NCERT class 12th sociology important question अध्याय 14 जनसम्पर्क साधन और जनसंचार [Mass Media and Communication]

अध्याय 14 जनसम्पर्क साधन और जनसंचार [Mass Media and Communication]

वस्तुनिष्ठ प्रश्न
बहु-विकल्पीय प्रश्न

1. जन-संचार क्या है ?
(A) एक व्यक्ति का दूसरे व्यक्ति से सम्पर्क,
(B) एक ही समय में व्यापक सम्पर्क,
(C) विचारों का आदान-प्रदान,
(D) इनमें से कोई नहीं।

2. जनसंचार माध्यम है
(A) मुद्रित संचार,
(B) विद्युत् संचार
(C) दृश्य-श्रव्य माध्यम,
(D) ये सभी।

3. जन सम्पर्क के साधन हैं
(A) टेलीविजन,
(B) समाचार पत्र,
(C) रेडियो,
(D) ये सभी ।

4. पत्र-पत्रिकाओं तथा पुस्तकों को जनसंचार का कौन-सा माध्यम कहते हैं ?
(A) महत्त्वपूर्ण माध्यम,
(B) मुद्रित माध्यम,
(C) दृश्य-श्रव्य माध्यम
(D) अनावश्यक माध्यम

5. जनसंचार के माध्यमों ने हमारे जीवन को बनाया
(A) मनोरंजक,
(B) जागरूक,
(C) विश्व से सम्पर्क,
(D) ये सभी।

6. लोकतन्त्र का चौथा स्तम्भ कहा जाता है
(A) जनसंचार,
(B) न्यूज चैनल,
(C) राजनीतिक दल,
(D) दबाव समूह |

7. भारत का पहला ऐसा प्रकाशन जिसमें राष्ट्रवादी एवं लोकतन्त्रवादी दृष्टिकोण था
(A) संवाद कौमुदी,
(B) दि पायनियर,
(C) सोमप्रकाश,
(D) दि स्टेट्समैन

8. निम्नांकित में से इंटरनेट का उपयोग किस साधन के द्वारा किया जाता है ?
(A) टेलीफोन,
(B) मोबाइल,
(D) इनमें से कोई नहीं।
(C) रेडियो,

9. निम्नांकित में से किसे लोकतन्त्र का पहरेदार कहा जाता है ?
(A) लोकसभा,
(B) सेना,
(C) मास मीडिया,
(D) स्वस्थ प्रशासन

उत्तर – 1. (A), 2. (D). 3. (D). 4. (B), 5. (D), 6. (A). 7. (A), 8. (B) 9. (C).
रिक्त स्थान पूर्ति
1. भारतीय डाक प्रणाली सन् ………………………में प्रारम्भ हुई।
2. जन-संचार के साधन मुख्यतः……………………….प्रकार के होते हैं।
3. जन-संचार के आधुनिक साधनों के बिना…………………… की प्रक्रिया सम्भव नहीं होती है।
4. जवाहरलाल नेहरू ने मीडिया को प्रजातन्त्र का………………. कहा।
5. 20वीं सदी के प्रारम्भ में ……………………..के बाद FM चैनल प्रकाश में आया।
6. पहली बोलती फिल्म ……………………….द्वारा दिखाया गया।
7. सन् 1991 के खाड़ी युद्ध को……………………… थी।
8. ईश्वरचन्द्र विद्यासागर ने सन् 1858 में ………………………प्रकाशित किया।

उत्तर – 1. 1766, 2. तीन, 3. भूमण्डलीकरण, 4. चौकीदार, 5. भूमण्डलीकरण, 6. आलमआरा, 7. सी.एन.एन. चैनल, 8. सोमप्रकाश।

सत्य/असत्य
1. 18वीं सदी में औद्योगिक क्रान्ति के आगमन के साथ ही प्रिंटिंग प्रेस की माँग में कमी हुई।
2. निजी रेडियो चैनल राजनीतिक विचार व्यक्त नहीं कर सकते।
3. मूक फिल्मों का युग फिर से प्रारम्भ हो रहा है।
4. प्रत्येक समाज की अपनी एक संस्कृति होती है।
5. अधिकांश एफ.एम. चैनल युवा शहरी व्यावसायिकों तथा छात्रों में लोकप्रिय हैं।
6. संचार लोगों की मानसिकता को कुंठित करता है।
7. ‘दि टाइम्स ऑफ इंडिया’ की स्थापना सन् 1861 में हुई।
8. स्टार प्लस हांगकांग से संचालित होने वाला अंग्रेजी चैनल है ।
9. भारत में आज 400 से भी अधिक रेडियो केन्द्र हैं।
10. जनसंचार के साधनों से आज तक वैश्विक संस्कृति विकसित हो रही है।

उत्तर- 1. असत्य, 2. सत्य, 3. असत्य, 4. सत्य, 5. सत्य, 6. असत्य, 7. सत्य, 8. सत्य, 9. सत्य, 10. असत्य।

जोड़ी मिलाइए
1. पहला गैर सरकारी चैनल
2. सोप ओपेरा
3. मास मीडिया
4. प्रजातन्त्र का चौकीदार
5. दैनिक भास्कर
6. टेलीविजन

(i) मीडिया
(ii) समाचार पत्र
(iii) समाचार पत्र, टी.वी., रेडियो इत्यादि
(iv) दृश्य-श्रव्य साधन
(v) हमलोग नाटक
(vi) जी.टी.वी.

उत्तर – 1. → (vi), 2. → (v), 3. → (iii), 4. → (i), 5. → (ii), 6. → (iv).

एक शब्द / वाक्य में उत्तर
1. मुम्बई में गुजराती प्रेस के अग्रदूत कौन माने जाते हैं?
2. भारत में रेडियो प्रसारण सबसे पहले कहाँ हुआ?
3. जनसंचार ने मानव जीवन को कैसे परिवर्तित किया है?
4. मुद्रित संचार माध्यमों के मुख्य उदाहरण क्या हैं ?
5. भारत में जनसंचार के किस साधन का उपयोग सबसे पहले हुआ ?
6. वर्तमान में सभी चैनलों के द्वारा टेलीविजन के कार्यक्रमों को प्रसारण करने का माध्यम क्या है ?
7. भारत में रेडियो प्रसारण सबसे पहले कब और कहाँ हुआ ?
8. ‘इण्डियाज न्यूजपेपर रिवोल्यूशन’ नामक पुस्तक के लेखक कौन हैं?

उत्तर- 1. फरदूनजी मुर्जबान, 2. कोलकाता एवं चेन्नई में, 3. अत्यधिक जागरूक बनाकर, 4. समाचार-पत्र, पत्रिकाएँ, पुस्तकें, पेम्पलेट आदि, 5. डाक सेवा, 6. उपग्रह, 7. सन् 1920 में कोलकाता और चेन्नई में 8. रोजर जेफरी

अति लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. जनसंचार क्या होता है ?
उत्तर- जनसंचार से तात्पर्य उन सभी साधनों के अध्ययन एवं विश्लेषण से है जो एक साथ बहुत बड़ी जनसंख्या के साथ संचार स्थापित करने में सहायक होते हैं जिसमें समाचार-पत्र, पत्रिकाएँ, रेडियो, दूरदर्शन, चलचित्र सम्मिलित हैं।

प्रश्न 2. जनसंचार के माध्यमों को कितने भागों में बाँटा जाता है ?
उत्तर- जनसंचार के माध्यमों को तीन भागों में बाँटा जा सकता है (1) मुद्रित संचार, (2) विद्युत् संचार (3) दृश्य-श्रव्य संचार।

प्रश्न 3. मनोरंजन क्रान्ति क्या है ?
उत्तर- सूचना क्रान्ति से कम्प्यूटर, टी.वी., दूरदर्शन एक साथ जुड़ गए हैं जिस वजह से आम लोगों के जीवन के विभिन्न पक्षों में परिवर्तन आ रहे हैं। यही मनोरंजन क्रान्ति है।

प्रश्न 4. जनसम्पर्क के क्या उद्देश्य होते हैं ?
उत्तर- जनसम्पर्क का उद्देश्य समाज के विभिन्न वर्गों तक पहुँचना है। उदाहरणार्थ, कुछ विज्ञापन युवाओं के लिए होते हैं, कुछ महिलाओं के लिए तथा कुछ व्यापारी वर्ग के लिए। ग्रामीण तथा शहरी क्षेत्रों के विज्ञापन अलग-अलग होते हैं।

प्रश्न 5. इंटरनेट का पत्रकारिता के संसार पर क्या प्रभाव पड़ा है ?
उत्तर- इंटरनेट से पत्रकारिता का संसार सिमट गया है। इंटरनेट की सहायता से कुछ ही सेकण्डों में एक हिस्से की खबर दूसरे हिस्से में पहुँच जाती है। पत्रकार इंटरनेट की सहायता से कई गोष्ठियाँ व सेमिनार आयोजित कर सकते हैं।

प्रश्न 6. जनसंचार के माध्यम प्रिण्ट मीडिया का संक्षिप्त परिचय दीजिए। उत्तर- प्रेस या प्रिंटिंग प्रेस का विकास 15वीं शताब्दी के मध्य (1440 ई.) जोहान गुटनवर्ग के द्वारा हुआ था। 18वीं सदी में औद्योगिक क्रान्ति के आगमन के साथ प्रिंटिंग प्रेस की माँग बढ़ने लगी। 19वीं सदी में साक्षरता की दर बढ़ने लगी। समाचार-पत्रों की लोकप्रियता का कारण विश्व के कौने-कौने का समाचार एक ही स्थान पर मिलना है।

प्रश्न 7. देश में छपने वाले कुछ समाचार-पत्रों के नाम बताइए।
उत्तर- पंजाब केसरी, दैनिक भास्कर, नवभारत टाइम्स, हिन्दुस्तान टाइम्स, अमर उजाला, हिन्दुस्तान, दैनिक जागरण इत्यादि देश में छपने वाले प्रमुख समाचार पत्र हैं।

लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. जनसम्पर्क की कुछ विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर- जनसम्पर्क एक ऐसा संगठन है जो देश के विभिन्न भागों में रहने वाले लाखों लोगों तक पहुँचने की क्षमता रखता है। आजकल जनसम्पर्क हमारे जीवन का एक महत्त्वपूर्ण कारक बन चुका है।
(1) यह हमारे जीवन का अटूट हिस्सा है, जैसे- समाचार-पत्र, टी.वी., रेडियो इत्यादि।
(2) यह हमेशा वास्तविकता तथा विश्व में घट रही घटनाओं पर अपनी पैनी नजर रखता है।
(3) जनसम्पर्क के अन्तर्गत दूरसंचार के माध्यम से जुड़ी मोबाइल सेवाएँ तथा विज्ञापन भी शामिल हैं।

प्रश्न 2. जनसम्पर्क और समाजशास्त्र में क्या सम्बन्ध है ?
उत्तर- जब हम जनसम्पर्क का अध्ययन करते हैं, तो उसमें सामाजिक-आर्थिक तथा राजनीतिक क्षेत्र का भी समावेश होता है। समाज तथा जनसम्पर्क के बीच एक अर्न्तसम्बन्ध है। यह सम्बन्ध परस्पर अन्तरनिर्भरता वाला तथा उनकी अपनी प्रान्तीय भाषा के रूप में विकसित हुआ है। समाज का जीवन जनसम्पर्क के बिना उबाऊ और नीरस है। जनसम्पर्क तभी सफल होगा, जब वह सामाजिक पहलू पर भी नजर रखेगा। अतः जनसम्पर्क और समाजशास्त्र दोनों एक ही सिक्के के दो पहलू हैं।

प्रश्न 3. मीडिया और भूमण्डलीकरण के आपसी सम्बन्ध पर प्रकाश डालिए। उत्तर- संचार क्रान्ति के चलते पिछले तीस वर्षों में दुनिया तेजी से करीब आई है और जितने परिवर्तन हुए उन सबके पीछे मीडिया का विश्व स्तर पर प्रसार है। देश के करीब हर राज्य में, ग्रामीण इलाकों में अखबारों और पत्र-पत्रिकाओं ने अपनी पहुँच बना ली है। टेलीविजन, रेडियो, इंटरनेट, मोबाइल फोन और संचार के कई साधन हमारे गाँवों की ओर बढ़ रहे हैं। इन साधनों ने हमें खबरों के करीब पहुँचा दिया है। समाचार-पत्रों और चैनलों ने कई दलित समूहों को ध्यान में रखकर नए कार्यक्रम शुरू किए हैं। युवाओं और महिलाओं के लिए कॉलम से लेकर ज्योतिष, स्वास्थ्य और फैशन जैसे कई परिशिष्ट भी निकाले जा रहे हैं। भारत जैसे विशाल आबादी के देश में, जहाँ हर तरीके का ग्राहक मौजूद हो, वहाँ मीडिया और भूमण्डलीकरण के आपसी सम्बन्ध घनिष्ठ होते हैं।

प्रश्न 4. उदारीकरण के बाद के भारत में एफ.एम. की क्षमताओं पर प्रकाश डालिए। उत्तर भारत में सन् 2002 में गैर-स्वामित्व वाले एफ.एम. रेडियो स्टेशनों से मनोरंजन कार्यक्रमों में वृद्धि हुई है। एफ.एम. चैनल अपने मनोरंजन कार्यक्रमों में निरन्तर विविधता तथा नवीनता के लिए प्रयासरत हैं। ये चैनल युवा पीढ़ी तथा व्यावसायिकों में अत्यधिक लोकप्रिय हैं। हम मोबाइल फोन के जरिए एफ. एम. रेडियो के प्रसारण का आनन्द उठा सकते हैं। हमारे देश में नगरीय तथा महानगरीय क्षेत्रों में एफ.एम. रेडियो की लोकप्रियता का विस्तार लगातार बढ़ रहा है।

प्रश्न 5. नेहरू जी ने ‘मीडिया’ को प्रजातन्त्र का चौकीदार क्यों कहा?
उत्तर- जवाहरलाल नेहरू ने मीडिया को प्रजातन्त्र का चौकीदार कहा, क्योंकि यह समाज में लोकतन्त्र उत्पन्न करने हेतु अपनी भूमिका का निर्वहन करता है। सरकार द्वारा कार्यान्वित की जा रही परियोजनाओं के विषय में मीडिया लोगों को अवगत कराती है। लोगों को स्वावलम्बन हेतु काम प्राप्त करने में सहायता करती है तथा समाज में व्याप्त बुराइयों को दूर करने में भी अपनी सक्रिय भूमिका निभाती है।

दीर्घ उत्तरीय/विश्लेषणात्मक प्रश्न
प्रश्न 1. जनसंचार के साधनों से आप क्या समझते हैं ? जनसंचार के प्रमुख साधनों पर प्रकाश डालिए।
उत्तर- जब व्यक्तियों के समूह के साथ आमने-सामने की बातचीत के स्थान पर किसी यान्त्रिक माध्यम की सहायता से एक विशाल वर्ग से बातचीत की जाती है, तो इसे जनसंचार कहते हैं। जिन साधनों से बहुत दूर-दूर के लोगों के बीच विचारों और सन्देशों का आदान-प्रदान किया जाता है। उन साधनों की संगठित व्यवस्था को जनसंचार कहा जाता है। जनसंचार के साधनों को तीन भागों में बाँटा जाता है
(1) मुद्रित संचार (2) विद्युत् संचार (3) श्रव्य-दृश्य संचार। (1) मुद्रित संचार-प्रेस या समाचार पत्र एवं पत्रिकाएँ मुद्रित संचार कहलाता है। इन्हीं के द्वारा विभिन्न विषयों पर लोग स्वतन्त्रतापूर्वक अपने विचार प्रस्तुत करते हैं। स्वतन्त्रता संग्राम में समाचार पत्र तथा पत्रिकाओं ने काफी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। प्रेस सरकार की नीतियों का मूल्यांकन करने का सबसे प्रभावशाली साधन है। नई प्रौद्योगिकी के विकास से समाचार पत्रों के उत्पादन तथा प्रसार को काफी सहायता मिली है। इस कारण ही बहुत-सी चमकदार पत्रिकाएँ बाजार में रोज आ रही हैं। विभिन्न समाचार पत्रों तथा साप्ताहिक और मासिक पत्रिकाओं में जो लेख छपते हैं, वे लोगों में अपनी सामाजिक समस्याओं को लेकर, अन्तर्राष्ट्रीय स्तर तक के विषयों के प्रति जागरूकता पैदा करते हैं।
(2) विद्युत् संचार-रेडियो, दूरदर्शन, विद्युत् संचार के अन्तर्गत आते हैं रेडियो (आकाशवाणी)- हमारे देश की जनसंख्या का अधिकांश हिस्सा ऐसा है जो टेलीविजन का आर्थिक बोझ नहीं उठा सकता। बहुत कम दामों में रेडियो खरीदकर आकाशवाणी में प्रसारित होने वाले कार्यक्रम सुनते रहते हैं। महिलाओं खासकर ग्रामीण महिलाओं तथा बच्चों के लिए कई तरह के कार्यक्रम प्रस्तुत किए जाते हैं। ग्रामीणों को अनाज, सब्जियों, फलों, फूलों की पैदावार, कीटनाशक, विभिन्न उवर्रकों की गुणवत्ता सम्बन्धित जानकारी भी आसानी से मिलती है। टेलीविजन (दूरदर्शन)-टेलीविजन जनसंचार का सबसे प्रभावशाली साधन है। आज भारत में 8 करोड़ से भी ज्यादा लोगों के पास टेलीविजन उपलब्ध है। दूरदर्शन पर शिक्षा सम्बन्धी कई कार्यक्रम प्रस्तुत होते हैं-IGNOU एवं UGC के माध्यम से उच्च शिक्षा के लिए कई कार्यक्रम दूरदर्शन पर चलाए जा रहे हैं। इसके अतिरिक्त, भारत में आज के समय में प्राइवेट चैनलों की भरमार आई हुई है। दूरदर्शन के अलावा सोनी, जी.टी.वी., मैक्स, स्टार स्पोर्ट्स इत्यादि सैकड़ों चैनल दिन-रात चल रहे हैं तथा मनोरंजन कर रहे हैं।
(3) दृश्य-श्रव्य संचार चलचित्र – इसे हम जनसंचार का दृश्य-श्रव्य माध्यम भी कहते हैं। चलचित्र अथवा फीचर फिल्में हमारे जीवन से जुड़ी तरह-तरह की समस्याओं और बदलते हुए व्यवहारों का सजीव चित्रण करती हैं। फिल्मों के द्वारा जब हम आर्थिक और राजनैतिक अपराधों, स्त्रियों की परिस्थिति, परिवार के विघटन के कारणों, समाज में पुलिस और नेताओं की भूमिका, युवा वर्ग में के बदलते हुए मूल्यों इत्यादि को देखते हैं, तो हमारी मानसिकता में तेजी से परिवर्तन होता है।दूरसंचार- भारत में संचार क्रान्ति में दूरसंचार भी मुख्य स्थान है। दूरसंचार में मुख्य रूप से टेलीफोन, फैक्स, इंटरनेट जैसी सेवाओं को सम्मिलित करते हैं। आज टेलीफोन के इन्सेट से जुड़ जाने के कारण हम कुछ ही पलों में विदेश में रहने वाले अपने प्रियजनों से भी सरलता से बात कर सकते हैं। फैक्स की सुविधाओं से लोग कुछ ही मिनटों में कुछ लिखित सन्देश हजारों किलोमीटर दूर बैठे व्यक्ति के पास भेज सकते हैं। इंटरनेट ऐसा साधन है जिसके द्वारा कम्प्यूटर की एक क्लिक से लेन-देन, बातचीत, सन्देशों का आदान-प्रदान कुछ ही पलों में आसानी से हो जाता है। जनसंचार के यह सभी साधन अत्यधिक महत्त्वपूर्ण हैं। इनका अन्तिम उद्देश्य लोगों में नई जागरूकता पैदा करना तथा समाज का विकास करना है।

प्रश्न 2. आधुनिक मास मीडिया की शुरुआत स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- पहली आधुनिक मास मीडिया का प्रारम्भ प्रिंटिंग प्रेस (छापाखाना) के विकास के साथ हुआ था। पुस्तकें छापने का काम सर्वप्रथम यूरोप से हुआ। यह तकनीक सर्वप्रथम जोहान गुटनबर्ग द्वारा 1440 में विकसित की गई थी।
(1) औद्योगिक क्रान्ति के साथ ही मुद्रण उद्योग का विकास हुआ। कुलीन मुद्रणालय के प्रथम उत्पाद साक्षर अभिजात लोगों तक ही सीमित थे।
(2) 19वीं सदी के मध्य भाग में आकर जब प्रौद्योगिकियों, परिवहन और साक्षरता में और आगे विकास हुआ, तभी समाचार पत्र जन-जन तक पहुँचने लगे।
(3) देश के विभिन्न भागों में रहने वाले लोग परस्पर जुड़े हुए महसूस करने लगे और उनमें हम की भावना विकसित होने लगी।
(4) सुविख्यात विद्वान बेनेडिक्ट ऐन्डरसन ने कहा कि इससे राष्ट्रवाद का विकास हुआ और लोग देश को परिवार में सदस्य के जैसे महसूस करने लगे।
(5) भारतीय राष्ट्रवाद का विकास राष्ट्रवादी प्रेसों के माध्यम से ही हुआ।
(6) राष्ट्रवादी आन्दोलनों का विकास राष्ट्रवादी समाचार पत्र केसरी मातृभूमि, अमृत बाजार पत्रिका इत्यादि के माध्यम से भी हुआ।
(7) स्वतन्त्र भारत में मीडिया को लोकतन्त्र के पहरेदार की भूमिका निभाने के लिए कहा। मीडिया से आशा की गई कि वह लोगों के हृदय में आत्मनिर्भरता और राष्ट्रीय विकास की भावना भरें।
(8) एक आधुनिक औद्योगिक समाज का निर्माण करने के लिए सरकार का फिल्म प्रभाग समाचार, फिल्में और वृत्तचित्र प्रस्तुत करता था। इन्हें प्रत्येक सिनेमाघर में फिल्म प्रारम्भ करने से पहले दिखाया जाता था, ताकि दर्शकों को सरकार द्वारा चलाई जा रही विकास प्रक्रिया के बारे में जानकारी मिल सके।

प्रश्न 3. समाचार पत्र उद्योग में जो परिवर्तन हो रहे हैं, उनकी रूपरेखा प्रस्तुत करें। इन परिवर्तनों के बारे में आपकी क्या राय है ?
उत्तर-टेलीविजन और इंटरनेट के दिनों-दिन बढ़ते प्रयोग से प्रिंट मीडिया के दिन लद जाएँगे, ऐसा सोचा जा रहा था, किन्तु समाज में इन दोनों माध्यमों के आने के बाद भी समाचार पत्रों में वृद्धि हुई है। नई प्रौद्योगिकी ने समाचार पत्रों व पत्रिकाओं की प्रसार संख्या और इसके वितरण को बढ़ाने में भारी मदद की है। बाजार में तरह तरह के अखबार व रंग-बिरंगी पत्रिकाएँ काफी संख्या में बिक रही हैं। भारत में समाचार पत्रों के विकास के पीछे कई कारण है
(1) बड़ी संख्या में शिक्षित लोग शहरों की तरफ जा रहे हैं। हिन्दी दैनिक ‘हिन्दुस्तान’ जो 2003 में केवल 64,000 प्रतियाँ ही खपता था, अप्रत्याशित रूप से 2005 में 4,25,000 प्रतियाँ छापने लगा। इसका कारण यह था कि दिल्ली की आबादी 1 करोड़ 47 लाख में 52 प्रतिशत लोग हिन्दी भाषी राज्यों उत्तर प्रदेश तथा बिहार से आए हैं, इनमें 47% लोग ग्रामीण पृष्ठभूमि के हैं तथा इनमें 60% लोग 40 वर्ष की उम्र से कम हैं।
(2) बड़े शहरों की तुलना में छोटे शहरों तथा गाँव के पाठकों की रुचियाँ अलग है। क्षेत्रीय भाषा में समाचार पत्र उनकी इन रुचियों को पूरा करते हैं।
(3) भारतीय भाषाओं के समाचार पत्रों ने उन्नत मुद्रण प्रौद्योगिकी अपनाई जिससे परिशिष्ट, साहित्यिक पुस्तिकाएँ प्रकाशित करने का प्रयत्न किया।
(4) दैनिक भास्कर समूह की समृद्धि का कारण उनके द्वारा अपनाई गई अनेक विपणन सम्बन्धी रणनीतियाँ हैं, जिसके अन्तर्गत वे उपभोक्ता सम्पर्क कार्यक्रम, घर-घर जाकर सर्वेक्षण और अनुसंधान जैसे कार्य करते हैं। अत: आधुनिक मास मीडिया के लिए औपचारिक संरचनात्मक संगठन का होना आवश्यक है।

समाचार-पत्र के उत्पादन में परिवर्तन प्रौद्योगिकी की भूमिका
(1) बहुत से लोगों को डर था कि इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के उत्थान से प्रिंट मीडिया के प्रसार में गिरावट आएगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ किन्तु इस प्रक्रिया के कारण अक्सर कीमतें घटानी पड़ी है जिसकी पूर्ति के लिए विज्ञापनों का सहारा लेना पड़ता है।
(2) समाचार पत्र अब एक उपभोक्ता उत्पाद का रूप लेते जा रहे हैं तथा जैसे-जैसे इसकी संरचना बढ़ती जा रही है, सब कुछ बिक्री पर निर्भर होता जा रहा है।

प्रश्न 4. टेलीविजन के माध्यम में जो परिवर्तन होते रहे हैं उनकी रूपरेखा प्रस्तुत कीजिए। चर्चा कीजिए।
उत्तर-टेलीविजन आज जन-संचार तथा मनोरंजन का सबसे मशहूर एवं सशक्त माध्यम बन गया है। यह दृश्य-श्रव्य साधन है। 1927 में बेल टेलीफोन लेबोरेट्रीज ने न्यूयार्क तथा वाशिंगटन के बीच प्रायोगिक टेलीविजन कार्यक्रम का प्रसारण हुआ BBC ने अपनी टेलीविजन सेवा आरम्भ की। भारत में टेलीविजन का आरम्भ यूनेस्को की एक शैक्षिक परियोजना के अन्तर्गत 15 सितम्बर, 1959 को हुआ था। इसके तहत् दिल्ली के आस-पास में दो टी.वी. सेट लगाए गए जिन्हें 200 लोगों ने देखा। 15 अगस्त, 1965 से भारत में विधिवत् टी.वी. सेवा का आरम्भ हुआ। 1975 तक दिल्ली, मुम्बई, श्रीनगर, अमृतसर, कोलकाता, चेन्नई, लखनऊ में टी.वी. सेन्टर खुल गए। 1 अप्रैल, 1976 से इसे आकाशवाणी से अलग कर ‘दूरदर्शन’ नाम दिया गया। 1984 में इसकी रजत जयंती मनाई गई।
दूरदर्शन ने सूचना, शिक्षा व मनोरंजन के क्षेत्र में उल्लेखनीय काम किया है। पहले इस पर सरकारी नियन्त्रण था। जिससे इसकी निष्पक्ष छवि नहीं बन पाई, लेकिन 1991 में खाड़ी युद्ध के दौरान विश्व भर के लोगों ने युद्ध का सीधा प्रसारण (सी.एन.एन चैनल के द्वारा) देखा। भारत में लगभग दो दशक तक दूरदर्शन ही एकमात्र चैनल था। इसके पश्चात् भारत में टी.वी. की दुनिया में निजी चैनलों की शुरूआत हुई। पहले विदेशी चैनलों को प्रसारण की अनुमति मिली। शीघ्र ही स्टार जैसे टी.वी. चैनलों ने अपने भारत केन्द्रित समाचार चैनल प्रसारित करना शुरू कर दिए। भारत में टी.वी. का असली विस्तार तब हुआ जब यहाँ देशी चैनलों की बाढ़ आने लगी। अक्टूबर 1993 में जी.टी.वी. व स्टार टी.वी. के मध्य समझौता हुआ। इसके पश्चात् समाचार के क्षेत्र में जी न्यूज व स्टार न्यूज चैनल आ गए। सन् 2002 में ‘आज तक’ का स्वतन्त्र चैनल आया। आज पूरे भारत में 200 से ज्यादा चैनल प्रसारित किए जा रहे हैं।

प्रश्न 5. क्या एक जनसंचार के माध्यम के रूप में रेडियो खत्म हो रहा है ? उदारीकरण के बाद भी भारत में एफ.एम. स्टेशनों के सामर्थ्य की चर्चा कीजिए।
उत्तर – पत्र-पत्रिकाओं के बाद रेडियो ने ही दुनिया को सबसे अधिक प्रभावित किया। भारत में 1936 ई. में विधिवत ऑल इंडिया रेडियो की स्थापना हुई। आज आकाशवाणी देश की 24 भाषाओं और 146 बोलियों में कार्यक्रम प्रस्तुत करती है। देश के 96% हिस्से तक इसकी पहुँच है। समाचार पत्रों के बाद रेडियो ही एक ऐसा साधन है जो प्रत्येक व्यक्ति की पहुँच में है। यहाँ तक कि निर्धन से निर्धन व्यक्ति भी 100-150 रुपये में रेडियो खरीद कर अपना मनोरंजन कर सकता है। टी.वी. चैनलों की बाढ़ आने से रेडियो का प्रभाव थोड़ा-सा कम अवश्य हो गया था, परन्तु एफ.एम. स्टेशनों के चलने से रेडियो का क्रेज फिर से बढ़ गया है। देश के दूर-दूर के इलाकों में, जहाँ मनोरंजन का कोई और साधन नहीं पहुँच सकता, वहाँ रेडियो पहुँच सकता है। आज के उदारीकरण के समय में एफ.एम स्टेशनों का सामर्थ्य काफी बढ़ गया है। सन् 2002 से सरकार से लाइसेंस लेकर गैर-सरकारी संगठनों के द्वारा एफ.एम. रेडियो स्टेशनों की स्थापना आरम्भ हुई । एफ.एम. रेडियो स्टेशन जनसाधारण की पसन्द पर आधारित लोकप्रिय गानों, चुटकुलों, कहानियों, जनता को जागरूक करने वाले संदेशों तथा स्थानीय संस्थानों के बारे में जानकारी देने वाला सबसे सशक्त साधन के रूप में भूमिका निभाने लगे हैं। इस समय भारत में आकाशवाणी केन्द्रों के अतिरिक्त 400 से भी अधिक एफ.एम. चैनल हैं। अपनी कारों में अधिकांश लोग एफ.एम. चैनल के संगीत की आवाज सुनना अधिक पंसद करते हैं।

प्रश्न 6. जनसंचार के साधनों की सामाजिक परिवर्तन लाने में क्या भूमिका है ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- आज जनसंचार साधन वृहद समाज की आवश्यकता है। आधुनिक सन्दर्भों में चरित्र का बदलाव, समाज के बीच अन्तर्क्रिया तथा सम्बन्धों की जटिलता बढ़ी है। जनसंचार के साधनों ने सामाजिक परिवर्तन में अपनी महती भूमिका निभाई है।
(1) विचारों और मनोवृत्तियों में परिवर्तन- समाचार पत्र, रेडियो, टेलीविजन आदि के माध्यम से हम विभिन्न खबरों को पढ़ते देखते व सुनते हैं। मोबाइल, कम्प्यूटर, इंटरनेट की सहायता से लोगों के विचारों को जानते हैं, तो हमारे विचारों में क्रान्ति आती है। उपयोगी विचारों को ग्रहण कर हम कुप्रथाओं का विरोध करते हैं तथा समाज की मनोवृत्ति बदलने के लिए प्रयास करते हैं।
(2) समतावादी समाज का निर्माण-जनसंचार के माध्यमों से सामाजिक कथानकों के विषय में जानकारी होती है। जिससे हम कूपमंडूकता से बाहर निकलकर नए-नए आयामों को अपनाकर समाज में समता लाने का प्रयास करते हैं।
(3) आधुनिकीकरण को प्रोत्साहन-प्रौद्योगिक विकास, वैयक्तिक स्वतन्त्रता, लोकतान्त्रिक समानताओं के विषय में जानकारी जनसंचार के माध्यमों से प्राप्त होती है तथा हम अपने व्यवहार व दशाओं में आधुनिकी का प्रयोग कर उसे उन्नत बनाते हैं।
(4) विश्व समुदाय तथा भूमण्डलीय संस्कृति का विकास-जनसंचार के साधनों के द्वारा लोगों को बाहरी दुनिया की संस्कृति, प्रौद्योगिकी, व्यवसाय तथा नए-नए तरीकों की जानकारी होती है जिससे धीरे-धीरे विभिन्न वर्गों के लोगों के बीच इस तरह के सम्बन्ध विकसित होते हैं जो जाति, धर्म, क्षेत्र और स्थानीय संस्कृति से भी ऊपर होते हैं। इनमें डॉक्टरों, इन्जीनियरों, वित्तीय सलाहकारों, शिक्षकों, वैज्ञानिकों के अतिरिक्त करोड़ों लोग शामिल होते हैं, जो एक बड़ी संख्या में विश्व समुदाय से जुड़ने लगते हैं।
(5) मनोरंजन के लिए नए क्षेत्रों का विकास-मनोरंजन संचार का महत्त्वपूर्ण कार्य है, जिसके द्वारा व्यक्ति न केवल मनोरंजनात्मक साधनों, जैसे फिल्म इत्यादि से मनोरंजन करते न हैं, बल्कि जनसंचार द्वारा दी जाने वाली सूचनाओं को एकत्रित करते हैं। समाज के विकास के लिए बनाए गए स्थानीय आधार पर कार्यक्रमों, खेलकूद विषयों, स्वास्थ्य एवं अपराधों के बारे में सूचना अर्जित करने में व्यक्तियों की सहायता करता है। इन क्षेत्रों के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ती है तथा नए क्षेत्रों और अवसरों का विकास होता है।
(6) लोकतान्त्रिक व्यवस्था का चौथा स्तम्भ-जनसंचार के साधनों से ही विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका के कार्यों का मूल्यांकन करने का अवसर मिलता है। भ्रष्टाचार की अनेक घटनाओं को सामने लाने का कार्य भी जनसंचार के साधनों पर है। जनसंचार के साधन लोगों को अपने सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक अधिकारों के प्रति जागरूक बनाकर लोकतन्त्र को मजबूत बनाने का काम करते हैं।
(7) दैनिक घटनाओं की सूचना में सहायक- जनसंचार के माध्यम से व्यक्ति दैनिक घटनाओं से अवगत होता है। इसके माध्यम के आधार पर व्यक्ति को स्थानीय, राष्ट्रीय, अन्तर्राष्ट्रीय घटनाओं की जानकारी प्राप्त होती है तथा मौसम सम्बन्धी, राजनीतिक घटनाओं नगरों, महानगरों की जानकारी प्राप्त होती है।
अतः जनसंचार के साधनों द्वारा लाया जाने वाला परिवर्तन नियोजित प्रकृति का होता है, इसलिए जनसंचार के साधनों का व्यवस्थित विकास मानव जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाते हैं।

प्रश्न 7. समाज पर जनसंचार के नकारात्मक प्रभावों को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- समाज पर जनसंचार की भूमिका अनेक क्षेत्रों में रचनात्मक है। इसके बाद भी जनसंचार से समाज के सामने अनेक नई समस्याएँ भी पैदा हुई हैं। (1) जनसंचार सूचना को व्यक्तियों तक पहुँचाने का एक माध्यम है। लेकिन इस माध्यम के द्वारा लोगों को गलत सूचनाएँ भी पहुँचाई जाती हैं जो कि वास्तविकता से दूर होती हैं जिसका जनता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। (2) फिल्में और टेलीविजन के बहुत से धारावाहिक अश्लीलता तथा ऐसे कथानकों पर आधारित होते हैं जो बच्चों में माता-पिता, नातेदारों और शिक्षकों के प्रति विरोध की भावनाएँ पैदा करने लगते हैं जिससे नई पीढ़ी में अनुशासनहीनता की समस्या पैदा हो रही है। (3) जनसंचार गुमराह करने वाले विज्ञापनों से नई पीढ़ी के स्वास्थ्य पर व आर्थिक जीवन पर नकारात्मक प्रभाव डाल रहे हैं। (4) कम्प्यूटर, इंटरनेट इत्यादि के अत्यधिक उपयोग से धीरे-धीरे लोगों की चिन्तन क्षमता और भाषा के विकास पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। (5) कम्प्यूटर के बढ़ते उपयोग से विभिन्न अभिलेखों के भारी-भरकम बोझ से सरकारी और निजी प्रतिष्ठानों को छुटकारा मिल गया है, लेकिन इससे नौकरी के अवसरों की कमी से बेरोजगारी बढ़ी है। (6) जनसंचार समाज में पलायनवाद को भी बढ़ावा देता है। उपर्युक्त नकारात्मक प्रभाव को देखते हुए भी हम जनसंचार को अपने से अलग नहीं रख सकते। जरूरत है तो इस बात की कि जनसंचार के साधनों के द्वारा रचनात्मक प्रसार किया जाए। झूठे और गुमराह करने वाले विज्ञापनों को प्रसारित न किया जाए। नैतिक मर्यादाओं को ध्यान में रखकर एक ऐसी जागरूकता को प्रोत्साहन दिया जाए जो राष्ट्रप्रेम और नागरिक कर्त्तव्यों पर आधारित हो तभी समाज में होने वाले परिवर्तन को सकारात्मक परिवर्तन का रूप दिया जा सकेगा।

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