Class 12 sociology important questions अध्याय 12 औद्योगिक समाज में परिवर्तन और विकास [Change and Development in Industrial Society]

अध्याय 12 औद्योगिक समाज में परिवर्तन और विकास [Change and Development in Industrial Society]

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

बहु-विकल्पीय प्रश्न

1. ‘वैश्वीकरण’ पुस्तक के लेखक कौन हैं ?

(A) मैक्स वेबर,

(B) कार्ल मार्क्स,

(C) मैल्कम वाटर्स,

(D) इनमें से कोई नहीं।

2. निम्नांकित में से कौन-सी दशा उदारीकरण से समीपता को दर्शाती है ?

(A) समाजवादी व्यवस्था,

(B) उद्योगों का आधुनिकीकरण,

(C) मिश्रित अर्थव्यवस्था,

(D) लोगों के दृष्टिकोण में उदारता

3. औद्योगीकरण से क्या आशय है ?

(A) आधुनिक ढंग से कृषि करना,

(B) उत्पादन के क्षेत्र में मशीनीकृत यन्त्रों तथा ऊर्जा का अधिक प्रयोग,

(C) यातायात के तीव्र साधन,

(D) बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ स्थापित करना।

4. उदारीकरण से रोजगार क्षेत्र पर प्रभाव पड़ा है

(A) बहुराष्ट्रीय कम्पनियों का बोलवाला,

(B) कर्मचारियों में असुरक्षा की भावना,

(C) स्थायी कर्मचारियों की घटती संख्या,

(D) उक्त सभी प्रभाव।

5. भारत में कौन-सी अर्थव्यवस्था प्रचलित है ?

(A) समाजवादी अर्थव्यवस्था,

(B) साम्यवादी अर्थव्यवस्था,

(C) मिश्रित अर्थव्यवस्था,

(D) उपनिवेशवादी अर्थव्यवस्था।

6. औद्योगीकरण से लाभ होता है

(A) व्यापार तथा राष्ट्रीय आय में वृद्धि,

(B) राष्ट्र की आत्मनिर्भरता,

(C) अन्धविश्वासों का अन्त,

(D) उक्त सभी लाभ

7. बीड़ी उद्योग में लाभ का सबसे बड़ा हिस्सा प्राप्त होता है

(A) उद्योग मालिक को,

(B) ठेकेदार को.

(C) सरकार को,

(D) बीड़ी बनाने वाले मजदूरों को।

8. औद्योगिक समाज की विशेषता है

(A) विकसित बाजार प्रणाली,

(B) प्रदत्त परिस्थितियाँ,

(C) वैयक्तिक सम्बन्धों में वृद्धि,

(D) अनौपचारिक नियन्त्रण

उत्तर- 1. (C), 2. (B). 3. (B), 4. (D), 5. (C), 6. (D), 7. (A), 8. (A).

रिक्त स्थान पूर्ति

1. औद्योगीकरण से एक विस्तृत ……………………….होता है।

2. रुई, जूट, रेलवे तथा कोयला खानें भारत के…………..……… उद्योग थे।

3. औद्योगिक विकास हेतु …………….……अर्थव्यवस्था अपनाई गई।

4. स्वतन्त्रता से पहले उद्योग ……………………वाले शहरों तक ही सीमित थे।

5. भारत सन् …………………..के दशक में सरकार ने उदारीकरण की नीति को अपनाया है।

6. छोटी कम्पनियों को बड़ी कम्पनियों से कार्य प्राप्त करने के लिए…………………… करनी होती है।

7. नगरीय ………………..की संख्या लगातार बढ़ रही है।

8. श्रम विभाजन तथा …………………औद्योगिक समाज की आधारभूत विशेषताएँ हैं।

उत्तर – 1. श्रम विभाजन, 2. प्रथम, 3. मिश्रित, 4. बन्दरगाह, 5. 1990, 6. स्पर्धा, 7. मध्य वर्ग, 8. विशेषीकरण ।

सत्य/असत्य

1. उदारीकरण से वैश्वीकरण को प्रोत्साहन मिलता है।

2. महिलाएँ देखभाल एवं पालन-पोषण के क्षेत्र के लिए अधिक उपयुक्त हैं।

3. समाजशास्त्रियों के अनुसार औद्योगीकरण केवल सकारात्मक होता है।

4. सरकार निजी क्षेत्रों में लाइसेंसिंग की नीति अपनाती है।

5. सरकार सार्वजनिक कम्पनियों के अपने हिस्सों को निजी क्षेत्र की कम्पनियों को बेचने का प्रयास कर रही है।

6. भूमिगत खानों में कार्य करने वाले कामगार बाढ़, आग, ऊपरी या सतह के हिस्से के धँसने से बहुत खतरनाक स्थितियों का सामना करते हैं।

7. कई उद्योगों में कामगार प्रवासी होते हैं।

8. काम की बुरी दशाएँ हड़ताल को जन्म देती हैं।

उत्तर – 1. सत्य, 2. सत्य, 3. असत्य, 4. सत्य, 5. सत्य, 6. सत्य, 7. सत्य, 8. सत्य।

जोड़ी मिलाइए

1. मिश्रित अर्थव्यवस्था

2. औद्योगीकरण

3. विनिवेश नीति

4. उदारीकरण

5. कार्य की नई संस्कृति

6. वैश्वीकरण

7. कपड़ा मिल हड़ताल

8. खदान एक्ट

(i) सार्वभौमिकता

(ii) सन् 1982

(iii) सन् 1952

(iv) यन्त्रीकरण

(v) बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के प्रभाव में वृद्धि

(vi) सामाजिक उद्योगों से सरकारी पूँजी की वापसी

(vii) समय की चाकरी

(viii) सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के बीचसन्तुलन

उत्तर – 1. (vii), 2. (iv), 3. → (vi). 4. (v), 5. → (vii), 6. → (i), 7. (ii), 8. (iii).

एक शब्द/वाक्य में उत्तर

1. देश के सन्तुलित विकास के लिए किसकी अत्यन्त आवश्यकता है?

2. औद्योगिक क्षेत्र में मशीनीकरण का श्रमिकों पर क्या प्रभाव पड़ा ?

3. औद्योगीकरण से समाज में किस प्रकार की असमानताएँ बढ़ती हैं?

4. भारत में प्रथम आधुनिक उद्योग क्या थे?

5. भारत ने विकास हेतु किस प्रकार की आर्थिक नीति को अपनाया है?

6. औद्योगीकरण ने किन क्षेत्रों में भेदभाव कम किया है?

7. भारत में सन् 1991 के बाद मिश्रित अर्थव्यवस्था की जगह आर्थिक विकास की किस नीति को अपनाया गया ?

8. जिन विदेशी कम्पनियों द्वारा विभिन्न उत्पादों द्वारा भारी आर्थिक लाभ प्राप्त किया जाता है, उन्हें किस तरह की कम्पनी कहा जाता है ?

उत्तर – 1. औद्योगीकरण की, 2. बेरोजगारी में वृद्धि, 3. आर्थिक असमानताएँ, 4. रूई, जूट, कोयला खान एवं रेलवे, 5. मिश्रित आर्थिक नीति, 6. सार्वजनिक आवागमन के साधनों में, 7. उदारीकरण की नीति, 8. बहुराष्ट्रीय कम्पनी

अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. औद्योगीकरण किसे कहते हैं ?

उत्तर-औद्योगीकरण से आशय शक्ति के बेजान स्रोतों के आर्थिक उत्पादन के लिए विस्तृत प्रयोग से है तथा जिससे यातायात व संचार का विकास भी होता है।

प्रश्न 2. औद्योगीकरण का आशय उत्पादन के यन्त्रीकरण से है, स्पष्ट कीजिए। उत्तर- औद्योगीकरण का सम्बन्ध उत्पादन से है। वैसे तो आदिकाल से उत्पादन चन रहा है, परन्तु औद्योगीकरण के अन्तर्गत यन्त्रीकृत उत्पादन होता है। उत्पादन तथा वितरण के क्षेत्र में भी मशीनों का अधिक-से-अधिक इस्तेमाल होता है। मानवीय श्रम के स्थान पर यन्त्रों का इस्तेमाल बढ़ जाता है।

प्रश्न 3. औद्योगिक समाज की किन्हीं दो विशेषताओं को बताइए।

उत्तर-(1) ऐसा समाज मुख्य रूप से मशीनों के द्वारा होने वाले उत्पादन पर निर्भर होता है।

(2) श्रम-विभाजन और विशेषीकरण की प्रक्रिया लोगों के पारस्परिक सम्बन्धों को प्रभावित करने का मुख्य आधार होती है।

प्रश्न 4. नियोजित औद्योगीकरण से क्या तात्पर्य है ?

उत्तर- नियोजित औद्योगीकरण का तात्पर्य औद्योगिक उत्पादन को इस तरह व्यवस्थित करना है जिससे औद्योगीकरण से पैदा होने वाली समस्याओं का समाधान करने के साथ ही उत्पादन की मात्रा और गुणवत्ता में सुधार लाया जा सके।

प्रश्न 5. विनिवेश किसे कहते हैं ?

उत्तर- सरकार द्वारा सार्वजनिक उद्योगों में लगी अपनी पूँजी को वापस लेने की प्रक्रिया को विनिवेश कहा जाता है।

प्रश्न 6. आउटसोर्सिंग क्या है ?

उत्तर-बाह्य स्रोतों द्वारा काम लेने की प्रक्रिया को आउटसोर्सिंग कहते हैं।

प्रश्न 7. कॉल सेन्टर क्या है ?

उत्तर- जिन विकसित देशों में विभिन्न वस्तुएँ या सेवाएँ महँगी हैं, उनमें कम्प्यूटर नेटवर्क के द्वारा बहुत-सी सेवाएँ उन देशों से ली जाने लगी हैं, जहाँ उन्हें कम मूल्य पर प्राप्त किया जा सकता है। ऐसी सेवाएँ देने वाले व्यापारिक केन्द्रों को ही कॉल सेन्टर कहा जाता है।

प्रश्न 8. हड़ताल तथा तालाबन्दी से क्या आशय है ?

उत्तर-हड़ताल तथा तालाबन्दी औद्योगिक क्षेत्र की दो मुख्य समस्याएँ हैं। हड़ताल का ऐलान श्रमिक वर्ग द्वारा किया जाता है। वे अपनी माँगों को मनवाने के लिए आन्दोलन करते हैं तथा कार्य करना बन्द कर देते हैं। इससे भिन्न तालाबन्दी मालिकों द्वारा की जाती है। मालिक उत्पादन रोककर कर्मचारियों को कार्य से वंचित कर देते हैं।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. समाजशास्त्रीय दृष्टिकोण से औद्योगीकरण क्या है ?

उत्तर- समाजशास्त्रीय दृष्टिकोण से औद्योगीकरण उत्पादन की एक जटिल प्रक्रिया है। जिसका सम्बन्ध लोगों के कार्य करने के तरीकों, विभिन्न प्रकार के व्यवहारों और सामाजिक सम्बन्धों में परिवर्तन से है। एक ही उद्योग से सम्बन्धित विभिन्न लोगों के जीवन को यह भिन्न-भिन्न रूप से प्रभावित करती है। लोग अधिकतर अपने कार्य का अन्तिम रूप नहीं दे पाते, क्योंकि उन्हें उत्पादन के एक छोटे से पुर्जे को बनाना होता है। अक्सर यह कार्य थकाने और दोहराने वाला होता है, लेकिन फिर भी बेरोजगार होने से यह स्थिति अच्छी है। औद्योगीकरण कुछ एक स्थानों पर जबरदस्त समानता लाता है, जैसे- रेलगाड़ियों, बसों और साइबर कैफे इत्यादि स्थानों पर जातीय भेदभाव को महत्व नहीं दिया जाता। औद्योगीकरण से सामाजिक असमानताएँ कम हो रही हैं।

प्रश्न 2. भारत में स्वतन्त्रता के प्रारम्भिक वर्षों में औद्योगीकरण कैसा था ?

उत्तर- स्वतन्त्रता के बाद सरकार ने औद्योगीकरण को प्रभावशाली ऊँचाइयों पर रखा। इसमें सुरक्षा, परिवहन एवं संचार, ऊर्जा खनन एवं अन्य परियोजनाओं को शामिल किया गया। जिन्हें करने के लिए सरकार सक्षम थी और यह निजी उद्योगों के फलने-फूलने के लिए भी आवश्यक था। भारत की मिश्रित आर्थिक नीति में कुछ क्षेत्र सरकार के लिए आरक्षित थे और में कुछ निजी क्षेत्रों के लिए खुले थे। लेकिन उसमें भी सरकार अपनी लाइसेंसिंग नीति के द्वारा

यह सुनिश्चित करने का प्रयास करती थी कि ये उद्योग विभिन्न भागों में फैले हुए हों।

प्रश्न 3. औद्योगीकरण किस प्रकार समानता एवं असमानता लाता है ?

उत्तर- औद्योगीकरण की प्रक्रिया को एक विस्तृत श्रम विभाजन वाली प्रक्रिया माना जाता है। जिसके प्रभाव समानता व असमानता लाने वाले होते हैं। समानता लाने वाले स्थान रेल, बस और सायबर कैफे हैं, जहाँ जातीय भेदभाव नहीं होता है। जातीय दूरी कम होती है और अन्तर्जातीय विवाहों का प्रचलन बढ़ जाता है। परन्तु आर्थिक आय से सम्बन्धित असमानताएँ भी परस्पर दिखाई देती हैं। अच्छे वेतन वाले व्यवसाय, जैसे- मेडिकल, कानून, पत्रकारिता में उच्च जातियों के लोगों का वर्चस्व आज भी बना हुआ है। अधिकांशतः महिलाएँ समान कार्य के लिए कम वेतन पाती हैं।

प्रश्न 4. खदान मजदूरों की कार्यव्यवस्थाओं की विवेचना कीजिए।

उत्तर- खदान मजदूरों को बहुत खराब और खतरनाक स्थितियों में कार्य करना पड़ता है। भूमिगत कारखानों में कार्य करने वाले कामगार बाढ़, आग, ऊपरी या सतह के हिस्से के धँसने से बहुत खतरनाक स्थितियों का सामना करते हैं। गैसों के उत्सर्जन और ऑक्सीजन के बन्द होने के कारण बहुत से कामगारों को क्षय रोग या साँस सम्बन्धी बीमारियों का सामना करना पड़ता है। जो कामगार खुली खानों में काम करते हैं, वे तेज धूप और वर्षा में काम करते हैं। खान के फटने से या किसी चीज के गिरने से होने वाली चोट का सामना भी करते हैं। इस तरह की दुर्घटनाओं की दर भारत में अन्य देशों की तुलना में काफी ज्यादा है। भारत सरकार ने 1952 ई. में खदान एक्ट पारित किया था, परन्तु यह भी खदान में काम करने वाले कामगारों की स्थिति सुधारने में अधिक सफल नहीं हो पाया है।

प्रश्न 5. स्पष्ट कीजिए कि राष्ट्रीय आय का सदुपयोग औद्योगीकरण के लिए सहायक कारक है।

उत्तर- राष्ट्रीय आय का सदुपयोग करने की नीति का पालन करते रहने से भी औद्योगीकरण को प्रोत्साहन मिलता है। यदि राष्ट्रीय आय का अधिकांश भाग युद्ध-सामग्री जुटाने में ही व्यय कर दिया जाए, तो औद्योगीकरण की प्रगति रुक जाएगी। सरकार द्वारा नए-नए उद्योगों की खोज कर उन्हें स्थापित करना औद्योगीकरण की प्रक्रिया को प्रोत्साहित करती है जो लोगों को रोजगार दिलाती है तथा राष्ट्रीय आय में वृद्धि करती है। अत: औद्योगीकरण की प्रक्रिया को प्रोत्साहन देकर राष्ट्रीय आय में वृद्धि करके उसका सदुपयोग करना चाहिए।

दीर्घ उत्तरीय/विश्लेषणात्मक प्रश्न

प्रश्न 1. औद्योगिक समाज में होने वाले सामाजिक प्रभावों को स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- वर्तमान समाज औद्योगिक समाज है तथा औद्योगीकरण के इस युग में सामाजिक परिवर्तन की गति भी काफी तीव्र हो गई है। आज उद्योगों का आधुनिकीकरण किया जा रहा है। समाज भी औद्योगीकरण की इस तीव्र रफ्तार में अपने आप को अमृता नहीं रख पाया, क्योंकि औद्योगीकरण का प्रमुख आधार समाज ही है। औद्योगीकरण एवं समाज परस्पर सम्बन्धित है। विकास की इस गति ने अनेक प्राचीन रूढ़िवादी परम्पराओं को खत्म किया है जो समाज के विकास में बाधक थीं।

औद्योगीकरण का समाज पर प्रभाव

(1) औद्योगीकरण का सकारात्मक व नकारात्मक प्रभाव-औद्योगीकरण ने समाज पर दोनों प्रकार के यानी सकारात्मक एवं नकारात्मक प्रभाव छोड़े हैं। औद्योगीकरण का मानव समाज में आने से मशीनों का अस्तित्व तेजी से बढ़ गया औद्योगीकरण समाज में अकेले नहीं आया साथ में नवीनीकरण को भी लाया। नगरीकरण के प्रभाव के कारण लोगों के आपसी सम्बन्धों में बहुत बिखराव आया है। गाँव में अपनापन और सजातीयता देखने को मिलती थी। लोग एक-दूसरे को व्यक्तिगत रूप से जानते थे, जिस मालिक के यहाँ वह काम करते थे वह भी उन्हें अच्छी तरह से जानता था, लेकिन औद्योगीकरण-नगरीय समाज में आपसी रिश्तों का हास हुआ है।

(2) श्रम विभाजन का विस्तार-उद्योगों में काम करने वाले कारीगर केवल अपने काम से ही मतलब रखते हैं, उन्हें इस बात से कोई मतलब नहीं कि निर्मित वस्तु का अन्तिम रूप क्या होगा। वे किसी वस्तु में केवल एक ही प्रकृति के कार्य को बार-बार करते हैं जिससे उनकी उर्वरकता नष्ट हो जाती है और वे अन्य कार्य करने के काबिल नहीं रहते हैं। वह केवल अपनी अजीविका चलाने भर के लिए ही उस कार्य को मजबूरी में करते हैं।

(3) औद्योगीकरण का आपसी सम्बन्धों एवं समानता पर असर-औद्योगीकरण ने जहाँ आपसी सम्बन्धों को चोट पहुँचाई है, वहीं कम-से-कम कुछ क्षेत्रों में सामाजिक समानता लाने का कार्य भी किया है। सार्वजनिक स्थानों, रेलों, बसों, खानपान गृहों, साइबर कैफे आदि में कोई जातिगत भेदभाव नहीं होता है। लेकिन समाज में आय सम्बन्धी विषमता तेजी से बढ़ रही है। उच्च जातियों के लोगों ने औषधि व्यवसाय, वकालत, इंजीनियरिंग, पत्रकारिता जैसे अच्छी आमदनी देने वाले पेशों पर अपना प्रभुत्व जमाया हुआ है। निष्कर्ष – वास्तव में वास्तविक औद्योगीकरण प्रत्येक देश के लिए उपयोगी है। इसी कारण भारत में भी इसका प्रभाव कम नहीं हुआ है।

प्रश्न 2. उदारीकरण ने रोजगार के प्रतिमानों को किस प्रकार प्रभावित किया है ?

उत्तर- उदारीकरण के कारण औद्योगिक समाज में रोजगार के नए तरीके हैं जो परम्परागत अर्थव्यवस्था में देखने को नहीं मिलते थे। विज्ञापनों द्वारा रोजगार, स्व-रोजगार, ठेकेदारों द्वारा कार्य, दिहाड़ी तथा बहुउद्देशीय सेवा केन्द्र इत्यादि से रोजगार मिलें, परन्तु हमें यह दिखाई देता है कि देश में काफी कम लोगों के पास सुरक्षित रोजगार है तथा जिनके पास है वह भी अनुबन्धित श्रमिकों के कारण असुरक्षित हो रहे हैं। अब तक सरकारी नौकरियाँ ही अधिकतर लोगों के जीविकोपार्जन का साधन थीं, लेकिन अब वह भी कम होती जा रही हैं। उदारीकरण के साथ व्यक्तियों में असमानताएँ भी बढ़ती जा रही हैं। भारतीय बाजारों में दुकानों में विदेशी सामान बड़ी सहजता से मिलने लगा है जिससे कुछ श्रमिकों को अपने रोजगार से हाथ धोना पड़ा है। बड़ी विदेशी कम्पनियों तथा व्यापारियों के भारत में आने से भारत के छोटे व्यापारी, दुकानदार, हस्तकला विक्रेता, हॉकर इत्यादि अपना रोजगार खो बैठे। बड़े-बड़े मॉल, शोरूम, आदि ने उनकी जगह ले ली है। बहुत सारी कम्पनियों को बहुराष्ट्रीय कम्पनियों ने खरीद लिया तथा बहुत सारी भारतीय कम्पनियाँ बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के रूप में थी उभरीं। जैसे पारले को कोकाकोला ने खरीद लिया। सरकार सार्वजनिक कम्पनियों के अपने हिस्से को निजी क्षेत्र की कम्पनियों को बेचने का प्रयास कर रही है। इसे विनिवेश कहते हैं। कई कर्मचारी नौकरी खोने के डर से भयभीत हैं। कम्पनियाँ अपने स्थाई कर्मचारियों की संख्या में कमी कर रही हैं तथा छोटी-छोटी कम्पनियों से काम करवा रही हैं। भारत जैसे विकासशील देश में, जहाँ श्रम काफी सस्ता है तब भी उदारीकरण के कारण रोजगार के प्रतिमान अत्यधिक प्रभावित हुए हैं।

प्रश्न 3. भारत में कर्मचारियों की कार्य दशाओं पर चर्चा कीजिए।

उत्तर- हम सबको एक मजबूत घर, कपड़े और अन्य सामानों की आवश्यकता होती है। लेकिन ये सब हमको कार्य करने की वजह से प्राप्त होते हैं। भारत में कर्मचारियों की कार्य दशाएँ बहुत ही खराब हैं। सरकार ने कार्य की दशाओं को बेहतर बनाने के लिए कानून बनाए हैं, किन्तु बड़ी कम्पनियों के द्वारा कानूनों का पालन नहीं किया जाता। • हम एक खदान की अवस्था को देखते हैं, जहाँ बहुत से लोग काम करते हैं। खदान एक्ट 1952 ने स्पष्ट किया है कि एक व्यक्ति खान में सप्ताह में अधिक-से-अधिक कितने घण्टे कार्य कर सकता है, अतिरिक्त घण्टे काम करने पर उसे अलग से पैसा दिया जाना चाहिए और सुरक्षा के नियमों का पालन होना चाहिए, लेकिन छोटी खानों और खुली खानों में नियमों का पालन नहीं किया जाता। कई ठेकेदार मजदूरों का रजिस्टर भी ठीक से नहीं रखते हैं, जिससे वह दुर्घटना की अवस्था में मुआवजा देने से मुकर सके।

• जब खानों में खुदाई का काम समाप्त हो जाता है, तो कम्पनियों को किए गए गड्ढे भर देने चाहिए। किन्तु वे ऐसा नहीं करतीं।

● भूमिगत खानों में कर्मचारियों तथा नियोक्ताओं को बहुत खतरनाक स्थितियों का सामना करना पड़ता है। इसका कारण खानों में पानी भर जाना, आग लगना, खानों की दीवारों तथा छतों का ढहना, गैसों का उत्सर्जन तथा साँस लेने में तकलीफ जैसी घटनाएँ हैं।

• बहुत से कर्मचारियों को टी.बी. तथा सिलिकोसिस की बीमारी हो जाती है।

● जो लोग खानों के ऊपर काम करते हैं। उन्हें धूप तथा वर्षा सहन करनी पड़ती है। खानों में होने वाले धमाकों तथा पत्थरों इत्यादि के गिरने से उन्हें अक्सर चोट का सामना करना पड़ता है। इस तरह भारत में खानों में होने वाली दुर्घटनाएँ अन्य देशों की तुलना में अधिक है।

प्रश्न 4. भारत में सूचना प्रौद्योगिकी (आई.टी.) के क्षेत्र में समय की चाकरी की विवेचना कीजिए। कभी-कभी

उत्तर- वर्तमान उद्योगों में कार्य की एक ऐसी संस्कृति पैदा हुई है जिसे समय की चाकरी भी कह दिया जाता है। आई.टी. के क्षेत्र में यह बहुत महत्वपूर्ण है ● लगभग 10-12 घण्टे प्रत्येक दिन किसी कर्मचारी के लिए काम करना सामान्य बात नहीं है। परियोजनाओं को पूरा करने के लिए कर्मचारियों को रात भर काम करना पड़ता है। ● लम्बे कार्य घण्टे भारत और ग्राहक देश के बीच समय की भिन्नता भी है जैसे सम्मेलन का समय शाम का होता है जबकि अमेरिका में उस समय कार्य दिवस शुरू होता है। ● बाह्यस्रोतों की संरचना में अधिक कार्य का होना है जो परियोजना की लागत तथा समय सीमा की तालमेल से जुड़ी होती है। आठ घण्टे काम करने वाले एक इंजीनियर के श्रम के आधार पर काम को अन्तिम सीमा तक पहुँचाने के लिए उसे अतिरिक्त घण्टों और दिनों तक काम करना पड़ता है। ● इन कार्य घण्टों के परिणामस्वरूप गुड़गाँव, हैदराबाद तथा बंगलुरू जैसे स्थान, जहाँ कि बहुत सी आई.टी. कम्पनियाँ और कॉल सेंटर है। वहाँ की दुकानों तथा रेस्तराओं ने भी अपने खुलने का समय बदल दिया है।

● भारत में जहाँ संयुक्त परिवार लुप्त हो रहे थे, औद्योगीकरण के कारण फिर से बनने लगे हैं। दादा-दादी बच्चों की मदद के लिए परिवार में पुनः स्थापित हो गए हैं।

प्रश्न 5. उदारीकरण की विभिन्न नीतियों का वर्णन कीजिए तथा भारत में उदारीकरण की नीति के लाभ तथा हानियाँ क्या हैं ?

उत्तर- सन् 1990 के दशक से सरकार ने उदारीकरण की नीति को अपनाया है (1) निजी कम्पनियाँ, विशेष रूप से विदेशी फर्मों को उन क्षेत्रों में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है, जो पहले से सरकार के लिए; जैसे- दूरसंचार, नागरिक उड्डयन एवं ऊर्जा आदि के लिए आरक्षित थे।

(2) उदारीकरण की नीतियों से उद्योगों को लाइसेंस से मुक्त कर दिया गया है।

(3) भारतीय दुकानों पर विदेशी वस्तुएँ आसानी से उपलब्ध हो जाती हैं।

(4) उदारीकरण के परिणामस्वरूप बहुत-सी भारतीय कम्पनियों को बहुद्देशीय कम्पनियों ने खरीद लिया है। साथ ही कुछ भारतीय कम्पनियाँ बहुद्देशीय कम्पनियाँ बन गई हैं।

(5) सरकार सार्वजनिक कम्पनियों के अपने हिस्सों को निजी क्षेत्र की कम्पनियों को बेचने का प्रयास कर रही है।

उदारीकरण की नीति के लाभ

(1) विदेशी पूँजी के निवेश से आर्थिक विकास की प्रक्रिया तेज होती है।

(2) रोजगार के अवसरों में भी व्यापक वृद्धि होती है।

(3) सरकारी कम्पनियों के निजीकरण से कुशलता बढ़ती है।

(4) भारत के कुछ उद्योगों; जैसे- सॉफ्टवेयर या सूचना प्रौद्योगिकी, मत्स्यपालन, फल उत्पादन को उदारीकरण की नीति से लाभ हुआ है।

उदारीकरण की नीति की हानियाँ

(1) उदारवाद से पूर्व भारतीय कृषि सहायता मूल्य और सब्सिडी द्वारा विश्व बाजार से सुरक्षित थी, यह समर्थन मूल्य किसानों की न्यूनतम आमदनी को सुनिश्चित करता है। इन्हीं

मूल्यों के आधार पर सरकार कृषि उत्पादों को खरीदने को तैयार रहती है। सब्सिडी के माध्यम से किसानों की प्रमुख उपयोगी वस्तुएँ, जैसे-खाद, उर्वरक, डीजल आदि के दाम सरकार घटा देती थी। उदारवादी बाजार में इस प्रकार की कोई सरकारी मदद नहीं दी जाती।

(2) उदारवाद के कारण बहुत से किसान अपनी रोजी-रोटी कमाने में भी असफल हो रहे हैं और उत्पादकों को विश्व स्तरीय उत्पादकों के सामानों के साथ प्रतिस्पर्धा करनी पड़ रही है। (3) निजीकरण में सरकारी विभागों के कर्मचारियों की नौकरियाँ खतरे में है। (4) उदारीकरण के कारण भारतीय बाजार अनेक विदेशी उत्पादों विशेष रूप से चाइनीज उत्पादों की ओर आकर्षित हो रहे हैं।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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