Pariksha Adhyayan Class 9 Social Science अध्याय 10 प्राकृतिक वनस्पति तथा वन्य प्राणी

अध्याय 10
प्राकृतिक वनस्पति तथा वन्य प्राणी

अध्याय 10 प्राकृतिक वनस्पति तथा वन्य प्राणी
अध्याय 10
प्राकृतिक वनस्पति तथा वन्य प्राणी

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

. बहु-विकल्पीय प्रश्न
1. रबड़ का सम्बन्ध किस प्रकार की वनस्पति से है ?
(i) टुण्ड्रा
(ii) हिमालय
(iii) मैंग्रोव
(iv) उष्ण कटिबन्धीय वर्षा वन।

2. सिनकोना के वृक्ष कितनी वर्षा वाले क्षेत्र में पाये जाते हैं ?
(i) 100 सेमी
(ii) 70 सेमी
(iii) 50 सेमी
(iv)50 सेमी से कम वर्षा ।

3. सिमलीपाल जीवमण्डल निचय कौन-से राज्य में स्थित है
(i) पंजाब
(ii) दिल्ली
(iii) ओडिशा
(iv) पश्चिम बंगाल।

4. भारत के कौन-से जीवमण्डल निचय विश्व के जीवमण्डल से लिए गए हैं ?
(i) मानस
(ii) मन्नार की खाड़ी
(iii) नीलगिरि
(iv) नन्दादेवी।

 

5. भारत में कितने नेशनल पार्क है?
(1) 103
(ii) 95
(iii) 128
(iv) 138.

6. कौन-सी औषधीय वनस्पति नहीं है ?
(i) तुलसी
(ii) नीम
(iii) सर्पगंधा
(iv) टीक।

7. भारत में सबसे कम वन क्षेत्र वाला राज्य है-
(i) झारखण्ड
(ii) हरियाणा
(iii) राजस्थान
(iv) उत्तर प्रदेश।

उत्तर-1.(iv), 2. (i), 3.(iii), 4. (iv), 5. (1), 6. (iv),
7. (ii).

रिक्त स्थानों की पूर्ति

1. वह वनस्पति जो मूलरूप से भारतीय है उसे …….कहते हैं।
2. जो पौधे भारत के बाहर से आए हैं उन्हें ……..कहते हैं।
3. सुन्दरी वृक्ष ……..में पाया जाता है।

4. सतपुड़ा राष्ट्रीय ……….जिले में है।
5. भारत में प्रथम जीव आरक्षित क्षेत्र ……..में स्थापित किया गया है।
6. देश में सिंहों का प्राकृतिक आवास स्थल गुजरात का …….. जंगल है।

उत्तर-1. देशज, 2. विदेशज पौधे, 3. मैग्रोववन,
4. होशंगाबाद, 5. नीलगिरि, 6. गिर क्षेत्र।

सत्य/असत्य

1. ज्वारीय वन में सुन्दरी वृक्ष पाया जाता है।
2. सन् 2003 में वनों का कुल क्षेत्रफल 68 लाख वर्ग किमी था।
3. भारत में प्राणी की लगभग 60,000 प्रजातियाँ मिलती हैं।
4. अल्पाइन घास के मैदानों में विलीन हो जाते हैं।
5. हमारा देश विश्व के मुख्य 12 जैव विविधता वाले देशों में एक है।

उत्तर-1. सत्य, 2. सत्य, 3. असत्य, 4. सत्य, 5. सत्य।

एक शब्द/वाक्य में उत्तर

1. भारत में वन्य जीव सुरक्षा अधिनियम कब पारित हुआ ?
2. अल्पाइन घास के मैदानों का उपयोग पशुचारण के लिए कौन करते हैं ?
3. ऐसे वन जो एक ऋतु विशेष में पत्ते गिरा देते हैं।
4. जीवमण्डल निचय (आरक्षित क्षेत्र) पंचमढ़ी किस राज्य में स्थित है ?
5. गंगा ब्रह्मपुत्र डेल्टा क्षेत्र का प्रसिद्ध जानवर कौन-सा है ?
6. अल्पकाल के लिए आने वाले पक्षी को कहते हैं।

उत्तर-1.1972, 2. गुज्जर तथा बक्करवाल, 3. पर्णपाती वन, 4. मध्य प्रदेश, 5. रॉयल बंगाल टाइगर, 6. प्रवासी पक्षी।

अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. भारत में पादपों तथा जीवों का वितरण किन तत्वों द्वारा निर्धारित होता है ?
उत्तर- भारत में पादपों तथा जीवों का वितरण भूमि, मिट्टी, तापमान, सूर्य का प्रकाश तथा वर्षा आदि द्वारा निर्धारित होता है।

प्रश्न 2. जीवमंडल निचय से क्या अभिप्राय है? कोई दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर-भारत में जैव-विविधता की सुरक्षा के लिए अनेक प्रयास किये जा रहे हैं। इस योजना के अन्तर्गत नीलगिरि में भारत का प्रथम जीव आरक्षित क्षेत्र (बायोस्फीयर रिजर्व) स्थापित किया गया है। यह कर्नाटक, तमिलनाडु और केरल के सीमावर्ती क्षेत्रों में फैला है। इसका क्षेत्रफल 5500 वर्ग किमी है। इस योजना के अन्तर्गत प्रत्येक जन्तु तथा पौधे का रक्षण अनिवार्य है। इसकी स्थापना 1986 में की गयी थी।
उत्तराखण्ड के हिमालय क्षेत्र में नन्दादेवी का जीव-आरक्षित क्षेत्र 1988 में स्थापित किया गया था।

प्रश्न 3. किन्हीं दो वन्य प्राणियों के नाम बताइए जो कि उष्ण कटिबंधीय वर्षा और पर्वतीय वनस्पति में मिलते हैं।
उत्तर-उष्ण कटिबंधीय वर्षा वन-हाथी, बंदर, हिरण।
पर्वतीय वनस्पति-चितरा हिरण, हिम तेंदुआ, घने बालों वाली भेड़।

प्रश्न 4. प्राकृतिक वनस्पति से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर-प्राकृतिक रूप से मानव के हस्तक्षेप के बिना उगने वाले पेड़-पौधों को प्राकृतिक वनस्पति कहते हैं।

प्रश्न 5. वन किसे कहते हैं ?
उत्तर-वन उस बड़े भू-भाग को कहते हैं, जो प्राकृतिक रूप से उगने वाले पेड़-पौधों तथा झाड़ियों द्वारा आच्छादित होता है।

प्रश्न 6. प्राकृतिक आधार पर वनों को कितने भागों में बाँटा जा सकता है ?
उत्तर-प्राकृतिक आधार पर वनों को पाँच भागों में बाँटा जा सकता है-(1) उष्ण कटिबन्धीय सदाबहार वन, (2) उष्ण कटिबन्धीय पर्णपाती वन, (3) पर्वतीय वन, (4) मैंग्रोव वन, (5) उष्ण कटिबन्धीय कँटीले वन।

प्रश्न 7. उन वन्य प्राणियों के नाम लिखिए जो अब विलुप्त होने के कगार पर हैं ?
उत्तर-गैंडा, चीता, शेर, सोहन चिड़िया आदि वन्य प्राणी अब विलुप्त होने के कगार पर हैं।

प्रश्न 8. भारत की वनस्पति में इतनी विविधता क्यों है ?
उत्तर-दक्षिण से लेकर उत्तर ध्रुव तक विविध प्रकार की जलवायु के कारण भारत में अनेक प्रकार की वनस्पतियाँ पाई जाती हैं जो समान आकार के अन्य देशों में बहुत कम मिलती है। यहाँ लगभग 47,000 प्रकार के पेड़-पौधे पाए जाते हैं।

प्रश्न 9. पारिस्थितिक तन्त्र से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर-भौतिक पर्यावरण और उसमें रहने वाले जीवों के सम्मिलित रूप को पारिस्थितिक तन्त्र या पारितन्त्र कहते हैं।

प्रश्न 10. कियांग क्या है ? भारत में यह कहाँ पाया जाता है ? कियांग के साथ पाये जाने वाले अन्य दो जानवरों के नाम लिखिए।
उत्तर-कियांग तिब्बती जंगली गधा है। कियांग के साथ तिब्बतीय बारहसिंघा, भारल (नीली भेड़) पायी जाती है।

प्रश्न 11. पर्वतीय वनों में कौन-से जानवर पाये जाते हैं ?
उत्तर-पर्वतीय वनों में प्राय: कश्मीरी महामृग, चितरा हिरण, जंगली भेड़, खरगोश, तिब्बतीय बारहसिंघा, याक, हिम तेंदुआ, गिलहरी, रीछ, आइबैवस, कहीं-कहीं लाल पांडा, घने बालों वाली भेड़ तथा बकरियाँ पाई जाती हैं।

प्रश्न 12. अभ्यारण्य किसे कहते हैं ?
उत्तर-अभ्यारण्य राष्ट्रीय उद्यानों के समान ही होते हैं। ये वन्य प्राणियों को संरक्षित और प्रजातियों को सुरक्षित करने के लिए प्राकृतिक स्थल हैं यहाँ बिना अनुमति के शिकार करना मना होता है।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 3. भारत में बहुत सख्या में जीव और पादप प्रजातियाँ संकटग्रस्त है। उदाहरण सहित कारण जीवों के अत्यधिक उपयोग के कारण पारिस्थितिक तंत्र असन्तुलित हो गया है। लगभग 1300 पाद प्रजातिय
उत्तर-भारत में बहुत संख्या में जीव और पादप प्रजातियाँ संकटग्रस्त है क्योंकि मानव द्वारा पादपा जी संकट में है तथा 20 प्रजातियाँ नष्ट हो चुकी है। काफी वन्यजीव प्रजातियाँ भी सकट में है आर कुछ नष्ट पारिस्थितिक तंत्र के असन्तुलन का प्रमुख कारण लोभी व्यापारियों का अपने व्यवसाय के लिए
अत्यधिक शिकार करना है। रासायनिक और औद्योगिक अवशिष्ट तथा तेजाबी जमाव के कारण प्रदूषण विदेशी प्रजातियों का प्रवेश, कृषि तथा रहने के लिए वनों की अधाधुध कटाई पारिस्थितिक तत्र के असन्तुलन
चुकी हैं। का कारण है।

प्रश्न 4. उष्ण आर्द सदाबहार वनों की प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर-(1) ये वन भारत के उन प्रदेशों में पाये जाते हैं जहाँ वार्षिक वर्षा 300 समी से अधिक होती है। तथा शुष्क ऋतु छोटी होती है।
(2) ये वन अत्यधिक घने होते हैं। इनमें पेड़ों की लम्बाई 60 मीटर या इससे अधिक होती है।
(3) इन वनों के पेड़ों के नीचे झाड़ियाँ, बेलों, लताएँ आदि का सघन जाल पाया जाता है। घास प्रायः अनुपस्थित होती हैं।
(4) इनके पेड़ों की लकड़ी अधिक कठोर व भारी होती है।
(5) वृक्षों में पतझड़ का कोई निश्चित समय नहीं होता है। अत: ये वन सदैव हरे-भरे लगते हैं।
(6) भारत में ये वन पश्चिमी घाट के दक्षिणी भाग, केरल, कर्नाटक तथा उत्तर पूर्व की पहाड़ियों में
प्रमुखता से पाये जाते हैं।
प्रश्न 5.भारतीय वनस्पति के प्रमुख कटिबन्धों के नाम लिखिए। ज्वारीय वन का वर्णन कीजिए।
अथवा
मैंग्रोव वन पर टिप्पणी कीजिए।
उत्तर- भारतीय वनस्पति के चार प्रमुख कटिबन्ध निम्नलिखित हैं-
(1) उष्ण कटिबन्धीय वर्षा वन, (ii) उष्ण कटिबन्धीय पर्णपाती वन, (iii) कँटीले बन तथा झाड़ियाँ,
(iv) ज्वारीय वन (मैंग्रोव वन)।
ज्वारीय वन-ये वन तट के सहारे नदियों के ज्वारीय क्षेत्र में पाये जाते हैं। ज्वारीय क्षेत्र में मिलने के कारण इन वनों को ज्वारीय वन कहा जाता है। इन वनों में ताड़, नारियल, मैंग्रोव, नीपा, फोनेक्स, कैज्युराइना आदि के वृक्षों की प्रधानता होती है। गंगा तथा ब्रह्मपुत्र नदियों के डेल्टा में सुन्दरी नामक वृक्ष पाये जाते हैं। इन वनों में सागरीय जल भरा रहता है, अत: इनमें आने-जाने के लिए नावों का प्रयोग किया जाता है। इन वनों के वृक्षों की अल खारे जल के प्रभाव से नमकीन तथा लकड़ी कठोर हो जाती है। इन वृक्षों की कटोर लकड़ी का
उपयोग नाव बनाने तथा नमकीन छाल का उपयोग चमड़ा रंगने में किया जाता है।

प्रश्न 6. भारत की हिमालयी क्षेत्र की वनस्पति का वर्णन कीजिए।
उत्तर-हिमालयी क्षेत्रों में तापमान की कमी तथा ऊँचाई के कारण अन्य भागों की में वनस्पति
में अधिक अन्तर होता है। शिवालिक श्रेणियों में 1000 मीटर की ऊँचाई पर, पर्वतीय क्षेत्र, भाबर व तराई में उष्ण कटिबन्धीय पर्णपाती वन पाये जाते हैं। 1000 से 2000 मीटर की ऊंचाई पर आर्द शीतोष्ण कटिबन्धीभ सदाबहार वन पाये जाते हैं। ये लम्बे पेड़ों से युक्त घने वन हैं। पूर्वी हिमालय में ओक तथा चेस्टनट, पश्चिना हिमालय में चीड़ तथा 2000 से 3000 मीटर की ऊँचाई वाले भागों में देवदार, सिल्वर, फर, स्यूस कम अन रूप में मिलते हैं। कम ऊंचाई वाले भागों में साल मुख्य वृक्ष है। जहाँ तापमान कम तथा वर्षा 100 सेमी से का तुलना होती है, वहाँ जंगली जैतून, कठोर बबूल एवं कठोर सवाना घास के साथ ओक व देवदार के वृक्ष पाये जाते हैं। 3000 से 4000 मीटर की ऊँचाई पर अल्पाइन वनस्पति पाई जाती है।

प्रश्न 7. “वन पर्यावरण के महत्त्वपूर्ण अंग हैं।” इस कथन को स्पष्ट कीजिए।
अथवा
पर्यावरण सन्तुलन के लिए वन क्यों आवश्यक हैं ? कोई चार कारण बताइए।
उत्तर-वनों एवं पर्यावरण में घनिष्ठ सम्बन्ध है। यह निम्न तथ्यों से स्पष्ट है-
(1) वन वायुमण्डल को शुद्ध रखते हैं और वायु प्रदूषण को कम करते हैं।
(2) वन वायुमण्डल को ऑक्सीजन प्रदान करते हैं।
(3) वन वायु के तापमान को बनाये रखते हैं, जिससे वर्षा होती है।
(4) वन जलवायु को सम रखते हैं।
(5) वन जल के बहाव को रोकते हैं जिससे भूमि का कटाव रुक जाता है तथा भूगर्भीय जल-स्तर में
वृद्धि होती है।

प्रश्न 8. वनों के विनाश के क्या कारण हैं ?
उत्तर-वनों के विनाश के कारण-(1) जनसंख्या में तीव्र वृद्धि होने से कृषि भूमि की प्राप्ति के लिए वनों को काटकर खेती की जा रही है।
(2) इमारती लकड़ी और चारे की बढ़ती माँग तथा वन्य भूमि के खेती के लिए उपयोग से वनों पर जबरदस्त प्रभाव पड़ रहा है।
(3) ईधन के रूप में प्रयोग करने हेतु लकड़ी काटी जा रही है।
(4) आवागमन के साधनों, रेल, सड़क मार्गों के विकास हेतु वनों को काटा जा रहा है।
(5) आवास समस्या की पूर्ति के लिए वनों को काटकर रिहायशी भूमि का विस्तार किया जा रहा है।

प्रश्न 9. पारिस्थितिक सन्तुलन के लिए वन क्यों आवश्यक हैं
अथवा
वन संरक्षण क्यों आवश्यक है ?
उत्तर-वनों को काटे जाने के कारण पर्यावरण प्रदूषित हुआ है तथा पारिस्थितिकी में भी परिवर्तन आया है। इसी प्रकार वर्तमान युग में अधिकांश देशों में वनों का क्षेत्रफल कम हो रहा है। इस कमी के कारण भू-अपरदन, अनावृष्टि, बाढ़ आदि समस्याएँ आज मानव के समक्ष आ खड़ी हैं। अत: वायु प्रदूषण की समस्या आज के मानव के सामने सबसे बड़ी समस्या के रूप में उपस्थित हुई है। इसी कारण वन-संरक्षण पारिस्थितिक सन्तुलन के लिए आवश्यक है।

प्रश्न 10. प्रवासी पक्षी क्या है ?
उत्तर-उत्तरी एशिया से भारत में अल्पकाल के लिए आने वाले पक्षियों को प्रवासी पक्षी कहा जाता है। भारत के कुछ दलदली भाग प्रवासी पक्षियों के लिये प्रसिद्ध हैं। शीत ऋतु में साइबेरियन सारस बहुत संख्या में यहाँ आते हैं। इन पक्षियों का मनपसन्द स्थान कच्छ का रन है। जिस स्थान पर मरुभूमि समुद्र से मिलती है, वहाँ लाल सुन्दर कलगी वाले फ्लैमिंगो हजारों की संख्या में आते हैं।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. भारत में विभिन्न प्रकार की पाई जाने वाली वनस्पति के नाम बताइए और अधिक ऊँचाई पर पाई जाने वाली वनस्पति का ब्यौरा दीजिए।
उत्तर- भारत में निम्न प्रकार की वनस्पतियाँ पाई जाती हैं-
(1) उष्ण कटिबन्धीय सदाबहार वन,
(ii) उष्ण कटिबंधीय पर्णपाती वन,
(iii) उष्ण कटिबंधीय कंटीले वन तथा झाड़ियाँ,
(iv) पर्वतीय वन,
(v) मैंग्रोव वन।
अधिक ऊंचाई पर पाई जाने वाली वनस्पति (पर्वतीय वन)
इस प्रकार निम्न वनस्पति कटिबन्ध पर्वतों की ऊँचाई के अनुसार पाये जाते हैं-
आई पर्णपाती वनों से ढकी है। इन वनों का आर्थिक दृष्टि से सबसे महत्त्वपूर्ण वृक्ष साल है। पर्वतीय प्रदेशों में वनस्पति के वितरण के सम्बन्ध में ऊंचाई की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है, क्योंकि ऊंचाई के बढ़ने पर तापमान घर जाता है। हिमालय पर्वतीय प्रदेश में ऊंचाई के साथ-साथ तापमान तयार में अन्तर आ जाने के कारण वृक्षों की जातियों, उनके आकार, ऊंचाई तथा प्रकृति में भी भिन्नता पायी जाती है।
(i) उष्ण कटिबन्धीय आर्द पर्णपाती वन-हिमालय की गिरपाद शिवालिक श्रणिया उष्ण कटिबमीत
(ii) उपोष्ण कटिबन्धीय पर्वतीय वन-समुद्र तल से 1000 से 2000 मीटर तक की ऊचाई जान भागों में आई पर्वतीय वन पाये जाते हैं। इस प्रकार के वनों में अधिकतर चीड़ के वृक्षों की प्रधानता होती है।
(iii) शंकुधारी वन-समुद्र तल से 1600 से 3300 मीटर की ऊँचाई के बीच चीड़, सडिर, फर और स्पूस के वृक्षों की प्रधानता है।
(iv) अल्पाइन वन-ये हिमालय पर 3300 से 3600 मीटर की ऊँचाई तक पाये जाते हैं। इन वनों के प्रमुख वृक्ष सिल्वर, फर, चीड़, भुर्ज तथा हपषा हैं।

प्रश्न 2. भारत वनस्पति जगत तथा प्राणी जगत की धरोहर में धनी क्यों है?
उत्तर- भारत एक विशाल देश है। हमारा देश विश्व के मुख्य 12 जैव विविधता वाले देशों में से एक है। भारत वनस्पति जगत तथा प्राणी जगत की धरोहर में धनी निम्न कारणों से है-
(1) भारत में लगभग 47,000 विभिन्न जातियों के पौधे पाए जाने के कारण यह हमारा देश विश्व में
दसवें स्थान पर और एशिया के देशों में चौथे स्थान पर है।
(2) भारत में लगभग 15,000 फूलों के पौधे हैं जो कि विश्व में फूलों के पौधों का 6 प्रतिशत है।
(3) भारत में बहुत से बिना फूलों के पौधे हैं; जैसे कि फर्न, शैवाल (ऐल्गी) तथा कवक (फंजाई) भी पाए जाते हैं।
(4) भारत में उष्ण कटिबंधीय सदाबहार वन, पर्णपाती वन, कंटीले वन तथा झाड़ियाँ, पर्वतीय वन तथा मैंग्रोव वन में अनेक प्रजातियों के पेड़-पौधे व जीव जन्तु पाए जाते हैं।
(5) वनस्पति की भाँति ही, भारत विभिन्न प्रकार की प्राणी सम्पत्ति में भी धनी है। यहाँ जीवों को लगभग 90,000 प्रजातियाँ मिलती हैं।
(6) भारत में लगभग 2,000 से अधिक पक्षियों की प्रजातियाँ पाई जाती हैं। यह कुल विश्व का 13 प्रतिशत है।
(7) यहाँ मछलियों की 2,546 प्रजातियाँ हैं जो विश्व की लगभग 12 प्रतिशत है।
(8) भारत में विश्व के 5 से 8 प्रतिशत तक उभयचरी, सरीसृप तथा स्तनधारी जानवर भी पाए जाते हैं। स्तनधारी जानवरों में हाथी सबसे अधिक महत्वपूर्ण है। एक सींग वाले गेंडे, जंगली गधे तथा ऊँट, भारतीय भैंसा, नील गाय, बन्दरों की अनेक प्रजातियाँ पाई जाती हैं। भारत विश्व का अकेला देश है जहाँ शेर तथा बाब दोनों पाए जाते हैं।

प्रश्न 3. भारत में पौधों तथा वनस्पति का वितरण किन तत्वों पर निर्भर करता है ? लिखिए।
उत्तर-भारत में पौधों तथा वनस्पति का वितरण निम्न तत्वों पर निर्भर करता है-
(1) भूमि-भूमि का वनस्पति पर प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष प्रभाव पड़ता है। ऊबड़-खाबड़ तथा असमान भू-भाग पर जंगल व घास के मैदान मिलते हैं जो कि वन्य प्राणियों के आश्रय स्थल हैं।
(2) मिट्टी-विभिन्न स्थानों की विभिन्न प्रकार की मिट्टियाँ विविध प्रकार की वनस्पति का आधार है। नदियों कृषि
के लिये अनुकूल है तो पठारी क्षेत्रों में पर्णपाती वन मिलते हैं।
(3) तापमान-प्रत्येक पौधे के अंकुरण, वृद्धि एवं प्रजनन के लिए अनुकूल तापमान की आवश्यकता होती है। उष्ण कटिबन्ध में उच्च तापमान और आर्द्रता के कारण विविध प्रकार के पेड़-पौधे उगते हैं। ऊँचे पर्वतों पर तापमान कम होने के कारण वनस्पति का वर्द्धन काल छोटा होता है।
(4) सूर्य का प्रकाश-सूर्य का प्रकाश अधिक समय तक मिलने के कारण वृक्ष गर्मी की ऋतु में जल्दी बढ़ते हैं। जैसे-हिमालय पर्वतीय क्षेत्र की दक्षिणी ढलानों पर अधिक सूर्यताप मिलने के कारण उत्तरी ढलानों की अपेक्षा अधिक सघन वनस्पति पायी जाती है।
(5) वर्षा-भारी वर्षा वाले क्षेत्रों में बड़े-बड़े पेड़ सघनता में पाये जाते हैं। कम वर्षा वाले क्षेत्रों में बौने वृक्ष, घास तथा झाड़ियाँ पायी जाती हैं। मरुस्थलीय क्षेत्रों में पेड़-पौधों की जड़ें लम्बी होती हैं। थार मरुस्थल की वनस्पति पानी की कमी के कारण काँटेदार होती है।

प्रश्न 4. भारत के मुख्य वनस्पति प्रकारों का वर्णन कीजिए।
अथवा
भारत में कितने प्रकार के वन पाये जाते हैं ?.संक्षेप में वर्णन कीजिए।
उत्तर-(1) उष्ण कटिबन्धीय सदाबहार वन-इस प्रकार के वन भारत के उन भागों में पाये जाते हैं जहाँ वर्षा का वार्षिक औसत 200 सेमो या उससे अधिक रहता है। ये वृक्ष 60 मीटर या इससे भी अधिक ऊँचाई तक बढ़ जाते हैं। ये वन पश्चिमी घाट, मेघालय तथा उत्तरी-पूर्वी भारत के अन्य भागों में पाये जाते हैं। इस प्रकार के वनों में महोगनी, आबनूस तथा कपूरा जैसे अनेक प्रकार के वृक्ष पाये जाते हैं।
(2) उष्ण कटिबन्धीय पर्णपाती वन-इस प्रकार के वन भारत के उन क्षेत्रों में पाये जाते हैं जहाँ वर्षी का औसत 75 से 200 सेमी के मध्य रहता है। इन वनों को ‘मानसूनी वन’ भी कहते हैं। इन वनों के दो उपवर्ग है-(i) आई पर्णपाती वन, (ii) शुष्क पर्णपाती वन। प्रथम वर्ग के वनों का विस्तार उत्तर में हिमालय की तराई व भावर प्रदेश, प्रायद्वीप के उत्तर-पूर्वी भागों तथा पश्चिमी घाट के पूर्वी भागों में पाया जाता है। सागौन इन वनों
का महत्त्वपूर्ण वृक्ष है। आर्थिक दृष्टि से ये महत्त्वपूर्ण वन हैं। शुष्क पर्णपाती वनों के प्रमुख क्षेत्र दक्षिण-पश्चिमी बिहार, दक्षिणी उत्तर प्रदेश, पश्चिमी मध्य प्रदेश, पूर्वी महाराष्ट्र,गुजरात, कर्नाटक आदि में विस्तृत हैं। साल इन
वनों का सर्वाधिक लाभदायक और महत्वपूर्ण वृक्ष है। इन्हें पर्णपाती (शुष्क और आर्द्र) इसलिए कहा जाता है क्योंकि ये ग्रीष्म ऋतु में 6 से लेकर 8 सप्ताह तक अपनी पत्तियाँ गिरा देते हैं। प्रत्येक जाति के वृक्षों के पतझड़ का समय अलग-अलग होता है।
(3) कँटीले वन तथा झाड़ियाँ-इस प्रकार के वन भारत के उन भागों में उगते हैं जहाँ वर्षा का वार्षिक औसत 75 सेमी से कम है। ये वन प्रदेश के उत्तर-पश्चिमी भाग में, दक्षिण में सौराष्ट्र से लेकर उत्तर में पंजाब के मैदानों तक फैले हैं। पूर्व में ये वन उत्तरी मध्य प्रदेश प्रमुख रूप से मालवा का पठार तथा दक्षिण-पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बुन्देलखण्ड के पठार पर फैले हैं। इन वनों में कीकर, बबूल, बेर, खजूर, रामबाँस, नागफनी,
खजेड़ा आदि वृक्ष अधिक उगते हैं। आर्थिक दृष्टि से ये वन उपयोगी नहीं हैं, केवल खजूर ही उपयोगी है।
(4) पर्वतीय वन-लघु उत्तरीय प्रश्न 6 का उत्तर देखें।
(5) मैंग्रोव या ज्वारीय वन-भारत के तटवर्ती क्षेत्रों में जहाँ ज्वारभाटा आता है, ये वन पाये जाते हैं। इन वनों में ताड़, नारियल, मैंग्रोव, नीपा, फोनेक्स, कैज्युराइना आदि वृक्षों की प्रधानता होती है। गंगा तथा ब्रह्मपुत्र नदियों के डेल्टा में सुन्दरी वृक्ष पाये जाते हैं। इन वनों में सागरीय जल भरा रहता है। अत: इनमें आने-जाने के लिये नावों का प्रयोग किया जाता है। इन वनों में वृक्षों की छाल खारे जल के कारण नमकीन व कठोर हो जाती है। वृक्षों की लकड़ी का उपयोग नाव बनाने तथा नमकीन छाल का प्रयोग चमड़ा रंगने में किया है।

प्रश्न 5. भारत में वनस्पति जगत एवं प्राणी जगत को बचाने के लिए सरकार ने क्या कदम उठाये हैं?
अथवा
‘वन्य जीवों का संरक्षण’ पर टिप्पणी लिखिए।
अथवा
हमारे देश में कितने जीवमण्डल निचय (आरक्षित क्षेत्र) स्थापित किये गये हैं?
उत्तर-वन्य-जीवों का संरक्षण-वन्य-प्राणी प्रकृति की धरोहर हैं। वन्य जीवों को संरक्षण प्रदान करने के लिए विशेष प्रयास किये जा रहे हैं। संकटापन्न वन्य-जीवों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। इनकी अब गणना की जाने लगी है। बाघ परियोजना को सफलता मिल चुकी है। असम में गैंडे के संरक्षण की एक विशेष योजना चलायी जा रही है। सिंहों की घटती संख्या चिन्ता का विषय बन गयी है। अत: आरक्षित क्षेत्रों की संख्या और उनके क्षेत्रों के विस्तार पर बल दिया जा रहा है। वन्य-प्राणियों की सुरक्षा के लिए भारत में वन प्राणी संरक्षण क्षेत्रों की स्थापना की गयी है, जहाँ पशु-पक्षियों को प्राकृतिक वातावरण में फलने-फूलने का अवसर प्रदान किया जाता है। “वर्तमान में संरक्षित क्षेत्र के अन्तर्गत 103 राष्ट्रीय उद्यानों और 535 अभ्यारण्यों को गिनती की जाती है जो देश के । लाख 56 हजार वर्ग किमी क्षेत्र पर फैले हैं।” देश में प्राणी उद्यानों के प्रबन्धन की देखरेख के लिए एक केन्द्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण स्थापित किया गया है। यह संस्था 200 से अधिक चिड़ियाघरों के कार्यों में तालमेल रखती है और जानवरों के आदान-प्रदान की वैज्ञानिक ढंग से देखरेख करती है। देश में जीवमण्डल निचय (आरक्षित क्षेत्र) की स्थापना-देश में 18 जीवमण्डल निचय स्थापित किये गये हैं। इनमें से सुन्दर वन (पश्चिम बंगाल), नंदादेवी (उत्तराखण्ड), मन्नार की खाड़ी (तमिलनाडु), नीलगिरि (केरल, कर्नाटक तथा तमिलनाडु) की गणना विश्व के जीवमण्डल निचय में की जाती है। अन्य जीवमण्डल नाकरेक, ग्रेट निकोबार, मानस, सिमलीपाल, दिहांग-दिबांग, डिब्रू साइकवोबा, अगस्तमलाई, कंचनजंघा,
पंचमढ़ी, अचनकमट-अभटूकंटक हैं। सन् 1992 से सरकार द्वारा पादप उद्यानों को वित्तीय तथा तकनीकी सहायता देने की योजना बनाई है।

प्रश्न 6. व्याख्या कीजिए कि मानव के लिए वन क्यों महत्वपूर्ण हैं ?
अथवा
बनों से होने वाले लाभ लिखिए।
उत्तर-वन राष्ट्रीय सम्पदा हैं। यह मानव के लिए विभिन्न प्रकार से उपयोगी हैं। बन उत्पाद व संरक्षण दोनों प्रकार के कार्य करते हुए देश के आर्थिक विकास में योगदान देते हैं। वनों से हमें दो प्रकार के लाभ प्राप्त होते हैं-प्रत्यक्ष लाभ एवं अप्रत्यक्ष लाभ।
(A) प्रत्यक्ष लाभ-(1) वनों से पर्याप्त मात्रा में लकड़ी प्राप्त होती है। वनों की लकड़ियों का उपयोग ईंधन, फर्नीचर, खेल का सामान, दियासलाई तथा कागज आदि वस्तुएँ बनाने में किया जाता है।
(2) वनों से अनेक प्रकार के गौण पदार्थ प्राप्त होते हैं, जिनमें बाँस, बेंत, लाख, राल, शहद, गोंद, चमड़ा रंगने के पदार्थ तथा जड़ी-बूटियाँ प्रमुख हैं।
(3) वनों से हमें वस्त्र बनाने के लिए रेशम और समूर प्राप्त होता है।
(4) खैर नामक वृक्ष से कत्था प्राप्त होता है।
(5) वनों से अनेक लोगों को रोजगार प्राप्त होता है।
(B) अप्रत्यक्ष लाभ-(1) वन भूमि के कटाव को रोकते हैं, क्योंकि वृक्ष जल की बूंदों को सीधे भूमि पर गिरने से रोक देते हैं।
(2) वनों द्वारा भूमि की उर्वरता में अत्यधिक वृद्धि होती है, क्योंकि वृक्षों की पत्तियाँ, घास व पेड़-पौधे, झाड़ियाँ आदि भूमि पर गिरकर व सड़कर ह्यूमस रूप में भूमि की उर्वरा-शक्ति को बढ़ाते हैं।
(3) वन बाढ़ के प्रकोप को रोकते हैं, क्योंकि वृक्ष जल के तीव्र प्रवाह पर रोक लगा देते हैं जिससे जल का प्रवाह मन्द पड़ जाता है।
(4) वायु-प्रदूषण भी वन रोकने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
(5) वन वर्षा करने में सहायक होते हैं।

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