पाठ 5 -मन्नू भण्डारी -आत्मकथ्य
अभ्यास प्रश्न
प्रश्न 1. लेखिका के व्यक्तित्व पर किन-किन व्यक्तियों का किस रूप में प्रभाव पड़ा?
उत्तर-लेखिका के व्यक्तित्व पर उसके बहन-भाइयों, माता-पिता, हिन्दी विषय की अध्यापिका शीला अग्रवाल तथा पिता के मित्र अंबालाल जी का गहरा प्रभाव पड़ा। लेखिका का रंग साँवला था तथा बड़ी बहन सुशीला गोरे रंग की थी। अत: यह भावना लेखिका के मन में घर कर गई थी। पिता से लेखिका ने राजनैतिक दाँव-पेंच सीखे। शीला अग्रवाल ने लेखिका के मन में साहित्य के प्रति रुचि उत्पन्न की तथा पिता के मित्र अंबालाल ने लेखिका के भाषण की प्रशंसा कर क्रांति के पथ पर आगे बढ़ाया।
प्रश्न 2. इस आत्मकथ्य में लेखिका के पिता ने रसोई को ‘भटियारखाना’ कहकर क्यों संबोधित किया है ?
उत्तर-इस आत्मकथ्य में लेखिका के पिता ने रसोई को ‘भटियारखाना’ कहकर इसलिए संबोधित किया है कि इस भट्टीखाने में फंसकर लड़कियाँ अपनी प्रतिभा और आगे बढ़ने की क्षमता को नष्ट कर देती हैं।
प्रश्न 3. वह कौन-सी घटना थी जिसके बारे में सुनने पर लेखिका को न अपनी आँखों पर विश्वास हो पाया और न अपने कानों पर?
उत्तर-वह लेखिका के कॉलेज वाली घटना थी जिसके बारे में सुनने पर लेखिका को न अपनी आँखों पर विश्वास हो पाया और न अपने कानों पर। सन् 1946-47 के स्वतंत्रता आंदोलन में लेखिका और उसकी दो सखियाँ अपने कॉलेज में नारेबाजी तथा हड़ताल करती रहती थी। एक दिन कॉलेज की प्रधानाचार्या ने लेखिका के घर पर शिकायती पत्र भेजा जिसमें लेखिका के ऊपर अनुशासनात्मक कार्यवाही करने की बात कही गयी थी। अन्त में इस घटना से लेखिका के पिता को लेखिका के ऊपर गर्व उत्पन्न हुआ।
प्रश्न 4. लेखिका की अपने पिता से वैचारिक टकराहट को अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर-लेखिका का अपने पिता से अक्सर वैचारिक मतभेद होता ही रहता था। बचपन से ही पिता लेखिका के सांवले रंग की होने के कारण हीनता की भावना से देखते थे। स्वतंत्रता आन्दोलनों में भी जब लेखिका अपने सहपाठी विद्यार्थियों के साथ नारे लगाती हुई जुलूस में सम्मिलित होती थी तो वह सब पिताजी को बुरा लगता था। वे लेखिका से ऐसा करने के लिए मना करते थे। लेखिका को अपनी स्वतंत्रता का जीवन पसन्द था। अत: लेखिका के अपने पिता से समय-समय पर मतभेद होते ही रहते थे।
प्रश्न 5. इस आत्मकथ्य के आधार पर स्वाधीनता आंदोलन के परिदृश्य का चित्रण करते हुए उसमें जी की भूमिका को रेखांकित कीजिए।
उत्तर-सन् 1946-47 के स्वतंत्रता आन्दोलन में लेखिका ने बढ़-चढ़कर भाग लिया था। स्वाधीनता आन्दोलन के लिए जब सम्पूर्ण देश में हड़ताल, नारेबाजी, भाषण, जुलूस आदि का बोलबाला था। तब लेखिका ने भी अपने विद्यालय में सहपाठियों के सहयोग से नारेबाजी एवं भाषणबाजी प्रारम्भ कर दी थी। लेखिका को उसके सहपाठी एक छात्र नेता के रूप में मानने लगे थे। लेखिका के एक इशारे पर सम्पूर्ण विद्यालय के विद्यार्थी अंग्रेजी सरकार के प्रति विरोध एवं प्रदर्शन करने लगते थे।
रचना और अभिव्यक्ति
प्रश्न 6. लेखिका ने बचपन में अपने भाइयों के साथ गिल्ली-डंडा तथा पतंग उड़ाने जैसे खेल भी खेले किन्तु लड़की होने के कारण उनका दायरा घर की चारदीवारी तक सीमित था। क्या आज भी लड़कियों के लिए स्थितियाँ ऐसी ही हैं या बदल गई हैं, अपने परिवेश के आधार पर लिखिए।
उत्तर-लेखिका ने बचपन में अपने भाइयों के साथ गिल्ली डंडा तथा पतंग उड़ाने जैसे खेल भी खेले किन्तु लड़की होने के कारण उनका दायरा घर की चारदीवारी तक सीमित था परन्तु आज स्थितियाँ बदल गई हैं। लड़कियाँ आज हर विभाग तथा क्षेत्र में लड़कों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर कार्य कर करती हुई देखी जा रही हैं। म आज कार्य
प्रश्न 7. मनुष्य के जीवन में आस-पड़ोस का बहुत महत्त्व होता है परन्तु महानगरों में रहने वाले लोग प्रायः ‘पड़ोस कल्चर’ से वंचित रह जाते हैं। इस बारे में अपने विचार लिखिए। उत्तर-मनुष्य के जीवन में आस-पड़ोस का बहुत महत्त्व होता है परन्तु महानगरों में रहने वाले लोग प्रायः ‘पड़ोस कल्चर’ से वंचित रह जाते हैं। यह बात पूर्णरूप से सत्य है। महानगरों के लोगों का जीवन बहुत ही व्यस्तता से भरा होता है। वे रात को 12 बजे तक घरों पर लौटते हैं तथा खा-पीकर सो जाते हैं। वे सुबह उठकर नित्य क्रियादि से निवृत्त होकर पुन: कार्य में संलग्न हो जाते हैं।
प्रश्न 8. लेखिका द्वारा पढ़े गए उपन्यासों की सूची बनाइए और उन उपन्यासों को अपने पुस्तकालय में खोजिए।
उत्तर- इसका उत्तर विद्यार्थी अपने आदरणीय गुरुजनों एवं पुस्तकालय के सहयोग से हल करें।
प्रश्न 9. आप भी अपने दैनिक अनुभवों को डायरी में लिखिए। उत्तर-विद्यार्थी स्वयं करें। भाषा-अध्ययन
प्रश्न 10. इस आत्मकथ्य में मुहावरों का प्रयोग करके लेखिका ने रचना को रोचक बनाया है।
रेखांकित मुहावरों को ध्यान में रखकर कुछ और वाक्य बनाएँ-
(क) इस बीच पिता जी के एक निहायत दकियानूसी मित्र ने घर आकर अच्छी तरह से पिता जी की लू उतारी।
(ख) वे तो आग लगाकर चले गए और पिता जी सारे दिन भभकते रहे।
(ग) बस अब यही रह गया है कि लोग घर आकर थू-थू करके चले जाएँ।
(घ) पत्र पढ़ते ही पिता जी आग-बबूला। उत्तर-रेखांकित मुहावरों को ध्यान में रखकर कुछ और वाक्य इस प्रकार हैं-
(क) लू उतारना (गर्मी दूर करना) प्रयोग-राम ने अहंकारी रावण का लू उतार कर रख दी थी।
(ख) आग लगाना (क्रोध बढ़ाना) प्रयोग-रमेश, महेश के पिता से उसके विषय में उल्टी-सीधी बातें कर आग लगाकर चला गया।
(ग) थू-थू करना (घृणा करना) प्रयोग-राकेश ने चोरी करके बुरा काम किया। लोग उसके विषय में थू-थू कर रहे थे।
(घ) आग बबूला होना (बहुत क्रोधित होना) प्रयोग-पुत्र को शराब पीता देखकर पिता आग बबूला हो गए।
पाठेतर सक्रियता
1. इस आत्मकथ्य से हमें यह जानकारी मिलती है कि कैसे लेखिका का परिचय साहित्य की अच्छी पुस्तकों से हुआ। आप इस जानकारी का लाभ उठाते हुए अच्छी साहित्यिक पुस्तकें पढ़ने का सिलसिला शुरू कर सकते हैं। कौन जानता है कि आप में से ही कोई अच्छा पाठक बनने के साथ-साथ अच्छा रचनाकार भी बन जाए।
2. लेखिका के बचपन के खेलों में लँगड़ी टाँग, पकड़म-पकड़ाई और काली-टीलो आदि शामिल थे। क्या आप भी यह खेल खेलते हैं ? आपके परिवेश में इन खेलों के लिए कौन-से शब्द प्रचलन में हैं ? इनके अतिरिक्त आप जो खेल खेलते हैं, उन पर चर्चा कीजिए। 3. स्वतन्त्रता आन्दोलन में महिलाओं की भी सक्रिय भागीदारी रही है। उनके बारे में जानकारी प्राप्त कीजिए और उनमें से किसी एक पर प्रोजेक्ट तैयार कीजिए। उत्तर-स्वतन्त्रता आन्दोलनों में भारतीय पुरुषों के साथ-साथ महिलाओं की भी सक्रिय भागीदारी रही है। उनमें से प्रमुख नाम इस प्रकार हैं-
(1) रानी लक्ष्मीबाई-सन् 1857 के स्वतन्त्रता आन्दोलन में सक्रिय भागीदारी की तथा वीरगति को प्राप्त हुयीं।
(2) बेगम हजरत महल-अंग्रेजों के साथ संग्राम करने वाली वीरांगना थीं।
(3) रामगढ़ की रानी- रणक्षेत्र में स्वतन्त्रता के लिए लड़ते-लड़ते प्राण त्याग दिये। इसी क्रम में रानी अवन्ती बाई, दुर्गावती, देशमुख रानी अहिल्याबाई होल्कर इत्यादि के नाम प्रसिद्ध हैं।
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