इकाई 1 अध्याय 1 जीवों में जनन ClASS 12TH परीक्षा अध्ययन

इकाई 1
अध्याय 1
जीवों में जनन

वस्तुनिष्ठ प्रश्न
बहु-विकल्पीय प्रश्न
1. पुष्यी पादपों में निम्न में से कौन-सी पश्च निषेचन (निषेचनोत्तर) परिघटना है ?
(1) पराग कणों का स्थानान्तरण,
(ii) भ्रूण का विकास,
(iii) पुष्य का निर्माण,
(iv) पराग कणों का निर्माण।
2. बहिर्जात रूप से बनने वाले अलैंगिक बीजाणु हैं-
(i) चल बीजाणु,
(ii) बीजाणु,
(III) कोनिडिया,
(iv) एस्कोस्पोर।
3. नर युग्मक तथा अण्ड कोशिका के समेकन से बनी संरचना कहलाती है-
(3) फलभित्ति,
(ii) बीजाण्ड,
(iii) भ्रूणपोष,
(iv) युग्मनज।
4. अनिषेकजनन (पार्थीनोजेनेसिस) पाया जाता है-
(i) मधुमक्खी में,
(ii) टर्की पक्षी में,
(iii) (i) व (ii) दोनों,
(iv) मेंढक व केंचुआ में।
5. कवक जगत में अलैंगिक प्रजनन किस विधि से होता है ?
(2020)
(i) विखण्डन,
(ii) मुकुलन,
(iii) जैम्यूल,
(iv) कोनिडिया।
6. बहुखण्डन (मल्टीपिल फिजन) जनन की सामान्य विधि है-
(1) स्पाइरोगाइरा में,
(ii) यीस्ट में,
(iii) पैरामीशियम में,
(iv) प्लाज्मोडियम में।
उत्तर-1. (11). 2. (iii), 3.(iv), 4. (iii), 5. (iv), 6. (iv).

 

रिक्त स्थान पूर्ति

1. भ्रूणोद्भव के दौरान युग्मनज कोशिका विभाजन (समसूत्रण) तथा म गुजरता है।
2. अधिकतर जलीय जीवों, जैसे शैवालों, मछलियों तथा उभयचरों में भी निषेचन पाया जाता है।
3. आकारिकीय व आनुवंशिक रूप से समान जीव कहलाते हैं। (2019)
4. पादपों में किशोर प्रावस्था को प्रावस्था कहा जाता है।
5. प्रत्येक लैंगिक प्रजनक जीव के जीवन की शुरूआत एक एकल कोशिका के रूप में होती है।
6. सूक्ष्म प्रवर्धन जनन का ही एक प्रकार है।
उत्तर- 1. कोशिका विभेदीकरण, 2. बाहा, 3. क्लोन, 4. कायिका वर्धा,5. युग्मनज, 6. कायिक (अलगिक)।

सत्य/असत्य
1. वाह्यदल, दल पत्र, पुंकेसर पुष्पी पादपों के द्विगुणित भाग हैं।
2. केले व अदरक में प्रकन्द (राइजोम) द्वारा वर्धा प्रजनन होता है।
3. निम्न श्रेणी के पादपों व जन्तुओं में केवल अलैंगिक प्रजनन पाया जाता है।
4. ब्रायोफाइटा, टेरिडोफाइटा में कीट परागण पाया जाता है।
5. छोटे जीवों को जीवन अवधि कम तथा आकार में बड़े जीवों की अधिक होती है।
उत्तर-1. सत्य, 2. सत्य. 3. असत्य, 4. असत्य, 5. असत्य।

२ सही जोड़ी बनाइए
1. अधिकांश स्तनधारी (i) फलभित्ति (पेरीकार्प)
2. कुकुरबिट, नारियल (ii) अण्डप्रजक
3. स्पंज (iii) ऋतुस्राव चक्र
4. सरीसृप, पक्षी (iv) सजीव प्रजक
5. अण्डाशय (v) जैम्यूल
6. प्राइमेट (vi) उभयलिंगाश्रयी
2-1. (iv), 2. — (vi), 3. (v), 4. — (i), 5. — (1), 6. (III).

एक शब्द/वाक्य में उत्तर
1. पेनीसिलियम में अलैंगिक जनन की प्रमुख विधि कौन-सी है ? (2019)
उत्तर कोनिडिया निर्माण।
2. जलाशयों की महाविपत्ति अथवा बंगाल का आतंक किस पौधे को कहा गया है?
उत्तर- जलकुम्भी/ (वॉटर हायसिंथ) (Eichhormia crassipes) को।

 

३. पद चक किसे कहते है?
उत्तर – और पाहोर (Non primite) सापारियों की अण्डाण की सक्रियता तथा सहायक नलिकाओं व हागोन स्तर में होने वाले क्रिक परिवर्तन मन चक्र कहलात

4. कवकों में एकलिंगायी स्थिति हेतु किस शब्द का प्रयोग किया जाता है?
उत्तर-विषमथैलसी/हेटेरोलिक।

5, किन्हीं दो द्विलिंगी जन्तुओं का नाम लिखिए।
उत्तर-केंचुआ तथा टेपवर्म द्विलिंगी जन्न हैं।

अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1, अलैंगिक जनन द्वारा उत्पन्न हुई सन्तति को क्लीन क्यों कहा गया है?
उत्तर-अलैंगिक जनन में एकमात्र जनक द्वारा उत्पन्न सन्तति आकारिकीय व आनुवंशिक रूप से जनक के तथा आपस में समान होती है। ऐसे जीवों को ही क्लोन (Clone) कहा जाता है।

प्रश्न 2. जीवों के लिए जनन क्यों अनिवार्य है?
उत्तर-जीवों के लिए जनन अनिवार्य है, क्योंकि-
(i) जनन प्रजातियों की निरन्तरता को पीढ़ी दर पीढ़ी बनाए रखता है, अर्थात जीवों की मृत्यु के बावजूद यह प्रजाति को जीवित रखता है।
(ii) जनन द्वारा उत्पन्न विभिन्नताएँ जीवों को बदलते पर्यावरण के प्रति अनुकूलनशीलता प्रदान करती हैं।

प्रश्न 3. एक द्विलिंगी पुष्प क्या है ?
उत्तर ऐसा पुष्प जिसमें नर भाग अर्थात् पुंकेसर तथा मादा भाग अण्डप एक ही पुष्प में उपस्थित होते हैं, द्विलिंगी पुष्प (bisexual flower) कहलाता है, जैसे-गुड़हल, सरसों आदि ।

प्रश्न 4. प्रत्येक पुष्पीय पादप के भाग को पहचानें तथा लिखें कि वह अगुणित (1) है या द्विगुणित (21)। अण्डाशय, परागकोप, अण्डा (डिम्ब), पराग, नर युग्मक, युग्मनज ।
उत्तर- अण्डाशय द्विगुणित (21)
परागकोष द्विगुणित (21)
अण्डा (डिम्ब) अगुणित (1)
पराग—अगुणित (1)
नर युग्मक अगुणित (n)
युग्मनज द्विगुणित (21)

पश्न 5/कायिक प्रवर्धन से आप क्या समझते हैं? कोई दो यायुक्त उदाहरण
उत्तर-वह अलैंगिक जनन, जिसमें नया पौधा, किसी पौधे के वीं (कायिक) भागों,
दीजिए।
जैसे-जड़, तना या पत्ती आदि से उत्पन्न होता है, कायिक प्रवर्धन कहलाता है।
उदाहरण-आलू के कन्द की कलिकाओं द्वारा अथवा अदरक के प्रकन्द की
कलिकाओं से नए पौधों का जन्म।

प्रश्न 6. एककोशिकीय (अकोशिकीय) जीवों को प्राय: अपर क्यों कहा जाता
है?
उत्तर-एककोशिकीय जीवों में द्विविभाजन (कोशिका विभाजन) द्वारा अलैंगिक जनन होता है। जीव अपनी प्राकृतिक मृत्यु से पहले ही सन्तति कोशिकाओं में विभाजित होकर जीवद्रव्य की निरन्तरता सुनिश्चित कर देता है। अर्थात् जीव मरता नहीं, सन्तति कोशिकाओं में
बदल जाता है, अत: अमर कहलाता है।

प्रश्न 7. ब्रायोफिल्लम, जलकुम्भी, अगेव व आलू में वर्धी प्रजनन में सहायक वर्धी प्रवर्गों के नाम लिखिए।
उत्तर—ब्रायोफिल्लम पर्णकलिका

जलकुम्भी ऑफसेट
अगेव
बुलविल्स
आलू कक्षस्थ कलिकाएँ (आँखें)।

प्रश्न 8, रोपण (ग्राफ्टिग) क्या है ?
उत्तर रोपण एक कृत्रिम कायिक जनन विधि है जिसमें किसी निम्न गुणवत्ता वाले
स्कन्ध (Stock) पर उच्च गुणवत्ता वाली सियान (Scion) को जोड़कर उच्च गुणवत्ता वाला
पादप तैयार किया जाता है; जैसे-गुलाब, नींबू आदि में।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. एक पुष्य में निषेचन पश्च परिवर्तनों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर-पुष्प में निषेचन के पश्चात् निम्न परिवर्तन होते हैं-
(i) निषेचन से बना युग्मनज (zygote) कोशिका विभाजन तथा कोशिका विभेदन
द्वारा भ्रूण का निर्माण करता है।
(ii) बीजाण्ड, बीज में बदल जाते हैं। बीजावरण ही बीज चोल बनाते हैं।
(iii) अण्डाशय भित्ति निषेचन के पश्चात् पक कर फलभित्ति (पेरीकार्प) बना देती
है। बीजों को घेरे हुए यह अण्डाशय भित्ति फल कहलाती है।
(iv) वाह्यदल, दल व पुंकेसर आदि सूखकर गिर जाते हैं। कुछ फलों में चिरलान
बाह्यदल पाए जाते हैं, जैसे-बैंगन में।

प्रश्न 2. जनन की अच्छी विधि कौन-सी है और क्यों ?
उत्तर-लैंगिक जनन को अलैंगिक जनन की अपेक्षा अच्छा माना जाता है, क्योंकि-
(1) लैंगिक जनन आनुवंशिक विभिन्नताओं को जन्म देता है। यह विभिन्नताएँ अर्धसूत्री विभाजन, युग्मकों के संयोगिक संलयन आदि से उत्पन्न होती हैं तथा जीवों को बदले पर्यावरण में अनुकूलनशीलता प्रदान करती हैं।
(ii) आनुवंशिक पुनसंयोजन जीव के ओज (vigour) व जीवंतता में वृद्धि करती हैं।
(ii) विभिन्नताएँ प्राकृतिक वरण हेतु आवश्यक कारक होती हैं। अतः लैंगिक जनन जैव विकास का आधार है।

प्रश्न 3. युग्मकजनन एवं भ्रूणोद्भव के बीच अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- युग्मकजनन तथा भ्रूणोद्भव में अन्तर

प्रश्न 4. लैंगिक जनन के परिणामस्वरूप बनी सन्तति को जीवित रहने के अच्छे अवसर होते है, क्यों ? क्या यह कथन हर समय सही होता है ? उत्तर लैंगिक जनन में शामिल घटनाएँ, जैसे-अर्द्धसूत्री विभाजन तथा युग्मकों का सांयोगिक संलयन आनुवंशिक विभिन्नताओं को जन्म देती हैं। लैंगिक जनन जीवों के ओज व जीवंतता में भी वृद्धि करता है। विभिन्नताओं के कारण लैंगिक जनन से उत्पन्न संतति में अनुकूलन (adaptations) उत्पन्न होते हैं जो उन्हें बदली पर्यावरणीय परिस्थितियों में सफलतापूर्वक जीवनयापन करने में सक्षम बनाते हैं। अर्थात्
जीवित रहने के अच्छे अवसर प्रदान करती हैं। इस प्रक्रिया में प्राकृतिक चयन/पर्यावरण की विशिष्ट भूमिका होती है। पर्यावरण के अनुकूल विभिन्नताएँ चयनित हो जाती हैं अत: लैंगिक जनन प्राय: जीने के उत्तम अवसर ही प्रदान करता है, हानिकारक विभिन्नताएँ
समष्टि से विलुप्त हो जाती हैं। लक्षणों के अच्छे/बुरे होने का निर्धारण पर्यावरण द्वारा किया जाता है।

प्रश्न 5. अपनी जटिलता के बावजूद बड़े जीवों में लैंगिक प्रजनन पाया जाता है, क्यों?
उत्तर—यह सही है कि लैंगिक प्रजनन अधिक ऊर्जा खपत वाली, जटिल व लम्बी घटना है फिर भी जैव विकास प्रक्रिया से बने जटिल व बड़े जीवों ने लैंगिक प्रजनन को ही अपनाया है। इसके निम्न कारण हैं-
(i) लैंगिक प्रजनन जीव के ओज व जीवन शक्ति में वृद्धि करता है।
(ii) लैंगिक प्रजनन विभिन्नताओं का स्रोत है अत: जीवों को बदले पर्यावरण के प्रति
अनुकूलनशीलता प्रदान करता है। अर्थात् विभिन्नताएँ जीवों को बदले पर्यावरण के अनुकूल बनाती हैं।
(iii) लैंगिक प्रजनन, जैव विकास का आधार है। यह जीवन को स्थायित्व प्रदान करने वाली जैवविविधता के रूप में परिलक्षित होता है।

प्रश्न 6. जूस्पोर (अलैंगिक चल बीजाणु) तथा युग्मनज (जाइगोट) के बीच विभेद कीजिए।
उत्तर- अलैंगिक चल बीजाणु तथा युग्मनज में अन्तर

प्रश्न 7. अलैंगिक जनन द्वारा बनी सन्तति लैंगिक जनन द्वारा बनी सन्तति से किस प्रकार भिन्न होती है?
उत्तर अलैंगिक जनन में सन्तति निर्माण में केवल एक जनक भाग लेता है। इस प्रकार के जनन में अर्द्धसूत्री विभाजन व युग्मक संलयन जैसी घटनाएँ नहीं होती। अत: सन्तति आनुवंशिक व आकारिकीय रूप से जनक के एवं आपस में भी समान होती है। यह संतति
क्लोन कहलाती है।
लैंगिक जनन में अर्द्धसूत्री विभाजन व युग्मकों का संलयन पाया जाता है। यह दोनों घटनाएँ आनुवंशिक विभिन्नताओं को जन्म देती हैं। युग्मकों के निर्माण के समय होने वाले अर्द्धसूत्री विभाजन व युग्मकों के सायोगिक संलयन के कारण लैंगिक जनन से बनी संतति
जनक से तथा आपस में भी आनुवंशिक रूप से भिन्न होती है।

 

प्रश्न 8. अण्डप्रजक प्राणियों की सन्तानों का उत्तरजीवन (सरवाइवल) सजीव- प्रजक प्राणियों की तुलना में अधिक जोखिमयुक्त क्यों होता है ? व्याख्या कीजिए।
उत्तर अण्डे देने वाले प्राणियों का उत्तरजीवन सजीवप्रजक अर्थात् शिशु को जन्म देने वाले प्राणियों की तुलना में अधिक जोखिमपूर्ण होता है क्योंकि-
(1) अण्डप्रजक जन्तुओं में भ्रूण का विकास जन्तु के शरीर से बाहर अण्डकवच के अन्दर होता है। कोमल भ्रूण प्रतिकूल पर्यावरणीय परिस्थितियों, परभक्षियों का आसानी से शिकार बन सकता है। सजीवप्रजक प्राणियों में भ्रूण का विकास जीव शरीर के अन्दर होता है अत: न तो प्रतिकूल पर्यावरणीय परिस्थितियों का खतरा होता है न ही परभक्षियों का। अनिषेचित अण्डे देने वाले जन्तुओं (बाह्य निषेचन प्रदर्शित करने वाले जन्तुओं) में तो खतरा और प्रबल होता है तथा निषेचन भी सुनिश्चित नहीं होता।
(ii) अण्डों की देखभाल हर समय सुनिश्चित नहीं की जा सकती। जनकों को भोजन प्राप्त करने अण्डों से दूर जाना ही पड़ता है जबकि सजीवप्रजक जीवों में भ्रूण गर्भ में सुरक्षित रहता है।
स्पष्ट है कि सजीवप्रजक प्राणी बेहतर पोषण, देखभाल, सुरक्षा आदि के कारण अण्डप्रजक प्राणियों की अपेक्षा बेहतर उत्तरजीविता अवसर प्रदान करते है। अण्डप्रजक प्राणियों में यह अधिक जोखिमपूर्ण होता है।

प्रश्न 9, चल बीजाणु व कोनिडिया के चित्र बनाइए। इन दोनों के बीच की दो असमानताओं व कम-से-कम एक समानता का उल्लेख कीजिए।
उत्तर

समानता-चल बीजाणु तथा कोनिडियम दोनों ही अलैंगिक जनन में बनी संरचनाएँ है. दोनों ही अंकुरित होकर नए जीव को जन्म देती हैं।

असमानताएँ (i) चल बीजाणु का निर्माण चलबीजाणुधानी (Zoosporangium) में होता है अर्थात् यह आन्तरजन्य (endogenous) हैं। जबकि कोनिडिया का निर्माण कोनिडियोफोर के ऊपर होता है यह बाह्यजन्य (exogenous) हैं।
(ii) चल बीजाणु में फ्लैजेला या सीलिया पाए जाते हैं अर्थात् यह चल (motile) होते हैं। जबकि कोनिडिया में इन संरचनाओं का अभाव होता है। कोनिडिया अचल (non- motile) होते हैं तथा वायु द्वारा प्रकीर्णित होते हैं।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. व्याख्या कीजिए
(a) किशोर चरण, (b) प्रजनक चरण, (c) जीर्णावस्था या जीर्णता चरण।
उत्तर (a) किशोर चरण (Juvenile Phase) सभी पादपों व जन्तुओं में जन्म के तुरन्त बाद प्रजनन हेतु परिपक्वता नहीं होती। जीवों में जन्म से लेकर लैंगिक परिपक्वता प्राप्त करने तक की अवस्था किशोर चरण कहलाती है। अर्थात् किशोर चरण वृद्धि व विकास की अवस्था है जिसमें जीव में प्रजनन में भाग लेने हेतु आवश्यक शारीरिक आवश्यकताओं की पूर्ति होती है। पौधों में इसे वर्धी या कायिक अवस्था (Vegetative phase) कहा जाता है। इस प्रावस्था में जीव के शरीर की समस्त ऊर्जा व संसाधनों का प्रयोग शारीरिक वृद्धि हेतु ही होता है। विभिन्न प्रकार के जन्तुओं व पेड़-पौधों में किशोर चरण की अवधि भी भिन्न-भिन्न होती है।

(b) प्रजनक चरण (Reproductive Phase)-जीव की जीवन अवधि की वहअवस्था जिसमें वह जननक्षम होता है, प्रजनक चरण कहलाती है। किशोर चरण या किशोरावस्था की समाप्ति ही प्रजनक चरण का आरम्भ होता है। प्रजनक चरण जनन क्षमता की समाप्ति तक बनी रहती है। पुष्पी पादों में पुष्पों का बनना प्रारम्भ होना प्रजनक चरण का प्रारम्भ है।स्तनियों में ऋतुस्राव चक्र (menstrual cycle) के प्रारम्भ होने अर्थात् रजोदर्शन (menarch) से रजोनिवृत्ति (menopause) तक की अवधि प्रजनक चरण का प्रतिनिधित्व करती है।

(c) जीर्णता चरण या जीर्णावस्था (Senescence or Senescent Phase) किसी जीव में प्रजनक चरण की समाप्ति से जीव की मृत्यु तक की अवस्था जीर्णावस्था या जीर्णता चरण कहलाती है। इस अवस्था में जीव की उपापचयी क्रियाएँ मन्द पड़ जाती हैं। जन्तुओं में संवेदी अंगों की सक्रियता घट जाती है। पादपों में पत्तियों का पीला पड़ना व गिरना जीर्णता चरण है।

प्रश्न 2. किसी कुकुरबिट पादप के स्त्रीकेसरी व पुंकेसरी पुष्यों की संरचना का वर्णन कीजिए। कुछ अन्य एकलिंगी पौधों के नाम लिखिए।
उत्तर-कुल कुकुरबिटेसी (Cucurbitaceae) या कद्दू कुल के पौधों को कुकुरबिट्स
• इस कुल के पुष्प एकलिंगी (unisexual) होते हैं। अर्थात् पुष्पों में या तो केवल जायांग (gynoecium) पाया जाता है या पुमंग (androecium)|

• केवल जायांगधारी पुष्प स्त्रीकेसरी (पिस्टिलेट) पुष्प कहलाते हैं। (मादा पुष्प)
• पुमंगधारी पुष्पों को पुंकेसरी (स्टेमिनेट) पुष्प कहा जाता है। (नर पुष्प)
• कद्दू कुल में पौधे प्रायः उभयलिंगाश्रयी (monoecious) होते हैं। इसका अर्थ है

एक ही पौधे पर नर व मादा दोनों प्रकार के पुष्प पाए जाते हैं।

नर पुष्प (Male flower or Staminate flower)—सवृन्त, बाह्यदल 5, दल 5, सफेद अथवा पीले रंग के, पुंकेसर 5 सिनैन्ड्रस (synandrous) अर्थात् पुतंतु व परागकोष सभी आपस में जुड़े होते हैं। इन पुष्पों में जायांग नहीं पाया जाता। कुछ पुष्पों में दो-दो पुंकेसर पूर्णतः जुड़े हुए तथा एक स्वतंत्र होता है। मादा पुष्प (Female flower or Pistillate flower) मादा पुष्प भी सवृन्त होते हैं
| तथा बाह्यदल व दल पत्र नर पुष्पों के समान ही होते हैं। इन पुष्पों में पुमंग का अभाव होता है। जायांग 3 अण्डपों से बना (त्रिअण्डपी या tricarpellary) होता है। यह युक्ताण्डपी अधोवर्ती (Syncarpous) होता है अर्थात् अण्डप आपस में जुड़े होते हैं। इनमें अण्डाशय,
(Inferior ovary) होता है। अण्डाशय में केवल एक कोष्ठ पाया जाता है (एककोष्ठीय Unilocular), बीजाडन्यास भित्तीय (parietal) पाया जाता है। वर्तिकाग्र त्रिपालित होता है।

चित्र 1.2. कुछ कुकुरबिट्स के पुष्पीय लक्षण :
(A) नर पुष्प, (B) मादा पुष्प, (C) नर पुष्प बाह्यदल हटाकर, (D) नर पुष्प दल व
बाह्य दल सहित, (E) अण्डप, (F) अण्डप आंशिक काट, (G) पुमंग (सिनैन्स),
(H) अण्डाशय की का में भी पुष्प

एकलिंगी पुष्प निम्न पौधों में भी पाए जाते हैं-
मक्का में पुष्प एकलिंगी तथा पौधा उभयलिंगाश्रयी (Monoecious) होता है।
पपीते का पौधा एकलिंगाश्रयी (Dioecious) होता है।
भाँग (Cannabis) में भी एकलिंगी पुष्प पाए जाते हैं। नारियल,
खजूर
एकलिंगी होते हैं।

प्रश्न 3, अलैंगिक तथा लैंगिक जनन के मध्य विभेद स्थापित कीजिए। कायिक
जनन को प्रारूपिक अलैंगिक जनन क्यों माना गया है ?
अथवा
अलैंगिक एवं लैंगिक जनन में अन्तर लिखिए।
(2020)
उत्तर-
अलैंगिक व लैंगिक जनन में अन्तर

कायिक जनन एक प्रारूपिक अलैंगिक जनन है क्योंकि
(i) इसमें केवल एक जनक प्रजनन में भाग लेता है।

(ii) युग्मक निर्माण तथा युग्मक संलयन नहीं होता। अर्द्धसूत्री विभाजन नहीं पाया
(iii) पादपों के वर्धा भाग प्रोपेग्यूल के रूप में कार्य करते हैं।
(iv) संतति आकारिकीय व आनुवंशिक रूप से जनक के समान होती है।

प्रश्न

 

4. बाह्य निषेचन की व्याख्या कीजिए। इसके नुकसान (हानियाँ) बताइए।
उत्तर-नर व मादा युग्मकों का संलयन ही निषेचन कहलाता है। अगर निषेचन की प्रक्रिया जीव के शरीर के बाहर होती है तो बाह्य निषेचन (external fertilization) कहलाती है। इसका अर्थ हुआ कि नर व मादा युग्मक जीव के बाह्य माध्यम (जल) में संलयित होते हैं। जलीय शैवालों में बाह्य निषेचन पाया जाता है। कुछ कशेरुकी जन्तु वर्ग जैसे मत्स्य वर्ग व उभयचर वर्ग के जन्तु भी बाह्य निषेचन प्रदर्शित करते हैं। इन प्राणियों में मादा जन्तु जल में जब अपने अण्डे मुक्त करते हैं ठीक उसी समय नर जन्तु इन अण्डों पर शुक्राणु मुक्त कर देता है।
अण्डोत्सर्ग व शुक्राणु मुक्ति दोनों में सटीक समकालिता पायी जाती है। यह जीव जल में युग्मक संलयन के अवसर बढ़ाने के लिए बहुत बड़ी संख्या में युग्मक निर्मुक्त करते हैं।
बाह्य निषेचन की कमियाँ (Demerits of External Fertilization)
(i) चूँकि निषेचन सांयोगिक होता है अत: नर व मादा जन्तु दोनों को ही बहुत बड़ी मात्रा में युग्मकों का उत्पादन करना पड़ता है ताकि कम-से-कम कुछ युग्मों का संलयन सुनिश्चित हो जाए।
(ii) युग्मकों की सुरक्षा का कोई प्रबन्ध नहीं होता। अधिकांश युग्मक प्रतिकूल पर्यावरणीय परिस्थितियों; जैसे-ताप, रसायन, जल की तीव्र धारा आदि के कारण नष्ट हो जाते हैं।
(iii) युग्मकों का संलयन (निषेचन) संयोग से होता है।
(iv) अनेक अण्डे निषेचन से पहले या निषेचन के बाद परभक्षियों द्वारा खा लिए जाते है।
(v) भ्रूण की सुरक्षा का भी कोई प्रबन्ध नहीं होता।
अत: बाह्य निषेचन प्रदर्शित करने वाले जीवों में उत्तरजीविता दर काफी कम हो जाती है।

प्रश्न 5. व्याख्या करके बताइए कि अर्द्धसूत्री विभाजन तथा युग्मकजनन सदैवअन्तःसम्बन्धित (अन्तर्बद्ध) होते हैं।
उत्तर—अर्द्धसूत्री विभाजन तथा युग्मकजनन लैंगिक जनन की अपरिहार्य घटनाएँ हैं।
लैंगिक जनन करने वाले जीवों में चाहे जीव शरीर अगुणित हो या द्विगुणित, अर्द्धसूत्री विभाजन व युग्मकजनन जीवन-चक्र का अभिन्न भाग होते हैं। लैंगिक जनन में नर व मादा युग्मक संलयन करके युग्मनज का निर्माण करते हैं। युग्मक सदैव ही अगुणित होते हैं। जीव शरीर द्विगुणित है तो युग्मकों का निर्माण (युग्मक- जनन) अर्द्धसूत्री विभाजन द्वारा होता है। अगुणित युग्मक संलयित होकर पुनः द्विगुणित जीव
बना देते हैं। यदि इन जीवों में युग्मक निर्माण के समय अर्द्धसूत्री विभाजन न हो तो युग्मकों के संलयन से बने युग्मनज में क्रोमोसोम संख्या जीव शरीर की क्रोमोसोम संख्या की भी दो गुनी (अर्थात् चतुर्गुणित) हो जाएगी। अत: अर्द्धसूत्री विभाजन द्वारा युग्मकजनन होना किसी प्रजाति

में क्रोमोसोम की संख्या को स्थिर (निश्चित) बनाए रखने में सहायक है। अत: युग्मकजनन निषेचन तथा अर्द्धसूत्री विभाजन एक-दूसरे के पूरक होते हैं। इसीलिए इन्हें अन्त:सम्बन्धित भी कहा जाता है। अगुणित जीवों में युग्मकजनन समसूत्री विभाजन द्वारा होता है। इस प्रकार बने
अगुणित युग्मक संलयित होकर द्विगुणित युग्मनज बना देते हैं। इन जीवों में अर्द्धसूत्री विभाजन युग्मनज (zygote) में होता है। युग्मनजी अर्द्धसूत्री विभाजन के कारण क्रोमोसोम संख्या आधी होकर अगुणित जीव शरीर की क्रोमोसोम संख्या के समान हो जाती है। इसको निम्न सरल
रेखाचित्र द्वारा आसानी से समझा जा सकता है-

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