष

प्रथम पुरुष

मध्यम पुरुष

उत्तम पुरुष

बहुवचन

पश्यन्ति

पश्यथ

पश्यामः

बहुवचन

पश्यन्तु

पश्यत

पश्याम

 

लङ्लकार

द्विवचन

अपश्यताम्

अपश्यतम्

अपश्याव

विधिलिङ्लकार

द्विवचन

पश्येताम्

पश्येतम्

पश्येव

द्विवचन

द्रक्ष्यतः

द्रक्ष्यथ:

द्रक्ष्याव:

‘वन्द’ धातु आत्मनेपद लट्लकार

द्विवचन

द्विवचन

वन्देताम्

वन्देथाम्

लङ्लकार

द्विवचन

अवन्देताम्

अवन्देथाम्

विधिलिङ्लकार

द्विवचन

वन्देयाताम्

पुरुष

प्रथम पुरुष

मध्यम पुरुष

उत्तम पुरुष

पुरुष

प्रथम पुरुष

मध्यम पुरुष

उत्तम पुरुष

पुरुष

प्रथम पुरुष

मध्यम पुरुष

उत्तम पुरुष

एकवचन

अपश्यत्

अपश्यः

अपश्यम्

एकवचन

पश्येत्

पश्ये:

पश्येयम्

एकवचन

द्रक्ष्यति

बहुवचन

अपश्यन्

अपश्यत

अपश्याम

बहुवचन

पश्येयुः

पश्येत

पश्येम

बहुवचन

द्रक्ष्यथ

पुरुष

प्रथम पुरुष

मध्यम पुरुष

उत्तम पुरुष

पुरुष

प्रथम पुरुष

मध्यम पुरुष

उत्तम पुरुष

पुरुष

प्रथम पुरुष

मध्यम पुरुष

उत्तम पुरुष

पुरुष

प्रथम पुरुष

मध्यम पुरुष

उत्तम पुरुष

एकवचन

वन्दसे

बहुवचन

बहुवचन

वन्दन्ताम् वन्दध्वम्

बहुवचन

अवन्दन्त

अवन्दध्वम्

बहुवचन

वन्देन्

एकवचन

वन्दताम्

वन्दस्व

एकवचन

अवन्दत

अवन्दथा:

अवन्दे

एकवचन

वन्देथाः

वन्देय
धातुरूपाणि | 137

लृट्लकार

द्विवचन

वन्दिष्येते वन्दि येथे

वन्दिष्यावहे

पुरुष

प्रथम पुरुष

मध्यम पुरुष

उत्तम पुरुष

बहुवचन

वन्दिष्यन्ते

वन्दिष्यध्वे

वन्दिष्यामहे

वन्दिष्यते

वन्दिष्यसे

वन्दिये

लभ् ( पाना) धातु आत्मनेपद रूप

लट्लकार

द्विवचन

लभेते लभेथे

लभावहे लोट्लकार

द्विवचन

लभेताम् लभेथाम्

लभाव है

लङ्लकार

एकवचन

लभते

लभसे

लभे

एकवचन

लभताम्

लभस्व

लभे

एकवचन

अलभत

अलभथा:

अलभे

एकवचन

लभेत् लभेथाः

लभेय

एकवचन

लप्स्यते

पुरुष

प्रथम पुरुष

मध्यम पुरुष

उत्तम पुरुष

पुरुष

प्रथम पुरुष

मध्यम पुरुष

उत्तम पुरुष

पुरुष

प्रथम पुरुष मध्यम पुरुष

उत्तम पुरुष

पुरुष

प्रथम पुरुष

मध्यम पुरुष

उत्तम पुरुष

पुरुष

प्रथम पुरुष

मध्यम पुरुष

उत्तम पुरुष

बहुवचन

लभन्ते

लभध्वे

लभामहे

बहुवचन

लभन्ताम्

लभध्वम्

द्विवचन अलभेताम् अलभन्त

बहुवचन

अलभेथाम्

अलभध्वम् अलभावहि अलभामहि

विधिलिङ्लकार

द्विवचन

लभेयाताम्

लभेयाथाम् लभेवहि

लट्लकार

द्विवचन

लप्स्येथे

‘पच्’ धातु आत्मनेपद रूप

लट्लकार

द्विवचन

पचावहे

एकवचन

पचते

पसे

पचे

बहुवचन

लभेध्वम्

लप्स्यध्वे

पुरुष

प्रथम पुरुष

मध्यम पुरुष

उत्तम पुरुष

बहुवचन

पचन्ते

पचध्ये

पचामहे

लोट्लकार

द्विवचन

पचेताम् पचेथाम

लङ्लकार

द्विवचन

अपचेथाम्

अपचाव

विधिलिङ्लकार

द्विवचन

पचेयाताम्

पचेयाथाम् पचेवहि

लृट्लकार

द्विवचन

पचिष्येते

पचिष्येथे

पचिष्यावहे

पुरुष

प्रथम पुरुष

मध्यम पुरुष

उत्तम पुरुष

पुरुष

प्रथम पुरुष

मध्यम पुरुष

उत्तम पुरुष

पुरुष

प्रथम पुरुष

मध्यम पुरुष

उत्तम पुरुष

पुरुष

प्रथम पुरुष

मध्यम पुरुष

उत्तम पुरुष

एकवचन

पचताम्

पचस्व

पचै

एकवचन

अपचत

अपचथाः

अपचे

एकवचन

पचेत्

पचेथाः

पचेय

एकवचन

पचिष्यते

पचिष्यसे

‘कृ’ (करना) आत्मनेपद रूप

लट्लकार

द्विवचन

कुर्वाते

द्विवचन

कुर्वाताम्

कुर्वाथाम्

लङ्लकार

द्विवचन

अकुर्वाताम्

अकुर्वहि

एकवचन

कुरुषे

एकवचन

कुरुताम्

कुरुष्व

कर

अकुरुत

अकुरुथा:

अकुर्वि

बहुवचन

पचन्ताम्

पचामहै

बहुवचन

अपचन्त

अपचध्वम्

बहुवचन

पचेध्वम्

पचेमहि

बहुवचन

पचिष्यन्ते

पचिष्यामहे

पुरुष

प्रथम पुरुष

मध्यम पुरुष

उत्तम पुरुष

पुरुष

प्रथम पुरुष

मध्यम पुरुष

उत्तम पुरुष

पुरुष

प्रथम पुरुष

मध्यम पुरुष

उत्तम पुरुष

बहुवचन

कुर्वते

कुरुध्ये

बहुवचन

कुर्वताम्

कुरुध्वम् करवामहै

बहुवचन

अकुरुध्वम्

अकुर्महि
धातुरूपाणि | 139

विधिलिङ्लकार

द्विवचन

कुर्वीयताम्

कुर्वीयाथाम्

लृट्लकार

द्विवचन

करिष्येते

करिष्येथे

पुरुष

प्रथम पुरुष

मध्यम पुरुष

उत्तम पुरुष

पुरुष

प्रथम पुरुष

मध्यम पुरुष

उत्तम पुरुष

एकवचन

कुर्वीत

कुर्वीथा:

कुर्वीय

एकवचन

करिष्यते

करिष्यसे

बहुवचन

कुर्वीध्वम् कुर्वीमहि

बहुवचन

करिष्यन्ते

करिष्यध्वे

करिष्ये ‘रुच’ ( अच्छा लगना) धातु आत्मनेपद रूप

करिष्यावहे

लट्लकार

द्विवचन

रोचेते

रोचावहे

लोट्लकार

रोचेताम्

रोचेथाम्

रोचाव है

लङ्लकार

द्विवचन

करिष्यामहे

एकवचन

रोचते

रोच

बहुवचन

रोचन्ते

रोचध्ये

रोचामहे

बहुवचन

रोचन्ताम्

रोचध्वम् रोचा है

बहुवचन

अरोताम् अरोचन्त

अरोचेथाम्

अरोचध्वम्

अचा अरोचामहि

विधिलिङ्लकार

द्विवचन

रोचयाथाम्

रोचेवहि

लृट्लकार

द्विवचन

रोचिष्येते

बहुवचन

रोचेरन

रोचेध्वम्

रोचेमहि

बहुवचन

रोचिष्यन्ते रोचिष्येथे रोचिष्यध्वे

रोचिष्यामहे

पुरुष

प्रथम पुरुष

मध्यम पुरुष

उत्तम पुरुष

पुरुष

प्रथम पुरुष

मध्यम पुरुष उत्तम पुरुष

पुरुष

प्रथम पुरुष

मध्यम पुरुष

उत्तम पुरुष

पुरुष

प्रथम पुरुष

मध्यम पुरुष उत्तम पुरुष

पुरुष

प्रथम पुरुष मध्यम पुरुष

उत्तम पुरुष

एकवचन

रोचताम्

रोचस्व

रोचै

एकवचन

अरोचत

अरोचथाः

अरोचे

एकवचन

रोचेत

रोचेथाः

रोचेय

एकवचन

रोचिष्यते

रोचिष्यसे

रोचिष्ये

 

‘मुद्’ ( प्रसन्न होना) धातु आत्मनेपद रूप

लट्लकार

द्विवचन

मोदेथे

मोदावहे

लोट्लकार

द्विवचन

मोदेताम्

मोदावहै

लङ्लकार

द्विवचन

अमोदेताम्

अमोदेथाम्

अमोदावहि

विधिलिङ्लकार

मोदेयाताम्

मोदेयाथाम् मोदेवहि

लृट्लकार

द्विवचन

मोदिष्येथे

मोदिष्यावहे

अभ्यास प्रश्नाः

एकवचन

मोद

मोदे

एकवचन

मोदताम्

मोदस्व

मोदै

एकवचन

अमोदत

अमोदथाः

अमोदे

बहुवचन

मोदन्ते

मोदध्वे

मोदामहे

बहुवचन

मोदन्ताम् मोदध्वम्

मोदामहै

बहुवचन अमोदन्त

अमोदध्वम् अमोदामहि

बहुवचन

मोरन्

मोदेध्वम्

बहुवचन मोदिष्यन्ते

मोदिष्यध्वे

मोदिष्यामहे ।

प्रश्न 1. कोष्ठके प्रदत्तधातो: निर्दिष्टलकारे समुचित प्रयोगेण वाक्यानि पूरयत

1. बालका पुस्तकानि (1 (पठ्-लट्) 2. पुस्तकानि पठित्वा ते विद्वांसः .। (भू-लृट्)

3. यूयम् उद्याने कदा । (क्रीड्-लङ्) 4. किम् आवाम् अद्य । (भ्रम्-लोट्)

5. त्वम् ध्यानेन पाठं । (पठ् विधिलिङ्)

6. साधवः तपः (तप्-लट्) 7. वयम् उत्तमान् अङ्कान् । (लभ् लृट्)

8. नाटकं दृष्ट्वा सर्वे । (मुद्-लङ्) 9. पितरं वार्धक्ये पुत्रः अवश्यं । (सेव् लोट्)

10. हे प्रभो! संसारे कोऽपि भिक्षां न ……. । (याच् विधिलिङ्)

पुरुष

प्रथम पुरुष

मध्यम पुरुष

उत्तम पुरुष

पुरुष

प्रथम पुरुष

मध्यम पुरुष उत्तम पुरुष

पुरुष

प्रथम पुरुष

मध्यम पुरुष उत्तम पुरुष

पुरुष

प्रथम पुरुष

मध्यम पुरुष

उत्तम पुरुष

पुरुष

प्रथम पुरुष

मध्यम पुरुष

उत्तम पुरुष

मोदेत

मोदेथाः

मोदेय

एकवचन

मोदिष्यसे

मोदिष्ये

धातुरूपाणि | 141

अगच्छत)

)

प्रश्न 2. कोष्ठकात् समुचितं क्रियापदं चित्वा वाक्यानि पूरयत –

1. अद्य युवाम् विद्यालयं किमर्थं न ? (अगच्छताम् अगच्छतम्

2. पुरा जनाः संस्कृतभाषया । (भाषन्ते / भाषामहे / अभाषन्त )

3. यूयम् कं पाठम्

? (अपठत/अपठत्/अपठन्)

4. जीवाः सर्वेऽत्र भावयन्तः परस्परम् (मोदताम्/मोदेताम् / मोदन्ताम्

5. कक्षायाम् सर्वे ध्यानेन (पठतु/पठताम् / पठन्तु)

6. प्रभो मह्यम् बुद्धिम् । (यच्छ / यच्छतम् यच्छत)

7. वयम् सदैव सुधीराः सुवीराः च । (भवेव / भवेम/भवेयम्)

8. त्वं सायं कुत्र । (गमिष्यसि / गमिष्यथ: गमिष्यथ 9. विद्वान् सर्वत्र…. । ( पूज्यन्ते / पूज्येते / पूज्यते)

10. अद्यत्वे समाचारपत्रस्य महत्वं सर्वे । (जानाति/जानन्ति / जानासि) उत्तरम् – 1. 1. पठन्ति, 2. भवन्ति, 3 अक्रीडन्, 4. भ्रमाम् 5. पठेत्, 6. तपन्ति, 7. लप्स्यामहे,

8. अमोदेताम् 9. सेवते, 10 याचेयुः

2. 1. अगच्छताम् 2. भाषन्ते, 3. अपठन्, 4. मोदताम्, 5. पठताम्, 6. यच्छ, 7. भवेयम्,

8. गमिष्यसि 9. पूज्यन्ते, 10 जानाति

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