CLASS 9TH HINDI MP BOARD NCERT अध्याय 8 लेखकों का साहित्यिक परिचय Pariksha Adhyayan Hindi 9th

CLASS 9TH HINDI MP BOARD NCERT अध्याय 8 लेखकों का साहित्यिक परिचय Pariksha Adhyayan Hindi 9th

अध्याय 8 लेखकों का साहित्यिक परिचय

अध्याय 8
लेखकों का साहित्यिक परिचय

i. प्रेमचन्द
जीवन-परिचय-मुंशी प्रेमचन्द का जन्म 31 जुलाई 1880 ई. को बनारस के समीप ‘लमही’ नामक ग्राम में हुआ था। इनका वास्तविक नाम धनपत राय था, किन्तु उर्दू में ये नवाबराय व हिन्दी में प्रेमचन्द के नाम से लिखते थे। इनकी माता का नाम आनन्दी देवी तथा पिता का नाम अजायबराय था। इनका सम्पूर्ण
जीवन
आर्थिक अभाव में बीता। आपका प्रथम विवाह बचपन में ही तथा दूसरा विवाह शिवरानी देवी के साथ हुआ। आठ वर्ष की आयु में ही आपकी माता का देहान्त हो गया। प्रेमचन्द का स्वास्थ्य बचपन से ही खराब रहता था। निर्धनता के कारण उसमें और पतन होता गया तथा सन् 1936 ई. में आपका देहान्त हो गया।

रचनाएँ-(1) कहानी-प्रेमचन्द जी ने लगभग 300 कहानियाँ लिखी जो ‘मानसरोवर’ (आठ भाग) में संग्रहीत हैं। इनमें कफन, पंच परमेश्वर, नमक का दारोगा, शतरंज के खिलाड़ी, पूस की रात आदि प्रसिद्ध कहानियाँ हैं। इन कहानियों के 24 संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं। पंच परमेश्वर आपकी प्रथम कहानी थी जो
‘सरस्वती’ पत्रिका में सन् 1916 में छपी।
(2) उपन्यास-गोदान, सेवासदन, निर्मला, गबन, कर्मभूमि, रंगभूमि, मंगलसूत्र (अपूर्ण) आदि। गोदान एवं गबन पर फिल्म भी बन चुकी है।
(3) नाटक-कर्बला, संग्राम, प्रेम की वेदी एवं रूठी रानी नाटकों में हिन्दू-मुसलमान एकता, राष्ट्रीयता तथा मानव प्रेम पर प्रेमचन्द जी ने अपनी लेखनी चलाई।
(4) सम्पादन-मर्यादा, माधुरी, हंस और जागरण पत्रिकाओं में जनवादी दृष्टिकोण दिखाई देता है।
(5) निबन्ध संग्रह-साहित्य का स्वरूप, कुछ विचार आदि निबन्धों में जनवादी दृष्टिकोण दिखायी देता है।
भाषा-प्रेमचन्द ने उर्दू भाषा में लेखन-कार्य आरम्भ किया। आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी की प्रेरणा से आपने हिन्दी में लिखना प्रारम्भ किया। आपकी भाषा के दो रूप पढ़ने को मिलते हैं-प्रथम रूप में संस्कृत भाषा के तत्सम रूपों की अधिकता है तथा द्वितीय रूप में उर्दू, संस्कृत और हिन्दी के व्यावहारिक शब्दों का प्रयोग मिलता है। प्रेमचन्द अपनी बात जनता तक पहुँचाना चाहते थे। इस कारण उनको भाषा सहज, सरल एवं बोलचाल की है। उनकी भाषा में सहज प्रवाह, माधुर्य और लालित्य है। मुहावरों, कहावतों तथा लोकोक्तियों का सुन्दर व सहज प्रयोग है, जिसमें यत्र-तत्र अंग्रेजी के शब्दों का भी प्रयोग है।
शैली-प्रेमचन्द ने निम्नलिखित शैलियों को अपनाया है-
(1) वर्णनात्मक शैली-इस शैली को पात्र, घटना एवं वस्तु वर्णन में प्रयोग किया गया है।
(2) भावनात्मक शैली-कहानी व उपन्यासों के पात्रों की भावनाओं के चित्रण में।
(3) विवेचनात्मक शैली-निबन्धों व उपन्यासों में गम्भीर विषय के समय।
(4) मनोवैज्ञानिक शैली-पात्रों के अन्तर्द्वन्द्व में चित्रण में।
(5) हास्य प्रधान शैली-समाज में व्याप्त कुरीतियों, शोषण जैसी विषमताओं के वर्णन में।

साहित्य में स्थान-अंग्रेजी साहित्य में जो स्थान ‘डिकिना’, रूसी साहित्य में ‘टॉलस्टॉय’ एवं ‘गोली- को प्राप्त है वही स्थान हिन्दी साहित्य जगत् में प्रेमचन्द का है। इसी कारण उन्हें ‘उपन्यास सम्राट’ के नाम से विभूषित किया गया है।

2, राहुल सांकृत्यायन

जीवन-परिचय-राहुल सांकृत्यायन का जन्म सन् 1893 मैं गाँव पंदहा, जिला आजमगढ़ (उत्तर प्रदेश) में हुआ था। उनके पिता का गाँव कनैला था। उनका बचपन का नाम केदार पाण्डेय था। प्रारम्भिक शिक्षा निजामाबाद में पूरी करके आपने काशी, आगरा तथा लाहौर में पढ़ाई की। 1930 में बौद्ध धर्म ग्रहण कर लिया
तथा इनका नाम राहुल सांकृत्यायन हो गया। इनकी प्रवृत्ति अध्ययन शोध और भाषाएँ सीखने की रही। विस्तृत ज्ञान के कारण ही आपको महापंडित कहा जाने लगा। उन्होंने श्रीलंका, तिब्बत, नेपाल, रूस, चीन, जापान आदि देशों की यात्राएँ को। भारत सरकार ने आपको पद्मभूषण अलंकार से विभूषित किया।
रचनाएँ-राहुल सांकृत्यायन ने कहानी, उपन्यास, यात्रावृत्त, आत्मकथा, जीवनी, आलोचना आदि विधाओं की रचना की। इनकी रचनाएँ इस प्रकार हैं-
(1) मेरी जीबन याना (छ: भाग), (2) बोल्गा से गंगा,
(3) दर्शन दिग्दर्शन, (4) घुमक्कड़ शास्त्र, (5) बाईसवीं सदी, (6) भागो नहीं दुनिया को बदलो, (7) विश्व की
रूपरेखा, (8) कनैला की कथा, (9) सतमी के बच्चे, (10) बहुरंगी मधुपुरी आदि आपने लगभग 150 रचनाएँ
लिखी हैं।

भाषा-अनेक भाषाओं के जानकार राहुल जी ने व्यावहारिक खड़ी बोली में साहित्य सृजन किया है। आपने विषय के अनुरूप भाषा का प्रयोग किया है। आपकी भाषा सरल, सुवोध तथा प्रवाहपूर्ण है। उन्होंने सीधी-सादी भाषा को अपनाया है।

शैली-राहुल जी ने विषय तथा भाव के अनुरूप शैली का प्रयोग किया है। आपकी शैली के रूप इस प्रकार हैं-
(1) वर्णनात्मक शैली-इस शैली में यात्रा साहित्य की रचना की है।
(2) विवेचनात्मक शैली-शोधपरक गम्भीर विषयों में इस शैली के दर्शन होते हैं।
(3) विचारात्मक शैली-धर्म, दर्शन, आलोचना परक विषयों में इस शैली को अपनाया है।
(4) व्यंग्यात्मक शैली-आपने अपनी रचनाओं में स्थान-स्थान पर सहज एवं सरस हास्य-व्यंग्य के पुट दिए हैं।
साहित्य में स्थान-विविध विषयों के ज्ञाता राहुल सांकृत्यायन में हिन्दी साहित्य को अनेक बहुमूल्य
रचनाएँ दी हैं। अनुसंधान तथा शोध को दृष्टि से इनका साहित्य बहुत उपयोगी है। हिन्दी साहित्य में इनका महत्वपूर्ण स्थान है।

3. जाबिर हुसैन

जीवन-परिचय-जाबिर हुसैन का जन्म सन् 1945 में बिहार के नालंदा जिले के ‘नौनही राजगीर’नामक गाँव में हुआ। शिक्षा पूरी करने के बाद आप अंग्रेजी के प्राध्यापक नियुक्त हो गए। बिहार की सक्रिय राजनीति से जुड़कर 1977 में आप मुंगेर से विधायक निर्वाचित हुए। आप बिहार सरकार में मंत्री रहे। सन् 1995 में आपको बिहार विधानसभा का सभापति बनाया गया। जाबिर हुसैन राजनीति के साथ साहित्य से जुड़ रहे।
रचनाएँ-जाबिर हुसैन ने उपन्यास, संस्मरण, डायरी आदि विधाओं में साहित्य सृजन किया है। डायरी लेखन में आपने अनूठे प्रयोग किए हैं। आपकी प्रमुख हिन्दी रचनाएँ इस प्रकार हैं-(1) जो आगे हैं’, (2) डोला बीबी का मजार’, (3) लोगां’, (4) अतीत का चेहरा’, (5) एक नदी रेत भरी’।
भाषा-जाबिर हुसैन ने व्यावहारिक खड़ी बोली में साहित्य रचना की है। विषय के अनुरूप तत्सम तथा तद्भव शब्दों का प्रयोग आपने किया है। आपकी भाषा में अंग्रेजी तथा उर्दू के शब्द भी आ गए हैं। उक्तियों, मुहावरों के सटीक प्रयोग ने आपकी भाषा को चित्रोपम तथा सजीव बना दिया है। अधिकतर आपने आम
आदमी की भाषा में लिखा है। शैली-जाबिर हुसैन ने विषय के अनुरूप जो शैली रूप प्रयोग किए हैं, वे इस प्रकार है-
(1) वर्णनात्मक शैली-घटना, व्यकि, स्थान आदि को वर्णन में इस शैली का प्रयोग हुआ है।
(2) भावात्मक शैली-भाव प्रधान स्थलों पर भावात्मक शैली अपनाई गई है।
(3) संस्मरणात्यक शैली-इस शैली में श्री हुसैन ने संस्मरण लिखे हैं। इसके साथ ही आपने उद्धरण, विचारात्मक, विवरणात्मक, व्यंग्यात्मक आदि शैली रूपों का प्रयोग किया है।
साहित्य में स्थान – जाबिर हुसैन के साहित्य में आम आदमी के दुःख-दर्द उभरकर आए हैं। बनावटीपनसे परे आपने जन-सामान्य के संघर्षों, कष्टों और पीड़ाओं को वाणी दी है। हिन्दी में संस्मरण तथा डायरी लेखक के रूप में आपका महत्वपूर्ण स्थान है।

4. हरिशंकर परसाई

जीवन-परिचय-हरिशंकर परसाई का जन्म 22 अगस्त सन् 1924 में मध्य प्रदेश के होशंगाबाद जिले के जमाली नाम के गाँव में हुआ था। आपने इटारसी से बी. ए. तथा नागपुर विश्वविद्याल से एम. ए. हिन्दी उत्तीर्ण की। कुछ समय तक अध्यापन कार्य करने के बाद आपने पूर्णकालिक साहित्य सृजन प्रारम्भ कर दिया। आपने ‘वसुधा’ पत्रिका का सम्पादन किया। सन् 1995 में आपका देहावसान हो गया।

रचनाएँ-निबन्ध संग्रह-(1) ‘तव की बात और थी’, (2) भूत के पाँव पीछे’, (3) ‘बेईमानी की परत’, (4) पगडंडियों का जमाना’, (5) ‘सदाचार का तावीज’, (6) ‘शिकायत मुझे भी है’, (7) ‘सुनों भाई
साधौ’ तथा ‘अंत में’।

व्यंग्य संग्रह-(1) ‘वैष्णव को फिसलन’, (2) ‘तिरछी रेखाएँ’, (3) विकलांग श्रद्धा का दौर’, (4) ‘ठिठुरता हुआ गणतन्त्र’।
कहानी संग्रह-(1) ‘हँसते हैं रोते हैं’, (2) जैसे उनके दिन फिरे’।
उपन्यास-(1) ‘रानी नागमती की कहानी,’ (2) तट की खोज’।
भाषा-परसाई जी की भाषा सरल, सुबोध खड़ी बोली है। इसमें तत्सम, तद्भव, देशज तथा विदेशी शब्दों को भी आपने अपनाया है। आपको भाषा विषय के अनुरूप बदलती रहती है। चित्रोपमता, सजीवता तथा रोचकता आपको भाषा की प्रमुख विशेषताएँ हैं।

शैली-हरिशंकर परसाई ने विषय के अनुसार विविध शैली रूप अपनाए हैं।
(1) वर्णनात्मक शैली-व्यक्ति, वस्तु, स्थान, घटना आदि के वर्णन में यह शैली प्रयोग की गई है।
(2) व्यंग्यात्मक शैली-परसाई जी ने सामाजिक विसंगतियों पर इस शैली में करारे प्रहार किए हैं।
(3) उद्धरण शैली-उद्धरण शैली के द्वारा आपने अपने कथन को प्रभावी बनाने का सफल प्रयास किया है।
(4) सूत्र शैली-सूत्र शैली के माध्यम से आपने संक्षेप में बात कहकर कथ्य को प्रभावी तथा रोचक बनाया है।
साहित्य में स्थान-हरिशंकर परसाई ने समाज, राष्ट्र तथा मानव हित को ध्यान में रखकर जो रचनात्मकव्यंग्य किए हैं वे अनुपम हैं। हिन्दी व्यंग्य साहित्य के सम्पन्न करने में आपका सराहनीय योगदान रहा है। अनोखेअंदाज में व्यंग्य करने वाला हरिशंकर परसाई का हिन्दी साहित्य में विशिष्ट स्थान है।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न
• रिक्त स्थानों की पूर्ति

1. प्रेमचंद हिन्दी उपन्यास साहित्य के माने जाते हैं। (सम्राट/महात्मा)
2. राहुल सांकृत्यायन ने श्रेष्ठ की रचना की है। (यात्रावृत्तों/नाटकों)
3. जाबिर हुसैन बिहार विधानसभा के ………..” रहे हैं। (सभापति/उपसभापति)
4. हरिशंकर परसाई श्रेष्ठ ………” हैं।
(व्यंग्यकार/नाटककार)
उत्तर-1. सम्राट, 2. यात्रावृत्तों, 3. सभापति, 4. व्यंग्यकार।

• सही विकल्प चुनिए

 

 

 

I. ‘मानसरोवर’ किसकी रचना है?
(क) प्रेमचंद,
(ख) जयशंकर प्रसाद,
(ग) जैनेन्द्र कुमार,
(घ) नागार्जुन।

2. ‘घुमक्कड़ शास्त्र’ किसकी लिखी हुई कृति है ?
(क) महादेवी वर्मा,
(ख) राहुल सांकृत्यायन,
(ग) जाबिर हुसैन,

3. ‘एक नदी रेत भरी’ के लेखक हैं-
(क) प्रेमचंद,
(ख) चपला देवी,
(ग) हरिशंकर परसाई,
(घ) जाबिर हुसैन।
(घ) हरिशंकर परसाई।

4. हरिशंकर परसाई प्रसिद्ध लेखक हैं-
(क) नाटकों के,
(ख) एकांकियों के,
(ग) व्यंग्य के,
(घ) व्यावसायिक विषयों के।
उत्तर-1.(क), 2. (ख).3. (घ),4.(ग)।

• सही जोड़ी बनाइए

1. प्रेमचंद (क) ल्हासा की ओर
2. राहुल साकृत्यायन (ख) लमही (बनारस)
3. बिहार (ग) वसुधा
4. हरिशंकर परसाई (घ) जाबिर हुसैन
उत्तर-1.→ (ख), 2. → (क),3. → (घ),4. → (ग)।

. सत्य/असत्य
1. प्रेमचंद ने ‘नवाबराय’ नाम से उर्दू में लिखना प्रारम्भ किया था।
2. राहुल सांकृत्यायन का जन्म मध्य प्रदेश में हुआ था।
3. जाबिर हुसैन बिहार के मुख्यमन्त्री रहे थे।
4. हरिशंकर परसाई का जन्म मध्य प्रदेश में हुआ था।
5. ‘मेरा परिवार’ प्रेमचंद की रचना है।
– उत्तर-1. सत्य, 2. असत्य, 3. असत्य, 4. सत्य, 5. असत्य।

• एक शब्द/वाक्य में उत्तर
1. ‘गोदान’ उपन्यास के लेखक का क्या नाम है?
2. यात्रा वृत्तांत के जनक कौन माने जाते हैं ?
3. चपला देवी की एक रचना का नाम लिखिए।
4. जाबिर हुसैन किस विधा के श्रेष्ठ लेखक हैं ?
5. हरिशंकर परसाई की एक रचना का नाम लिखिए।
उत्तर-1. प्रेमचंद, 2. राहुल सांकृत्यायन, 3. नाना साहब की पुत्री देवी मैना को भस्म कर दिया गया, 4. डायरी विधा के, 5. बेईमानी की परत।

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