अध्याय 7
भारत का भौतिक स्वरूप
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
. बहु-विकल्पीय प्रश्न
1. एक स्थलीय भाग जो तीन ओर से समुद्र से घिरा हो-
(i) तट
(ii) द्वीप,
(iii) प्रायद्वीप
(iv) इनमें से कोई नहीं।
2. भारत के पूर्वी भाग में म्यांमार की सीमा का निर्धारण करने वाले पर्वतों का संयुक्त नाम-
(1) हिमाचल
(ii) उत्तराखण्ड
(iii) पूर्वांचल
(iv) इनमें से कोई नहीं।
3. गोवा के दक्षिण में स्थित पश्चिम तटीय पट्टी-
(i) कोरोमण्डल
(ii) कोंकण
(iii) कन्नड
(iv) उत्तरी सरकार।
4. पूर्वी घाट का सर्वोच्च शिखर-
(i) अनाईमुडी
(ii) कचनजंघा
(iii) महेन्द्रगिरि
(iv) खासी।
5. अपने पूरे देशान्तरीय विस्तार के साथ हिमालय को बाँट सकते हैं-
(i) दो भागों में
(ii) तीन भागों में
(iii) चार भागों में
(iv) पाँच भागों में।
7. प्रायद्वीपीय पठार किस प्रकार की आकृति वाला स्थल है?
(i) मेज
(ii) कुसी
(iii) गेंद
(iv) इनमें से कोई नहीं।
8. वे नदियों के बाढ़ वाले मैदान के ऊपर स्थित हैं, वेदिका जैसी आकृति प्रदर्शित करते हैं, कह जाता है-
(1) भाबर
(ii) तराई
(iii) भागर
(iv) खादर।
उत्तर-1. (iii), 2. (iii), 3. (iii), 4. (iii), 5. (ii), 6. (iv), 7.(i), 8. (iii).
. रिक्त स्थानों की पूर्ति
1. हिमालय की पूरी पर्वत शृंखला एक…….. स्थलाकृति को दर्शाती है।
2. हिमालय की सबसे बाहरी शृंखला को……… कहा जाता है
3. निम्न हिमाचल तथा शिवालिक के बीच स्थित लावतत् घाटी को………के नाम से जाना जाता है।
4. उत्तरी मैदान………. मृदा से बना है।
5. अरावली पहाड़ी के पश्चिमी किनारे पर ……..स्थित है।
6…….. झील भारत में खारे पानी की सबसे बड़ी झील है।
उत्तर-1. युवा, 2. शिवालिक, 3. दून, 4. जलोद,
5. थार का मरुस्थल, 6. चिल्का ।
सत्य/असत्य
1. भू-गर्भ वैज्ञानिकों के अनुसार हिमालय पर्वत एक स्थिर भाग है।
2. माउंट एवरेस्ट हिमालय का सबसे ऊंचा शिखर है।
3. ब्रह्मपुत्र हिमालय की सबसे पूर्वी सीमा बनाती है।
4. दक्षिण का पठार पूर्व में ऊँचा एवं पश्चिम की ओर कम दाल वाला है।
5. बंगाल की खाड़ी में उत्तर से दक्षिण की तरफ अण्डमान एवं निकोबार द्वीप है।
6, खादर का निर्माण लगभग प्रत्येक वर्ष होता है।
7. प्रायद्वीपीय पठार की उत्पत्ति ज्वालामुखी से हुई है।
8. उत्तरी मैदान देश के अन्न भंडार है।
उत्तर-1. असत्य, 2. सत्य, 3. सत्य, 4. असत्य, 5. सत्य,
6, सत्य, 7. सत्य, 8. सत्य।
एक शब्द/वाक्य में उत्तर
1. विश्व की सबसे ऊंची पर्वत श्रेणी है।
2. उत्तरी मैदान किस मृदा से बना है?
3. दक्षिण का पठार किस आकार का भू-भाग है ?
4. सतलुज एवं सिन्ध के बीच स्थित हिमालय के भाग को किस नाम से जाना जाता है ?
5. हिमालय की सबसे बाहरी श्रृंखला को क्या कहा जाता है
6. सतलुज तथा काली नदियों के बीच स्थित हिमालय के इस भाग को किस नाम से जाना जाता है ?
उत्तर-1. हिमालय, 2. जलोढ़, 3. त्रिभुजाकार, 4. पंजाब हिमालय, 5. शिवालिक, 6. कुमाऊँ हिमालय।
अति लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1, भाबर क्या है?
उत्तर-नदियाँ पर्वतों से नीचे उतरते समय शिवालिक की ढाल पर 8 से 16 किमी की चौड़ी पट्टी में गुटिका का निक्षेपण करती हैं। इसे ‘भाबर’ के नाम से जाना जाता है।
प्रश्न 2. हिमालय के तीन प्रमुख विभागों के नाम उत्तर से दक्षिण के क्रम में बताइए।
उत्तर-(1) हिमाद्री, (2) हिमाचल श्रेणी, (3) शिवालिक।
प्रश्न 3. अरावली और विंध्याचल की पहाड़ियों में कौन-सा पठार स्थित है ?
उत्तर-अरावली और विंध्याचल की पहाड़ियों में मालवा का पठार स्थित है।
प्रश्न 4. भारत के उन द्वीपों के नाम बताइए जो प्रवाल भित्ति के हैं।
उत्तर-लक्षद्वीप।
प्रश्न 5. मसूरी, नैनीताल एवं रानीखेत किस राज्य में स्थित हैं?
उत्तर-मसूरी, नैनीताल एवं रानीखेत उत्तराखण्ड में स्थित हैं।
प्रश्न 6. हिमालय का भौगोलिक वर्गीकरण लिखिए।
उत्तर-(1) वृहत् हिमालय, (2) लघु हिमालय, (3) उप-हिमालय या बाह्य हिमालय।
प्रश्न 7.’दोआब’ का अर्थ बताइए।
उत्तर-‘दोआब’ का अर्थ है, दो नदियों के बीच का भाग। ‘दोआब’ दो शब्दों से मिलकर बना है-दो तथा आब अर्थात् पानी।
प्रश्न 8. ‘खादर’ क्या है ? यह किस प्रकार की खेती के लिए आदर्श है?
उत्तर-बाढ़ वाले मैदानों के नये तथा युवा निक्षेपों को ‘खादर’ कहा जाता है। इनका लगभग प्रत्येक वर्ष पुनर्निर्माण होता है, इसलिए ये उपजाऊ होते हैं तथा गहन खेती के लिए आदर्श होते हैं।
प्रश्न 9. धरातलीय संरचनात्मक भिन्नता के आधार पर उत्तर भारत के मैदान को कितने भागों में विभाजित किया जाता है ? नाम लिखिए।
उत्तर-धरातलीय संरचनात्मक भिन्नता के आधार पर उत्तर भारत के मैदान को निम्नलिखित चार प्रमुख भागों में विभाजित किया जाता है-
(1) भाबर, (2) तराई, (3) भांगर, (4) खादर ।
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 4. देश के किस भाग को पूर्वांचल कहा जाता है ?
उत्तर-ब्रह्मपुत्र हिमालय की सबसे पूर्वी सीमा बनाती है। दिहांग महाखड्ड (गार्ज) के बाद हिमालय दक्षिण की ओर एक तीखा मोड़ बनाते हुए भारत की पूर्वी सीमा के साथ फैल जाता है। इन्हें पूर्वांचल या पूर्वी पहाड़ियों तथा पर्वत श्रृंखलाओं के नाम से जाना जाता है। ये पहाड़ियाँ उत्तर-पूर्वी राज्यों से होकर गुजरती हैं तथा मजबूत बलुआ पत्थरों, जो अवसादी शैल हैं, से बनी हैं। ये घने जंगलों से ढंकी हैं तथा अधिकतर समानान्तर श्रृंखलाओं एवं घाटियों के रूप में फैली हैं। पूर्वांचल में पटकाई, नागा, मिजो तथा मणिपुर पहाड़ियाँ शामिल हैं।
प्रश्न 5. दक्षिण के पठार पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए।
उत्तर-दक्षिण का पठार-दक्षिण का पठार एक त्रिभुजाकार भू-भाग है, जो नर्मदा नदी के दक्षिण में स्थित है। इसके उत्तर में चौड़े आधार पर सतपुड़ा की श्रृंखला है जबकि महादेव, कैमूर की पहाड़ी तथा मैकाल शृंखला इसके पूर्वी विस्तार हैं। दक्षिण का पठार पश्चिम में ऊँचा एवं पूर्व की ओर कम ढाल वाला है। इस पार का एक भाग उत्तर-पूर्व में भी देखा जाता है, जिसे स्थानीय रूप से मेघालय’, ‘कार्वी एंगलोंग पठार’ तथा
‘उत्तर कचार पहाडी’ के नाम से जाना जाता है। यह एक अंश के द्वारा खेटा नागपुर पठार से अलग हो गया है। पश्चिम से पूर्व की ओर तीन महत्वपूर्ण शृंखलाएँ गारो, खासी तथा जयंतिया है। दक्षिण के पठार के पूर्वी एवं पश्चिमी सिरे पर कमशः पूर्वी तथा पश्चिमी घाट स्थित है।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 2. भारत के उत्तरी मैदान का वर्णन कीजिए।
उत्तर-भारत के उत्तरी मैदान का वर्णन निम्न शीर्षकों में किया जा सकता है-
(1) निर्माण- उत्तरी मैदान तीन प्रमुख नदी प्रणालियों-सिन्धु, गंगा एवं ब्रह्मपुत्र तथा इनकी सहायक नदियों से बना है। यह मैदान जलोढ़ मृदा से बना है। लाखों वर्षों में हिमालय के गिरिपाद में स्थित बहुत बड़े बेसिन (द्रोणी) में जलोढ़ों का निक्षेप हुआ जिससे इस उपजाऊ मैदान का निर्माण हुआ है।
उत्तरी पर्वतों से आने वाली नदियाँ निक्षेपण कार्य में लगी हैं। नदी के निचले भागों में ढाल कम होने के कारण नदी की गति कम हो जाती है जिसके परिणामस्वरूप नदीय द्वीपों का निर्माण होता है। ये नदियाँ अपने निचले भाग में गाद एकत्र हो जाने के कारण बहुत-सी धाराओं में बँट जाती हैं। इन धाराओं को वितरिकाएँ कहा जाता है।
(2) विस्तार-उत्तरी मैदान का विस्तार 7 लाख वर्ग किमी के क्षेत्र पर है। यह मैदान लगभग 2,400 किमी लम्बा एवं 240 से 320 किमी चौड़ा है। उत्तरी मैदान को मोटे तौर पर तीन उपवर्गों में विभाजित किया गया है। उत्तरी मैदान के पश्चिमी भाग को पंजाब का मैदान कहा जाता है। सिन्धु तथा इसकी सहायक नदियों के द्वारा बनाए गए इस मैदान का बहुत बड़ा भाग पाकिस्तान में स्थित है। सिन्धु तथा इसकी सहायक नदियाँ झेलम, चेनाब, रावी, ब्यास तथा सतलुज हिमालय से निकलती हैं। गंगा के मैदान का विस्तार घघर तथा तिस्ता नदियों के बीच है। यह उत्तरी भारत के राज्यों हरियाणा,
दिल्ली, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखण्ड के कुछ भाग तथा पश्चिम बंगाल में फैला है। ब्रह्मपुत्र का मैदान इसके पश्चिम विशेषकर असम में स्थित है।
(3) उत्पादक क्षेत्र-यह सघन जनसंख्या वाला भौगोलिक क्षेत्र है। समृद्ध मृदा आवरण, पर्याप्त पानी की उपलब्धता एवं अनुकूल जलवायु के कारण कृषि की दृष्टि से यह भारत का अत्यधिक उत्पादक क्षेत्र है। बाढ़ वाले मैदानों के नये तथा युवा निक्षेपों को खादर’ कहा जाता है। इनका लगभग प्रत्येक वर्ष
पुनर्निर्माण होता है, इसलिए ये उपजाऊ होते हैं तथा गहन खेती के लिए आदर्श होते हैं।
(4) आकृतिक भिन्नता-इन विस्तृत मैदानों को भौगोलिक आकृतियों में भी विविधता है। आकृतिक भिन्नता के आधार पर उत्तरी मैदानों को चार भागों में विभाजित किया गया है। नदियों पर्वतों से नीचे उतरते समय शिवालिक की ढाल पर 8 से 16 किमी की चौड़ी पट्टी में गुटिका का निक्षेपण करती हैं। इसे ‘भाबर’ के नाम से जाना जाता है। सभी सरिताएँ इस भाबर पट्टी में विलुप्त हो जाती हैं। इस पट्टी के दक्षिण में ये सरिताएँ एवं नदियाँ पुनः निकल आती हैं, एवं नम तथा दलदली क्षेत्र का निर्माण करती हैं, जिसे ‘तराई’ कहा जाता है।
उत्तरी मैदान का सबसे विशालतम भाग पुराने जलोद का बना है। वे नदियों के बाढ़ वाले मैदान के ऊपर स्थित हैं तथा वेदिका जैसी आकृति प्रदर्शित करते हैं। इस भाग को ‘भागर’ के नाम से जाना जाता है। इस क्षेत्र की मृदा में चूनेदार निक्षेप पाए जाते हैं, जिसे स्थानीय भाषा में ‘ककड़’ कहा जाता है।
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प्रश्न 3. निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणियाँ लिखिए-
(i) मध्य हिमालय,
(ii) मध्य उच्च भूमि,
(iii) भारत के द्वीप समूह।
उत्तर-(i) मध्य हिमालय-मध्य हिमालय औसतन 3,700 मीटर से 4,500 मीटर तक ऊँचे हैं तथा औसत चौड़ाई 50 किलोमीटर है। सर्वोच्च हिमालय के दक्षिण में मध्य या लघु हिमालय है, इसे हिमाचल श्रेणी भी कहते हैं। इन श्रृंखलाओं का निर्माण मुख्यत: अत्याधिक संपीड़ित तथा परिवर्तित शैलों से हुआ है। सभी प्रमुख पर्वतीय नगर, जैसे- हस्तही जी, धर्मशाला (हिमाचल प्रदेश), नैनीताल (उत्तराखण्ड), दार्जिलिंग (पश्चिम वाला इसी पर्वत श्रेणी पर हैं। कश्मीर को पीरपंजाल तथा हिमाचल प्रदेश की धौलाधार श्रेणी, मध्य हिमालय
के ही भाग हैं । नेपाल को मात HEARTH | इस क्षेत्र को पहाड़ी नगरों के लिए जाना जाता है।
(ii) मध्य उपन्च भूमि-नर्मदा नदी के सर में प्रायद्वीपीय पठार का यह भाग जो कि मालवा के पटार के अधिकतर भागों पर फैला है, उसे any के नाम से जाना जाता है। विध्य शृंखला दक्षिण में सतपुड़ा प्रखला तथा उत्तर पश्चिम में अरावली पश्चिम में यह धीरे धीरे राजस्थान के बलुई तथा पथरील
मरुस्थल से मिल जाता है। इस क्षेत्र में बहने वाली नदियाँ चाबल, सिन्धु, बेतवा तथा केन दक्षिण-पश्चिम से
उत्तर-पूर्व की तरफ बहती हैं, इस प्रकार के इस क्षेत्र के गाल को दर्शाती हैं। मध्य उच्चभूमि पश्चिम में चौड़ी लेकिन पूर्व में संकीर्ण है।
(iil) भारत के द्वीप समूह-भारत में दो द्वीपों का समूह स्थित है।
(1) लक्षद्वीप-यह केरल के मालाबार तट के पास अरब सागर में स्थित है। द्वीपों का यह समूह छोटे प्रवाल द्वीपों से बना है। पहले इनको वकादीव, मोनीकाय तथा एमीनदीव के नाम से जाना जाता था। 1973 में इनका नाम लक्षद्वीप रखा गया। यह 32 वर्ग किमी के छोटे से क्षेत्र में फैला है। कबरती द्वीप लक्षद्वीप का प्रशासनिक मुख्यालय है। इस द्वीप समूह पर पादप तथा जन्तु के बहुत से प्रकार पाए जाते हैं। पिटली द्वीप, जहाँ मानव का निवास नहीं है, वहाँ एक पक्षी अभयारण्य है।
(2) अण्डमान एवं निकोबार द्वीप समूह-ये द्वीप समूह बंगाल की खाड़ी में उत्तर से दक्षिण की ओर फैले हुए हैं। यह द्वीप समूह आकार में बड़ी संख्या में बहुत तथा बिखरे हुए हैं। यह द्वीप समूह मुख्यत: दो भागे में बाँटा गया है-उत्तर में अण्डमान तथा दक्षिण में निकोबार । यह माना जाता है कि यह द्वीप समूह निमज्जित पर्वत श्रेणियों के शिखर हैं। यह द्वीप समूह देश की सुरक्षा के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। भारत का एकमात्र
सक्रिय ज्वालामुखी यहाँ के बैरेन द्वीप पर स्थित है। इन द्वीप समूहों में पाए जाने वाले पादप एवं जन्तुओं में बहुत अधिक विविधता है। ये द्वीप विषुवत् वृत के समीप स्थित हैं यहाँ की जलवायु विषुवतीय है तथा यह घने जंगलों से घिरा है।
प्रश्न 4. हिमालय पर्वतीय क्षेत्र का वर्णन कीजिए।
उत्तर-हिमालय की पर्वत श्रेणियाँ भारत के उत्तर में अर्द्ध चाप के आकार में उत्तर-पश्चिम, उत्तर तथा उत्तर-पूर्व की सीमा बनाती हैं। इनकी लम्बाई 2,400 किमी है। चौड़ाई 150 से 400 किमी है। विस्तार तथा ऊँचाई के आधार पर हिमालय को तीन भागों में बाँट सकते हैं-
(1) महान या आन्तरिक हिमालय-यह हिमालय की सबसे ऊँची और सबसे लम्बी श्रेणी है। इसे प्रधान हिमालय और हिमाद्रि भी कहते हैं। इसकी औसत ऊँचाई 6000 मीटर है। यह अत्यन्त दुर्गम क्षेत्र है, किन्तु इसमें जोजिला, कराकोरम, शिपकी, नाथूला आदि कई दरें हैं जिनसे होकर इनको पार किया जा सकता है। इस क्षेत्र में हिमालय के कई ऊँचे शिखर मिलते हैं। मुख्य पर्वत शिखर माउण्ट एवरेस्ट, कंचनजंघा,
धौलागिरी, नंगा पर्वत और नंदा देवी हैं।
(2) मध्य हिमालय-प्रश्न 3(i) देखें।
(3) शिवालिक हिमालय-हिमालय की दक्षिणतम श्रेणी को बाहरी हिमालय या शिवालिक हिमालय कहते हैं। इनकी औसत ऊँचाई 900 से 1100 मीटर तथा चौड़ाई 10 से 50 किमी है। हिमालय के पश्चिमा अर्द्ध भाग में यह श्रेणी बहुत अधिक स्पष्ट है। यह पर्वत श्रेणी जलोढ़ अवसादों से बनी है। इनकी शैलें वेस नहीं हैं। लघु हिमालय और शिवालिक श्रेणी के बीच अनेक घाटियाँ हैं जिन्हें पूर्व में ‘द्वार’ और पश्चिम में
‘दून’ कहा जाता है।
प्रश्न 5. निम्नलिखित पर टिप्पणी कीजिए-
(i) भारतीय मरुस्थल (Ii) तटीय मैदान।
उत्तर–(i) भारतीय मरुस्थल-अरावली पहाड़ी के पश्चिमी किनारे पर थार का मरुस्थल स्थित है। यह बालू के टिब्बों से ढका एक तरंगित मैदान है। इस क्षेत्र में प्रति वर्ष 150 मिमी से भी कम वर्षा होती है। इस शुष्क जलवायु वाले क्षेत्र में वनस्पति बहुत कम है। वर्षा ऋतु में ही कुछ सरिताएँ दिखती हैं और उसके बाद वे बालू में ही विलीन हो जाती हैं। पर्याप्त जल नहीं मिलने से वे समुद्र तक नहीं पहुँच पाती है। केवल ‘खूनी’ ही इस क्षेत्र की सबसे बड़ी नदी है। बरकान (अर्धचंद्राकार बालू का टीला) का विस्तार बहुत अधिक क्षेत्र पर होता है, लेकिन लम्बवत् टीले भारत पाकिस्तान सीमा के समीप प्रमुखता से पाए जाते हैं। जैसलमेर में बरकान समूह पाए जाते हैं।
(i) तटीय मैदान-दक्षिणी पटार के पश्चिम और पूर्व की ओर तटीय मैदान स्थित हैं, ये दो भागों में विभाजित हैं-
(1) पश्चिमी तटीय मैदान-पश्चिमी तट, पश्चिमी घाट तथा अरब सागर के बीच स्थित एक संकीर्ण मैदान है। इस मैदान के तीन भाग हैं। तट के उत्तरी भाग को कोंकण (मुम्बई तथा गोवा), मध्य भाग को कन्नड़ मैदान एवं दक्षिणी भाग को मालाबार तट कहा जाता है। धारवार के दक्षिण में यह मैदान कुछ चौड़ा है। इस मैदान में माही, साबरमती, नर्मदा एवं ताप्ती नदियाँ बहती हैं।
(2) पूर्वी तटीय मैदान-बंगाल की खाड़ी के साथ विस्तृत मैदान चौड़ा एवं समतल है। उत्तरी भाग में इसे ‘उत्तरी सरकार’ कहा जाता है जबकि दक्षिणी भाग कोरोमण्डल’ तट के नाम से जाना जाता है। इसमें मुख्य नदियों के पूर्ण विकसित डेल्टा पाये जाते हैं। बड़ी नदियाँ; जैसे-महानदी, गोदावरी, कृष्णा तथा कावेरी इस तट पर विशाल डेल्टा का निर्माण करती हैं। चिल्का झील पूर्वी तट पर स्थित एक महत्वपूर्ण भू-लक्षण है।
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