Chapter 5 पृष्ट रसायन chemistry ClASS 12TH परीक्षा अध्ययन

सतह रसायन 7

 

[Surface Chemistry]

 

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

 

बहु-विकल्पीय प्रश्न

 

  1. कोलॉइडी विलयन में कितनी अवस्थाएँ पायी जाती हैं ?

 

(A)1

(B)2

(C)3

(D)4.

 

  1. द्रव विरोधी सॉल के स्थायित्व का कारण है-

 

(A) ब्राउनी गति

(B) विद्युत् आवेश

(C) टिण्डल प्रभाव

(D) ब्राउनी गति व विद्युत् आवेश।

 

  1. एन्जाइम माल्टेज द्वारा उत्प्रेरित किया है-

 

(A) स्टार्च → माल्टोज

(B) माल्टोज → ग्लूकोज

(C) सुक्रोज → ग्लूकोज

(D) ग्लूकोज → ऐल्कोहॉल।

 

  1. असम्भव अंतरापृष्ठ है-

 

(A) द्रव-द्रव

(C) ठोस-द्रव

(D) द्रव-गैस।

(D) इनमें से कोई नहीं।

 

  1. अधिशोषण क्रिया है-

 

(B) गैस-गैस

(A) ऊष्माक्षेपी

(B) ऊष्माशोषी

(C) ऊष्मा परिवर्तन नहीं होता

 

 

 

  1. अंतरापृष्ठ पर घटित नहीं होता-

 

(A) संक्षारण

(B) समांगी उत्प्रेरण

(C) क्रिस्टलीकरण

(D) विषमांगी उत्प्रेर

 

  1. सक्रिय चारकोल में ऐसीटिक अम्ल की अधिशोषण प्रक्रिया में ऐसीटि अम्ल है-

 

(A) अधिशोषक

(B) अधिशोष्य

(C) अवशोषक

(D) अवशोष्य।

 

  1. अभिक्रिया 2SO2+02 250, में उत्प्रेरक (NO) है-

 

(A) समांगी उत्प्रेरक

(B) अम्ल क्षार उत्प्रेरक

(C) स्वउत्प्रेरक

(D) विषमांगी उत्प्रेरक।

 

  1. पायस का उदाहरण है-

 

(A) मक्खन

(B) धूल

(C) रबर

(D) बादल।

 

उत्तर-1.(B), 2. (B), 3. (B), 4.(B), 5. (A), 6. (B) 7. (B), 8. (A), 9. (A).

 

रिक्त स्थानों की पूर्ति

 

  1. जिस पदार्थ की सतह पर अधिशोषण होता है उसे कहते हैं।

 

  1. हार्डी-शुल्जे नियम के अनुसार, आयनों की स्कन्दन क्षमता आयनों की ” पर निर्भर करती है।

 

  1. दूध एक……….. है।

 

  1. उत्प्रेरक जो अभिक्रिया के वेग में वृद्धि करते हैं

 

  1. दाब वृद्धि के साथ भौतिक अधिशोषण की मात्रा में …… होती है।

 

  1. कोलॉइडी कणों द्वारा प्रकाश का प्रकीर्णन प्रभाव कहलाता है।

 

  1. स्कन्दन ” के ठीक विपरीत होता है।

 

उत्तर-1. अधिशोषक, 2. आवेश संख्या, 3. पायस, 4. धनात्मक, 5. वृद्धि, 6. टिण्डल,7. पेप्टीकरण।

 

सत्य/असत्य

 

  1. पुच्छल तारे का दिखायी देना टिण्डल प्रभाव के कारण होता है।

 

  1. सरलता से द्रवित होने वाली गैसों का अधिशोषण बहुत कम होता है।

 

  1. मनुष्य की किडनी अपोहन क्रिया द्वारा रक्त को छानती है।

 

  1. ऋणात्मक उत्प्रेरक अभिक्रिया की दर को बढ़ा देते हैं।

 

  1. दूध एक पायस है।

 

उत्तर-1. सत्य, 2. असत्य, 3. सत्य, 4. असत्य, 5. सत्य।

 

एक शब्द/वाक्य में उत्तर

 

  1. हाइड्रोजन परॉक्साइड का फॉस्फोरिक अम्ल द्वारा अपघटन कौन से प्रकार का

उत्प्रेरण कहलाता है ?

उत्तर-ऋणात्मक उत्प्रेरण।

 

  1. KMnO, द्वारा ऑक्सेलिक अम्ल के ऑक्सीकरण में प्रयुक्त उत्प्रेरक की प्रकृति

लिखिए।

उत्तर-स्व-उत्प्रेरक।

 

  1. उत्प्रेरक विष का एक उदाहरण दीजिए।

उत्तर-H2SO4 बनाने की सम्पर्क विधि में AS203 

 

  1. किसी अवक्षेप को कोलॉइडी कणों में बदलना क्या कहलाता है ?

उत्तर-पेप्टीकरण।

 

  1. शर्करा का जल-अपघटित करने के लिए कौन-से उत्प्रेरक का प्रयोग किया जा

उत्तर-इन्वर्टेज।

 

  1. उत्प्रेरण शब्द का प्रथम बार प्रयोग किसने किया था ?

उत्तर-बर्जीलियस।

 

  1. कोलॉइडी कणों का आकार लिखिए।

उत्तर-10-7 सेमी से 10-5 सेमी।

 

  1. कोलॉइडी कणों द्वारा टिण्डल प्रभाव प्रदर्शित करने का क्या कारण है ?

उत्तर-कोलॉइडी कणों द्वारा प्रकाश का प्रकीर्णन।

 

  1. साबुन की प्रक्षालन क्रिया किस सिद्धान्त पर आधारित है ?

उत्तर-पायसीकरण।

 

अति लघु उत्तरीय प्रश्न

 

प्रश्न 1. अधिशोषण से आप क्या समझते हो ?

उत्तर-जब किसी पदार्थ-गैस या द्रव की किसी ठोस पर उपस्थित सान्द्रता ठोस के स्थान में उपस्थित सान्द्रता की अपेक्षा अधिक होती है तो इस घटना को अधिशोषण कहते हैं। वो भौतिक तथा रासायनिक दो प्रकार का होता है।

 

प्रश्न 2. मिसेल क्या है ? मिसेल निकाय का एक उदाहरण दीजिए।

उत्तर-कुछ कोलॉइड ऐसे होते हैं जो कम सान्द्रताओं में सामान्य विद्युत्-अपघट्यों  की तरह व्यवहार करते हैं, किन्तु उच्च सान्द्रताओं पर उनके आयन झुण्ड बनाकर कोलॉइडी अवस्था के गुण प्रदर्शित करने लगते हैं, इन्हीं पुंजित कणों को मिसेल कहते हैं। साबुन का जल में विलय मिसेल निकाय है।

 

प्रश्न 3. स्कंदन से आप क्या समझते हो?

उत्तर-कोलॉइडी कणों के अवक्षेपण की क्रिया स्कंदन कहलाती है। इसके लिए कोलॉइड मिला देते हैं। विलयन में वैद्युत अपघट्य मिलाते हैं अथवा दो विपरीत आवेश वाले कोलॉइडी विलयनों के 

 

प्रश्न 4. पेप्टीकरण क्या है ?

 

उत्तर-किसी अवक्षेप को कोलॉइडी अवस्था में परिवर्तित करना पेप्टीकरण कहला

है। पेप्टीकरण जिस पदार्थ के द्वारा किया जाता है, उसे पेप्टीकारक कहते हैं।

 

प्रश्न 5. वैद्युत कण संचलन से आप क्या समझते हो ?

उत्तर-विद्युत् क्षेत्र के प्रभाव में कोलॉइडी कणों का अभिगमन विद्युत् कण संचलन

कहलाता है। इसके द्वारा कोलाइडी कणों पर उपस्थित आवेश की प्रकृति ज्ञात की जाती है।

 

प्रश्न 6. हार्डी-शुल्जे नियम लिखिए।

उत्तर-स्कंदन क्रिया में वैद्युत-अपघट्य की स्कंदन क्षमता प्रभावी आयन पर उपस्थित आवेश के परिमाण पर निर्भर करती है। आयन पर जितना अधिक आवेश होता है उसकी स्कंद क्षमता उतनी ही अधिक होती है।

 

प्रश्न 7. स्वर्ण संख्या क्या है?

उत्तर-यह किसी रक्षी कोलॉइड की मिलीग्राम में वह मात्रा है जो मानक गोल्ड हाइड्रोसॉल के 10 ml में डाले जाने पर इसका एक ml, 10% NaCI द्वारा होने वाले स्कंदन को रोकता है।

 

प्रश्न 8. पायस क्या है?

उत्तर-यह एक द्रव-द्रव कोलॉइड निकाय है। इसमें एक द्रव दूसरे द्रव परिक्षिप्त रहता है अर्थात् परिक्षिप्त प्रावस्था व परिक्षेपण माध्यम दोनों ही द्रव अवस्था में पाये जाते हैं, जैसे-दूध आदि।

 

प्रश्न 9. आकाश का रंग नीला क्यों होता है ?

उत्तर- इसका कारण टिण्डल प्रभाव है। वायु में उपस्थित धूल के कण कोलॉइडी तंत्र

बनाते हैं जो प्रकाश का प्रकीर्णन कर देते हैं। प्रकीर्णन के परिणामस्वरूप आकाश का रंग नीला दिखायी देता है।

 

प्रश्न 10. अपोहन क्रिया क्या है ? समझाइए।

उत्तर-अपोहन-किसी अर्द्धपारगम्य झिल्ली द्वारा कोलॉइडी विलयन को, किसी

वैद्युत्-अपघट्य या विलेय पदार्थ से मुक्त करने की क्रिया अपोहन कहलाती है। हमारे शरीर में किडनी (गुर्दा) का कार्य अपोहन ही है।

विधि-एक चर्म पत्र के थैले में कोलॉइडी विलयन को भरकर जल से भरे बीकर

में लटका देते हैं। विद्युत्-अपघट्य के कण चर्म पत्र के थैले में से निकलकर जल में आ जाते हैं, शुद्ध कोलॉइडी विलयन थैले में रह जाता है।

 

प्रश्न 11. अधिशोषण के फ्राउण्डलिक समतापी क्या हैं ? (2019)

उत्तर-फ्राउण्डलिक ने ठोस अधिशोषक के इकाई द्रव्यमान द्वारा एक निश्चित ताप पर अधिशोषित गैस की मात्रा एवं दाब के मध्य निम्न प्रायोगिक सम्बन्ध दिया-

जहाँ p दाब पर m द्रव्यमान के अधिशोषक द्वारा अधिशोषित गैस का द्रव्यमान : है,k तथा n किसी विशिष्ट अधिशोषक तथा गैस के लिए स्थिरांक हैं।

= Kpl/n

M           व p के मध्य खींचा गया ग्राफ फ्राउण्डलिक समतापी कहलाता है।

 

प्रश्न 12. क्या होता है जबकि-

(2019)

(i) प्रकाश किरण पुंज कोलॉइडी विलयन सॉल में से गमन करता है ?

(ii) सॉल में से विद्युत् धारा प्रवाहित की जाती है ?

उत्तर-(i) किरण पुंज का मार्ग आपतित किरणों के समकोण पर देखने से द्रव्यमान हो जाता है। यह घटना टिण्डल प्रभाव कहलाती है।

(ii) सॉल में से विद्युत् धारा प्रवाहित करने पर कोलॉइडी कण किसी एक इलेक्ट्रोड की ओर चलने लगते हैं। इलेक्ट्रोड पर पहुँच कर ये उदासीन हो जाते हैं। यह घटना वैद्युत कण संचलन कहलाती है।

 

प्रश्न 2. विषमांगी उत्प्रेरण में अधिशोषण की क्या भूमिका है ?

उत्तर-सामान्यतः विषमांगी उत्प्रेरण में क्रियाकारक गैसीय होते हैं जबकि उत्प्रेरक टोन होते हैं। भौतिक अथवा रासायनिक अधिशोषण के द्वारा क्रियाकारकों के अणु ठोस उत्प्रेरक के सतह पर अधिशोषित हो जाते हैं। परिणामस्वरूप सतह पर क्रियाकारक के अणुओं की सान्द्र बढ़ जाती है अतः अभिक्रिया का वेग भी बढ़ जाता है अर्थात् अधिशोषण से अभिक्रिया वेग वृद्धि होती है।

 

प्रश्न 4. कोलॉइड रसायन के कोई पाँच अनुप्रयोग लिखिए।

उत्तर-(1) औषधियों में-बहुत-सी दवाइयाँ व इंजेक्शन कोलॉइडी अवस्था में होते हैं। प्रोटारगल, आर्जीरॉल सिल्वर के रक्षी कोलॉइड हैं जिनका उपयोग आँखों की दवाई के

रूप में किया जाता है।

(2) जल के शोधन में-जल में धूल मिट्टी के कण कोलॉइडी अवस्था में होते हैं। फिटकरी मिलाने से कोलॉइडी कण स्कन्दित हो जाते हैं। शुद्ध जल को निथारकर अलग कर लेते हैं।

(3) फोटोग्राफी में-फोटोग्राफिक फिल्में बनाने के लिये फिल्म पर जिलेटिन से रक्षित

सिल्वर ब्रोमाइड के कोलॉइडी विलयन की पतली परत चढ़ायी जाती है।

(4) साबुन से कपड़े साफ करने में-धूल मिट्टी के कण चिकनाई के साथ शरीर एवं

कपड़ों से चिपके रहते हैं, जल तथा तेल पायस बनाते हैं। साबुन की उपस्थिति में स्थायी पायस बन जाता है। पानी के तेज बहाव में पायस बह जाता है, कपड़े तथा शरीर स्वच्छ हो जाता है।

(5) धुएँ के अवक्षेपण में-धुएँ में कार्बन के कोलॉइडी कण ऋण आवेशित होते

हैं, जो धातु के धनावेशित गोले के सम्पर्क में आते ही उदासीन होकर स्कन्दित हो जाते हैं। बची हुई गैसें चिमनी में से बाहर निकल जाती हैं।

 

प्रश्न 6. टिप्पणी लिखिए- (i) टिण्डल प्रभाव (2020), (ii) ब्राउनी गति।

उत्तर-(i) टिण्डल प्रभाव-परिभाषा-जब तीव्र प्रकाश की किरण पुंज किसी

लेंस द्वारा कोलॉइडी विलयन में केन्द्रित की जाती है, तब किरण पुंज का मार्ग प्रदीप्त हो जाता है और अंधेरे में प्रकाश का मागे एक चमकीले शकु क रूप में दिखाया देता है। इस घटना को टिण्डल प्रभाव कहते हैं और चमकीले शंकु को टिण्डल शकु कहत है।

 

कारण-कोलॉइडो कण प्रकाश ऊर्जा को अवशोषित करके स्वयं दीप्त (Ser-

luminous) हो जाते हैं और फिर अवशोषित प्रकाश को छोटी-छोटी तरंगदैर्घ्य की किरण के रूप में प्रकीर्णित होने लगते हैं। प्रकाश का यह प्रकीर्णन प्रकाश के मार्ग के लम्बवा होता है। इसलिए प्रकाश के मार्ग को समकोण पर देखने पर यह दिखायी देता है। टिण्डल प्रभाव उस अवस्था में अधिक होता है जब दो प्रावस्थाओं के अपवर्तनांक में अन्तर अधिक होता है।

उदाहरण-(1) अन्धेरे कमरे में किसी रोशनदान से आते हुए प्रकाश मार्ग में

धूल के कण तैरते हुए दिखायी देते हैं,

(2) टिण्डल प्रभाव के कारण ही आकाश व समुद्र नीले रंग के दिखायी देते हैं।

(ii) ब्राउनी गति-“कोलॉइडी कणों की निरन्तर और तीव्र अनियमित टेढ़ी-मेढ़ी (zig.

zag) गति ब्राउनी गति कहलाती है।” इस प्रकार की गति को सबसे पहले।

अंग्रेज वनस्पतिशास्त्री रॉबर्ट ब्राउन ने सन 1827 में अति सूक्ष्मदर्शी की सहायता से

देखा था, इसलिए इसे ब्राउनी गति कहते हैं। बीनर के अनुसार, यह गति कोलॉइडी |

कोलॉइडी कणों की कणों के परिक्षेपण माध्यम के अणुओं के टेडी-मेड़ी गति साथ असमान रूप से टकराने से उत्पन्न होती है। यह गति निलम्बन (Suspen-

sion) में नहीं पायी जाती। उदाहरण-(1) ब्राउनी गति के कारण, रोशनदान से आते हुए प्रकाश मार्ग में धूल के कण तैरते हुए दिखायी देते हैं।

(2) जल में थोड़ा-सा लाइकोपोडियम पाउडर डालने पर उसके कण इधर-उधर घूमते हुए दिखायी देते हैं।

 

प्रश्न 8. उत्प्रेरण का आधुनिक अधिशोषण सिद्धान्त लिखिए।

उत्तर-सिद्धान्त-आधुनिक अधिशोषण सिद्धान्त के अनुसार, उत्प्रेरक की सतह पर

सक्रिय केन्द्र एवं स्वतंत्र संयोजकताएँ होती हैं। सबसे पहले उत्प्रेरक की सतह पर अभिकारी अणुओं, माना कि A और B का भौतिक अधिशोषण होता है, जिससे उनका सतह पर स्थानीय सान्द्रण बढ़ जाता है। फिर ये अभिकारी अणु उत्प्रेरक की सतह पर उपस्थित परमाणुओं को मुक्त संयोजकताओं के साथ अस्थायी रासायनिक संयोग करते हैं जिसके फलस्वरूप एक अधिशोषित सक्नियित संकर A….B…..S बन जाता है।

 

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

 

प्रश्न 1. उत्प्रेरण का माध्यमिक यौगिक सिद्धान्त समझाइए। एक उदाहरण

दीजिए। इस सिद्धान्त के दो दोष भी लिखिए।

उत्तर-सिद्धान्त-माध्यमिक यौगिक सिद्धान्त के अनुसार, सबसे पहले उत्प्रेरक किसी

एक अभिकारक के साथ क्रिया करता है और एक माध्यमिक यौगिक (अणु) बनाता है।यह माध्यमिक यौगिक (अणु) दूसरे अभिकारक अणु के साथ क्रिया करके उत्पाद अणु बनाता है और उत्प्रेरक मुक्त हो जाता है। यह मुक्त उत्प्रेरक फिर से यही क्रिया दोहराता है। अभिक्रिय | तीव्र वेग से होती रहती है। माना कि A तथा B अभिकारक अणु हैं और C एक उत्प्रेरक है। तब इस सिद्धान के अनुसार- धातुओं का निष्कर्षण एवं उनके प्रमुख यौगिकों का अध्ययन

 

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